ताकत की विजय

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Jemsbond
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Re: ताकत की विजय

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चौधरी और प्रताप सिंह की निगाहें सेन के चेहरे पर टिकी हुई थी
चौधरी और प्रताप सिंह की निगाहें सेन के चेहरे पर टिकी हुई थी

हेलो... दूसरी तरफ से रामभरोसे की उलझन भरी आवाज़ आई

चौंकना मत रामभरोसे , और फोन पर मुझे किशन कह कर ही पुकारना.... अपनी असली आवाज में गुर्राया सेन

ओह... तुम केशू , मैं सोचा पता नही कौन किशन आ गया... कहो कब आये रायपुर में ?

विशाल कल का सूरज न देख पाये

य.. यह तुम क्या कह रहे हो ? ऐसा कैसे हो सकता है ?

हरामजादे चौंक मत... फुंफकारा राजीव सेन

बिलकुल नहीं जाना तुझे... आज ही आये हो और आज ही वापस जा रहे हो

दूसरी तरफ से आवाज आई

जाहिर था कि रामभरोसे अपने चौंकने का कारण आपरेटर पर स्पष्ट करना चाहता था

पूरे बीस लाख मिलेंगे ... सेन ने लालच की पूडिया फेंकी

मेरा आना बहुत मुश्किल है यार...

सेन समझ गया कि वो इंकार कर रहा है

इतनी दौलत एक मुश्त हाथ नही लगती रामभरोसे... सिर्फ एक कत्ल ही तो करना है

मगर ऐसा कैसे हो सकता है... दुविधा में बोला रामभरोसे

रकम तूने कमानी है तो यह सोचना तेरा काम है, मेरा नही

ठीक है ... गहरी सांस के साथ आवाज आई... मैं कोशिश करूंगा

अगर कामयाब रहे तो कल आकर रकम ले जाना... कहकर सेन ने फोन रख दिया और दोनों को फोन पर हुई बातचीत बताने लगा

क्या वह कत्ल कर पायेगा ? उसकी बात खतम होते ही प्रताप सिंह बोला

वह कोशिश करेगा.... मुस्कुराया चौधरी.. और मुझे पूरी उम्मीद है कि वह अपनी कोशिश में सफल होगा
खट - खट - खट

दो बार लगातार खटखटा कर प्रशांत रूका फिर थोडा सा गेप डाला फिर तीसरी बार दस्तक दी

करीब आधे मिनट बाद दरवाजा खुला

सामने पुनीत खडा था

पुनीत मुस्कुराया और एक तरफ हट गया

प्रशांत चुपचाप भीतर प्रवेश कर गया , उसके दांये हाथ में एक ब्रीफकेस लटक रहा था

पुनीत ने तुरंत दरवाजा बंद किया और सिटकनी चढा दी

विशाल का मकान था यह जिसमें इस वक्त पुनीत पनाह लिए हुये था

पुलिस क्या , चौधरी और उसके पार्टनरों को सपने में भी गुमान नहीं हो सकता था कि पुनीत यहा हो सकता है...

अंदर कमरे में पहुंच कर प्रशांत ने उसे नमस्ते की

कब आये ? सोफे पर बैठते हुए पूछा पुनीत ने

स्टेशन से सीधे आपके पास ही आ रहा हूँ... प्रशांत भी सोफे पर बैठते हुए बोला

काम करवाया ?

जी हां... ब्रीफकेस अपनी गोद में रखते हुए कहा... जैसा आपने पत्र में लिखा था , बिलकुल वैसा ही है... आप चेक कर लीजिए

कहकर उसने ब्रीफकेस खोल कर पुनीत के सामने कर दिया

पुनीत ने भीतर निगाह मारी , कुछ क्षण वह देखता रहा फिर संतुष्टी से सिर हिलाते हुए कहा... ठीक है , कितने हैं ?

पांच सौ... प्रशांत बोला

आगे क्या करना है यह तो तुम्हें पता ही है , और अपना ख्याल रखना , दुश्मन की नजर भी तुम पर नहीं पडनी चाहिए

फिक्र मत कीजिए सर... आपका शार्गिद हूं , इतनी आसानी से दुश्मन की निगाह में नहीं आने वाला... हंसते हुए कहा प्रशांत ने

अब तुम जेल जाओ, वहां विशाल से वकालतनामे पर दस्तखत कराओ और दिल्ली की सैशन कोर्ट में अपील कर दो

ओके सर...

और इस बात का ध्यान रखना , अपील करने के दौरान तुम्हें अदालत पर दबाव डालना है कि रायपुर में विशाल की जान को खतरा है इसलिए अदालत विशाल को दिल्ली जेल में ट्रांसफर करने का आदेश दे

मैं पूरी कोशिश करूंगा

कोशिश नहीं , काम होना चाहिए.. एक बेगुनाह जो पुनीत की शरण में है , अगर उसे कुछ हो गया तो पुनीत शर्मा खुद को कभी भी माफ नहीं कर पायेगा

कहते हुए पुनीत की आवाज सख्त होती चली गई

जेलर ने सवालिया निगाहों से प्रशांत को देखते हुए कहा.... कहिये , किससे मिलना है आपको ?

