छोटी-छोटी रसीली कहानियां, Total 18 stories Complete

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Jaunpur

Re: छोटी-छोटी रसीली कहानियां

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xyz wrote:भाई जी धमाके पे धमाका कर दिया है आपने

वेरी गुड भाई
Thanks Bro.
Jaunpur

Re: छोटी-छोटी रसीली कहानियां

Post by Jaunpur »

rajsharma wrote:दोस्त आपको यहाँ नई नई कहानियों के साथ देखकर बहुत प्रसन्नता हो रही है
अब लगता है इस फोरम का भाग्य बदलने वाला है
मेरी कोशिश यही है की कहानियां अच्छी हों, नई लगें (भले ही पुरानी हों)। आगे पाठकों की पसंद??
धन्यवाद

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Jaunpur

Re: छोटी-छोटी रसीली कहानियां

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friends,
Update thodii der me.
Jaunpur

गैंगबैंग_सरिता का_Sarita Ka Gang Bang

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मेरी बहन का गैंग रेप हुए कुछ ही दिन हुए थे और अब वोह कालेज के यूनियन रूम में रोज जीतू से मिलने जाती थी जहाँ उसकी रोज चुदाई हो रही थी।

जीतू की गर्लफ्रेंड अलका भी उसकी चुदाई के मजे लेती थी, एक दिन मेरी बहन यूनियन रूम में थी और जीतू उसको चोद रहा था, मेरी बहन के चिल्लाने की आवाज बाहर तक सुनाई पड़ रही थी, मैं यूनियन रूम की विंडो से अंदर देखने की कोशिश कर रहा था की तभी वहाँ अलका आ गयी।

और मुझे देखकर मुश्कुराने लगी, वोह बोली- “क्यूँ अपनी बहन की चुदाई देखना चाहता है क्या?”

मैं चुप रहा।

वोह फिर बोली- “शर्मा मत तेरी बहन तो वैसे भी कालेज की टाप रंडी बन चुकी है, तुझे अगर उसको चोदना है तो बोल, अभी इंतजाम कर देती हूँ…”

मैंने अपना सिर ना में हिला दिया और वहाँ से चला गया।

अगली सुबह अलका मेरे पास आई और बोली- “इस सनडे को सुबह 9:00 बजे मेरे घर पहुँच जइओ क्यूंकी 10:00 बजे तेरी बहन आएगी…”

मैंने पूछा- किसलिए?

तो वोह बोली- “तेरी बहन सरिता को पूरे दिन चोदने का प्रोग्राम बनाया है और काफी लोग आएँगे और अगर तू देखना चाहता है तो एक घंटा पहले आ जइयो। मैं तुझे पास के रूम में छुपा दूँगी जहाँ से तू पूरे दिन आराम से बैठकर सरिता की चुदाई देखियो…”

ये सुन मैं एकदम भौचक्का रह गया की सरिता पूरे दिन कैसे चुदेगी? क्यूंकी वोह एकदम पतली थी और उसकी गाण्ड और चूत के छेद बहुत छोटे थे। लेकिन पता नहीं क्यूँ मैं मना नहीं कर पाया। सनडे को मैं अलका के घर पहुँच गया। अलका मुझे ड्राइंग रूम में ले गयी जहाँ एक सोफा, एक स्टूल और एक टेबल रखी थी। पास में एक प्लास्टिक की रस्सी और एक बेंत की छड़ी भी पड़ी थी।

अलका ने मुझसे कहा की- “सब सरिता के लिए रखा है…”

मैंने उससे पूछा- “क्या मेरी बहन सरिता को इसके बारे में पता है?”

तो वोह बोली- “नहीं, उसको तो सिर्फ़ इतना पता है की जीतू उसको चोदने आ रहा है…”

थोड़ी देर में बेल बजी और मैं जल्दी से बराबर के रूम में छिप गया। मैंने देखा की करीब 12 मुस्टंडे आदमी अलका के घर में आ गये। वो सब शकल से मवाली लग रहे थे और सब हट्टे-कट्टे थे। तभी उन सबने अलका को 500-500 रूपये देने शुरू किए। ये देखकर मैं समझ गया की अलका ने मेरी बहन को रंडी के तरह सिर्फ़ 500 रूपये में बेच दिया है।

अलका मेरे पास अंदर आई और बोली- “तेरी बहन फ्री में रोज कालेज में चुदवाती है। आज वोह पहली बार कमाने वाली रंडी बनेगी…” और वो मुश्कुरा के बाहर बैठे 12 लोगों को सरिता के बारे में बताने लगी।

