मांगलिक बहन

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rajan
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Re: मांगलिक बहन

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अजय अपनी बात की बात सुनकर तेजी से उठा और ट्रैक्टर से फावड़ा निकाल कर मेढ़ को ठीक किया और उसकी जांघो में देखते हुए बोला:"

" दीदी इस खेत तो क्या मैं तो आपके किसी भी खेत से पानी बाहर ना निकलने दू।

सौंदर्या ने फावड़े के लड़की के हत्थे को देखा तो उसे लगा कि उससे भाई का लंड भी ऐसा ही ज्यादा मोटा और लम्बा होगा। उसका जिस्म पूरी तरह से दहक रहा था।

अजय ने फावड़े को एक तरफ रख दिया और खेत में पड़ी हुई घास को उठा उठा कर ट्रैक्टर में रखने लगा। बारिश के कारण भीग चुकी अपनी शर्ट को उसने उतार दिया और उसकी चौड़ी छाती देख कर सौंदर्या फिर से उसकी ओर देखने लगी।

सौंदर्या को अपनी जांघो में गीलापन महसूस हुआ तो उसने अपने एक हाथ को नीचे ले जाकर देखा तो उसके हाथ में उसके भाई का वीर्य लग गया जिसे देखते ही सौंदर्या के जिस्म में तेज सनसनाहट सी दौड़ गई और उसने तेज हो गई बारिश में उसने अपने पेटीकोट को धोने की सोची और थोड़ा सा पीछे की तरफ जाते हुए एक पेड़ के पीछे खड़ी हो गई और दोनो हाथ फैला कर बारिश का मजा लेने लगी। अजय घास को ट्रैक्टर में रख चुका था और अपनी दीदी को देखा तो वो उसे नहीं मिली तो उसने इधर उधर देखा और पेड़ के पीछे उसे देखने चला आया। सौंदर्या के कपडे भीग चुके थे और उसने अपनी साडी को अपने कंधे पर से हटाने लगी ताकि आराम से अपने पेटीकोट को धो सके। साडी जैसे ही उसके कंधे से हटी तो उसकी लाल रंग की ब्रा में कैद उसकी गीली भीगी हुई ठोस गोल गोल चूचियां बाहर की तरफ उछल पड़ी।



अपनी बहन की गोल गोल पपीते के आकार की चुचियों को ऐसे हिलते हुए देखकर अजय के मुंह से आह निकल पड़ी। उफ्फ क्या माल है उसके बहन। जीती जागती क़यामत हैं। सौंदर्या ने अपनी साडी को एक तरफ किया और अपने पेटीकोट को धोने लगी लेकिन बीच में से ठीक से नहीं धो पा रही थी तो उसने अपनी जांघो को चौड़ा कर लिया ताकि अंदर तक पानी गिर सके। अजय तो पूरी तरह से बेकाबू सा हो उठा और उसने अपने लंड को सहलाना शुरू कर दिया।

सौंदर्या ने अपने भाई के वीर्य को अच्छे से साफ किया और उसकी नजर ब्रा के बंद अपनी चूचियों पर गई तो उसे खुद पर गर्व हुआ। तभी जोर से बिजली कड़की और सौंदर्या बुरी तरह से डर गई और उसकी हालत में अपने भाई की तरफ दौड़ पड़ी। अजय ये सब देखा रहा था और उस पर तो जैसे क़यामत सी टूट पड़ी। सौंदर्या के भागने से उसकी लाल रंग की ब्रा में बंद चूचियां बहुत ही कामुक अंदाज में उछल उछल पड़ रही थी।

अजय अपनी बहन की हालत देखकर उसके सामने आ गया और तेजी से उसकी तरफ दौड़ी और अपने भाई को अपनी चुचियों को उछलते हुए देखकर उसकी सांसे तेज हो गई और तभी फिर से बिजली कड़की तो एक झटके के साथ वो अपने भाई के सीने में घुस सी गई। अजय ने ऐसे अपनी बांहों में कस लिया और सौंदर्या डरते हुए बोली

" उफ्फ ये बिजली भी आज कुछ ज्यादा ही गिर रही हैं जोर जोर से

अजय ने अपनी बहन की कमर को थाम लिया और सहलाते हुए बोला:"

" हाय दीदी तुम से कहीं ज्यादा बिजलियां तो मुझ पर गिर रही हैं। उफ्फ क्या होगा आज मेरा।

सौंदर्या अपनी कमर सहलाने से मचल उठी और बोली:"

" तुम पर कहां से बिजलियां गिर गई भाई ?

