सहेली की मम्मी बड़ी निकम्मी complete

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Kamini
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Re: सहेली की मम्मी बड़ी निकम्मी

Post by Kamini »



मैं सोच नहीं पा रही थी कि उसको खुद से दूर करूँ या फिर मेरी चुत पर रगड़ते उसके मोटे लंड को अन्दर ले लूँ। मैं पागलों सी बेचैन थी, मेरे दोनों स्तन उसके हाथों से बुरी तरह मसले जा रहे थे। ब्रा नहीं होने के कारण चूचियाँ बाहर निकल पड़ी थी, चूचुक कड़े हो चुके थे।

‘कोई देख लेगा, मैं तुम्हारी मम्मी की ऐज की हूँ… आआहह्ह!’ मैंने आखिरी कोशिश की लेकिन उसमें मेरा कोई विरोध नहीं था।
‘प्लीज़ मैम करने दो, कोई नहीं आएगा। बहुत प्यार करता हूँ आपको!’ इतना कहते ही वह मुझ को फिर से पकड़ लिया और किस करने लगा।

अब की बार न जाने क्यों मैं भी उसके सर को पकड़कर उसका साथ देने लगी। उसके दोनों हाथ मेरे बूब्स को सहला रहे थे। किस करने के बाद वह मेरी चूचियों को चूसने लगा।

‘आअह… रोहित… यह सब मत करो बेटा… उम्म्ह… अहह… हय… याह… टीचर हूँ तुम्हारी… आम्म्म…’

मेरे बूब्स तो बहुत सॉफ्ट सॉफ्ट थे एक स्पंज की तरह एकदम रसीले और नाजुक भरे बोबे देख के उसका मन डोलने लगा- मैडम आप बहुत सेक्सी हो, आपका फिगर सनी लियॉन की तरह है, मैंने फैसला किया है कि कुछ भी हो जाये आज तो आपको चोदना ही है।

मैं उसकी गिरफ्त में ढीली पड़ती जा रही थी, मेरे हाथ धीरे धीरे उठ कर उसकी पीठ पर कसने लगे।
‘उफ्फ… तुम अभी बहुत छोटे बच्चे हो यार, मत करो यह सब…’
‘नहीं मैडम अब मत रोको प्लीज़! एक बार चोद लेने दो न… मेरी प्यारी मैडम प्लीज… अगर एक बार आपको चोद दूँ तो आप अपने आप मेरे लंड की दीवानी हो जाओगी और मुझे अपनी चुदाई करवाने बार बार बुलाओगी।’

‘आह्ह हह्हह… सीईई… रोहित यार तूने मुझे पागल बना दिया है। तेरी टीचर बहुत दिन से प्यासी है… मत कर यह सब… कोई देख लेगा… आह्ह…!’

वह मेरे बोबे अपने हाथों में भर कर चुसे जा रहा था और दबाए जा रहा था।
‘वाह, क्या मर्दन था उसके होंठों का… मैं पागल हुई कुछ भी बके जा रही थी।

चूचियों को चूसते चूसते उसके हाथ मेरी सलवार के ऊपर से ही मेरी नाज़ुक चुत को सहलाने लगे। उसकी उंगलियाँ मेरी चुत की गहराई को खोज रहीं थीं।
मैंने अहसास किया कि मेरी चुत अब एक भट्टी की तरह तप रही थी। उसे पता चल गया था कि शाज़िया मैम की चुत बहुत गर्म हो चुकी थी, उसने मेरी सलवार के नाड़े को टटोलते हुए अपना हाथ मेरी सलवार में सरका दिया था।

मेरा विरोध ठंडा पड़ चुका था- रुको, मैं खोलती हूँ।
मैंने नाड़ा बाहर निकाला, उसने बिन कोई देरी किये खींच दिया।

