Hindi sexi stori मैं हूँ हसीना गजब की compleet

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Re: Hindi sexi stori मैं हूँ हसीना गजब की

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जब मेरे कपड़ों के अंदर से झँकते मेरे नग्न बदन को देख कर उनके

कपड़ों अंदर से लिंग का उभार दिखने लगता. ये देख कर मैं भी गीली

होने लगती और मेरे निपल्स खड़े हो जाते. लेकिन मैं इन रिश्तों का

लिहाज करके अपनी तरफ से संभोग की अवस्था तक उन्हे आने नही देती.

एक चीज़ जो घर आने के बाद पता नही कहा और कैसे गायब हो गयी

पता ही नही चला. वो थी हम दोनो की शवर के नीचे खींची हुई

फोटो. मैं मथुरा रवाना होने से पहले पंकज से पूछि मगर वो

भी

पूरे घर मे कहीं भी नही ढूँढ पाया. मुझे पंकज पर बहुत

गुस्सा आ रहा था. पता नही उस अर्धनग्न तस्वीर को कहाँ रख दिए

थे. अगर ग़लती से भी किसी और के हाथ पड़ जाए तो?

खैर हम वहाँ से मथुरा आ गये. वहाँ हुमारा एक शानदार मकान था.

मकान के सामने गार्डेन और उसमे लगे तरह तरह के पूल एक दिलकश

तस्वीर तल्लर करते थे. दो नौकर हर वक़्त घर के काम काज मे

लगे

रहते थे और एक गार्डनर भी था. तीनो गार्डेन के दूसरी तरफ बने

क्वॉर्टर्स मे रहते थे. शाम होते ही काम निबटा कर उन्हे जाने को कह

देती. क्योंकि पंकज के आने से पहले मैं उनके लिए बन संवर कर

तैयार रहती थी.

मेरे वहाँ पहुँचने के बाद पंकज के काफ़ी सबॉर्डिनेट्स मिलने के

लिएआए. उसके कुच्छ दोस्त भी थे. पंकज ने मुझे खास खास कॉंट्रॅक्टर्स

सेभी मिलवाया. वो मुझे हमेशा एक दम

बन ठन के रहने के लिए कहते थे. मुझे सेक्सी और एक्सपोसिंग कपड़ों

मे रहने के लिए कहते थे. वहाँ पार्टीस और गेट टुगेदर मे सब

औरतें एक दम सेक्सी कपड़ों मे आती थी. पंकज वहाँ दो क्लब्स का मेंबर

था. जो सिर्फ़ बड़े लोगों के लिए था. बड़े लोगों की पार्टीस देर रात

तक चलती

थी और पार्ट्नर्स बदल बदल कर डॅन्स करना, उल्टे सीधे मज़ाक

करना और एक दूसरे के बदन को छुना आम बात थी.

शुरू शुरू मे तो मुझे बहुत शर्म आती थी. लेकिन धीरे धीरे मैं

इस महॉल मे ढाल गयी. कुच्छ तो मैं पहले से ही चंचल थी और

पहले गैर मर्द मेरे नंदोई ने मेरे शर्म के पर्दे को तार तार कर

दिया

था. अब मुझे किसी भी गैर मर्द की बाँहों मे जाने मे ज़्यादा झिझक

महसूस नही होती थी. पंकज भी तो यही चाहता था. पंकज चाहता

था की मुझे सब एक सेडक्टिव

महिला के रूप मे जाने. वो कहते थे की "जो औरत जितनी फ्रॅंक और

ओपन

माइंडेड होती है उसका हज़्बेंड उतनी ही तरक्की करता है. इन सबका

हज़्बेंड के रेप्युटेशन पर एवं उनके बिज़्नेस पर भी फ़र्क पड़ता है."

हर महीने एक-आध इस तरह की गॅदरिंग हो ही जाती थी. मैं इनमे

शामिल होती लेकिन किसी गैर मर्द से जिस्मानी ताल्लुक़ात से झिझकति

थी.नाच गाने तक और ऊपरी चूमा चाती तक भी सही था. लेकिन जब

बातबिस्तर तक आ जाती तो मैं. चुप चाप अपने को उससे दूर कर लेती थी.

वहाँ आने के कुच्छ दीनो बाद जेठ और जेठानी वहाँ आए हुमारे पास.

पंकज भी समय निकाल कर घर मे ही घुसा रहता था. बहुत मज़ा आ

रहा था. खूब हँसी मज़ाक चलता. देर रात तक नाच गाने का प्रोग्रामम

चलता रहता था. कमल्जी और कल्पना भाभी काफ़ी खुश मिज़ाज के थे.

उनके चार साल हो गये थे शादी को मगर अभी तक कोई बच्चा नही

हुआ था. ये एक छ्होटी कमी ज़रूर थी उनकी जिंदगी मे मगर बाहर से

देखने मे क्या मज़ाल कि कभी कोई एक शिकन भी ढूँढ ले चेहरे पर.

एक दिन तबीयत थोरी ढीली थी. मैं दोपहर को खाना खाने के बाद

सोगयी. बाकी तीनो ड्रॉयिंग रूम मे गॅप शॅप कर रहे थे. शाम तक

यहीसब चलना था इसलिए मैं अपने कमरे मे आकर कपड़े बदल कर एक हल्का

सा फ्रंट ओपन गाउन डाल कर सो गयी. अंदर कुच्छ भी नही पहन

रखाथा. पता नही कब तक सोती रही. अचानक कमरे मे रोशनी होने से

नींद खुली. मैने अल्साते हुए आँखें खोल कर देखा बिस्तर पर मेरे

पास जेत्जी बैठे मेरे खुले बालों पर प्यार से हाथ फिरा रहे थे.

मैं हड़बड़ा कर उठने लेगी तो उन्हों ने उठने नही दिया.

"लेटी रहो." उन्हों ने माथे पर अपनी हथेली रखती हुए कहा " अब

तबीयत कैसी है स्मृति"

" अब काफ़ी अच्च्छा लग रहा है." तभी मुझे अहसास हुआ कि मेरा गाउन

सामने से कमर तक खुला हुआ है और मेरी रेशमी झांतों से भरी

योनिजेत्जी को मुँह चिढ़ा रही है. कमर पर लगे बेल्ट की वजह से पूरी

नंगी होने से रह गयी थी. लेकिन उपर का हिस्सा भी अलग होकर एक

निपल को बाहर दिख़रही थी. मैं शर्म से एक दम पानी पानी हो

गयी.

मैने झट अपने गाउन को सही किया और उठने लगी. ज्त्जी ने झट अपनी

बाहों का सहारा दिया. मैं उनकी बाहों का सहारा ले कर उठी लेकिन सिर

ज़ोर का चकराया और मैने सिर की अपने दोनो हाथों से थाम लिया.

जेत्जी

ने मुझे अपनी बाहों मे भर लिया. मैं अपने चेहरे को उनके घने बलों

से भरे मजबूत सीने मे घुसा कर आँखे बंद कर ली. मुझे आदमियों

का घने बलों से भरा सीना बहुत सेक्सी लगता है. पंकज के सीने

पर बॉल बहुत कम हैं लेकिन कमल्जी का सीना घने बलों से भरा

हुआहै. कुच्छ देर तक मैं यूँ ही उनके सीने मे अपने चेहरे को च्चिपाए

उनके बदन से निकलने वाली खुश्बू अपने बदन मे समाती रही. कुकछ

देर बाद उन्हों ने मुझे अपनी बाहों मे सम्हल कर मुझे बिस्तर के

सिरहाने से टीका कर बिठाया. मेरा गाउन वापस अस्तव्यस्त हो रहा था.

जांघों तक टाँगे नंगी हो गयी थी.

मुझे एक चीज़ पर खटका हुआ कि मेरी जेठानी कल्पना और पंकज नही

दिख रहे थे. मैने सोचा कि दोनो शायद हमेशा की तरह किसी

चुहलबाजी मे लगे होंगे. कमल्जी ने मुझे बिठा कर सिरहाने के पास

से चाइ का ट्रे उठा कर मुझे एक कप चाइ दी.

" ये..ये अपने बनाई है?" मैं चौंक गयी.क्योंकि मैने कभी जेत्जी

को

किचन मे घुसते नही देखा था.

"हाँ. क्यों अच्छि नही बनी है?" कमल जी ने मुस्कुराते हुए मुझे

पूचछा.

"नही नही बहुत अच्छि बनी है." मैने जल्दी से एक घूँट भर कर

कहा" लेकिन भाभी और वो कहाँ हैं?"

"वो दोनो कोई फिल्म देखने गये हैं 6 से 9" कल्पना ज़िद कर रही थी

तो

पंकज उसे ले गया है.

" लेकिन आप? आप नही गये?" मैने असचर्या से पूचछा.

"तुम्हारी तबीयत खराब थी. अगर मैं भी चला जाता तो तुम्हारी देख

भाल कौन करता?" उन्हों ने वापस मुस्कुराते हुए कहा फिर बात बदले

के लिए मुझसे आगे कहा," मैं वैसे भी तुमसे कुच्छ बात कहने के

लिए एकांत खोज रहा था."
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Re: Hindi sexi stori मैं हूँ हसीना गजब की

Post by rajaarkey »



"क्यों? ऐसी क्या बात है?"

"तुम बुरा तो नही मनोगी ना?"

" नही आप बोलिए तो सही." मैने कहा.

"मैने तुमसे पूच्छे बिना देल्ही मे तुम्हारे कमरे से एक चीज़ उठा ली

थी." उन्हों ने सकुचते हुए कहा.

"क्या ?"

