Hot stori घर का बिजनिस compleet

User avatar
jay
Super member
Posts: 9115
Joined: 15 Oct 2014 22:49
Contact:

Re: Hot stori घर का बिजनिस

Post by jay »


सारा दिन इसी तरह से गुजरा और शाम को 5:00 बजे अम्मी ने मुझसे कहा- जाकर अपनी बहन को आंटी के घर से ले आ…”

मैं उठा और दीदी को लाने चला गया और जैसे ही दीदी को लेकर घर की तरफ चला तो दीदी ने कहा- हाँ भाई सुनाओ, कैसा गुजरा सारा दिन?

मैंने कहा- दीदी, सारा दिन घर पे था, बहुत अच्छा गुजारा है…”

दीदी- भाई, एक बात पूछूं गुस्सा तो नहीं करोगे?

मैं- हाँ दीदी, पूछो क्या बात है?

दीदी- भाई, आप सारा दिन घर में थे और आप खुश हो इस सबसे?

मैं- क्या मतलब दीदी? मैं समझा नहीं आपकी बात?

दीदी- नहीं भाई, वो मेरा मतलब है कि घर में फारिग़ रहे हो ना, कोई काम नहीं (साफ पता चल रहा था कि दीदी ने बात बदल दी है)

मैं- “हाँ बाजी, मैं सारा दिन खुश रहा हूँ और अब तो मुझे नया काम भी संभालना है…”

दीदी ने मेरी बात सुनकर मेरी तरफ देखा और फिर से सर झुका लिया और घर आने तक मेरे साथ और कोई बात नहीं की और मैं भी घर आकर अपने रूम में चला गया। रूम में आकर मैं बेड पे लेट गया और आराम करने लगा।

तभी दीदी मेरे रूम में आ गई और बोली- “भाई, आपको बापू बुला रहे हैं…”

मैं उठा और दीदी के साथ बाहर निकला और बापू के रूम की तरफ चल पड़ा। जैसे ही मैं बापू के पास गया तो बापू अकेले ही बैठे हुये थे। मुझे देखते ही मुश्कुरा दिए और बोले- “आओ बेटा, बैठो यहाँ मेरे पास…”

मैं बापू के पास बैठ गया तो बापू ने मुझे एक चाभी पकड़ा दी और कहा- “ये लो बेटा, ये है मकान की चाबी जहाँ अब तुम सुबह से जाया करोगे…”

मैंने चाभी बापू के हाथ से पकड़ ली और कहा- बापू, दुकान का क्या होगा?

बापू मेरी बात सुनकर हँस पड़े और कहा- “पुरानी दुकान तो बिक गई है अब नयी को संभालो…”

मैं बापू की बात सुनकर हँस पड़ा और कहा- चलो ठीक है, कहाँ है ये दुकान?

बापू ने मुझे एक पाश एरिया के फ्लैट का, जो कि ग्राउंड फ्लोर पे ही था, पता बता दिया और कहा- “मैंने सब कुछ सेट करवा दिया है अब वहाँ कोई परेशानी नहीं होगी…”

मैं- “ठीक है बापू, मैं सुबह से वहाँ चला जाऊँगा…”

बापू- “चलो ठीक है, ऐसा करना कि खाना खाने के बाद रात को यहाँ मेरे पास आ जाना…”

मैं- क्यों बापू? कोई काम था क्या?

बापू- “हाँ बेटा, काम है इसीलिए तो बुला रहा हूँ तुम्हें…”

मैं बापू की बात सुनकर बोला- “ठीक है बापू, अब मैं चलता हूँ…” और रूम से बाहर आ गया बाहर बुआ और बाजी बैठी हुई थी।

मुझे देखते ही बुआ ने कहा- हाँ आलोक, क्या बोल रहे थे तेरे बापू?

मैंने बुआ को चाभी दिखाई और कहा- “नयी दुकान की चाबी देनी थी मुझे, बस और कुछ नहीं…”

मेरी बात सुनकर बुआ हँस पड़ी और बोली- “चलो अच्छा है, तेरी भी जान छूटी, पुरानी दुकान से…”

मैंने दीदी की तरफ देखा तो दीदी अजीब सी नजरों से मेरी तरफ देख रही थी जिसमें बे-यकीनी और दुख और हल्की सी खुशी सब कुछ था जिसको कि मैं समझ ना सका।

अब मैं वहाँ से अपने रूम की तरफ चल पड़ा और जाकर दीदी के बारे में सोचने लगा कि आखिर दीदी मेरी तरफ इस तरह क्यों देख रही थी? क्या दीदी जानती हैं कि बापू ने मुझे किस दुकान की चाबी दी है? और वहाँ कौन सा काम होना है?

खैर टाइम गुजरता गया और रात का खाना दीदी ही मेरे रूम में लेकर आई और झुक के मेरे सामने रखने लगी तो मेरी नजर दीदी की चूचियों को, जो कि ऊपर से हल्के से नजर आ रही थीं, देखने लगा क्योंकि दीदी ने ऊपर दुपट्टा नहीं लिया हुआ था।

दीदी खाना रखकर ऊपर उठी और मुझे अपनी चूचियों के अंदर घूरता हुआ देखा तो दीदी ने कहा- भाई, क्या देख रहे हो आप?

मैंने कहा- कुछ नहीं दीदी, मैं भला क्या देखूंगा?

दीदी मेरी बात सुनकर वापिस मुड़ गईं और मैं दीदी की गाण्ड की तरफ देखने लगा तो दीदी रूम के दरवाजे के पास रुकी और मुड़कर मेरी तरफ देखा और मुझे अपनी गाण्ड की तरफ देखता पाकर दीदी बाहर निकल गईं।
दीदी के जाने के बाद मैंने खाना खाया और बर्तन बगल में रख दिए और टाइम गुजरने का इंतेजार करने लगा। क्योंकि अभी मैंने बापू के रूम में भी जाना था।

रात के 10:00 बज चुके थे। अब मैं उठा और बापू के रूम की तरफ चल पड़ा, क्योंकि बापू ने मुझे बुलाया था। मैं जैसे ही बापू के रूम के बाहर पहुँचकर दरवाजे को हल्का सा दबाया तो वो खुलता चला गया और मैं रूम में दाखिल हो गया। रूम में बापू के साथ बुआ और अम्मी भी बैठी हुई थी।

मुझे आता देखकर अम्मी ने कहा- “चलो अच्छा हुआ कि तुम खुद ही आ गये वरना मैं अभी आ ही रही थी तुम्हें बुलाने के लिए…”

मैंने दरवाजे को लाक किया और जाकर बेड के करीब पड़ी चेयर पे बैठ गया और बोला- “क्यों अम्मी कोई खास बात है क्या? जो इस वक़्त आप सब यहाँ जमा हैं…”

बुआ ने कहा- “हाँ आलोक, बात तो खास ही है इसीलिए तो हम लोग जमा हुये हैं…”

मैं- “तो फिर मुझे भी बतायें कि क्या बात है? जिसने आप सबकी नींद उड़ा रखी है…”

अम्मी- “बेटा, बात ये है कि तेरी दीदी इस काम के लिए मान गई है और अब उसके लिए एक आदमी भी ढूँढ़ना था, जो कि तेरे बापू ने ढूँढ़ लिया है?

