एक बार ऊपर आ जाईए न भैया

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jay
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Re: एक बार ऊपर आ जाईए न भैया compleet

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अब विभा थोड़ा अजीब नजर से मुझे देख रही थी फ़िर बोली, "आपको जो फ़िल्म पसन्द है एक लगा लीजिए।"

मैंने लोहा गर्म देख कर चोट किया, "एक क्लीप परिवार वाली.... आज तुम साथ हो तो उसी को चला देता हूँ। एक माँ अपने बेटे के साथ सेक्स करेगी और उसकी बेटी फ़िर अपने भाई से चुदेगी।"

फ़िल्म शुरु हुई तो विभा बोली, "सब ऐक्टिंग कर रहा होगा कि तीनों एक परिवार का है।"
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मैंने कहा कि देखते रहो अंत में सब का सर्टिफ़िकेट दिखा कर सब साफ़ कर देगा कि ये तीनों माँ-बेटा-बेटी हैं। माँ अपने बेटे का लन्ड चुस रही थी और बेटी अपनी मम्मी का चूत चाट रही थी। मैं चाह रहा था कि बात-चीत चलती रहे सो मैंने विभा से कहा, "अभी सब तैयार हो रहा है।"

जल्दी ही जब सब रेडी हो गए तो बेटी ने मम्मी को सहारा दे कर घुमा दिया और मम्मी अपने बेटे से खड़े लन्ड के सामने अपने हाथों और घुटनों के बल झुकी थी। उसके बेटे ने अपने ठनकते हुए लन्ड को पीछे से अपनी मम्मी की खुली चूत में घुसा दिया और धक्के देने लगा।
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जल्दी ही सेक्सी आवाजे स्पीकर से निकल कर मेरे रुम में भर गई।

मैं बोला, "इस पोज को डौगी-पोज कहते हैं, किसी कुतिया की तरह लड़की को झुका कर पीछे से चोदा जाता है इस पोज में"।

विभा चुप-चाप सब देख रही थी, मैं जब कुछ बोलता तो वो एक बार मेरी तरफ़ सर करके मेरे से नजर मिला लेती।

मैंने कहा, "अब जल्द हीं क्लोज-अप शौट आएगा इस माँ-बेटे का", और वो शौट आ गया। माँ की चिकनी चूत में गच्च-गच्च करके बेटे का लन्ड घुस निकल रहा था। करीब ५ मिनट बाद मैं कहा, "विभा, तुमको मन नहीं करता हस्तमैथुन करने का... मेरा तो बहुत तन गया है"।
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विभा बोली, "आपको मन है तो आप कर लीजिए"। इतना सुनने के बाद अब रुकने का सवाल ही नहीं था। विभा के कमरे में रहते मैंने अपना बरमुडा अपने कमर से नीचे सरका कर कर पैरों से अलग कर दिया और अपने फ़नफ़नाए हुए लन्ड को सहलाने लगा।

कुछ सेकेन्ड बीता होगा की विभा मेरी तरफ़ सर घुमाई मेरे कड़े लन्ड को देखा और बोली, "कैसा काला है आपका... गन्दा सा...", और मुस्कुराई।

मैंने हँस कर कहा, "अभी तक गोरा लन्ड सब हीं दिखाए हैं इसीलिए मेरा काला लग रहा है तुमको"। मैंने अपने लन्ड से सुपाड़े को चमड़ी पीछे करके बाहर निकाला। मैं अब आराम से मुठियाने लगा था।

तभी फ़िल्म में एक पार्ट खत्म हो गया और जब बेटे का निकलने को हुआ तो वो अपनी बहन को आगे बुलाया और उसकी मुँह में गिराया जिसको वो बहुत आराम से निगल गई।

मैंने अब कहा, "अब इस बहन की बारी है अपने भाई से चुदाने का।"

विभा अब बहुत हल्के से बोली, "कैसे कोई अपने घर-परिवार वालों के साथ यह सब कर सकता है..."।
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मैंने जवाब दिया, "सेक्स में बहुत आकर्षण होता है विभा, मैं कहा था न कि अगर एक बार यह मजा मिल जाए तो फ़िर काबू मुश्किल है..."।

विभा अब अचानक पूछी, "आप करते हैं यह सब?" मैंने हाँ में सर हिलाया

तो बोली, "किसके साथ?"