अजय ने अपने मुंह को अपनी दीदी के सामने किया और उसके चेहरे को उपर किया और आंखो में देखते हुए बोला

" दीदी आप बिल्कुल क़यामत लग रही हो। आपकी हर एक अदा जानलेवा हैं उस आसमानी बिजली से कहीं ज्यादा।

सौंदर्या के होंठो पर स्माइल आ गई और बोली:"

" भाई मैं कहां से तुम पर बिजलियां गिरा रही हूं। कुछ भी बोल देते हो।

अजय ने बिना कुछ कहे सौंदर्या को अपनी बांहों से आजाद किया और उसे हाथ पकड़ पर तेजी से गोल गोल घुमा दिया जिससे उसकी चूचियां फिर से उछल कर उधर उधर डोल गई और अजय उसकी चूचियों को घूरते हुए बोला:"

" दीदी देखो ना आपकी लाल लाल बिजलियां कैसे मुझ पर गिर रही हैं, बड़ी बड़ी गोल गोल बिजलियां।

सौंदर्या ने अपनी चुचियों की तरफ देखा तो उन्हें लाल रंग की ब्रा में बेलगाम उछलते हुए देखकर समझ गई कि उसका भाई उसकी चूचियों को लाल लाल बिजलियां कह रहा है तो सौंदर्या उसको मारने के लिए उसकी तरफ बढ़ी और अजय उससे दूर हुआ तो सौंदर्या उसकी तरफ भागी जिससे उसकी चूचियां फिर से अपनी औकात दिखाने लगी। अजय उसे मुड मुड कर देख रहा था और सौंदर्या उसके पीछे अपनी चूचियों को उछालती हुई भाग रही थी।
rajan
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Re: मांगलिक बहन

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अजय ट्रैक्टर के पास रुक गया और उसकी चूचियों को देखने लगा तो सौंदर्या उसके पास आई और उसके कान पकड़ कर खींचते हुए बोली:"

" बहुत बिगड़ गया है तू। मैं तो तुझे बच्चा समझती थी।

अजय:" आह दीदी मेरा कान छोड़ो, ये बच्चा अब बच्चे पैदा करने लायक हो गया है।

तभी फिर से आसमान में काले काले बादल छा गए और सौंदर्या डरते हुए बोली:"

" भाई शायद बारिश और ज्यादा होगी, घर जाकर तुझे ठीक करती हूं। बहुत बोलता है।

अजय ने भी मौसम के हालात को समझते हुए ट्रैक्टर को चालू कर दिया और जल्दी ही वो अपने घर पहुंच गए। कमला बहुत परेशान थी और उन्हें देखकर राहत की सांस ली।

अजय ने घास को अंदर डाला और तब तक सौंदर्या नहाने के लिए बाथरूम में घुस गई। घास उतारकर अजय भी नहाने के लिए घुस गया और उसके बाद दोनो भाई बहन ने अपनी मा के साथ खाना खाया।

बारिश में ज्यादा भीगने के कारण दोनो का शरीर अकड़ गया था इसलिए बिस्तर पर लेटते ही दोनो नींद के आगोश में चले गए जबकि कमला अपने घर के काम खत्म करने में जुट गई।

शाम को सौंदर्या की आंख खुली और वो अपनी मम्मी के साथ घर के काम में जुट गई तो उसे देखते ही कमला बोली:"

कमला:" उठ गई मेरी प्यारी बेटी, काफी देर तक सोती रही।

सौंदर्या:" हाँ मम्मी, भीग गई थी इसलिए नींद बहुत अच्छी आई मुझे। समय का पता ही नहीं चला।

कमला:" सो ले बेटी जी भरकर, उसके बाद तो अगले हफ्ते आचार्य जी आ रहे हैं तो तेरी कुंडली का दोष दूर होते ही तेरी शादी होते देर नहीं लगेगी। फिर कहां तुझे आराम मिलेगा ससुराल में बेटी !