उसने कहा- “आज जो लड़की यहाँ आएगी उसका नाम सरिता हैं और सेकन्ड एअर की स्टूडेंट है, उसकी उमर 20 साल है, गोरी और एकदम चिकनी है। पर हाँ… लेकिन थोड़ी पतली है इसलिए जरा आराम से चोदना क्यूंकी उसके छेद बहुत टाइट हैं, बाकी थोड़ी बहुत चुदाई तो उसकी रोज होती है लेकिन इतना लंबा पहली बार चुदेगी। और हाँ जिसको जैसे भी चोदना हो वैसे चोदे, उसको मारो पीटो, पेशाब पिलाओ और गूः भी खिला सकते हो। मतलब जो दिल में हो करना बस जिंदा छोड़ देना…” और यह कहकर वोह उनके लिए दारू ले आई।

उन सबने दारू पीनी शुरू कर दी। अब 10:00 बज चुके थे और सबको सरिता के आने का इंतजार था, की तभी घंटी बजी और सबके चेहरे खिल गये। अलका ने आई ग्लास से देखा और कन्फर्म किया- “लीजिए भाई लोगों आपकी सरिता जी गेट पर आ गयी हैं…”

अलका दरवाजा खोलने ही वाली थी की एक आदमी बोला- “उसको बोलो की कपड़े बाहर गेट पर ही उतार दे और नंगी होकर अंदर आए…”

इसपर अलका हँसी और बोली- क्यूँ नहीं?

उसने सरिता को बोला- “सरिता, अपने कपड़े बाहर ही उतार दो और नंगी हो जाओ…”

इसपर सरिता की आवाज आई- “क्या कह रही हो अलका बाहर कोई भी आ जाएगा…”

लेकिन अलका नहीं मानी और बोली- “तो ठीक है तेरे घर पर जाकर सब बता आती हूँ…”

तब सरिता बोली- “अच्छा अच्छा उतारती हूँ। तू भी ना हमेशा मुझसे ऐसे काम करवाती है…” फिर सरिता पूरी नंगी होकर जोर से बोली- “अलका, प्लीज जल्दी दरवाजा खोल, मैं एकदम नंगी हूँ…”

इसपर अलका ने दरवाजा खोल दिया और सरिता रूम में अंदर आ गयी। वोह पूरी नंगी थी और उसके लंबे बाल दोनों ओर से उसकी छोटी-छोटी चूचियों को आधा छुपाए हुए थे। उसका पेट एकदम फ्लैट था और कमर एकदम पतली और चूत के ऊपर थोड़े से बाल थे। सरिता ने अपने कपड़े अपने हाथों में पकड़े थे। अब सरिता की नजर अंदर बैठे 12 आदमियों पर पड़ी जो उसको आँख फाड़कर देख रहे थे।

उनको देखकर सरिता एकदम दंग रह गयी और शर्म से पानी-पानी होने लगी। अब वोह अपने नंगे बदन को अपने कपड़ों से छुपाने लगी, और अलका की तरफ बड़ी रोती हुई सी सूरत बनाकर देखने लगी। अब वोह समझ गयी थी की अलका ने उसके साथ क्या चाल चली है।

अलका सरिता की तरफ देखकर मुश्कुराई और उसके हाथों से कपड़े छीनने लगी। और बोली- “क्या हुआ घबरा क्यूँ रही है, अरे पागल भूल गयी पहली चुदाई, उस दिन भी तो 7 लोग थे और अब तो यही तेरी जिंदगी है सरिता। चल हिम्मत से काम ले और पूरा मजा लेकर चुदवाना और हाँ रोना धोना नहीं है ओके…” यह कहकर उसने झटके से सरिता के सारे कपड़े छीन लिए और उसे एकदम निरा नंगा छोड़ दिया।

फिर उं मुस्टंडों से बोली- “अब आप लोगों के हवाले है प्लीज शुरू कीजिए…”

सरिता डरी और घबराहट से काँपने लगी और काँपती हुई आवाज में बोली- “प्लीज… मुझे जाने दो…” और रोने लगी।

और वोह भूखे भेड़ियों की तरह सरिता पर टूट पड़े। दो आदमियों ने बीच में से सेंटर टेबल हटा दी और सरिता को लाकर बीच में खड़ा कर दिया। अब एक आदमी बोला- “चल री रांड़ ग्लास में सबके लिए दारू डाल…”