मैंने कहा, "कोई भी जो मिल जाए.... जब तक शादी नहीं हुई तब तक तो कोई हो क्या फ़र्क पड़ता है... और शादी के बाद भी कौन जानता है क्या हो। शादी के बाद कोई ताला तो कहीं लगता नहीं है।"

वो बोली, "सही बात कह रहे हैं आप... वैसे अभी सबसे हाल में किसके साथ किए यह सब।"

मैंने थोड़ा सोचा फ़िर कहा, "कसम खाओ कि किसी को कहोगी नहीं तब बताउँगा"।
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मेरे इस गजब के सीक्रेट में विभा की दिलचस्पी बढ़ी और उसने प्रोमिश किया तो मैं बिना किसी हिचक के कहा, "स्वीटी के साथ"।

उसका चेहरा अब देखने वाला था.... "अपनी स्वीटी... ओह भगवान... यह कैसे..."।

मैंने साफ़-साफ़ कह दिया कि ट्रेन में कैसे एक ही बर्थ पर सोते हुए मैंने स्वीटी को चोदा।

विभा आँखें गोल-गोल करके बोली, "आप दोनों को लाज नहीं आया यह सब करते... वो भी ट्रेन में... बाप रे बाप। उतने दिन आप लोग होटल में थे... फ़िर तो... हे भगवान... कहीं बेचारी को बच्चा हो गया तो..?"

मैंने अब उसको शान्त किया, "कुछ नहीं होगा... हम दोनों इतने बेवकुफ़ थोड़े हैं... बच्चा हो जाएगा... बेवकुफ़, अब कहीं किसी से कह मत देना कि हम दोनों भाई-बहन आपस में सेक्स करते हैं, लोग तुमको पागल समझेंगे।"
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(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


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(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
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jay
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Re: एक बार ऊपर आ जाईए न भैया compleet

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फ़िर विभा बोली, "आप हमको ऊल्लू बना रहे हैं। झुठ बात सब.... भैया आप ऐसा सब अपनी बहन के लिए कैसे बोल सकते हैं?"

मैंने अब सोचा कि अभी नहीं तो फ़िर कभी नहीं सो मैंने कहा, "हमारी क्लीप देखोगी? कोचीन के होटल रुम में बनाए थे।" कहते हुए मैंने अपने अलमारी से वो मेमोरी कार्ड निकाला जिसमें हमारी फ़िल्म थी। इसके बाद अब हमारी असल फ़िल्म औन हो गई। करीब एक घन्टे की क्लीप थी जिसमें मेरा, स्वीटी और गुड्डी का सेक्स का फ़िल्म था। विभा का अब बुरा हाल हो रहा था। कोई भी २० साल की जवान लड़की आखिर कब तक अपने पर काबू रख सकती है। लड़कियों में वैसे भी "काम" मर्दों से आठ-गुणा ज्यादा होता है (कामसुत्र में लिखा है)। मैंने अपना लन्ड झाड़ने के बाद विभा से कहा, "अब तुम भी ऊँगली कर लो नहीं तो नींद नहीं आएगी जितना चुदाई देख ली हो।"
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वो बोली कि वो कभी यह सब की नहीं है सो डर लग रहा है...