अम्मी की बात सुनकर दीदी का चेहरा मेरी आँखों के सामने घूम सा गया और मैंने कहा- तो इसमें जमा होने की क्या बात है?

बुआ- आलोक, बात ये है कि तेरी दीदी अभी तक कुँवारी है और वहाँ उसके पास भी तो किसी का होना जरूरी है ना।

मैं- बुआ, क्या जब लड़की शादी के बाद अपने पति के साथ जाती है तो वहाँ भी उसके रूम में कोई होता है क्या?

बापू मेरी बात सुनकर हँस पड़े और बोले- “यार, मैं भी इनको ये ही समझा रहा था लेकिन ये है ना जो तेरी बुआ… इसका बड़ा दिल है कि ये भी उस वक़्त अंजली के साथ ही हो…”

बुआ- “भाई, आप तो ना बस बात का बतंगड़ बना देते हो। मैं तो बस ऐसे ही बोल रही थी…”

Read my other stories

(^^d^-1$s7)
(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


Read my fev stories
(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
User avatar
jay
Super member
Posts: 9115
Joined: 15 Oct 2014 22:49
Contact:

Re: Hot stori घर का बिजनिस

Post by jay »

घर का बिजनिस --6

मैं- “देखो बुआ, आप इस माहौल से गुजर चुकी हो। मुझे नहीं लगता कि वो आदमी जो कि दीदी की सील खोलने के पैसे दे रहा है, उस वक़्त वहाँ किसी का रुकना पसंद करेगा और अगर उसने कुछ नहीं कहा तो हो सकता है कि दीदी ही बुरा मान जाये…”

अम्मी- “अंजली भला क्यों बुरा मानेगी? वो तो मेरी अच्छी बेटी है…”

मैं- “देखो अम्मी, मैं मानता हूँ कि वो आपकी बेटी है, आपकी किसी बात से इनकार नहीं करेगी। लेकिन ये भी तो सोचो कि दीदी का पहली बार होगा और वो एक तो एक अंजान आदमी के साथ होंगी और फिर हममें से वहाँ कोई होगा तो उसे कितनी शरम आएगी…”

बापू- “लेकिन बेटा, फिर भी वहाँ उसके पास किसी ना किसी का होना तो जरूरी है ना… चाहे बाहर ही सही…”

मैं- बापू, पहले तो आप ये बताओ कि दीदी को हमने भेजना कहाँ है?

बापू- “यार कहीं बाहर नहीं जाना है… वो जो मैंने तुम्हें फ्लैट की चाबी दी है ना वहाँ अंजली ही पहला काम करेगी…”

मैं- तो फिर परेशानी किस बात की है? मैं तो वहाँ हूँगा ही… आप लोग ऐसे ही परेशान हो रहे हैं…”

अम्मी- “ठीक है बेटा, तुम ऐसा करो कि सुबह अंजली को अपने साथ ही ले जाना। मैं उसे समझा दूँगी कि वो तुम्हारे साथ जाने से पहले थोड़ा तैयार हो जाये और एक अच्छा सा सूट भी साथ में ले जाये जो कि वहाँ जाकर पहन ले। क्योंकि यहाँ से जाते हुये अंजली को ऐसे कपड़ों में अगर किसी ने देख लिया तो तरह-तरह की बातें बनाता फिरेगा…”

अम्मी की बात से सबने इत्तेफाक किया और फिर बुआ उठी और मेरा हाथ पकड़कर बोली- “चलो आलोक तुम्हारे रूम में चलते हैं…”

अम्मी- क्यों? जो करना है यहाँ ही कर लो ना? हमसे कौन सा परदा है तुम्हें?

बापू- “हाँ भाई आलोक, ऐसा करो कि आज यहाँ हमारे रूम में ही सो जाओ तुम दोनों…”

अम्मी बापू की तरफ देखते हुये बोली- “मैं तो आज काफी थक गई हूँ। मैं आलोक के रूम में जाकर सो जाती हूँ और आप लोग यहाँ सो जाओ…”

अम्मी के जाते ही बापू ने बुआ की तरफ देखा और बोले- “चलो भाई, दरवाजा तो लाक कर दो…”

बुआ उठी और जाकर दरवाजा लाक करके मेरे पास आ गई और मुझे हाथ से पकड़कर बापू के पास बेड पे ले गई और बोली- “आलोक, दिन में तुमने पूछा था ना कि मुझे किसके साथ मजा आता है तो आ जाओ आज दिखाती हूँ तुम्हें…”

बुआ के इतना बोलते ही बापू ने बुआ को हाथ से पकड़ लिया और अपनी तरफ खींच लिया जिससे बुआ बापू के ऊपर गिर सी गई और फिर दोनों बहन-भाई किस करने लगे और बापू ने किस करने के साथ ही अपना एक हाथ पीछे करके बुआ की गाण्ड पे रख दिया। ये नजारा देखकर मेरा लण्ड भी शलवार में खड़ा हो गया और मैंने भी अपना हाथ आगे बढ़ा दिया और बुआ की कमर को सहलाने लगा। कुछ देर किस करने के बाद बापू ने बुआ को थोड़ा पीछे किया और बुआ की कमीज पकड़कर उतार दी।

और मेरी तरफ देखकर कहा- “आलोक, मेरी बहन की शलवार भी निकाल दो…”

बापू की बात ने मेरे लण्ड में आग सी लगा दी और मैंने अपने हाथ आगे बढ़ा दिए और बुआ की इलास्टिक वाली शलवार खींचकर नीचे गिरा दी और बुआ को नीचे से भी नंगा कर दिया और अपने होंठ बुआ की नंगी और गोरी गाण्ड पे रखकर एक चुम्मा ले लिया।

मेरे इस तरह चूमने से बुआ सिहर उठी और आअह्ह… भाई तेरा बेटा तो बड़ा हरामी है। देखो मेरी गाण्ड को चूम रहा है।

बापू ने हँसते हो बुआ की ब्रा से उसकी चूचियां को बाहर निकाल दिया और हाथों में पकड़कर बोले- आखिर बेटा किसका है?