"ये तुम दोनो की फोटो." कहकर उन्हों ने हुम्दोनो की हनिमून पर

विशालजी द्वारा खींची वो फोटो सामने की जिसमे मैं लगभग नग्न

हालत मे पंकज के सीने से अपनी पीठ लगाए खड़ी थी. इसी फोटो को

मैं अपने ससुराल मे चारों तरफ खोज रही थी. लेकिन मिली ही नही

मिलती भी तो कैसे. वो स्नॅप तो जेत्जी अपने सीने से लगाए घूम रहे

थे. मेरे होंठ सूखने लगे. मैं फ़टीफटी आँखों से एकटक उनकी

आँखों मे झँकति रही. मुझे उनकी गहरी आँखों मे अपने लिए प्यार का

अतः सागर उफनते हुए दिखा.

"एयेए....आअप ने ये फोटो रख ली थी?"

"हाँ इस फोटो मे तुम बहुत प्यारी लग रही थी. किसी जलपरी की

तरह. मैं इसे हमेशा साथ रखता हूँ."

" क्यों....क्यों. ..? मैं आपकी बीवी नही. ना ही प्रेमिका हूँ. मैं आपके

छ्होटे भाई की बीबी हूँ. आपका मेरे बारे मे ऐसा सोचना भी उचित

नही है." मैने उनके शब्दों का विरोध किया.

" सुन्दर चीज़ को सुंदर कहना कोई पाप नही है." कमल ने कहा," अब

मैं अगर तुमसे नही बोलता तो तुमको पता चलता? मुझे तुम अच्छि

लगती हो इसमे मेरा क्या कुसूर है?"

" दो वो स्नॅप मुझे दे दो. किसी ने उसको आपके पास देख लिया तो बातें

बनेंगी." मैने कहा.

" नही वो अब मेरी अमानत है. मैं उसे किसी भी कीमत मे अपने से अलग

नही करूँगा."

मैं उनका हाथ थाम कर बिस्तर से उतरी. जैसे ही उनका सहारा छ्चोड़

कर

बाथरूम तक जाने के लिए दो कदम आगे बढ़ी तो अचानक सिर बड़ी ज़ोर

से घूमा और मैं लड़खड़ा कर गिरने लगी. इससे पहले की मैं ज़मीन

पर भरभरा कर गिर पड़ती कमल जी लपक कर आए. और मुझे अपनी

बाहों मे थाम लिया. मुझे अपने बदन का अब कोई ध्यान नही रहा. मेरा

बदन लगभग नग्न हो गया था. उन्हों ने मुझे अपनी बाहों मे फूल की

तरह उठाया और बाथरूम तक ले गये. मैने गिरने से बचने के लिए

अपनी बाहों का हार उनकी गर्दन पर पहना दिया. दोनो किसी नौजवान

प्रेमी युगल की तरह लग रहे थे. उन्हों ने मुझे बाथरूम के भीतर

ले जाकर उतारा.

"मैं बाहर ही खड़ा हूँ. तुम फ्रेश हो जाओ तो मुझे बुला लेना. सम्हल

कर उतना बैठना" कमल जी मुझे हिदयतें देते हुए बाथरूम के

बाहर

निकल गये और बाथरूम के दरवाजे को बंद कर दिया. मैं पेशाब

करके

लड़खड़ते हुए अपने कपड़ों को सही किया जिससे वो फिर खुल कर मेरे

बदन को बेपर्दा ना कर दें. मैं अब खुद को ही कोस रही थी की

किसलिए

मैने अपने अन्द्रूनि वस्त्र उतारे. मैं जैसे ही बाहर निकली तो बाहर

दरवाजे पर खड़े मिल गये. उन्हों ने मुझे दरवाजे पर देख कर

लपकते हुए आगे बढ़े और मुझे अपनी बाहों मे भर कर वापस बिस्तर

पर ले आए.

मुझे सिरहाने पर टीका कर मेरे कपड़ों को अपने हाथों से सही कर

दिया. मेरा चेहरा तो शर्म से लाल हो रहा था.

"अपने इस हुष्ण को ज़रा सम्हल कर रखिए वरना कोई मर ही जाएगा

आहें

भर भर कर" उन्हों ने मुस्कुरा कर कहा. फिर साइड टेबल से एक क्रोसिन

निकाल कर मुझे दिया. फिर वापस टी पॉट से मेरे कप मे कुच्छ चाइ

भर

कर मुझे दिया. मैने चाइ के साथ दवाई ले ली.

"लेकिन एक बात अब भी मुझे खटक रही है. वो दोनो आप को साथ

क्यों

नही ले गये…. आप कुच्छ छिपा रहे हैं. बताइए ना…."

" कुच्छ नही स्मृति मैं तुम्हारे कारण रुक गया. कसम तुम्हारी."

लेकिन मेरे बहुत ज़िद करने पर वो धीरे धीरे खुलने लगे.

" वो भी असल मे कुच्छ एकांत चाहते थे."

"मतलब?" मैने पूचछा.

" नही तुम बुरा मान जाओगी. मैं तुम्हारा दिल दुखाना नही चाहता."

" मुझे कुच्छ नही होगा आप तो कहो. क्या कहना चाहते हैं कि पंकज

और कल्पना दीदी के बीच......" मैने जानबूझ कर अपने वाक़्य को

अधूरा ही रहने दिया.

क्रमशः...............................
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Re: Hindi sexi stori मैं हूँ हसीना गजब की

Post by rajaarkey »

मैं हूँ हसीना गजब की पार्ट--3

gataank se aage........................

Pankaj itna khula pan achchhi baat nahin hai. Vishalji ghar ke hain

to kya hua hain to paraye mard hi na aur hum se bade bhi hain. Is

tarah to humare beech parde ka rishta hua. Parda to door tum to mujhe

unke samne nangi hone ko kah rahe ho. Koi sune ga to kya kahega."

Maine wapas jhidka.

"are meri jaan ye dakiyanoosi khayal kab se palne lag gayi tum. Kuchh

nahi hoga. Mai apne paas ek tumhari antarang photo rakhna chahta hoon

jisse hamesha tumhare is sangmarmari badan ki khushbu ati rahe."

Maine laakh koshishn ki magar unhe samjha nahi payee. Akhir mai raji

hui magar is shart par ki mai badan par panty ke alawa bra bhi pahne

rahoongi unke samne. Pankaj is ko raji ho gaye. Maine jhat se holder

par tange apne towel se apne badan ko ponchha aur bra lekar pahan li.

Pankaj ne bathroom ka darwaja khol kar Vishal ji ko phone kiya aur

unhe apni planning batayi. Vishalji mere badan ko nivastra dekhne ki

lalsa me lagbhag daudte huye kamre me pahunche.

Pankaj ne unhe bathroom ke bheetar ane ko kaha. Wo bathroom me aye to

Pankaj mujhe peechhe se apni banhon me samhale shower ke neeche khade

ho gaye. Vishal ki najar mere lagbhag nagn badan par ghoom rahi thi.

Unke hath me Poleroid camer tha.

"mmmmm...... .bahut garmi hai yahan andar. are saale sahab sirf photo

hi kyon kaho to cam le aun. blue fil hi kheench lo" Vishal ne hanste

huye kaha.

"nahi Jija. movie me khatra rahta hai. chhota sa snap kahin bhi

chhipa

kar rakh lo" Pankaj ne hanste huye apni ankh dabai.

"aap dono bahut gande ho." maine kasmasate huye kaha to Pankaj ne

apne

honth mere honthon par rakh kar mere honth seel diye.

"shower to on karo tabhi to sahi photo ayega." Vishal ji ne camera ka

shutter hatate huye kaha.

Mere kuchh bolne se pahle hi Pankaj ne shower on kar diya. Garm pani

ki fuhar hum dono ko bhigoti chali gayi. Maine apni chhatiyon ko

dekha. Bra pani me bheeg kar bikul pardarshi ho gaya tha aur badan se

chipak gaya tha. mai sharm se dohri ho gayee. meri najren samne

Vishal

ji par gayee. to maine paya ki unki najren mere nabhi ke neeche

tangon

ke jod par chipki hui hain. mai samajh gayee ki us jagah ka bhi wahi

haal ho raha hoga. maine apne ek hath se apni chhatiyon ko dhak aur

doosri hatheli apni tangon ke jod par apne panty ke upar rakh diya.

"are are kya kar rahi ho.........poora snap bigad jayega. kitna pyara

pose diya tha Pankaj ne sara bigad kar rakh diya" mai chup chaap

khadi

rahi. apne hathon ko wahan se hatane ki koi koshish nahi ki. wo tej

kadmon se aye aur jis hath se mai apni badi badi chhatiyon ko unki

najron se chhipane ki koshish kar rahi thi use hata kar upar kar

diya.

use Pankaj ki gardan ke peechhe rakh kar kaha, "tum apni bahen

peechhe

Pankaj ki gardan par lapet do." fir doosre hath ko meri janghon ke

jod

se hata kar Pankaj ke gardan ke peechhe pahle hath par rakh kar us

mudra me khada kar diya. Pankaj humara pose dekhne me busy tha aur

Vishal ne uski najar bacha kar meri yoni ko panty ke upar se masal

diya. mai kasmasa uthi to usne turant hath wahan se hata diya.

Fir wo apni jagah jakar lense sahi karne laga. Mai Pankaj ke age

khadi

the aur meri bahen peechhe khade pankaj ke gardan ke irdgird thi.

pankaj ke hath mere stano ke theek neeche lipate huye the. usne

hathon

ko thodasa uthaya to mere stan unki bahon ke upar tik gaye. neeche ki

taraf se unke hathon ka dabaw hone ki wajah se mere ubhar aur ughad

kar samne a gaye the.

mere badan par kapdon ka hona aur na hona barabar tha. Vishal ne ek

snap is mudra me kheenchi. tabhi bahar se awaja ayee...

