लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस) complete
- Kamini
- Novice User
- Posts: 2112
- Joined: 12 Jan 2017 13:15
Re: लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस)
mast update
- kunal
- Pro Member
- Posts: 2708
- Joined: 10 Oct 2014 21:53
Re: लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस)
Nice update mitr
फूफी और उसकी बेटी से शादी.......Thriller वासना का भंवर .......Thriller हिसक.......मुझे लगी लगन लंड की.......बीबी की चाहत.......ऋतू दीदी.......साहस रोमांच और उत्तेजना के वो दिन!
- Ankit
- Expert Member
- Posts: 3339
- Joined: 06 Apr 2016 09:59
Re: लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस)
दूसरे दिन कॉलेज में दो घंटे बिताने के बाद में जल्दी घर आ गया और सीधा छोटी चाची के पास पहुँच गया…
चाची अभी -अभी नहा कर चुकी थी, मेरे आवाज़ देने पर उन्होने गेट खोला, तो देखा वो उसी अंदाज में अपना पेटिकोट चुचियों पर चढ़ाए हुए थी..
गेट खोल कर वो अपने कमरे की तरफ चल दी.. मेने भी फटाफट दरवाजा बंद किया और उनकी मटकती गान्ड का पीछा करते हुए उनके कमरे में आ गया…
उनकी मटकती गान्ड के सीन ने मेरे लंड को खड़ा कर दिया…
चाची ने अभी तक अपना बदन भी नही पोंच्छा था… पानी की बूँदें किसी मोती के दानों की तरह उनके गोरे मादक बदन पर चमक रही थी…
अंदर जाकर वो पालग पर पड़े अपने कपड़े उठाने ही वाली थी, कि मेने पीछे से उनकी गान्ड में अपना लंड सटा दिया… और कमर में बाहों का लपेटा डालकर उनके बदन से पानी की बूँदों को चाटने लगा…
चाची कपड़े पहनना भूल गयी और अपनी आँखें मीन्चे आनंद के सागर में गोते लगाने लगी…
उनके हाथ से पेटिकोट भी छूट गया… और अब वो उनके पैरों में पड़ा अपनी गुस्ताख़ी की भीख माँग रहा था…
हाल ही में नाहया हुआ बदन, जो दिसंबर की सर्दी में और ज़्यादा ठंडा हो गया था… मेरे शरीर की गर्मी से गरमाने लगा…
मेने अपना पॅंट खोल दिया और फ्रेंची से अपना गरमा-गरम लंड निकाल कर चाची की मदमस्त ठंडी-2 गान्ड से रगड़ दिया…
अहह…………मेरे……….लल्लाआअ……..रजाआाआआ……
कितना गरम है.. तुम्हारा तो…
चाची ! मेने थोड़े बनावटी गुस्से से कहा – ये तुम्हारा.. मेरा… क्या..कहती रहती हो… सीधे-2 नाम नही ले सकती… जाओ .. रखलो अपनी धर्मशाला… मुझे नही चाहिए…
इतना बोल कर मे अलग हो गया और अपना पॅंट उठा लिया…..
अरे…मेरे राजा…मुन्ना….नाराज़ हो गया… चाची ने मेरा लंड अपनी मुट्ठी में लेकर कहा – तुम्हारा ये लंड महाराज कितना गरम है.. लो अब ठीक है..
ऐसे नाराज़ ना हुआ करो मेरे होनेवाले बच्चे के पापा… मुझे ऐसे शब्द बोलने में थोड़ी झिझक लगती है.. पहले कभी बोले नही ना इसलिए… आगे से ख्याल रखूँगी…
मेने चाची के होंठ अपने मुँह में भर लिए और उन्हें चूसने लगा…
चाची भी मेरा साथ देने लगी, और साथ-साथ मेरा लंड भी मसल्ति जा रही थी…
मेने चाची की चूत में अपनी दो उंगलियाँ डाल दी और उन्हें अंदर बाहर करके चोदने लगा…
चाची की आँखे लाल होने लगी… वासना की खुमारी उनके सर चढ़ने लगी.. और उनकी चूत गीली हो गयी…
अब मेने उनकी चुचि को दबाते हुए कहा – अह्ह्ह्ह…चाची आपकी ये चुचियाँ कितनी मस्त हो गयी हैं…जी करता है चूस्ता ही रहूं…
तो चूसो ना रजाआ….आअहह…हान्न्न….और ज़ोर से…. खाजाओ… बहुत परेशान करती हैं… काटो…आहह….ज़ोर से नहियीईईईईईई….