बुआ ने कहा- “हाँ, जैसा मेरा हरामी भाई है, वैसा ही उसका बेटा भी होगा ना हेहेहेहेहे…”

अब मैं उठा और अपने कपड़े उतार दिए और बुआ की तरह नंगा हो गया और बुआ जो कि बापू के ऊपर झुकी उनसे अपनी चूचियां चुसवा रही थी, पीछे से उनकी टाँगों को थोड़ा खोला और अपना मुँह घुसाकर बुआ की फुद्दी पे अपनी जुबान घुमाने लगा। ऐसा करते वक़्त मेरा मुँह तो बुआ की फुद्दी को चाट रहा था लेकिन मेरी नाक बुआ की गाण्ड के सुराख के ऊपर थी और उसमें से आने वाली महक मुझे और भी दीवाना कर रही थी। मेरे इस तरह बुआ की फुद्दी चाटने से बुआ और भी गरम हो गई।

बुआ सिसकी- आअह्ह… आलोक, ये क्या कर रहा है बेटा? उन्म्मह… भाई देखो तुम्हारा बेटा क्या कर रहा है?
बापू ने बुआ की चूचियों से मुँह हटाकर मेरी तरफ देखा और मुझे इस तरह बुआ की गाण्ड में घुसा देखकर बापू भी खुश हो गये और बोले- “शाबाश बेटा, ये हुई ना बात… खा जा अपनी बुआ की फुद्दी को… साली की फुद्दी में बड़ी गर्मी है…”

कुछ देर इसी तरह चाटने के बाद पता नहीं मेरे दिल में क्या आई कि मैंने अपना मुँह थोड़ा ऊपर किया और अपनी जुबान को बुआ की गाण्ड के सुराख पे घुमा दिया जिससे मुझे तो बड़ा अजीब सा महसूस हुआ लेकिन बुआ तड़प ही उठी।

बुआ की गाण्ड पे जुबान लगते ही बुआ- “ऊओ… आलोक उन्म्मह… हाँ बेटा, यहाँ ही चाटो… बड़ा अच्छा लगा है बेटा आअह्ह…”

बापू ने कहा- क्या हुआ साली? इतना क्यों चिल्ला रही है? आज हम बाप बेटा तेरी फुद्दी में लगी आग को इतना ठंडा करेंगे कि तुझे नानी याद आ जायेगी हरामजादी कुतिया…”

अब मैं बड़े जोरों से बुआ की गाण्ड और फुद्दी पे अपनी जुबान घुमाने लगा था जिससे बुआ और भी मचल रही थी- “और आअह्ह… आलोक, खा जाओ अपनी बुआ की फुद्दी और गाण्ड को… उन्म्मह… भाई मैं जाने वाली हूंन… आअह्ह… म्माआ… मैं गई…” और इसके साथ ही बुआ के जिश्म को झटका सा लगा और बुआ की फुद्दी से मनी का फावरा सा निकला जो कि कुछ तो बापू के ऊपर गिरा जो कि बुआ के नीचे लेटे हुये थे और बाकी को मैं अपनी जुबान से लप्पर-ललप्पर करके चाट गया।
Read my other stories

(^^d^-1$s7)
(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


Read my fev stories
(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
User avatar
jay
Super member
Posts: 9115
Joined: 15 Oct 2014 22:49
Contact:

Re: Hot stori घर का बिजनिस

Post by jay »



बुआ फारिग़ होने के बाद निढाल सी हो गई तो बापू ने बुआ को बगल में लिटा दिया और खड़े होकर अपने कपड़े उतार दिए और मेरे सामने नंगे हो गये। बापू का लण्ड मुझसे काफी छोटा कोई 5½ और पतला भी था। अब बापू ने बुआ को बालों से पकड़कर उठा लिया और बुआ के मुँह में अपना लण्ड घुसा दिया और मुझसे कहा- “चल बेटा, घुसा दे अपनी इस गश्ती बुआ की फुद्दी में अपने लण्ड को…”

मैंने बापू की बात सुनी और बुआ की टांगें खोलकर बीच में आ गया और अपने लण्ड को बुआ की फुद्दी पे सेट किया और एक जोरदार झटके से लण्ड को बुआ की फुद्दी की गहराई में उतार दिया। मैंने बड़ी बुरी तरीके से बुआ की फुद्दी में लण्ड घुसाया था जिससे बुआ के मुँह से घूंन… घूवन्न… की आवाज ही निकल सकी। क्योंकि बापू ने बुआ को सर से पकड़कर उसके मुँह में अपना लण्ड घुसा रखा था और पकड़ा हुआ था जिससे बुआ के मुँह से कोई आवाज नहीं निकल सकी।

अब मैंने एक बार फिर से अपने लण्ड को सुपाड़े तक बुआ की फुद्दी से बाहर खींचा और एक तेज झटका दिया जिससे मेरा लण्ड बुआ की बच्चेदानी से जाकर जोर से टकराया क्योंकि मैंने बुआ की टाँगों को उसके कंधों के साथ दबा रखा था जिससे कि मेरा लण्ड जड़ तक बुआ की फुद्दी में घुस रहा था और बुआ तकलीफ से मचलने लगीं।

मेरे इन जोरदार धक्कों की वजह से बुआ अपने मुँह से बापू के लण्ड को बाहर निकालने की कोशिश करने लगी और घूंन… घूंन… ऊवन्न… की आवाज करने लगीं।

अब बापू ने बुआ के मुँह से अपना लण्ड निकाल लिया।

तो बुआ के मुँह से- आअह्ह… आसस्सीफफ्फ़ आराम से… फाड़नी है क्या? आराम से करो प्लीज़्ज़…”

अब बापू ने मेरे कंध पे हाथ रखा और मुझे रुकने का इशारा किया। मेरे रुकते ही बापू ने मुझे बुआ के ऊपर से हटा दिया और मुझे बेड पे लेटने को कहा। जैसे ही मैं लेटा तो बापू ने बुआ से कहा- “चल अब बैठ जा इसके लण्ड पे…”