"kya ho raha hai tum tyeeno ke beech?"

mai didi ki awaj sunkar khush ho gayee. mai Pankaj ki bahon se fisal

kar nikal gayee.

"didi.....neetu didi dekho na. ye dono mujhe parshaan kar rahe hain.

mai shower se bahar akar darwaje ki taraf badhna chahti thi lekin

Pankaj ne meri banh pakad kar apni or kheencha aur mai wapas unke

seene se lag gayee. Tab tak didi andar a chuki thi. andar ka mahol

dekh kar unke honthon par shararati hansi a gayee.

"kyon pareshan kar rahe hai aap?" unhon ne Vishal ji ko jhuthmooth

jhidakte huye kaha, "mere bhai ki dulhan ko kyon pareshaan kar rahe

ho?"

"isme pareshaani ki kya baat hai. Pankaj iske saath ek intimate photo

kheenchna chahta tha so maine dono ki ek photo kheench di." unhon ne

Poleroid ki photo dikhate huye kaha.

"badi sexy lag rahi ho." didi ne apni ankh meri taraf dekh kar

dabayi.

"ek photo mera bhi kheench do na inke saath." Vishal ji ne kaha.

"hanhan didi hum teeno ki ek photo kheench do. ap bhi apne kapde utar

kar yahin shower ke niche a jao." Pankaj ne kaha.

"didi aap bhi inki baton me a gayee." maine virodh karte huye kaha.

lekin wahan mera virodh sunne wala tha hi kaun.

Vishalji phata phat apne sare kapde utar kar towel stand par rakh

diye. ab unke badan par sirf ek chhoti si frenchie thi. Panty ke

bahar

se unka poora ubhar saaf saaf dikh raha tha. meri ankhen bus wahin

par

chipak gayee. wo mere pas a kar mere dosre taraf khade hokar mere

badan se chipak gaye. ab mai dono ke beech me khadi thi. meri ek banh

Pnkaj ke gale me aur doosri banh Vishalji ke gale par lipati hui thi.

dono mere kandhe par hath rakhe huye the. Vishalji ne apne hath ko

mere kandhe par rakh kar samne ko jhula di jisse mera ek stan unke

hathon me thokar marne laga. jaise hi didi ne shutter dabaya Vishalji

ne mere stan ko apni mutthi me bhar liya aur masal diya. mai jab tak

samhalti tab tak to humara ye pose camere me kaid ho chuka tha.

Is photo ko vishal ji ne samhal kar apne purse me rakh liya. Vishal

to

hum dono ke sambhog ke bhi snaps lena chahta tha lekin mai ekdum se

ad

gayee. maine is baar uski bilkul nahi chalne di.

isi tarah masti karte huye kab chaar din gujar gaye pata hi nahi

chala.

Honeymoon par Vishal ji ko aur mere sang sambhog ka mauka nahi mila

bechare apna man masos kar rah gaye.Hum honeymoon mana kar wapas

lautne ke kuchh hi dino baad mai Pankaj ke saath Mathura chali ayee.

Pankaj us company ke Mathura wing ko samhalta tha. Mere Sasur ji

Delhi

ke wing ko samhalte the aur mere Jethji us company ke Rae Bareilly ke

wing ke CEO the.

Ghar wapas ane ke baad sab tarah tarah ke sawal poochhte the. mujhe

tarah tarah se tang karne ke bahane dhoondhte. Mai unsb kin ok jhonk

se Sharma jati thi.

Maine mahsoos kiya ki Pankaj apni bhabhi Kalpana se kuchh adhik hi

ghule mile the. dono kafi ek doosre se majak karte aur ek doosre ko

chhoone ki ya masalne ki koshish karte. Mera shak yakeen me tab badal

gaya jab maine un dono ko akele me ek kamre me ek doosre ki agosh me

dekha.

Maine jab raat ko Pankaj se baat ki to pahle to wo inkaar karta raha

lekin baar baar jor dene par usne sweekar kiya ki uske aur uski

bhabhi

me jismani tallukat bhi hain. Dono aksar mauka dhhondh kar sex ka

anand ythate hain. Uski is sweekriti ne jaise mere dil par rakha

patthar hata diya. Ab mujhe ye glani nahi rahi ki mai chip chip kar

apne pati ko dhoka de rahi hoon. Ab mujhe wishvaas ho gaya ki Pankaj

ko kisi din mere jismani tallukaton ke bare me pata bhi lag gaya to

kuchh nahi bolenge. Maine thoda bahut dikhawe ko roothne ka natak

kiya. To Pankaj ne mujhe puchkarte huye wo sahmati bhi de di. Unhon

ne

kaha ki agar wo bhi kisi se jismani tallukat rakhegi to wo kuchh nahi

bolenge.

Ab maine logon ki najron ka jyada khayal rakhna shuru kiya. Mai

dekhna

chahti thi ki kaun kaun mujhe chahat bhari najron se dekhte hai.

Maine

paya ki ghar ke teeno mard mujhe kamuk nigahon se dekhte hain. Nandoi

aur sasur ji ke alawa mere jeth jib hi aksak mujhe niharte rahte the.

maine unki ichchhaon ko hawa dena shuru kiya. Mai apne kapdon aur

apne

pahnawe me kafi khula pan rakhti thi. Androoni kapdon ko maine

pahanna

chhod diya. Mai sare mardon ko bharpoor apne jisme ke darshan

karwati.

Jab mere kapdon ke andar se jhankte mere nagn badan ko dekh kar unke

kapdon andar se ling ka ubhar dikhne lagta. Ye dekh kar mai bhi geeli

hone lagti aur mere nipples khade ho jate. Lekin mai in rishton ka

lihaj karke apni taraf se sambhog ki awastha tak unhe ane nahi deti.

Ek cheej jo ghar ane ke baad pata nahi kaha aur kaise gayab ho gayee

pata hi nahi chala. Wo thi hum dono ki shower ke niche khinchi hui

photo. Mai mathura rawana hone se pahle Pankaj se poochhi magar wo

bhi

poore ghar me kahin bhi nahi dhoondh paya. mujhe Pankaj par bahut

gussa a raha tha. pata nahi us ardhnagn tasveer ko kahan rakh diye

the. agar galti se bhi kisi aur ke hath pad jaye to?

Khair hum wahan se Mathura a gaye. Wahan humara ek shandar makan tha.

Makan ke samne garden aur usme lage tarah tarah ke pool ek dilkash

tasveer tallar karte the. Do naukar har waqt ghar ke kaam kaaj me

lage

rahte the aur ek gardner bhi tha. Teeno garden ke doosri taraf bane

quarters me rahte the. Shaam hote hi kaam nibta kar unhe jane ko kah

deti. Kyonki Pankaj ke ane se pahle mai unke liye ban sanwar kar

taiyaar rahti thi.

Mere wahan pahunchne ke baad Pankaj ke kafi subordinates milne ke

liye

aye. Uske kuchh dost bhi the. Pankaj ne mujhe khas khas contractors

se

bhi milwaya. Wo mujhe hamesha ek dum

ban than ke rahne ke liye kahte the. Mujhe sexy aur exposing kapdon

me rahne ke liye kahte the. Wahan parties aur get together me sab

aurten ek dum sexy kapdon me ati thi. Pankaj wahan do clubs ka member

tha. Jo sirf bade logon ke liye tha. Bade logon ki parties der raat

tak chalti

thi aur partners badal badal kar dance karna, ulte seedhe majak

karna aur ek doosre ke badan ko chhuna am baat thi.

Shuru shuru me to mujhe bahut sharm ati thi. Lekin dheere dheere mai

is mahol me dhal gayee. Kuchh to mai pahle se hi chanchal thi aur

pahle gair mard mere nandoi ne mere sharm ke parde ko tar tar kar

diya

tha. Ab mujhe kisi bhi gair mard ki banhon me jane me jyada jhijhak

mahsoos nahi hoti thi. Pankaj bhi to yahi chahta tha. Pankaj chahta

tha ki mujhe sab ek seductive

mahila ke roop me jane. Wo kahte the ki "Jo aurat jitni frank aur

open

minded hoti hai uska husband utni hi tarakki karta hai. In sabka

husband ke reputation par evam unke business par bhi fark padta hai."

Har maheene ek-adh is tarah ki gathering ho hi jati thi. Mai inme

shamil hoti lekin kisi gair mard se jismani tallukat se jhijhakti

thi.

Naach gane tak aur oopari chuma chati tak bhi sahi tha. Lekin jab

baat

bistar tak a jati to mai. Chup chaap apne ko usse door kar leti thi.

wahan ane ke kuchh dino baad Jeth aur jethani wahan aye humare paas.

Pankaj bhi samay nikaal kar ghar me hi ghusa rahta tha. bahut maja a

raha tha. koob hansi majak chalta. der raat tak nach gane ka programm

chalta rahta tha. Kamalji aur Kalpana bhabhi kafi khush mijaj ke the.

unke chaar saal ho gaye the shaadi ko magar abhi tak koi bachcha nahi

hua tha. ye ek chhoti kami jaroor thi unki jindagi me magar bahar se

dekhne me kya majal ki kabhi koi ek shikan bhi dhoondh le chehre par.

ek din tabiyat thori dheeli thi. mai dopahat ko khana khane ke baad

so

gayee. baki teeno drawing room me gap shap kar rahe the. Sham tak

yahi

sab chalna tha isliye mai apne kamre ma akar kapde badal kar ek halka

sa front open gown daal kar so gayee. andar kuchh bhi nahi pahan

rakha

tha. pata nahi kab tak soti rahi. achanak kamre me roshni hone se

neend khuli. maine alsate huye ankhen khol kar dekha bistar par mere

paas jethji baithe mere khule balon par pyaar se hath fira rahe the.

mai hadbada kar uthne legi to unhon ne uthne nahi diya.