मेरा नाम प्रशांत है , तीन रोज पहले पुनीत शर्मा जी आपसे मिले थे.. प्रशांत बोला

जी हां ...

वो मेरे सर है , उन्होंने ही मुझे यहां भेजा है... कैदी नम्बर 310 मिस्टर विशाल की तरफ से सैशन कोर्ट में अपील करनी है , उसके लिए वकालतनामे पर दस्तखत कराने है

जेलर ने समझने वाले अंदाज में सिर हिलाया और फिर बैल पर हाथ मार दिया

बाहर स्टूल पर बैठा संतरी तुरंत अंदर आया

इन्हें 310 से मिलना है.. जेलर बोला

आईये... संतरी ने अदब से कहा

कुछ ही देर में प्रशांत काल कोठरी में विशाल के सामने खड़ा था

हेलो विशाल.... वह मुस्कुराया

विशाल आंखों में असमजसता के भाव लिए उसे देखने लगा

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प्रशांत उसके करीब जमीन पर ही बैठ गया और बोला... मैं पुनीत जी का असिस्टेंट हूं , प्रशांत

ओह... गंभीर स्वर में बोला विशाल

तुम्हारे लिए एक खुशखबरी है

फिकी सी हंसी हंस के रह गया विशाल

सिर्फ सात दिन रह गये हैं मेरी जिंदगी के, मेरे लिए क्या खुशखबरी हो सकती है भला

प्रशांत खिसक कर उसके और करीब हो गया फिर फुसफुसाते हुए बोला... जोगलेकर , अवतार सिंह और सुरेश पाटिल अल्लाह को प्यारे हो गये हैं
जबरदस्त तरीके से चौंका विशाल , फिर उसकी आँखों में ऐसी चमक उभर आई जैसे नयी जिंदगी मिल गई हो

आप सच कह रहे हैं ?

बिलकुल सच है यह , और यह जो तुम जिंदगी के आखरी लम्हे गिन रहे हो, इन्हें गिनना छोड़ दो... सर ने मुझे तुम्हारे पास भेजा ही इसीलिए है

ये कहकर प्रशांत ने हाथ में थमी फाईल खोली और पेन निकाल कर विशाल की तरफ बढाते हुए कहा... स्वयं को बेगुनाह साबित करने के लिए तुम सैशन कोर्ट में अपील कर रहे हो , इस वकालतनामे पर दस्तखत कर दो ताकि सर तुम्हारी तरफ से अपील कर सके

विशाल ने पैन लेकर दस्तखत कर दिये , जहां जहां प्रशांत ने बताया

प्रशांत ने फाईल बंद की ओर धीमी आवाज में बोला... अब एक काम करना है तुम्हें , मेरे जाने के फौरन बाद ही करना है

विशाल सवालिया निगाहों से उसे देखने लगा

मेरे जाने के बाद जेलर साहब से मिलने की इच्छा व्यक्त करोगे , जब जेलर साहब मिलने आये तो उनसे कहना तुम्हारी जान को खतरा है

क्या मतलब ? चिहूंका विशाल

जो कह रहा हूं वही करो , मतलब जानने की कोशिश मत करो... जेलर साहब के पूछने पर तुम उनसे कहोगे कि तुम्हें रामभरोसे नाम के वार्डन से खतरा है.... रामभरोसे को जानते हो ना ?

हां, जानता हूँ

तो बस कह देना कि उसने तुमसे कहा था कि तुम एक दो दिन के मेहमान हो... क्योंकि पुनीत सर नही चाहते कि तुम्हें कुछ भी हो... दुश्मन अंगारों पर लोट रहा है सो वह कोई भी ओछी हरकत कर सकता है , इसलिए तुम्हारी सेफ्टी उनके लिए बहुत जरूरी हो गई है

लेकिन रामभरोसे...

जो कहा है वही करो, आगे हम संभाल लेंगे

ठीक है , मैं वही करूंगा जो आपने कहा है... हथियार डालने वाले अंदाज में विशाल बोला

प्रशांत के होंठों पर संतुष्टि भरी मुस्कान तैर गई...
मेरी जान को खतरा है

सुनकर बुरी तरह से चौंका जेलर

प्रशांत के जाने के पांच मिनट बाद ही विशाल ने जेलर से मिलने की इच्छा जताई... फांसी की सजा पाये कैदी की इच्छा पूरी करना जेलर का फर्ज था सो वह उससे मिलने चला आया... और आते ही विशाल ने जो कहा उसे सुनकर जेलर का चौंकना स्वाभाविक ही था

जेलर ने उसे घूरकर देखा... तुम जानते हो तुम्हें एक हफ्ते बाद फांसी पर लटका दिया जायेगा...

