मैं और मौसा मौसी compleet

User avatar
rajaarkey
Super member
Posts: 10097
Joined: 10 Oct 2014 10:09
Contact:

Re: मैं और मौसा मौसी

Post by rajaarkey »



"आपही ने तो भेजा उसको बजार. अभी होता तो आपके मुंह में लंड पेल देता बाबूजी, आप का मुंह ऐसे खाली नहीं रहता." राधा बोली.

"भैयाजी, वैसे तो रज्जू बहूरानी को घूर रहा था दोपहर को, बहूरानी ने रिझा लिया है उसको" रघू बोला.

"हां लीना भाभी की चूंचियां देखीं होंगी ना उसने! तुमने नहीं देखा जी, क्या मस्त दिख रही थीं ब्लाउज़ के ऊपर से. मेरा तो मन मुंह मारने को हो रहा था" राधा पड़ी पड़ी गांड मरवाते हुए बोली.

"अरी ओ रधिया, मौसी से पूछे बिना कुछ लीना भाभी के साथ नहीं करना. मुंह मारना है तो मौसी के बदन में मार जैसे रोज करती है" रघू बोला, वो अब घचाघच दीपक मौसाजी को चोद रहा था.

"बाबूजी, आप चुप चुप क्यों हो, बहूरानी अच्छी नहीं लगी क्या" राधा बोली.

"अरे जरूर लगी होगी. पर अनिल भैया ज्यादा पसंद आये होंगे भैयाजी को, है ना भैयाजी?" रघू बोला.

मौसाजी कुछ कहते इसके पहले मैं वहां से चल दिया. मेरी इच्छा तो थी कि रुक कर सब कुछ देखूं पर मेरा लंड ऐसे सनसना रहा था कि रुकता तो जरूर मुठ्ठ मार लेता या अंदर जा कर उनमें शामिल हो जाता जो बिना लीना की अनुमति के मैं नहीं करना चाहता था. और रज्जू आ रहा था, दूर से खेत में दिख रहा था, उसकी नीली शर्ट से मैंने पहचान लिया. वो देख लेता तो फ़ालतू पचड़ा हो जाता. इसलिये बेमन से मैंने धीरे से खिड़की बंद की और चल दिया.

रज्जू पास आया तो मुझे देखकर रुक गया और नमस्ते की.

मैंने पूछा "कैसे हो रज्जू? घर जा रहे हो लगता है?"

"हां भैयाजी. आप अकेले ही आये घूमने, भाभीजी को नहीं लाये?" उसने पूछा.

"वो मौसी के साथ है, मैं अकेला ही घूम आया. लगता है मौसाजी तुम्हारे घर पर ही हैं, रघू और राधा के साथ बातें कर रहे थे" मैंने कहा.

रज्जू कुछ नहीं बोला. नीचे देखने लगा.

"वैसे मैं अंदर नहीं गया, बस खिड़की से उनकी बातें सुनीं. तुम्हारा जिक्र कर रहे थे मौसाजी, बोले तुम भी होते तो अच्छा होता" मैंने मुस्करा कर कहा.

रज्जू मेरी ओर कनखियों से देख कर मुस्करा कर बोला "हां अनिल भैया, मौसाजी को बड़ी फ़िकर रहती है हम सब की. हम तीनों मिलकर उनकी सेवा करते हैं जैसी हो सकती है, आज मैं नहीं था तो नाराज हो गये होंगे. मैं जा कर देखता हूं"

"रज्जू, भई तुम्हारी लीना भाभी को खेत में घूमना है, पहली बार गांव आई है, उसको घुमा लाना कभी. गांव को हमेशा याद करे ऐसी खुश होनी चाहिये तेरी लीना भाभी" मैंने कहा.

"हां अनिल भैया, भाभी को तो ठीक से पूरा घुमा दूंगा. आप नहीं चलोगे घूमने? हम तो आप को भी घुमा देंगे आप का मन हो तो" रज्जू ने पूछा.

"हां, देखूंगा. मौसी से जरा पूछ लूं कि क्या प्रोग्राम है. पहले लीना को तो घुमा, ठीक से घुमाया तो मैं भी घूम लूंगा" मैंने उसकी ओर देखा और बोला.

रज्जू मुस्कराकर अच्छा बोला और अपने घर की ओर चल दिया.