सरिता वहीं खड़ी रही और अपनी चूचियां छुपाने की कोशिश करते हुए बोली- “प्लीज भाइ साहब मुझे चोदो मत मुझे बहुत दर्द होता है…”

इसपर चौथा बंदा उठा और उसने पास में रखी हुई बेंत की छड़ी उठा ली और सरिता की छोटी सी गाण्ड पर जोर से लगा दी, छड़ी पड़ते ही सरिता दर्द से तड़प उठी और चिल्लाई- “आईइ माँ अया… अया… आह…”

उस आदमी ने फिर अपना हाथ उठाया और सरिता लपक के सबके लिए दारू डालने लगी। उसकी चीख सुनकर अलका भी आ गयी और बोली- “क्या हुआ चिल्लई क्यूँ थी?”

तब पांचवें बंदे ने सरिता के बाल पकड़े और उसकी गाण्ड अलका को दिखाई। उसकी छोटी गाण्ड पर एक लंबी लाल लकीर थी और खाल भी उधड़ गयी थी।

अलका बोली- “अगर और नखरे करे तो इस कुतिया के हाथ पैर बाँध कर पीटना…”

थोड़ी देर में ही सरिता ने सबको 4-4 पेग पिला दिए और अब सभी 12 लोग नशे में उससे मजे लेने लगे। अब सबने अपने कपड़े उतारने शुरू किए और सभी 12 बंदे पूरे नंगे होकर अपना-अपना लण्ड तानने लगे। सबके लण्ड बड़े-बड़े, गंदे और मोटे थे और सभी सरिता की चूत में अपना लण्ड घुसाने को मचल रहे थे। सरिता बेचारी बड़ी डरी हुई सी अपने चारों और फूंकरते हुए बड़े-बड़े लण्ड देख रही थी। तभी एक आदमी ने उसे घुटनों के बल बीच में बैठने को कहा और वोह बैठ गयी।

अब सभी 12 बंदे सरिता के चारों तरफ घेरा बनाकर खड़े हो गये और सबने अपना अपना लण्ड सरिता के मुँह के सामने खड़ा कर दिया। सरिता चारों तरफ से लण्डों से घिर गयी, ऐसा लग रहा था मानो उसको लण्डों का गुलदस्ता दिया जा रहा हो।

अब अलका बोली- “चल रांड़ एक-एक करके चूसना चालू कर और 5 मिनट में किसी का भी लण्ड तेरे मुँह में नहीं झड़ा तो तुझे आज कोठे पर ले जाएँगे…”

कोठे का नाम लेते ही सरिता डर गयी और जल्दी से उसने एक लण्ड को अपने मुँह में ले लिया और जोर-जोर से उसको चूसने लगी।

उधर अलका ने सामने एक घड़ी रख दी और बोली- “5 मिनट के ऊपर नहीं होना चाहिए…”

अब सरिता ने और जोर-जोर से लण्ड को चूसना शुरू कर दिया और पूरा लण्ड अपने मुँह में लेने लगी। उस आदमी का लण्ड भी एकदम फटने को हो गया और पूरा 10 इंच का बन गया, 3 मिनट में उस आदमी को मजा आने लगा और जल्दी ही उसने सरिता का गला पकड़ा और पूरे प्रेशर से अपना पूरा वीर्य सरिता के मुँह में भर दिया। वीर्य इतना सारा था की सरिता के मुँह से टपक रहा था।

तभी अलका बोली- “सुन रांड़ एक बूँद भी अगर नीचे टपकी तो तेरी गाण्ड में दो-दो लण्ड से चुदाई होगी…”

सरिता फिर डर गयी और उसने अपनी जीभ बाहर निकाली और टपकते हुए वीर्य को चाटकर निगल गयी। अभी वोह साँस भी नहीं ले पाई थी की एक और 9 इंच का लण्ड उसके मुँह पर दस्तक देने लगा। सरिता ने फिर अपना मुँह खोल दिया और फिर से लग गई। अगले 20 मिनट में सरिता ने 5 लोगों के लण्ड चूस-चूसकर झाड़ दिए थे, लेकिन बाकी के लोग बोर हो रहे थे।

तब उनमें से एक ने बोला- “यार इसको खड़ी करो, मुँह से ये लण्ड चूसे लेगी और एक-एक करके हम इसकी गाण्ड भी मारते रहेंगे…”

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Jaunpur

गैंगबैंग_सरिता का_Sarita Ka Gang Bang

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यह सुनकर सरिता फिर से रोने लगी और बोली- “मैं तुम लोगों के आगे हाथ जोड़ती हूँ, पर पीछे से मत करो मुझसे सहा नहीं जाता…”

