ब्रा वाली दुकान complete

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kunal
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Re: ब्रा वाली दुकान

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कुछ देर इसी तरह लेटे रहने के बाद शाज़िया नीलोफर के नीचे से निकली और उसने अपनी लंड वाली पैन्टी को उतार कर नीचे रख दिया और खुद सोफे पर घोड़ी बन गई। जैसे ही शाज़िया सोफे पर घोड़ी बनी मैंने अपना लंड शाज़िया की सुंदर नाजुक चूत में उतार दिया और उसको धक्के मारना शुरू कर दिया। अब दुकान में नीलोफर के बजाय शाज़िया की सिसकियों की आवाजें गूंज रही थीं

मेरे हर धक्के के साथ शाज़िया के 34 आकार के मम्मे हवा में हिलते तो मुझे बहुत मज़ा आता। हमें चुदाई करते देखकर नीलोफर की चूत भी फिर से गीला होना शुरू हो गई थी। कुछ देर तक तो वो वैसे ही लेटे लेटे अपनी चूत पर हाथ फेरती रही और मैं शाज़िया की चूत में लंड अंदर बाहर करता रहा। फिर नीलोफर अपनी जगह से उठी और लंड वाली पैन्टी अबकी बार नीलोफर ने पहन ली और मुझे शाज़िया की चूत से लंड निकालने को कहा। मैंने शाज़िया की चूत से लंड निकाला तो नीलोफर ने अपना लंड अबकी बार शाज़िया की चूत में डाल दिया और मुझे कहा कि मैं उसकी चूत की चुदाई करता रहूं जैसे कुछ देर पहले शाज़िया को चोद रहा था और शाज़िया को नीलोफर चोद रही थी मगर अब मैं नीलोफर को चोद रहा था और नीलोफर शाज़िया की चूत में धक्के मार रही थी।

5 मिनट तक मैं इसी तरह नीलोफर की चूत में जोरदार तूफानी धक्के मारता रहा और मेरे हर धक्के के साथ एक नहीं बल्कि 2 चुतो की चुदाई हो रही थी। नीलोफर के 36 आकार के मम्मे मैंने हाथ में पकड़ रखे थे और उसकी चिकनी चूत में लगातार धक्के मार रहा था। कंडोम पर लगी दवाई का असर अब करीब करीब खत्म हो चुका था और मैं काफी देर से बिना कंडोम के ही दोनों को चोद रहा था इसलिए अब मैंने अपने लंड की टोपी पर नीलोफर की चूत की दीवारों की रगड़ महसूस हो रही थी। और मुझे महसूस हो रहा था कि मैं अभी कुछ ही देर में छूट जाऊंगा। मैंने अपने धक्कों की स्पीड तेज की तो नीचे शाज़िया की आवाज आई कि में छूटने वाली हूँ, तेज तेज धक्के लगाओ, जोर से चोदो मुझे, शाज़िया के बाद नीलोफर बोली मेरी भी चूत में जलन हो रही है अब, मेरी योनी भी पानी छोड़ने वाली है, प्लीज़ सलमान जोर से चोदो मुझे।

मैंने नीलोफर को कहा मेरा लंड भी वीर्य छोड़ने वाला है। नीलोफर ने कहा मेरी चूत को भर दो अपने वीर्य से, मैंने गोली खाई हुई है। यह सुनकर मैंने कस कर धक्के मारना शुरू किया और मेरे अंतिम 10, 12 धक्कों ने शाज़िया और नीलोफर दोनों की सिसकियों को जोड़ दिया था।

फिर जब मुझे लगा कि अब मेरा लंड ज़्यादा दबाव सहन नही कर सकता तो मैंने हिम्मत हार दी और एक जोरदार धक्के के साथ ही अपने लंड की धार को नीलोफर की चूत में मार दिया, मेरे लंड का गर्म गर्म वीर्य मिलते ही नीलोफर की चूत ने भी अपना गरम पानी छोड़ दिया और हम दोनों के शरीरो को झटके लगना शुरू हो गए मगर मैंने अपने धक्के नहीं रोके और कुछ और धक्कों के बाद नीलोफर के लंड से चुदाई करवाती हुई शाज़िया की चूत ने भी पानी छोड़ दिया। यों हम तीनों एक साथ फारिग हो गये .

मेरा वीर्य निकालने के बाद में सोफे पर बैठ गया। मुझे काफी थकान हो चुकी थी और गहरी गहरी साँस ले रहा था जबकि मेरे एक ओर शाज़िया और दूसरी ओर नीलोफर बैठी थीं वो भी गहरी गहरी साँस ले रही थीं। मैंने नीलोफर की ओर मुंह किया और उसके होठों को चूस कर उससे पूछा कि मज़ा आया मेरे चुदाई करवाने का ???