मैं गांव में घूमने निकल गया. सोचा घर पर लीना और मौसी का तो अभी चल रहा होगा, क्यों फ़ालतू डिस्टर्ब करूं. दो घंटे बाद वापस आया तो राधा खाना बना रही थी. मौसी और लीना बैठक में सोफ़े पर पास पास बैठी थीं. लगता है काफ़ी चूमा चाटी चल रही थी, क्योंकि जब मैं एक दो बार खांस कर बैठक में दाखिल हुआ तो दोनों एक दूसरे से सटी बैठी थीं और मुस्कराती हुई देख रही थीं. लीना का आंचल ढला हुआ था. ब्लाउज़ के दो बटन खुले थे. मुझे देख कर मौसी संभल कर बैठ गयीं. लीना बोली "अनिल, मौसी तो मुझे काम ही नहीं करने देतीं. यहीं बिठा कर रखा है. बड़ा प्यार करती हैं मुझे" फ़िर अपना आंचल बड़ी शोखी से ठीक करने लगी.

मौसी बोली "अरे शाम को कितना काम करवाया तुझसे, इतनी सेवा की तूने मेरी. अनिल, तेरी ये बहू सच में बड़ी अच्छी है. कुछ घंटे में ही दिल जीत लिया मेरा. तू कहां हो आया?"

"मौसी खेत वाले घर पर गया था. मौसाजी काम में थे, रघू और राधा के साथ. इसलिये रुका नहीं, चला आया."

"अरे तू भी उनकी मदद कर देता. रज्जू नहीं था क्या" मौसीने पूछा.

"वैसे उन तीनों का काम ठीक ठाक चल रहा था इसलिये बस बाहर से देखकर चला आया मौसी. बाद में घर को जाते वक्त दिखा था रज्जू. बोल रहा था कि मौसाजी राह देख रहे होंगे"

"मुझे लगा कि तू भी उनसे गपशप में भिड़ गाया होगा" मौसी शैतानी से मुस्कराकर कर बोलीं. मुझे यकीन हो गया कि उनको पता था कि वहां क्या चलता है और मुझे जान बूझ कर देखने को भेजा था.

"करने वाला था मौसी, फ़िर सोचा कि वे काम में हैं, मैं भी अभी यहां बिलकुल नया हूं, इसलिये थोड़ी देर बगीचा देखा और चला आया" मैंने बात बना दी.

"हां, ये राधा भी देरी से आयी आज. खाने में इसलिये देर हो गयी, खैर अब खाना खाकर सो जाना, तुम लोग थके होगे लंबे सफ़र से"

मौसाजी वापस आये तो मौसी उनके कमरे में चली गयीं. मैंने मौका देख कर लीना को सब बता दिया जो जो देखा था. सुनकर लीना अपनी टांगें आपस में घिसने लगी. "अब आयेगा मजा अनिल. ये सब महा चोदू लोग हैं. मौसी के साथ मैंने क्या मस्ती की आज शाम को मालूम है? बड़ी चालू हैं वो, तुम्हारे जाने के बाद एक मिनिट वेस्ट नहीं किया, सीधा मुझे ले लिया"

"कैसी हैं मौसी? मजा आया" मैंने पूछा.

"अरे माल है माल, खालिस गांव का माल. पर मुझे ज्यादा चखने का मौका ही नहीं दिया मौसीने, बस एक बार मुंह मारने दिया, फ़िर मेरी चखने के पीछे पड गयीं. कहती थीं कि क्या गरम जवानी है तेरी लीना, पहले मुझे मन भर के चख लेने दे"
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &;
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- Raj sharma
User avatar
rajaarkey
Super member
Posts: 10097
Joined: 10 Oct 2014 10:09
Contact:

Re: मैं और मौसा मौसी

Post by rajaarkey »

तभी राधा खाने पर बुलाये आयी. हमने खाना खाया. राधा परोस रही थी. परोसते परोसते बार बार उसका आंचल गिर जाता. उसकी चोली में से उसके मचलते हुए छोटे छोटे पर सख्त मम्मे और उनकी घुंडियां दिख रही थीं. मुझे देख कर हंस देती और कभी अपनी जीभ अपने होंठों पर फ़ेरने लगती. लीना ने भी देखा पर बस मेरी ओर देखकर आंख मार दी कि लो, माल तैयार है तुम्हारे लिये.