तब मैंने कहा कि मैं उसकी मदद कर देता हूँ। ओ घबड़ा गई... नहींईईईई... कहीं बच्चा हो गया तो"। सोच कर हीं उसका मुँह सूख गया।

मैंने उसको समझाया कि मैं चुदाई की बात नहीं कर रहा बल्कि हस्तमैथुन की बात कर रहा हूँ। वो सोच में डुबी हुई थी और मैंने मौका सही समझा।

मैंने उसको कन्धे से पकड़ कर कुर्सी से उठा लिया और उसको अपने बाँहों में भर कर उसके होठ चुमने लगा। उसका बदन तप रहा था। बिना बरमुडा के मैं तो पहले से हीं नंगा था। मेरा ठनका हुआ लन्ड उसकी जाँघों पर ठोकर मार रहा था।

मैंने उसको कहा, "अब बिस्तर पर चलो तो चुम-चाट कर तुम्हारा बदन ठन्डा कर दें फ़िर सो जाना"।
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विभा अब गिड़गिड़ाते हुए बोली, "भैया डर लग रहा है... प्लीज।"

मैंने समझाया, "चल पगली... बेकार डर रही है। सिर्फ़ चुम्मा-चाटी करेंगे आज तुम्हारे बदन से... बिना तुम्हारे मर्जी के तुमको थोड़े ना चोदेंगे। मेरी बहन हो.... तुमको मेरे से क्यों डर लग रहा है। शादी के पहले प्रभा भी चुम्मा-चाटी करके मजा लेती थी। अब देख ली कि स्वीटी तो खुल कर सब के सामने मेरे से चुदा रही है। असल में अपने यहाँ भैया किसी भी लड़की के लिए सबसे सुरक्षित लड़का है। न वो किसी को कहेगा और न हीं कभी लड़की बदनाम होगी। घर की बात घर में रहेगी।"

विभा अब बोली, "क्या दीदी भी आपके साथ....?"
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मैंने प्रभा के बारे में झुठ बोला था पर अब सच बताने का मौका तो था नहीं सो मैंने हाँ में सर हिला दिया और बोला, "मेरे से चुदवाती नहीं थी पर चुम्मा-चाटी करके अपनी गर्मी जरुर शान्त कराती थी। आज तुमको भी बिना चोदे हीं ठन्डा कर देंगे, तुम बिल्कुल भी डरो मत। जब भी तुमको चुदाने का मन कर जाए, बता देना... खुब प्यार से तुमको चोद देंगे"। और मैंने उसके होठ फ़िर से चुमने शुरु कर दिए। वो अब शान्त हो कर आने वाले समय के लिए खुद को तैयार कर रही थी। मैं अब उसको बिस्तर पर लिटा चुका था और अब बगल में बैठ कर उसकी चुचियाँ दबाने लगा था। विभा की आँख बन्द थी और उसके चेहरे के भाव बदलने लगे थे। मैंने अब उसकी कुर्ती के ऊपर से अपने हाथ भीतर घुसा दिए और उसकी बाँई चुच्ची को मसलने लगा। वो बहुत मेहनत से अपनी आवाज रोके हुए थी। मैंने उसको पेट के बल पलट दिया और फ़िर उसकी कुर्ती की चेन खोल दी और हल्के से उसके बदन से कुर्ती हटा दिया। सफ़ेद ब्रा में उसका गोरा बदन चमकने लगा।

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कमरे में दो ट्युबलाईट जली हुई थी और मैंने उसको पीठ के बल कर दिया था। गोरे सपाट पेट और उस पर गहरी नाभी को देख मेरा लण्ड अब एक ठुनकी मार दिया। मेरे हाथ उसकी छाती से होते हुए पेट तक घुमने लगे थे। मैं उसके बगल में बैठ कर अब उसके होठ को जोरदार तरीके से चुमने लगा था। प्राकृतिक स्वभाव ने उसको भी चुम्मी का जवाब देना सीखा दिया था और अब मेरी बहन विभा भी बड़े मजे से मेरी चुम्मी का जवाब अपनी चुम्मी से दे रही थी।

