हिन्दी नॉवल-काली दुनिया का भगबान - complete

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Jemsbond
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Re: हिन्दी नॉवल-काली दुनिया का भगबान - रीमा भारती सीरीज

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वह तो आर्मी एरिया से निकलने की बाते
कह रहा था, मुझे तो बस मौका मिलना
चाहिये, फिर उनके पास हाथ मलते रह जाने
के अलावा और कोई रास्ता नहीं बचने वाला था
। "जवाब दो ।" कमाण्डर ने फिर यही राग
अलापा-"वरना तुम्हें इतनी यातनाएं दी
जायेंगी कि तुम्हारी आत्मा भी सच बोलने
पर मजबूर हो जायेगी । शायद तुम्हें नहीं
मालुम कि हम आर्मी बाले यातनाएं देने के ऐसे
भयानक तरीके जानते हैं कि हमारे सामने बेजुबान पत्थर भी गा-गाकर सब कुछ उगलं देते
हैं । तुम्हारी तो औकात क्या है?" "मैं तुम्हें कैसे समझाऊं कमाण्डर... ।“ वह मेरा वाक्य बीच में ही काटकर बोला…"मुझे
समझाओ मत । सिर्फ जवाब दो।" मैंने कंधे उचकाये। मेरी इस हरकत पर उसका पारा सातवें आसमान
पर पहुंच गया । परिणामस्वरूप उसने अपना
हाथ पुन: घुमा दिया । तड़ाक . . . इस बार उसका शक्तिशाली थप्पड़ मेरे दूसरे
गाल पर पड़ा था । मुझे ऐसा लगा मानो मेरा गाल
दहकते अंगारे में तब्दील हो गया हो । चेहरे परे
पीड़ा की असंख्य रेखाएं खिंचती चली गई,
लेकिन फिलहाल तो मुझे सब कुछ बर्दाश्त
करंना ही था । "मुझे क्यों मार रहे हो कमाण्डर?" मैं अपना
गाल सहलाती बोली ---- " क्या तुम इतना भी
नहीं जानते कि एक लडकी के साथ सलूक
किया जाता है?" "हम आर्मी वाले अपने दुश्मन कै साथ एक
जैसा ही सलूक करते हैं ।" उसके होठों से शब्द
नहीँ मानो आग बरसी । " अब मैं तुम्हारी दुश्मन हो ग़ई ।" "जो शख्स चोरी-छिपे आर्मी एरिया में घुस
आये । वो दुश्मन नहीं है तो क्या दोस्त
होगा?" मैं बेबसी से अपने दांतों से निचला होठ
कुचलकर रह गई । "ये ऐसे अपना मुंह नहीं खोलेगी । इसे टॉर्चर
बैरक में ले चलो ।" कमाण्डर सैनिकों को
सम्बोधित करके आदेश पुर्ण लहजे में
बोला-----"हमें हर कीमत पर इसकी
असलियत जाननी है ।" सैनिक मुझे रायफलों की नोक पर धकेलते हुए
टॉर्चर बैरक की तरफ़ बढे । मैं ससंझ गई कि अब मुझे यातनाओं के भयानक
दौर से गुजरना होगा । अत: मैं स्वयं को
यातनाएं सहने के लिये मानसिक रूप से तैयार
करने लगी ।
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Re: हिन्दी नॉवल-काली दुनिया का भगबान - रीमा भारती सीरीज

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15
मेरी स्थिति संकटपूर्ण थी ।


मुझे बैरक जैसे लगने वाले सीलन भरे कमरे में टॉर्चर चेयंर पर बिठाया गया था । मेरे दोनों हाथ टॉर्चर चेयर के हत्थों के साथ चमडे के मजबूत फीतों से जकड़े हुए थे और पैरों को पायों के साथ । मैं चाहकर भी अपने हाथ-पैर नहीं हिला सकती थी । बैरक में बल्ब का पीला एवं बीमार प्रकाश मुस्करा रहा था । वैरकनुमा उस कमरे की दीवार के साथ एक टेबल पडी हुई थी । उस पर विभिन्न, किस्म के टॉर्चर करने वाले यन्त्र इत्यादि रखे हुए थे ।।