मेने चूस-चूस कर उनकी चुचियों को लाल कर दिया… उत्तेजना में कयि जगह दाँत से काट भी लिया… जिससे खून झलकने लगा था….
सॉरी चाची ! मेने आपको काट लिया….
कोई बात नही … मुझे दर्द नही हुआ….
अब हम दोनो से ही और इंतेज़ार करना मुश्किल हो रहा था… सो मेने चाची को लिटा दिया… और उनकी चूत को हाथ से सहला कर चूम लिया… उनकी टाँगें मेरे लंड के स्वागत में खुल गयी…
चाची का पेट अब थोड़ा सा उभर आया था, जिससे उनकी नाभि का गड्ढा थोड़ा कम गहरा हो गया था…
एक बार मेने उनके उभरे हुए पेट को चूमा और अपना मूसल उनकी रसीली गागर के मुँह से अड़ा कर अंदर डाल दिया….
अहह………..आराम से करना…. लल्ला… तुम्हारे बच्चे को चोट ना लग जाए… नही तो कहेगा… कैसा निर्दयी बाप है.. पेट में भी मारता है…
मेने धीरे-2 धक्के लगाकर उनकी चुदाई करने लगा… आजकल उनकी चूत मेरे लंड को कुछ ज़्यादा ही जाकड़ लेती थी… जिससे हम दोनो को ही बहुत मज़ा आता…
एक बार झड़ने के बाद मेने चाची को घोड़ी बना दिया… और उनकी गान्ड को चाटते हुए कहा…
चाची ! आपकी गान्ड कितनी मस्त है… इसमें एक बार लंड डालके देखें..?
वो – नही लल्ला ! दर्द होगा..
मे – प्लीज़ चाची ! कई दिनो से मन था मेरा लेकिन कहा नही… पर आज मान नही मान रहा… प्लीज़ तोड़ा देखें तो सही.. कैसा लगता है…
वो – तुम भी ना लल्ला… बहुत जिद्दी हो… ! अच्छा वहाँ से तेल की शीशी ले लो और अच्छे से सुराख और अपने लंड पे लगाके तब डालना…
मेने फ़ौरन हेर आयिल की शीशी ली.. थोडा चाची की गान्ड के छेद पर डाला और उंगली से उसे अंदर तक चिकना कर दिया…
फिर अपने लंड पर चुपडा… और उनकी गान्ड के भारी-2 पाटों को अलग कर के उनके छेद पर टिका दिया…..
गान्ड के छेद पर लंड का अहसास होते ही चाची की गान्ड का छेद खुलने-बंद होने लगा…
मेने बॉटल से दो बूँद तेल की और टपका दी… और इस बार अपनी दो उंगलियाँ एक साथ अंदर डाल दी, चाची ने चिहुन्क कर अपनी गान्ड के छेद को सिकोड कर मेरी उंगलियों पर कस लिया…..
हइई… लल्ला… क्या करते हो… मेरी गान्ड चटख रही है…
मेने उनकी गान्ड पर दूसरे हाथ से चपत मार कर कहा – ऐसे गान्ड भींचोगी तो चट्केगी ही ना, इसको थोड़ा ढीला छोड़ो…
मेरी बात मानकर चाची ने अपनी गान्ड को थोड़ा ढीला कर लिया, अब मेरी दोनो उंगलियाँ आराम से अंदर तक पहुँच पा रही थी…
उनकी गान्ड का छेद अब थोड़ा सा खुल गया था, मेने उंगलियाँ बाहर निकाल कर दो बूँद तेल और डाला और उसे उंगली से अंदर कर के अपने लंड को उसके छेद पर फिर से रख दिया…
एक हल्के से धक्के के साथ मेरा पूरा सुपाडा गान्ड के अंदर जाकर फिट हो गया..….
लल्ला…. थोड़ा धीरे करो… मेरी गान्ड फट रही है…हाईए… बस करो…
मेने चाची की चौड़ी चकली पीठ को चूमते हुए उनकी चुचियों को थाम लिया और ज़ोर ज़ोर से मसल्ने लगा..
चाची की गान्ड में लंड की चुभन कुछ कम होने लगी तो मेने और थोड़ा पुश किया… और आधा लंड अंदर कर दिया..