पेट से फ़ुसलते हुए मेरे हाथ उसकी सलवार में घुसने लगे तो उसने मेरे हाथ को पकड़ लिया और मेरी नजरों से नजर मिलाकर कहा, "नहीं भैया, प्लीज..."।
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मैंने उसकी गाल पर चुम्मी ली और कहा, "कुछ नहीं होगा... सिर्फ़ तुमको मजा देंगे। अभी तक देखी न कैसे बदन मचलने लगता है जब किसी मर्द का हाथ छुता है किसी लड़की को" और मैंने उसको आश्वस्त करते हुए अपने बाएँ हाथ से उसकी सलवार की डोरी खींच कर खोल दी। फ़िर उसको प्यार से देखते हुए कहा, "थोड़ा कमर ऊपर करो ना तो सलवार को नीचे खींच दें"।

विभा ने फ़िर सकुचाते हुए पूछा, "बहुत डर लग रहा है भैया, कुछ होगा तो नहीं न?"

मैंने उसको प्यार से समझाया, "पगली... डर काहे का। देखी न स्वीटी इतना मजा से आराम से लन्ड से चुदवा ली... कुछ हुआ। तुम इतना डर रही हो.... स्वीटी से तो बड़ी ही हो। वैसे भी तुम्हारे बदन से मैं अपना लण्ड सटाऊँगा भी नहीं, देख लो कैसा ठनका हुआ है मेरा पर अभी भी तुम्हारे बदन से दो इंच दूर है। सिर्फ़ तुमको नंगा करके अपने हाथ और मुँह से तुमको मजा देंगे। खुला-खुला बदन आज पहली बार ऐसे देख कर कितना अच्छा लग रहा है। तुमको भी अच्छा लग रहा है न...?"
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मैं अब फ़िर से उसके होठों पर जोर-जोर से चुम्बन लेने लगा था। हल्के से ईशारा किया उसकी कमर को पकड़ कर उठाते हुए और विभा भी अब सहयोग की और अपना कमर ऊपर उठाई तो मैंने सलवार उसकी कमर से नीचे सरार कर उसकी चुतड़ के भी नीचे कर दिया। मैंने अब अपना चेहरा ऊपर उठाया और खुद थोड़ा नीचे खिसक कर सलवार उसके पैरों से निकाल दी। अब मेरे बिस्तर पर विभा का अधनंगा बदन सिर्फ़ एक सफ़ेद ब्रा और भूरी पैन्टी में फ़ैला हुआ था।


मैं झुका और उसकी नाभी पर एक गहरा चुम्बन लिया तो पहली बार उसका बदन थड़थड़ाया, फ़िर पैन्टी के ऊपर से ही उसकी फ़ूली हुई बूर को चुमा तो उसने अपना बदन सिकोड़ा। मैं अब अपना चेहरा उसके पेट से सटा लिया और अपने हाथ उसकी टांगों और जांघों पर घुमाने लगा। भीतरी जांघों पर जब मेरे हाथ गए तो वो जोर से अपनी जाँघ सिकोड़ी। मुझे पता था कि जाँघ का वह इलाका किसी भी लड़की के बदन में सुरसुरी ला देता है। मैं अब प्यार से उसके बदन को चुम रहा था और उसकी कमर सहला रहा था। थोड़ी देर बाद मैंने उसको फ़िर से पलट कर पीठ के बल लिटा दिया। विभा भी अब सहयोग कर रही थी। मैंने उसकी फ़ुली हुई चुतड़ों को हल्का दबा कर सहलाया और फ़िर जोर से भींच दिया।

