Adultery लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ

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jay
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Re: Adultery लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ

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सानिया अब उन पैकेट को जल्दी-जल्दी खोल कर देखने लगी। उसके चहरे पर आई मुस्कान ने तो सब कुछ बयान कर दिया था।
यानि चिड़िया चुग्गा देने के लिए तैयार है।

“ये पैन्ट और शर्ट तो बहुत सुन्दल (सुन्दर) है। मुझे ऐसी ही पैन्ट-शर्ट पसंद थी।”
“हम्म … और ये ब्रा पैन्टी?”
“हओ … बहुत बढ़िया है।” उसने ब्रा पैन्टी को अपने हाथों में पकड़ रखा था और कुछ सोचे जा रही थी।

“इनको देखने से काम नहीं चलेगा इनको पहनकर भी दिखाना होगा.”
“आपके सामने?”
“तो क्या हुआ?”

सानिया मुझे तिरछी निगाहों से देखती हुयी अब मंद-मंद मुस्कुराने लगी थी।

थोड़ी देर बाद वह बोली “आपको एक बात बताऊँ?”
“हाँ … जरूर!”
“आप किसी को बताओगे तो नहीं ना?”
“यार कमाल करती हो … तुम मेरी इतनी अच्छी दोस्त हो तो भला मैं तुम्हारी बात किसी ओर को कैसे बता सकता हूँ? … बोलो?”

“वो … वो.. प्रीति है ना?”
“कौन प्रीति?”
“ओहो … आपको बताया तो था? वो मेरी भाभी की छोटी बहन है ना?” उसने मेरे इस भुलक्कड़ और अनाड़ीपन पर थोड़ा चेहरा सा बनाते हुए कहा।
“ओह … हाँ तुमने बताया था जिसके सके कई सारे बॉयफ्रेंड हैं? … वही ना?” मैंने बॉय फ्रेंड वाली बात पर ज्यादा ही जोर दिया था।
“हओ.”
“हाँ … क्या किया उसने?”

“कल उसने मुझे मोबाइल पर अपनी फोटो भेजी.”
मुझे लगा सानिया कुछ बताना चाहती है पर वह बताते हुए कुछ झिझक सी रही है।

याल्ला … जरूर कोई इश्किया बात होगी। साले उसके बॉयफ्रेंड ने कहीं ठोक-ठाक तो नहीं दिया होगा?
यह सोच कर तो मेरी उत्सुकता और भी ज्यादा बढ़ गई।
“कैसी फोटो?”

“उसने भी सेम ऐसी ही नेट वाली ब्रा-पैन्टी पहन रखी थी.”
“ओह … अच्छा? … फिर?”
“वो बता रही थी कि यह ब्रा पैन्टी उसके बॉय फ्रेंड ने गिफ्ट दी है।“

“हा … हा … हा … ज्यादातर सच्चे बॉय फ्रेंड यही गिफ्ट देते हैं.” कहकर मैं हंसने लगा।
सानिया भी अब हंसने लगी थी।
अब वह इतनी भोली भी नहीं थी कि मेरी इस बात का मतलब ना समझ सकी हो।

“और क्या बोल रही थी?”
“वो मेले से भी पूछ लही थी?”
“क्या?”
“कि मुझे कोई गिफ्ट मिला या नहीं?”
“ओह … फिर तुमने क्या जवाब दिया?”
“किच्च!” मैंने मना कर दिया।

“अरे तुम्हें पहले भी इतने अच्छे गिफ्ट दिए थे तुम भी बता देती?”
“आप भी कमाल कलते हो?” उसने आश्चर्य से मेरी ओर देखते हुए उलाहना सा दिया।
“क्या मतलब?”
“अले … आप भी … ना … एक तरफ आप बोलते हो अपनी बात किसी को बताना नहीं और अब बोल रहे हो बताया क्यों नहीं? … बोलो?”
“ओह … हाँ … सॉरी यार … तुम वाकई बहुत समझदार हो … मैं तो इस बात को भूल ही गया था।”

सानू जान तो मेरी इस बात को सुनकर और अपनी समझदारी पर इतराने सी लगी थी।

“यार … तुम तो सच में कोमल से भी ज्यादा समझदार हो थैंक यू!” कह कर मैंने उसके हाथों को अपने हाथ में ले लिया।
सानिया को कोई ऐतराज़ नहीं हुआ। मेरा लंड पायजामे में उछल-उछल कर अपना आपा खोने लगा था।
मैंने देखा सानू जान भी नीची निगाहों से मेरे ठुमके लगाते लंड को देखे जा रहे थी। शायद उसके जिस्म को भी कामुकता का भान हो रहा था.

“ए सानूजान?” मैंने उसकी आँखों में झांकते हुए पूछा।
“हम्म?” आज उसने ‘हओ की जगह ‘हम्म’ किया था।

मैंने देखा उसकी आँखों में अजीब सी चमक और नशा सा भर गया है। उसकी आँखों की लालिमा कुछ और बढ़ गई है और साथ ही उसकी साँसें बहुत तेज हो चली है।

प्रिय पाठको और पाठिकाओ! अब इस चिड़िया को चुग्गा खिलाने का सही वक़्त आ गया था अब देरी करना ठीक नहीं था। भेनचोद ये किस्मत लौड़े लिए हमेशा तैयार ही रहती है। मैं इस बार कोई जोखिम नहीं लेना चाहता था। मैंने अपने मोबाइल का पॉवर स्विच ऑफ कर दिया।

मेरा जाल अब मुकम्मल रूप से बिछ चुका था। अब तो चिड़िया दाना चुगने के लिए जाल पर बैठ भी गई है अब तो बस मेरे डोरी खींचने की रस्म बाकी रह गई है।

“अरे सानू?”
“हओ?”
“यार तुमने एक बात तो बताई ही नहीं?”
“कौन सी बात?”