हइई…लल्लाअ … लगता है आज नही छोड़ोगे… मुझे…अरे मारीी…उफफफफफ्फ़..
अब मेने अपने एक हाथ को उनकी कमर की साइड से नीचे ले जाकर उनकी चूत को सहला दिया और अपनी दो उंगलियाँ चूत के अंदर कर के उसे चोदने लगा…
- Ankit
- Expert Member
- Posts: 3339
- Joined: 06 Apr 2016 09:59
Re: लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस)
अब मेने अपने एक हाथ को उनकी कमर की साइड से नीचे ले जाकर उनकी चूत को सहला दिया और अपनी दो उंगलियाँ चूत के अंदर कर के उसे चोदने लगा…
चूत की सुरसूराहट में चाची अपनी गान्ड का दर्द भूल गयी… और सिसकियाँ…भरने लगी…
मौका देख कर मेने एक और धक्का मार दिया और मेरा पूरा लंड गान्ड की सुरंग में खो गया…
वो दर्द से कराह उठी.. तकिये में मुँह देकर बेडशीट को मुत्ठियों में कस लिया…
लेकिन मेने अपनी उंगलियों से उनकी चूत चोदना जारी रखा.. और धीरे-2 कर के गान्ड में लंड अंदर – बाहर करने लगा…
चाची के दोनो छेदो में सुरसुरी बढ़ने लगी और वो अब मस्ती से आकर गान्ड मरवाने लगी…
चूत से उंगलियाँ बाहर निकाल कर उनकी गान्ड पर थपकी देते हुए धक्के लगाने में मुझे असीम आनंद आ रहा था….
चाची भी भरपूर मज़ा लेते हुए अब अपनी गान्ड को मेरे लंड पर पटक रही थी,
जब उनकी मोटी गधि जैसी गान्ड मेरी जांघों से टकराती, तो एक मस्त ठप्प जैसी आवाज़ निकलती… मानो कोई टेबल पर थाप दे रहा हो…
10 मिनिट तक उनकी गान्ड मारने के बाद मेरा पानी उनकी गान्ड में भर गया.. और हम दोनो ही पस्त होकर बिस्तर पर लेट गये…
5 मिनिट के बाद मेने चाची की चुचि को सहलाते हुए पूछा – चाची ! गान्ड मारने में मज़ा आया कि नही…
वो – शुरू में तो लगा कि मेरी गान्ड फट गयी.. बहुत दर्द हुआ .. लेकिन बाद में मज़ा भी खूब आया… लेकिन आहह…. अब फिर से दर्द हो रहा है…माआ…
पर तुम चिंता मत करो , कुछ देर में ठीक हो जाएगा… तुम बताओ.. तुम्हें मज़ा आया या नही…
मे – मुझे तो बहुत मज़ा आया… लेकिन लगता है चाची.. ये तरीक़ा सही नही है..
वो तो आपकी गान्ड ऐसी मस्त है कि मे अपने आप को रोक नही पाया वरना कभी नही मारता…
वो – कोई बात नही… मेरे राजा… तुम्हारे लिए तो मेरी जान भी हाज़िर है.. ये निगोडी गान्ड क्या चीज़ है…
चाची अब खुल कर गान्ड, लंड, चूत बोलने लगी थी…
मे अपने कपड़े पहन कर घर आया, आज अपनी जान निशा को जो चोदने जाना था…
आकर फ्रेश हुआ… खाना खाया और उसके गाओं जाने की तैयारी में जुट गया…
निशा का मान नही था जाने का, लेकिन भाभी का आदेश था, जाना तो पड़ेगा ही..
भाभी का गाओं कोई 30-35 किमी ही दूर था हमारे यहाँ से, सिंगल रोड था.. पूराना सा.. लेकिन वहाँ ज़्यादा नही चलते थे..
रोड खराब होने के कारण थोड़ा जल्दी निकलना था जिससे दिन के उजाले में ही पहुँच जायें तो ज़्यादा अच्छा था.. वैसे तो ज़्यादा से ज़्यादा 1 घंटा ही लगना था..