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वो चिहुंकी... तो मैंने उसकी चुतड़ पर चुम्बन लेने शुरु कर दिए। उसकी बूर पक्का पनिया गई थी, मुझे उसके बूर की मादा गन्ध अब मिलने लगी थी। मैंने उसकी पैन्टी को ऊपर से मोड़ते हुए नीचे करना शुरु किया। आधा चुतड़ उघाड़ करके मैंने उसकी पैन्टी नीचे खिसका दी उसकी नंगी चुतड़ को हल्के से दांत से काटा और फ़िर उन गोरी गोलाईओं को फ़ैला कर उसकी गुलाबी गाँड़ के दर्शन किए। गाँड़ की छेद के बिल्कुल पास एक काला तिल दिखा।

मैंने विभा से कहा, "पता है विभा... तुम्हारी गाँड़ को भगवान का आशीर्वाद मिला है।"
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विभा तो जैसे कहीं और खोई थी। मेरी बात सुन कर उसको होश आया कि मैं उसकी गाँड़ की बात कर रहा हूँ, हड़बड़ा कर वो अपना पैन्टी ऊपर खींची तो मेरी हँसी छुट गई। वो अब चट से सीधी हो कर बिस्तर पर बैठ गई और नजरें नीचे किए वो भोली लड़की मुझे पागल कर रही थी।

मैंने उसको अपने बाँहों में लपेटा और एक बार फ़िर से उसकी चुम्मी लेनी शुरु कर दी। विभा भी मेरी बाहों में सिमट कर मुझे सहयोग करने लगी। उसकी चुम्मी लेते हुए मैंने उसकी ब्रा की हुक खोल दी पर उसको ऐसे जोर अपने सीने से चिपकाए हुए था कि उसको पता भी नहीं चला। उसे मालूम हुआ तब जब मैंने उसको अपने बदन से अलग करते हुए उसके कंधों पर से ब्रा की स्ट्रैप मैंने नीचे उतारी। जब तक वो संभलती मैं फ़ुर्ती से उसकी ब्रा खींच कर उसके बदन से अलग कर चुका था। वो अब घबड़ा कर अपने हाथों से अपने चुचियों को ढ़कने सी कोशिश की। मैंने मुस्कुराते हुए उसकी ठोढ़ी को हल्के से ऊपर उठाया और उसके होठ पर एक गहरा चुम्बन लिया।
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मैं अब उसको अपनी गन्दी बातों से गरम करने की सोचा, उससे हट कर गहरी नजर से उसको देखते हुए कहा, "पता है विभा... मर्दों को किसी लड़की की यही अंग बताता है कि लड़की जवान हो गई है। भगवान इसको ऐसा ही बनाए हुए हैं कि जहाँ लड़की पर जवानी चढ़ना शुरु होती है यह पूरे दुनिया को उसका खबर देना शुरु कर देता है। १३-१४ साल की उम्र से लगातार यह मर्दों को बताता रहता है कि लड़की अब कितना जवान हुई है और इसीलिए तभी से सब लड़के उस पर लाईन मारना शुरु कर देते है। जितनी कम उम्र हो और चुची जितनी बेहतर... लड़की उतना ही बढ़िया "माल" मानी जाती है मर्दों की दुनिया में। तुम्हारी चुच्ची तो जबर्दस्त है। पता नहीं कितनों ने तुम्हारे नाम की मूठ मारी होगी, और तुमको कुछ पता भी नहीं है।"

विभा चुप-चाप मुझे देखते हुए सब सुन रही थी।

मैंने आगे कहा, "१५ साल की उम्र में जब पहली बार तुम ब्रा खरीदी थी तब से लगातार हर दो-तीन दिन पर तो मैं हीं तुम्हारे नाम की मूठ मारता रहा हूँ, आज भी जब तुम ब्लू-फ़िल्म देख रही थी और मैं मुठ मार रहा था तब भी मेरे दिमाग में तुम्हारा हीं बदन था। अब एक बार अपना हाथ हटा कर अपने चुचियों का दीदार करा दो न प्लीज..."।