मुझे मालूम है... गंभीरता से बोला विशाल

फिर भला कोई क्योंकर तुम्हारी हत्या करेगा

जेलर साहब... विशाल बोला... आपकी बात अपनी जगह सही है , लेकिन कानून की बजाय मुझे कोई और वक्त से पहले ही मार डाले तो वह हत्या कहलायेगी... और उसकी सारी जिम्मेदारी आप पर आयेगी , इसलिए फांसी की सजा मिलने तक मेरी हिफाज़त करना आपका फर्ज है

मुस्कुराया जेलर... लगता है तुम्हारा वकील तुम्हें काफी कुछ सीखा पढा कर गया है

आप ठीक समझ रहे हैं , जब मेरे वकील ने मुझसे कहा कि वह मुझे बाईज्जत बरी करा देगा तो मैंने उसे रामभरोसे वाली बात बताई

चौंका जेलर... साथ ही उसके कानों में पुनीत के कहे शब्द गूंजने लगे

"रामभरोसे पर निगाह रखियेगा"

क्या कहा रामभरोसे ने ?

कल उसने मुझसे कहा था कि वह वक्त से पहले ही मुझे ऊपर पहुंचा देगा , उस वक्त मैंने यही सोचा कि जब मौत आनी है तो दो दिन पहले भी आ गई तो क्या फर्क पड जायेगा... लेकिन अपने वकील के आत्मविस्वास को देख कर मुझमें जीने की तमन्ना पैदा हो गई है... इसलिए मैंने आपसे मिलने की इच्छा जताई थी

तो रामभरोसे ने तुम्हें खत्म करने की धमकी दी थी

धमकी नहीं वादा किया था जेलर साहब... उसने मुझे खत्म कर देने का वादा किया था

कारण बताया उसने ?

नहीं ...

गहरी सांस छोडी जेलर ने और सीखचों में हाथ डालकर विशाल के कंधे को थपथपाते हुए कहा... डोंट वरी मिस्टर विशाल , यह मेरी जेल हैं , यहा कोई तुम्हारा बाल भी बांका नहीं कर सकता... तुम्हारे फांसी पर चढने तक तुम्हारी जिंदगी की गारंटी मैं लेता हूं

विशाल कुछ नहीं बोला बस सिर हिला दिया

इधर जेलर की आंखों में अंगारे भरने लगे , चेहरा कठोर होता चला गया

रामभरोसे....

जेलर के होंठों से सांप की सी फुफकार निकली
सीन चेंज

तडाक...

थप्पड़ की तेज आवाज ऑफिस में गूंज उठी

रामभरोसे चीखता हुआ दूर जा गिरा

तो विशाल की हत्या करने की साजिश रची जा रही है... जेलर खौफनाक अंदाज में गुर्राया

रामभरोसे की आंखों में आंतक के साये लहरा गये... वह यही समझा कि उसे उसकी असलियत मालुम पड चुकी है... यह अलग बात थी कि पुनीत ने केवल विशाल की सुरक्षा के लिए यह चाल चली थी

बुरी तरह से कांप उठा रामभरोसे
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Re: ताकत की विजय

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जेलर ने कदम आगे बढ़ाया और झुक कर उसे बालों से पकड कर सीधा खड़ा कर दिया

सच सच बता रामभरोसे , विशाल की हत्या क्यों करना चाहता है तू ?

जेलर के तेवर देख रामभरोसे की गले की घंटी जोरो से उछली... आंखों में छाया आंतक और भी गहरा हो गया

बता... दहाडा जेलर.. वरना मैं तेरी बोटी बोटी कर डालूंगा हरामजादे

मु.. मुझे माफ कर दीजिए सर... सहसा गिड़गिड़ा उठा रामभरोसे... लालच ने मुझे अंधा कर दिया था

तो विशाल सच कह रहा था कि तूने उसे खत्म करने की धमकी दी थी

एक करारा जोर का करंट का झटका लगा रामभरोसे को... विशाल को तो उसने कुछ भी नहीं कहा था , फिर उसे पता कैसे चल गया ?

अगर यही बात जेलर पहले कह देता तो वह मरते मर जाता पर जेलर को कुछ नहीं बताता

मगर अब तो तीर कमान से निकल चुका था , वह कबूल कर चुका था

अब तो बिना सबकुछ जाने जेलर उसे हरगिज नहीं छोडने वाला

किसने दिया था तुझे लालच ? गुर्राया जेलर

एस पी राजीव सेन ने

कितना रूपया देने को कहा था उसने विशाल के कत्ल के बदले

बीस लाख

आंखे सिकुड गई जेलर की , मुंह खुला का खुला रह गया

बी-स लाख...

कुछ भी नहीं बोल पाया रामभरोसे... बस उसके होंठ कांप कर रह गये

और कौन कौन है राजीव सेन के साथ ?

निरंजन चौधरी और मजिस्ट्रेट प्रताप सिंह...

पुनीत शर्मा के यहां पहुंचने की खबर तुमने ही उन्हें दी थी ?