फिलहाल चारों सैनिकों के अलावा कमाण्डर भी वहां मौजूद या । वह कमरे में चहलकदमी सी कर रहा था । चेहरे पर पत्थर जैसी कठोरता एवं खुरदरापन फैला हुआ था । उसके खतरनाक इरादे उसके चेहरे पर ब्लेक बोर्ड पर लिखी इबारत की तरह साफ़ नजर आ रहे थे ।



"इस समय तुम्हारी जिन्दगी मेरी मुट्ठी में है लड़की ।" वह मेरे करीब पहुंचकर ठिठकता हुआ नाग की तरह फुफंकारा--"जानती हो, मुझे हेडक्वार्टर से आदेश है कि अगर तुमने सच नहीं उगला तो तुम्हें खत्म कर दिया जाए,अगर मैं चाहू तो तुम्हें अभी गोली मारकर तुम्हारी जिन्दगी की कहानी खत्म कर सकता हूं , लेकिन मैं तुम्हें गोली नहीं मारूगा , यातनाएं दे-देकर तुम्हारी जान लूंगा ।"


मेरे पास खामोश रहने के अलावा दूसरा चारा भी तो नहीं था ।



"तुम कभी यातनाओं के दौर से गुजरी हो ।" वह पुन: पूर्ववत् लहजे में बोला--"फर्ज करों कि मैं जगह-जगह से तुम्हारे चेहरे की चमडी छीलकर उस जगह नमक छिढ़क दू । उसके बाद चेहरे पर एसिड डाल दूं तो क्या होगा? यहीं तुम्हारी हौंलनाक चीखें गूंजेंगी । तुम्हारा खूबसूरत चेहरा इतना कुरुप और डरावना हो जायेगा कि कोई तुम पर थूकना भी पसन्द नहीं करेगा !"


मन ही मन कांप उठी ! फिर पलभर कुछ सोचकर मैं बोली--" तुम ये सब मुझे सुना क्यों रहे हो कमाण्डर बेहतर होगा, अपना काम करों ।"
कमाण्डर अरश्चर्य से मुझे देखता रह गया । कदाचित् उसे मुझसे इन शब्दों की उम्मीद नहीं रही होगी । वो तो समझा होगा किं मैं उसकी इस धमकी से डर जाऊंगी । अपनी जान की भीख मांगने लगूंगी , लेकिन वह क्या जानता था कि मैं क्या चीज हू? न जाने कितनी बार यातनाओं के भयानक दौर से गुजर चुकी हूँ मैं ।


पलक झपकते ही कमाण्डर का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया । उसने अपनी कमर से बैल्ट खोल ली ।


उसके जबड़े सख्ती से कसे हुए थे । चेहरा कनपटियों तक सुर्ख पड़ चुका था और आखों से शोले फूट रहे थे ।


साक्षात् दरिन्दा नजर जा रहा था वह ।


अगले क्षण:


उसका वेल्ट वाला हाथ घूम गया ।

"भड़ाक्..!"


बेल्ट का पीतल वाला चौडा बक्कल मेरे चेहरे से टकराया था । मैं बहुत कठिनाई से अपने होठो: से निकलने वाली चीख पर काबू पा सकी ।

और फिर ।

कमाण्डर ने आव देखा न ताव ।


"भडाक् .भड़ाक्… !"


बैल्ट मेरे जिस्म पर बरसती चली गई । वह कमबख्त तो मानो हाथ रोकना भूल गया था ! बैल्ट की मार वहुत तेज थी । जिस्म पर जहां पड़ती, वहीं आग . की लकीरें सी खिचती चली जाती । मैं दांत पर दात जमाये और सख्ती से होठों को भीचे उसके इस सितम को बर्दाश्त करती रही । जब वह मुझे मारते-मारते थक गया तो उसका हाथ रुका ।



"बेवकूफ लड़की ।" मुझ पर मार का जरा भी प्रभाव न पड़ते देखकर उसने दांत पीसे----"ये तो सिर्फ नमूना था । असली खेल तो मैं अब शुरू करूगा ।"



अब मुझे उसका वो खेल भी देखना था ।


व ह एक सैनिक की तरफ घूमा ।


"यस कमाण्डर ।" सैनिक सतर्क नजर आया ।



"इसे विजली के शाक लगाओ ।"