सौंदर्या अपनी मम्मी की बात सुनकर स्माइल करी और बोली:"

" मैं कहीं नहीं जाऊंगी आपको छोड़कर। शादी के लिए कोई ऐसा लड़का देख लुंगी जो हमारे ही साथ रहे।

कमला:" अरे बेटी मेरे लिए तो शादी हो जाए बस वही बड़ी बात है, घर जमाई कहां मिलते है आजकल ? ।

सौंदर्या:" मिल जाएगा मम्मी, मैं कोशिश करूंगी।

कमला:" अच्छा ठीक है। सभी बन गई है। तुम रोटी बना लो तब तक मैं भैंस का दूध निकाल लेती हूं मौसम भी थोड़ा खराब है आज।

कमला बाल्टी लेकर दूध दुहने चली गई और सौंदर्या रोटी बना रही थी। उसके मन में आज दिन भर हुई घटना घूम रही थी खास तौर से वो ट्रैक्टर वाला दृश्य।

सौंदर्या सोच रही थी कि मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था। ये सब गलत हैं क्योंकि वो मेरा सगा भाई है। तभी उसके मन में दूसरा विचार आया कि सौंदर्या उसके साथ मजा बहुत आ रहा था, टू खुद ही ट्रैक्टर के बहाने उसकी गोद में उछल रही थी। नहीं नहीं ये सब मुझे बंद करना ही होगा, आज नहीं तो कल इसका अंजाम बहुत बुरा हो सकता है।

सौंदर्या ने अपने मन को पक्का किया और रोटी बनाती रही। रोटी बन गई थी और कमला भी दूध लेकर आ गई थी।

रात के करीब आठ बज गए थे और सारा परिवार साथ में खाना खा रहा था।

अजय बार बार अपनी दीदी की तरफ देख रहा था और उससे बाते कर रहा था लेकिन सौंदर्या कोई भाव नहीं दे रही थी जिससे उसका मूड खराब हो रहा था।

कमला:" क्या हुआ बेटा ? कुछ परेशान सा लग रहा है?

अजय के चेहरे के भाव बदल से गए और बोला:"

" नहीं मम्मी, बस बारिश में भीग गया था इसलिए थोड़ा थकान महसूस हो रही है।

कमला:"इतने दिन के बाद खेत का काम किया है तो थकान तो होगी ही बेटा। अरे बेटी एक काम करना, सोने से पहले अजय को एक गर्म ग्लास दूध दे देना। थोड़ा ताकत मिलेगी तो सारी थकान दूर हो जायेगी।

सौंदर्या:" ठीक है मम्मी। मैं दे दूंगी सोने से पहले।

उसके बाद सभी लोग खाना खाकर करीब 10 बजे तक टीवी देखते रहे और फिर कमला को नींद आने लगी तो वो भी सोने के लिए चली गई। अजय को अपनी बात करने का मौका मिल गया और बोला:"

" क्या हुआ दीदी? आप जब से जंगल से आई हो कुछ बदली बदली सी नजर आ रही हो? मुझसे कुछ गलती हुई हैं क्या ?

सौंदर्या:" नहीं भाई ऐसा कुछ नहीं हैं, सब ठीक है।


अजय:" अच्छा दीदी मैं कमरे में जा रहा हूं। नींद आ रही है अगर ही सके तो एक ग्लास दूध दे देना आप मुझे।

इतना कहकर अजय ऊपर अपने कमरे में चला गया। अजय समझ रहा था कि उसकी दीदी शायद अपराध बोध महसूस कर रही है इसलिए उससे बात करनी होगी। लेकिन नीचे उसे अपनी मम्मी का खतरा था इसलिए उपर चला गया ताकि आराम से बात हो सके।

सौंदर्या भी सब समझ रही थी कि अजय ऊपर क्यों गया है और दूध के बहाने वो उसे भी उपर आने के लिए कह गया है। सौंदर्या उसकी चाल समझ गई थी लेकिन अपने भाई को दूध देना जरूरी था।

सौंदर्या ने रसोई से दूध गर्म किया और उपर की तरफ आ गई। अपने दीदी को अपने कमरे में देखकर अजय ने राहत की सांस ली और बोला:"

" आओ दीदी मैं आपका ही इंतजार कर रहा था।

सौंदर्या ने दूध का ग्लास उसकी तरफ किया और बोली:"