"leti raho." unhon ne mathe par apni hatheli rakhti huye kaha " ab

tabiyat kaisi hai Smriti"

" ab kafi achchha lag raha hai." tabhi mujhe ahsaas hua ki mera gown

samne se kamar tak khula hua hai aur meri reshmi jhanton se bhari

yoni

jethji ko munh chidha rahi hai. kamar par lage belt ki wajah se poori

nangi hone se rah gayee thi. lekin upar ka hissa bhi alag hokar ek

nipple ko bahar dikharahi thi. mai sharm se ek dum pani pani ho

gayee.

maine jhat apne gown ko sahi kiya aur uthne lagi. Jthji ne jhat apni

bahon ka sahara diya. mai unki bahon ka sahara le kar uthi lekin sir

jor ka chakraya aur maine sir ki apne dono hathon se tham liya.

jethji

ne mujhe apni bahon me bhar liya. mai apne chehre ko unke ghane balon

se bhare majboot seene me ghusa kar ankhe band kar li. mujhe admiyon

ka ghane balon se bhara seena bahut sexy lagta hai. Pankaj ke seene

par baal bahu kam hain lekin Kamalji ka seena ghane balon se bhara

hua

hai. kuchh der tak mai yun hi unke seene me apne chare ko chhipaye

unke badan se nikalne wali khushboo apne badan me samati rahi. kucch

der baad unhon ne mujhe apni bahon me samhal kar mujhe bistar ke

sirhane se tika kar bithaya. mera gown wapas astwyast ho raha tha.

janghon tak tange nangi ho gayee thi.

mujhe ek cheej par khatka hua ki meri jethani Kalpana aur Pankaj nahi

dikh rahe the. maine socha ki dono shayad hamesha ki tarah kisi

chuhalbaaji me lage honge. Kamalji ne mujhe bitha kar sirhane ke paas

se chai ka tray utha kar mujhe ek cup chai di.

" ye..ye apne banai hai?" mai chaun gayee.kyonki maine kabhi Jethji

ko

kitchen me ghuste nahi dekha tha.

"han. kyon achchhi nahi bani hai?" Kamal ji ne muskurate huye mujhe

poochha.

"nahi nahi bahut achchhi bani hai." maine jaldi se ek ghoont bhar kar

kaha" lekin bhabhi aur wo kahan hain?"

"wo dono koi film dekhne gaye hain 6 se 9" Kalpana jid kar rahi thi

to

Pankaj use le gaya hai.

" lekin ap? aap nahi gaye?" maine ascharya se poochha.

"tumhari tabiyat kharab thi. agar mai bhi chala jata to tumhari dekh

bhaal kaun karta?" unhon ne wapas muskurate huye kaha fir baat badale

ke liye mujhse age kaha," mai waise bhi tumse kuchh baat kahne ke

liye

ekant khoj raha tha."

"kyon? aisi kya baat hai?"

"tum bura to nahi manogi na?"

" nahi aap boliye to sahi." maine kaha.

"maine tumse poochhe bina Delhi me tumhare kamre se ek cheej utha li

thi." unhon ne sakuchate huye kaha.

"kya ?"

"ye tum dono ki photo." kahkar unhon ne humdono ki honeymoon par

Vishaalji dwara kheenchi wo photo samne ki jisme mai lagbhag nagn

halat me Pankaj ke seene se apni peeth lagaye khadi thi. Isi photo ko

mai apne sasuraal me charon taraf khoj rahi thi. lekin mili hi nahi

milti bhi to kaise. wo snap to Jethji apne seene se lagaye ghoom rahe

the. mere honth sookhne lage. mai phatiphati ankhon se ektak unki

ankhon me jhankti rahi. mujhe unki gahri ankhon me apne liye pyaar ka

athah sagar ufante huye dikha.

"aaa....aaap ne ye photo rakh li thi?"

"haan is photo me tum bahut pyari lag rahi thi. kisi jalpari ki

tarah. mai ise hamesha saath rakhta hoon."

" kyon....kyon. ..? mai apki biwi nahi. naa hi premika hoon. mai apke

chhote bhai ki bayahta hoon. apka mere bare me aisa sochna bhi uchit

nahi hai." Maine unke shabdon ka virodh kiya.

" sunder cheej ko sundar kahna koi paap nahi hai." Kamal ne kaha," ab

mai agar tumse nahi bolta to tumko pata chalta? Mujhe tum achchhi

lagti ho isme mera kya kusoor hai?"

" do wo snap mujhe de do. Kisi ne usko apke paas dekh liya to baten

banengi." Maine kaha.

" nahi wo ab meri amanat hai. Mai use kisi bhi keemat me apne se alag

nahi karoonga."

Mai unka hath tham kar bistar se utari. Jaise hi unka sahara chhod

kar

bathroom tak jane ke liye do kadam age badhi to achanak sir badi jor

se ghooma aur mai ladkhada kar girne lagi. Isse pahle ki mai jameen

par bharbhara kar gir padti Kamal ji lapak kar aye. Aur mujhe apni

bahon me tham liya. Mujhe apne badan ka ab koi dhyan nahi raha. Mera

badan lagbhag nagn ho gaya tha. Unhon ne mujhe apni bahon me phool ki

tarah uthaya aur bathroom tak le gaye. Maine girne se bachne ke liye

apni bahon ka haar unki gardan par pahna diya. Dono kisi naujwaan

premi yugal ki tarah lag rahe the. Unhon ne mujhe bathroom ke bheetar

le jakar utara.

"mai bahar hi khada hoon. Tum fresh ho jao to mujhe bula lena. Samhal

kar uthna baithna" kamal ji mujhe hidayten dete huye bathroom ke

bahar

nikal gaye aur bathroom ke darwaje ko band kar diya. Mai peshaab

karke

ladkhadate huye apne kapdon ko sahi kiya jisse wo fir khul kar mere

badan ko beparda na kar den. Mai ab khud ko hi kos rahi thi ki

kisliye

maine apne androoni vastr utare. Mai jaise hi bahar nikali to bahar

darwaje par khade mil gaye. Unhon ne mujhe darwaje par dekh kar

lapakte huye age badhe aur mujhe apni bahon me bhar kar wapas bistar

par le aye.

Mujhe sirhane par tika kar mere kapdon ko apne hathon se sahi kar

diya. Mera chehra to sharm se laal ho raha tha.

"apne is hushn ko jara samhal kar rakhiye warna koi mar hi jayega

ahen

bhar bhar kar" unhon ne muskura kar kaha. Fir side table se ek crocin

nikal kar mujhe diya. Fir wapas tea pot se mere cup me kuchh chai

bhar

kar mujhe diya. Maine chai ke saath Hawai le li.

"lekin ek baat ab bhi mujhe khatak rahi hai. Wo dono aap ko saath

kyon

nahi le gaye…. Aap kuchh chhipa rahe hain. Bataiye na…."

" kuchh nahi Smriti mai tumhare karan ruk gaya. Kasam tumhari."

Lekin mere bahut jid karne par wo dheere dheere khulne lage.

" wo bhi asal me kuchh ekant chahte the."

"matlab?" maine poochha.

" nahi tum bura maan jaogi. Mai tumhara dil dukhana nahi chahta."

" mujhe kuchh nahi hoga aap to kaho. Kya kahna chahte hain ki Pankaj

aur Kalpana didi ke beech......" maine jaanboojh kar apne waqya ko

adhoora hi rahne diya.

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Re: Hindi sexi stori मैं हूँ हसीना गजब की

Post by rajaarkey »

मैं हूँ हसीना गजब की --पार्ट--4

गतान्क से आगे........................

वो भोचक्के से कुच्छ देर तक मेरी आँखों मे झाँकते रहे.

"मुझे सब पता है. मुझे पहले ही संदेह हो गया था. पंकज को ज़ोर

देकर पूचछा तो उसने स्वीकार कर लिया."

" तुम......तुमने कुच्छ कहा नही? तुम नयी बीवी हो उसकी तुमने उसका

विरोध नही किया?" कमल ने पूचछा.

" विरोध तो आप भी कर सकते थे. आप को सब पता था लेकिन आप ने

कभी दोनो को कुच्छ कहा नही. आप तो मर्द हैं और उनसे बड़े भी."

मैने उल्टा उनसे ही सवाल किया.

" चाह कर भी कभी नही किया. मैं दोनो को बेहद चाहता हूँ

और......."

" और क्या?"

" और.......कल्पना मुझे कमजोर समझती है." कहते हुए उन्हों ने

अपना चेहरा नीचे झुका लिया. मैं उस प्यारे इंसान की परेशानी पर

अपने को रोक नही पायी. और मैने उनके चहरे को अपनी हथेली मे भर

कर उठाया. मैने देखा की उनके आँखों के कोनो पर दो आँसू चमक

रहे हैं. मैने ये देख कर तड़प उठी. मैने अपनी उंगलियों से उनको

पोंच्छ कर उनके चेहरे को अपने सीने पर खींच लिया. वो किसी

बच्चेकी तरह मेरी चूचियो से अपना चेहरा सटा रखे थे.

"आपने कभी किसी डॉक्टर से जाँच क्यों नही करवाया" मैने उनके

बालोंमे अपनी उंगलियाँ फिराते हुए पूचछा.

" दिखाया था. कई बार चेक करवाया"

" फिर?"

" डॉक्टर ने कहा........ " दो पल को वो रुके. ऐसा लगा मानो सोच

रहेहों कि मुझे बताएँ या नही फिर धीरे से कहा " मुझमे कोई कमी

नहीहै."