अचानक बाहर किसी की आहट हुई, रोहित उछल कर खड़ा हो गया, मैं तुरंत अपनी कुर्ती नीचे करके सलवार का नाड़ा बांधने लगी।रोहित ने अपना हाथ मेरे मुँह पर रख दिया, मैं खामोश हो गई लेकिन आंखें बन्द किये हाँफ़ती रही, अपने आपको संयत करने लगी।
मैंने उसको ख़ुद से अलग करके अपने को ठीक किया। अपनी ड्रेस को सम्हाल कर मैंने धीरे से खिड़की में से बाहर झांका। यह कॉलेज की प्रिंसीपल डेलना मैडम थीं।
रोहित भी झांकने लगा।


रोहित भी झांकने लगा- मादरचोद बुड्ढी मूतने आई है।
अगले ही पल शर्र की पानी गिरने की आवाज़ हुई। हम दोनों समझ गए कि डेलना मैडम साड़ी उठाकर मूत रहीं हैं। कुछ ही देर में डेलना मैडम मूत कर चलीं गई।

मुझे फिर से लगने लगा कि रोहित मेरे साथ फिर से वही करे… लेकिन ऊपरी दिल से न न कर रही थी- रोहित… बस कर… ऐसे नहीं… हाय रे…!
पर उसने चुत पर हाथ जमा लिये थे… मेरी चुत को तरह तरह से सहलाने व दबाने लगा- बस मैडम, ऐसे ही कुछ देर अपनी चुदवा लो।
मैं आनन्द के मारे दोहरी हो गई, तड़प उठी ‘हाय रे, ये मेरी चुत में अपना लंड क्यों नहीं पेल दे रहा है!’ मैंने भी अब सारी शरम छोड़ कर उसका लंड पकड़ लिया- रोहित… तेरा लौड़ा पकड़ लूं?
‘पकड़ ले… पर फिर तू चुद जायेगी…’

उसके मुँह से मेरे लिए तू और चुदना शब्द सुन कर मैंने भी होश खो दिये- रोहित… क्या कहा? चोदेगा? …हाय रे… और बोल न… तेरा लंड मस्त है रे… सोलिड है… अपनी टीचर को चोदेगा?
मैंने पूरा जोर लगा कर उसके लंड को मरोड़ दिया… वो सिसक उठा।

मैंने उसे लगभग खींचते हुए कहा- रोहित… बस अब… आह … देर किस बात की है… मां री… रोहित… आजाऽऽ ‘आआह्ह्ह्ह… मत करो यह सब… रोहित… टीचर हूँ तुम्हारी मैं… आआहह्ह…
मैंने उसका हाथ रोक दिया लेकिन न जाने क्यों अपने आप ही मेरे हाथ की पकड़ ढीली पड़ गई, उसने ख़ुद की सलवार का नाड़ा खींचते हुए सफ़ेद पटियाला सलवार को खोल दिया, सलवार नीचे सरक कर मेरी जांघों पर अटक गई।

‘वाह मैडम, क्या चुत है आपकी इस उम्र में भी! एकदम पिंक और हल्के हल्के ब्राउन के बालों साथ! मैं तो आपकी चुत को देखकर पागल हो गया हूँ।’
मेरी हालत ख़राब थी, मैं भी अब मस्त हो रही थी, मेरे हाथ उसकी पैंट पर सरकते हुए उसके लंड को टटोलने लगे थे। मैंने उसकी ज़िप खोलकर अपना हाथ अन्दर बढ़ा दिया।

रोहित ने सहयोग करते हुए पैंट खोल दी, उसका सात इंच का नाग मेरे हाथों में था- तेरा तो बहुत बड़ा है रे… इतनी सी उम्र में… ज़रूर रोज सपनों में मुझे चोदता होगा और इसे हिलाता होगा। क्यों रोहित?
‘हाँ मैडम, आपसे बहुत प्यार करता हूँ, मैडम प्लीज़ इसे चूसो न…’
‘ज़रूर चूसूँगी मेरे बेबी… मैं तुम्हारी मम्मी की जितनी बड़ी हूँ, तू तो मेरा राजा बेटा है, डाल दे मम्मी के मुँह में… आआहह्ह’ मेरी दबी हुई वासना अब पूरी तरह से उफान पर थी।