" लो तुम जल्दी से ग्लास पकड़ो, मुझे नींद आ रही है।

अजय ने ग्लास लिया और बोला::" दीदी इतनी जल्दी भी क्या हैं सोने की, बैठो थोड़ी देर बाते करते हैं।

सौंदर्या:" नहीं भाई। आज नहीं, मैं थक गई हूं। नींद आ रही है बहुत ज्यादा आज।

इतना कहकर वो बाहर की तरफ चल पड़ी तो अजय की कुछ समझ ही नहीं आया कि क्या करे। उसने दूध का ग्लास रखा और तेजी से आगे बढ़ कर अपनी बहन का हाथ थाम लिया। सौंदर्या अपना हाथ छुड़ाने लगी लेकिन अजय ने कसकर पकड लिया और बोला:"

" क्या दीदी ? क्यों ऐसे कर रही हो? बताओ तो मुझे ?

सौंदर्या:" अजय मेरा हाथ छोड़ो, मत भूलो कि मैं तुम्हारी बहन हूं। नहीं तो मुंह तोड़ दूंगी तेरा।

सौंदर्या ने गुस्से से कहा तो अजय के होंठो पर स्माइल आ गई और बोला:"

" अच्छा जी, आप अपने लाडले भाई का मुंह तोड़ दोगी ?

सौंदर्या पूरी ताकत से अपना हाथ छुड़ाने लगी लेकिन अजय की मजबूत पकड़ उससे टस से मस भी नहीं हुई तो उसने गुस्से से उसे घूरते हुए कहा:"

" अजय मुझे मजबुर मत कर, आखिरी बार बोल रही हो।

अजय ने अपनी पकड़ को और मजबूत किया तो गुस्से से सौंदर्या की आंखे लाल हुई और जबड़े भींच कर उसने दूसरे हाथ से एक जोरदार थप्पड़ अपने भाई के गाल पर कसकर मार दिया।

अजय की आंखे खुली की खुली रह गई और उसने अपनी बहन का हाथ छोड़ दिया और सौंदर्या एक झटके के साथ पलटी और बाहर की तरफ निकल गई। अजय को समझ नहीं आया कि ये सब क्या हुआ और वो दुखी मन से वहीं अपने बेड पर बैठ गया।
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rajan
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Re: मांगलिक बहन

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मनोज अपने सामने बैठे हुए आदमी की बाते बड़े गौर से सब सुन रहा था और उसके चेहरे पर ज़हरीली मुस्कान नाच रही थी।

मनोज:" मैं कैसे तुम्हारी बात का यकीन मान लु? साबित करो वरना अगर झूठ निकला तो समझो तुम्हारी कहानी खत्म।

आदमी:" मालिक सच बोल रहा हूं, रुको आपको सबूत दिखाता हूं

इतना कहकर उस आदमी ने वो सबूत उसके सामने कर दिया तो मनोज की आंखे चमक उठी। उसे यकीन हो गया कि वो सोच बोल रहा था।

मनोज:" बहुत ही बढ़िया। मजा आ गया भाई। इस काम के लिए इतने दिन से परेशान था मै और तूने तो एकदम से मेरी सारी दिक्कत दूर कर दी। आज से तू मेरा खास आदमी बनकर रहेगा और पैसा भी ज्यादा मिलेगा।

आदमी अपनी तारीफ सुनकर खुश हो गया और बाहर की तरफ निकल गया। मनोज ने शेरा को फोन करके सारी बाते बता दी और दोनो आगे का प्लान करने लगे। दोनो जानते थे उन्हें क्या करना है।

वहीं दूसरी तरफ अजय और सौंदर्या दोनो पूरी रात अपने अपने बिस्तर पर करवटें बदलते रहे। अजय को अपनी गलती का एहसास हो रहा था कि उसे अपनी दीदी के साथ जबरदस्ती नहीं करनी चाहिए थी।

वहीं सौंदर्या सोच रही थी कि ये सब उसकी वजह से ही हुआ हैं। ना मैं डिल्डो के चक्कर में पड़ती और ना ही आज ये दिन देखना पड़ता। अजय को मैंने ही बढ़ावा दिया है लेकिन उसे भी समझना चाहिए कि ये सब ठीक नहीं हैं इसलिए ये सब बंद करना जरूरी हैं। उसे बुरा लगा होगा लेकिन ये होना बहुत जरूरी था। अब मैं आगे उससे दूरी बनाकर रखूंगी।