मैं मन ही मन कांप उठी ।


आर्थर नाम का यह सैनिक लपकता हुआ टेबल के करीब पहुँचा । उसने टेबल के उपर से एक प्लग उठा लिया । उससे दो तार जुडे हुए थे । उन तारों के दोनों सिरे नंगे थे । वहां तांबे की कई नंगी तारे नजर आ रही थी ।

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Re: हिन्दी नॉवल-काली दुनिया का भगबान - रीमा भारती सीरीज

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16


आर्थर ने प्लग दीवार पर लगे स्विच बोर्ड के साकिट में फंसाया और फिर आगे बढाकर तार के दोनों सिरे कमाण्डर को थमा दिये ।


"स्विच ऑन करों ।" कमाण्डर ने हुक्म दनदनाया ।


आर्थर ने तुरन्त आदेश का पालन किया ।


जब तारों मे करण्ट प्रवाहित हो चुका था ।


मेरा कलेजा उछलकर हलक में आ फंसा ।


कमाण्डर धधकता चेहरा लिये मेरी तरफ बढा ।


मैं बेबसी भरी निगाहों से उसे देखती रही । मेरे करीब पहुंचकर _ उसने तारों के नंगे सिरे मेरे चेहरे से छुआ दिये,, फिर तुरन्त अपने हाथ पीछे खींच लिये।



. मेरे हलक से हौंलनाक चीख उबल पड्री । मेरे समूचे जिस्म में तीव्र झनझनाहट दौड़ गई थी । क्षणभर में ही साक्षात् नर्क का नजारा हो गया था मुझे ।


कमाण्डर हिंसक स्वर में बोला-"अगर तारों के ये नंगे सिरे चन्द सैकंडों तक तुम्हारे चेहरे से सटे रहे तो तुम्हारी मौत निश्चित है । अभी भी वक्त है , अपना मुह खोल दो । क्यों बेमौत मरना चाहती हो ।"



. … किन्तु मेरे होंठ तक नहीं हिले । कमाण्डर ने तारें पुन: मेरे चेहरे से छुआ दीं ।


मेरे हलक से हौंलनाक चीख उबल पडी । मुझे अपना समूचा चेहरा सुन्न होता हुआ सा लगा था । मैंने महसूस किया, अगर कुछ देर तक ये सिलसिला इसी तरह से चलता रहा तो मैं निश्चित रूप से मौत की बाहों में समा जाऊंगी । उसकी यातनाओं से बचने का मेरे सामने एक ही रास्ता था कि मैं बेहोशी कर नाटक कर लूं। और मैंने यहीं किया ।


मैंने अपना चेहरा सीने पर ढलका दिया ।



"स्विच आँफ करों आर्थर ।" मेरे कानों से कमाण्डर का स्वर टकराया।


दूसरे क्षण ।

खट् ।


मेरे कानों से हल्की सी आवाज टकराई । मैँ समझ गई कि आर्थर ने स्विच आँफ कर दिया था ।


"इसे देखो । मर गई या जिन्दा हैं?" स्वर कमाण्डर का था ।


शीघ्र ही मैंने अपने चेहरे पर सांसों का स्पर्श महसूस किया था । जाहिर था कि आर्थर मेरे चेहरे पर झुका हुआ था ।


"ये सिर्फ बेहोश हुई है सर ।"



"जव इसे होश आ जाये तो इसे बैरक में बन्द कर देना ।"


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कमाण्डर का आदेश भरा स्वर मुझे सुनाईं दिया था-"सुबह इसे -हैडक्वार्टर भेज दिया जायेगा ।"


"ओ० के० सर ।"


फिर मुझे भारी बूटों की आबाज दूर होती सुनाई दी थी ।



मैंने दायी आँख में झिर्री बनाकर देखा, कमाण्डर वापस लोट रहा था । मैंने राहत की सांस ली ।


मेरे मेहरबान दोस्त सोच रहे होगे कि इस बार मैं किस खतरनाक मिशन पर हूँ और कहां हू?