ये सुन सब हँसने लगे और अलका भी हँसने लगी। वोह सरिता के पास आई और बोली- “तू चिंता मत कर… आज जब तू यहाँ से जाएगी तब तेरी गाण्ड इतनी ढीली होगी की दो-दो लण्ड उसमें घुस जाया करेंगे…”

सरिता अब भी अपने हाथ जोड़े खड़ी और अपनी चूचियां छुपा रही थी।

ये देखकर अलका बोली- “भाइयों इसको शर्म बहुत आती है, इतने लण्ड चूसने के बाद भी, देखो कैसे शर्मा रही है। तो आप सभी लोगों से गुजारिश है की आज इसको एकदम बेशरम रंडी बना के ही यहाँ से जाने देना…”

इसपर सभी धीरे-धीरे हँसने लगे और तब एक आदमी उठा और उसने अपनी पैंट की जेब से एक छोटी सी बोतल निकाली जिसमें कुछ लाल रंग का लिक्विड भरा था। अब उसने उसका ढक्कन खोला और अपने हाथ में थोड़ा सा लिक्विड डाला। वो कुछ तेल जैसा था और उसकी गंध भी बड़ी अजीब सी थी। उसने वोह तेल अपने लण्ड पर मला और सोफे पर बैठ गया। अब वोह अपने लण्ड को दोनों हाथों से गोल-गोल रगड़ने लगा। थोड़ी देर में ही उसका लण्ड एकदम लाल हो गया और साइज में भी बढ़ गया।

सरिता भी ये सब देख रही थी और शायद सोच रही थी की आज तो उसकी दबा के चुदाई होगी।

अब उस आदमी ने सरिता का हाथ पकड़ा और बोला- “चल आ जा और मेरे लण्ड पर बैठ जा…”

बेचारी सरिता ने सोचा की सिर्फ़ बैठना है लेकिन उसने जैसे ही अपनी गाण्ड उस आदमी के ऊपर रखी उसने एकदम अपना लण्ड खड़ा कर दिया और वोह सरिता की गाण्ड में घुस गया। क्यूंकी सरिता पूरे वजन के साथ नीचे बैठी थी इसलिए उसका आधा लण्ड उसकी गाण्ड में घुस गया और सरिता इतनी जोर से चीखी की मैं भी एक मिनट को डर गया।

वो कुछ इस तरह से चिल्लाई थी- “आई… अफ… आफ… आह्ह्ह… आह… मर गयी, मर गयी, आह… मेरी माँ…”

उस आदमी ने सरिता को जोर से कमर से पकड़ लिया।

सरिता को दर्द से पसीने आने लगे। अब वोह पागलों जैसी लग रही थी और कह रही थी- “अलका बचाओ, अलका बचाओ, अलका बचाओ…”

ये सुनकर अलका उसके पास आई और बोली- “सरिता एकदम रिलैक्स हो जाओ कुछ नहीं हुआ है, शांत, शांत…"

5 मिनट में सरिता थोड़ी शांत हो गयी लेकिन दर्द से अभी भी सी… सी… कर रही थी। अब दूसरे आदमी ने बाकी का तेल सरिता के नंगे शरीर पर डाल दिया और अलका और वो दोनों उस तेल से सरिता की मालिश करने लगे। सरिता बेहोशी जैसी हालत में थी और अब वोह ना अपनी चूचियां छुपा रही थी और ना ही शर्मा रही थी, बल्कि ऐसा लग रहा था जैसे अब वो मेंटली चुदाई के लिए तैयार हो चुकी थी। अलका और वो आदमी जोर-जोर से सरिता की चूचियां पर वोह तेल रगड़ रहे थे और धीरे-धीरे वोह आदमी जिसका लण्ड सरिता की गाण्ड में घुसा हुआ था, उसकी गाण्ड को सहला रहा था और धीरे-धीरे अपना लण्ड उसकी गाण्ड में और अंदर तक डालता जा रहा था।

थोड़ी देर में सरिता का मुँह और उसकी छाती एकदम लाल हो गयी और उसको बहुत गर्मी लगने लगी, ऐसा लग रहा था जैसे वोह तेल किसी तरह का ठरक लाने वाला केमिकल था। अब सरिता बड़ी शांति से लंबी-लंबी साँसें ले रही थी और अपनी गाण्ड में घुसे लण्ड को एंजाय कर रही थी। तभी उसकी चूत से सफेद-सफेद गाढ़ा-गाढ़ा पानी आने लगा।

