Adultery प्यास बुझाई नौकर से

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Jemsbond
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Re: Adultery प्यास बुझाई नौकर से

Post by Jemsbond »

रामू- कुछ नहीं पीछे से लूँगा अब तुम्हारी।

रूबी- तुम भी ना पता नहीं कहां से सोचकर आते हो ऐसी पोजिशन्स।

रामू- घबराओ नहीं तुम भी जान जाओगी चोदने के सारे आसन।

रामू अपने हाथों को रूबी की कमर में डालकर उसको ऊपर उठाता है जिससे रूबी घुटनों के बल हो जाती है। रामू रूबी के सिर को पकड़कर चारपाई में घुसा देता है, जिससे रूबी कुतिया के पोज में आ जाती है। रूबी समझ जाती है की रामू अभी उसे कुतिया बनार चोदेगा। रूबी अपना सिर चारपाई में दिए हुए रामू के आगे बढ़ने का इंतेजार करती है।

चारपाई के गद्दे से गंदी सी स्मेल आ रही थी मानो कब से गद्दे को धूप वगैरा ना लगाई हो। पर रूबी को यह स्मेल अच्छी लग रही थी। राम आगे बढ़ता है और रूबी की टांगों को थोड़ा सा और फैलता है। जिससे उसे चूत में लण्ड पेलने में आसानी होगी। रामू लण्ड के सुपाड़े को चूत के मुहाने पे टिकाता है और हल्का सा धक्का लगाकर सुपाड़े को अंदर कर देता है।

रूबी- आअहह।

रामू धीरे-धीरे थोड़ा सा और जोर लगाता है तो आधा लण्ड रूबी की चूत में चला जाता है।

रूबी- आहह... आराम से मेरे राजा।

रामू रूबी की पीठ पे हाथ फिराने लगता है। जिससे रूबी में उत्तेजना बढ़ने लगती है। अब रामू रूबी की कमर को पकड़कर एक जोरदार झटका लगाता है और इस झटके के साथ ही रामू का पूरा का पूरा लण्ड रूबी की चूत में समा जाता है।

रूबी- “पूरा पेल्ल्ल्ल दिया जालिम ने एक झटके में उफफ्फ.."

कुछ सेकेंड रामू रूबी की कमर को पकड़े हुए अपनी जांघों से उसके चूतरों को सटाए रहता है और फिर लण्ड को बाहर निकालकर जोरदार झटका देते हुए जड़ तक लण्ड पेल देता है।

रूबी- आअहह। ‘

रामू- बस हो गया मेरी जान। इस बार तो दर्द नहीं हुई?

रूबी- नहीं, कुछ खास नहीं।

रामू- बस अब तुम्हारी चूत मेरा लण्ड लेने के लिए खुल चुकी है। अब से दर्द नहीं होगा तुम्हें। ‘

रूबी- हाँ अब तो तुम्हें रोज मौका मिल जाएगा तो चूत टाइट रेहने नहीं दोगे तुम।

इधर रूबी दुबरा से उत्तेजना से भर गई थी। रामू ने उसकी कमर को पकड़कर लण्ड चूत के अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया। रूबी ने अपना सिर चारपाई से उठा लिया और घुटनों और हाथों के सहारे चुदवाने लगी। रामू धीरे-धीरे अपना लण्ड पूरा बाहर निकालता और फिर धीरे-धीरे पूरा का पूरा लण्ड चूत में पेल देता था। रामू ने अपने हाथों से रूबी के चूतरों को पकड़कर फैला दिया।

चूतरों के फैलने से रूबी की गाण्ड का गुलाबी छेद रामू की सामने आ गया। गुलाबी छेद को देखकर रामू के मुँह में पानी आ गया। रामू नीचे झुक कर रूबी की गाण्ड के छेद को चूम लेता है।

रूबी- आअहह... क्या कर रहे हो?

रामू- कुछ नहीं मेरी जान... बस तुम्हारी विशाल गाण्ड में छुपे हुए छेद को चूम रहा था।

रूबी- छीः वहां भी कोई चूमता है?

रामू - अरे मेरी जान जब से इस छेद को देखा है बस रात को सपने भी इसी के आते हैं।

रूबी- अच्छा जी क्या सपना आता है?

रामू- “यही की तुम्हारी गाण्ड के छेद में अपना लण्ड पेल रहा हूँ..” और जोरदार धक्का जड़ देता है।

रूबी- आअहह... कैसे गंदे सपने लेते हो। वहां भी कोई करता है भला?