“तुम आज कुछ उदास भी लग रही हो और तुम्हारी आँखें भी लाल सी लग रही है? क्या बात हो गई?”
“वो.. वो …” कहते हुए सानिया रुक गई।
“प्लीज यार … अब बता भी दो?”
“वो मुझे रात को नींद नहीं आई.”
“क.. क्यों?”
“पता नहीं”

“एक बात बताऊँ?”
“क्या?”
“पिछली दो रातों में मुझे भी नींद नहीं आई.” मैंने उसकी आँखों में झांकते हुए कहा।

“मैं सच कहता हूँ मुझे तो सारी रात बस तुम्हारी ही याद आती रही। मैं सोच रहा था मेरी सानू ने तो मुझे ज़रा भी याद नहीं किया होगा?”
“हओ … मैंने तो आपको कित्ता याद किया … मालूम?”
“हट! … झूठ बोल रही हो?”

“नई में सच्ची बोलती … मैं भी सारी रात आपके बारे में ही सोचती लही थी.” सानिया ने अपने गले को छू कर कहा।
मुझे लगता है चिड़िया ने भी अब अपने पंख खोलकर इस सुनहरे सपनों के आसमान में उड़ना शुरू कर दिया है।

“तो तुमने फोन क्यों नहीं किया?”
“वो सबके सामने कैसे करती? बोलो?”
“हाँ यार यह बात तो सही है।” लौंडिया दिखने में भले ही लोल लगती हो पर इन बातों में बहुत होशियार भी है।

मैंने सानिया का एक हाथ अब भी अपने हाथों में पकड़ रखा था और उसे सहलाता जा रहा था।

“आपको प्रीति दीदी की एक बात और बताऊँ?”
“हां … बताओ?” कहकर मैंने उसे थोड़ा सा अपने और करीब कर लिया। अब तो उसकी जांघें मेरी जाँघों से सट सी गई थी। मैंने अपना एक हाथ उसकी जाँघों पर रख दिया था। उसकी कुंवारी बुर की खुशबू पाकर मेरा लंड तो ऐसे उछल रहा था जैसे पायजामे में उसका दम घुटा जा रहा है।

उसने पहले तो अपना गला खंखारा और फिर धीमी आवाज में कहा- वो मेरे से बोल रही थी तुम भी अपने बॉयफ्रेंड को पटा लो.
“अरे वाह … फिर तुमने क्या जवाब दिया?”
“किच्च!”

“अरे क्यों? बेचारी कितनी अच्छी राय दे रही थी और तुमने ना बोल दिया.” कहकर मैं हंसने लगा.
तो सानिया आश्चर्य से मेरी ओर देखने लगी।
लगता है इस प्रीति नामक बला ने हमारी इस सानूजान को और भी बहुत कुछ सिखाया और समझाया भी होगा।

“पर लड़कियां बॉय फ्रेंड को थोड़े ही पटाती हैं? वो तो लड़के पटाते हैं.”
“तुम कहो तो मैं ट्राई कर सकता हूँ?” मैंने हँसते हुए पूछा तो सानू जान ने शरमाकर अपनी मुंडी नीची कर ली।

“यार सानू? एक बात समझ नहीं आई?”
“क्या?”
“उसे यहाँ पर तुम्हारे काम करने के बारे में किसने बताया?”
“मुझे लगता है यह बात उसे भाभी ने ही बताई होगी.” सानिया ने कुछ सोचते हुए कहा।

“हम्म …” मैं अब प्रीति के बारे में सोचने लगा। यह लौंडिया तो जरूर बहुत बड़ी कातिल होगी। साली ने पता नहीं कितनों को चुग्गा और पानी पिलाया होगा। ऐसी चुलबुली हसीना को तो सारी रात दोनों तरफ से बजाने का एक मौक़ा मिल जाए तो खुदा कसम 72 हूरों का मज़ा इसी दुनिया में मिल जाए।

मैं सानिया से उसके बारे में और भी बहुत कुछ पूछना तो चाहता था पर फिलहाल मैंने अपना इरादा बदल लिया। आज तो बस मेरी सानू जान के सिवा मैं किसी और को याद करने के मूड में बिल्कुल भी नहीं था।

“यार सानू जान देखो! मैंने तुम्हें इतनी अच्छी-अच्छी गिफ्ट दी हैं पर तुमने तो मुझे कुछ भी नहीं दिया?” मैंने एक लम्बी साँस लेते हुए कहा।
“मेले पास क्या है देने के लिए?” उसने अपनी मुंडी झुकाए हुए कहा।

मैंने मन में सोचा ‘मेरी जान तुम्हारे पास तो बेशकीमती कैरूं का खजाना है और तुम कहती हो मेरे पास देने के लिए क्या है?’

और फिर उसकी मुंडी के नीचे अपनी अंगुलियाँ लगाकर उसे थोड़ा ऊपर उठाते हुए उसकी आँखों में झांकते हुए कहा- जान एक गिफ्ट मांगूं तो तुम मना तो नहीं करोगी ना?
“किच्च …” उसके कांपते होंठों से बमुश्किल यही आवाज निकली।

“सानू तुम्हारे होंठ बहुत खूबसूरत हैं … क्या मैं इन पर एक बार चुम्बन ले सकता हूँ?”