ये देखकर अलका बोली- “यह तो लगता है मस्त हो गयी है, बस अब आप सब लोग इसकी रगड़ाई शुरू करो…”

अब वोह आदमी जिसने अपना लण्ड सरिता की गाण्ड में डाल रखा था, उठा और सरिता को अपने नीचे ले आया। उसने उसको कुतिया की पोजीशन में सोफे पर खड़ा कर दिया और उसकी कमर पकड़कर उसकी गाण्ड को थोड़ा तेजी से चोदने लगा। सरिता का पतला चिकना गोरा नंगा बदन पसीने में चमक रहा था। उसके छोटे-छोटे गहरे गुलाबी रंग के चूचुक उसकी गोरी-गोरी चूचियों पर अलग ही दिख रहे थे।

और उसका पूरा पतला कमसिन नंगा बदन गाण्ड में चल रही चुदाई से आगे पीछे हो रहा था। अब सरिता सब कुछ भूलकर पूरा ध्यान अपनी चुदाई पर लगा रही थी। थोड़ी-थोड़ी देर में दर्द की वजह से उसके माथे पर सलवटें पड़ रही थीं और वोह हल्के-हल्के कराहने के साथ-साथ सिसक भी रही थी। कुछ इस तरह- “एयेए… आह्ह्ह… आह्ह्ह… एयेए… हाँ हाँ आह्ह्ह…”

ये सब देखकर मेरा लण्ड भी फटने को हो गया और मैं भी अपने कपड़े उतारकर नंगा हो गया और धीरे-धीरे मूठ मारने लगा।

तभी अलका मेरे रूम में आई और मुझे मूठ मारता देखकर दबी हुई आवाज में बोली- “तू बहुत ठरकी है, बाहर तेरी बहन की 12 लोग चुदाई कर रहे हैं और वो दर्द से मर रही है और तू मूठ मार रहा है…”

लेकिन मैं इतना उत्तेजित था की मैं बोला- “अलका, साली कुतिया को इतना चोदो की वो चलने के काबिल भी ना रहे।…”

इसपर अलका बोली- “उसकी चिंता मत कर अभी तो सिर्फ़ शुरू किया है रात के 9:00 बजे तक इसका यही हाल रहेगा और चाल तो इसकी आज हमेशा के लिए बदल जाएगी…”

उधर सरिता की फिर से चिल्लाने की आवाज आई। मैं और अलका ने एकदम से बाहर देखा तो नजारा कुछ इस तरह का था- सरिता को एक बंदे ने अपनी गोदी में उठा रखा था और सरिता की दोनों टाँगें उसकी कमर के दोनों तरफ बंधी हुई थी उसके नंगे चूचुक उस आदमी की छाती से रगड़ खा रहे थे। उसका लण्ड सरिता की चूत में घुसा हुआ था और दूसरा आदमी सरिता के पीछे खड़ा था और उसका मोटा काला लंबा लण्ड सरिता की गाण्ड में घुसा था। वोह दोनों सरिता को हवा में उछाल रहे थे और दोनों के लण्ड सरिता की गाण्ड और चूत को फाड़ रहे थे।

सरिता हर झटके में इस तरह चिल्ला रही थी- “आई… आई… बस मुझे नीचे उतारो…”

ये देखकर अलका बोली- “अब मजा आएगा…” और ये कह वो बाहर चली गयी।

10 मिनट हवा में चोदने के बाद उन्होंने सरिता को सोफे पर फेंक दिया और अब एक और आदमी आगे बढ़ा और सरिता के मुँह में अपना ढीला लण्ड घुसा दिया और बोला- “चल मेरी रांड़ चूस…”

सरिता ने एक अच्छी बच्ची की तरह झट से लण्ड मुँह में डाला और चूसने लगी।

अब अलका ने पास रखी लकड़ी की छड़ी उठाई और बोली- “सरिता जरा कुतिया बन और लण्ड मुँह से नहीं निकलना चाहिए…”

सरिता लण्ड को मुँह में रखे-रखे घूमी और सोफे पर कुतिया बन गयी।

अब अलका ने सभी आदमियों को देखा और एक कोने में खड़े बंदे से बोली- “आप आओ इधर, आपका सबसे बड़ा और मोटा है…”

जब वोह आदमी करीब आया तो मैं भी देखकर हैरान रह गया की किसी का लण्ड इतना बड़ा कैसे हो सकता है। वो कम से कम 10 इंच लंबा, दो इंच मोटा और एकदम सख़्त लण्ड था।

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