एक आहट जिंदगी की complete

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Ankit
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Re: एक आहट जिंदगी की

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नाजिया बिना कुछ कहे खाना थाली मे डाल कर ऊपेर चली गयी…..और राज को खाना देकर वापिस आ गयी और बोली……”अम्मी राज कह रहा था कि, आप खाना देने ऊपेर नही आई….आप ठीक तो हो ना…..” मेने एक बार नाजिया की तरफ देखा और फिर कहा…….”मैं ठीक हूँ…चलो अब खाना खाते है……” खाना खाने के बाद हमने घर का काम निपटाया और सो गये….अगले दिन सुबह अंजुम वापिस आ गये, और नाजिया और मुझसे कहा कि, नाजिया की मामी की तबीयत खराब है. इसीलिए वो नाजिया को कुछ दिनो के लिए अपने पास बुलाना चाहती है….अंजुम ने नाजिया को तैयार होने के लिए कहा……मेने जल्दी से नाश्ता तैयार क्या, और नाश्ते की ट्राइ लगाकर नाजिया से कहा कि, वो ऊपेर राज को नाश्ता दे आए….आज हमारी नाजिया और ज़्यादा कह ढा रही थी….

उसने महरूण कलर का सुर्ख सलवार कमीज़ पहना हुआ था….उसका गोरा रंग उस सुर्ख जोड़े मे और खिल रहा था….ज़रूर राज बाबू हमारी नाजिया की खूबसूरती को देख कर घायल हो गये होंगे……..नाजिया नाश्ता देकर वापिस आई तो उसके चेहरे पर बहुत ही प्यारी से मुस्कान थी…..फिर थोड़ी देर बाद राज भी नीचे आ गया….मैं किचन मे ही काम कर रही थी, कि अंजुम किचन मे आए और बोले….

नजीबा: मैं शाम तक वापिस आ जाउन्गा…..और हां आज फातिमा भाभी आने वाली है… उनकी अच्छे से मेहमान नवाज़ी करना…..

ये कह कर नाजिया और अंजुम चले गये….मैने मन ही मन सोचा अच्छा तो इसलिए अंजुम नाजिया को उसकी मामी के घर छोड़ने जा रहे थे, ताकि वो अपनी भाभी फातिमा के साथ खुल कर रंगरलियाँ मना सके…..क्योंकि अब नाजिया समझदार हो चुकी थी…..इसलिए अंजुम नाजिया को उसकी मामी के यहाँ छोड़ने गये थे….
अभी कुछ ही वक़्त गुजरा था कि, डोर बेल बजी, जब मेने गेट खोला तो बाहर फातिमा खड़ी थी. मुझे देख कर उसने एक कमीनी मुस्कान के साथ सलाम कहा, और अंदर चली आई. मेने गेट बंद किया, और रूम मे आकर फातिमा को सोफे पर बैठा दिया….”और सूनाओ फातिमा दीदी कैसे है आप” मेने किचन से पानी लाकर फातिमा को देते हुए कहा…..

फातिमा: मैं ठीक हूँ…..तुम सूनाओ तुम कैसी हो….?

मैं: मैं ठीक हूँ भाबी जिंदगी कट रही है…..अच्छा क्या लेंगी आप चाइ या शरबत…

फातिमा: तोबा नजीबा इतनी गरमी मे चाइ, तुम एक काम करो शरबत ही बना लो….

मैं किचन मे गये और शरबत बना कर ले आई, और शरबत फातिमा को देकर बोली, “भाभी आप बैठिए, मैं ऊपेर से कपड़े उतार लाती हूँ…..” मैं ऊपेर छत पर गयी, और कपड़े उतार कर नीचे आने लगी….कुछ ही सीढ़ियाँ बची थी कि अचानक से मेरा बॅलेन्स बिगड़ गया, और मैं सीढ़ियों से नीचे गिर गयी….गिरने की आवाज़ सुनते ही, फातिमा दौड़ कर बाहर आई, और मुझे यूँ नीचे गिरा देख कर उसने मुझे जल्दी से सहारा देकर उठाया और रूम मे लेजा कर बेड पर लेटा दिया…..”या खुदा ज़्यादा चोट तो नही लगी नजीबा…..”