ज.. जी... कहते हुए रामभरोसे ने थूक निगल कर हलक को तर किया ही था कि

जेलर का एक धूंसा उसके मुंह पर पडा

रामभरोसे के होंठों से चीख निकल गई

तो पुनीत शर्मा ने गलत नहीं कहा था कि तू पुलिस की वर्दी में चौधरी का पालतू कुत्ता है

मुझे माफ कर दीजिए सर , आंइदा ऐसी कोई गलती नहीं करूंगा... आपको कभी मेरे खिलाफ कोई शिकायत नहीं मिलेगी

शिकायत तो तभी मिलेगी जब तू आजाद रहेगा... दहाडा जेलर और साथ ही मेज पर रखी बैल पर जोर से हाथ मारा

तुरंत संतरी दाखिल हुआ

ले जाओ इसे और उस सेल मे बंद कर दो जहां सिर्फ खतरनाक मुजरिमों को रखा जाता है

संतरी ने आगे बढ़कर रामभरोसे की कलाई पकड़ ली और लगभग खिंचते हुए ऑफिस से बाहर ले गया

रामभरोसे माफी माफी मांगते ही रह गया
अगली सुबह रायपुर के लिए चौंकाने वाली हुई

घर से निकल कर जो भी शख्स थोड़ा आगे बढा , उसकी नजरें शहर की दीवारों पर चिपके पोस्टरों पर चिपक कर रह गई, पैर भी वही के वही जाम हो गये

जब तक वह उस पोस्टर को पढता तब तक उसके पीछे आठ दस लोग और आ खड़े होते

उन सभी की निगाहें भी पोस्टर से चिपक कर रह गई

कई जगहों पर तो बाकायदा जमघट लगा नजर आ रहा था

खासकर राम चौक में तो काफी ज्यादा भीड़ थी ... उस चौक में चार अलग अलग स्थानों पर पोस्टर लगे हुए थे और चारों ही पोस्टरों के आगे जमघट लगा था

क्या लिखा है भाई इस पोस्टर पर... एक बुजुर्ग व्यक्ति आंखे मिचमिचाते हुए अपने करीब खडे युवक से बोला

खुद ही पढ लो ना बाबा... युवक बोला

पढना आता तो तुमसे क्यों कहता बेटा... इतनी भीड़ है , अवश्य ही कोई खास बात ही लिखी होगी... इसलिए तुमसे कह रहा हूं

सचमुच बहुत खास बात लिखी है बाबा

क्या ? जरा पढकर सुनाओ तो

युवक की नजरें पोस्टर पर चिपक गई और वह जोर जोर से बोल कर उस पोस्टर पर लिखी इबारत को पढकर सुनाने लगा.....

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निरंजन चौधरी चोर है

रायपुर वासियों....

जिस निरंजन चौधरी को आप लोग अपना नेता मानते हैं , वह नेता नहीं बल्कि एक खूनी है, स्मगलर है

कुछ रोज पहले विशाल नाम के एक युवक को अदालत ने फांसी की सजा दी थी, असल में विशाल बेकसूर था.... निरंजन चौधरी और वकील सुरेश पाटिल ने उसकी बहन की इज्जत लूट कर उसे आत्महत्या के लिए मजबूर कर दिया था

और जब विशाल ने निरंजन चौधरी के खिलाफ़ आवाज उठाई तो उसे इंसाफ मिलने की बजाय फांसी की सजा सुना दी गई... वकील सुरेश पाटिल ने अपनी दलीलों से उलटा उस बेचारे को ही खूनी साबित कर दिया... यह तो सिर्फ एक नमूना है , इसके अलावा पता नहीं और कितने घर बरबाद किये है दोनों ने, देश को पता नहीं कितना नुकसान पहुंचाया है इन्होने
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Re: ताकत की विजय

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निरंजन चौधरी चोर है

रायपुर वासियों....

जिस निरंजन चौधरी को आप लोग अपना नेता मानते हैं , वह नेता नहीं बल्कि एक खूनी है, स्मगलर है

कुछ रोज पहले विशाल नाम के एक युवक को अदालत ने फांसी की सजा दी थी, असल में विशाल बेकसूर था.... निरंजन चौधरी और वकील सुरेश पाटिल ने उसकी बहन की इज्जत लूट कर उसे आत्महत्या के लिए मजबूर कर दिया था

और जब विशाल ने निरंजन चौधरी के खिलाफ़ आवाज उठाई तो उसे इंसाफ मिलने की बजाय फांसी की सजा सुना दी गई... वकील सुरेश पाटिल ने अपनी दलीलों से उलटा उस बेचारे को ही खूनी साबित कर दिया... यह तो सिर्फ एक नमूना है , इसके अलावा पता नहीं और कितने घर बरबाद किये है दोनों ने, देश को पता नहीं कितना नुकसान पहुंचाया है इन्होने

पुलिस ने जब भी इनके खिलाफ कुछ करना चाहा, निरंजन चौधरी ने ऊपर से दबाब डलवा कर पुलिस को हमेशा कुछ न करने के लिए मजबूर कर दिया...