“वो … वो … मुझे शर्म आती है.” उसके अपनी पलकें झुका लीं थी और अपने दोनों हाथों को अपनी आँखों पर रख लिया था। उसका सारा शरीर जैसे झनझना सा उठा था।
इस्सस्स …

अब आप मेरी कामुकता का अंदाज़ा लगा ही सकते हैं।
रोमांच के मारे मेरे सारे शरीर में भी अजीब सी सनसनाहट दौड़ने लगी थी और गला सा सूखने लगा था। लंड तो प्री कम के तुपके छोड़-छोड़ कर पागल हुआ जा रहा था और सुपारा तो फूलकर इतना मोटा हो गया था कि मुझे लगने लगा कहीं यह अति उत्तेजना के मारे फट ही ना जाए।

सानिया के दिल की धड़कन भी इस कदर तेज हो गई थी कि मैं अपने कानों से साफ़ सुन सकता था। उसकी आँखें अब भी बंद थी और उसके अधर काँप से रहे थे।

अब मैं सोफे से उठकर खड़ा हो गया और सानिया के सामने आ गया। मेरे ऐसा करने पर सानिया भी उठकर खड़ी हो गई। मैंने उसके चहरे को अपने हाथों में पकड़ लिया। मैंने होले से अपने होंठों को उसके लबों पर रख दिए। एक मीठी खुशबू से मेरा सारा स्नायु तंत्र जैसे महक सा उठा।

मुझे लगता है सानू जान बाथरूम से वापस आते समय जरूर माउथ फ्रेशनर या चुइंगम खाकर आई है।
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(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


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(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
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jay
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Re: Adultery लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ

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मैंने उसके होंठों पर पहले तो एक चुम्बन लिया और फिर धीरे-धीरे अपने होंठों को उसके अधरों पर रगड़ने लगा। सानिया तो बस आँखें बंद किए लम्बी लम्बी साँसें लेती रही।

अपना एक हाथ मैंने उसके सिर के पीछे कर लिया और दूसरे हाथ से उसकी पीठ को सहलाने लगा। उसके अधर अब भी मेरे होंठों के बीच फंसे पिस रहे थे।
मैंने पहले तो दोनों होंठों को अपने मुंह में भर लिया और फिर जोर जोर से उन्हें चूसने लगा।

थोड़ी देर बाद मैंने अपनी जीभ उसके मुंह में डाल दी अब तो सानू जान भी जोर-जोर से मेरी जीभ को चूसने लगी जैसे कोई आइस कैंडी हो। थोड़ी देर बाद उसने अपनी जीभ मेरे मुंह में डाल दी तो मैं उस रस भरी जीभ को चूसने लगा।

अब तो हम दोनों बारी- बारी एक दूसरे की जीभ चूसे जा रहे थे। जिस प्रकार वह मेरी जीभ चूस रही थी और चुम्बन में सहयोग कर रही थी मुझे लगता है यह सब उस जरूर उस प्रीति नामक पटाके का कमाल था।

कोई 5 मिनट तक हम एक दूसरे को ऐसे ही चूमते रहे। इस दौरान मैंने उसकी पीठ और कमर पर भी हाथ फिराना चालू रखा और बाद में तो उसके नितम्बों पर भी हाथ फिराना चालू कर दिया।
सानिया तो जैसे अपने होश में ही नहीं थी। मैंने एक हाथ से उसकी कमर पकड़ रखी और मेरा दूसरा हाथ धीरे-धीर उसके नितम्बों की खाई में फिसलने लगा।
और जैसे ही मैंने उसकी बुर को टटोलने की कोशिश की तो सानिया कामुकता से की एक हल्की सिसकारी सी निकल गई।
उसने अपनी जांघें जोर से भींच ली और उसका एक पैर थोड़ा सा ऊपर हो गया।

अब तो मेरी शातिर अंगुलियाँ उसकी सु-सु के बिल्कुल करीब जा पहुंची थी। उसकी बुर की गर्माहट और गीलापन मेरी अँगुलियों पर महसूस होने लगा था। मुझे लगता है सानिया ने मेरे खड़े लंड को अपनी नाभि के नीचे पेड़ू के पास महसूस तो कर ही लिया होगा।

“आह … सर … क्या कर रहे हो? आह … उईइ … मैं मर जाऊंगी.” सानिया का बदन अकड़ने सा लगा था।
वो रोमांच के मारे एक किलकारी सी मारते हुए अपने हाथ से मेरे हाथ को अपनी बुर से हटाने की कोशिश करने लगी।

“सानू मेरी जान! तुम बहुत खूबसूरत हो.”
“आह … मेला सु-सु निकल जाएगा … आह …”
“सानू जान अब मुझे मत रोको … प्लीज एक बार मुझे अपनी सु-सु … दिखा दो मेरी जान!”
कहते हुए मैंने उसे जोर से अपनी बांहों में भींच लिया।

अब तो मेरा लंड उसकी बुर पर ठोकर सी मारने लगा था। मैंने अपना हाथ आगे करके पहले तो उसके पेट और नाभि पर हाथ फिराया.
और फिर जैसे ही उसके पाजामे के ऊपर से उसकी बुर को टटोला उसकी हल्की सी चीत्कार (रोमांच भरी हल्की चीख) निकल गई। उसका गुनगुना सा अहसास मुझे अपनी अँगुलियों पर महसूस हो रहा था। मेरा अन्दाज़ा सही था उसने अन्दर पेंटी नहीं पहनी थी।

“आह … नहीं सर … रुको … ऐसे मत करो … आह … नहीं!”
“प्लीज सानू … बस एक बार देख लेने दो … प्लीज!”
“नहीं … नहीं … मुझे शर्म आ रही है!”