और बुआ मेरे लण्ड पे बैठ गई तो मैंने बुआ को अपनी तरफ खींच लिया और किस करने लगा। बापू ने बुआ की गाण्ड पे थूक लगाकर अपने लण्ड को बुआ की गाण्ड पे रखकर और घुसाने लगे। तो बुआ ने मेरे साथ किस करना छोड़ दिया और सर को घुमाकर बापू की तरफ देखा और बोली- “नहीं भाई, प्लीज़्ज़… इस तरह बहुत दर्द होगा ऊओफफ्फ़…”

बापू ने बुआ की कोई बात नहीं सुनी और बार-बार अपने लण्ड को बुआ की गाण्ड में घिसते गये जिसका मुझे भी अपने लण्ड पे रगड़ से पता चल रहा था कि बापू रुक नहीं रहे हैं। बुआ का मुँह उस वक़्त लाल हो रहा था और आँखों से भी पानी निकल रहा था- “आऐ… भाईई नहीं प्लीज़्ज़ …निकालो बाहर… मेरी गाण्ड फट जायेगी भाई जान…” बापू ने बुआ की किसी बात पे कान नहीं धरा और अपने लण्ड को बुआ की गाण्ड में घुसा दिया और आहिस्ता से अंदर-बाहर करने लगे।

जिससे कि मुझे भी उतना ही मजा आने लगा जितना बापू को अंदर-बाहर में आ रहा होगा।

अब बापू बोले- “हाँ साली… अब बोल, मजा आ रहा है या माँ चुद गई है तेरी? हाँ बोल कुतिया…”

बुआ की आँखों से आँसू निकल रहे थे और बुआ- “भाईई प्लीज़्ज़… बड़ा दर्द हो रहा है मुझे… और नहीं करो… थोड़ा रुक जाओ भाईई… फट जायेगी मेरी गाण्ड…”

कुछ देर तक बापू आहिस्ता से बुआ की गाण्ड मारते रहे जिससे बुआ को थोड़ी राहत मिली और बुआ को भी मजा आने लगा जिससे बुआ बापू को- “हाँ भाईई, अब कुछ अच्छा लग रहा है। बस इसी तरह आराम से करना भाईई…”

मेरा इस तरह बुआ की फुद्दी में लण्ड घुसाकर लेटे रहने के बावजूद मजे से भी बुरा हाल था और मेरा लण्ड फटा जा रहा था और अब बापू भी फारिग़ होने के करीब ही थे तो बापू ने अब अपनी स्पीड को थोड़ा बढ़ा दिया और क्योंकि अब मुझसे भी बर्दाश्त नहीं हो रहा था जिसकी वजह से मैंने भी नीचे से अपने लण्ड को बुआ की फुद्दी में हिलाना शुरू कर दिया।

बुआ भी अब मजे से पागल हो रही थी- “हाँ भाईई… और तेज़्ज़ करो… ऊओ… भाई मैं गई… उन्हं… फाड़ दो मेरी गाण्ड और फुद्दी को कमीनो…”

बुआ की इन गालियों और सिसकियों ने हम बाप बेटे को भी पागल कर दिया था और बापू अब- “हाँ साली, ये ले… आज मैं अपने बेटे के साथ मिलकर तेरी गाण्ड और फुद्दी को फाड़ ही डालूंगा… ऊओ नीलम… मेरी बहना मैं गया…” और इसके साथ ही बापू बुआ की गाण्ड में ही फारिग़ हो गये और बगल में होकर लेट गये।

बापू के बाद मैं भी 5-6 झटके ही लगा सका और बुआ के साथ ही फारिग़ हो गया। फारिग़ होते ही बुआ मुझसे बुरी तरह लिपट गई और किस करने लगी और फिर इसी तरह मेरे ऊपर लेटकर लंबी-लंबी सांसें लेने लगी।

फारिग़ होने के कुछ देर के बाद बापू ने कहा- “चलो बेटा, अभी सो जाते हैं। काफी टाइम हो गया है सुबह तुमने अपनी बहन के साथ भी तो जाना है…”

बापू की बात सुनकर मैंने हाँ में सर हिला दिया और बुआ को अपने लण्ड से उतार दिया जो कि बुआ की फुद्दी में ही सो गया था। फिर मैं उठा और बाहर जाने के लिए कपड़े पहनने लगा तो बापू ने कहा- “आलोक कहाँ जा रहे हो? यहाँ ही सो जाओ…”

मैंने बापू की तरफ देखा और बोला- “बापू जरा नहाने जा रहा हूँ अभी आ जाऊँगा…”

बापू ने कहा- “यार सुबह ही नहा लेना। चलो अभी नींद पूरी कर लो…”

बापू की बात सुनकर मैं भी वहीं लेट गया और सोने की कोशिश करने लगा।

सुबह अम्मी के उठाने से मेरी आँख खुली तो 8:00 बज चुके थे। मैं उठा और सीधा बाथरूम में घुस गया और नहाकर बाहर निकला तो बुआ ने मुझे नाश्ता लाकर दिया। अभी मैं नाश्ते से फारिग़ ही हुआ था कि अम्मी मेरे पास आकर बैठ गई और बोली- हाँ तो बेटा रात कैसी गुजरी तुम्हारी?

मैंने अम्मी की तरफ देखा और कहा- “अम्मी, अगर आप भी हमारे साथ होती तो ज्यादा मजा आता…”

अम्मी- अच्छा ज्यादा बातें ना बना, जवान औरत की जगह मेरा भला क्या काम?

मैं- “अम्मी आप तो अभी जवान लड़कियों से भी ज्यादा प्यारी और मस्त हो…”

अम्मी- अच्छा जी, तो लगता है कि मेरे बेटे को अब मक्खन लगाना भी आ गया है…”

मैं- नहीं अम्मी, भला मैं आपको मक्खन कैसे लगा सकता हूँ? और हाँ बापू कहीं नजर नहीं आ रहे, कहाँ हैं?

अम्मी- “वो तेरे बापू जरा काम से गये हैं अभी आ जाते हैं तो तुम अंजली को लेकर निकल जाना…”

मैं- ठीक है अम्मी, दीदी कहाँ हैं? वो भी नजर नहीं आ रही?

अम्मी- “वो जरा साथ के मुहल्ले में गई है जरा बाल वगैरा सेट करवाने के लिए…”

फिर बुआ के आने के बाद हमारे बीच इधर-उधर की बातें होने लगी कि तभी बापू भी आ गये। उनके हाथ में एक पैकेट था जो कि बापू ने मुझे पकड़ा दिया और कहा- “इसे अपने साथ ले जाना…”

मैंने पैकेट पकड़ लिया और बापू से पूछा- बापू, इसमें क्या है?