" क्या?" मैं ज़ोर से बोली, " फिर भी आप सारा दोष अपने ऊपर लेकर

चुप बैठे हैं. आपने किसी को बताया क्यों नही? ये तो बुजदिली है."

" अब तुम इसे मेरी बुजदिली समझो चाहे जो भी. लेकिन मैं उसकी उमीद

कोतोड़ना नही चाहता. भले ही वो सारी जिंदगी मुझे एक नमार्द समझती

रहे."

" मुझे आप से पूरी हमदर्दी है. लेकिन मैं आपको वो दूँगी जो

कल्पना भाभी ने नही दिया."

वो चोंक कर मेरी तरफ देखे. उनकी गहरी आँखों मे उत्सुकता थी मेरा

जवाब सुनने की. मैने आगे कहा, " मैं आपको अपनी कोख से एक बच्चा

दूँगी."

" क्या???? कैसे??" वह हॅड बड़ा उठे.

" अब इतने बुद्धू भी आप हो नही कि समझना पड़े कैसे." मैं उनके

सीने से लग गयी, " अगर वो दोनो आपकी की चिंता किए बिना जिस्मानी

ताल्लुक़ात रख सकते है तो आपको किसने ऐसा करने से रोका है?" मैने

अपनी आँखें बंद कर के फुसफुसते हुए कहा जो उसके अलावा किसी को

सुनाई नही दे सकता था.

इतना सुनना था कि उन्हों ने मुझे अपने सीने मे दाब लिया. मैने अपना

चेहरा उपर उठाया तो उनके होंठ मेरे होंठों से आ मिले. मेरा बदन

कुच्छ तो बुखार से और कुच्छ उत्तेजना से तप रहा था. मैने अपने

होंठ खोल कर उनके होंठों का स्वागत किया. उन्होने मुझे इस तरह

चूमना शुरू किया मानो बरसों के भूखे हों. मैं उनके चौड़े सीने

के बालों पर अपनी उंगलियाँ फिरा रही थी. उन्हों ने मेरे गाउन को बदन

पर बँधे उस डोर को खींच कर खोल दिया. मैं पूरी तरह नग्न

उनके सामने थी. मैने भी उनके पायजामे के उपर से उनके लिंग को अपने

हाथों से थाम कर सहलाना शुरू किया.

" एम्म्म काफ़ी मोटा है. दीदी को तो मज़ा आ जाता होगा?" मैने उनके लिंग

को अपनी मुट्ठी मे भर कर दबाया. फिर पायजामे की डोरी को खोल कर

उनके लिंग को बाहर निकाला. उनका लिंग काफ़ी मोटा था. उसके लिंग के

ऊपर का सूपड़ा एक टेन्निस की गेंद की तरह मोटा था. कमल्जी गोरे

चिट थे लेकिन लिंग काफ़ी काला था. लिंग के उपर से चंदे को नीचे

किया तो मैने देखा कि उनके लिंग के मुँह से पानी जैसा चिप चिपा

रस निकल रहा है. मैने उनकी आँखों मे झाँका. वो मेरी हरकतों को

गोर से देख रहे थे. मैं उनको इतनी खुशी देना चाहती थी जितनी

कल्पना दीदी ने भी नही दी होगी. मैने अपनी जीभ पूरी बाहर

निकली. और स्लो मोशन मे अपने सिर को उनके लिंग पर झुकाया. मेरी

आँखे लगातार उनके चेहरे पर टिकी हुई थी. मैं उनके चेहरे पर

उभरने वाली खुशी को अपनी आँखों से देखना चाहती थी. मैने अपनी

जीभ उनके लिंग के टिप पर लगाया. और उसस्से निकालने वाले रस को

चाट कर अपनी जीभ पर ले लिया. फिर उसी तरह धीरे धीरे मैने

अपना सिर उठा कर अपने जीभ पर लगे उनके रस को उनकी आँखों के

सामने किया और मुँह खोल कर जीभ को अंदर कर ली. मुझे अपना रस

पीते देख वो खुशी से भर उठे और वापस मेरे चेहरे पर अपने

होंठ फिराने लगे. वो मेरे होंठों को मेरे कानो को मेरी आँखों को

गालों को चूमे जा रहे थे और मैं उनके लिंग को अपनी मुट्ठी मे भर

कर सहला रही थी. मैने उनके सिर को पकड़ कर नीचे अपनी

छातियो से लगाया. वो जीभ निकाल कर दोनो चूचियो के बीच की

गहरी खाई मे फिराए. फिर एक स्तन को अपने हाथों से पकड़ कर उसके

निपल को अपने मुँह मे भर लिया. मेरे निपल पहले से ही तन कर

कड़े हो गये थे. वो एक निपल को चूस रहे थे और दूसरी चूची

को अपनी हथेली मे भर कर मसल रहे थे. पहले धीरे धीरे

मसले मगर कुच्छ ही देर मे दोनो स्तनो को पूरी ताक़त से मसल

मसल कर लाल कर दिए. मैं उत्तेजना मे सुलगने लगी. मैने उनके लिंग

के नीचे उनकी गेंदों को अपनी मुट्ठी मे भर कर सहलाना शुरू किया.

बीच बीच मे मेरे फूले हुए निपल्स को दन्तो से काट रहे थे.

जीभ से निपल को छेड़ने लगते. मैं "सीईई…..

आआअहह….म्‍म्म्ममम… उन्न्ञन्… " जैसी आवाज़ें निकालने से नही रोक पा

रही थी. उनके होंठ पूरे स्तन युगल पर घूमने लगे. जगह जगह

मेरे स्तनो को काट काट कर अपने मिलन की निशानी छ्चोड़ने लगे. पूरे

स्तन पर लाल लाल दन्तो के निशान उभर आए. मैं दर्द और उत्तेजना मे

सीईएसीए कर रही थी. और अपने हाथों से अपने स्तनो को उठाकर

उनके मुँह मे दे रही थी.

"कितनी खूबसूरत हो….." कमल ने मेरे दोनो बूब्स को पकड़ कर

खींचते हुए कहा.

"आगे भी कुच्छ करोगे या इनसे ही चिपके रहने का विचार है." मैने

उनको प्यार भारी एक झिड़की दी. निपल्स लगातार चूस्ते रहने के

कारण दुखने लगे थे. स्तनो पर जगह जगह उनके दन्तो से काटने के

लाल लाल निशान उभरने लगे थे. मैं काफ़ी उत्तेजित हो गयी थी.

पंकज इतना फोरप्ले कभी नही करता था. उसको तो बस टाँगें चौड़ी

करके अंदर डाल कर धक्के लगाने मे ही मज़ा आता था.

उन्हों ने मेरी टाँगों को पकड़ कर नीचे की ओर खींचा तो मैं

बिस्तर पर लेट गयी. अब उन्हों ने मेरे दोनो पैरों को उठा कर उनके

नीचे दो तकिये लगा दिए. जिससे मेरी योनि उपर को उठ गयी. मैने

अपनी टाँगों को चौड़ा करके छत की ओर उठा दिए. फिर उनके सिर को

पकड़ कर अपनी योनि के उपा दबा दिया. कमल जी अपनी जीभ निकाल कर

मेरी योनि के अंदर उसे डाल कर घुमाने लगे पूरे बदन मे सिहरन

सी दौड़ने लगी. मैं अपनी कमर को और ऊपर उठाने लगी जिससे उनकी

जीभ ज़यादा अंदर तक जा सके. मेरे हाथ बिस्तर को मजबूती से थाम

रखे थे. मेरी आँखों की पुतलियान पीछे की ओर उलट गयी और मेरा

मुँह खुल गया. मैं ज़ोर से चीख पड़ी,

" हाआअँ और अंदार्रर्ररर. कमाआल आआआहह ऊऊओह

इतनीईए दीईइन कहाआन थीईए. मैईईईन पाआगाअल हो

जाउउउउन्गीईईईई . ऊऊऊओह उउउउउईईईइ माआआअ क्याआआ

कारर्र रहीईई हूऊऊओ कमाआाअल मुझीईई सम्हलूऊऊ

मेराआआ छ्च्ट्नेयी वलाआअ हाईईईईईई. कॅमेययायायायाल इसीईईईईईई

तराआअह साआरी जिन्दगीईई तुम्हाआरि दूओसरीईई बिवीईईइ

बनकर चुड़वटिईई रहूऊऊओँगी" एक दम से मेरी योनि से वीर्य की

बाढ़ सी आई और बाहर की ओर बह निकली. मेरा पूरा बदन किसी पत्ते

की तरह कान्प्प रहा था. काफ़ी देर तक मेरा स्खलन होता रहा. जब

सारा वीर्य कमाल जी के मुँह मे उधेल दिया तो मैने उनके सिर को

पकड़ कर उठाया. उनकी मूच्छें, नाक होंठ सब मेरे वीर्य से सने

हुए थे. उन्हों ने अपनी जीभ निकाली और अपने होंठों पर फिराई.

"छि गंदे." मैने उनसे कहा.

"इसमे गंदी वाली क्या बात हुई?" ये तो टॉनिक है. तुम मेरा टॉनिक पी

कर देखना अगर बदन मे रंगत ना अजाए तो कहना.

" जानू अब आ जाओ." मैने उनको अपने उपर खींचा. "मेरा बदन तप

रहा है. बुखार मे कमज़ोरी आती जा रही है. इससे पहले की मैं थक

जाउ मेरे अंदर अपना बीज डाल दो."

कमल ने अपने लिंग को मेरे मुँह से लगाया.