विभा का चेहरा लाल-भभूका हो गया था और वो मुझे अजीब नजर से देख रही थी। तब मैंने एक बार फ़िर ईशारा किया कि वो अपने हाथ हटाए तो उसने इस बार मेरी बात मानते हुए अपने हाथ अपने कंधों से हटाए जिससे मुझे उसकी ३६ साईज की गोल-गोल गोरी चिट्टी चुचियों के दर्शन हो गए। जिस तरीके से उसने मुझे अपनी चुचियों के दीदार कराए थे, मुझे उसकी रजामन्दी समझ में आ गई।

मैंने फ़िर आगे कहा, "विभा... मेरी बहना... अब प्लीज एक बार खड़ी हो जाओ न मेरे सामने।" वो मेरी बात मान ली और बिस्तर से नीचे उतर कर मेरे सामने सिर्फ़ एक पैन्टी पहने खड़ी हो गई। विभा तीनों बहनों में सबसे कम लम्बी थी, सिर्फ़ ४’-१०"। उसको शायद इस बात की कुंठा भी थी थोड़ा-बहुत। पर अभी उसके इस छोटे बदन पर ३६" की टाईट छाती गजब लग रही थी।

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मैंने अपने होठ सिकोड़ कर सीटी बजाई और फ़िर कहा, "विभा प्लीज... अब खुद से अपनी पैन्टी उतारो न प्लीज...। कितना अच्छा लग रहा है यह सब। तुम बताओ.. न तुमको मजा आ रहा है कि नहीं।"

विभा अब बोली, "बहुत अजीब लग रहा है.. लगता है कि कैसे यह सब हो रहा है। समझ में नहीं आ रहा है कि ऐसे कैसे आपके सामने मैं .... वो छीः भैया..." और वो अपना चेहरा अपने हथेलियों से ढ़क ली।

अब मैं भी उसके सामने खड़ा हो गया और पहली बार उसके बदन से अपना लण्ड सटाया और फ़िर हल्के हाथ से उसकी चुच्ची सहलाते हुए उसको समझाने लगा, "क्यों बेकार बात सब सोचती हो... मैं बताया न ... सालों से मैं तुम्हारे नाम की मूठ मारता रहा हूँ, मुझे तो तुम सिर्फ़ एक जवान लड़की लगी... तुम क्यों मुझमें अपना भाई अभी देख रही हो। समझो कि तुम एक मर्द को अपना बदन दिखा कर उसको पटा रही हो। मेरा हाल सोचो... मेरा लण्ड कैसा बेचैन है (मैंने अपना खड़ा लण्ड उसकी पेट में जोर से दबाया) और मुझे पता है कि आज जो लड़की मेरे साथ है वो आज नहीं चुदेगी फ़िर भी मैं जितना तुम मुझे दोगी उसी से खुश हूँ कि नहीं। चलो अब मान लो कि मैं तुम्हारा लवर हूँ और तुम अपना बदन आज पहली बार अपने लवर को दिखा रही हो। मैं भी तुमको आज सिर्फ़ अपनी गर्लफ़्रेन्ड मान कर तुम्हारे बदन से खेल कर तुमको मजा दुँगा।"
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वो अब फ़िर से शान्त और संयत लगी तो मैं अब उससे हट कर बेड पर बैठ गया और कहा, "डार्लिंग... अब एक बार प्लीज अपनी पैन्टी उतार कर अपना सबसे प्यारा और सुन्दर चीज दिखाओ न मेरी रानी..." और मैंने उसको आँख मारी।

मेरी इस अदा पर उसकी हँसी निकल गई और फ़िर .... लड़की हँसी तो फ़ँसी...। विभा बोली, "छी... भैया मुझ बहुत शर्म आ रही है यह सब करते।"

मैंने भी तुरंत कहा, "शर्म काहे की अब... और तुम्हारी छोटी बहन को तो भरे ट्रेन में चुदाते हुए शर्म नहीं आई और तुम यहाँ बन्द कमरे में... जब चुदना भी नहीं है इतना ड्रामा कर रही हो।"