मैं मडलैण्ड की धरती पर पैराशूट से कूदी थीं और ज़मीन पर पांव रखते ही फंस गई ।


मेरे चाहने वाले ये भी अच्छी तरह से जानते हैं वि, मेरा भारी भरकम चीफ खुराना मुझे एक से एक खतरनाक मिशन सौंपता है । ऐसे मिशन जो इंटरनेशनल लेवल के होते हैं । जिनमें हर वक्त जान जाने का पूरा खतरा वना रहता है ।



उस रोज भी मैं एक खतरनाक मिशन से ही वापस लौटी थी, जिसका सम्बन्ध सीधा देश की आन्तरिक सुरक्षा से था ।

शाम का वक्त था ।

. मैं काफी देर तक अपनी गुलाबी मांसल देह क्रो शावर की रोमांचित कर देने वाली बौछार से भिगोती रही थी ।

मेरी थकान गायब हो चुकी थी, फिर मैं रोयेंदार तौलिये से अपनी देह से पानी की अन्तिम बूद को सुखाकर बाथरूम से बाहर निकली और आदमकद आइने की तरफ बढ गई ।

चूंकि मैं बीस दिन बाद मिशन से वापस लौटी थी । इसलिये जाकर मनोरंजन करने क मूड में थी । उस शाम तो मेरा मूड हंगामाई था । वो शाम मैं एक शानदार क्लब में गुजारना चाहती थी ।

मैं.. अपके सपनों की रानी रीमा.. .रीमा भारती । भारत की सबसे महत्वपूर्ण जासूसी संस्था आई०एस०सी० यानि इण्डियन सीक्रेट कोर की नम्बर बन एजेन्ट दोस्तों की दोस्त । देशप्रेमियों की कद्रदान देशद्रोहियो तथा दुश्मनों के लिए: साक्षात् मौत ।

वो बला, जिससे मौत भी पनाह मागे ।

मैं आइने के सामने पहुंचकर ठिठकी । तदुपरांत मैंने दोनों साथ ऊपर उठाकर एक मादक अगड़ाई ली तो मेरा अंग-अंग मुखर हो उठा ।


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मेरर गोरा भरा हुआ सुडौल जिस्म । सुडौल चिकने कधें ।। गोरी मखमली बांहें । गिरिवर की चोटियों की मानिन्द सिर उठाये गुलाबी

उन्नत वक्ष । जिन्हें देखकर कोई भी बालिग मर्द नन्हा-सा बच्चा बनने पर मजबूर हो जाये । ..

सुराहीदार गर्दन । पतली खमदार कमर । वक्षस्थल का आकर्षण और ज्यादा बढ़ गया था । आंखों में गजब का आकर्षण था, जिन्हें देखकर कोई भी मेरी तरफ खिंचा चला आ सकता है । समतल गोरा पेट, उस पर प्यारा-सा नाभिकूप और ढलान से नीचे प्यार-सा त्रिकोण, जिसे देखकर कोई भी पागल हुए विना नहीं रह सकता ।

आदमकद आइने में अपना प्रतिबिम्ब देखकर मैं गुदगुदा उठी थी ।

मैंने अपनी कोमल हथेली से अपने वक्षों को सहलाया तो मेरे समूचे जिस्म में सिरहन सी दौढ़ती चली गई ।

पहले मैंने अपने मखमली जिस्म पर खुशबूदार पाउडर छिढ़का । हालाकि मैं आदतन ब्रेजरी नहीं पहनती, लेकिन उस दिन ब्रेजरीं पहनी, जिसके मुलायम पेडों का स्पर्श अपनी मुलायम त्वचा पर पाकर मैं रोमांचित हो उठी थी ।

उसी क्षण फोन की घण्टी ने अपना बेसुरा राग अलापा। इस वक्त फोन का आना बेहद नागवार गुजरा था । मैं झुंझला उठी ।। किन्तु . . . फोन पर मेरी झुंझलाहट का क्या प्रभाव पड़ने वाला था? उसकी घण्टी बराबर बजे जा रही थी । मैंने आगे बढकर रिसीवर उठाया और कान से लगाकर माउथपीस में बोली-हैलो ।"

"रीमा !"

मेरे होठों से गहरी सांस निकल गई । लाइन पर खुराना था ।

"गुड ईवनिंग सर ।"

वह मेरे अभिवादन का ज़वाब देकर बोला-""क्या कर रहीं हो ?"