परसों रात को पुलिस के जांबाज इंस्पेक्टर जोगलेकर ने सुरेश पाटिल तथा उसके साथियों को पच्चीस करोड़ के सोने के साथ गिरफ्तार करना चाहा तो इन्होनें उस पर गोलियां चलाई , जिसके कारण जोगलेकर शहीद हो गया , लेकिन मरते मरते भी उसने सुरेश पाटिल तथा अवतार सिंह नामक एक आदमी को गोली से उडा दिया

निरंजन चौधरी ऊपर से दबाब डलवा के इस आरोप से साफ बरी हो गया... मैं खुद उसे गिरफ्तार करने गया था, लेकिन उसके आवास पर मुझे सिर्फ गालियां ही सुनने को मिली... तब मजबूर होकर मुझे जनता की अदालत में आना पड़ा....

भाईयों मैं अपने मकसद से पीछे नहीं हटूंगा... चाहें इसके लिए मुझे अपनी जान ही क्यूँ ना देनी पड़े... मेरी कुर्बानी व्यर्थ न जाये, इसलिए मैं पूरे रायपुर को पहले ही सूचित कर देना चाहता हूं कि अगर निरंजन चौधरी से लडते हुए मैं मारा जांऊ तो मेरी मौत का जिम्मेदार निरंजन चौधरी को ही माना जाये, ताकि वह ऊपर से दबाब डलवा कर पाक साफ न बना रहे... और अब जो फैसला करना होगा -आपको ही करना होगा

निवेदक-
राजीव सेन
पुलिस अधीक्षक, रायपुर
य.. यह सब क्या है ? क्या हो रहा है यह ?

चौधरी गुस्से में आग उगलते हुए हाथ में पकड़ा पोस्टर राजीव सेन के सामने लहराते हुए दहाडा

सेन बिचारा खुद हैरान परेशान था

म.. मैं खुद हैरान हूं चौधरी साहब, कसम से मैंने ये पोस्टर नहीं लगवाये

पूरे शहर में जगह जगह पोस्टर चिपके हुए हैं... प्रताप सिंह गुर्राया... अब तक तो रायपुर का बच्चा बच्चा इन पोस्टरों को पढ चुका होगा

य..यह पुनीत शर्मा की कोई चाल है... वह हरामखोर हममें फूट डलवाना चाहता है ताकि हम टूटकर बिखर जाये और वह अपना काम कर जाये... तिलमिलाते हुए बोला सेन

तुम गलत सोच रहे हो सेन... प्रताप सिंह बोला

राजीव सेन और चौधरी दोनों उसकी तरफ देखने लगे

कैसे ?सेन के मुंह से स्वतह निकल गया

पाटिल के बाद अब तेरी बारी है ...प्रताप सिंह ने जैसे बम फोड़ा

ना चाहते हुए भी उछल ही पड़ा सेन... यह तुम क्या कह रहे हो ?

पोस्टर पर लिखी इबारत साफ कह रही है कि अब तेरी बारी है... पुनीत शर्मा तुम्हें मारकर तुम्हारी हत्या का इल्ज़ाम चौधरी साहब पर लगायेगा , लगायेगा क्या -लगा चुका है.. पूरा रायपुर जान चुका है कि राजीव सेन की अगर हत्या होगी तो हत्यारा निरंजन सिंह चौधरी ही होगा

सेन की रीड की हड्डी में मौत की सिहरन दोड गई

खुद को बचा सेन... चौधरी व्याकुल स्वर में बोला... अगर तू मारा गया तो रायपुर में मेरी जो इज्जत है उसका जनाजा निकल जायेगा, उसके बाद मैं नंगा होऊं या छिप जाऊं, बस दो ही रास्ते रह जायेंगे मेरे पास

ल.. लेकिन.. इसमें तुम्हारा नाम क्यों नहीं लिखा गया प्रताप ? सेन प्रताप सिंह के चेहरे पर नजरें जमाते हुए बोला... जबकि वह तुम्हें भी उतना ही जानता है जितना कि हमें

कहीं तू मुझ पर तो शक नहीं कर रहा है ? प्रताप सिंह उसे घूरते हुए गुर्राया

हालात तो इसी तरफ इशारा कर रहे है

राजीव ......

गुस्से में दहाड़ उठा प्रताप सिंह

गुर्राने की जरूरत नहीं है प्रताप... पोस्टर में तुम्हारा कहीं भी जिक्र नही है जबकि विशाल को फांसी की सजा तुमने सुनाई थी

तुम यह कहना चाहते हो कि यह पोस्टर मैने छपवाये हैं

मैं एक दलील पेश कर रहा हूँ... गंभीर स्वर में बोला सेन

कैसी दलील ?