बापू ने कहा- इसमें (ब्लैक डाग) है जो कि आज तुम्हें अपने साथ ले जानी है और अगर अरविंद साहब मांगें तो दे देना, ठीक है (अरविंद उस आदमी का नाम था जिसने आज मेरी बड़ी बहन को कली से फूल बनाना था)
मैंने कहा- ठीक है बापू, और कुछ?

तो बापू ने कहा- “नहीं बेटा, लेकिन देखो वहाँ जो भी हो अपने कान बंद रखना ओके…”

मैंने हाँ में सर हिला दिया और कहा- “जी बापू, मैं जानता हूँ कि दीदी का पहली बार है और उसे दर्द भी होगा, आप टेंशन नहीं लो…”

Read my other stories

(^^d^-1$s7)
(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


Read my fev stories
(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
User avatar
jay
Super member
Posts: 9115
Joined: 15 Oct 2014 22:49
Contact:

Re: Hot stori घर का बिजनिस

Post by jay »

घर का बिजनिस --7

मैंने हाँ में सर हिला दिया और कहा- “जी बापू, मैं जानता हूँ कि दीदी का पहली बार है और उसे दर्द भी होगा, आप टेंशन नहीं लो…”

अभी हम ये बातें ही कर रहे थे कि घर का बाहर के दरवाजे पर खटखट होने लगी। बुआ उठी और जाकर दरवाजा खोला तो दीदी अंदर आ गई जिसे देखकर एक बार तो मैं भी आँखें बंद करना ही भूल गया। अम्मी दीदी को देखकर उठी और और दीदी की गर्दन पे एक काला टिका सा लगा दिया और कहा- “नजर ना लगे मेरी बच्ची को बड़ी प्यारी लग रही है…”

दीदी अम्मी की बात से थोड़ा शर्मा गई तो बापू ने कहा- चलो आलोक, तुम भी तैयार हो जाओ और अंजली बेटी, तुम भी अपने कपड़े साथ ले लो। वहाँ ही तैयार हो जाना। ठीक है?

दीदी ने बापू की बात सुनकर हाँ में सर हिला दिया और रूम की तरफ चल पड़ी और मैं भी अपने रूम में आ गया और कपड़े चेंज करने लगा। अम्मी मेरे पीछे ही रूम में आ गईं और मुझे कपड़े बदलता देखकर बोली- “आलोक, अपनी बहन का ध्यान रखना बेटा… वो बड़ी नाजुक है…”

मैंने कहा- “अम्मी आप पेरशान ना हूँ मैं हूँगा ना वहाँ… दीदी को कुछ भी नहीं होगा…” और कपड़े पहनकर अम्मी का हाथ पकड़ लिया और बाहर आ गया।

दीदी भी जल्दी ही कपड़े बदलकर आ गई तो अम्मी और बुआ ने दीदी को अपने साथ लिपटाकर प्यार किया और फिर हम दोनों बहन-भाई एक साथ घर से बाहर निकल आए। दीदी को अपने साथ लेकर जाते हुये मेरे अहसासात बड़े अजीब से थे और एक बार तो मेरा दिल किया कि मैं दीदी को वापिस ले जाऊँ और इस गंदगी में गिरने से बचा लूं। लेकिन फिर अपने घर के और अपने हालात देखकर दीदी को अपने साथ फ्लैट की तरफ ले गया।

फ्लैट में आकर मैंने दीदी की तरफ देखा और कहा- “जाओ दीदी, आप रूम में और तैयार होकर आ जाओ…”
दीदी ने बड़ी अजीब नजरों से मुझे देखा और रूम में चली गई। जब दीदी को रूम में गये हुये 15 मिनट से ज्यादा हो गये तो मैंने दरवाजा खटखटाया और कहा- दीदी, क्या आप तैयार हो गई हो?
दीदी ने कहा- “जी भाई…”

तो मैं दरवाजा खोलकर अंदर चला गया। देखा तो दीदी टाइट जीन्स और शर्ट में कोई इंडियन ऐक्ट्रेस ही लग रही थी। मैं आँखें फाड़े दीदी की तरफ देखने लगा।

तो दीदी ने कहा- “भाई, खड़े क्यों हो? आ जाओ यहाँ बैठ जाओ…”

मैं जाकर दीदी के पास ही एक चेयर पे बैठ गया और दीदी से कहा- दीदी, आप खुश तो हो ना?

दीदी- भाई, आप खुश हो क्या?

मैं- दीदी, मैंने आपसे पूछा था और उल्टा मुझसे ही पूछने लगी हो?

दीदी- हाँ भाई, मैं खुश हूँ और आप?

दीदी का जवाब दीदी की आँखों का साथ नहीं दे रहा था इसलिए मैंने कहा- “दीदी, अगर आपके साथ कोई जबरदस्ती कर रहा है तो आप अभी भी वक़्त है मना कर दो मैं आपका साथ दूँगा…”

दीदी की आँखों से मेरी बात सुनकर दो आँसू निकल गये और दीदी ने कहा- “नहीं भाई, ये सब मैं अपनी मर्ज़ी और घर की खुशी के लिए कर रही हूँ किसी के जोर देने से नहीं…”

मैं- दीदी, अगर आप अपनी मर्ज़ी से कर रही हो तो फिर आपकी आँखों में आँसू कैसे हैं?

दीदी- “भाई, ये तो इसलिए आ गये कि मेरा भाई मुझे कितना चाहता है…”

मैं- “दीदी, सच कहूं तो मैंमें आपको सच में प्यार करता हूँ…”

दीदी- “पता है मुझे…” और सर झुका के बैठ गई और फिर हमारे बीच और कोई बात नहीं हुई।

तो मैं उठा और बाहर हाल में आकर बैठ गया कि तभी बाहर की बेल होने लगी। मैं उठा और जाकर दरवाजा खोला। देखा तो कोई 40 या 45 साल का आदमी था।

वो मुझे देखकर बोला- आप ही आलोक हो?

मैंने हाँ में सर हिलाया।

तो उसने कहा- अरे भाई, अंदर नहीं आने दोगे क्या? मेरा नाम अरविंद है और मेरा ख्याल है कि तुम्हें मेरा नाम बता दिया हो गया होगा…”

मैंने बगल में होकर अरविंद साहब को अंदर आने का रास्ता दिया और उसके अंदर आते ही दरवाजे को फिर से लाक कर दिया और उसे हाल में लाकर बिठा दिया।

तो उसने पूछा- कहाँ है भा, जिसने हमारा दिल चुरा लिया है?