फ़िर मैंने कहा, "अब दिखाओ न प्लीज विभा... अब अगर नहीं दिखाई और मुझे तुम्हारी पैन्टी उतारनी पड़ी तो आज जबर्दस्ती तुमको चोद देंगे... समझ लो... तुमको पता हीं है कि मैं वैसे भी बहनचोद हूँ।"

विभा अब हँसती हुई बोली, "छी... कैसा गन्दा बोलते है आप... पता नहीं स्वीटी को क्या समझ में आया। वहाँ कौलेज में तो इतना लड़का होगा फ़िर क्यों आपसे..."।

मैंने बीच में ही कहा, "क्योंकि भगवान मुझे बहनचोद और मेरी बहन को रंडी बनाने का सोचे हुए थे... अब दिमाग मत लगाओ और जल्दी से अपना बूर दिखाओ... मेरा मन पागल हुआ जा रहा है। प्लीज विभा.. प्लीज... मेरी प्यारी बहना... प्लीज दिखाओ न अपना बूर..."। एक छोटे बच्चे की तरह मचलते हुए से थोड़ा बच्चों की तोतली आवाज की नकल करते हुए अब यही रट लगाने लगा था, "दिखाओ ना विभा अपना बूर... दिखाओ ना बहना अपना बूर... दिखाओ ना दीदी अपना बूल(बूल)... मुझे देखना है दीदी तुम्हारा प्यारा-प्यारा बूल(बूर)... मेली(मेरी) प्याली दीदी, मेली(मेरी) छोनी(सोनी) दीदी... एक बाल(बार) दिखाओ ना दीदी अपना खजाना.. प्लीज दीदी... प्लीज... प्लीज... प्लीज..."।
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मुझे ऐसा करते देख कर उसकी तो हँसी छुट गई और आँखों में डबडबाए हुई आँसू गायब हो गए। विभा अब खिलखिला कर हँस दी। मैं अब और ज्यादा बच्चों की ऐक्टिंग करते हुए बोला, "मुझे तुम्हाला (तुम्हारा) दुद्दू (दुद्धू) पीना है... मम्मी अपना दुद्दू(दुद्धू) मेले(मेले) मुँह में दो ना... मुझे निप्पल चुस के दुद्दू (दुद्धू) पीना है... मुझे भूख लगी है... ऊंऊंऊं..ऊंऊंऊं..."। मैंने रोने की ऐक्टिंग की तो विभा की हँसी और जोर हो गई।

सिर्फ़ दो मिनट में उसका मूड पूरा से बदल गया था। अपनी हँसी को काबू में करते हुए वो अब बोली, "वोहो मेले(मेरे) प्याले(प्यारे) बेते(बेटे)... भुख्खु-भुख्खु.... आ जाओ दुद्दू(दुद्धू) देती हूँ और उसने सच में अपना दायाँ चुच्ची अपनी हथेली से पकड़ करके मेरी तरह आगे बढ़ा दिया और मैंने बिना समय गवाँए उसकी गुलाबी निप्पल अपने होठों में जकड़ के सही में चुभलाने लगा था। वो उम्मीद कर रही थी कि मैं एक बच्चे की तरह चुसुँगा पर मैं तो एक प्रेमी की तरह उसके चुचियों से खेलने लगा था और वो भी अब सिसकी लगाने लगी थी। जवानी की आग में उसका बदन तपने लगा था पर वो थी की पिघल हीं नहीं रही थी।
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( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


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Re: एक बार ऊपर आ जाईए न भैया compleet

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कुछ समय बाद मैं फ़िर से अलग हो कर अपनी पुरानी बात पे आ गया, "मम्मी.. अब अपना बूल(बूर) दिखाओ ना प्लीज"।