यही कि तुम समझ गये हो कि पुनीत शर्मा को काबू में करना नामुमकिन है, सो खुद को उसके कहर से बचाने के लिए तुमने ये पोस्टर छपवाये... इससे आम जनता के सामने सिर्फ हम तीनों के ही चेहरे उभरे... और तुम एक न्याय प्रिय मजिस्ट्रेट बने रहे

से----न

बहुत जोर से दहाड़ उठा प्रताप सिंह

चिल्लाने की जरूरत नहीं प्रताप , मैंने केवल एक संभावना प्रकट की है... तुम 'ना' कहकर खुद को दोष मुक्त कर सकते हो

प्रताप सिंह ने भाले बर्छीयां बरसाती निगाहों से उसे देखा और गुर्राया...

मेरा नाम पोस्टर में न आने का कारण तो मैं बता सकता हूं... लेकिन तुम अपनी सफाई पेश नहीं कर पाओगे बशर्ते कि यही इल्जाम मैं तुम पर लगा दूं

क्या मतलब ? बोखलाया राजीव सेन

मैं एक मजिस्ट्रेट हूं, कानून का रखवाला... अगर वह पोस्टर में मेरे खिलाफ लिखता तो यह कानून की अवमानना होती, जिसके एवज में मुजरिम को सजा भी मिल सकती है

ओह....

पोस्टर में तुम तीनों का जिक्र जरूर हुआ है... प्रताप सिंह खुरदरे लहजे में बोला... लेकिन उसमें जहां चौधरी साहब और पाटिल को अपराधी ठहराया गया है - वही तुम्हें देवता, कानून का रखवाला, हीरो बनाकर पेश किया गया है.... क्या इससे यह साबित नहीं होता कि पोस्टर तुम्ही ने छपवाये है

बुरी तरह बोखला गया सेन

म.. मगर मैं भला ऐसा क्योंकर करूंगा ?

वही दलील जो तुमने पेश की थी... तुम पुनीत शर्मा से डर गये हो, पाटिल की मौत ने तुम्हें और ज्यादा डरा दिया है, सो खुद को बचाने के लिए तुमने यह पोस्टर छपवा दिये... ताकि लोगों में तुम हीरो बन जाओ...
ल.. लेकिन अभी अभी तो तुम मेरी जान को खतरा बता रहे थे ? सेन बोला

जरूर बता रहा था... मगर केवल उस सूरत में जब तुमने पोस्टर नही छपवाये, जबकि हालात तुम्हारी तरफ इशारा कर रहे है

सेन के माथे पर पसीने की बूंदे चमकने लगी

म... मैंने ऐसा कोई काम नहीं किया है... मैं अपनी बेटी की कसम खा कर कहता हूं कि...

मैं जानता हूँ ...तभी चौधरी उसकी बात काटते हुए गंभीरता से बोला... यह पोस्टर तुमने नहीं छपवाये

राजीव सेन ने राहत की लम्बी सांस ली... जैसे कोई गढ जीत लिया हो

मगर तुमने प्रताप पर इल्जाम लगाकर बेवकूफाना हरकत की है

आई एम साॅरी प्रताप... शर्मिंदा स्वर में बोला सेन... मेरा इरादा तुम पर कीचड़ उछालना नहीं था... मैं तो... मैं तो. .

अगर हम आपस में ही लडने लगे तो दुश्मन इसका पूरा फायदा उठा सकता है... चौधरी गुर्राहट भरे स्वर में बोला... इसलिए एक दूसरे पर कीचड़ उछालने की बजाय आपस में सिर जोडकर सोचो कि उसे खत्म कैसे किया जाये

उससे पहले यह सोचो कि सेन को कैसे बचाया जाये... प्रताप सिंह बोला... पुनीत शर्मा को ढूँढ कर खत्म करने में पता नहीं कितना वक्त लगे, इस बीच पता नहीं किधर से आकर वह सेन को खत्म कर दे

यह सुनकर सेन के माथे पर पुनः पसीना चमकने लगा
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Re: ताकत की विजय

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घबरा मत सेन... चौधरी उसके चेहरे पर छाये खौफ को देख कर बोला... तुझे कुछ नहीं होने देंगे हम , क्योंकि तुम्हारी जिंदगी में ही हमारी ज़िन्दगी है... अगर तुझे कुछ हो गया तो रायपुर के लोग कूद कर इस नतीजे पर पहुंच जायेंगे कि मैने ही तुम्हें खत्म किया है.... इस तरह तो मेरा राजनैतिक कैरियर ही तबाह हो जायेगा... और ऐसा मैं हरगिज़ नही होने दे सकता

सेन के चेहरे पर राहत आई मगर भीतर धुकधुकी लगी रही

क्यों न सेन कुछ दिनों के लिए बाहर चला जाये... प्रताप सिंह ने सुझाव दिया

बिलकुल नहीं... गुर्राया चौधरी... सेन यही रहेगा रायपुर में... अगर यह बाहर चला गया तो मैं खुद को हारा हुआ महसूस करूंगा... एक तरह से उस शर्मा के बच्चे के सामने घुटने टेकने के बराबर होगा यह काम...