मैं उसकी बात को समझ गया और उठकर दीदी को रूम से बुला लाया और अरविंद साहब के पास बिठा दिया। दीदी उस वक़्त बुरी तरह शर्मा रही थी।

अरविंद ने मेरी तरफ देखा और कहा- यार, यहाँ कोई पीने का इंतजाम नहीं है क्या?

मैंने कहा- “जी मैं अभी लता हूँ… और बगल से बोतल निकाली, जो कि बापू ने मुझे लाकर दी थी, टेबल पे रखा और किचेन से एक गिलास भी ले आया।

अरविंद ने कहा- यार, एक गिलास और ले आओ…

मैं लेकर आया तो उसने कहा- इसके साथ खाने के लिए कुछ नहीं है क्या?

मैंने इनकार में सर हिला दिया तो उसने किसी को काल की और कुछ खाने के लिए बोल दिया तो कुछ ही देर में एक आदमी जो कि ड्राइवर कि वर्दी में था खाने पीने का सामान लाकर दे गया। सामान के आते ही अरविंद ने बोतल खोली और दो गिलास बनाकर एक दीदी की तरफ बढ़ा दिया और दूसरा खुद पकड़ लिया।

दीदी का चेहरा उस वक़्त रोने वाला हो रहा था।

तो अरविंद ने कहा- “पी लो जान, इससे दिल बड़ा हो जाता है और शरम भी खतम हो जाती है…”

मैंने भी दीदी की तरफ देखा और इशारा किया कि वो बात मान ले और शराब पी ले।

दीदी ने आहिस्ता से एक घूँट लगाया और बुरा सा मुँह बना लिया जिससे अरविंद हाहाहाहा करके हँसने लगा और बोला- “अरे यार पी लो, शुरू में ऐसा ही होता है। बाद में ये अपना जादू दिखाती है…”

दीदी ने अरविंद की बात सुनकर एक ही सांस में गिलास खाली कर दिया।

तो अरविंद ने कहा- “ये नमकीन वगैरा भी लो ना साथ में, मजा आएगा…”

अरविंद की बात सुनकर दीदी ने नमकीन भी ले ली और खाने लगी। तभी अरविंद ने एक गिलास और दीदी की तरफ बढ़ा दिया और बोला- “यहाँ आ जाओ और मेरी गोदी में बैठकर पियो…”

दीदी ने एक बार मेरी तरफ देखा और मैंने हाँ में सर हिला दिया।

तो दीदी उठकर उसकी गोदी में बैठ गई और इस बार बड़े आराम से गिलास खतम किया और साथ नमकीन भी खाती रही।

अब अरविंद शराब भी पी रहा था और साथ दीदी की रानों को भी सहला रहा था जिस पे दीदी ने उसे मना नहीं किया। दीदी का चेहरा शराब पीने की वजह से अब काफी लाल हो रहा था और दीदी को हल्का सा पसीना भी आने लगा था। तो अरविंद ने कहा- “चलो जान, अब रूम में चलते हैं…” और दीदी को अपने साथ रूम में ले गया लेकिन दरवाजा बंद नहीं किया।

कोई 10 मिनट तक रूम में से बस से आअह्ह… की आवाजें ही आती रहीं क्योंकि पता नहीं रूम में क्या हो रहा था? मैंने नहीं देखा। मुझे हिम्मत ही नहीं हो रही थी।

तभी अरविंद ने आवाज दी और कहा- “अरे यार, क्या नाम है तेरा? जरा बाहर से बोतल ही ला दे यार…”

मैं गिलास और बोतल के साथ जब रूम में गया तो दीदी वहाँ जमीन पे बिल्कुल नंगी बैठी हुई थी और उसके मुँह में अरविंद का लण्ड था जिसे दीदी चूस रही थी।

अरविंद ने कहा- “यहाँ रखो और जरा एक गिलास बनाकर मुझे पकड़ा दो…”

मैंने गिलास बनाकर उसे दिया।

तो उसने गिलास पकड़ लिया और बोला- यार, जरा इसको रंडी बनाने से पहले लौड़ा चूसना तो सिखा देते?

मैंने कहा- जी बस अभी नहीं आता है ना इसलिए आप ही सिखा लो… जो कहोगे, आपको मना नहीं करेगी…”

अरविंद ने कहा- हाँ यार, ये तो सच कहा तू ने…” और मुझे कहा- “तू भी अपने लिए एक गिलास बना ले…”

मैं वहाँ से हटा और एक गिलास अपने लिए भी बना लिया कि तभी अरविंद ने जोर से कहा- साली लण्ड पे काटती क्यों है? और दीदी को बालों से पकड़कर उठा लिया और बेड पे फेंक दिया और दीदी की टाँगों को उठा दिया और बोला- “अब देख कि मैं कैसे तेरी फुद्दी को चाटता हूँ…”

मैं गिलास पकड़कर वहीं खड़ा रहा और दीदी की क्लीन और कुँवारी फुद्दी का नजारा लेता रहा और दीदी भी मेरी ही तरफ देख रही थी कि तभी अरविंद ने कहा- चल अब जा यहाँ से कि यहाँ ही खड़ा रहेगा?

मैं अरविंद की बात सुनकर चुपचाप वहाँ से बाहर आ गया और बैठकर शराब पीने लगा। कुछ ही देर हुई थी कि मुझे रूम में से दीदी की दर्द में डूबी हुई- “आऐ रुको भाईई…” की आवाज सुनाई दी।

लेकिन मैं जानता था कि दीदी की आवाज क्यों आ रही है इसलिए मैं वहाँ ही बैठा रहा। कुछ देर तक दीदी- “नहीं प्लीज़्ज़… बाहर निकालो… मैं मर गई… ऊओ भाईई… मुझे बचा लो भाईई…” लेकिन उसके कोई 2-3 मिनट के बाद दीदी की मजे से- “आअह्ह… सस्स्सीई… आहिस्ता करो… उन्म्मह…” की आवाजें फ्लैट में गूँजती रही और फिर पूरे फ्लैट में सकून सा छा गया।

Read my other stories

(^^d^-1$s7)
(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


Read my fev stories
(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
User avatar
jay
Super member
Posts: 9115
Joined: 15 Oct 2014 22:49
Contact:

Re: Hot stori घर का बिजनिस

Post by jay »