नीलोफर ने कहा, हां बहुत ज्यादा मज़ा आया हालांकि हम 2 लड़कियां थीं उसके बावजूद तुमने न केवल हम दोनों की योनी मारी बल्कि मेरी गाण्ड भी मार डाली तुम्हारा लंड शानदार है। मैं तो आज के बाद तुम से ही चुदाई करवाया करूंगी जब भी जरूरत महसूस होगी . इस पर शाज़िया बोली और मैं भी आप से ही चुदाई करवायाक करूँगी यह मत भूलना कि नीलोफर की चूत और गांड मैंने तुम्हें दिलवाई है। ऐसा न हो उसकी गाण्ड के चक्कर में मेरी योनी को भूल जाओ।

मैंने शाज़िया को भी होंठ चूस कर प्यार किया और कहा चिंता मत करो जानेमन, तुम दोनों के अलावा कोई और भी तुम्हारी लंड की प्यासी दोस्त हो तो उसे भी ले आओ उसकी भी तुम दोनों के साथ ही चुदाई करूँगा . इस पर नीलोफर और शाज़िया दोनों मुस्कुराने लगीं और बोलीं ना बाबा ना, बस हम दोनों काफी हैं तुम्हारे इस तगड़े लंड के लिए। हमें किसी और के साथ यह लंड शेयर नहीं करना। बस यह हमारा है, हमारा ही रहने दो। मैंने नीलोफर से कहा राफिया के बारे में क्या विचार है ??? इस पर शाज़िया बोली ना उस पर मत ट्राई करना, वह बहुत सीधी और शरीफ लड़की है। उसकी तो किसी लड़के के साथ दोस्ती भी नहीं। और अगर आपने उसके साथ कोई ऐसी वैसी हरकत की तो वह शोर भी मचा देगी। मैंने मन में सोचा कि यह तो तुम्हारा विचार है, देखना जल्द ही राफिया की चूत में भी मेरा लंड होगा।

नीलोफर और शाज़िया के जाने के बाद काफी देर बैठा राफिया के बारे में सोचता रहा कि आखिर उसे कैसे लाइन पर लाया जाए ?? यह तो मैं जानता ही था कि कहीं न कहीं उसके मन में भी सेक्स की इच्छा है तभी तो वह कैमरे के सामने अपने कपड़े उतार चुकी थी यह जानते हुए भी कि उसका जीजा कैमरे में देख सकता है, बल्कि उसके विचार के अनुसार तो देख ही रहा था। में राफिया को राजी तो कर लेता चुदाई के लिए मगर यह तब होता जब वो मेरी दुकान पर आती या मुझसे बात करती। अब तो समस्या यह थी कि न तो राफिया फोन पर बात कर रही थी और न ही वह काफी दिन से मेरी दुकान पर आई थी। बहुत सोचा लेकिन कुछ समझ नहीं आया कि क्या करूँ ?? एक दो बार मलीहा से भी कहा कि साली से बात करवा मगर मलीहा ने हर बार कहा कि वह आजकल काफी शांत रहती है और किसी से बात नहीं करती। और मेरे से बात करने से भी मना कर देती है। मलीहा की इस बात से भी मुझे निराशा हुई थी लेकिन फिर अचानक ही एक उम्मीद पैदा हुई जब मुझे अपनी सास साहिबा का एक दिन फोन आया। फोन पर मेरी सास साहिबा कह रही थीं कि बेटा राफिया का रिक्शे वाला बीमार हो गया है जो उसे रोज कॉलेज ले जाता था और वापस भी ले आता था घर तो अगर तुम्हारे पास समय हो तो कुछ दिन तुम राफिया को कॉलेज ले जाने और वापस लाने का काम कर दो। मैंने बिना सोचे जल्दी से हां कर दी और कहा आंटी समय न भी हो तो साली के लिए तो समय निकालना ही पड़ता है। यह कह कर मैंने आंटी को अर्थात् अपनी सास को बता दिया कि कल 8 बजे आ जाउन्गा तो राफिया को कहिए कि वह तैयार रहे।

अगले दिन समय से पहले तैयार होना पड़ा क्योंकि पहले आराम से 9 बजे उठकर 10 बजे तक या इससे भी देर से दुकान पर जाता था, मगर आज राफिया को ले जाना था और कॉलेज का समय साढ़े आठ बजे का था तो इसलिए मैं 8 बजे अपने ससुराल पहुंच चुका था। ससुराल जाने का यह मेरा दूसरा मौका था इससे पहले सगाई होने के बाद मात्र एक बार ही अपने ससुराल गया था। ससुराल जाकर बिना हिचक में अंदर चला गया, दरवाजा खुला था अंदर आंगन में गया तो वहां एक चारपाई पर राफिया कॉलेज की ड्रेस पहने बैठी थी और उसने सिर पर एक चादर ले रखी थी। उसका मूड काफी खराब लग रहा था मुझे देखकर उसने मुंह दूसरी तरफ कर लिया जबकि मलीहा जो इस समय राफिया के साथ बैठी थी वह मुझे नमस्कार करके अन्दर कमरे में चली गई क्योंकि ससुराल में ऐसा माहौल नहीं था कि मैं मलीहा से खुल कर बातचीत कर सकूँ।


मैंने आगे बढ़कर अपनी सास साहिबा को सलाम किया और उन्होंने मेरे सिर पर हाथ फेर कर मुझे प्यार दिया और फिर राफिया से मुखातिब होकर बोलीं, उठ जाओ बेटा अब, इनको को अपने काम भी करने होते हैं देर नहीं करो अब। और हाँ दोपहर को सलमान की दुकान पर ही चली जाना वह तुम्हें घर भी छोड़ देंगे। यह कह कर चाची ने मेरी ओर देखा और बोलीं ठीक है ना बेटा कोई समस्या तो नहीं ???