खाने के बाद में राधा साफ़ सफ़ायी करके वहीं गुटियाती रही. शायद जाना नहीं चाहती थी.

"राधा तू अब जा. कल आना. और वो रघू और रज्जू को बोल दे कि आज कोई काम नहीं है, आराम करें. कल बहुत काम है. बोल देना कि मालकिन ने कहा है, समझी ना? कहना सो जायें जल्दी आज रात को, तू भी आराम कर लेना, कल जरूरत पड़ेगी. समझ रही है ना मैं क्या कह रही हूं?" मौसी ने डांट कर पूछा.

राधा थोड़ी निराश दिखी. वह शायद रहना चाहती थी. फ़िर मौसी ने उसके कान में धीरे से कुछ कहा तो उसका चेहरा खिल उठा. काम खतम कर के वह चल दी.

कुछ देर हम गपशप करते रहे, फ़िर दस बजे हम सब सोने चले गये. मौसी ने ही कहा कि गांव में सब जल्दी सोते हैं. हमारा कमरा मौसी के कमरे से लगा था. बीच में दरवाजा भी था, गांव के घरों जैसा.

मेरा लंड कस के खड़ा था, कमरे में घुसते ही मैं लीना पर चढ़ गया. पर उसने चोदने नहीं दिया, बोली "अरे रुको ना, जरा सबर रखो. क्या इसी लिये मुझे यहां लाये हो अकेले चोदने को? फ़िर बंबई और यहां क्या फरक हुआ?"

"अरे धीरे बोलो रानी, वहां मौसी सुन लेगी" मैंने कहा.

"इसीलिये तो बोल रही हूं. मौसाजी मौसी वहां और हम यहां, कुछ जमता नहीं अनिल" लीना शोखी से आवाज चढ़ा कर बोली, फ़िर मुझे आंख मार कर चुप हो गयी.

मौसी और मौसाजी के बात करने की आवाज आ रही थी.

"क्योंजी, खेत के घर पे मजा कर के आये हो लगता है तभी सोने की फिराक में हो. और यहां मेरी आग कौन बुझायेगा?" मौसी बोलीं.

"अरे आभा रानी, तेरी आग कभी बुझी है जो अब बुझ जायेगी? चल आजा, टांगें खोल के लेट जा, चूस देता हूं. तेरा रस चखने को तो मैं हमेशा तैयार रहता हूं, मेरे को तो तू बचपन से चखाती आयी है" मौसाजी बोले. एक दो मिनिट बस चूमा चाटी की आवाज आ रही थी. फ़िर मौसी तुनक कर बोलीं "अरे ठीक से चूसो ना मेरे सैंया ..... तुम तो बस राधा की चूसते हो ठीक से, वो जवान लड़की है, मैं तो अब बुढ्ढी हो गयी हूं ना .... पहले तो भाभी करके कैसे पीछे पड़े रहते थे ... स्कूल से आते ही मुंह लगा देते थे ... हाय .... आह ... हां ये हुई ना बात ...और थोड़ा मुंह में लो ...हां अब ठीक है"

"अरे नहीं मेरी रानी, बूढ़ी होगी तेरी सास, तेरी चूत तो एकदम जवान है, बहुत मजेदार है मां कसम, और ये मोटे मोटे चूतड़ तेरे, हाय मजा आ जाता है." मौसाजी की आवाज आयी. "चल, तेरी गांड मार दूं? मस्त मारूंगा"

"अरे तुम तो बस गांड के पीछे लगे रहते हो, मेरी बुर का तो खयाल ही नहीं रहता तुमको." मौसी हुमक कर बोली.

"अरे तेरी बुर के दीवाने भी तो हैं, वो रज्जू और रघू तो पुजारी हैं इसके. इसीलिये तो रखा है उनको. और वो राधा भी तो मरती है तेरे पे, उससे चुसवाती हो वो अलग"

"तो जैसे तुमको तो कुछ लेना देना ही नहीं है रघू और रज्जू से. आज शाम को क्या कर आये, मैं भी तो सुनूं जरा. वैसे आज तुमको नहीं डांटूंगी. आज शाम को तो मेरे को भी मजा आ गया. लीना बिटिया ने क्या चूसी थी मेरी .... इतना पानी निकाला था ...."