घर का बिजनिस --8

खामोशी होने के बाद मुझे अरविंद ने आवाज दी। जब मैं अंदर गया तो वो उस वक़्त रूम में खड़ा हुआ दीदी की टाँगों और बेड पे गिरे हुये खून को देख रहा था। मैंने भी जब दीदी की खून से भरी हुई फुद्दी की तरफ देखा तो एक बार परेशान हो गया। लेकिन दीदी के चेहरा पे हल्की सी मुश्कान साफ नजर आ रही थी।

मुझे अरविंद ने कहा- “यार, सच में तेरी बहन ने बहुत मजा दिया है… दिल तो कर रहा है कि अभी फिर से चोद डालूं… लेकिन नहीं मुझे अभी जाना है फिर कभी सही…” और पास ही पड़े अपने कपड़े उठाकर उनमें से ₹10,000 मुझे और ₹10,000 ही दीदी को दिए और बोला- “ये रख लो, मैं तुम्हें अपनी खुशी से दे रहा हूँ…” और कपड़े पहनकर निकल गया।

मैं भी अरविंद के पीछे ही निकला और जाकर दरवाजा लाक करके वापिस दीदी के पास आया तो दीदी अपने घर वाले कपड़े लेकर वाश-रूम में जा रही थी। दीदी के वाश-रूम में जाते ही मैंने बेड से चादर उतार दी और उसे अलमारी में रख दिया और बाकी बची हुई शराब की बोतल को उठाकर बगल में रख दिया और दीदी की वापसी का इंतजार करने लगा।

दीदी जब रूम से वापिस आई तो हल्का सा लड़खड़ा रही थी। मैं आगे बढ़ा और जाकर दीदी को एक बाजू से पकड़कर बेड तक लाया और बेड पे बिठा दिया और बोला- दीदी, आप ठीक हो ना?

दीदी मेरी आँखों में देखकर हल्का सा मुश्कुराई और बोली- “हाँ भाई, मैं ठीक हूँ…”

मैं- “दीदी, अगर आप बोलो तो मैं आपको अभी घर ले चलूं…”

दीदी- क्यों भाई? मैं यहाँ तुम्हारी दुकान पे नहीं रह सकती क्या?

मैं दीदी की बात से काफी शर्मिंदा हुआ और बोला- “क्यों नहीं दीदी? आपका जितना दिल करे यहाँ रहो…”

दीदी- “भाई, तुम मेरी बात का कोई गलत मतलब नहीं लेना। मैं आपको तना नहीं दे रही। लेकिन ये भी तो सच ही है ना कि ये आपकी दुकान है और मैं आपकी दुकान का सामान हूँ…”

मैंने दीदी की तरफ देखा जो कि मुझे ही देख रही थी बोला- “हाँ दीदी, बात तो आपकी सच ही है…”

दीदी ने मेरा हाथ पकड़कर अपने हाथ में भर लिया और दोनों हाथों से सहलाने लगी और बोली- “भाई, आप बहुत अच्छे हो…”

मैं- “दीदी, आप भी बहुत अच्छी हो और जो आपने अपने और हम सबके लिए ये जो कदम उठाया है इससे मैं और भी आपसे प्यार करने लगा हूँ…”

दीदी- “अच्छा भाई, अब मैं कुछ देर आराम कर लूँ फिर घर की तरफ चलते हैं…”

मैं- “दीदी, अगर आप कहो तो मैं आपको थोड़ा दबा दूँ इससे आपको आराम मिलेगा…”

दीदी कुछ देर तक मेरी आँखों में देखती रही और फिर दीदी ने कहा- “ठीक है, दबा दो…”

अब मैं दीदी के साथ ही बेड पे आ गया और दीदी के पैरों की तरफ बैठ गया और दीदी की टांगें दबाने लगा और दीदी ने अपनी आँखें बंद कर लीं।

कुछ देर तक मैं बारी-बारी दोनों टाँगों को दबाता रहा और फिर मैं अपने हाथ दीदी की रानों तक ले गया और दबाने से ज्यादा सहलाने लगा। दीदी ने अपनी आँखों को खोला और मेरी तरफ देखकर कहा- “भाई, अगर आप इसी तरह दबाना चाहते हो तो जरा ठहरो मैं उल्टी होकर लेट जाती हूँ आप दबा लो…”

मैं दीदी की बात से खुश हो गया और दीदी के उल्टा लेटते ही दीदी की रानों को दबाने लगा और सहलाने लगा। दीदी क्योंकि आराम से लेटी हुई थी इसलिए मैं अपने हाथों को आहिस्ता से खिसकता हुआ दीदी की नरम और गोल-गोल चूतड़ों तक ले गया और अचानक दिल को बड़ा करके दीदी की गाण्ड को भी हल्का सा दबा दिया। दीदी की गाण्ड को मैंने जैसे ही दबाया दीदी के मुँह से हल्की से उन्म्मह… की आवाज निकली जिसे सुनते ही मैं समझ गया कि दीदी भी पूरा मजा ले रही हैं।

अब मैं दीदी की गाण्ड से थोड़ा नीचे रानों के ऊपर बैठ गया और अपने लण्ड जो कि दीदी की नरम गाण्ड पे हाथ फेरने की वजह से पूरा हार्ड हो चुका था दीदी की गाण्ड के ऊपर टिका दिया और दीदी के कंधे दबाने लगा। दीदी ने भी अपनी गाण्ड को हल्का सा मेरे लण्ड की तरफ दबा दिया जिससे मुझे और भी मजा आने लगा और मैं दीदी की गाण्ड पे अपने लण्ड को इसी तरह रगड़ता रहा और दीदी को दबाता रहा।

कुछ देर के बाद दीदी ने अपना मुँह मेरी तरफ घुमाया और कहा- “भाई, अभी बस करो बाद में दबा देना अब हमें घर जाना चाहिए…”

दीदी की बात सुनकर मैं थोड़ा होश में आ गया और खड़ा हो गया जिससे दीदी को मेरा खड़ा लण्ड साफ नजर आने लगा और दीदी भी अब बिना शरम किए मेरे लण्ड को ही घूर रही थी।

मैं वहाँ से सीधा वाश-रूम में गया और मूठ लगाकर अपने लण्ड को ठंडा किया और दीदी के पास वापिस आ गया और बोला- “चलो दीदी चलते हैं…”

दीदी ने उठकर अपनी जीन्स शर्ट जो कि फर्श पे पड़ी हुई थी उठाकर अलमारी में रखी और फिर तैयार होकर मेरे साथ चल पड़ी।

मैंने कहा- दीदी, आपने अपनी ड्रेस यहाँ क्यों छोड़ दी है घर लेकर नहीं जानी क्या?