सब कुछ भूल कर मैं तुरंत नीचे बैठ गई मैंने अपने लम्बे-लम्बे लाल नेल पोलिश लगे हुए गोरे हाथों से उसके लंड को अपने मुँह में ले लिया।
‘आआहह्ह… मैडम… मेरी प्यारी शाज़िया मैडम… आप सबसे अच्छी हो… मैं आपका बेबी हूँ।’

मैं भूल चुकी थी कि रोहित मुझसे बहुत छोटा है, मेरा स्टूडेंट है- बस बस रोहित, मुझे अब जल्दी चोद! और नहीं रह सकती प्यासी!
मैं अपने सफ़ेद कुरते का दामन ऊपर करते हुए घूमकर कमोड के सहारे झुक गई, मेरी चोटी लहर कर हिल रही थी।

‘अब मैं पूरी गर्म हो चुकी थी, बोलने लगी- रोहित, प्लीज़ जल्दी चोदो, अब मुझसे रहा नहीं जा रहा है। चोद दे अपनी मैडम को! रंडी बना ले मुझे अपनी आआहह्ह!
Jemsbond
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Re: सहेली की मम्मी बड़ी निकम्मी

Post by Jemsbond »

Wow......बहुत मस्त शुरुआत है......
प्यास बुझाई नौकर से Running....कीमत वसूल Running....3-महाकाली ....1-- जथूराcomplete ....2-पोतेबाबाcomplete
बन्धन
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दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
मगर आप जैसे दोस्त नसीब वालों को मिलते हैं!
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Kamini
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Re: सहेली की मम्मी बड़ी निकम्मी

Post by Kamini »

Jemsbond wrote: 27 Jul 2017 08:37 Wow......बहुत मस्त शुरुआत है......
thanks you soooooooooo much
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Kamini
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Re: सहेली की मम्मी बड़ी निकम्मी

Post by Kamini »

उसका लंड मोटा, खुरदरा, बलिष्ठ और मेरी शहर की नर्म कोमल चूत… उसने लंड की चमड़ी ऊपर करके उसका चमकदार लाल सुपारा निकाल लिया। चड्डी से बाहर आ रहे मेरी चुत के बाल उसे खींचने में मजा आ रहा था… मुझे लगा कि लंड कुछ ज्यादा ही मोटा है… पर मैं तो चुदने के लिये बेताब हो रही थी।

‘फिकर मत करो मैडम, आपने आज तक जिससे भी जितनी भी चुत चुदाई कराई हो, सब भूल जाओगी। आपका स्टूडेंट आपको खुश कर देगा आज!’
रोहित ने मेरी दोनों हाथों से मेरी कमर को पकड़कर मुझे थोड़ा और झुकाकर सेट किया और मेरी गुलाबी पेंटी नीचे जांघों पर खीचकर सरका दी।

शुक्र है कि टॉयलेट काफी बड़ा था। मैं घोड़ी बनी हुई थी, मेरे स्टूडेंट ने अपना लंड मेरी गर्म पानी छोड़ती पिंक चुत पर रख कर सेट किया। मैं एक हाथ से कमोड का फ्लश पकड़े झुकी हुई थी, दूसरे हाथ से मैंने अपनी चुत की दरार खोलकर उसके लंड के टोपे को सेट किया।

उसने एक जोरदार धक्का लगाया और उसका पूरा लंड मेरी चुत में घुस गया।
‘आआह्ह्ह्ह… अल्ला… उफ्फ… रोहित बहुत मोटा ही तेरा… बहुत दुःख रही है।’
‘कुछ नहीं होगा मैडम बस ऐसे ही झुकी रहो, बस थोड़ा सा और बाकी है।’