"अच्छा, शुरू हो गया तुम्हारा? चलो अच्छा हुआ. मैं वोही सोच रहा था, बड़ी सुंदर कन्या है. और वो अनिल भी कम नहीं है" मौसाजी बोले. "तेरे तो वारे न्यारे हैं अब"

"और तुम्हारे नहीं हैं? मुझसे नहीं छुपा सकते तुम. वैसे बाजू वाले कमरे में ही हैं दोनों. अब तक तो दो बार चोद चुके होंगे, आखिर जवान हैं" मौसी जोर से बोलीं जैसे जानबूझकर हमें सुनाना चाहती हों.

लीना सुन रही थी. मेरी ओर देख कर हंसी और जोर से बोली बोली "अनिल .... अभी मत चोदो राजा .... रुक जाओ ... ऐसे ही चूसते रहो ..... मौसी की याद आ रही है ... मौसी की बहुत प्यारी चूत है .... सच ..... तुम देखो तो दीवाने हो जाओगे"
kramashah.................


(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &;
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- Raj sharma
User avatar
rajaarkey
Super member
Posts: 10097
Joined: 10 Oct 2014 10:09
Contact:

Re: मैं और मौसा मौसी

Post by rajaarkey »

मैं और मौसा मौसी--3 gataank se aage........................
मैंने जोर से कहा "मौसाजी का लंड भी जोरदार होगा रानी .... तभी मौसी इतनी खुश लगती हैं"

"अरे ... ऐसा मत कहो अनिल .... मेरी चूत कुलबुलाने लगती है ... वो चोद रहे होंगे मौसी को ....अकेले अकेले .... अरे मौसी को थोड़ा तो खयाल ... करना था अपनी बहू का ... यहां अकेले में वो कैसे तड़प रही होगी ...." लीना शैतानी से और जोर की आवाज में बोली.

दो मिनिट की चुप्पी के बाद मौसी अपने कमरे से चिल्लाई "अनिल ओ अनिल ... लीना बेटी ... वहां क्या कर रहे हो अकेले, आ जाओ इधर अपने मौसाजी मौसी के पास"

लीना तो राह ही देख रही थी. मेरा हाथ पकड़ा और मौसी के कमरे में घुस गयी "लो मौसी, मैं यही सोच रही थी कि आपने अब तक बुलाया क्यों नहीं"

मौसी नंगी होकर टांगें फ़ैलाकर बिस्तर पर सिरहाने से टिक कर बैठी थीं और मौसाजी उनके सामने झुक कर उनकी बुर चाट रहे थे. अच्छी गोरी मोटी मोटी टांगें थीं मौसी की और मस्त पिलपिली लटकती हुई चूंचियां.

मौसी बोलीं "अरी तुझे बुलाने की क्या जरूरत है, तू खुद चली आती. वैसे मेरे को इस अनिल के बारे में पता नहीं था, सोच रही थी कि ये क्या सोचेगा कि मौसी इतनी चालू निकली"

"अरे मौसी, ये तो कब से आप पे आस लगाये बैठा है. आने के बाद मुझे बोल रहा था कि मौसी के मम्मे तो देखो, लगता है पपीते हैं पपीते, रस भरे. शाम को मैंने बताया कि मैंने कैसे आपकी सेवा की तो नाराज होकर बोला कि अकेले अकेले मौसी का माल चख लिया, मुझे भी चखा देतीं"

मौसी मेरी ओर देख कर बोलीं "तो अब आ जा बेटे, बहुत सारा माल है तेरी मौसी के पास. तुझे नहीं दूंगी तो किसे दूंगी! सुनो जी, तुम हटो अब और अनिल को चखने दो"

"हां मौसाजी, आप तो रोज पाते हो ये प्रसाद. आज मेरी और अनिल की बारी है" लीना पलंग पर चढ़ गयी और मौसी के मम्मे दबाते हुई उनके चुम्मे लेने लगी. मौसाजी हट गये और बोले "आओ अनिल, तुम भी पा लो मौसी का प्रसाद. मैं तो कब से पा रहा हूं" वे अब लीना के नंगे गदराये बदन को देख रहे थे. "वैसे तेरी बहू भी मस्त है अनिल, एकदम अप्सरा है अप्सरा. मैं तो देख कर ही खलास हो गया था, कि क्या सुंदर बहू पायी है अनिल ने. तेरे पिछले जनम के पुण्य होंगे बेटे, जैसे मेरे हैं, मुझे भी तो अपनी भाभी मिल गयी थी बचपन से"

"अरे तो ऐसे दूर से क्या देख रहे हो? पास आओ और स्वाद लो, बहू मना थोड़े करेगी. क्यों लीना बेटी?" मौसी लीना के मम्मे दबाते हुए बोलीं.