रामू - क्यों नहीं मेरी जान। इतनी विशाल गाण्ड को भोगे वगैर कैसे कोई रह सकता है।

रूबी- तुम भी ना। आअहह... पता नहीं उफफ्फ... कहा से बातें बना लेते हो।

रामू- सच में मेरी जान। बताओ ना पूरी तरह मेरी कब बनोगी?

रूबी- उफफ्फ... बन तो गई तुम्हारी। दूसरी बार भोग रहे हो मुझे। एक बार मेरे अंदर अपना वीर्य छोड़ चुके हो। मैं तुम्हारी बन तो गई हूँ। उफफ्फ... मेरे राजा।

रामू जोर का झटका लगते हुए- “नहीं मेरी जान... अभी तुम पूरी तरह मेरी नहीं बनी हो.."

रूबी- तो कैसे बनूंगी।

रामू - जब तुम अपनी गाण्ड में मेरा लण्ड लोगी तब तुम पूरी तरह अपने आपको मुझे समर्पित होगी।

रूबी- आअहह... वहां नहीं होता उफफ्फ... मेरे राजा।

रामू- होता है मेरी जान। कभी गाण्ड चुदवा के देखो कितना मजा आएगा तुम्हें। तुम्हारी गाण्ड के छेद को देखकर मेरे मुँह में पानी आ गया है। बताओ ना कब पूरी तरह से अपने आपको मुझे सौंपोगी।

रूबी- रामू तुम बहुत जिद्दी हो। उफफ्फ.... अपना जिश्म तुम्हें सौंप चुकी हूँ। दूसरी बार चुदवा रही हूँ तुमसे। वहां
नहीं करना।

रामू - अरे मेरी जान औरत के तीनों छेदों को जब तक ना भोगा जाए, औरत कभी भी पूरी तरह उस मर्द की नहीं होती।

रूबी- “तीन छेद। उफफ्फ..."

रामू - हाँ मेरी रानी चूत, होंठ, गाण्ड। दो छेद तो मैंने भोग लिए तुम्हारे। बस अब गाण्ड का मजा भी लेने दो ना।

रूबी- नहीं राम्। मैंने कभी नहीं सुना की कोई गाण्ड में करता हो।

रामू- मेरी रानी मेरे प्यार में कोई कमी है क्या जो मुझे मना कर रही हो?

रूबी- नहीं मेरे राजा। आअहह।

रामू- तो बताओ ना। आज कर सकते है क्या?

रूबी- नहीं रामू आज नहीं। आज्ज बस चूत को शांत करो उफफ्फ... उसके बारे में सोचूंगी।

राम अपने धक्के तेज कर देता है और रूबी की सिसकारी तेज हो जाती है। राम अब अपने हाथों से रूबी के उभारों को पकड़कर धक्के लगाने लगाता है। रूबी उसके हाथों का साथ देते हए अपने उभारों पे उसके हाथ दबाने लगती है।

रूबी सोचती है की जैसे रामू जिद्दी है, और जिस तरीके से उसने चूतरों को फैला रखा है और गाण्ड के छेद के दर्शन कर रहा है, वह मेरी गाण्ड लेकर ही मानेगा। राम के धक्कों से रूबी वासना की लहरों में तैरने लगती है
और उसकी सिसकियों से कमरा गूंजने लगता है। राम अपनी एक उंगली को रूबी की गाण्ड के छेद में डाल देता है, और स्पीड से चूत चोदने लगता है।

दोनों चरमर की ओर बढ़ने लगे थे। रूबी अब अपने चेहरे को चारपाई से चिपका लेती है। रूबी के उभार
चारपाई के बिस्तर से चिपक जाते हैं और उसके चूतर हवा में ही उठे रहते हैं।
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Re: Adultery प्यास बुझाई नौकर से

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Re: Adultery प्यास बुझाई नौकर से

Post by Jemsbond »

रामू जोर-जोर से धक्के मारता हआ रूबी को चोदने लगता है। बीच-बीच में वो रुक कर रूबी की गाण्ड के छेद को चूम भी लेता है। रूबी मदहोशी में सिसकियां लेटी हुई अपनी ही दुनियां में खोई हुई थी। पूरे कमरे में सिर्फ रूबी की सिसकियां ही सुनाई पड़ रही थी। क्या नजारा था कमरे का।

