ब्रा वाली दुकान complete

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kunal
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Re: ब्रा वाली दुकान

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मलीहा को संकोच करता देखकर मैंने कहा राफिया तुम्हारी आपी ही उठ जाएँगी या मुझे जाकर हाथ पकड़ कर उठाना होगा उन्हें। मेरी बात सुनकर राफिया बोली आप दोनों का आपस का मामला है मुझे तंग मत करो मुझे समोसा खाने दें आराम से। राफिया की बात सुनकर मेरी एकदम से हंसी निकल गई जबकि मेरी बात सुनकर मलीहा अपनी जगह खड़ी हो चुकी थी कि कहीं मैं वास्तव उसका हाथ पकड़कर उसे उठाने के लिए न आ जाऊ मलीहा काउन्टर के पास आई तो मैंने समोसों की एक प्लेट उसके सामने कर दी और सॉस की प्लेट भी उसके आयेज कर दी राफिया ने अपनी प्लेट से चम्मच उठाकर वह भी मलीहा की थाली में रखते हुए कहा चलें शुरू हो जाएँ , दोनों मिलकर खालें इसी चम्मच से मुझे तो हाथों से खाना अच्छा लगता है। मैंने कहा नहीं मैं तो नहीं खाउन्गा मैंने अभी रोटी खाई है मेरी बात सुनकर राफिया बोली वह तो आपने अकेले खाई है न, अब जरा बाजी के साथ भी थोड़ा खा देख लें शायद कुछ अपना अपना सा लगे। मलीहा उसकी बात सुन कर हल्का सा मुस्कुराई और बोली आप उसकी बातों का बुरा न मानें उसको तो बकवास करने की आदत है। मैंने कहा शुक्र है आप भी कुछ बोलीं वैसे आपकी बहन बकवास नहीं कर रही बल्कि उसने बहुत पते की बात की है। आज मैं भी तो देखूँ कि अपनी मंगेतर के साथ खाते हुए कैसा स्वाद आता है।

मेरी बात पूरी होने तक मलीहा एक चम्मच अपने मुंह में डाल चुकी थी तब मैं भी दूसरी चम्मच से समोसा तोड़ने लगा मगर फिर खुद ही वह चम्मच राफिया को वापस कर दिया और कहा राफिया मैंने सुना है कि एक ही चम्मच से खाने से प्यार भी बढ़ता है। राफिया के मुंह में समोसा था वह ऐसे ही समोसा खाते खाते बोली बढ़ती होगी, मुझे क्या पता मैं तो अभी बच्ची हूँ। उसकी बात सुनकर मैं हंस पड़ा और कहा नहीं तुम इतनी भी बच्ची नहीं। जबकि मेरा प्यार बढ़ने वाली बात सुनकर मलीहा ने अपना हाथ बढ़ाकर चम्मच मेरी ओर कर दिया था कि मैं भी इसी चम्मच से समोसा खा सकूँ जिससे मलीहा ने खाया था। मैंने वह चम्मच पकड़ा और थोड़ा सा समोसा अपने मुंह में डाल चम्मच वापस मलीहा को पकड़ा दिया और कहा वाह। । । इस चम्मच से तो समोसा भी मीठा मीठा लग रहा है। मेरी बात सुनकर मलीहा और राफिया दोनों ही मुस्कुराने लगीं। में पीछे होकर बैठ गया ताकि मलीहा आराम से खा सके उसने मुझे फिर से चम्मच पकड़ाया मगर मैंने यह कह कर मना कर दिया कि नहीं बिल्कुल जगह नहीं, आप पहले बताकर आतीं तो मैं आपके लिए कुछ अच्छा भी मंगवा लेता और हम तीनों मिलकर खाते, मगर आपके आने से पहले ही खाना खाया था अब अधिक गुंजाइश नहीं है मेरे पेट में