ये ही सब सोचते सोचते वो सो गई। अजय ने भी थक हर कर अपनी सोच को विराम दिया और सोने का फैसला किया।


वहीं दूसरी तरफ अमेरिका में शादाब अपनी अम्मी के साथ मजे से रह रहा था क्योंकि उसे एक अच्छा खासा पैसा स्कॉलरशिप के रूप में मिल था। वैसे की तो वैसे भी कोई कमी नहीं थी क्योंकि जमीन बेचकर और ठेके पर देकर उसने अच्छा पैसा बचा लिया था। उन्हें गए हुए करीब छह महीने हो गए थे और दोनो की ज़िन्दगी खुशियों से भरी हुई थी।

वहां के माहौल का शहनाज़ पर बहुत गहरा असर पड़ा और उसकी सोच और कपडे पहनने का तरीका सब बिल्कुल बदल गया। घर से बाहर कदम रखते हुए डरने वाली शहनाज़ अपने बेटे के साथ काफी घूम चुकी थी और उसकी हिम्मत इतनी बढ़ गई थी कि अब तो अकेले ही घूम लेती थी। पहले अपने शरीर की उंगलियां तक ढक कर रखने वाली शहनाज़ अब शॉर्ट स्कर्ट और टॉप पहनकर अपने बेटे की बांहों में बांहे डालकर खुलेआम सड़को पर अपने कातिल हुस्न और कामुक अदाओं का जलवा बिखेर रही थी।


शादाब ने उसके बालो को अच्छे से कट कराया और शहनाज ने जिम भी ज्वाइन कर लिया था। उसने अपनी फिटनेस पर बहुत मेहनत करी और जल्दी ही उसकी मेहनत रंग लाई। उसका पहले से ही भारी फिगर अब क़यामत बन चुका था। जिम के कारण उसके पेट पर जो थोड़ी सी चर्बी थी अब खींच कर उसके सीने पर आ गई थी जिससे उसकी पहले से ही टाइट चूचियां अब पूरी ठोस हो गई थी और निप्पल पूरी तरह से कस गए थे। शहनाज़ की कमर अब लचक खाने लगी थी और पहले से बहुत ज्यादा पतली हो गई थी। उसकी गांड़ के तो कहने ही क्या, बिल्कुल गोल गोल नितम्ब, चौड़े पहले से ज्यादा फैले हुए लेकिन लटकन का नामो निशान तक नहीं। शादाब ने शहनाज़ पर खुलकर पैसा खर्च किया और उसकी पूरी तरह से काया पलट हो गई थी।

उसका फिगर 39:29:42 हो गया था। शहनाज़ अब 27 या 28 साल की लगती थी। कोई भी देखकर नहीं कह सकता है कि वो शादाब की अम्मी हैं। दोनो गोरे चिट्टे, लगता था जैसे दोनो एक दूसरे के लिए ही बने हुए है।

शहनाज़ की दोनो फोटो उसके जिस्म और उसकी सोच में बदलाव दिखाते हुए।।

शहनाज़ पहले ऐसी दिखती थी।



शहनाज़ अपने बेटे से शादी के बाद कुछ ऐसी दिखती हैं।



शहनाज़ और शादाब दोनो एक साथ की बांहों में लेते हुए थे और शादाब बोला:"

" अम्मी क्यों इतना ज़ुल्म कर रही हो मुझ पर ?

शहनाज़ ने अपने बेटे को स्माइल देते हुए कहा:" बेटा तुम तो जानते ही हो कि मेरे पीरियड चल रहे हैं

शादाब ने शहनाज़ की चुचियों की तरफ हाथ बढ़ाया तो उसने उसका हाथ बीच में ही पकड़ लिया और बोली:"

" नहीं मेरे शादाब। मुझे दिक्कत होगी फिर बेटा। आज और सब्र करो, आप पांचवा दिन हैं। ब्लड बस रुक सा गया है।

शादाब:" अम्मी ये आपके पीरियड भी ना मेरी जान निकाल देते हैं। इस बार तो आपने मुंह से नहीं चूसा। देखो ना कैसे अकड़ रहा है मेरा मूसल आपकी औखलीं में जाने के लिए।


शादाब ने उसका एक हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रखना चाहा तो उसने अपना हाथ पीछे खींच लिया और शहनाज़ के होंठो पर स्माइल आ गई और बोली:"

" तुझे अब तब ओखली और मूसल याद हैं क्या ?