समझने की कोशिश किजिये चौधरी साहब... हालात इस वक्त पुनीत शर्मा के पक्ष में है, ऊपर से वह हमें मिल भी नहीं रहा है... अगर सेन बाहर चला जाता है तो पुनीत शर्मा यहीं समझेगा की हम उससे डर गये हैं... तब वह खुल कर हमारे सामने आयेगा, और उसका खुल कर सामने आना ही उसकी मौत का कारण बनेगा... मजिस्ट्रेट प्रताप सिंह ने समझाने वाले लहजे मे कहा

लेकिन...

दुश्मन को खत्म करने के लिए अगर उसके सामने घुटने भी टेकने पड़े तो देर नही लगानी चाहिए... हम तो सिर्फ खौफजदा होने का नाटक करेंगे

गहरी सांस छोड़ी चौधरी ने और हल्के से सिर हिला दिया

ट्रिन -ट्रिन.... तभी फोन की घंटी बज उठी

रामभरोसे का फोन होगा... रिसीवर उठाते हुए बोला चौधरी... विशाल की मौत की खबर देने के लिए फोन किया होगा

दोनों कुछ नहीं बोले, बस रिसीवर को देखने लगे जो कि चौधरी के कान से लग चुका था

हेलो... जनसेवक निरंजन चौधरी आपकी क्या सेवा कर सकता है... अपनी आवाज में जमाने भर की मिठास घोलकर बोला चौधरी

कैसा है रे चौधरी ? दूसरी तरफ से व्यंग भरी आवाज आई

चौंक उठा चौधरी.... क.. कौन हो तुम ?

मौजूदा वक्त में तुम तीनों पार्टनरों के दिलों में एक ही आदमी का खौफ बैठा हुआ है... खुशक़िस्मती से वह शख्स मैं ही हूं

प.. पु.. पुनीत शर्मा ?

आवाज क्यों कांप रही है तेरी चौधरी... कही धोती तो गीली नहीं हो गई मेरा नाम सुन कर ? हंसी के साथ आवाज आई और चौधरी के कान में पिछले हुए शीशे की तरह उतरती चली गई

क्रोध से चेहरा तमतमा उठा ,आंखों में दरींदगी नजर आने लगी

अगर खुद को इतना ही तीसमारखां समझता है तो सामने क्यों नहीं आता हरामजादे... छुप कर क्यों बैठा है ?

पुनीत शर्मा कभी छुप कर नहीं बैठता चौधरी, पुनीत शर्मा तो शेर है जो जब तक गुफा के अंदर है तो तेरे जैसे सियार जंगल में अपनी हेकड़ी दिखाते रहते है... लेकिन जब शेर बाहर निकलता है तो जंगल के तमाम जानवर पनाह मांगते नजर आते है

सिर्फ बातें बना लेने से कोई शेर नहीं बन जाता हरामखोर ,तू सामने तो आ , फिर पता चल जायेगा तुझे कि शेर कौन है और सियार कौन है

घबरा मत चौधरी , बहुत जल्द तेरी मनोकामना पूरी होगी... फिलहाल तो पहले अपने पार्टनर सुरेश पाटिल की मौत की मुबारकबाद कबूल कर... कैसी लगी मेरी स्कीम

हरामजादे... जलभुन कर चीखा निरंजन चौधरी

मतलब स्कीम पंसद आई तुझे... अब जरा पोस्टरों के बारे में भी बता दे... यह तो हो नहीं सकता कि तुझे पोस्टरों के बारे में पता ना लगा हो

तू क्या समझता है... तू इस तरह सेन को खत्म कर सकेगा ?

क्यों नहीं , मुझे पूरा विश्वास है कि सेन को खत्म कर दूंगा... वैसे दाद देनी पडेगी तेरी अक्ल की , पोस्टर देख कर ही समझ गया कि अब तेरा साथी राजीव सेन तुझसे बिछुडने वाला है

गुस्से में दांत किटकिटाये चौधरी ने

हरामजादे.... तू सेन का कुछ भी नहीं बिगाड़ पायेगा

उसका तो समझ ले बिगाड़ दिया... मैंने उसकी कोठी तथा ऑफिस के चारों ओर ऐसा जाल बिछा दिया है कि उसकी मौत महज़ वक्त की बात है

तेरा हर जाल तार तार कर डालूंगा मैं , निरंजन सिंह चौधरी है मेरा नाम... तू मुझे नहीं जानता हरामजादे कि मेरी कितनी ताकत है

एक और खुशख़बरी सुन, तभी दूसरी तरफ से पुनीत की आवाज़ आई... जेल में कार्यरत तेरा कुत्ता रामभरोसे पकड़ा जा चुका है

