सेठ दौलतराम के चेहरे से खुशी फूटी पड़ रही थी। उन्होंने किसी का टेलीफोन रिसीव किया...फिर रिसीवर रखकर इन्टरकॉम का बटन दबाया। दूसरी ओर से आवाज आई-"यस सर ।"
सेठ दौलतराम ने रिसीवर रख दिया। कुछ देर बाद ही दरवाजे के पास से आवाज आई
"मैं...मैं..अंदर आ सकता हूं सर।"
"आ जाइए।"
प्रेम अंदर आकर शिष्टता से बोला-"यस सर ।"
"बैठिए !" प्रेम बैठ गया तो सेठ दौलतराम ने मुस्कराकर कुर्सी की पीठ से टेक लगाते हुए कहा-"मिस्टर प्रेम....हमारा एक ही बेटा है जगमोहन-अगर हम उसकी शादी करें तो कम से कम कितना दहेज मिलना चाहिए?"
"सर ! कम से कम दस-पन्द्रह करोड़ तो मिलना ही चाहिए।"
"अगर हम कहें, एक अरब तक मिल रहे हों तो....।"
"फिर....सर, देर नहीं करनी चाहिए, तुरन्त ही छोटे सेठजी का रिश्ता पक्का कर दें।"
"हां, आपसे यही सलाह लेनी थी।"
"तो क्या छोटे सेठजी का रिश्ता लगा दिया है ?"
"नहीं ! हमारा बेटा एक अरबपति आसामी की बेटी से मुहब्बत करने लगा है।"
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"अच्छा !'' प्रेम खुश होकर बोला।
"हां-आज हमने अपनी आंखों से देखा था।'
"कहां?"
"सांताक्रूज में एक बस स्टॉप के पास।"
"अच्छा! वह लड़की बस स्टॉप पर गई थी ?"
"नहीं, वहां वह कार से उतरी थी....बस में बैठने के लिए।
प्रेम ने आंखें फाड़कर कहा-"अरबपति की बेटी
और बस से सफर।"
"मामला कुछ ऐसा ही है।"
"क्या किसी कंजूस सेठ की बेटी है?"
"नहीं...एक ऐसे आदमी की इकलौती बेटी जिसके पास पुराना बंगला है।"
"ओहो !"
"और बंगला भी ऐसी जगह जहां पन्द्रह माले तक की बिल्डिंग और नीचे शॉपिंग कम्पलैक्स बनाए जा सकते हैं।"
"वैरी गुड ! फिर देर किस बात की है ?"
"बस..आज हम रिश्ता पक्का करने जा रहे हैं।"
"बात करने तो उन्हें आना चाहिए।"
"बेचारी का बाप अब इस दुनिया में नहीं रहा।"
"ओह ! क्या स्वर्गवासी हो गया है ?"
"खून हो गया था बेचारे का।"
"कब?"
"दस बरस पहले।"
प्रेम चौंका-"किसके हाथों ?"
"हमारे हाथों।"
प्रेम के मस्तिष्क में एक छनाका हुआ-उसने संभलकर बैठते हुए आश्चर्य से कहा
"आप मास्टर जी की बात कर रहे हैं। मगर सुना है उस लड़की की तो सगाई हो गई है।"
"वह गलत सुना है आपने वह आज ही जगमोहन के साथ कार में घूम रही थी।"
"तो फिर क्या देरी है।" प्रेम ने थूक निगलकर कहा-"इस शुभ काम में।"
"हम आज की विद्यादेवी से मिलने जाएंगे-आप भी हमारे साथ चलिएगा।"
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"म..म..मुझे आज काम था सर !"
"क्या काम ?"
"वो...आज मेरी पत्नी के रिश्ते के भाई के मुंडन है....और आप जानते ही हैं कि इस दुनिया में
आदमी का पहला काम धर्मपत्नी को खुश रखना होता है।"
सेठ दौलत राम हंसकर रह गए और बोले-"ठीक है, हम अकेले ही चले जाएंगे।"
प्रेम उठकर अपने केबिन में आ गया। उसके मस्तिष्क में खलबली-सी मची हुई थी। अपनी कुर्सी पर बैठकर उसने सबसे पहले अपना मोबाइल निकाला और नम्बरों के बटन दबाए-फिर रिसीवर कान से लगा लिया...कुछ देर बाद दूसरी
ओर से आवाज आई-"हैलो!"
आवाज कुछ कराहती हुई थी। प्रेम ने चौंककर रिसीवर कान से हटाकर माउथपीस में बोला-"किसके पास है तेरा मोबाइल ?"
दूसरी ओर से आवाज आई-"मेरे ही पास है..मैं ही बोल रहा हूं डैडी।"
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"अबे-तेरी आवाज को क्या हो गया?"
"आवाज को छोड़िए...आप काम बताइए।"
"अरे ! तू क्या खाक काम करेगा..तूने तो काम बिगाड़ने पर कमर कस ली है अपनी।"
"जले पर नमक मत छिड़किए डैडी।"
"मैंने तुझे क्या काम सौंपा था ?"
"खाना-पीना....कॉलेज जाना।"
"और सुनीता...!"
"उकसी तो मैं पिछले दस बरस से पटा रहा हूं।"
"आज सुनीता तेरे साथ कॉलेज गई थी ?"
"नहीं...वह बस से गई थी।"
"वापसी में तूने उसे लिफ्ट नहीं दी।"
"वह तो खुद मुझे लिफ्ट नहीं देती....मैं उसे क्या लिफ्ट दूं ?
"अरे! इतना बड़ा सांड हो गया तुझसे एक लौंडिया नही पटती।"
"आप ही पटा लें।"
"अबे! मैं उसके बाप के बराबर हूं।"
"मेरे भी तो बाप हैं आप।
"उल्लू के पट्टे !"
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"बिल्कुल ठीक कहा....डैडी।"
"आज सुनीता सेठजी के बेटे जगमोहन के साथ कार में देखी गई थी।"
"तो मैं क्या करूं?"
"अबे ! तू नहीं कुछ करेगा तो क्या मैं करूंगा ?"
"डैडी ! वह लड़की मेरे बस में आने वाली नहीं है।"
"मेरा बेटा होकर हथियार डाल रहा है। मैंने तेरी मां जैसी औरत को अपने बस में कर लिया था।"
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Thriller फरेब
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Re: Thriller फरेब
मांगलिक बहन....एक अधूरी प्यास- 2....Incest सपना-या-हकीकत.... Thriller कागज की किश्ती....फोरेस्ट आफिसर....रंगीन रातों की कहानियाँ....The Innocent Wife ( मासूम बीवी )....Nakhara chadhti jawani da (नखरा चढती जवानी दा ).....फिर बाजी पाजेब Running.....जंगल में लाश Running.....Jalan (जलन ).....Do Sage MadarChod (दो सगे मादरचोद ).....अँधा प्यार या अंधी वासना ek Family ki Kahani...A family Incest Saga- Sarjoo ki incest story).... धड़कन...