समोसे खाने के बाद राफिया और मलीहा दोनों ही गहने देखने लग गई और मैं बहुत शौक के साथ उन्हें दिखाता रहा। मैं जानता था कि उन्होंने लेना कुछ नहीं बस ऐसे ही समय बिताने की खातिर ज्वैलरी देख रही हैं। क्योंकि अभी मलीहा और मैं इतने फ्री नहीं हुए थे कि लम्बी लम्बी बातें कर सकते हों यह तो हमारी पहली मुलाकात थी। ज्वैलरी देखने के दौरान मलीहा एक दो बार अंडर गारमेंट की ओर भी नजर उठाकर देखती मगर फिर तुरंत ही फिर से गहने देखने में व्यस्त हो जाती। जब दोनों जी भर कर ज्वैलरी देख चुकीं तो राफिया ने मलीहा से कहा आपे चलें अब ??? मैंने कहा अरे इतनी जल्दी ??? राफिया ने कहा जीजा जी आपी के आने की खुशी में आपको समय का पता ही नहीं चला हमें आए घंटे से ऊपर का समय हो चुका है। मैंने दीवार घड़ी की ओर नज़र डाली तो वाकई 4 बजकर 15 मिनट हो रहे थे। उनको आए हुए 2 घंटे बीत चुके थे। और मेरी दुकान अब तक बंद थी जबकि इस समय तक दुकान खोल लेता था।

मलीहा ने भी कहा हां चलो चलते हैं। राफिया सोफे से अपना सामान लेने के लिए बढ़ी तो मैंने मलीहा का हाथ पकड़ कर उसे अपने पास रोक लिया और बहुत प्यार से उसकी तरफ देखते हुए कहा मलीहा आप पहली बार मुझसे मिली हो, मेरे पास यहाँ कोई बहुत कीमती चीज तो नहीं लेकिन मैं आपको एक छोटा सा उपहार देना चाहता हूँ अगर आपको आपत्ति न हो तो। मैंने महसूस किया कि मेरे हाथ में मलीहा हाथ कांप रहा था। शर्म की वजह से उसे समझ नहीं आ रही थी कि वह क्या करे। मुझे इस तरह उसका कांपता हाथ देखकर उस पर बहुत प्यार आया, मैंने हौले से उसके हाथ दबाया और धीरे से कहा आपका हाथ किसी गैर के हाथ में नहीं जो तुम इतना डर रही हैं, अब तो आप मेरी और मैं आपका हूँ। मेरी बात सुनकर मलीहा का हाथ तो नहीं रुका, वह लगातार कांपता ही रहा मगर उसके गालों पर लाली और होठों पर एक मुस्कान जरूर आई। इतनी देर में राफिया अपना सामान उठाकर वापस पहुंची तो मुझे ऐसा मलीहा हाथ पकड़ा देखकर बोली, ओ हो .... यहाँ तो रोमांस चल रहा है ऐसे ही कबाब में हड्डी बन गई। राफिया बात सुनकर मलीहा ने अपना हाथ छुड़ाना चाहा मगर मैंने नहीं छोड़ा और कहा बस एक मिनट ... यह कर कि मैं ऐसे ही वापस मुड़ा और आभूषणों में से एक अंगूठी निकाली जिसे पहले राफिया और मलीहा बहुत देर तक देखती रही थीं।
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Re: ब्रा वाली दुकान

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मैं समझ गया था कि मलीहा को यह अंगूठी पसंद आई है। मैंने वह अंगूठी उठाई और मलीहा का हाथ छोड़ दिया, फिर उसको अंगूठी दिखाते हुए बोला, अब मैं आपको सोने के गहने तो नहीं पहना सकता, लेकिन मुझे लगता है कि यह आपको अच्छी लगी है, आप बुरा न माने तो क्या मैं आपको इसे पहना सकता हूँ। मलीहा बोली अरे नहीं उसकी क्या जरूरत है, आप रहने दें, आपकी अम्मी ने मुझे सोने की रिंग ही पहनाई है आपकी ओर से। मलीहा की बात सुनकर राफिया बोली अरे वाह, जरूरत क्यों नहीं, वह वास्तव में सोने की हो, मगर वह तो आंटी ने पहनाई थी, और जीजा जी स्वयं अपने