पड़ोसन का प्यार compleet
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पड़ोसन का प्यार compleet
पड़ोसन का प्यार – भाग 1
(लेखक – कथा प्रेमी)
"तुम तो मुझसे कितनी ज़्यादा बड़ी हो उम्र मे शोभा दीदी. अच्छि ख़ासी ऊँची पूरी भी हो. मुझसे तीन चार इंच हाइट भी ज़्यादा है, वजन मुझसे दस बारह किलो ज़्यादा होगा. फिर भी तुम्हारा फिगर देखो कितना आकर्षक है" प्राची शोभा के भरे पूरे मासल शरीर की ओर प्रशंसा के भाव से देखते हुए बोली.
"वैसा कुछ नही है प्राची, हां मैं टिप टॉप रहती हूँ, कपड़े और ख़ासकर अंदर के कपड़े याने लिंगरी ठीक से चुनती हूँ, आधा काम बस ईसीसे हो जाता है" शोभा मुस्करा कर बोली.
दोनो औरतें दोपहर को प्राची के घर मे बैठ कर गप्पें लड़ा रही थी. शोभा को प्राची के बाजू वाले फ्लट मे रहने को आकर बस चाह महीने हुए थे. शोभा के पति दुबई मे काम पर थे. शोभा और उसकी सौतेली लड़की नेहा दोनो अकेले यहाँ रहते थे. यह फ्लॅट ख़ासकर नेहा के पापा ने इसी लिए लिया था कि अच्छि सोसाइटी थी और उन दोनो औरतों को अकेले वहाँ रहने मे कोई परेशानी नही होगी ऐसा उन्होने सोचा था.
प्राची ने अभी तीन महीने पहले अपनी बॅंक की नौकरी से इस्तीफ़ा दिया था, उसे अच्छ वीआरएस मिल गया था. प्राची के पति भी बॅंक मे थे और उनकी पोस्टिंग कानपुर मे हो गयी थी. इसलिए उनका यहाँ मुंबई आना बस साल मे तीन चार
बार होता था. उनके पुत्र दर्शन ने अभी अभी इंजिनियरिंग के पहले साल मे प्रवेश लिया था. प्राची बेचारी इसलिए दिन भर अकेली रहती थी. नयी सोसायटि होने के कारण उनके फ्लोर पर और कोई नही था, सब फ्लॅट खाली थे. प्राची को खाली समय काटने को दौड़ता था.
इसलिए शोभा जब से उसके पड़ोस मे रहने आई थी, तब से वह खुश थी. दोपहर को गप्पें मारने को कोई साथ तो मिल गया था. नेहा सुबह कॉलेज को निकल जाती थी तब शोभा भी अकेली रहती थी. इसलिए अब दोनो पड़ोसनों की अच्छि पटने लगी थी.
प्राची सैंतीस साल की थी. दिखने मे साधारण मझली उम्र की स्त्रियों जैसी ठीक ठाक थी. हां काफ़ी गोरी थी. शरीर मझोले किस्म का था, ना ज़्यादा मोटा ना पतला. असल मे प्राची काफ़ी स्लिम थी, पर उसके कूल्हे काफ़ी चौड़े थे. अपने स्थूल भारी भरकम नितंबों की वजह से वह थोड़ी मोटि दिखती थी, उसके बाकी के छरहरे बदन का इस वजह से पता नही चलता था.
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Re: पड़ोसन का प्यार
प्राची इसलिए जब शोभा के नपे तुले शरीर को देखती तो उसके मन मे आता कि मैं ऐसी क्यों नही हूँ! शोभा उससे सात आठ साल बड़ी होगी, रंग भी सांवला था, काफ़ी गहरा सांवला. बदन मोटा नही था फिर भी अच्छ ख़ासा बड़ा और ऊँचा पूरा था, फिर भी शोभा दिखने मे एकदम आकर्षक लगती थी.