शादाब:" क्या बात कर दी अम्मी, मैं कैसे भूल सकता हूं। ज़िन्दगी में खुशियां इसी ओखली और मूसल की वजह से तो आई थी।

शहनाज़:' अच्छा ये बात भी है। तुम अब जल्दी से हो जाओ, नहीं तो कॉलेज कर लिए लेट हो जाओगे।

शादाब ने एक किस अपनी अम्मी के गाल पर किया और तेजी से उठकर तैयार होने लगा और फिर नाश्ता करके जाने लगा तो शहनाज़ ने उसे अपनी बांहों में भर लिया और उसके गाल चूम कर बोली:"

" जल्दी आना, मेरा मन नहीं लगता तेरे बिना।

शादाब ने जल्दी से शहनाज़ का एक हाथ अपने लंड पर रख दिया और बोला:"

" आपके प्यारे इस मूसल के बिना या मेरे बिना?

शहनाज़ ने उसके होंठो को चूम लिया और बोली:" दोनो के बिना अब खुश। जाओ जल्दी अब और जल्दी आना।

शादाब:" अच्छा जाता हूं, अगर जल्दी आया तो क्या दोगी ?

शहनाज़:" पहले आओ तो तुम, उसके बाद बात करते हैं।

शादाब ने अपनी अम्मी की चूत की तरफ इशारा किया और बोला:" बात कुछ नहीं करनी मुझे आज आपकी ये चाहिए।

इतना कहकर शादाब उसकी तरफ जीभ निकाल कर कॉलेज चला गया और शहनाज़ अपने विचारो में खोई हुई थी कि किस तरह उसके बेटे ने उसकी ज़िन्दगी को पूरी तरह से बदल दिया था। मैं सुंदर हूं इसलिए मेरे बेटे ने मेरे जिस्म को नहीं हासिल किया बल्कि उसने एक आशिक का पूरा फर्ज़ निभाया। मायके वालों को मेरी कद्र नहीं रही अम्मी पापा के बाद और ससुराल वालों ने भी मुझे पूरी तरह से निराश ही किया।


करीब सुबह के 10 बजे रहे थे और अपने विचारो में खोई हुई शहनाज़ को याद आया कि आज उसके पीरियड खत्म हो गए हैं और उसे अच्छे से सिर धोकर नहा लेना चाहिए। शादाब पिछले पांच दिन से सेक्स के लिए तड़प रहा था लेकिन मेरे पीरियड के चलते मजबूर था और बेचारे का इस बार तो मैंने चूसा भी नहीं। सुबह आज वो पूरी खुशी के साथ कॉलेज गया है कि आज शाम को जोरदार धमाका करेगा।

शहनाज़ नहाने के लिए बाथरूम में बाथरूम में घुस गई और पूरी तरह से नंगी हो गई। उसने अपने जिस्म को देखा तो उसे खुद पर गर्व महसूस हुआ। उसकी चूचियां और गांड़ सचमुच जानलेवा हो गई थी। शहनाज़ ने देखा कि उसकी चूत पर पिछले कुछ दिनों में छोटे छोटे बाल उग आए थे पीरियड की वजह से। इसलिए शहनाज ने सबसे पहले अपने बालो को साफ करने का फैसला किया। उसने क्रीम लगाई और थोड़ी देर बाद ही उसे अपनी से धो दिया। उसकी चूत बिल्कुल सुंदर और चिकनी हो गई थी, एक भी बाल नहीं। उसने कांपते हाथो से चूत को छुआ तो उसे एहसास हुआ कि उसकी चूत बिल्कुल रेशम की तरह मुलायम हैं।

शहनाज़ अपनी चूत के साथ ज्यादा छेड़ छाड़ नहीं करना चाहती थी इसलिए बस अच्छे से साफ किया और ब्रा पेंटी पहन ली और अपने कमरे में आ गई और अपने कपड़े बदल लिए।