‘कोई देख लेगा… कोई आ जायेगा जल्दी चोद मुझे! क्या सोचेगा कोई… अपने स्टूडेंट से चुद रही है रंडी कहीं की… आंम्म्म…’ मैं पूरी पागल होकर वाइल्ड होती जा रही थी।

वह लगातार धक्के मारने लगा, अब मेरा कुछ दर्द भी कम हो गया था इसलिए मैं अपनी कमर हिला के रोहित का साथ देने लगी- आआ आआ हहहः आआ आआह म्म्म्म उफ्फ्फ रोहित चोद मुझे! चोद रोहित आआ आआ हाहाहा ऊह्ह्ह्ह ह्म्म्म म्म ऊओ ह्ह्ह आआआ… मर गई आआह्ह्ह्ह… अल्ला… चोद दे अपनी टीचर को बहुत प्यासी है मेरी चूत!

उसने भी अपने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी, लंड चुत की गहराइयों में डूबता चला गया… मैं सिसकारी भरती हुई झुकी लंड को अपने भीतर समाने लगी, मेरे बोबे तन गये… लंड जड़ तक उतर चुका था।

उसके हाथ मेरे बोबे पर कसते चले गये… उसका खुरदरा और मोटा लंड देसी चुदाई का मजा दे रहा था। मेरी चुत ने उसके लंड को लपेट लिया था और जैसे उसका पूरा स्वाद ले रही थी। बाहर निकलता हुआ लंड मुझे अपने अन्दर एक खालीपन का अहसास कराने लगा था पर दूसरे ही क्षण उसका अन्दर घुसना मुझे तड़पा गया, मेरी चुत एक मिठास से भर गई।

इतनी ज़बरदस्त मेरी चुदाई मेरे पति के दोस्तों ने भी नहीं की थी।

उसकी रफ़्तार बढ़ने लगी… चुत में मिठास का अहसास ज्यादा आने लगा, मेरा बांध टूटने लगा था, अब मैं भी अपनी चुत को जोर जोर से उछालने लगी थी, वासना का नशा… चुदाई की मिठास… लंड का जड़ तक चुदाई करना… मुझे स्वर्ग की सैर करा रहा था।

पति की चुदाई से यह बिल्कुल अलग थी।
चोरी से चुदाई… जवान स्टूडेंट का देसी लंड… और कॉलेज का टॉयलेट… ये सब नशा डबल कर रहे थे। चुदाई की रफ़्तार तेज हो चुकी थी… मैं उन्मुक्त भाव से चुदा रही थी… चरमसीमा के नज़दीक आती जा रही थी।

एक जवान टीचर देसी लंड कब तक झेल पाती… मेरा पूरा शरीर चुदाई की मिठास से परिपूर्ण हो रहा था… बदन तड़क रहा था… कसक रहा था… मेरा जिस्म जैसे सब कुछ बाहर निकालने को तड़प उठा- अंऽअऽअऽऽ ह्ह्ह… रोहित… हऽऽऽय… चुद गई… ऐईईईइऽऽऽ… मेरा निकला रीऽऽऽ… माई रीऽऽऽऽ… जोर से मार रे… फ़ाड़ दे मेरी… गोऽऽऽपी…’

और मैं अब सिमटने लगी… मेरे जिस्म ने मेरा साथ छोड़ दिया और लगा कि मेरा सब कुछ चुत के रास्ते बाहर आ जायेगा… मैं जोर से झड़ने लगी।

रोहित समझ गया था, वो धीरे धीरे चोदने लगा था, मुझे झड़ने में मेरी सहायता कर रहा था- शाज़िया… मेरी मदद करो प्लीज… ऐसे ही रहो…!
मैंने अपने पांव ऊपर ही रखे… जवान स्टूडेंट का देसी लंड था, इतनी जल्दी हार मानने वाला नहीं था। वह मुझे वापस झुका कर मेरी गांड को खोलने लगा। उसने उंगली से थूक लगाकर मेरी संकरी गांड के छेद को सहलाया, फिर धीरे धीरे उस पर अपना लंड का टोपा रगड़ा। मैं झुकी हुई अपनी चुत में दोबारा उसका लंड खाने का इंतज़ार कर रही थी।