"एक बार मुँह मे तो लो उसके बाद तुम्हारी योनि मे डालूँगा. पहले एक

बार प्यार तो करो इसे." मैने उनके लिंग को अपनी मुट्ठी मे पकड़ा और

अपनी जीभ निकाल उसे चूसना और चाटना शुरू कर दिया. मैं अपनी

जीभ से उनके लिंग के एकद्ूम नीचे से उपर तक चाट रही थी. अपनी

जीभ से उनके लिंग के नीचे लटकते हुए अंडकोषों को भी चाट रही

थी. उनका लिंग मुझे बड़ा प्यारा लग रहा था. मैं उनके लिंग को

चाटते हुए उनके चेहरे को देख रही थी. उनका उत्तेजित चेहरा बड़ा

प्यारा लग रहा था. दिल को सुकून मिल रहा था कि मैं उन्हे कुच्छ तो

आराम दे पाने मे सफल रही थी. उन्हों ने मुझे इतना प्यार दिया था

कि उसका एक टुकड़ा भी मैं वापस अगर दे सकी तो मुझे अपने ऊपर गर्व

होगा.

उनके लिंग से चिपचिपा सा बेरंग का प्रेकुं निकल रहा था. जिसे मैं

बड़ी तत्परता से चाट कर सॉफ कर देती थी. मैं काफ़ी देर तक उनके

लिंग को तरह तरह से चाटी रही. उनका लिंग काफ़ी मोटा था इसलिए

मुँह के अंदर ज़्यादा नही ले पा रही थी इसलिए जीभ से चाट चाट

कर ही उसे गीला कर दिया था. कुच्छ देर बाद उनका लिंग झटके खाने

लगा. उन्हों ने मेरे सिर पर हाथ रख कर मुझे रुकने का इशारा किया.

"बस.......बस और नही. नही तो अंदर जाने से पहले ही निकल

जाएगा" कहते हुए उन्हों ने मेरे हाथों से अपने लिंग को छुड़ा लिया

और मेरे टाँगों को फैला कर उनके बीच घुटने मोड़ कर झुक गये.

उन्हों ने अपने लिंग को मेरी योनि से सटाया.

"आपका बहुत मोटा है. मेरी योनि को फाड़ कर रख देगा." मैने

घबराते हुए कहा" कमल्जी धीरे धीरे करना नही तो मैं दर्द से

मर जाउन्गि."

वो हँसने लगे.

" आअप बहुत खराब हो. इधर तो मेरे जान की पड़ी है" मैने उनसे

कहा.

मैने भी अपने हाथों से अपनी योनि को चौड़ा कर उनके लिंग के लिए

रास्ता बनाया. उन्हों ने अपने लिंग को मेरी योनि के द्वार पर टीका दिया.

मैने उनके लिंग को पकड़ कर अपनी फैली हुई योनि के अंदर खींचा.

"अंदर कर दो...." मेरी आवाज़ भारी हो गयी थी. उन्हों ने अपने बदन

को मेरे बदन के ऊपर लिटा दिया. उनका लिंग मेरी योनि की दीवारों को

चौड़ा करता हुआ अंदर जाने लगा. मैं सब कुच्छ भूल कर अपने जेठ

के सीने से लग गयी. बस सामने सिर्फ़ कमल थे और कुच्छ नही. वो

ही इस वक़्त मेरे प्रेमी, मेरे सेक्स पार्ट्नर और जो कुच्छ भी मानो, थे.

मुझे तो अब सिर्फ़ उनका लिंग ही दिख रहा था.

जैसे ही उनका लिंग मेरी योनि को चीरता हुआ आगे बढ़ा मेरे मुँह

से "आआआहह" की आवाज़ निकली और उनका लिंग पूरा का पूरा मेरी

योनि मे धँस गया. वो इस पोज़िशन मे मेरे होंठों को चूमने लगे.

" अच्च्छा तो अब पता चला कि मुझसे मिलने तुम भी इतनी बेसब्र थी.

और मैं बेवकूफ़ सोच रहा था कि मैं ही तुम्हारे पीछे पड़ा हूँ.

अगर पता होता ना कि तुम भी मुझसे मिलने को इतनी बेताब हो

तो.......... " वक़्क्या को अधूरा ही रख कर वो कुच्छ रुके.

"तो?.......तो? "

" तो तुम्हे किसी की भी परवाह किए बिना कब का पटक कर ठोक चुका

होता." उन्हों ने शरारती लहजे मे कहा.

"धात..... इस तरह कभी अपने छ्होटे भाई की बीवी से बात करते

हैं? शर्म नही आती आपको?" मैने उनके कान को अपने दाँतों से

चबाते हुए कहा.

" शर्म? अच्च्छा चोदने मे कोई शर्म नही है शर्म बात करने मे ही

है ना?" कहकर वो अपने हाथों का सहारा लेकर मेरे बदन से उठे

साथ साथ उनका लिंग भी मेरी योनि को रगड़ता हुआ बाहर की ओर निकला

फिर वापस पूरे ज़ोर से मेरी योनि मे अंदर तक धँस गया.

"ऊऊहह दर्द कर रहा है." आपका वाकई काफ़ी बड़ा है. मेरी योनि

छिल गयी है. पता नही कल्पना दीदी इतने मोटे लिंग को छ्चोड़ कर

मेरे पंकज मे क्या पाती है?" मैने उनके आगे पीछे होने के र्य्थेम

से पानी र्य्थेम भी मिलाई. हर धक्के के साथ उनका लिंग मेरी योनि

मे अंदर तक घुस जाता और हुमारी कोमल झांते एक दूसरे से रगड़

खा जाती. वो ज़ोर ज़ोर से मुझे ठोकने लगे उनके हर धक्के से पूरा

बिस्तर हिलने लगता. काफ़ी देर तक वो ऊपर से धक्के मारते रहे. मैं

नीचे से अपने पैरों को उठा कर उनकी कमर को अपने लपेट ली थी.

उनके बालों भरे सीने मे अपने तने हुए निपल्स रगड़ रही थी. इस

रगड़ से एक सिहरन सी पूरे बदन मे दौड़ रही थी. मैने अपने

हाथों से उनके सिर को पकड़ कर अपने होंठ उनके होंठों पर लगा कर

अपनी जीभ उनके मुँह मे घुसा दी. मैं इसी तरह उनके लिंग को अपनी

योनि मे लेने के लिए अपने कमर को उचका रही थी. उनके जोरदार

धक्के मुझे पागल बना रहे थे. उन्हों ने अपना चेहरा उपर किया तो

मैं उनके होंठो की चुअन के लिए तड़प कर उनकी गर्देन से लटक

गयी. कमल जी के शरीर मे दम काफ़ी था जो मेरे बदन का बोझ

उठा रखा था. मैं तो अपने हाथों और पैरों के बल पर उनके बदन

पर झूल रही थी. इसी तरह मुझे उठाए हुए वो लगातार चोदे जा

रहे थे. मैं "आअहह उुउऊहह माआअ म्‍म्म्ममम उफफफफफफफ्फ़" जैसी

आवाज़ें निकाले जा रही थी. उनके धक्कों से तो मैं निढाल हो गयी

थी. वो लगातार इसी तरह पंद्रह मिनिट तक ठोकते रहे. इन

पंद्रह मिनिट मे मैं दो बार झ्हड चुकी थी लेकिन उनकी रफ़्तार मे

कोई कमी नही आई थी. उनके सीने पर पसीने की कुच्छ बूँदें

ज़रूर चमकने लगी थी. मैने अपनी जीभ निकाल कर उन नमकीन

बूँदों को चाट दिया. वो मेरी इस हरकत से और जोश मे आ गये.

पंद्रह मिनूट बाद उन्हों ने मेरी योनि से अपने लिंग को खींच कर

बाहर निकाला.
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Re: Hindi sexi stori मैं हूँ हसीना गजब की

Post by rajaarkey »

उन्हों ने मुझे किसी बेबी डॉल की तरह एक झटके मे उठाकर हाथों

और पैरों के बल घोड़ी बना दिया. मेरी टपकती हुई योनि अब उन के

सामने थी.

"म्‍म्म्मम द्डूऊऊ डॅयेयल दूऊव.आआज मुझीई जिथनाआअ जीए मे

आईई मसल डलूऊऊ. आआआः मेरिइई गर्मीईइ शाआंट कर

डूऊऊ." मैं सेक्स की भूखी किसी वेश्या की तरह छत्पता रही थी

उनके लिंग के लिए.

"एक मिनूट ठहरो." कह कर उन्हों ने मेरा गाउन उठाया और मेरी योनि

को अच्छि तरह सॉफ करने लगे. ये ज़रूरी भी हो गया था. मेरी

योनि मे इतना रस निकाला था कि पूरी योनि चिकनी हो गयी थी. उनके

इतने मोटे लिंग के रगड़ने का अब अहसाआस भी नही हो रहा था. जब

तक लिंग के रगड़ने का दर्द नही महसूस होता तब तक मज़ा उतना नही

आ पता है. इसलिए मैं भी उनके इस काम से बहुत खुश हुई. मैने

अपनी टाँगों को फैला कर अपनी योनि के अंदर तक का सारा पानी सोख

लेने मे मदद किया. मेरी योनि को अच्छि तरह सॉफ करने के बाद

उन्होने ने अपनी लिंग पर लगे मेरे रस को भी मेरे गाउन से सॉफ

किया. मैने बेड के सिरहाने को पकड़ रखा था और कमर उनके तरफ

कर रखी थी. उन्हों ने वापस अपने लिंग को मेरी योनि के द्वार पर

लगा कर एक और जोरदार धक्का दिया.

"ह्म्‍म्म्मममफफफफफफफफ्फ़" मेरे मुँह से एक आवाज़ निकली और मैने वापस

महसूस किया उनके लिंग को अपनी दुखती हुई योनि को रगड़ते हुए अंदर

जाते हुए. वो दोबारा ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाने लगे. उनके धक्कों से

मेरे बड़े बड़े स्तन किसी पेड पर लटके आम की तरह झूल रहे थे.