"हां मौसाजी, आइये ना, आप का तो हक है, आखिर आप की बहू हूं. ये लीजिये" कहकर लीना ने टांगें पसार दीं. मौसाजी टूट पड़े और उसकी बुर में मुंह डाल कर चाटने लगे. मैं मौसी की टांगों में घुस गया और उनकी बुर का स्वाद लेने लगा.

मौसाजी लपालप लीना की बुर चाट रहे थे. फ़िर उंगली से उसकी चूत खोलकर जीभ अंदर डाल दी. लीना बोली "मौसाजी शौकीन लगते हैं मौसी, देखो कैसे मेरी बुर में अंदर तक जीभ से टटोल रहे हैं"

"अरे तेरे जोबन को पूरा चखना चाहते हैं. ऐसा जोबन सबके नसीब में नहीं होता. और तेरा ये अनिल भी कम नहीं है, ये तो पूरा मुंह अंदर डालने की कोशिश कर रहा है." मौसी मेरे सिर को पकड़कर अपनी चूत में दबाकर बोलीं.

"ठीक ही तो कर रहा है मौसी, इतना गाढ़ा जायकेदार बुर का रस सब को थोड़े मिलता है" लीना बोली फ़िर सिर झुकाकर मौसी की चूंची चूसने लगी.

मैंने और मौसाजी ने खूब देर तक दोनों औरतों का रस निकाला. आखिर मौसी ने मुझे पकड़कर अपने ऊपर खींचा और बोलीं "बस कर अनिल बेटे, कितना चूसेगा! अब जरा चोद, कब से मरी जा रही हूं तेरा ये मस्त लंड लेने को. देख कैसा तन कर खड़ा है. लीना, तेरे को तो बहुत मजा देता होगा अनिल का ये लंड, देख कितना जानदार है"

"हां मौसी, जम के चोदता है मुझे, मैंने भी डांट डपट कर रखा है इसे, मुझे तसल्ली दिये बिना झड़ जाये ये बिसात नहीं इसकी"

मैंने मौसी की बुर में लंड डाल दिया और चोदने लगा. चूत ढीली थी पर एकदम तपती हुई मखमली म्यान थी. उधर मौसाजी लीना की बुर चूसते हुए उसकी गांड में उंगली करने की कोशिश रहे थे.

लीना उनका हाथ झटक कर बोली "ये क्या करते हो मौसाजी, चोदना हो तो ऐसे आओ ऊपर, गांड के पीछे क्यों पड़े हो"

"लीना रानी, क्या गांड है तेरी ... एकदम फ़र्स्ट क्लास ... मारने दे ना" मौसाजी मचल कर बोले.

"गांड तो नहीं मरवाऊंगी मैं मौसाजी, हां चोद लो ना, देखो कैसा मस्त खड़ा है आपका लंड. वैसे मेरे खयाल से और जोर से खड़ा होता होगा, इतना मस्त है, बहुत दमखम वाला लगता है पर आज लगता है थोड़ा दम कम है उसमें" लीना बोली.
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &;
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- Raj sharma
User avatar
rajaarkey
Super member
Posts: 10097
Joined: 10 Oct 2014 10:09
Contact:

Re: मैं और मौसा मौसी

Post by rajaarkey »



"अरे बेटी, मैंने इनको कहा था कि जरा सबर रखो, बहू आने वाली है, उसके लिये अपनी मस्ती बचा कर रखो पर ये मेरा देवर ... वैसे अब मेरा आदमी है महा चोदू, सुनता थोड़े ही है, मस्ती करके आया होगा शाम को. कोई बात नहीं, तू कल देख लेना कैसा तन कर खड़ा होता है." मौसी बोलीं फ़िर मेरा चुम्मा लेने लगीं. मैं उनकी जीभ चूसने लगा.