हाथों से, प्यार से, बड़े चाव से अपनी मंगेतर को पहनाना चाह रहे हैं, तो उसकी वैल्यू तो खुद ही सोने की रिंग से बढ़ गई नहीं। राफिया की बात सुनकर मैंने राफिया से कहा, तुम्हें बड़ा पता है प्यार के बारे में, अभी तो तुम कह रही थी कि तुम बच्ची हो। यह सुनकर राफिया हंसी और बोली वो तो मैं हूँ। फिर मैंने फिर मलीहा को सवालिया नज़रों से देखा तो उसने अपना बायां हाथ मेरे सामने कर दिया, मैंने उसका हाथ प्यार से पकड़ा और उसकी तीसरी उंगली में अंगूठी पहना दी और फिर उसको कुछ देर देखने के बाद उसका हाथ छोड़ दिया।

मलीहा ने भी कुछ देर तक अपनी उंगली में अंगूठी को देखा तो मुझे धन्यवाद करने लगी। मैंने कहा अरे धन्यवाद कैसा, यह तो मैंने अपनी पहली बैठक की खुशी में आपको दी है। राफिया बोली हां बस समझो आपी आपको मुंह दिखाई मिली है। यह सुनकर मैंने और मलीहा दोनों ने एकदम से हैरान होकर राफिया को देखा और वह भी थोड़ी शर्मिंदा होकर अपने मुंह पर हाथ रख कर खड़ी हो गई। मलीहा ने उसको धीरे से डांटा और बोली शर्म करो राफिया। और फिर मेरी तरफ देखते हुए बोली अच्छा अब हम चलते हैं बहुत देर हो रही है। मैंने कहा ठीक है मगर अपना नंबर देती जाएं तो आप से थोड़ी फोन गपशप हो जाएगी, फिर तो पता नहीं कि आप कब अपना दर्शन देंगी मलीहा ने कहा, मेरे पास कोई मोबाइल नहीं, यह तो मामा का मोबाइल है। आपका नंबर मेरे पास है, मैं आपको खुद ही कॉल कर लूंगी उचित समय देखकर। मैंने कहा चलें यह भी ठीक है, लेकिन कॉल के बजाय एसएमएस करें कॉल में खुद कर लूँगा। मलीहा ने कहा ठीक है, मैंने एक बार फिर मलीहा की तरफ हाथ बढ़ाया और कहा चलें फिर रात को उम्मीद है बात होगी। मलीहा ने भी अपना हाथ बढ़ा कर मेरा हाथ थामा और बोली ठीक है मैं कोशिश करूंगी रात 11 बजे के बाद आपको एसएमएस कर दूं। उसके बाद मलीहा और राफिया दोनों ही चली गईं मगर काफी देर तक मलीहा के विचारों में ही खोया रहा, बहुत मासूम और सुंदर लड़की थी।

राफिया तो मुझे पहले ही पसंद थी और मेरी इच्छा भी थी उससे दोस्ती करने की, और यह इच्छा पूरी भी हुई तो इस तरह कि एक तो राफिया साली बनने के बाद वैसे ही खुल गई थी मेरे साथ जितना पहले वह चुप रहती थी अब इतना ही बोलती थी, जबकि इसी की हमशक्ल मलीहा से मेरी सगाई हो गई। दोनों बहनें एक जैसी ही सुंदर थीं बस थोड़ा ही अंतर था आकार का और मलीहा के होंठों के ऊपर एक छोटा सा तिल। रात ग्यारह बजे मुझे उसी नंबर से मैसेज आया जिससे दोपहर में कॉल आई थी, मैसेज में लिखा था 5 मिनट बाद मुझे फोन करें। मैंने 5 मिनट के बाद कॉल की तो आगे मलीहा की सुंदर आवाज सुनाई दी। हम दोनों के बीच बातों का सिलसिला शुरू हो गया, दोनों एकदोसरे को अधिक नहीं जानते थे इसलिए पहली रात 2 से 3 घंटे बात तो की मगर केवल एक दूसरे के बारे में जानकारी ही लेते रहे, किस को क्या पसंद है, क्या बात बुरी लगती है, सगाई क्या होती हैं, पसंदीदा मूवीज़, अभिनेता, अभिनेत्री, फिल्म, संगीत, शेर-ओ-शायरी से शौक, कपड़ों में पसंद नापसंद, बस इसी तरह की बातें होती रहीं और कब रात के 2 बज गए पता ही नहीं लगा। तभी मलीहा मुझे कहा अच्छा अब आप सोजाएँ सुबह आपने दुकान पर भी जाना होगा। मलीहा की बात सुन कर मुझे होश आया और मैंने मलीहा को गुड बाय कह कर फोन बंद कर दिया और उसी के सपने देखता हुआ सो गया