तभी अचानक मैं दर्द से छटपटा उठी, उसका ताकतवर लंड मेरे चूतड़ों को चीरता हुआ मेरी गांड में घुस चुका था।
‘उफ्फ…!! नहीं… नहीं यह नहीं रोहित… मैं मर जाऊंगी…! गांड में नहीं…’

उसने मेरी एक नहीं सुनी… और जोर लगा कर और अन्दर घुसेड़ता चला गया- बस शाज़िया… हो गया… करने दे…प्लीज!
‘मेरी गांड फ़ट जायेगी रोहित… मान जा… छोड़ दे नाऽऽऽ बहुत दुःख रही है यार…गांड नहीं मरवाऊँगी!’

‘मैडम आपकी गोरी गुलाबी गांड मारने में जो मजा है वह दुनिया के किसी काम में नहीं है। जबसे हमको मालूम हुआ है कि आप अपने पति के दोस्तों से चुदवा रही हो, तबसे कॉलेज का हर एक लड़का आपकी गांड मारना चाहता है।’

‘प्लीज यार रोहित, बहुत दर्द हो रहा है गांड मत मार… मैडम हूँ तेरी!’
वह मेरी कमर को कसकर पकड़े हुए था, मैं कसमसा कर अपनी गांड सिकोड़ रही थी।

‘चुप मादरचोद साली तू सिर्फ एक शादीशुदा रांड है जिसका नामर्द पति चोद नहीं पाता है तो तू यहाँ वहाँ नए नए लंड से चुदाई करवाती है।’

मुझे यकीन नहीं हुआ कि मेरा ब्राइट स्टूडेंट रोहित मुझे गन्दी गन्दी गालियाँ देते हुए मेरी गांड मार रहा था।
अब उसके लंड ने मेरी गांड पर पूरा कब्जा कर लिया था, उसने धक्के बढ़ा दिये… मैं झड़ भी चुकी थी… इसलिये ज्यादा तकलीफ़ हो रही थी।

उसने मेरे बोबे फिर से खींचने चालू कर दिये, मेरी चूचियाँ जलने लगी थी- आअह्ह्ह्ह… बहुत दर्द हो रहा है… मेरी गांड मत मार यार… अल्ला!
लग रहा था जैसे मेरी गांड में किसी ने गर्म लोहे की सलाख डाल दी हो… मैं दर्द से बिलबिला उठी।

पर जल्दी ही दर्द कम होने लगा… मेरी सहनशक्ति काम कर गई थी। अब मैं उसके लंड को झेल सकती थी।
मैं फिर से गर्म होने लगी थी, उसकी गांड चोदने की रफ़्तार बढ़ चली थी। मुझे अपने स्टूडेंट से टॉयलेट में इस तरह गांड मरवाना अच्छा लग रहा था।

मुझे अपने कॉलेज के दिन याद आ गए जब पहली बार मेरे बॉयफ्रेंड ने क्लास के पीछे मेरा स्कर्ट उठाकर मेरी गांड मारी थी।

‘मैं मर गया… शाज़िया… मैं… मैं… गया… हाय…’ उसने अपना लंड गांड से बाहर खींच लिया।
अचानक फ़च्छ के साथ ही गांड में खालीपन लगने लगा।

मैं तुरंत घूम गई उसका लंड पकड़ कर जोर से दबा कर मुठ मारने लगी।
‘मुंह में ले… मुंह में ले साली कुतिया रांड…’ उसने तुरंत मेरी चोटी पकड़कर मुझे नीचे झुका दिया, उसके लंड में एक लहर उठी और मैंने तुरन्त ही लंड को अपने मुख में प्यार से ले लिया।