"मैं क्लब जाने के लिये तैयार हो रही थी सर ।"

"क्लव जाने का प्रोग्राम कैन्सिल करों और तुरन्त आफिस पहुचो ।



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Re: हिन्दी नॉवल-काली दुनिया का भगबान - रीमा भारती सीरीज

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19

"ल....लेकिन सर.. " किन्तु मेरी बात पूरी होने से पहले ही दूसरी तरफ से सम्वन्ध-विच्छेद हो गया था ।

"खुराना ने मेरे मूड का सत्यानाश करके रख दिया था । मैं जानती थी कि खुराना का मुझे आफिस में तलब करना अकारण नहीं हो सकता था । वह मुझे तभी तलब किया करता था, जब कोई महत्वपूर्ण बात हुआ करती थी ।

चुकि मेरे चीफ का आदेश था । इसलिये मुझे आदेश तो मानना ही था । मैंने रिसीवर बापस रखा और क्लब जाने का प्रोग्राम रद्द करके आफिस जाने के लिये तैयार होने लगी । उस वक्त मेरे दिमाग में एक ही बात थी । सिर्फ एक कहीं किसी नये मिशन के लिये मेरा लदान तो होने वाला नहीं है ?

दसवें मिनट मैं तैयार होकर अपनी कार में सवार आफिस को तरफ़ जा रहीं थी ।

चालीसवें मिनट मैं अपने चीफ के केबिन का डोर क्लोजर युक्त दरवाजा धकेलकर भीतर दाखिल हो रही थी ।

लम्बी-चीनी आफिस मेज़ तो पीछे रिवाल्विंग चेयर पर खुराना बैठा था ।

"आओ रीमा?" खुराना का प्रभावशाली स्वर-"बैठो ।"

मैंने आगे वढ़कर उसके सामने कुर्सी सम्भाल ली । साथ ही मेरी सवालिया निगाहें खुराना के चेहरे पर स्थिर होकर रह गई, जिस -पर सदैव की भांति जमाने भर की गम्भीरता कुण्डली मारे थी और जिस चेहरे पर कुछ भी पढ पाना असम्भव था । खुराना के बायें हाथ की दो उगलियों के बीच में सिगार दबा था।

'रीमा ! "

"यस सर !"

"मैं जानता हू आज सुबह की एक खतरनाक मिशन से पूरे बीस दिन बाद स्वदेश वापस लौटी हो । उसूलन इस समय तुम्हें कुछ दिन रैस्ट चाहिए ...... !" कहकर वह रूका और सिगार का गहरा कश लिया ।


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मैं अन्दर-हीं-अन्दर झुझंलाइं हुई थी ।

मैं बडी ही नागवार नजरों से उसका चेहरा देख रही थी, क्योकिं उसकी इस भूमिका ने साबित कर दिया था कि वह अब फौरन ही मुझे कोई नया केस सौंपने वाला है ।

किन्तु मैंने अपने चेहरे पर ऐसा कोई भाव उत्पन्न नहीं होने दिया था, जिसे खुराना अपनी शान में गुस्ताखी समझता । मैं गम्भीरता की प्रतिमूर्ति वनी उसका एक-एक शब्द गौर से सुन रही यी ।

सिगार का एक गहरा कश लेकर ढेर सारा धुआं उगलने के बाद वह पुन: बोला---" इस समय हमारी संस्था एक ऐसी उलझन से गुजर रही है, जिसमें मैं तुम्हारी शिरकत जरूरी समझता हूँ क्योंकि तुम इस महत्वपूर्ण संस्था की नम्बर वन एजेन्ट हो ।"

" आखिर बात क्या सर?" संस्था की उलझन की बात सुनकर मुझसे खामोश नहीं रहा गया ।

"तुमने मडलैण्ड का नाम सुना है?"

"जी हां । वो हमारा एक मित्र राष्ट्र है ।"

"और क्या जानती हो उसके बारे में?"

"मडलेण्ड के राष्ट्रपति से हमारे मुल्क के दोस्ताना सम्बन्ध हैं ।" वह वक्त वक्त पर अंतर्राष्ट्रीय मंच पर हमारी काफी मदद करते रहे हैं । यहीं नहीं सर एडलॉफ एक ऐसी शख्यियत है, जिसने सबसे पहले आतंकवाद के खिलाफ आवाज उठाई थी और खालीस्तान को जमकर कोसा था और उसे आतंकवाद बन्द करने की चेतावनी तक दे डाली थी । सिर्फ इतना ही नहीं, उन्होंने इस मामले में हमारे मुल्क का साथ दिया था और मित्र राष्ट्रो से एकजुट होकर आतंकवाद से निबटने की अपील'की थी ।"

"राइट ।"

"ल. . .लेकिन आप मुझसे ये सब क्यों पूछ रहे हैं सर?"