काफी दिन बीत गए और कोई विशेष घटना नही हुई, न तो सलमा आंटी की कोई खबर थी और न ही लैला मेडम दुबारा दुकान पर आई शाज़िया और नीलोफर का भी कोई चक्कर नहीं लगा। फिर एक दिन एक युवा जोड़ा मेरी दुकान में आया अपनी उम्र के हिसाब से लड़की 20 साल की लग रही थी, जबकि लड़के की उम्र 22 के करीब होगी। लड़की कुछ जरूरत से ज्यादा ही स्मार्ट थी। यूं कह लें कि एकल पसली लड़की थी। उसकी कमर 26 के लगभग थी। उसने चेहरे पर चादर से ले रखा था। उसका नाम फराह था जबकि उसके साथ का लड़का सूरत से पढ़ा लिखा और अच्छे परिवार का मालूम हो रहा था उसका नाम वक़ास था। वक़ास ने मुझे कहा कि उसे कुछ ब्रा दिखाऊ में। मैंने पूछा किस आकार का दिखाऊ, वक़ास ने फराह से पूछा क्या आकार है? फराह ने हल्की आवाज में वक़ास को बताया कि उसका आकार 32 है। मुझे यह बात कुछ अजीब सी लगी, अगर यह जीवन साथी थे तो वक़ास को फराह का आकार पता होना चाहिए था मगर ऐसा नहीं था। बहरहाल मैं ने 32 आकार का ब्रा दिखाया और फराह से कहा कि साथ ही ट्राई रूम है आप देख लें कि सही है आपके या नहीं। ट्राई रूम का सुनकर वक़ास ने कहा यह तो अच्छी बात है, ऐसे में ये भी देख सकते हैं कि कौन सा अधिक अच्छा लगेगा। मैंने कहा जी जरूर ब्रा तो हमेशा अपनी पसंद और फिटिंग के अनुसार ही लेना चाहिए। वक़ास ने 3, 4 ब्रा और निकलवाई और कहा यह एक ही बार हम ट्राई कर लेते हैं तो उनमें से जो पसंद करेंगे वह हम आपको बता देंगे।
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Re: ब्रा वाली दुकान

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मैंने कहा ठीक है आप तसल्ली से चेक कर लें। उसके बाद फराह और वक़ास दोनों ही ट्राई रूम की तरफ बढ़े। जहां मैं बैठता था वहां से ट्राई रूम नज़र नहीं आता था वह थोड़ा आगे जाकर था। दोनों को ट्राई रूम में गए हुए जब 15 मिनट से ऊपर हो चुके तो मुझे शक हुआ कि अंदर ब्रा चेकिंग नहीं हो रहा बल्कि कोई और ही काम हो रहा है। इसी जिज्ञासा मे मैंने ट्राई रूम का कैमरा ऑन करके अपनी स्क्रीन ऑन कीजैसे ही स्क्रीन चालू हुई अंदर का दृश्य कुछ अजीब ही था। फराह ने अपनी कमीज और ब्रा उतार दिया था और उसके छोटे 32 आकार के मम्मे स्पष्ट नजर आ रहे थे। जबकि वह फर्श पर घुटनों के बल बैठी थी और वक़ास के 6 इंच लंड को अपने हाथ में लेकर मसल रही थी। वक़ास का चेहरा ऊपर की ओर था और आँखें बंद थीं। फिर फराह ने वक़ास के 6 इंच लंड को अपने हाथ में पकड़ कर उसकी टोपी को अपने मुँह के पास किया और उस पर अपने सुंदर होंठ रख दिए। और फिर धीरे धीरे फराह ने वक़ास के लंड अपने मुंह में ले लिया। वैसे तो मैं अपनी दुकान में सलमा आंटी और शाज़िया को चोद चुका था मगर कोई मेरी दुकान में लड़की चुदाई करे या सेक्स करे यह मुझे कभी भी गँवारा नही था।