मैं: अहह हाई बहुत दर्द हो रहा है भाभी….आहह आप जल्दी से डॉक्टर बुला लाओ…

फातिमा फॉरन बाहर चली गयी, और गली के नुकड पर डॉक्टर का क्लिनिक था….वहाँ से डॉक्टर को बुला लाई….डॉक्टर ने चेकप किया और कहा…”घबराने की बात नही है….” कमर मे हल्की सी मोच है…आप ये दवाई खाए और ये बॉम दिन मे तीन चार बार लगा कर मालिश करे, आपकी चोट जल्द ही ठीक हो जाएगी…….

डॉक्टर के जाने के बाद फातिमा ने मुझे दवाई दी, और बॉम से मालिश की……शाम को अंजुम और राज घर वापिस आए तो फातिमा ने डोर खोला…..अंजुम बाहर से भड़क उठे….मुझे रूम मे उनकी आवाज़ सुनाई दे रही थी…

अंजुम: भाभी जान आपने क्यों तकलीफ़ की, वो नजीबा कहाँ मर गयी…..वो डोर नही खोल सकती थी क्या…..

फातिमा: अर्रे अंजुम भाई इतना क्यों भड़क रहे हो…..वो बेचारी तो सीढ़ियों से गिर गयी थी. चोट आई है उसे डॉक्टर ने आराम करने को कहा था….उसके बाद राज एक बार रूम मे आया, और मेरा हालचाल पूछ कर ऊपेर चला गया….और एक मेरे शोहार थे कि, उन्होने मेरा हाल चाल भी पूछना ज़रूरी नही समझा….रात का खाना फातिमा ने तैयार किया…..और अंजुम राज को ऊपेर खाना दे आए….अंजुम आज मटन लाए थे…..जिसे फातिमा ने बनाया था.

रात के 11 बजे अंजुम और फातिमा अपनी रंगरेलियों मे मसगूल हो गये……मैं बेड पर लेटी उनकी सब हरकतों को देख कर खून के आँसू पी रही थी…..फातिमा सोच रही थी कि, मैं सो चुकी हूँ…पर दरअसल मैं जाग रही थी…..पर मेरी मौजूदगी से उन्हे क्या फरक पड़ता था…..”अंजुम मियाँ अब आप मे वो बात नही रही…..” फातिमा ने अंजुम के लंड को चूस्ते हुए कहा…

अंजुम: क्या हुआ फातिमा रानी किस बात की कमी है….

फातिमा: ह्म्म्मत देखो ना पहले तो ये मेरी फुद्दि को देखते ही खड़ा हो जाता था… और अब देखो 10 मिनिट हो गये इसके चुप्पे लगाते हुए, अभी तक सही से खड़ा नही हुआ है….

अंजुम: आह तो जल्दी कैसी है मेरे जान थोड़ी देर और चूस ले, फिर मैं तेरे बुर की आग भी बुझाता हूँ…..

थोड़ी देर बाद फातिमा अंजुम के लंड पर सवार हो गयी…..और ऊपेर नीचे होने लगी…थोड़ी देर बाद दोनो शांत हो गये……”अंजुम मैं कल घर वापिस जा रही हूँ….”

अंजुम: क्यों अब क्या हो गया…….

फातिमा: मैं यहाँ तुम्हारे घर का काम करने नही आई……ये तुम्हारी बीवी जो अपनी कमर तुड़वा कर बेड पर पसर गयी है…..मुझे इसकी चाकरी नही करनी मैं घर जा रही हूँ कल…

अंजुम: फातिमा मेरे जान कल मत जाना…..

फातिमा: क्यों मेने कहा नही था तुम्हे कि, तुम मेरे घर आ जाओ…..तुम्हे तो पता है तुम्हारे भाई जान देल्ही गये है….10 दिनो के लिए वहाँ पर कोई नही है…..बच्चे है स्कूल चले जाते है. और शाम को 5 बजे आते है….

अंजुम: तो ठीक है ना कल तक रुक जाओ…..मैं कल बड़े साहब से छुट्टी ले लेता हूँ…फिर परसो साथ मे चलेंगे…..