वो टीवी देखने लगी और कब दो बज गए उसे पता ही नहीं चला। वो जानती थी कि उसके बेटे के आने का समय हो गया है तो उसन अपने बालो को खोल दिया और उसके बाद उसके खूबसूरत चेहरे के चारो और फैल गए और उसने अपनी टी शर्ट को निकाल दिया और सिर्फ एक डार्क ब्लू रंग की जीन्स और गहरे लाल रंग की डिजाइनर ब्रा में बाहर बालकनी में खड़ी हो गई और सड़क की तरफ देखने लगी।


शादाब की कार उसे सड़क पर आती दिखाई दी और शहनाज़ के होंठो पर स्माइल आ गई। शादाब ने अपनी अम्मी को देखा और कार की स्पीड को कम कर दिया और शहनाज़ को बालकनी में खुले बालों में देखकर उसे खुशी के साथ साथ हैरानी भी हो रही थी। शहनाज के दूध से गोरे कंधे दूर से ही साफ नंगे नजर आ रहे थे और शादाब ने अपनी अम्मी को एक फ्लाइंग किस दी तो शहनाज़ हल्की सी शरमाई और शादाब ने गाड़ी को घर के अंदर घुसा दिया।

गाड़ी खड़ी करने के बाद शादाब तेजी से उपर की तरफ दौड़ा क्योंकि उसे अपनी अम्मी से दूरी अब बर्दाश्त नहीं हो रही थी। शादाब जैसे ही उपर पहुंचा तो उसे शहनाज़ दिखाई दी जो एक डार्क ब्लू कलर की जीन्स पहने हुए थी और उसकी गांड़ बाहर की तरफ निकली हुई थी। उपर उसकी कमर पर एक लाल गहरे रंग की ब्रा थी बस।

कदमों की आहट से शहनाज़ को एहसास हो गया कि शादाब आ गया है तो उसने अपनी गांड़ को पूरी तरह से बाहर की तरफ निकाल दिया ।

शादाब पागल सा हो उठा और आगे बढकर उसने शहनाज़ की मोटी गांड़ को अपनी दोनो हाथो में भर लिया और जोर से मसल दिया तो शहनाज़ के मुंह से आह निकल पड़ी

" आह क्या करता हैं शादाब, उफ्फ थोड़ा प्यार से बेटा।

शादाब ने अपने हाथो की पकड़ को और टाइट किया और शहनाज़ की गांड़ को कस कस कर मसलने लगा तो शहनाज़ बावली सी होकर पलटी और उससे लिपट गई और बोली।

" आह यहां नहीं बेटा, अंदर ले चल ना मुझे, अपने बेड पर

शादाब ने उसे अपनी बांहों में उठा लिया और शहनाज़ ने अपनी बांहे उसके गले में लपेट दी।

शादाब ने अपनी अम्मी को बेड पर लिटा दिया और शहनाज़ ने उसे अपने ऊपर खींच लिया तो शादाब ने अपने होंठ अपनी अम्मी के होंठो पर टिका दिए और चूसने लगा। शहनाज़ भी अपने बेटे के होंठ चूसने लगी।

शादाब ने अपने दोनो हाथ पीछे ले जाते हुए शहनाज़ की ब्रा को खोल दिया तो उसकी चूचियां आजाद होकर उछल पड़ी। शादाब ने जैसे ही उसकी चूचियों को अपने हाथो में भरा तो उसका फोन बज उठा।

शहनाज़ और शादाब की नजरे मिली तो शहनाज़ ने उसे फोन उठाने का इशारा किया तो शादाब ने देखा कि उसकी बुआ का फ़ोन था इंडिया से।

शादाब कुछ बोलता उससे पहले ही रेशमा की डरी सहमी हुई आवाज आई

" शादाब तेरे फूफा की तबियत बहुत ज्यादा खराब हैं बेटा। हॉस्पिटल में एडमिट हैं लेकिन आराम नहीं मिल रहा हैं।

शादाब और शहनाज़ दोनो ने ये सुना तो उनकी नजरे आपस में मिली और शादाब बोला:"