"बताता हूं।" खुराना ने सिगार का लम्बा कश लेकर उसे ऐश-ट्रे के हवाले करते हुए कहा---" अब से कुछ देर पहले मडलेण्ड की राजधानी विंगस्टेन मे मौजूद हमारे स्थानीय एजेन्ट डगलस ने किसी के जरिये कोडवर्ड में एक फैक्स भिजवाया है । उस फैक्स में कहा गया है कि पश्चिम के एक देश, जो कि राष्ट्रपति सर एडलॉफ को एक तानाशाह मानता रहा है, ने वहां की सरकार का तख्ता पलट दिया है और वहां की सत्ता अपने कब्जे में लेकर गद्दी पर अपना एक कठपुतला राष्ट्रपति बिठा दिया है । वो कठपुतला तो नाममात्र को राष्ट्रपति है । अप्रत्यक्ष रूप में वहां की सत्ता की बागडोर उसी राष्ट्र के हाथों में है । वो राष्ट्र यहाँ के राष्ट्रपति को वंदी बनाना चाहता था ।

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21


----किन्तु राष्ट्रपति सर. एडलॉफ उनके बिछाये चक्रव्यूह को तोडकर भाग निकला और किसी अज्ञात जगह पर जाकर छिप गया । फिलहाल उसकी देश के चप्पे चप्पे पर तलाश की जा रहीँ है ।"

"ल -लेक्रिन इस मामले से हमारे स्थानीय एजेन्ट का क्या ताल्लुक है सर? वैसे भी ये अन्तर्राष्टीय मामला है । इसमें हम कर भी क्या सकते हैं?" मैंने कहा ।

"मडलेण्ड हमारा मित्र राष्ट्र है रीमा । इस मामले में हम बहुत कुछ कर सकते हैं ।" यह गम्भीरता की प्रतिमूर्तिं बना बोला--" इस वक्त सबसे बड़् सवाल हमारे स्थानीय एजेन्ट डगलस की जिन्दगी का है ।"

" व....व्हाट !"

"यस रीमा ।"

खुराना ने मेरी उत्सुकता बढ़ा दी थी ।

"मैँ कुछ समधी नहीं सर । आप मुझे खुलकर बताइये कि मामला क्या है?" मैँने पूछा ।

"डगलस मडतैण्ड में न सिर्फ आई०एस०सी० का स्थानीय एजेन्ट है, बल्कि सर एडलाफ का दायां हाथ भी है ।"

मैं उछल पडी ।

मेरा उछल पड़ना स्वाभाविक था, क्योकिं मेरे लिये है एक नई जानकारी थी ।

"य. . .ये आप क्या कह रहे हैं सर?" मेरे होठों से हैरत भरा स्वर निकला !"

"वही, जो सच है ।"

" लेकिन आज से पहले तो आपने मुझें ये बात नहीं बताई?"

‘मौका ही नहीं मिला । वैसे भी ऐसी बातों के को उस समय बताया जाता है जब कोई जरूरत सामने आती है ।" एक पल लेकर खुराना पुन: बोला-"मैं डगलस के बारे में बता रहा था । सर एडलॉफ का दायां हाथ के कारण उसे इस बारे में मालम है कि सर एडलॉफ कहीं छिपा हुआ है? न जाने कैसे उस मुल्क को ये महत्वपूर्ण जानकारी मिल गई । अत सेना ने डगलस को गिरफ्तार करके किसी अज्ञात जेल में नजरबंद कर दिया है । अब उसे टॉर्चर करके ये जानकारी लेने की कोशिश की जा रहीँ है कि सर एडलॉफ किस जगह पर छिपा हुआ है, लेकिन वो अपने मुंह पर ताला डाले हुए है । स्थिति बडी विस्फोटक है रीमा, अगर डगलस को जेल से नहीं निकाला गया तो वे लोग उसे यातनाएं देकर भयानक मौत मार डालेंगे और अगर ऐसा हो गया तो आई०एस०सी० अपना एक काबिल और जांबाज एजेण्ट खो देगी ।"

22

"तो ये मामला है?"