हम दोनो को निकलते-2 सबसे मिलते मिलते.. 5 बज गये.. ठंडी के दिन थे.. 5 बजे से ही दिन ढालने लगता था…
एक दूसरे से अपने प्रेम का इज़हार करने के बाद भी निशा मेरे साथ खुल नही पा रही थी… बाइक पर भी वो मुझसे दूरी बनाए हुए बैठी थी…
मेने गाओं निकलते ही कहा – निशा इतना दूर क्यों बैठी हो जैसे मे कोई पराया हूँ..
वो – ऐसा क्यों बोलते हो जानू…! बस मुझे शर्म आती है… और कोई बात नही..
मे – मुझसे अब कैसी शर्म…? अब तो हम दोनो प्रेमी हैं ना !
वो – फिर भी मुझे शर्म आती है… , मे चुप हो गया, और गाड़ी दौड़ा दी…
अचानक से सड़क में एक गड्ढा आया, मेने एकदम से ब्रेक लगाए… बुलेट की पिच्छली सीट थोड़ी उँची सी होती है.. ड्राइवर सीट से…
सो ब्रेक लगते ही वो सरकती हुई मेरी पीठ से चिपक गयी.. और डर के मारे मेरे सीने में अपनी बाहें लपेट कर चीख पड़ी…
मे – क्या हुआ डार्लिंग ?
वो – आराम से नही चला सकते..?
मे – आराम से चलाने का समय नही है मेरी जान…! रोड खराब है… लेट हो गये तो रात में इन खद्डो में वैसे भी मुश्किल होगी.. तुम ऐसे ही बैठी रहो ना.. क्या दिक्कत है..
वो हूंम्म.. कर के मुझे कस के पकड़ कर बैठ गयी… मे बीच-2 मे ब्रेक मार देता तो वो और ज़्यादा चिपक जाती…
उसके 32” के ठोस उरोज मेरी पीठ पर दब रहे थे… कुछ देर में उसकी शर्म कम हो गयी और उसने मेरे कंधे से अपना गाल सटा लिया, फिर मेरे गाल को चूमकर बोली – अब खुश..!
मे – तुम्हारा साथ तो मेरे लिए हर हाल में खुशी ही देता है.. जानेमन… तुम खुश हो कि नही.. या अब भी शर्म आ रही है..?
वो – आप मुझे बिल्कुल बेशर्म बना दोगे…
मे – अरे यार ! ऐसे बैठने से भी कोई बेशर्म हो जाता है क्या..? मेने उसे और थोड़ा खोलने के लिए कहा…
निशा मेरे सीने को पकड़ने से मुझे ड्राइविंग में थोड़ा प्राब्लम होती है.. तुम ना मेरी कमर को पकड़ लो…
वो – आप जहाँ कहोगे वहीं पकड़ लूँगी जानू.. और ये कह कर उसने मेरी जांघों पर हाथ रख लिए…
मेने कहा – थोड़ा अंदर की साइड में पाकड़ो, नही तो तुम्हें सपोर्ट नही मिलेगा…
वो – धत्त… अब आप मुझे बिल्कुल बेशर्म करना चाहते हैं… फिर कुछ सोच कर.. अच्छा चलिए आपकी खुशी के लिए ये भी सही.. और उसने अपने हाथ मेरी जाँघो के जोड़ पर रख लिए…
गाड़ी के जंप के कारण उसके हाथ भी इधर-उधर होते.. तो उसकी उंगलिया मेरे लंड को छू जाती … आहह… ये हल्का सा टच ही मेरे लिए बड़ा सुखद लग रहा था…
वो भी अब अपनी शर्म से निकलती जा रही थी और अपनी उंगलियों को मेरे लंड के ऊपर फिरने लगी…
पीछे से वो और अच्छे से चिपक गयी, अब उसकी जांघें मेरी जगहों से सात चुकी थी.. जो कभी-2 गाड़ी के जंप से आपस में रगड़ जाती…
हम दोनो पर एक अनूठा सा उन्माद छाता जा रहा था… लेकिन ये उन्माद कुछ ही देर का था… उसका गाओं आ चुका था, और वो फिरसे मुझसे दूरी बना कर बैठ गयी…
चूत की सुरसूराहट में चाची अपनी गान्ड का दर्द भूल गयी… और सिसकियाँ…भरने लगी…
मौका देख कर मेने एक और धक्का मार दिया और मेरा पूरा लंड गान्ड की सुरंग में खो गया…
वो दर्द से कराह उठी.. तकिये में मुँह देकर बेडशीट को मुत्ठियों में कस लिया…
लेकिन मेने अपनी उंगलियों से उनकी चूत चोदना जारी रखा.. और धीरे-2 कर के गान्ड में लंड अंदर – बाहर करने लगा…
चाची के दोनो छेदो में सुरसुरी बढ़ने लगी और वो अब मस्ती से आकर गान्ड मरवाने लगी…
चूत से उंगलियाँ बाहर निकाल कर उनकी गान्ड पर थपकी देते हुए धक्के लगाने में मुझे असीम आनंद आ रहा था….