उस दिन दोनो मे यही चर्चा हो रही थी. टिप टॉप कपड़ों के महत्व के बारे मे जब शोभा बोली तो प्राची को बात जच गयी. उसकी निगाह फिर से शोभा के पूरे बदन पर घूमने लगी. शोभा हमेशा बड़े अच्छे कपड़े पहनती थी और खुद का बहुत ख़याल
रखती थी. एकदम सलीकेसे बाँधी हुई नाभि दर्शन साड़ी, बहुत करके स्लीवलेस ब्लाउस जिसमे से मरमरि बाँहें सॉफ दिखें और पल्लू के पतले कपड़े मे से दिखता हुआ उन्नत उरोजो का उभार, ऐसा रूप था शोभा का.
इसलिए वह हमेशा अच्छि लगती थी. उसके ब्लाउस आगे और पीछे से लो कट होते थे जिसमे से उसकी चिकनी पीठ और उरोजो के ऊपरी भाग का उभार दिखता था. ब्लाउस के बारीक कपड़े मे से शोभा की कस कर बाँधी हुई ब्रा के स्ट्रैप दिखते थे, जो उसकी पीठ के मास मे गढ़े होते थे. शोभा हल्की लिपस्टिक लगाती थी और बाल अक्सर एक जूडे मे बाँधती थी जिसमे वह मोगरे की वेणि भी लगा लेती. उसके साँवले रंग के कारण उसकी लाल लिप्स्टिक अक्सर जामुनी दिखती थी पर सब मिलाकर शोभा का रूप ऐसा मादक होता था कि काफ़ी मर्द उसे नज़र गढ़ाकर देखते थे, यह प्राची ने अक्सर गौर किया था. शोभा के उस रूप पर उसे बड़ी ईर्ष्य होती थी.
ठीक इसके विपरीत प्राची अपने रहन सहन और पहनावे पर ज़रा भी ध्यान नही देती थी. ढीली ढाली लपेटी हुई साड़ी, एकदम ढीला और बिना नाप का ब्लाउस और बहनजी जैसी दो चोटियाँ! इनमे वह कितनी अनाकर्षक दिखती थी इसका उसे एहसास हो चला था. मन मे एक न्यूनता की भावना, इन्फीरियारिटी कॉंप्लेक्स, आ गया था. एक अजीब उदासी उसके मन मे घर कर गयी थी.
प्राची की आँखों मे झलकती उदासी देखकर शोभा उसे प्यार से बोली "सुन प्राची, तू असल मे दिखने मे बहुत सुंदर है. गोरी है, तेरी त्वचा पर अब भी जवानी की चमक है. बुरा मत मानना अगर मैं सॉफ सॉफ बताऊं तो. कितने ढीले ढाले कपड़े पहनती है तू, वह ब्लाउस देख, कैसा अजीब सा है, बिना नाप का. और तेरी ब्रेसियार भी बहुत ढीली है, पीछे से स्ट्रप लटक रहे हैं. मेरी मानो तो अच्छि मॅचिंग ब्लाउस सिला लो, साड़ियाँ एक दो बहुत अच्छि हैं तेरे पास, जैसे कल पहनी थी. ब्लाउस मेरे दर्जी से सिला लो चाहिए तो. और नयी ब्रेसियार खरीद लो, नाप की. ज़रा अच्छे नये फॅशन की. बालों की स्टाइल बदल लो. फिर देखना कैसे रूप खिल उठता है तेरा. अगर तू चाहे तो मैं चलूंगी तेरे साथ शॉपिंग को."
प्राची को बात जच गयी. मन मे अच्छ भी लगा कि शोभा कितनी आत्मीयता से बात कर रही है. उसके स्वर मे अब थोड़ा उत्साह था "आज ही जाती हूँ, सच मे तुम चलोगि शोभा? याने मेरे साथ चलने को टाइम है ना तुम्हारे पास?"