विभा को अब ऐक्टिंग में मजा आने लगा था तो भी बोली, "गन्दी बात... मम्मी की वो सब नहीं देखते... गन्दी बात होती है।"
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मैं बोला, "पल(पर) पापा को तो तुम दुद्दू(दुद्धू) भी पिलाती हो और अपना बूल(बूर) भी चातने(चाटने) देती हो... मुझे तो सिर्फ़ देखना है एक बाल(बार)।"

विभा बोली, "वो तुम्हारे पापा हैं बेटा, उनका हक है... वो तुम्को पैदा किए हैं..."।

मैंने आगे कहा, "मुझे सब पत्ता है... वो तुमको चोदे हैं तब मैं पैदा हुआ हूँ..."।


मेरा मन अब ज्यादा रुकने का नहीं था सो मैंने अब सीधे-सीधे कहा, "दिखाओ ना विभा... क्या ड्रामा कर रही हो... इतने से कम रीक्वेस्ट में तो विनीत अपनी कमसीन बेटी को मेरे सामने नंगा करके खड़ा कर देता।
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विभा भी अब अपने हाथ कमर पर ले जाकर अपनी पैन्टी में ऊँगली फ़ँसा कर बोली, "छी भैया... कैसे हैं आप, विनीत भैया की बेटी तो अभी बिल्कुल बच्ची है"।

मैं विभा की नंगी हो रही बूर पर नजरें टिकाए हुए बोला, "ऐसी बच्ची भी नहीं है अब, नींबू जितनी हो गई है उसकी छाती... विनीत का कहना है कि एक साल लगेगा नींबू को संतरा बनने में... और मैं कह रहा हूँ कि तीन महीने में दीपा की छाती संतरे जितनी हो जाएगी... १००० रु० की शर्त लगी है हम दोनों में।"

विभा अब अपना नंगापन भुल गई और बोली, "कितना गन्दा सोचते हैं आपलोग... बेचारी को पता भी नहीं होगा और आप दोनों दोस्त अभी से..."।

मैंने अब विभा से कहा, "छोड़े दीपा को... अभी उसको तैयार होने में समय लगेगा... तुम तो तैयार माल हो मेरी रानी"। मैं उसकी झाँटों से भरी बूर पर नजर टिकाए हुए था।

वो अभी भी हमारे शर्त के बारे में सोचते हुए बोली, "बेचारी दीपा... अभी गोद में खेलने की उम्र है उसकी और आप दोनों उसकी जवानी पर शर्त लगाए बैठे हैं"।
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मैंने कहा, "18 पार है... टीनएजर है अब एक साल से... और गोदी में तो लड़कियों को मर्द-लोग उम्र भर खिलाते हैं... आओ मेरी गोदी में मैं तुम्हें बीस की उम्र में भी गोदी में खिलाऊँगा... और जब तीस-चालीस की हो जाओगी तब भी... एक बार टीनएज में लड़की आई कि वो माल हो गई मर्दों के लिए"। मैंने हाथ पकड़ कर विभा को अपनी तरफ़ खींचा और फ़िर हल्के से घुमा कर उसको अपनी गोद में बिठा लिया। मैं बिस्तर के किनारे पैर नीचे लटका कर बैठा था और विभा मेरी गोद में ऐसे बैठी जैसे कुर्सी पर बैठी हो। उसका पीठ मेरे सीने से सटा था और मेरा लन्ड उसकी चुतड़ की फ़ाँक से दबा हुआ था। मैं अपने बाएँ हाथ से उसकी चुच्चियों को संभाले हुए था और दाहिने हाथ से उसकी झाँटों को सहला रहा था। कम-से-कम तीन इंच जरुर था झाँट सब, और वो खुब फ़ैला हुआ नहीं था। सब-का-सब बूर की फ़ाँक के इर्द-गिर्द हीं जमा हुआ था और फ़ाँक का कुछ अंदाजा नहीं चला, वो शायद अपना जाँघ भींच कर रखे हुए थी।
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(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


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