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इसलिए मैं अपनी जगह से उठा और ट्राई रूम के पास जाकर गुर्राती हुई आवाज में कहा और बेग़ैरतो यह क्या बेगैरती रहे हो, निकलो उधर से वरना बुलाता हूँ मैं अब पुलिस को। यह कह कर मैंने ट्राई रूम के दरवाजे के ऊपर से ही हाथ ले जाकर अंदर की कुंडी खोल दी और दरवाजा भी खोल दिया। मेरी आवाज सुन कर दोनो ही हक्का-बक्का रह गए थे और जैसे ही मैंने दरवाजा खोला, वक़ास अपना लंड पकड़ कर फिर से अपनी पेंट में डाल चुका था और ज़िप बंद कर रहा था। मैंने उसकी गर्दन पर एक जोरदार थप्पड़ रसीद किया और उसे पकड़ने की कोशिश की मगर पुलिस का नाम सुनकर वो तुरंत बाहर निकला और अपनी गर्दन मुझ से छुड़वा कर तुरंत ही दुकान से बाहर निकल गया, मैं उसके पीछे भागा मगर वह शायद भागने में मुझसे ज्यादा तेज था। मैन भी उसके पीछे दुकान से बाहर जाना उचित नहीं समझा और दुकान का दरवाजा जोकि हर समय बंद होता है उसको बंद कर दिया।

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उसके बाद मैं सीधा ट्राई रूम में गया जहां फराह अपना ब्रा पहन चुकी थी और उसके चेहरे पर हवाइयां उड़ी हुई थीं। मुझे अपने सामने देखकर उसने अपने दोनों हाथ अपने सीने के साथ लगा लिए और ट्राई रूम की पिछली दीवार के साथ लगकर खड़ी गई और सिर झुका कर रोने लगी। वह हल्की आवाज में कह रही थी प्लीज़ मुझे जाने दो। मैंने भी गुर्राती आवाज में कहा तुम्हें मेरी ही दुकान मिली थी यह सब बेग़ैरतियाँ करने के लिए। वह मुँह से कुछ न बोली बस खड़ी रोती रही। मैंने इसे हाथ से पकड़ा और ट्राई रूम से बाहर खींच कर अपने काउन्टर के पास ले आया। उसका बदन बिल्कुल गोरा था और पूरे बदन पर कोई निशान नहीं था, बिल्कुल साफ और खूबसूरत बदन था उसका। उसने नीचे सलवार पहन रखी थी, जबकि ऊपर उसने सिर्फ ब्रा ही पहना था कमीज पहनने से पहले ही में ट्राई रूम में पहुंच गया था। मैंने उससे कहा मुझे सच सच बता दो यह लड़का कौन था वरना मैं तुम्हें पुलिस के हवाले कर दूंगा तो जो तुम्हारा हश्र होगा तुम्हें अच्छी तरह मालूम है। उसने रोते हुए हल्की सी आवाज में कुछ कहा जो मुझे कुछ समझ नहीं आया। मैं उसे झंझोड़ कर कहा ये रोने धोने का नाटक बंद करो और जल्दी बताओ मुझे वरना करता हूँ में अब पुलिस को फोन। उसने जल्दी-जल्दी अपने आँसू साफ किए और बोली नहीं प्लीज़ पुलिस को फोन न करना में बर्बाद हो जाउन्गी वह तो मीडिया में भी खबर दे देते हैं। मैंने कहा इसीलिए तुझे कह रहा हूँ सच सच बता यह लड़का तेरा पति था या कोई दोस्त है।