चाची भी भरपूर मज़ा लेते हुए अब अपनी गान्ड को मेरे लंड पर पटक रही थी,
जब उनकी मोटी गधि जैसी गान्ड मेरी जांघों से टकराती, तो एक मस्त ठप्प जैसी आवाज़ निकलती… मानो कोई टेबल पर थाप दे रहा हो…
10 मिनिट तक उनकी गान्ड मारने के बाद मेरा पानी उनकी गान्ड में भर गया.. और हम दोनो ही पस्त होकर बिस्तर पर लेट गये…
5 मिनिट के बाद मेने चाची की चुचि को सहलाते हुए पूछा – चाची ! गान्ड मारने में मज़ा आया कि नही…
वो – शुरू में तो लगा कि मेरी गान्ड फट गयी.. बहुत दर्द हुआ .. लेकिन बाद में मज़ा भी खूब आया… लेकिन आहह…. अब फिर से दर्द हो रहा है…माआ…
पर तुम चिंता मत करो , कुछ देर में ठीक हो जाएगा… तुम बताओ.. तुम्हें मज़ा आया या नही…
मे – मुझे तो बहुत मज़ा आया… लेकिन लगता है चाची.. ये तरीक़ा सही नही है..
वो तो आपकी गान्ड ऐसी मस्त है कि मे अपने आप को रोक नही पाया वरना कभी नही मारता…
वो – कोई बात नही… मेरे राजा… तुम्हारे लिए तो मेरी जान भी हाज़िर है.. ये निगोडी गान्ड क्या चीज़ है…
चाची अब खुल कर गान्ड, लंड, चूत बोलने लगी थी…
मे अपने कपड़े पहन कर घर आया, आज अपनी जान निशा को जो चोदने जाना था…
आकर फ्रेश हुआ… खाना खाया और उसके गाओं जाने की तैयारी में जुट गया…
निशा का मान नही था जाने का, लेकिन भाभी का आदेश था, जाना तो पड़ेगा ही..
भाभी का गाओं कोई 30-35 किमी ही दूर था हमारे यहाँ से, सिंगल रोड था.. पूराना सा.. लेकिन वहाँ ज़्यादा नही चलते थे..
रोड खराब होने के कारण थोड़ा जल्दी निकलना था जिससे दिन के उजाले में ही पहुँच जायें तो ज़्यादा अच्छा था.. वैसे तो ज़्यादा से ज़्यादा 1 घंटा ही लगना था..
हम दोनो को निकलते-2 सबसे मिलते मिलते.. 5 बज गये.. ठंडी के दिन थे.. 5 बजे से ही दिन ढालने लगता था…
एक दूसरे से अपने प्रेम का इज़हार करने के बाद भी निशा मेरे साथ खुल नही पा रही थी… बाइक पर भी वो मुझसे दूरी बनाए हुए बैठी थी…
मेने गाओं निकलते ही कहा – निशा इतना दूर क्यों बैठी हो जैसे मे कोई पराया हूँ..
वो – ऐसा क्यों बोलते हो जानू…! बस मुझे शर्म आती है… और कोई बात नही..
मे – मुझसे अब कैसी शर्म…? अब तो हम दोनो प्रेमी हैं ना !
वो – फिर भी मुझे शर्म आती है… , मे चुप हो गया, और गाड़ी दौड़ा दी…
अचानक से सड़क में एक गड्ढा आया, मेने एकदम से ब्रेक लगाए… बुलेट की पिच्छली सीट थोड़ी उँची सी होती है.. ड्राइवर सीट से…
सो ब्रेक लगते ही वो सरकती हुई मेरी पीठ से चिपक गयी.. और डर के मारे मेरे सीने में अपनी बाहें लपेट कर चीख पड़ी…
मे – क्या हुआ डार्लिंग ?
वो – आराम से नही चला सकते..?