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Re: पड़ोसन का प्यार
"आरे, टाइम ही टाइम है. नेहा हफ्ते भर को अपनी सहेली के साथ गयी है. उसकी सहेली की बहन की शादी है पूना मे. मैं अकेली ही हूँ. उसकी चिंता मत करो. और अगर तू बुरा ना माने तो मैं अभी तुझे सिखाती हूँ कि साड़ी ठीक से कैसे बाँधी जाती है" कहकर शोभा ने बड़ी आत्मीयता से प्राची को तरीके से साड़ी पहनना सिखाया. कैसे चुन्नटे फोल्ड की जाती हैं, कितनी ऊँचाई पर बाँधी जाती है, पल्लू कितना छोड़ना चाहिए ये सब उसने बताया. साथ ही खुद उसे साड़ी पहना दी और एक दो बार प्रॅक्टीस भी करवाई. उसके बाद शोभा ने खुद प्राची की दो चोटियाँ खोल कर उन्हे एक जूडे मे बाँध दिया. प्राची को यह भी समझाया कि उसे या तो जूड़ा बाँधना चाहिए या एक मोटि खुली खुली सी वेणि ना कि बहनजी जैसी दो कस के बँधी चोटिया. उसने इतने प्यार से यह किया कि प्राची भाव विभोर हो गयी. इतने दिनों मे पहली बार कोई उससे इतने प्यार
से पेश आया था. शोभा स्मार्ट होने के साथ साथ दिल की कितनी अच्छि है, उसके मन मे यह ख़याल आया.
उसी शाम को शोभा के साथ जाकर उसने ब्लाउस पीस खरीदे और अर्जेंट सिलाई को दे दिए. दर्शन के कॉलेज से आने का समय हो गया था इसलिए बाकी शॉपिंग उसी दिन नही की. दूसरे दिन सुबह ही दर्जी का नौकर ब्लाउस दे गया. दोपहर को दर्शन के कॉलेज जाने के बाद प्राची ने नया ब्लाउस पहनकर शोभा को अपने घर बुलाया.
"शोभा दीदी देखो, कैसा लगता है!"
"अच्छ है प्राची पर फिटिंग अब भी थोड़ी गड़बड़ है. अरे पर ये तो बता, तूने ब्रा कौनसी पहनी है? वही पुरानी वाली लगती है, मुझे लगा तू नयी ले आई होगी" शोभा ने कहा.
"नही ला पाई. असल मे मैं तुझे पूछन चाहती थी कि अच्छि ब्रा कहाँ से लाउ." थोड़ा शरमाते हुए प्राची बोली.
"ऐसा कर पहले नाप ले ले, फिर अपन दोनो जाकर ले आएँगे. स्टेशन के पास एक अच्छ शॉप है, कंचुकी नाम का." शोभा बोली.
प्राची के चेहरे पर असमंजस के भाव थे. शोभा ने उसे मुस्कराते हुए समझाया "अरे प्राची, नाप नही लेगी तो ब्रा फिट कैसे होगी? वहाँ दुकान पर पहन कर थोड़े देखते हैं! ऐसा कर. ज़रा इंच टेप ले आ, मैं सिखाती हूँ कि नाप कैसे लिया जाता है"
प्राची थोड़ी शरमा कर बोली. "शोभा, यहाँ ड्रॉयिंग रूमा मे अटपट सा लगता है. मेरे बेडरूम मे चलो ना, वहाँ ठीक रहेगा, मैं खिड़की बंद करती हूँ"
अंदर जाकर प्राची ने खिड़की बंद की और शोभा को टेप दी. शोभा ने कहा "प्राची, ब्लाउस निकालना पड़ेगा. ब्रा भी निकाल दो तो और अच्छा है. ऐसे कपड़ों के ऊपर से नाप ठीक नही आएगा."
प्राची का चेहरा लाल हो गया. "शोभा दीदी, मुझे शरम लग रही है, ब्लाउस और ब्रा कैसे निकालु?"