“मेरी जान पिछली दो रातें मैंने तुम्हारी याद में जागते हुए बिताई हैं। प्लीज बस एक बार?” मैंने उसके होंठों को चूमते हुए मिन्नत की।
“आह …” सानिया का सारा बदन तो अब किसी अनजाने भय, रोमांच और इस नये अनुभव की उत्तेजना के मारे सिहर सा उठा था।

“मेरी जान आओ रूम में चलते हैं.” कहते हुए मैंने उसे अपनी गोद में उठा लिया और अपने बेड रूम में ले आया।

सानू जान आँखें बंद किए मेरे गले से लिपटी रोमांच के उच्चतम शिखर पर पहुँच गई थी। मुझे लगता है उसकी लाड कँवर (कुंवारी अनछुई बुर) ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया है। उसने अपनी बांहें मेरे लगे में डाल दी।

रूम में आने के बाद मैंने उसे बेड पर लेटा दिया। सानिया ने अब भी मेरे गले में अपनी बांहें डाल रखी थी उसकी आँखें बंद थी।

अब मैंने उसकी बगल में अधलेटा सा होते हुए उसका एक चुम्बन लिया और फिर इलास्टिक वाले पायजामे के अन्दर हाथ डालने की कोशिश की।
सानिया ने एक हल्का सा विरोध तो जरूर किया पर मेरी अंगुलियाँ अब तक अब तक उसकी बुर के पपोटों के पास पहुँच गई थी। हल्के-हल्के रेशम से बालों से लकदक उसकी बुर का चीरा तो पहले से ही कामरज से भरा था।

जैसे ही मैंने अपनी अंगुली उसके चीरे पर फिराई सानिया की रोमांच भरी चींख पूरे कमरे में गूँज उठी।
“सर … मुझे बहुत डर लग रहा है.”
“ओह … कैसा डर?”
“वो … वो … बापू?”
“कौन बापू?”
“अगर मेले बापू को पता चल गया तो मुझे जान से मार डालेगा.”
“ओह … अरे.. नहीं ऐसा कुछ नहीं होगा.”

“तो?”
“अरे इतना डरने की कोई बात नहीं है. तुम्हारा बापू कोई हमें देख थोड़े ही रहा है.” मैंने उसे समझाते हुए कहा।
“लेकिन?”
“अरे बेबी … उसे इस बात का पता भला कैसे पता चलेगा?”

“ओह …” कह कर सानिया ने फिर से अपनी आँखें बंद कर ली। अब तो पूरे हुस्न का खजाना मेरी आँखों के सामने था। पायजामे के कसे हुए इलास्टिक में फंसी उसकी पतली कमर के ऊपर उभरा हुआ सा पेडू और उसके ऊपर गोल गहरी नाभि तो किसी मुर्दे के जिस्म में भी जान फूंक दे।
मैंने उसके पेडू पर एक चुम्बन लिया और फिर उसकी नाभि के छेद को चूम लिया।

“आईईई” सानिया ने जोर की किलकारी मारी और अपनी दोनों जांघें कसकर भींच ली।

दोस्तो! आप सोच रहे होंगे ‘यार प्रेमगुरु! अब तो लौंडिया पूरी तरह गर्म हो चुकी है क्यों देर कर रहे हो? ठोक तो साली को।’

बस थोड़ा सा इंतज़ार। आप तो जानते हैं खैनी जितना रगड़ो और लड़की को तड़फाकर जितना गर्म करो दोनों बाद में उतना ही ज्यादा मज़ा देती हैं।

मैंने उसकी शर्ट को थोड़ा सा ऊपर किया।
आह … दो रस भरे संतरे मेरी आँखों के सामने नुमाया हो गए। सानू जान ने ब्रा भी नहीं पहनी थी। चौड़ी छाती के बीच टेनिस की छोटी बॉल की तरह गोल रस कूप और उनका गहरे लाल रंग का एरोला (चूचक) तो ऐसे लग रहा था जैसे उरोजों के ऊपर कोई अंगूर का दाना रख दिया हो।

मैंने होले से उनपर हाथ फिराया।
आह … रेशम से कोमल मुलायम नर्म कुच!
मैंने एक-एक चुम्बन बारी बारे दोनों स्तनाग्रों (चूचक) पर लिया और फिर अपने हाथ को फिर से उसके पेडू और पेट पर फिराने लगा। मेरे होंठ उसके उरोजों पर फिसल रहे थे। सानिया की सीत्कार पर सीत्कार निकल रही थी उसका सारा शरीर रोमांच के मारे गनगना उठा था।

अब मैंने अपने एक अंगुली उसके पायजामे के इलास्टिक के अन्दर फंसाई और फिर उसे नीचे करने लगा।

“सर … क्या कर रहे हो? मुझे शर्म आ रही है.” सानिया ने फिर मेरा हाथ पकड़ते हुए थोड़ा प्रतिरोध किया।
“मेरी जान … मेरी सानू … तुम बहुत खूबसूरत हो … प्लीज बस एक बार मुझे अपने इस अनमोल खजाने को देख लेने दो … प्लीज …”
“आह …” सानिया के हाथों की पकड़ ढीली पड़ने लगी अलबत्ता उसने अपनी जांघें कसे हुए ही रखी थी।

अब मैंने धड़कते हुए दिल से अपने दोनों हाथों से उसके पायजामे को धीरे-धीरे नीचे करना शुरू किया.
आइईला …