मैंने कहा नहीं आंटी वैसे भी 4 बजे दुकान थोड़ी देर के लिए बंद कर देंगे, तो उसी समय राफिया को घर छोड़ने आ जाउन्गा आंटी ने कहा चलो यह तो और भी अच्छी बात है तुम्हारी दुकानदारी भी खराब नहीं होगी। यह कह कर चाची ने एक बार फिर राफिया को खा जाने वाली नजरों से देखा और मेरे साथ चलने को कहा तो अब की बार राफिया अपनी जगह से उठी और मेरी तरफ बढ़ने लगी, मुझे देखे बिना ही राफिया मुझसे आगे निकल गई और मुख्य दरवाजे से बाहर निकल गई मैंने आंटी को सलाम किया और मैं भी बाहर निकल गया। बाहर जाकर मैंने बाइक स्टार्ट की और राफिया को बठने को कहा तो वह बाइक पर मेरे पीछे बैठ गई, मुझे पता था कि वे मुझसे दूर होकर बैठने की कोशिश करेगी इसलिए मैं पहले से ही काफी पीछे होकर बैठा था कि राफिया के लिए बहुत कम जगह बचे .

और हुआ भी यूं ही। राफिया बैठी तो उसने पूरी कोशिश की कि वह मुझसे दूर रहे और उसका शरीर मेरे शरीर को न छू सके, मगर पीछे बॅकएंड लगा होने के कारण वह अधिक पीछे न हो सकी और उसका शरीर मुझे छूने लगा, लेकिन उसने बैठने के बाद मुझे पकड़ने की बजाय साथ लगे बॅकएंड को अपने बाएं हाथ से पकड़ लिया और मैंने बाइक चला दी। बाइक चलाते हुए मैंने राफिया की ओर मुड़ कर देखा और उसे कहा अपना गुस्सा इतना रखो कि तुम्हें खुद नुकसान न हो सके। ऐसे बैठेगी तो गिरने का खतरा है मुझे पकड़ कर बैठ जाओ कहीं ऐसा न हो कि कोई हादसा आ जाए। मेरी बात का उस पर असर हुआ और वह डर गई और अब उसने पीछे से बॅकएंड को छोड़ कर मेरे कंधे पर हाथ रख कर मुझे पकड़ लिया था। यहाँ से राफिया का कॉलेज दूर नहीं था इसलिए मैंने तेजी के साथ बाइक चलाना उचित नहीं समझा बल्कि धीरे धीरे बाइक चलाता गया रास्ते में 2, 3 बार वही हरकत जो हर लड़का लड़की को अपने पीछे बिठाने के बाद करता है। .. हाँ, अकारण जोर से ब्रेक लगाने वाली हरकत जैसे ही मैं ब्रेक लगाता राफिया के 34 आकार के मम्मों का एहसास मुझे अपनी कमर पर होता मगर वह तुरंत ही फिर से संभल कर बैठ जाती। कुछ ही देर के बाद राफिया का कॉलेज आ गया तो वह बाइक से उतरी और मैंने उससे कहा कि जब कॉलेज से छुट्टी हो तो दुकान पर आ जाना तुमसे कुछ बात भी करनी है और वैसे भी तुम्हें घर छोड़ना है। वह अच्छा जी कह कर कॉलेज के गेट में प्रवेश कर गई और साथ ही मैं भी मौजूद शरीफ प्लाजा पहुँचकर आज समय से पहले ही दुकान खोल कर बैठ गया।
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Re: ब्रा वाली दुकान

Post by shubhs »

बिल्कुल}सही
सबका साथ सबका विकास।
हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है, और इसका सम्मान हमारा कर्तव्य है।
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jay
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Re: ब्रा वाली दुकान

Post by jay »

lagta ahi agla number Rafiya ka hai mitr

chalo ye bhi thik hai kabhi kabhi dukaandaari ki taraf bhi dhyan dena chaahiye
Read my other stories

(^^d^-1$s7)
(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
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Re: ब्रा वाली दुकान

Post by kunal »

shubhs wrote:बिल्कुल}सही
jay wrote:lagta ahi agla number Rafiya ka hai mitr

chalo ye bhi thik hai kabhi kabhi dukaandaari ki taraf bhi dhyan dena chaahiye
Rohit Kapoor wrote:nice updae
Shukriya mitro
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