उसके बाद दोनो सो गये…..मैं भी करवटें बदलते-2 सो गयी….अगली सुबह जब उठी तो देखा फातिमा ने नाश्ता तैयार किया हुआ था….और अंजुम बेड पर बैठे ही नाश्ता कर रहे थे….अंजुम ने फातिमा से कहा कि, ऊपेर राज बाबू को थोड़ी देर बाद नाश्ता दे आएँ…..क्योंकि आज राज ने छुट्टी ले रखी थी…..राज ने कुछ ज़रूरी समान जो खरीदना था….अंजुम के जाने के बाद फातिमा ने नाश्ता ट्रे मे डाला और ऊपेर चली गयी…..थोड़ी देर बाद जब फातिमा नीचे आई तो उसके होंटो पर कमीनी मुस्कान थी…..पता नही क्यों पर मुझे फातिमा की नीयत ठीक नही लग रही थी…..

आज मेरी कमर मे दर्द कुछ कम हुआ था…..पर अभी भी उठने बैठने मे परेशानी हो रही थी…..फातिमा ने दिन मे तीन बार मेरी बॉम से मालिश की, डॉक्टर भी एक बार फिर से चेक करके दवाई दे गया….इस दौरान मेने नोटीस किया कि, फातिमा बार-2 किसी ना किसी बहाने दोपहर तक चार पाँच बार ऊपेर जा चुकी थी…..मुझे कुछ गड़बड़ लग रही थी….फिर राज नीचे आया, और मेरे रूम मे आकर मेरा हाल चाल पूछा…..मैं बेड से उठने लगी तो उसने मुझे लेटे रहने को कहा….और कहा कि वो बाज़ार जा रहा है, अगर किसी चीज़ की ज़रूरत हो तो बता दें…..वो साथ मे लेता आएगा…..मैने कहा कि, किसी चीज़ की ज़रूरत नही है…..राज बाहर चला गया….शाम के करीब 4 बजे राज वापिस आया…..दवाई की वजह से मेरा सर भारी हो रहा था….थोड़ी -2 देर बाद मुझे नींद आ रही थी……
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Ankit
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Re: एक आहट जिंदगी की

Post by Ankit »


लेटे-2 मेरी आँख लग गयी…..अभी सोए हुए 20 मिनिट ही गुज़रे थी कि तेज प्यास लगने से मेरी आँख खुली…..मेने बेड से उठना चाहा तो दर्द की तेज टीस कमर मे उठी….मेने फातिमा को आवाज़ लगाई….पर वो नही आई……मैं किसी तरह से खड़ी हुई, और किचन मे पहुँची, पानी पिया, और फिर दूसरे रूम्स मे देखा पर फातिमा नज़र नही आई…बाहर मेन डोर भी अंदर से बंद था…फिर फातिमा गयी कहाँ…..तभी मुझे फातिमा की सुबह वाली हरकतें याद आ गयी…..हो ना हो डाल मे ज़रूर कुछ काला है….कही वो राज पर डोरे तो नही डाल रही……

ये सोचते ही पता नही क्यों मेरा खून खोल उठा…..मैं बड़ी मुस्किल से पर हिम्मत करके सीढ़ियाँ चढ़ि और ऊपेर आ गयी….जैसे ही मैं राज के डोर के पास पहुँची, तो मुझे अंदर से फातिमा की आहों की पुकार सुनाई दी…….”अह्ह्ह्ह आह धीरे सामीएर बाबू अहह मुझसे भूल हो गयी अह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह हाईए मेरी फुद्दि फाड़ दी रे अहह मेरी बुर ओह फॅट गाईए राजररर”

ये सब सुन कर मैं तो जैसे साँस लेना ही भूल गयी…..क्या मैं जो सुन रही थी वो सच है…. मैं राज के रूम के डोर की तरफ बढ़ी…..जो लॉक नही था और थोड़ा सा खुला हुआ था….अभी मैं डोर की तरफ बढ़ ही रही थी कि, मुझे राज की आवाज़ सुनाई दी…..”साली मुझे नामर्द कहती है……आह आहह ईए ले और ले ले मेरा लौडा अपनी बुर मे साली……अगर नजीबा भाभी घर पर ना होती तो आज तेरी बुर मे लौडा घुसा -2 कर सूजा देता…..”

फातिमा: ह्म्म्म्म हइई सूजा दे मेरीए शेर ओह तेरी ही बुर है…..और तू उस गश्ती की फिकर ना कर मेरे राजा वो ऊपेर चढ़ कर नही आ सकती…..