मौसाजी लीना पर चढ़ गये और उसकी चूंचियां दबाने लगे. "वाह ... क्या मम्मे हैं तेरे लीना .... ठोस कड़ा माल है .... अनिल दबाता नहीं क्या .... मैं होता तो मसल मसल कर पिलपिला कर देता तेरी मौसी की कसम, उसके भी कच्चे आम जैसे थे, अब देखो कैसे पपीते बना दिये मैंने"

लीना को मस्ती चढ़ी थी, उसने खुद ही दीपक मौसाजी का लंड चूत में लगा दिया और बोली "अब डाल दो जल्दी मौसाजी, आप की बहू बहुत बेताब है आपका लाड़ प्यार पाने को" और कस के उनको बाहों में जकड़ कर चूमने लगी.

मौसाजी ने एक झटके में लंड गाड़ दिया और चोदने लगे. "बहुत मस्त चूत है तेरी लीना .... गांड भी मतवाली होगी ..... आज तो तूने नहीं मारने दी .... पर मारूंगा जरूर ... आह .... मेरी रानी .... मेरा लाड़ो ... क्या जवानी है तेरी"

लीना बोली "अनिल ....बहुत मस्त चोद रहे हैं मौसाजी ... धक्का मारते हैं तो अंदर पेट तक जाता है लंड ... तुम मौसी को ठीक से चोदो .... कल से प्यासी है उनकी बुर .... और उनके मुंह की चासनी बहुत चख ली .... जरा मम्मे को मुंह में लेकर देखो ... एकदम डबल रोटी है"

मैंने कहा "पर मौसाजी तो रोज चोदते होंगे मौसी को .... उनकी बुर को प्यासा नहीं रखते होंगे" फ़िर मैंने सिर झुकाकर मौसी का एक मोटा खजूर सा निपल मुंह में ले लिया"

"अरे तेरे मौसाजी तो गांड के पीछे ज्यादा रहते हैं ... गांड मारने को हमेशा तैयार रहता है ये बदमाश देवर मेरा, पर है बड़ा चोदू ... तभी तो शादी कर ली मैंने इससे .... चोदने को बोलो तो ना नुकुर करता है ... अरे अनिल बेटे ... ऐसे क्या जरा सा निपल मुंह में ले कर चूस रहे हो ... पूरा मम्मा मुंह में ले लो अपने ... तूने कभी ऐसा माल नहीं मुंह में लिया होगा" कहकर मौसी ने आधे से ज्यादा चूंची मेरे मुंह में ठूंस दी"

"झूट मत बोलो भाभी .... मेरा मतलब है आभा रानी ... तुम को रोज चोदता हूं मैं .... अब तुम्हारी गांड इतनी मोटी ताजी है तो मैं क्या करूं ... किसी का भी मन होगा मारने को और जब तुम्हारा देवर था मैं तब कितने प्यार से रिझाती थीं मेरे को गांड दिखा दिखा कर" मौसाजी हचक हचक कर लीना को चोदते हुए बोले.

इसी तरह गप्पें लड़ाते हुए हमने दोनों चुदैलों को मन भर के चोदा. दोनों दो तीन बार झड़ीं. आखिर मैं और मौसाजी भी झड़ गये और वहीं मौसी और लीना के बदन पर पड़े पड़े सुस्ताने लगे.

पांच मिनिट के आराम के बाद मौसी बोलीं "मजा आ गया अनिल बेटे ... लीना ... तू चुदी या नहीं ठीक से? इनका कोई भरोसा नहीं, आज कल तेरे मौसाजी गांड ज्यादा मारते हैं, लगता है कहीं चोदने की कला भूल न जायें"

लीना बोली "हां मौसी ... बहुत प्यार से चोदा मौसाजी ने ....वैसे मेरा मन कभी नहीं भरता ... अनिल जानता है .... मैं तो यहां हूं तब तक दिन रात चुदवाऊंगी ... मौसाजी आप लंड को तैयार रखो अपने ... उसको कहना बहू की खातिर में कमी नहीं आनी चाहिये"

मौसाजी बोले "लीना बेटी ... तू फ़िकर मत कर ... यहां लंडों की कोई कमी नहीं है ... कल से देख ... तुझे खुश कर दूंगा ... इतना चुदेगी कि तेरी चूत एकदम ठंडी हो जायेगी"

"अब तुम दोनों हटो और मुझे और लीना को जरा प्यार मुहब्बत करने दो" मौसी मुझे अपने बदन से ढकेलते हुए बोलीं. उधर मौसाजी लीना पर से उतरे और उधर मौसी उससे लिपट गयीं. लीना पर उलटी ओर से चढ़ कर उन्होंने अपनी चूत लीना के मुंह में दे दी और खुद लीना की टांगें फ़ैलाकर उसकी बुर चाटने लगीं.