"यस ।"

"एक बात पूछूं सर ।"

"पूछो ।"

"उस पश्चिम देश को मडलैण्ड की सत्ता का तख्ता पलटने की क्या जरूरत आ पडी है?"

"जरूरत है सोने की खाने ।" खुराना ने बताया-"मडलैण्ड एक समृद्धशाली मुल्क है । जिस तरह अरब देशों मे-तेल के कुएं हैं । उसी तरह से मडलैण्ड में सोने की खाने हैं । आज की तारीख में एशिया की सोने का अस्सी प्रतिशत भाग मडलेण्ड से प्राप्त होता है ।"

"समझ गई सर ।" एकपल ठहरकर मैंने पूछा-"मडलेण्ड की जनता का क्या रुख है?" _

"मडतैण्ड की जनता का रुख बड़ा ही आक्रमक है । वहा की जनता और राष्ट्रपति सर एडलॉफ के समर्थकों ने उस तानाशाह के खिलाफ बगावत का बिगुल बजा दिया है । वे उसका तख्ता उलटने पर आमादा हैं । बिगड़ते हालातों को मद्देनजर रखते हुए सेना उन लोगों पर अत्याचार कर रहीं है । सर एडलॉफ के समर्थकों को सरेआम गोलियों से उड़ाया जा रहा है । कुल मिलाकर मडलैण्ड में युद्ध जैसी स्थिति पैदा हो गई है ।"

"अब मेरे लिये क्या आदेश है सर?"

" तुम्हें मडलेण्ड पहुंचना है रीमा । तुम्हें न सिर्फ डगलस को जेल छुडाना है, बल्कि सर एडलॉफ को भी सुरक्षित बचाना है । यहीं तुम्हारा मिशन होगा ।"

'"ल. . . लेकिन ये एक अन्तर्राष्टीय मामला है । इसलिये हमें गृहमंत्रालय की इजाजत लेनी होगी ।"

"मैं ऐसे ही तुम्हें इस मिशन पर रवाना नहीं कर रहा है । तुम्हें तलब करने से पहले मैं गृहमंत्रालय से इजाजत ले चुका हू।" उसने उत्तर दिया-"तुम्हें कुछ और पूछना हो तो पूछ सकती हो ।"

"मेरे सामने सबसे बडी प्रॉब्लम ये है कि मुझे इस बारे में कैसे मालूम होगा कि डगलस को किस जैल में नजरबंद करके रखा गया है ।"

"इस बोरे में तुम्हें तोशिमा से मालूम होगा ।"

"कौन तोशिमा?"

23

"डगलस द्वारा भेजे गये उस आखिरी फैक्स में तोशिमा का जिक्र भी है । तोशिमां डगलस की प्रेमिका है और वह मडतैण्ड की राजधानी विंगस्टन के लार्डस कैम्पस में रहती है ।" वह तोशिमा के आवास का पता बताकर पुन: बोला---"इस बारे में तुम्हें तोशिमा मुकम्मल जानकारी दे देगी ।"

"क्या आप समझते हैं कि तोशिमा सैनिकों की निगाहों से बची रहीं होगी?" मैंने सवाल किया ।

"वो सैनिकों की निगाहों से बची हुई है, तभी तो डगलस ने अपने फैक्स में उसका जिक्र किया है ।" खुराना ने कहा----अगर तुम कहो तो मैं तुम्हारी मदद के लिये…

"नहीं सर ।" मैं खुराना का वाक्य बीच में ही काटकर बोली---." इस मिशन में मुझे किसी भी तरह की मदद की जरूरत नहीं हैँ । मैं अपने मिशन खुद देखूंगी । उस मुल्क ने हमारे स्थानीय एजेन्ट को गिरफ्तार करके हमारी संस्या के मुहे पर थप्पड़ मारा है । जो हमारी संस्था को वहुत हल्का करके आक रहे हैं । मैं उस मुल्क को इस बात का अहसास कराऊगी कि हमारे किसी एजेन्ट पर हाथ डालने का क्या अंजाम होता है?"

"रीमा... !"