पहले हल्के-हल्के रेशमी घुंघराले से बाल नज़र आये और फिर उभरा हुआ सा दाना और उसके दो मोटे मोटे पपोटों के बीच तीन-चार इन्च का रक्तिम चीरा रस से भरा हुआ। चुकंदर सी गहरी लाल बुर देख कर तो इंसान क्या फरिश्ते भी अपना ईमान खो दें।

मैंने अपने जीवन में बहुत से बुर और चूतें देखी हैं पर सानिया की बुर में एक खास बात मैंने नोट की। उसकी बुर के ऊपरी भाग पर ही बाल थे और नीचे तो बस पपोटों दोनों तरफ थोड़े-थोड़े से घुंघराले बाल थे। अक्सर प्युबर्टी (जवानी की शुरुवात में) के समय थोड़े से बाल पहले पपोटों और बुर के ऊपरी भाग पर ही आते हैं बाद में तो पूरा शहद का छाता ही बन जाता है।

एक मदहोश करने वाली गंध मेरे नथुनों में भर गई। उसका चीरा तो कामरज से लबालब भरा दिख रहा था। और दोनों फांकों के बीच में छोटी-छोटी दो सुनहरे रंग की पत्तियाँ ऐसे लग रही थी जैसे कोई छोटी सी मछली तड़फ रही हो।
हे भगवान्! इतने दिनों इस सौंदर्य के खजाने को इसने कहाँ छिपा रखा था।
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Re: Adultery लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ

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सानिया की साँसें बहुत तेज हो गई थी। उसने अपनी जांघें बहुत जोर से कस रखी थी इसलिए अब पायजाम और नीचे नहीं सरक सकता था।
“ए सानू … मेरी जान अब शर्म छोड़ो … मेरी जान अपनी जांघें थोड़ी सी और खोल दो … प्लीज मुझे अपने हुस्न के दीदार से महरूम (वंचित) मत करो।”

बेचारी सानिया मिर्ज़ा के लिए अब मेरी बात को नकारना कहाँ मुमकिन था। सानिया ने अपना शरीर ढीला छोड़ दिया।

मैंने उसके पायजामे को उसके घुटनों तक सरका दिया।
आह … दो मखमली जाँघों के बीच फंसी नाजुक बुर को देख कर तो मुझे लगा मैं अभी बिना कुछ किए धरे गश खाकर गिर पडूंगा। मैंने अपने होंठ उसकी बुर के चीरे पर लगा दिए। आह … उसकी अनछुई कमसिन कुंवारी बुर की महक जैसे ही मेरे नथुनों में समाई मेरा सारा शरीर जैसे रोमांच से झनझना उठा।

उसकी बुर से आती तीखी और मदहोश करने वाली गंध मेरे लिए अनजान नहीं थी। मुझे लगता है वह जब बाथरूम में अपने पैर धोने गई थी उसने अपनी बुर को भी धोया होगा और उस पर भी कोई क्रीम या तेल जरूर लगाया होगा। मेरा अंदाज़ा है सानिया ने अभी तक अपनी इस बुर से केवल मूतने का ही काम किया है। मुझे लगता है लंड तो क्या इसने तो अपनी इस बुर में अंगुली भी नहीं डाली होगी।

जैसे ही मेरे होंठ उसके चीरे से टकराए सानिया बिलबिला उठी- सर … क्या कर रहे हो … ओह … रुको … छी … गन्दी जगह मुंह लगा रहे हो.
कहते हुए सानिया ने मेरा सिर अपने हाथों में पकड़ कर मुझे दूर हटाने की नाकाम कोशिश की।

पर मैं कहाँ मानने वाला था … मैंने उसकी बुर को अपने मुंह में भर लिया। सानिया की तो एक किलकारी ही निकल गई। अब उसने मेरे सिर के बालों को अपने हाथों में कस कर पकड़ लिया। उसका सारा शरीर झनझना सा उठा और फिर झटके से खाने लगा।

मैंने अभी 3-4 चुस्की ही लगाईं थी कि उसकी बुर ने मीठा शहद छोड़ दिया।

“आईईईई … मेरा सु … सु … आह …” सानिया तो जैसे कसमसाने ही लगी थी। उसने दोनों हाथों से मेरे सिर को पकड़ कर जोर से भींच लिया था।
2-3 झटके से खाने के बाद उसकी पकड़ कुछ ढीली सी हो गई थी।

मुझे लगता है उसने अपने जीवन का पहला ओर्गास्म प्राप्त कर लिया था।

मैंने 3-4 चुस्की और लगाईं और फिर एक हाथ से उसके चीरे को थोड़ा सा चौड़ा करके अपने जीभ नीचे से ऊपर फिराई तो सानिया अपने नितम्बों को सरकाने की कोशिश करने लगी और पैर पटकने लगी। मैंने अब भी उसकी कमर को पकड़ रखा था ताकि वह हिलकर मेरे मज़े को खराब ना कर दे।

मुझे लगा अगर सानिया का पायजामा पूरा उतार दिया जाए तो उसका पूरे नंगे बदन का सौंदर्य तसल्ली से देखा जा सकता है।

“सर … बस करो … अब रहने दो … मुझे पता नहीं क्या होते जा रहा है.”
जैसे ही मैंने अपना मुंह उसकी बुर से हटाया तो उसने झट से अपने हाथों से अपनी बुर को ढक लिया। साली इन कुंवारी लड़कियों के नखरे संभालना भी बड़ा मुश्किल काम होता है।
“सानू प्लीज ये शूज उतार दो ना!”
“क … क्यों?”
“यार सच में तुम्हारे सौंदर्य को देखने से अभी मन ही नहीं भरा? प्लीज … बस एक बार और …”

“ओह … पर आपने देख तो लिया?”
“यार! मैं तो इस अनमोल खजाने की बस एक झलक ही देख पाया हूँ … बस एक बार ढंग से थोड़ी देर देख लेने दो प्लीज … तुम्हें अपनी दोस्ती और प्रेम की कसम!”