दीदी ने कहा- भाई, ये कपड़े यहाँ के लिए हैं। हमारे मुहल्ले में नहीं पहन सकते तो फिर यहाँ ही रहने दो घर लेकर जाने का क्या फायदा?

हम फ्लैट से निकले और एक रिक्सा में बैठकर घर आ गये और आते ही अम्मी ने दीदी को अपने साथ रूम में बुला लिया। क्योंकि बाकी बहनें भी उस वक़्त घर पे ही थीं।

अभी मैं जाकर रूम में बैठा ही था कि पायल भागती हुई मेरे रूम में आ गई और बोली- भाई खाना लायें आपके लिए?

मैंने कहा- “हाँ ले आओ…”

और पायल उसी तरह भागती हुई वापिस चली गई तो मैं उसके भागने की वजह और कुछ शराब के असर से अपनी छोटी बहन की गाण्ड को घूरने लगा जो कि दीदी की गाण्ड से कुछ बड़ी ही थी। ये ख्याल आते ही कि पायल की गाण्ड दीदी से बड़ी है मैं सोच में पड़ गया कि कहीं पायल किसी से चुदवा तो नहीं चुकी? ये ख्याल आया ही था तो मैं दिल में हँस पड़ा कि नहीं अभी वो बच्ची है लेकिन उसकी गाण्ड मेरे इस तसोर के लिए काफी थी

जैसे ही पायल खाना लेकर आई मैंने कहा- “बैठो यहाँ…”

और जैसे ही पायल मेरे पास बैठी तो सून्न… ससून्न… करके कुछ सूँघने लगी
मैंने कहा- “क्या हुआ बच्चे? क्या सूँघ रही हो तुम? हाँ…”

पायल ने कहा- भाई, आपको कोई अजीब सी महक नहीं आ रही है क्या?
मैं- “कैसी महक बच्चे? मुझे तो नहीं आ रही…”

पायल- लगता है कि काफी दिन हो गये आपके रूम की सफाई नहीं हुई… चलो कोई बात नहीं मैं हूँ ना, कर दूँगी…”

मैं- अच्छा, ज्यादा बातें ना बना और ये बताओ कि पढ़ाई कैसी चल रही है तुम्हारी?

पायल- भा, वो तो एकदम मस्त चल रही है लेकिन भाई?

मैं- हाँ बोलो, लेकिन क्या बात है? जो तुम मुझसे करना चाहती हो और कर नहीं पा रही?

पायल- “भाई, मुझे ना अपने कालेज़ की तरफ से एक ट्रिप के लिए जाना है। अम्मी से पूछा तो उन्होंने पापा की तरफ भेज दिया और पापा ने कहा कि अपने भाई से बात कर लो…”

मैं- अच्छा, कब जाना है तुम्हें?

“भाई, 3 दिन बाद जाना है अगर आप बोलो तो मैं सुबह हाँ बोल दूँ क्या?

मैं- नहीं, मैं कल बताऊँगा तुम्हें जाना है कि नहीं…” और तब तक मैं खाना खा चुका था और पायल को बोला- “चलो बर्तन उठा लो और जाओ यहाँ से और अम्मी को भेज देना…”

पायल के जाने के कुछ ही देर के बाद अम्मी मेरे पास आ गई तो मैंने अम्मी को दरवाजा लाक करने के लिए बोला। अम्मी दरवाजा लाक करके मेरे पास आई तो मैंने कहा- पायल आपने को मेरे पास क्यों भेजा था?

अम्मी ने कहा- बेटा, तुमने कहीं पायल को हाँ तो नहीं कर दी है क्या?

मैं- नहीं अम्मी, अभी हाँ तो नहीं की लेकिन मना भी नहीं किया है… क्यों कोई खास बात है क्या?

अम्मी- “हाँ बेटा, ऋतु ने मुझे कुछ दिन पहले ये बताया था कि पायल किसी लड़के के चक्कर में है और मुझे लगता है कि ये भी इसका कोई ड्रामा ही होगा…”

मैं- अम्मी, मैं ऐसा करता हूँ कि कल पायल के कालेज़ जाता हूँ और वहाँ से पता करता हूँ कि कोई ट्रिप है या नहीं? और अगर है तो कब की है?

अम्मी- हाँ, ये ठीक रहेगा। इस तरह कम से कम हमें पता तो चल ही जायेगा?

मैं- “ठीक है अम्मी, मैं सुबह पता करके आपको बता दूँगा और फिर जो करना हुआ आप मुझे बता देना…”
अम्मी- अच्छा ये बता, अंजली ने परेशानी तो नहीं खड़ी की वहाँ?

मैं- “नहीं अम्मी, ऐसा कुछ भी नहीं हुआ और दीदी ने सब कुछ आराम से कर लिया था…”

अम्मी- और तू ने कुछ नहीं किया क्या?

मैं- नहीं अम्मी, आपको तो पता है कि दीदी का पहली बार था और खून भी काफी निकला था इसलिए मैंने कोई रिस्क लेना मुनासिब नहीं समझा…”

अम्मी- चल ठीक है, तू आराम कर…” और उठकर मेरे रूम से निकल गईं। मैं भी कुछ देर के बाद उठकर घर से निकल आया और अपने दोस्तों के साथ घूमता फिरता रहा और फिल्म भी देखी और रात को 11:00 बजे घर आया और आते ही सो गया।

सुबह उठा तो पायल और ऋतु पढ़ने के लिए जा चुकी थीं। मैंने नहाकर कपड़े बदली किए और नाश्ता करके पायल के कालेज़ की तरफ निकल गया। कालेज़ पहुँचकर मैं सीधा प्रिन्सिपल के ओफिस गया और उससे पायल की क्लास का बताकर पूछा- क्या कोई ट्रिप जा रहा है कालेज़ की तरफ से?

टीचर ने हाँ में सर हिला दिया और कहा- “जी आज से ठीक 3 दिन के बाद जा रहा है…”

मैंने कहा- “थैंक्स सर… अब मुझे इजाजत दें…” और उठकर घर की तरफ चल पड़ा।

सारे रास्ते मैं ये ही सोचता रहा कि आखिर पायल ने एक दिन पहले जाने का क्यों बताया? क्या सच में वो किसी और के साथ चुदाई के लिए जाना चाहती है? या कोई और बात है?

Read my other stories

(^^d^-1$s7)
(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


Read my fev stories
(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
Post Reply