"मौसी ये क्या कर रही हैं? अभी मन नहीं भरा क्या अनिल से चूत चुसवाकर?" लीना बोली.

"बेटी, ये अलग स्वाद है, ले कर देख, चुदी बुर चाटने का मजा ही और होता है. तू भी जानती है, नाटक कर रही है" मौसी बोलीं.

"हां मौसी .... मैंने बहुत बार किया है .... मैं तो मजाक कर रही थी .... जाना पहचाना स्वाद लग गया है आप की बुर में .... मेरे अनिल डार्लिंग का" लीना चटखारे ले कर बोली.

मैं और मौसाजी बाजू में बैठकर दोनों औरतों के कारनामे देखने लगे. मौसी का मोटा शरीर लीना के जवान तन से लिपटा था, लीना की सुडौल कसी हुई जांघें मौसी के सिर को पकड़े थीं और मौसी की मोटी मोटी थुलथुली टांगें लीना के सिर को कस के जकड़े थीं. दोनों लपालप चाट रही थीं जैसी कब की भूखी हों.

मेरा लंड सिर उठाने लगा. मौसाजी मेरे लंड को देखने लगे "अनिल ... तुझमें तो काफ़ी जोश है लगता है ... इतनी जल्दी सिर उठाने लगा तेरा ये मूसल"

"मौसाजी, जब ऐसी चुदैल मतवाली औरतें आपस में ऐसे करम कर रही हों तो किसीका भी खड़ा हो जायेगा." कहकर मैं लंड हाथ में लेकर मुठियाने लगा.
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &;
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- Raj sharma
User avatar
rajaarkey
Super member
Posts: 10097
Joined: 10 Oct 2014 10:09
Contact:

Re: मैं और मौसा मौसी

Post by rajaarkey »



मौसी लीना की चूत से मुंह निकाल कर चिल्लाई "अरे सुनते हो, ये क्या तमाशा है? तुमको शोभा देता है क्या? यहां हम सास बहू इतने मजे कर रहे हैं और उधर तुम्हारा भतीजा सूखा सूखा बैठा है. जरा उसकी मदद करो. तुम लोग भी आपस में कुछ करो, हमसे जरा सीखो"

मौसाजी मेरे पास सरके और मेरा लंड हाथ में ले लिया. "एकदम मस्त है तेरा लौड़ा अनिल. लीना को मजा आता होगा. गांड भी मारते हो क्या उसकी?"

"बस कभी कभी मौसाजी, वैसे बड़ी जालिम है, हाथ भी नहीं लगाने देती.... हां .... अच्छा लग रहा है मौसाजी ... मस्त कर रहे हैं आप" मैं ऊपर नीचे होकर मौसाजी की मुठ्ठी में लंड को पेलते हुए बोला.

"अच्छा लगा ना? फ़िर थोड़ा और मस्त कर देता हूं तुझे, देख" कहकर मौसाजी झुके और मेरा सुपाड़ा मुंह में लेकर चूसने लगे. मैं ऊपर नीचे होने लगा "आह ... ओह... मौसाजी ..... क्या बात है .... ऐसा तो लीना भी नहीं चूसती"

मौसी बोलीं "अब देखो कितना खुश है अनिल. यही तो मैं तुमसे कह रही थी कि अनिल का खयाल रखो. अनिल बेटे, तेरे मौसाजी बड़े शौकीन हैं इस चीज के"

लीना मौसी की चूत में से मुंह उठा कर चिल्लायी "अनिल ... मौसाजी तुमको इतना सुख दे रहे हैं और तुम वैसे ही बैठे हो. जरा उनकी भी सेवा करो."