मेरे गले पर पहना हुआ भारी मंगलसूत्रा उनके धक्को से उच्छल

उच्छल कर मेरे स्तनो को और मेरी थुदी को टक्कर मार रहा था.

मैने उसके लॉकेट को अपने दाँतों से दबा लिया. जिससे कि वो झूले

नही. कमल जी ने मेरी इस हरकत को देख कर मेरे मंगलसूत्रा को

अपने हाथों मे लेकर अपनी ओर खींचा. मैने अपना मुँह खोल दिया. अब

ऐसा लग रहा था मानो वो किसी घोड़ी की सवारी कर रहे हों. और

मंगलसूत्रा उनके हाथों मे दबी उसकी लगाम हो. वो इस तरह मेरी

लगाम थामे मुझे पीछे से ठोकते जा रहे थे.

"कमल...... .ऊऊऊहह. ....कमल. .....मेरा वापस झड़ने वाला

है.

तुम भी मेरा साथ दो प्लीईईसससे" मैने कमाल से मेरे साथ

झड़ने का आग्रह किया. कमल्जी ने मेरी पीठ पर झुक कर मेरे झूलते

हुए दोनो स्तनो को अपनी मुट्ठी मे पकड़ लिया और पीछे से अपने

कमर को आगे पीछे थेल्ते हुए ज़ोर ज़ोर के धक्के मारने लगे. मैने

अपने सिर को झटका देकर अपने चेहरे पर बिखरी अपनी ज़ुल्फो को

पीछे किया तो मेरे दोनो स्तनो को मसल्ते हुए जेत्जी के हाथों को

देखा. उनके हाथ मेरे निपल्स को अपनी चुटकियों मे भर कर मसल

रहे थे.

"म्‍म्म्मम….कमल……कमल……" अब हुमारे बीच कोई रिश्तों की ओपचारिकता

नही बची थी. मैं अपने जेठ को उनके नाम से ही बुला रही थी,"

कमल......मैं झाड़ रही हूँ......कमल तुम भी आ जाओ... तुम भी

अपनी धार छ्चोड़ कर संगम कर्दूऊओ"

मैने महसूस किया कि उनका लिंग भी झटके लेने लगा है. उन्हों ने

मेरे गर्दन के पास अपना चेहरा रख दिया/ उनकी गर्म गर्म साँस मेरी

गर्दन पर महसूस कर रही थी. उन्हों ने लगभग मेरे कान मे

फुसफुसते हुए कहा, " सीमी........ .मेरा निकल रहा है. आआअज

तुम्हारी कोख तुम्हारे जेठ के रस से भर जाएगी."

" भर जाने दो मेरीई जानां…….दाआल्दूओ……मेरे पेट मे अपना

बच्चा डाल दो. मैं अप्नकूऊ अपनी कोख सीईए बच्चाअ

दूँगी." मैने कहा और एक साथ दोनो के बदन से अमृत की धार बह

निकली. उनकी उंगलियाँ मेरे स्तनों को बुरी तरह निचोड़ दिए. मेरे

दाँत मेरे मंगलसूत्रा पर गड़ गये. और हम धोनो बिस्तर पर गिर

पड़े. वो मेरे उपर ही पड़े हुए थे. हमारे बदन पसीने से लत्पथ

हो रहे थे.

" आआआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह कमल्जीिइईई…….आआज्जजज आआपनईए मुझीए वााक़ई

ठंडाअ कार दियाआ………आआअपनीईए………मुझीईए……वूऊओ…

मज़ाआअ…..दियाआअ……जिसक्ीईए …लिईईए मैईईइ…..काफ़िईईईई… .दीनो

से तड़प रही……थी…..म्‍म्म्मममम" मेरा चेहरा तकिये मे धंसा हुआ था

और मैं बड़बड़ाई जा रही थी. वो बहुत खुश हो गये. और मेरी नग्न

पीठ को चूमने लगे बीच बीच मे मेरे पीठ पर काट भी देते.

मैं बुरी तरह तक चुकी थी. वापस बुखार ने मुझे घेर लिया. पता

ही नही चला कब मैं नींद के आगोश मे चली गयी.

जेठ जी ने मेरे नग्न बदन पर कपड़े किस तरह पहनाए ये भी पता

नही चल पाया. उन्हों ने मुझे कपड़े पहना कर चादर से अच्छि

तरह लपेट कर सुला दिया. मैं सुंदर सुंदर सपनो मे खो गयी.

अच्च्छा हुआ कि उन्हों ने मुझे कपड़े पहना दिए थे वरना अपनी इस

हालत की व्याख्या पंकज और कल्पना दीदी से करना मुश्किल काम होता.

मेरे पूरे बदन पर उकेरे गये दाँतों के निशानो की सुंदर

चित्रकारी का भी कोई जवाब नही था.

जब तक दोनो वापस नही आ गये कमल जी की गोद मे ही सिर रख कर

सोती रही. और कमल जी घंटों मेरे बालों मे अपनी उंगलियाँ फेरते

रहे. बीच बीच मे मेरे गालों पर या मेरे होंठों पर अपने गर्म

होंठ रख देते.

पंकज और कल्पना रात के दस बजे तक चहकते हुए वापस लौटे.

होटेल से खाना पॅक करवा कर ही लौटे थे. मेरी हालत देख कर

पंकज और कल्पना घबरा गये. बगल मे ही एक डॉक्टर रहता था उसे

बुला कर मेरी जाँच करवाई.डॉक्टर ने देख कर कहा कि वाइरल

इन्फेक्षन है दवाइयाँ लिख कर चले गये.

दवाई खाने के बाद ही हालत थोड़ी ठीक हुई. दो दिन मे एकद्ूम स्वस्थ

हो गयी. इस दौरान हम चारों के बीच किसी तरह का कोई सेक्स का

खेल नही हुआ.

अगले दिन पंकज का जन्मदिन था. शाम को बाहर खाने का प्रोग्राम था.

एक बड़े होटेल मे सीट पहले से ही बुक कर रखे थे. वहीं पर

पहले दोनो भाइयों ने ड्रिंक्स ली फिर खाना खाया. वापस लौटते समय

पंकज बज़ार से एक ब्लू फिल्म का ड्व्ड खरीद लाए.

घर पहुँच कर हम चारों कपड़े बदल कर हल्के फ्लूके गाउन मे

हुमारे बेडरूम मे इकट्ठे हुए. फिर पहले एंपी3 चला कर कुच्छ देर

तक एक दूसरे की बीवियों के साथ हमने डॅन्स किया. मैं जेत्जी की

बाहों मे थिरक रही थी और कल्पना दीदी को पंकज ने अपने बाँहों

मे भर रखा था. फिर पंकज ने कमरे की ट्यूबलाइज्ट ऑफ कर दी और

सिर्फ़ एक हल्का नाइट लॅंप जला दिया. हम चारों बिस्तर पर बैठ गये.

पंकज ने द्वड ऑन करके ब्लू फिल्म चला दी. फिर बिस्तर के सिरहाने पर

पीठ लगा कर हम चारों बैठ गये. एक किनारे पर पंकज बैठा

था और दूरे किनारे पर कमल्जी थे. बीच मे हम दोनो औरतें थी.

दोनो ने अपनी अपनी बीवियों को अपनी बाँहों मे समेट रखा था. इस

हालत मे हम ब्लू फिल्म देखने लगे. फिल्म जैसे जैसे आगे बढ़ती

गयी कमरे का महॉल गर्म होता गया. दोनो मर्द बिना किसी शर्म के

अपनी अपनी बीवियों के गुप्तांगों को मसल्ने लगे. पंकज मेरे स्तनो को

मसल रहा था और कमल कल्पना दीदी के. पंकज ने मुझे उठा कर

अपनी टाँगों के बीच बिठा लिया. मेरी पीठ उनके सीने से सटी हुई

थी. वो अपने दोनो हाथ मेरी गाउन के अंदर डाल कर अब मेरे स्तनो को

मसल रहे थे. मैने देखा कल्पना दीदी पंकज को चूम रही थी

और पंकज के हाथ भी कल्पना दीदी की गाउन के अंदर थे. मुझे उन

दोनो को इस हालत मे देख कर पता नही क्यों कुच्छ जलन सी होने

लगी. हम दोनो के गाउन कमर तक उठ गये थे. और नंगी जंघें

सबके सामने थी. पंकज ने अपने एक हाथ को नीचे से मेरे गाउन मे

घुसा कर मेरी योनि को सहलाने लगे. मैं अपनी पीठ पर उनके लिंग की

ठिकार को महसूस कर रही थी.

कमल ने कल्पना दीदी के गाउन को कंधे पर से उतार दिया था और एक

स्तन को बाहर निकाल कर चूसने लगे. ये देख कर पंकज ने भी मेरे

एक स्तन को गाउन के बाहर निकालने की कोशिश की. मगर मेरे इस गाउन

का गला कुच्छ छ्होटा था इसलिए उसमे से मेरा स्तन बाहर नही निकल

पाया. उन्हों ने काफ़ी कोशिशें की मगर सफल ना होते देख कर गुस्से

मे एक झटके मे मेरे गाउन को मेरे बदन से हटा दिया. मैं सबके

सामने बिल्कुल नंगी हो गयी क्योंकि प्रोग्राम के अनुसार हम दोनो ने

गाउन के अंदर कुच्छ भी नही पहन रखा था. मैं शर्म के मारे अपने

हाथों से अपने स्तनो को छिपाने लगी अपनी टाँगों को एक दूसरे से

सख्ती से दाब रखी थी जिससे मेरी योनि के दर्शन ना हों.