मैं धीरे-2 काँपते हुए कदमो के साथ डोर के पास पहुँची और अंदर झाँका….. अंदर का नज़ारा देख मेरे होश ही उड़ गये…..अंदर फातिमा बेड पर घोड़ी बनी हुई झुकी हुई थी…और राज उसके पीछे से अपना मुनसल जैसा लंड तेज़ी फातिमा की बुर के अंदर बाहर कर रहा था… फातिमा ने अपना चेहरा बिस्तर मे दबाया हुआ था…उसका पूरा बदन राज के झटको से हिल रहा था…….”अह्ह्ह्ह अहह सामीएरर बाबू मैने तो सारी दुनिया पा ली आह ऐसा लंड आज तक नही देखा अह्ह्ह्ह एक दम जड तक अंदर घुसता है तेरा लौडा अह्ह्ह्ह मेरी बुर के अंदर जाकर बच्चेदानी पर ठोकर मार रहा है…..आह चोद मुझे फाड़ दे मेरी बुर को मेरे राजा”

राज ने अपना लंड फातिमा की बुर से बाहर निकाला और बेड पर लेट गया….फिर उसने फातिमा को उसके खुले हुए बालो से पकड़ कर अपने ऊपेर चढ़ा लिया….फातिमा ने ऊपेर आते ही राज के लंड अपने हाथ मे थाम लिया…..और उसके लंड के सुपाडे को अपनी बुर के छेद पर लगा कर उसके लंड पर बैठ गयी…..और तेज़ी से अपनी गान्ड ऊपेर नीचे उछलाते हुए चुदने लगी…. राज का फेस डोर की तरफ था…..तभी उसकी नज़र अचानक से मुझ पर पड़ी….हम दोनो एक दूसरे की आँखो मे देख रहे थे….मुझे लगा कि अब गड़बड़ हो गयी है….पर राज ने ना तो कुछ कहा और ना ही बोला…..उसने मेरी और देखते हुए फातिमा के चुतड़ों को दोनो हाथों से पकड़ कर दोनो तरफ फेला दिया…..

फातिमा की गान्ड का छेद मेरी आँखो की सामने आ गया…..जो फातिमा की बुर से निकले पानी से एक गीला हुआ था…..राज ने मेरी तरफ देखते हुए अपनी कमर को ऊपेर की तरफ उछालना शुरू कर दिया….राज का 8 इंच का लंड फातिमा की गीली बुर के अंदर बाहर होना शुरू हो गया…..राज बार-2 फातिमा की गान्ड के छेद को फेला कर मेरी ओर दिखा रहा था…मेरे तो जैसे पैर वही जाम गये थे……मैं कभी फातिमा की बुर मे राज के लंड को अंदर बाहर होता देखती तो कभी राज की आँखो मे …….

राज: बोल रांड़ मज़ा आ रहा है ना ?

फातिमा: हां राज बाबू बहुत मज़ा आ रहा है अह्ह्ह्ह दिल कर रहा है कि मैं सारा दिन तुमसे अपनी बुर ऐसे पेलवाती रहूं…..अह्ह्ह्ह सच मे बहुत मज़ा आ रहा है…..

Jaunpur

Re: एक आहट जिंदगी की

Post by Jaunpur »

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Friend,
I started reading your story.

When you accept in advance that this story is written by "bestforu83(तुषार)" although in Roman. I wanted to know that what is the benefit in changing the name of corrector's along with the Name (Title) of the story.

Effort in converting in Hindi font is appreciated.

Thanks for new story in Hindi.

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Re: एक आहट जिंदगी की

Post by student »

धमाकेदार शुरुवात
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Ankit
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Re: एक आहट जिंदगी की

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Jaunpur wrote:.
Friend,
I started reading your story.

When you accept in advance that this story is written by "bestforu83(तुषार)" although in Roman. I wanted to know that what is the benefit in changing the name of corrector's along with the Name (Title) of the story.

Effort in converting in Hindi font is appreciated.

Thanks for new story in Hindi.

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friend I had read another story by Tushar -In my stepmother and sister - and her character Naziba and Nazia were very good. So I changed character. The thing is to change the story name that has come before the name 2 Stories also
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