एक तीखी धार मेरे मुख में निकल पड़ी… फिर एक के बाद एक लगातार पिचकारी… फ़ुहारें… मेरे मुख में भरने लगी।
मैंने रोहित का सारा वीर्य स्वाद ले ले कर पी लिया… और अब उसके लंड को मुँह से खींच खींच कर सारा दूध निकाल रही थी।

कुछ ही देर में वो मेरे साथ खड़ा गहरी सांसें ले रहा था। मैंने भी अपने आप को संयत किया और उठ कर बैठ गई, वह भी उठ कर बैठ गया था।
उसने पूछा- मैम मजा आया?
तो मैंने कहा- बहुत… लेकिन थोड़ा कम्फ़र्टेबल नहीं था बाथरूम में॥!

उसने मेरे गाल पर ज़ोरदार किस किया, मैंने अपनी भीगी हुई पेंटी ऊपर खींची, सलवार को ठीक करते हुए बाँधा।
रोहित भी अपनी पैंट और बेल्ट बांधने लगा।
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Kamini
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Re: सहेली की मम्मी बड़ी निकम्मी

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मैंने अपनी पेंटी ऊपर सरकाई, सलवार को ठीक करके बाँधा, रोहित ने भी अपनी पैंट, बेल्ट बांध ली।

लेकिन दरवाज़ा खोलते ही जैसे ही हमारी नजर सामने उठी, हम दोनों के होश उड़ गये, सामने स्टिक लिए, गोल चश्मा लगाए डेलना मैडम खड़ी थी।
मेरी तो हालत बिगड़ गई।

हम दोनों भौंचक्के से डेलना मैडम को देखने लगे।

रोहित तुरन्त डर के मारे मेट्रन के पैरों पर गिर पड़ा- मेम, प्लीज हमें माफ़ कर दो…
रोहित गिड़गिड़ाने लगा।

मेरी तो रुलाई फ़ूट पड़ी, चुदाई के चक्कर में पकड़े गये, नौकरी कैसे जाती है, सामने नजर आ रहा था।
‘ऊपर उठ!’ डेलना मैडम ने रोहित के चूतड़ों पर एक ज़ोर की छड़ी जमाई, वह अपनी गांड सहलाता हुआ खड़ा हो गया।

‘मैडम माफ़ कर दो, इस बच्चे के चक्कर में मैं बहक गई थी।’
‘बहक गई थी? अरे! मैं मूतने आई तो देखा आवाज़े बाहर तक आ रहीं थीं। अब दोनों चुप हो जाओ, आगे से ध्यान रखो, दरवाजे की कुन्डी लगाना मत भूलो! समझे? अब रोहित जरा मेरे साथ आओ, और शाज़िया तुम बाहर ध्यान रखना कि कहीं कोई आ ना जाये…!’

मैं भाग कर डेलना मैडम से लिपट पड़ी और उनके उनके गले लगकर फ़ूट फ़ूटकर रोने लगी।
‘मुझे माफ़ कर दो मैडम, मैं सच्ची बहक गई थी, अब कभी कॉलेज में नहीं करूँगी।’ और माफ़ी मांगने लगी।

डेलना मैडम पचास वर्ष की होगी, थोड़े से बाल सफ़ेद भी थे…पर उसका मन कठोर नहीं था- पगली! मैं भी तो इन्सान हूँ। मेरे पति बूढ़े हो चुके हैं। तुम्हारी तरह मुझे भी तो लंड चाहिये… जाओ खेलो और जिन्दगी की मस्तियाँ लो…’
और अपनी हैबिट ( मैक्सी या गाउन जैसी पोशाक) उठाकर मेरी जगह झुक कर खड़ी हो गई।

उनकी सफ़ेद चड्डी नीचे सरका कर रोहित उसके पीछे लग चुका था।

मैंने अपना बैग उठाया और वाशरूम के दरवाज़े पर पहरेदार बनकर खड़ी हो गई। अन्दर वासनायुक्त सिसकारियाँ गूंजने लगी थी… शायद डेलना मैडम की चुदाई चालू हो चुकी थी।