मे – आराम से चलाने का समय नही है मेरी जान…! रोड खराब है… लेट हो गये तो रात में इन खद्डो में वैसे भी मुश्किल होगी.. तुम ऐसे ही बैठी रहो ना.. क्या दिक्कत है..
वो हूंम्म.. कर के मुझे कस के पकड़ कर बैठ गयी… मे बीच-2 मे ब्रेक मार देता तो वो और ज़्यादा चिपक जाती…
उसके 32” के ठोस उरोज मेरी पीठ पर दब रहे थे… कुछ देर में उसकी शर्म कम हो गयी और उसने मेरे कंधे से अपना गाल सटा लिया, फिर मेरे गाल को चूमकर बोली – अब खुश..!
मे – तुम्हारा साथ तो मेरे लिए हर हाल में खुशी ही देता है.. जानेमन… तुम खुश हो कि नही.. या अब भी शर्म आ रही है..?
वो – आप मुझे बिल्कुल बेशर्म बना दोगे…
मे – अरे यार ! ऐसे बैठने से भी कोई बेशर्म हो जाता है क्या..? मेने उसे और थोड़ा खोलने के लिए कहा…
निशा मेरे सीने को पकड़ने से मुझे ड्राइविंग में थोड़ा प्राब्लम होती है.. तुम ना मेरी कमर को पकड़ लो…
वो – आप जहाँ कहोगे वहीं पकड़ लूँगी जानू.. और ये कह कर उसने मेरी जांघों पर हाथ रख लिए…
मेने कहा – थोड़ा अंदर की साइड में पाकड़ो, नही तो तुम्हें सपोर्ट नही मिलेगा…
वो – धत्त… अब आप मुझे बिल्कुल बेशर्म करना चाहते हैं… फिर कुछ सोच कर.. अच्छा चलिए आपकी खुशी के लिए ये भी सही.. और उसने अपने हाथ मेरी जाँघो के जोड़ पर रख लिए…
गाड़ी के जंप के कारण उसके हाथ भी इधर-उधर होते.. तो उसकी उंगलिया मेरे लंड को छू जाती … आहह… ये हल्का सा टच ही मेरे लिए बड़ा सुखद लग रहा था…
वो भी अब अपनी शर्म से निकलती जा रही थी और अपनी उंगलियों को मेरे लंड के ऊपर फिरने लगी…
पीछे से वो और अच्छे से चिपक गयी, अब उसकी जांघें मेरी जगहों से सात चुकी थी.. जो कभी-2 गाड़ी के जंप से आपस में रगड़ जाती…
हम दोनो पर एक अनूठा सा उन्माद छाता जा रहा था… लेकिन ये उन्माद कुछ ही देर का था… उसका गाओं आ चुका था, और वो फिरसे मुझसे दूरी बना कर बैठ गयी…
- mastram
- Expert Member
- Posts: 3664
- Joined: 01 Mar 2016 09:00
Re: लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस)
mast kahani hai mitr
मस्त राम मस्ती में
आग लगे चाहे बस्ती मे.
Read my stories
भाई बहन,ननद भाभी और नौकर .......... सेक्स स्लेव भाभी और हरामी देवर .......... वासना के सौदागर .......... Incest सुलगते जिस्म और रिश्तों पर कलंक Running.......... घर की मुर्गियाँ Running......नेहा बह के कारनामे (Running) ....मस्तराम की कहानियाँ(Running) ....अनोखा इंतकाम रुबीना का ..........परिवार बिना कुछ नहीं..........माँ को पाने की हसरत ......सियासत और साजिश .....बिन पढ़ाई करनी पड़ी चुदाई.....एक और घरेलू चुदाई......दिल दोस्ती और दारू...
आग लगे चाहे बस्ती मे.
Read my stories
भाई बहन,ननद भाभी और नौकर .......... सेक्स स्लेव भाभी और हरामी देवर .......... वासना के सौदागर .......... Incest सुलगते जिस्म और रिश्तों पर कलंक Running.......... घर की मुर्गियाँ Running......नेहा बह के कारनामे (Running) ....मस्तराम की कहानियाँ(Running) ....अनोखा इंतकाम रुबीना का ..........परिवार बिना कुछ नहीं..........माँ को पाने की हसरत ......सियासत और साजिश .....बिन पढ़ाई करनी पड़ी चुदाई.....एक और घरेलू चुदाई......दिल दोस्ती और दारू...