"क्या करते हो….शर्म करो……बगल मे कमल भैया और कल्पना दीदी

हैं तुम उनके सामने मुझे नंगी कर दिए. छ्ह्हि छि क्या सोचेंगे

जेत्जी? मैने फुसफुसते हुए पंकज के कानो मे कहा जिससे बगल वाले

नही सुन सके.

"तो इसमे क्या है ? कल्पना भाभी भी तो लगभग नंगी ही हो चुकी

हैं. देखो उनकी तरफ…" मैने अपनी गर्देन घुमा कर देखा तो पाया

कि पंकज सही कह रहा था. कमल्जीई ने दीदी के गाउन को छातियो

से भी उपर उठा रखा था. वो दीदी की चूचियो को मसले जा रहे

थे. उन्हों ने दीदी के एक निपल को अपने दाँतों से काटते हुए दूसरे

बूब को अपनी मुट्ठी मे भर कर मसल्ते जा रहे थे. कल्पना दीदी ने

कमल्जी के पायजामे को खोल कर उनके लिंग को अपने हाथों मे लेकर

सहलाना शुरू कर दिया था.

इधर पंकज ने मेरी टाँगों को खोल कर अपने होंठों से मेरी योनि के

उपर फेरने लगा. उसने उपर बढ़ते हुए मेरे दोनो निपल्स को कुच्छ

देर चूसा फिर मेरे होंठों को चूमने लगा. कल्पना दीदी के बूब्स

भी मेरी तरह काफ़ी बड़े बड़े थे दोनो भाइयों ने लगता है दूध की

बोतलों का मुआयना करके ही शादी के लिए पसंद किया था. कल्पना

दीदी के निपल्स काफ़ी लंबे और मोटे हैं जबकि मेरे निपल्स कुच्छ

छ्होटे हैं. अब हम चारों एक दूसरे की जोड़ी को निहार रहे थे. पता

नही टीवी स्क्रीन पर क्या चल रहा था. सामने लिव ब्लू फिल्म इतनी गर्म

थी कि टीवी पर देखने की किसे फुरसत थी. पंकज ने मेरे हाथों को

अपने हाथों से अपने लिंग पर दबा कर सहलाने का इशारा किया. मैने

भी कल्पना दीदी की देखा देखी पंकज के पायजामे को ढीला करके

उनके लिंग को बाहर निकाल कर सहला रही थी. कमल की नज़रें मेरे

बदन पर टिकी हुई थी. उनका लिंग मेरे नग्न बदन को देख कर

फूल कर कुप्पा हो रहा था.

चारों अपने अपने लाइफ पार्ट्नर्स के साथ सेक्स के गेम मे लगे हुए

थे. मगर चारों ही एक दूसरे के साथी की कल्पना करके उत्तेजित हो

रहे थे. पंकज ने बेड पर लेटते हुए कल्पना दीदी को अपनी टाँगों

के बीच खींच लिया और उनके सिर को पकड़ कर अपने लिंग पर

झुकाया. कल्पना दीदी उनके लिंग पर झुकते हुए हुमारी तरफ देखी.

पल भर को मेरी नज़रों से उनकी नज़रें मिली तो उन्हों ने मुझे भी

ऐसा करने को इशारा करते हुए मुस्कुरा दी. मैने भी पंकज के लिंग

पर झुक कर उसे चाटना शुरू किया. पंकज के लिंग को मैं अपने मुँह

मे भर कर चूसने लगी और कल्पना दीदी कमल के लिंग को चूस

रही थी. इसी दौरान हम चारों बिल्कुल नग्न हो गये.

" पंकज लाइट बंद कर दो शर्म आ रही है." मैने पंकज को

फुसफुसते हुए कहा.

"इसमे शर्म किस बात की. वो भी तो हमारे जैसी हालत मे ही हैं."

कहकर उन्हों ने पास मे काम क्रीड़ा मे व्यस्त कमल और कल्पना की ओर

इशारा किया. पंकज ने मुझे अपने उपर लिटा लिया. वो ज़्यादा देर तक

ये सब पसंद नही करते थे. थोड़े से फोरप्ले के बाद ही वो योनि

के अंदर अपने लिंग को घुसा कर अपनी सारी ताक़त चोदने मे लगाने

पर ही विस्वास करते थे. उन्हों ने मुझे अपने उपर खींच कर अपनी

योनि मे उनका लिंग लेने के लिए इशारा किया. मैं उनकी कमर के पास

बैठ कर घुटनो के बल अपनी बदन को उनके लिंग के उपर किया. फिर

उनके लिंग को अपने हाथों से अपनी योनि के मुँह पर सेट करके मैं अपने

बदन का सारा बोझ उनके लिंग पर डाल दी. उनका लिंग मेरे योनि के

अंदर घुस गया. मैने पास मे दूसरे जोड़े की ओर देखा. दोनो अभी

भी मच मैथुन मे बिज़ी थे. कल्पना दीदी अभी भी उनके लिंग को

चूस रही थी. मेरा तो उन दोनो के मुख मैथुन की अवस्था देख कर

ही पहली बार झाड़ गया.

तभी पंकज ने ऐसी हरकत की जिससे हुमारे बीच बची खुचि शर्म

का परदा भी तर्तर हो गया, पंकज ने कमल्जी का हाथ पकड़ा और

मेरे एक स्तन पर रख दिया. कमल ने अपने हाथों मे मेरे स्तन को

थाम कर कुच्छ देर सहलाया. ये पहली बार था जब किसी गैर मर्द ने

मुझे मेरे हज़्बेंड के सामने ही मसला था. कमल मेरे एक स्तन को

थोड़ी देर तक मसल्ते रहे फिर मेरे निपल को पकड़ कर अपनी

उंगलियों से उमेथ्ने लगे.

पंकज इसी का बहाना लेकर कल्पना दीदी के एक स्तन को अपने हाथों मे

भर कर दबाने लगे. पंकज की आँखें कल्पना दीदी से मिली और

कल्पना दीदी अपने सिर को कमल्जी के जांघों के बीच से उठा कर आगे

आ गयी. जिससे पंकज को उनके स्तनो पर हाथ फिराने के लिए ज़्यादा

मेहनत नही करनी पड़े. अब हम दोनो महिलाएँ अपने अपने हज़्बेंड के

लिंग की सवारी कर रहे थे. उपर नीचे होने से दोनो की बड़ी बड़ी

चूचिया उच्छल रही थी. पंकज के हाथों की मालिश अपने स्तनो पर

पाकर कल्पना दीदी की धक्के मारने की रफ़्तार बढ़ गयी. और वो, "

आआहह म्‍म्म्मम" जैसी आवाज़ें मुँह से निकालती हुई कमल जी पर लेट

गयी. लेकिन कमल्जी का तना हुआ लिंग उनकी योनि से नही निकला.

कुच्छ देर तक इसी तरह चोदने के बाद. पंकज ने मुझे अपने उपर से

उठा कर बिस्तर पर लिटाया और मेरी दोनो टाँगें उठा कर अपने कंधे

पर रख दिया और मेरी योनि पर अपने लिंग को लगा कर अंदर धक्का

दे दिया. फिर मेरी योनि पर ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने लगे. मैं कमल

की बगल मे लेटी हुई उनको कल्पना दीदी के चूमते और प्यार करते

हुए देख रही थी. मेरे मन मे जलन की आग लगी हुई थी. काश

वहाँ उनके बदन पर कल्पना दीदी नही बल्कि मेरा नग्न बड़ा पसरा हुआ

होता.

वो मुझे बिस्तर पर लेते हुए ही निहार रहे थे. उनके होंठ कल्पना

दीदी को चूम चाट रहे थे लेकिन आँखें और दिल मेरे पास था. वो

अपने हाथों को मेरे बदन पर फेरते हुए शायद मेरी कल्पना करते

हुए अपनी कल्पना को वापस ठोकने लगे. कल्पना दीदी के काफ़ी देर तक

ऊपर से करने के बाद कमल्जी ने उसे हाथों और पैरों के बल झुका

दिया. ये देख पंकज भी मुझे उल्टा कर मुझे भी उसी पोज़िशन मे

कर दिया. सामने आईना लगा हुआ था. हम दोनो जेठानी देवरानी पास

पास घोड़ी बने हुए थे. दोनो ने एक साथ एक र्य्थेम मे हम दोनो को

ठोकना शुरू किया. चार बड़े बड़े स्तन एक साथ आगे पीछे हिल

रहे थे. हम दोनो एक दूसरे की हालत देख कर और अधिक उत्तेजित हो

रहे थे. कुकछ देर तक इस तरह करने के बाद दोनो ने हम दोनो को

बिस्तर पर लिटा दिया और उपर से मिशनरी स्टाइल मे धक्के मारने

लगे. इस तरह संभोग करते हुए हमारे बदन अक्सर एक दूसरे से

रगड़ खा कर और अधिक उत्तेजना का संचार कर रहे थे.

कल्पना दीदी अब झड़ने वाली थी वो ज़ोर ज़ोर से चीखने लगी, "

हाआअँ ……हाआअँ….ओउउउर्र्र जूऊओर सीई और जूऊर सीई. हाआँ

इसीईईईई तराआहह. काअमाअल आअज तुम मे काफ़िईई जोश हाीइ… आअज

तो तुम्हारा बहुत तन रहा है. आअज तूओ मैईईईई निहाआअल हो

गइईए" इस तरह बड़बड़ाते हुए उसने अपनी कमर को उचकाना शुरू

किया और कुच्छ ही देर मे इस तरह बिस्तर पर निढाल होकर गिरी मानो

उसके बदन से हवा निकल दी गयी हो. अब तो कमल्जी उसके ठंडे पड़े

शरीर को ठोक रहे थे.

क्रमशः........................
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &;
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- Raj sharma
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