घर की मालेकिन अपने बिहारी नौकर से उसके कमरे में ही रही थी। रूबी को तो राम के लण्ड का चस्का लग गया था। इसलिए वो चूतर फैलाकर बेशर्मों की तरह चुदवा रही थी। रामू अब अपना वजन रूबी की कमर पे डालने लगता है जिससे रूबी की कमर और चूतर धीरे-धीरे नीचे होने लगते हैं। कुछ ही सेकेंड में रूबी पूरी तरह चारपाई पे पसर जाती है और रामू का पूरा वजन उसके ऊपर आ जाता है।

रामू का पूरा लण्ड रूबी की चूत में घुसता और फिर बाहर आ जाता था। रूबी मजे से नीचे लेटी तगड़े लण्ड को भोगती हुई हे भर रही थी। उसके अंदर ज्वालामुखी फूटने की ओर बढ़ रहा था। रूबी की सिसकियां और तेज हो जाती हैं।

रूबी- "आअहह... चोदो मेरे राजा, और जोर से उफफ्फ... उई माँ उफफ्फ... और तेज्ज... मार डाला मेरे रज्जा आई लव यू आअहह... मुझे। अपनी बना लो.. बहुत मजा आ रहा है उफफ्फ... सारी जिंदगी मुझे ऐसे ही चोदते रहना आअहह.."

रामू समझ जाता है की रूबी किसी भी वक्त झड़ सकती है। वो अपनी स्पीड और तेज कर देता है और अपने पूरे जिश्म को रूबी के जिश्म से सटाकर धक्के मारने लगता है। दोनों का पूरा जिश्म आपस में रगड़ खा रहा था। रूबी की पीठ और राम का पेट आपस में रगड़ रहे थे। राम पूरे जोश में था और रूबी की चूत के अंदर जितना हो सकता था लण्ड पेल देता था।

दोनों में से कोई भी अब होश में नहीं था। दोनों पूरे जोश के साथ इस रात में समागम का मजा ले रहे थे।

रामू- मेरी रानी कैसा लाग रहा है?

रूबी- आअहह... बहुत अच्छा मेरे राजा हमम्म... चोदो मुझे और तेज्ज.."

रामू- बस थोड़ा टाइम में झड़ने वाला हूँ मैं।

रूबी- मैं भी झड़ने वाली हूँ आहह।

रामू - मेरी रानी मेरे बच्चे की माँ बनोगी?

रूबी- हाँ मेरे राजा।

रामू - मेरा वीर्य अपनी बच्चेदानी में संभाल के रखना और मेरे बच्चे को जनम देना।

रूबी- आअहह... आअहह... तुम्हारा बच्चा पालूंगी मैं।

कुछ देर और ऐसे चोदने के बाद रूबी के शरीर में अकड़न आने लगती है।

रूबी- "आअहह... आहह... आअहह... आअहह... आअहह... आअहह..” और एक लंबी सी आअहह... के साथ रूबी की चूत पानी छोड़ देती है। रामू समझ जाता है के रूबी झड़ रही है।

रामू - मैं भी आया मेरी जान आअहह... आअहह।

दो-चार जोरदार धक्कों के साथ राम पूरा लण्ड चूत में पेल देता है और लण्ड में से पिचकरी निकलती है जो की सीधे रूही की बच्चेदानी से टकराती है। राम लण्ड बाहर निकलकर फिर से जोरदार धक्का मारता है और लण्ड चूत के अंदर फिर से पिचकारी छोड़ता है। राम का पूरा जिश्म अकड़ जाता है और रूबी की चूत को अपने वीर्य से भरने लगता है। कुछ देर ताक हल्के-हल्के धक्कों के साथ राम अपना वीर्य चूत में छोड़ता रहता है और फिर पूरी तरह थक कर रूबी के ऊपर लेट जाता है।

दोनों ऐसे ही कुछ देर पड़े रहते हैं, और कुछ देर में लण्ड ढीला होकर चूत में से बाहर निकल आता है। दोनों नंगे ही एक दूसरे से लिपटकर सो जाते हैं। सुबह घरवालों के उठने से पहले ही रूबी वापिस अपने कमरे में आ जाती है। उस दिन के बाद तो रूबी रोजाना ही रामू से संबंध बनाने के लिए रात को चुपके से उसके कमरे में आ जाती थी और चुदवाने का भरपूर मजा लेती थी। अब उसकी सुखी चूत फिर से हरी भरी हो गई थी।
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