खुराना ने कुछ कहना चाहा, मगर मैँने उसकी बात काटकर अपनी बात जारी रखी---" सब कुछ मुझ पर छोड़ दीजिये सर । मैं न सिर्फ डगलस को सुरक्षित जेल से छुडा लूगी बल्कि सर एडलॉफ का भी बाल बांका नहीं होने दूंगी ।"

खुराना गम्भीरता की प्रतिमूर्ति वना मेरा चेहरा देख रहा था ।

"एक बात बताइये सर ।" मैं बोली ।

"वो क्या?"

"उन लोगों को मालूम है कि डगलस आई०एस०सी का एजेण्ट है ।"

"मुमकिन है ।" उसने उत्तर दिया---"हो सकता है कि उन लोगों ने डगलस को टॉर्चर करके इस बारे में जानकारी हासिल कर ली हो?"

मैं चुप रही ।

"अगर सेना के अधिकारियों को तुम्हारे मिशन के बारे में मालूम होगा तो तुम्हारे लिये मुश्किलें वढ़ जायेंगी रीमा । इसलिये तुम्हारा हर कदम नपा-तुला सोचा-समझा होना चाहिये ।"

"आप फिक्र न करें सरा मेरा हर कदम नपा-तुला और स्रोचा समझा होगा ।"

"और कुछ?"

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"मुझे मिशन पर कब रवाना होना होगा ?"

"अब से एक घण्टे बाद । इस मिशन में जितनी देर होगी डगलस की जिन्दगी को उतना ही खतरा बढ जायेगा ।"

"ओ०के० सर । मैं ठीक एक घण्टे बाद रवाना हो जाऊंगी ।"

"मैंने तुम्हारे लिये के एक टू-सीटर प्लेन का बन्दोबस्त करवा दिया है ।क्योंकि तुम सीधे मडलैण्ड की राजधानी विंगस्टन में प्रवेश नहीं कर सकती, वहां सेना तैनात है और बाहर से आने वाले हर शख्स पर नजर रखे हुए है । इसलिये तुम्हें चोरी-छिपे है मडलैण्ड की सीमा में प्रवेश करना होगा । तुम्हें विंगस्टन कैसे पहुंचना है. .ये तुम्हारी सिरदर्दी है । वायुसेनां का एक पायलेट बाला सुन्दरम _ _ तुम्हारे साथ रहेगा । तुम जहाँ चाहोगी वह तुम्हें वहीं ड्रॉप कर देगा । तुम पैराशूट की मदद से नीचे कूदोगी ।"

" बेहतर ।"

"और कुछ?"

"मुझे मडलैण्ड का नक्शा चाहिये ।"

जवाब में खुराना ने अपनी मेज की ड्राअर खोली और उसमें से नक्शा निकालकर मेरे सामने रख दिया था ।

मेरी रवानगी पक्की हो चुकी थी ।

"मुझे विमान कहां से मिलेग़ा सर?" मैंने नक्शा कब्जे में करते हुए पूछा ।

"तुम अपनी तैयारी करके एक घण्टे तक आफिस पहुंच जाओं । तुम्हारे विमान तक पहुंचने का बन्दोस्त कर दिया जायेगा ।"

" ठीक ।" मैंने तुरन्त कुर्सी छोड दी थी ।

खुराना जानता था कि अपनी तैयारियाँ पूरी करके मैं ठीक एक घंटे बाद वापस हाजिर होने वाली हू। फलस्वरूप इस समय मैं अपने मिशन पर थी ।

इसे मैं अपनी बदनसीबी ही कहूगी कि मैं अपनी लाख सावधानियों के बावजूद उन सैनिर्कों र्के चंगुल में फस गई थी।

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मैंने बेहोशी का नाटक खत्म क्रिया !

कमजोर सी कराह के साथ धीरे-से आँखे खोल दीं । अभी भी चारों सेनिक यहां मौजूद थे । मैं जानती थी कि कमाण्डर के आदेशानुसार अब मुझे बैरक मे बंद किया जाएगा ।।



प्यास बुझाई नौकर से Running....कीमत वसूल Running....3-महाकाली ....1-- जथूराcomplete ....2-पोतेबाबाcomplete
बन्धन
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दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
मगर आप जैसे दोस्त नसीब वालों को मिलते हैं!
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