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लड़की ने सिर झुकाकर कहा, मैं पहले कमीज पहन लूँ ??? मैंने उससे कहा चुपचाप यहीं खड़ी रह जो पूछ रहा हूँ इसका उत्तर दे। उसने कपकपाती हुई आवाज में कहा, वो मेरा प्रेमी है मैंने पूछा देख ली अपने प्रेमी की बहादुरी तुझे यूं नंगी हालत में छोड़कर अपनी जान बचाकर भाग निकला साला डरपोक। मेरी बात पर फराह चुप खड़ी रही वह केवल अपने शरीर को अपने बाजुओं से छिपाने की कोशिश कर रही थी। फिर मैंने पूछा कि कहां रहती हो तुम ?? तो फराह ने बताया कि वह घंटाघर के पास ही रहती है और यहां महिला कॉलेज में पढ़ती है। और आज वक़ास की जिद पर वह उसके साथ यहाँ आई थी वह फराह के लिए ब्रा खरीदना चाह रहा था। मगर ट्राई रूम में जाकर उसको न जाने क्या हुआ कि उसने फराह की कमीज और ब्रा उतरवा दिए और अपना लंड पेंट से निकालकर उसको चूसने का बोला। बकौल फराह के फराह ने उसे मना भी किया कि यह जगह सही नहीं कहीं और कर लेंगे मगर वक़ास सिर पर सवार था उसने कहा कि नहीं वह यहीं उसका लंड चूसे। फिर मैंने वक़ास के बारे में जानकारी ली तो फराह ने बताया कि वह काफी समय से उसके कॉलेज के बाहर मोटरसाइकिल पर आकर खड़ा होता था और घर तक उसके रिक्शा के पीछे पीछे आता था। फिर एक दिन वक़ास ने फराह की तरफ एक कागज फेंका जिसमे उसने इज़हारे प्यार किया था और अपना फोन नंबर भी दिया था। फराह ने इस नंबर पर फोन करके वक़ास को झाड़ पिलाई मगर वक़ास ने पीछा न छोड़ा। फिर धीरे धीरे फराह को वक़ास अच्छा लगने लगा तो फराह ने उससे दोस्ती कर ली और अक्सर वे कॉलेज से छुट्टी मार कॉलेज टाइम के दौरान वक़ास के साथ उसकी बाइक पर चली जाती,
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कभी आयस्क्रीम पार्लर में और कभी किसी दुकान पर पर्दा गिराकर दोनों चूमा चाटी करते और वक़ास उसके मम्मे भी दबाता जिसका फराह को बहुत मज़ा आता। धीरे धीरे यह सिलसिला बढ़ता गया और एक दिन वक़ास फराह को अपने घर ले गया और वहां उसने पहली बार फराह की योनी की सील तोड़ी और उसको चोदने के बाद उससे शादी का वादा किया। आज भी वक़ास फराह को अपनी पसंद का ब्रा पहना कर उसे अपने घर लेजा कर चोदना चाहता था मगर उससे रहा नहीं गया और उसने यहीं ट्राई रूम में ही अपना लंड बाहर निकाल लिया और पकड़ा गया। पकड़े जाने के बाद वह खुद दुम दबाकर भाग गया और फराह को वहीं मेरी दया पर छोड़ गया। पूरी कहानी सुनने के बाद मैंने फराह को कहा क्या यह करेगा तेरे से शादी? जो तुझे ऐसे अकेला छोड़ के भाग गया। अब फराह ने गुस्से और नफरत के मिश्रित भाव से कहा मेरी जूती भी अब उससे शादी नहीं करती। मुझे क्या पता था कि यह ऐसा निकलेगा। मेरा विचार था वह मुझे प्यार करता है। फिर फराह ने कहा अब मैं जाऊं प्लीज़ ??? Image
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Re: ब्रा वाली दुकान