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Re: पड़ोसन का प्यार
शोभा मुस्काराकर बोली "प्राची, तुम बहुत ही शरमीली हो. यह भी ठीक करना पड़ेगा, अरे स्मार्ट दिखाने के लिए अपना कॉन्फिडेन्स भी बढ़ाना चाहिए. चलो निकालो. तब तक मैं तुझे सिखाती हूँ कि नाप कैसे लेते हैं.
मैं पहले अपना ब्लाउस निकाल कर अपना नाप ले कर बताती हूँ, फिर तेरी शरम शायद कम हो जाए" शोभा ने पल्लू नीचे किया और ब्लाउस निकालने लगी. उसके लो कट ब्लाउस के आगे के करीब करीब आधे खुले भाग मे से उसके विशाल स्तनों के बीच की गहरी खाई प्राची को दिखी. क्या सेक्सी दिखती है यह औरत, ऐसा एक मीठा नटखट विचार प्राची के मन मे कौंध गया.
शोभा ने ब्लाउस के बटन खोले और हाथ ऊपर करके ब्लाउस निकाल दिया. उसकी कांखे एकदम चिकनी थी. "रोज शेव करती है लगता है, या हेयर रिमूवर् से निकाल दिए हैं. पर अच्छि लग रही हैं कांखे, नही तो मेरी कैसी बेकार लगती हैं. आज ही कांख के बाल काट डालूंगी" ऐसा विचार प्राची के मन मे आया.
ब्लाउस निकलते ही शोभा के लेस वाली एक खूबसूरत ब्रा मे कसे हुए बड़े बड़े स्तन दिखने लगे. ब्रेसियार काफ़ी टाइट थी और उसके स्ट्रप्स शोभा के मांसल बदन मे गाढ़ने से बाजू का मास बड़े मादक तरीके से उभर आया था. शोभा के वे मदमस्त उरोज मानों उस ब्रा मे समा नही पा रहे थे और उफान के साथ बाहर आने की कोशिश कर रहे थे.
प्राची स्तब्ध होकर शोभा का वह मादक रूप देखती ही रह गई. शोभा स्मार्ट थी पर उसका रूप ऐसा होगा इसकी उसने कल्पना भी नही की थी. धीरे धीरे प्राची ने भी अपने ब्लाउस के बटन खोलना शुरू कर दिया. आख़िर उससे ना रह गया और वह बोली "अरी शोभा, कितनी अच्छि है तेरी ब्रा! कहाँ से ली? कांचुकी से? पर ज़रा टाइट नही है? तुझे तकलीफ़ नही होती?"
अपने सीने पर टेप लपेटते हुए शोभा बोली "प्राची, जान बूझ कर टाइट ब्रा मैं प्रिफर करती हूँ. उससे स्तन अच्छे कस कर बाँधे जाते हैं और ज़रा तन के खड़े होते हैं. मेरी उम्र मे यह करना पड़ता है नही तो लटक जाएँगे लौकी की तरह. वैसे मेरे ज़रा बड़े ही हैं, अपना ही वजन नही सह पाते बेचारे" उसने टेप पहले अपने स्तनों के नीचे छाती पर लपेटा और बोली "देख यह पहला नाप है, इसमे पाँच जोड़ कर ब्रा की बेसिक साइज़ मिलती है. देख कितने इंच है?"
मैं पहले अपना ब्लाउस निकाल कर अपना नाप ले कर बताती हूँ, फिर तेरी शरम शायद कम हो जाए" शोभा ने पल्लू नीचे किया और ब्लाउस निकालने लगी. उसके लो कट ब्लाउस के आगे के करीब करीब आधे खुले भाग मे से उसके विशाल स्तनों के बीच की गहरी खाई प्राची को दिखी. क्या सेक्सी दिखती है यह औरत, ऐसा एक मीठा नटखट विचार प्राची के मन मे कौंध गया.