मेरी धड़कन अब सामान्य होने लगी थी, मुझे लगा कि बस ऊपर वाले ने हमारी नौकरी बचा ली थी। डेलना मैडम अन्दर चुद रही थी और हम बच गये थे वर्ना यह चुदाई तो हम दोनों को मार जाती।

उस दिन के बाद से मैं और डेलना मैडम काफी घुल मिल गए थे।
एक दिन की बात है, मेरी कॉलेज की प्रिंसपल डेलना मैडम ने मुझे नंगी फिल्म की सी डी दी, वो देसी ब्लू फिल्म की सीडी थी।

मैंने उस दिन पहली बार इंडियन देसी ब्लू-फिल्म देखी थी, उसमें लम्बा मोटा विदेशी लंड एक मासूम सी कम उम्र इंडियन लड़की को स्विमिंग पूल में चोद रहा था।

यह देखकर मुझे अजीब सा लगा, मन बार बार रोहित को याद करने लगा, कॉलेज के टॉयलेट में उसकी ज़बरदस्त चुदाई दिमाग़ में फिर से आने लगी, जंगली तरह से उसने मेरी सलवार खीचकर ज़बरदस्ती झुकाकर गांड मारी थी वह मैं भूल नहीं पा रही थी, दो दिन तक मेरी गांड दुखती रही थी।

मेरी भी प्यास भड़क गई थी और मैं भी अपनी चुत को उस जैसे किसी लंड से चुदवाना चाहती थी। घर में मेरा मन नहीं लग रहा था। मैं ब्लू जीन्स सफ़ेद टी शर्टपहन कर कुछ खरीददारी करने के बहाने से बाहर गई।
मैंने अन्दर ब्रा नहीं पहनी थी ढीली सफ़ेद टी शर्ट से मेरे टिट्स साफ़ चमक रहे थे।

मैंने एक रेस्टोरेंट में बैठकर तुरंत अपने पति के दोस्त राज को कॉल किया- राज कहाँ हो?
‘शाज़िया कैसी है मेरी डार्लिंग? मैं तो यहीं हूँ शहर में!’
‘कुछ करो, बहुत दिन हो गए मिले हुए?’
‘क्या? सीधा सीधा बोल न, क्यों परेशान है?’
‘और कितना सीधा बोलू यार… चुदवाना चाहती हूँ, यह बोलूँ? तूने ऐसा चस्का लगाया है कि दिल करता है कि बस जो भी चोदना चाहे खोलकर हाँ कर दूँ।’

‘हा हा हा… अभी तो मुश्किल है, कुछ दिन रुक जा कुछ जुगाड़ करता हूँ।’
‘चूतिया… चुत में आग अभी लगी है और तू बोलता है कि रुक जा… क्या यहीं चौराहे पर चुदवा लूँ? मादरचोद…’
‘रंडी बिगड़ गई है तू दो-दो लौड़े लेकर। कौन बोलेगा कि तू स्कूल में शरीफ सी टीचर है। रुक जा कल तक किसी होटल की जुगाड़ करता हूँ। नहीं हो पाया तो एक दोस्त का फॉर्म हाउस है वहाँ ले चलूँगा तुझे। लेकिन फॉर्म हाउस का किराया लगेगा तुझसे?’

‘मतलब एक और…?’
‘तो क्या दिक्कत है? ग्रुप सेक्स में तो तू मास्टर हो गई है, जय को भी बुलवा लूँगा।’
‘चल मादरचोद, ठीक हैम चल बाय!’

रेस्टोरेंट में एक कॉफ़ी पीकर मैं एक से डेढ़ घंटा तक यूं ही सड़कों पर यहाँ वहाँ घूमती रही। भीड़ में मौक़ा देखकर कोई मेरी गांड को दबा देता तो कोई मेरे मम्मो को मसलता हुआ निकल जाता था, मैं अन्दर तक सिहर जाती।
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