सानिया ने असमंजस भरी निगाहों से मेरी ओर देखा। शायद वह आखरी फैसला लेने में हिचकिचा रही थी। मैंने अब तो उसे अपनी कसम भी दे दी थी अब भला उस बेचारी के मेरी बात मान लेने के अलावा कोई चारा कहाँ बचा था।

इससे पहले कि सानिया कुछ कह पाती मैंने झट से उसके जूतों के फीते (चिपकने वाले) खोल कर पैरों से जूते निकाले और फिर उसके पायजामे को भी निकाल फैंका। सानिया ने मारे शर्म के अपनी बुर पर अपने हाथ रख लिए। अब मैं भी उसकी बगल में आकर लेट गया।

“ए सानू?”
“हम्म?” उसने आँखें बंद किए हुए ही जवाब दिया।
“क्या तुम्हारा मन नहीं करता?”
“किस बात के लिए?”
“जैसे लड़कों का मन होता है अपनी महबूबा के सौंदर्य को बिना कपड़ों के देखने का?”
“मुझे नहीं पता!”

“प्लीज बताओ ना अब शरमाओ मत?”
“हओ … पर डर लगता है.”
“किस बात का?”
“वो घर वालों को पता चल गया तो बापू तो मुझे जान से ही मार डालेगा.”

“अरे नहीं मेरी जान … तुम्हारे बापू को इन सब बातों की हवा तक नहीं लगेगी। अगर तुम्हारा भी देखने का मन हो तो मैं भी तुम्हें अपना सब कुछ दिखा सकता हूँ.”

सानिया ने अब अपनी आँखें खोल कर मेरी ओर देखा। उसकी साँसें बहुत तेज हो चली थी और होंठ कांपने से लगे थे। शब्द तो जैसे उसके गले में अटक से गए थे।

“अच्छा … अगर तुम्हें शर्म आये तो कोई बात नहीं मैं अपनी आँखें बंद कर लूंगा फिर देख लेना.” मैंने हंसते हुए कहा।
“हट!” कहकर सानिया ने अनजाने में अपनी बुर से हाथ हटाकर अपनी आँखों पर रख लिए।

अब मैंने भी अपने कपड़े उतार दिए। दिन का समय था तो कमरे में कोई बल्ब या ट्यूब लाईट तो नहीं जल रही थी पर पर्याप्त रोशनी थी।

मैं फिर से सानिया की बगल में आ गया और थोड़ा झुकते हुए उसके होंठों को फिर से चूमने लगा। पहले उसकी शर्ट को ऊपर करते हुए उसके उरोजों को चूमा और फिर उसके पेट और नाभि को चूमते हुए उसकी बुर पर अपना मुंह फिराने लगा।

सानिया को रोमांच भरी गुदगुदी सी होने लगी थी। अब मैंने उसका एक हाथ पकड़कर अपने खड़े लंड पर लगाया तो सानिया को जैसे कोई करंट सा लगा और उसने अपना हाथ खींच लिया।

“यार सानू तुम तो निरी डरपोक हो … लड़कियां तो इसका दर्शन करने और छूने के लिए भगवान् से कितनी मन्नतें मांगती हैं और तुम्हें मौक़ा मिला है तो तुम शर्मा रही हो”
“पहली बार में शर्म तो आती ही है ना?”

“सानू जान, एक बार इसे हाथ में लेकर देखो तो सही! मुझे लगता है तुम्हें भी बहुत अच्छा लगेगा.” कहते हुए मैंने उसके गालों और होंठों पर फिर से चूमना चालू कर दिया।

मेरे एक और प्रयास के बाद सानिया ने मेरे लंड को पहले तो होले से छूकर देखा और फिर उसे हाथ में लेकर दबाने लगी। मेरा लंड तो नाजुक अँगुलियों का स्पर्श पाते ही और भी ज्यादा खूंखार हो गया।

दोस्तो! अब तो आगे का रास्ता बिल्कुल निष्कंटक लगने लगा था।

अब तक मेरा एक हाथ हाउस मेड की बुर तक पहुँच गया था। सानिया ने थोड़ा आह … ऊंह … तो जरूर किया पर ज्यादा विरोध अब उसके बस में नहीं था। अब मैंने उसकी जांघें थोड़ी सी और फैला दी थी। मेरी शातिर अंगुलियाँ उसके चीरे पर ऊपर नीचे फिसलने लगी थी।

आह … गुनगुना सा अहसास … जैसे किसी शहद की भरी कटोरी में अंगुली चली गई हो। अब तो सानू जान जोर-जोर से मेरे लंड को सहलाने और मसलने लगी थी। मुझे हैरानी इस बात की भी हो रही थी जिस प्रकार वह मेरे लंड को अपने मुट्ठी में पकड़कर हिला रही थी मुझे लगता है उसे यह हुनर जरूर उस प्रीति नामक बला ने सिखाया होगा।

मैं सोच रहा था अब निरोध लगाने का समय आ गया है।
“सानू … तुम कितनी खूबसूरत हो.” मैंने उसके गालों पर चुम्बन लेते हुए कहा।
उसने कुछ नहीं बोला। वह तो आँखें बंद किए बस आ … ऊंह ही किए जा रही थी।

“सानू मेरी जान प्लीज … एक बार मेरे इसको (लंड) को अपने अनमोल खजाने पर रगड़ लेने दो प्लीज?”
“आह … नहीं … वो … वो … प्रीति … दीदी …” सानिया कसमसाकर मुझे दूर करने की कोशिश करने लगी थी।
“इस साली प्रीति की तो मा … की च … अब यह बीच में कहाँ से आ टपकी?”
“वो बोलती है …”

“ओह … क्या फरमाती है?”
“ऐसा करने से बच्चा ठहर जाता है?”
“अरे तुम भी निरी पूपड़ी हो ऊपर घिसने से कोई बच्चा थोड़े ही होता है.”
“नहीं … नहीं मुझे डर भी लगता है आप उसमें डालोगे तो उसमें बहुत दर्द भी होगा ना?”

हे लिंगदेव! तेरी लीला तो अपरम्पार है। मेरी यह सोनचिड़ी तो मेरे से भी बहुत आगे का सोचने लगी है। मैं तो सोच रहा था अपने लंड को उसकी बुर में डालने का क्या बहाना बनाऊँ पर भगवान् ने तो मुझे बिना मांगे ही सब कुछ देने की योजना जैसे पहले से ही बना रखी है।
“अरे मेरी जान! मैं अपनी महबूबा को दर्द थोड़े ही होने दूंगा और जहाँ तक बच्चा ठहरने की बात है मैं निरोध लगा लेता हूँ तो उससे बच्चा ठहरने का भी कोई डर नहीं होगा? ठीक है ना?”

अब मुझे याद आया मैं कोमल के लिए एक बार बढ़िया किस्म का खुशबूदार निरोध का पैकेट लेकर आया था जिसे कोमल के साथ तो यूज करने का मौक़ा ही मिला था पर लगता है आज जरूर उस निरोध की किस्मत भी चमक जायेगी।

“जान तुम एक मिनट रुको.” कहकर मैंने अपनी आलमारी से निरोध का पैकेट निकाल कर ले आया और जल्दी से अपने लंड पर चढ़ा लिया।

मेरा मन तो निरोध लगाने का बिल्कुल भी नहीं था पर शुरुवात में मैं कोई भी रिस्क नहीं ले सकता था। कोमल की बात अलग थी पर सानिया के साथ कोई गड़बड़ हो गई तो हम दोनों ही बेमौत ही मारे जायेंगे।

निरोध लगाकर मैंने अपने लंड को दोनों हाथों में छुपा सा लिया। मैं नहीं चाहता था कि मेरे फनफनाते हुए लंड को देखकर सानिया कहीं डर ही ना जाए और अगर ऐसा हुआ तो फिर यह कबूतरी दुबारा मेरे जाल में कतई नहीं फंसने वाली।

सानिया कनखियों से मेरे लंड को ही देखे जा रही थी। मेरा अंदाजा है वह पिछली दो रातों में जरूर उसने बहुत से सुनहरे सपने देखे होंगे और जरूर अपनी बुर को भी सहलाया तो जरूर होगा।
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( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


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अब मैं उसकी बगल में लेट गया और अपनी एक जांघ उसकी जांघ के बीच फंसा ली।

“जान यह शर्ट भी निकाल दो ना? अब इसकी क्या जरूरत है? प्लीज!”

और फिर इससे पहले कि सानिया कोई हील हुज्जत करे मैंने उसकी शर्ट निकाल फेंकी। अब तो जैसे हुस्न का खजाना ही मेरे सामने बिछा पड़ा था।

मैंने थोड़ा सा उसके ऊपर आते हुए उसके होंठों को अपने मुंह में भर लिया और एक हाथ बढ़ाकर बेड की ड्रावर से क्रीम की ट्यूब निकाली और पहले तो अपने लंड पर लगाईं और बाद में ढेर सारी क्रीम अपनी अँगुलियों पर लगाकर सानिया की बुर पर भी लगा दी।

सानिया का सारा बदन रोमांच के मारे झनझनाने लगा था।

अब मैंने अपने लंड को पकड़ कर उसकी रसीली बुर के चीरे पर घिसना शुरू कर दिया।

सानिया की तो किलकारी ही निकल गई। मेरा लंड तो कुंवारी बुर का स्पर्श पाते ही झटके पर झटके खाने लगा था। मैं अपने लंड को भी घिसता जा रहा था और साथ साथ में उसके उरोजों को भी हौले-हौले मसल रहा था।

सानिया की बुर तो पहले से ही गीली थी. पर अब क्रीम लगाने के बाद तो और भी रपटीली हो चली थी। मन तो कर रहा था एक ही झटके में पूरा लंड उसकी बुर में उतार दूं पर मैंने अपने आप को रोके हुए था।

मैं जानता था बस 2-4 मिनट में मेरी सानूजान खुद अपने नितम्बों को उठाकर मेरा लंड अपने आप अपनी बुर में डालने का प्रयास करने लगेगी।

अब मैंने अपने एक हाथ सानिया के सिर के नीचे कर लिया और फिर कोहनियों के बल होकर उसके ऊपर आ गया। मैं नहीं चाहता था मेरा सारा भार उसके ऊपर पड़े।

सानिया तो अब रोमांच और उत्तेजना के उच्चतम शिखर पर पहुँचकर आ … ऊं … करती जा रही थी। एक दो बार उसने अपने हाथों से मेरे लंड और अपनी बुर को टटोलने की कोशिश जरूर की पर अब तो वह अपनी मुट्ठियाँ भींचे अगले लम्हे का इंतज़ार कर रही थी।