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मैंने फराह को मुस्कुरा कर देखा और कहा ऐसे कैसे जाऊ तुम्हारा यह नंगा बदन देखकर मेरा भी तो अपना लंड खड़ा हो गया है अब उसको तो आराम पहुँचाओ फराह की आँखें आश्चर्य के मारे फटी की फटी रह गईं और वह बोली नहीं मैं ऐसा नहीं करूंगी, प्लीज़ मुझे जाने दो। मैंने अपनी सलवार का नाड़ा खोल कर लंड बाहर निकाल लिया जो अपने जोबन पर था और मैने फराह से कहा ऐसा तो करना ही होगा तुम्हें। फराह ने मेरे लंड पर नज़र डाली तो एक पल के लिए तो वह स्तब्ध हो गई, उसने इतना लम्बा और मोटा लंड पहले नहीं देखा था, मगर फिर वह बोली कि मेरे पास मत आना वरना शोर मचा दूंगी। मैंने कहा तुम्हें जितना शोर मचाना है मचाओ, आपने ट्राई रूम में जो हरकत की है उसकी वीडियो रिकॉर्डिंग मेरे पास मौजूद है, जब यहां भीड़ हो जाएगी तो उन्हें वह वीडियो दिखाऊंगा जो हरकत तुम अंदर कर रही थी, तो सब मिलकर तुम्हारी दुर्गति भी बनाएंगे और पुलिस को बुलाया तो तुम्हें पुलिस के हवाले भी करेंगे। फिर थानेदार, हवलदार, पुलिस, सब बारी तुम्हारी चूत के मजे लेंगे। इसलिए भलाई इसी में है कि मेरे साथ सहयोग करो, तुम्हें भी मज़ा दूंगा और मैंने भी काफी दिन से किसी लड़की को नहीं चोदा तो मेरे लोड़े को भी आराम मिलेगा।

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फराह अब पूरी चुप थी, उसे यकीन था कि मेरे पास उसकी वीडियो रिकॉर्डिंग है क्योंकि वह समझ गई थी कि ट्राई रूम में कैमरा लगा हुआ है तभी तो मैंने उनकी हरकतें देखकर दरवाजा खोल दिया था, मगर वह यह नहीं जानती थी कि मैं इस कैमरे से रिकॉर्डिंग सुरक्षित नहीं करता बल्कि वह केवल लाइव वीडियो प्रदर्शित करता है। अगर वह शोर मचा देती तो मेरी हालत बुरी हो जानी थी, लेकिन मेरा तीर सही निशाने पर जाकर लगा और वो सुनिश्चित करते हुए कि उसकी रिकॉर्डिंग मेरे पास सुरक्षित है वो मेरे साथ सहयोग करने के लिए मजबूर थी। फराह ने बेबसी से मेरी ओर देखा और फिर मेरे लंड को देखने लगी। फिर बोली में सिर्फ यह चुसूँ , और जब आप फ्री हो जाओगे तो मुझे तुम यहाँ से जाने देना होगा। मैंने कहा साली तो चूसना तो शुरू, फिर देखते हैं मैं कब फारिघ् होता हूँ। मेरी बात सुनकर फराह ने बुरा सा मुँह बनाया और फिर मेरे लंड की तरफ बढ़ी, मगर वह उसे हाथ में पकड़े हुए डर रही थी। फिर उसने हिम्मत करके मेरा लंड अपने हाथ में पकड़ लिया। उसके हाथ बहुत नरम और मुलायम थे, उनका स्पर्श अपने लंड पर पाते ही बहुत आनंद मिला मुझे।Image वह बड़े आराम से मेरे लंड पर हाथ फेर रही थी और उसे बहुत ध्यान से देख रही थी। मैंने उससे पूछा कैसा लगा तुझे मेरा लंड ??? उसने मेरी तरफ देखा और बोली यह तो बहुत बड़ा है। मैंने कहा हां तेरे इस यार की लुल्ली से तो बहुत बड़ा है, ( अगर यह मिल जाए मुझे तो एक बार इसकी गाण्ड ज़रूर मारूँगा अपने इस मज़बूत लंड से ) फिर मैंने फराह से कहा चल अब इसे मुँह में डाल कर मज़ा दे मुझे। फराह ने न चाहते हुए भी अपने दोनों होंठ मेरे लंड की टोपी पर रख दिए और उनको पहले गोल गोल घुमाने लगी। फिर उसने अपना मुँह खोला और जीभ बाहर निकाल कर मेरे लंड पर फेरने लगी। कुछ देर अपनी ज़ुबान मेरे लंड पर फेरने के बाद उसने मेरे लंड को अपने दोनों हाथों से पकड़ लिया और लंड को मुंह में डाल कर अपना मुँह आगे पीछे करने लगी जिससे मेरा लंड उसके मुंह में जाता और उसके अंदर जीभ से रगड़ खाता हुआ वापस बाहर आ जाता । वह अब थोड़ा तेजी के साथ मेरे लंड के चौपे लगा रही थी और साथ ही साथ अपने दोनों हाथों को गोल गोल घुमा कर मुझे मज़ा दे रही थी। वह चौपे लगाने में इतनी ज़्यादा विशेषज्ञ नहीं थी मगर फिर भी मुझे उसके चौपों से मज़ा आ रहा था।
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कुछ देर अपने लंड के चौपे लगवाने के बाद मैंने उसके मुंह से अपना लंड पकड़ा और खुद सोफे पर बैठ कर उसे कहा कि वह मेरी गोद में बैठे, उसने गोद में बैठने से इनकार किया और ऐसे ही खड़ी रही तो मैंने उसे हाथ से पकड़ कर खींचा और अपनी गोद में गिरा लिया। गोद में गिराने के बाद मैंने उसे सीधा करके बिठाया और उसका ब्रा एक ही झटके में उतार दिया। ब्रा उतार कर मैंने उसके 32 आकार के छोटे बूब्स को अपने हाथ में पकड़ कर दबाया तो उसकी एक सिसकी निकली। मैंने फिर तुरंत ही उसकी कमर में हाथ डाला और उसके मम्मे अपने मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिए। उसने पहले तो मुझे इस काम से रोका और मेरी गोद से निकलने की कोशिश की मगर मैंने जब उसे न निकलने दिया और उसके मम्मे चूसने शुरू किए तो उसे भी धीरे धीरे मज़ा आने लगा और थोड़ी ही देर के बाद मेरी दुकान उसकी सिसकियों से गूंज रही थी। अब तो वो अपनी गाण्ड को मेरे लंड पर रखकर बैठी थी और थोड़ा आगे पीछे हो कर मेरे लंड के भी मजे ले रही थी। मम्मे चूसने के साथ साथ मैंने उसके छोटे गुलाबी निपल्स भी अपनी जीभ से रगड़ना शुरू कर दिया था जिससे उसे बहुत मज़ा आ रहा था और वो मेरी कमर पर अपना हाथ जोर से फेर रही थी, बल्कि अपने नाखून फेर रही थी मेरी कमर पर जिसका मुझे भी मज़ा आ रहा था। कभी मैं उसका एक मम्मा अपने मुँह में लेकर उसका निप्पल चूसता तो कभी दूसरा मम्मा मुँह में लेकर उसका निप्पल चूसना शुरू कर देता जब मैंने खूब जी भर कर उसके निपल्स चूसने लिए और मम्मे दबा लिए तो मैंने उसे सलवार उतारने को कहा। फराह अब खुद भी अच्छी खासी गर्म हो चुकी थी और उसकी चूत में आग लगी हुई थी इसलिए उसने खुद ही अपनी सलवार उतार दी और वापस मेरी गोद में आकर अपने होंठ मेरे होंठों पर रख कर उन्हें चूसने लगी। नीचे से मेरा लंड जब उसकी चिकनी चूत पर लगा तो मुझे इसमें खासा गीला पन लगा। Image
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shubhs
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Re: ब्रा वाली दुकान

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वाहः दम है
सबका साथ सबका विकास।
हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है, और इसका सम्मान हमारा कर्तव्य है।
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