शोभा ने ब्लाउस के बटन खोले और हाथ ऊपर करके ब्लाउस निकाल दिया. उसकी कांखे एकदम चिकनी थी. "रोज शेव करती है लगता है, या हेयर रिमूवर् से निकाल दिए हैं. पर अच्छि लग रही हैं कांखे, नही तो मेरी कैसी बेकार लगती हैं. आज ही कांख के बाल काट डालूंगी" ऐसा विचार प्राची के मन मे आया.
ब्लाउस निकलते ही शोभा के लेस वाली एक खूबसूरत ब्रा मे कसे हुए बड़े बड़े स्तन दिखने लगे. ब्रेसियार काफ़ी टाइट थी और उसके स्ट्रप्स शोभा के मांसल बदन मे गाढ़ने से बाजू का मास बड़े मादक तरीके से उभर आया था. शोभा के वे मदमस्त उरोज मानों उस ब्रा मे समा नही पा रहे थे और उफान के साथ बाहर आने की कोशिश कर रहे थे.
प्राची स्तब्ध होकर शोभा का वह मादक रूप देखती ही रह गई. शोभा स्मार्ट थी पर उसका रूप ऐसा होगा इसकी उसने कल्पना भी नही की थी. धीरे धीरे प्राची ने भी अपने ब्लाउस के बटन खोलना शुरू कर दिया. आख़िर उससे ना रह गया और वह बोली "अरी शोभा, कितनी अच्छि है तेरी ब्रा! कहाँ से ली? कांचुकी से? पर ज़रा टाइट नही है? तुझे तकलीफ़ नही होती?"
अपने सीने पर टेप लपेटते हुए शोभा बोली "प्राची, जान बूझ कर टाइट ब्रा मैं प्रिफर करती हूँ. उससे स्तन अच्छे कस कर बाँधे जाते हैं और ज़रा तन के खड़े होते हैं. मेरी उम्र मे यह करना पड़ता है नही तो लटक जाएँगे लौकी की तरह. वैसे मेरे ज़रा बड़े ही हैं, अपना ही वजन नही सह पाते बेचारे" उसने टेप पहले अपने स्तनों के नीचे छाती पर लपेटा और बोली "देख यह पहला नाप है, इसमे पाँच जोड़ कर ब्रा की बेसिक साइज़ मिलती है. देख कितने इंच है?"
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Re: पड़ोसन का प्यार
प्राची ने काँपते हाथों से टेप पकड़ा. उसकी उंगलियाँ शोभा के बदन को लगी और उसके बदन मे एक रोमांच सा हो आया. झुक कर उसने नाप देखा और बोली पैंतीस इंच"
"याने पैंतीस और पाँच मिलाकर हुए चालीस. तो मेरी ब्रा का नाप है चालीस. " शोभा बोली.
"काफ़ी बड़ी ब्रा है तुम्हारी दीदी, बहुत अच्छि लगती है" प्राची ने कहा.
"अब कपों की साइज़ नापना पड़ेगी. उसके लिए ऐसे पूरा नाप लेना पड़ता है, निपलों के ऊपर टेप लगाकर" कहते हुए शोभा ने टेप अपनी ब्रा के कपों के नोक पर रखकर नाप लिया.
"चवालीस" प्राची बोली.
"याने चवालीस माइनस ब्रा की साइज़ चालीस चार का फरक हुआ. इसका मतलब है कि मेरे कप की साइज़ डी है. असल मे यह ब्रा बहुत टाइट है, ठीक नाप के लिए उतारकर नाप लेना चाहिए. मैं दिखाती हूँ तुझे. ब्रा निकालनी पड़ेगी. प्राची ज़रा हेल्प करो ना प्लीज़. मेरे हुक खोल दो, टाइट हैं ना इसलिए मुझे तकलीफ़ होती है. नेहा को मैं कहती हूँ अक्सर हुक खोलने को. वह यहाँ होती है तो हुक लगाने और निकालने का काम उसी का है" शोभा ने प्राची की ओर देखते हुए मुस्करा कर कहा.
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