“मेरी सानूजान … प्लीज अपनी जांघें थोड़ी चौड़ी कर लो … तुम्हें बहुत मज़ा आयेगा।”

सानिया ने एक मीठी सीत्कार करते हुए अपनी जांघें थोड़ी और खोल दी। अब मैंने अपने लंड से अपना हाथ हटा लिया था और अपने लंड को खुला छोड़ कर उसकी बुर पर रगड़ना शुरू कर दिया था। उसकी बुर का दाना तो फूल कर अंगूर के दाने जैसा हो गया था।

जैसे ही मेरा लंड दाने तक पहुंचता उसकी हल्की सीत्कार निकल जाती और चीरे के बीच की कोमल पत्तियाँ तो मेरे लंड की रगड़ से रक्त संचार बढ़ जाने के कारण और भी मोटी हो गई थी। अब तो मेरा लंड उसपर फिसलने नहीं रपटने लगा था।

“आह … मुझे कुछ होने लगा है सर … मुझे चक्कर सा आ रहा है? आह … आईई इइइ …” कहते हुए सानिया का शरीर फिर से अकड़ने लगा और वह अपने नितम्ब उछालने लगी। मुझे लगता है उसका एक बार फिर से ओर्गास्म हो गया है।

मेरा एक हाथ तो उसके सिर के नीचे था और अब मैंने दूसरा हाथ नीचे कर के उसके नितम्बों को पकड़ लिया और फिर से उसके होंठों को अपने मुंह में भर कर चूसने लगा।

इस बार मैं थोड़ा सा झुकते हुए अपने लंड को सानिया की बुर पर रगड़ा तो मेरा लंड उसकी बुर के छेद से टकराया और पहले तो थोड़ा सा मुड़ा फिर फिसल कर नीचे सरक गया।

सानिया की फिर से एक मीठी आह … निकल गई। मेरे लंड का अपने छेद से टकराना शायद सानिया को बहुत अच्छा लगा था। उसके मुंह से अब तो मीठी गूं … गूं … की आवाज भी निकलने लगी थी और अब तो वह अपने नितम्बों को भी हिलाने लगी थी।

दोस्तो! अब वह लम्हा आने वाला था जिसका मुझे और सानिया को ही नहीं आप सभी पाठकों और पाठिकाओं को भी पिछली कई रातों से इंतज़ार था।

इस बार जैसे ही मेरा लंड रपटते हुए नीचे की ओर आया मैंने थोड़ा सा और झुकते हुए एक धक्का सा लगाया तो मेरा लगभग 2 इंच लंड उसकी बुर के छेद को रोंदता हुआ अन्दर सरक गया।
हालांकि बुर पूरी कामरज से लबालब भरी थी और क्रीम भी लगी थी पर उसकी बुर का छेद इतना छोटा और कसा हुआ था कि सानिया की एक घुटी घुटी पूरे कमरे में गूँज उठी।

मैंने उसके होंठों को अपने मुंह में भर रखा था और एक हाथ से उसके सिर को और दूसरे हाथ से उसके नितम्बों को कस कर पकड़ रखा था। वरना तो उसकी चीख पड़ोसियों तक जरूर पहुँच जाती।
सानिया दर्द के मारे छटपटाने लगी थी पर मेरी गिरफ्त से निकल पाना उसके लिए संभव नहीं था। मैंने जोर से उसे अपनी बांहों में भींचे रखा। कुशल भंवरे ने अपना डंक मार दिया था और अब तो यह कलि फूल बनने की ओर अग्रसर हो चुकी थी।

सयाने कहते हैं ऐसी हालत में स्त्री पर रहम नहीं किया जाता। सानिया की जगह कोई खेली खाई औरत होती तो ऐसे समय रहम की गुंजाइश नहीं होती.

पर इस कमसिन बाला को इस प्रकार बेरहमी से नहीं चोदना मेरे जैसे शरीफ आदमी के लिए वाजिब नहीं था। मैं चुपचाप बिना कोई हरकत किए उसके ऊपर ऐसे ही बना रहा।

पिछले 3-4 दिनों में मेरे मन में यह ख्याल भी जरूर आया था कि मैं कमसिन लड़की के साथ नाइंसाफी सी कर रहा हूँ। मेरे जैसे सभ्य परिवार में रहने वाले सामाजिक व्यक्ति के लिए यह सब उचित नहीं है. पर हर बार मेरे मन ने इसे बेहूदा ख्याल बताते हुए कहा कि इस समय अब बेचारी उस मासूम बाला को अधर में छोड़ना अच्छी बात नहीं है।

दिल, दिमाग, मन और लंड सभी एक सुर में बोलने लग जाते हैं कि गुरु बस एक बार अंतिम बार इस कमसिन बाला को कलि से फूल बना डालो फिर यह सब धंधे सच में ही छोड़ देना।

मैंने अपने सर को एक झटका सा दिया और अपने ख्याल को एक बार फिर से तिलांजलि दे दी।

“बस … बस मेरी जान … मेरी महबूबा … बस अब अन्दर तो चला ही गया है अब ज्यादा दर्द नहीं होगा.” कहते हुए मैं उसके होंठों और गालों पर फिर से चुम्बन लेने लगा। जैसे ही मेरे मुंह में दबे उसके होंठ आजाद हुए एक जोर की चींख उसके गले से निकली।
“आह … मैं मर गई … अईईइइइ … बहुत दर्द हो रहा … प्लीज … सर … बाहर निकालो … आह … लगता है मेरी सु-सु फट गई है.” उसकी आँखों से आंसू निकल कर कनपटियों पर लुढ़क से आए थे।
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