क्या मतलब ? चौंका निरंजन चौधरी... साथ ही उसका कलेजा धडक उठा

अब अगर तू चाहे भी तो विशाल का बाल भी बांका नहीं कर सकेगा

साले कमीने.... दहाड़ा चौधरी

धन्यवाद चौधरी... जो तूने फोन उठाया... तेरी आवाज सुनने को तरस रहा था... अब विदा लेता हूँ... और कल शाम तक राजीव सेन को ऊपर पहुंचाने का वादा भी करता हूं... उसे बचाने के लिए तेरे से जो बन पड़ता है ,कर ले

इसी के साथ दूसरी तरफ से फोन कट गया

चौधरी ने गुस्से से रिसीवर फोन पर पटक दिया और बडबडाने लगा

हरामजादा... समझता क्या है खुद को... मेरे ही शहर में मुझे चैलेंज कर रहा है... नहीं छोडूंगा... नहीं छोडूंगा हरामजादे को.... वो हाल करके रख दूंगा कि उसके पूर्वजों की आत्मायें भी न पहचान पाये

पुनीत का फोन था ? तभी प्रताप सिंह ने बेतुका सवाल किया

चौधरी ने सुर्ख आंखों से घूरकर उसे देखा

मुझे धमकी दे रहा था, कह रहा था कि कल शाम तक राजीव सेन को खत्म कर देगा

उसकी बात सुनकर सेन का कलेजा फिर हलक में आ अटका... आंखों में बदहवासी उभर आई

गुस्से में अपने होश मत खोइये चौधरी साहब, गुस्से में उठाया गया कदम हमेशा नुकसान से भरा होता है... और यही चाहता है पुनीत शर्मा कि आप कोई उल्टी सीधी हरकत करें और वो आप पर हाथ डाले... ठंडे दिमाग से काम लिजिये , सोच समझ कर किया गया काम हमेशा सिरे चढता है...

चौधरी गहरी गहरी सांसे लेते हुए खुद को नॉर्मल करने की कोशिश करने लगा

अब हमारे सामने सबसे बड़ा और अहम काम सेन को बचाना है... चौधरी के चेहरे पर आये तनाव को कम होते देख बोला प्रताप सिंह... पुनीत शर्मा ने जो चैलेंज दिया है, अगर वह पूरा नहीं होगा तो वह बौखला जायेगा.... बस एक बार उसके कोई उल्टी के हरकत करने की देर है कि हमें उसका पता चल जायेगा और तब हम आसानी से उसे मौत के घाट उतार देंगे

निरंजन चौधरी कुछ नहीं बोला बस गहरी सांस छोडते हुए मौन स्वीकृति जता दी

इसी के साथ यह मीटिंग यही समाप्त हो गई....

आपकी तबीयत तो ठीक है ना ? कोठी में प्रवेश करते ही राजीव सेन की पत्नी सुनीता उसके चेहरे को देखकर हल्का चौंकते हुए बोली


जैसे चोरी पकड़ी गई हो, हडबडाया सेन

हं.... हां..... मैं ठीक हूं

नहीं.... सुनीता के साथ खडी जवान और खूबसूरत नयना दायें बांये सिर हिलाती हुई बोली... पापा अपसेट हैं

नही बेटे.... सेन अपनी इकलौती लड़की को देखते हुए बोला.... ऐसी कोई बात नहीं

एस पी की लड़की हूं पापा, आदमी का चेहरा देखते ही पहचानने की क्षमता रखती हूं , आप जरूर अपसेट हैं.... बताइये क्या बात है ?

मैंने कहा ना कोई बात नहीं.... इस बार कुछ झुंझलाहट भरा स्वर था सेन का

नयना ने राजीव सेन का हाथ पकड़ कर अपने सिर पर रखा और सख्त स्वर में बोली.... अब कहीये , कोई बात नहीं

सेन का पूरा वजूद कांप उठा... आंखों में बेचैनी भर आई

झटके से उसने अपना हाथ उसके सिर से हटाया और माँ बेटी की तरफ पीठ करके खडा हो गया

रायपुर की दीवारों पर चिपके पोस्टर मैंने भी पढ लिये हैं पापा.... नयना उसकी पीठ को घूरती हुई बोली... और आपको यह जानकर हैरानी होगी कि आपकी असलियत से मैं नावाकिफ नहीं हूं

तेजी मुडा और उसे बाहों से पकड कर गुस्से में आगे पीछे करते हुए गुर्राया...

क्या जानती हो ? क्या जानती हो मेरे बारे में ?

लेकिन नयना के चेहरे पर जरा भी खौफ नहीं उभरा और न ही वह घबराई , बल्कि उसका चेहरा पहले से भी ज्यादा कठोर हो गया

सच्चाई बहुत कडवी होती है पापा.... शायद आप सुन ना सके

नयना..... सुनीता गुस्से में चीखी.... शर्म नहीं आती अपने पापा से इस तरह बात करते हुए
प्यास बुझाई नौकर से Running....कीमत वसूल Running....3-महाकाली ....1-- जथूराcomplete ....2-पोतेबाबाcomplete
बन्धन
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दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
मगर आप जैसे दोस्त नसीब वालों को मिलते हैं!
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