मैं बोला "हां मौसाजी, बात तो ठीक है. मुझे भी मौका दीजिये"

मौसाजी लेटते हुए बोले "ठीक है अनिल, यहां मेरे बाजू में आ जाओ"

मैं मौसाजी के बाजू में उलटा लेट गया और उनका आधा खड़ा लंड हथेली में लेकर सहलाने लगा. फ़िर जीभ से उसको ऊपर से नीचे तक चाटने लगा. मौसाजी बोले "आह ... बहुत अच्छे अनिल ... ऐसा ही कर" और फ़िर मेरा लंड पूरा निगल कर चूसने लगे. मैंने भी उनका लंड मुंह में ले लिया और जीभ रगड़ रगड़ कर चूसने लगा. मौसाजी ने मेरे चूतड़ पकड़े और सहलाने लगे. फ़िर मेरा गुदा रगड़ने लगे. मैंने उनके चूतड़ दबाये, बड़े मुलायम और चिकने चूतड़ थे. फ़िर गांड में उंगली डाल दी, आराम से अंदर चली गयी, मैंन सोचा बहुत अच्छे मौसाजी, मरवा मरवा कर अच्छी खुलवा ली है आपने अपनी गांड.

मौसाजी और कस के मेरा लंड चूसने लगे और मेरी गांड में अपनी उंगली डाल दी. हम दोनों एक दूसरे की गांड में उंगली करते हुए लंड चूसने लगे.

"मौसी देखो क्या प्यार दुलार चल रहा है मौसा भतीजे में" लीना बोली.

"चलो अच्छा हुआ, मैं भी कहूं कि यहां सास बहू में जब संभोग चल रहा है तो ये लोग क्यों ऐसे बैठे हैं. अब देखना कैसे लंड खड़े होते हैं दोनों के" मौसी लीना के मम्मे दबाते हुए बोलीं.

"मौसी, चलो मजा आ गया, मैं तो अब और चुदवाऊंगी" लीना बोली. मौसी बोलीं "मैं तो बस चूत चुसवाऊंगी बहू, वो भी तुझसे. तू बहुत प्यार से चूसती है"

"आ जाओ, कौन आता है मेरी चूत चोदने?" लीना बोली तो मौसाजी तपाक से उठ बैठे. "मैं आता हूं लीना रानी, तू गांड तो मारने नहीं देगी आज, फ़िर तेरी चूत ही सही, बड़ी मस्त टाइट है"

लीना नीचे लेट गयी. मौसी उसके मुंह पर बैठ कर अपनी बुर चुसवाने लगीं. मौसाजी लीना पर चढ़ बैठे और चोदने लगे. काफ़ी जोश में थे, मेरे लंड चूसने से उनको मजा आ गया था और लंड में काफ़ी जान आ गयी थी. चोदते चोदते वे आभा मौसी से चूमा चाटी कर लेते या झुक कर उनके मम्मे चूसने लगते, मौसी लगातार आगे पीछे होकर अपनी बुर लीना के मुंह पर घिस रही थीं.

"अब मैं क्या करूं? किसको चोदूं? वैसे मेरा भी मन हो रहा है किसीकी गांड मारने का, लीना तो मारने नहीं देगी. मौसी आप जरा ऐसी सरक लें तो ..." मैंने कहा. मौसी तपाक से बोलीं "आज नहीं बेटे, ये तेरे मौसाजी रोज मारते हैं मेरी, आज नहीं मरवाऊंगी, आज मेरी गांड को आराम कर लेने दो"

मौसाजी मुड़ कर बोले "अनिल, अगर सच में गांड मारने का मूड है तेरा तो तू मेरी मार ले"

"मौसाजी, आप को चलेगा? मुझे अजब सा लगता है कि आप की गांड मारूं" मैंने पूछा.

"चलेगा क्या दौड़ेगा! इतना मस्त लंड है तेरा, मेरी तो गांड कब से कुलबुला रही है लेने को. लीना कह ना अनिल से कि मेरी मार ले, तेरा कहना नहीं टालेगा" मौसाजी ने लीना से गुहार की.

लीना कमर उचका उचका कर चुदवाते हुए बोली "अरे मान जाओ ना, तुम भी तो शौकीन हो गांड के. और मौसाजी की भी कम नहीं है, मस्त है. देखा ना कैसी गोरी गोल मटोल गांड है"
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &;
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- Raj sharma
Post Reply