" आप फिक्र ना करे बुआ, मैं अभी इंडिया के लिए निकल रहा हूं। तब तक आप उनका ख्याल रखें। पैसे की फिक्र ना करे आप।


शहनाज़ अपने कपड़े पहन चुकी थी और थोड़ी देर बाद ही उनकी फ्लाइट इंडिया के लिए उड़ चुकी थीं। शहनाज़ और शादाब दोनो को अब वसीम की चिंता हो रही थी क्योंकि उसके बाद रेशमा का क्या होगा ये ही सोचकर दोनो बहुत ज्यादा परेशान थे।

अगले दिन सुबह सौंदर्या उठी तो रात भर ठीक से ना सो पाने के कारण उसकी आंखे पूरी तरह से लाल हो गई थी। आज उसे कॉलेज जाना था इसलिए वो नहाने के लिए बाथरूम में घुस गई। सौंदर्या को अपनी टांगो के बीच हल्का हल्का दर्द सा महसूस हो रहा था। उसने नहाने के लिए अपने सभी कपडे उतार दिए और अपनी जांघो के बीच झांका तो उसे अपनी चूत लाल सी नजर आईं। उसने अपनी एक उंगली की चूत जी की फांकों पर रखा तो उसके मुंह से दर्द भरी आह निकल पड़ी। उसकी चूत के दोनो होंठ सूजकर लाल हो गए थे और हल्का हल्का दर्द हो रहा था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि ये सब कैसे हुआ। तभी याद याद आया कि किस तरह ट्रैक्टर पर वो अपने भाई की गोद में उछल रही थी और उसके भाई का लंड उसकी चूत को रगड़ रहा था।

सौंदर्या की सांसे एक बार फिर से ये सब सोचकर तेज हो गई कि उसके भाई के अंदर इतनी ताकत हैं कि कमीने के कपड़ों के ऊपर से ही मेरी चूत की ये हालत कर दी है। तभी सौंदर्या को अपनी गलती का एहसास हुआ कि उसे ऐसा नहीं सोचना चाहिए क्योंकि ये सब गलत है। मैं अपने सगे भाई के बारे में ऐसा नहीं सोच सकती। सौंदर्या नहाने लगी और थोड़ी देर बाद वो नहाकर बाहर आ गई और अपने कमरे ने तैयार होने लगी। आज उसे कॉलेेज जाना था और वो अब डर रही थी क्योंकि उसे अब पिंकी की याद आ रही थी कि किस तरह से गुण्डो ने उसे मार डाला।

अकेले जाने के उसकी हिम्मत नहीं थी और रात अपने भाई को थप्पड़ मारने के बाद वो किस मुंह से उसे अपने साथ जाने के लिए कहेगी उसकी समझ में नहीं आ रहा था। उसने अजय से बात करने का फैसला किया क्योंकि वो जानती थी कि उसका भाई उसे इनकार नहीं करेगा।

आखिरकार वो अपने भाई के कमरे में आई तो उसे अजय नहीं दिखाई दिया तो उसे चिंता हुई कि पता नहीं सुबह सुबह कहां घूमने चला गया होगा। सौंदर्या नीचे आ गई तो उसने देखा कि अजय नहा धोकर तैयार बैठा हुआ था और उसने सुकून की सांस ली।

सबने नाश्ता किया तो अजय खुद ही बोल पड़ा:"

" दीदी मुझे शहर में काम हैं। मैं आपको छोड़ दुगा और शाम को मैं काम खत्म करके आपको लेता भी आऊंगा।

सौंदर्या ने अपने भाई को प्यार भरी नजरो से देखा और बोली:"

" ये तो बहुत अच्छी बात हैं भाई। मैं भी अकेले परेशान हो जाती हूं, अच्छा हूं कि आज तुम जा रहे हो मेरे साथ भाई।

कमला अपने बच्चो का प्यार और दोनो एक दूसरे की कितनी देखभाल करते है ये देखकर बहुत खुश हुई और बोली:"

" भगवान करे कि तुम दोनो भाई बहन के बीच ये प्यार ऐसे ही ज़िन्दगी भर बना रहे।

अजय और सौंदर्या की नजरे आपस में मिली मानो अपने आपसे पूछ रहे हो कि क्या मम्मी ठीक बोल रही है।


अजय उठा और गाड़ी निकाल कर आ गया तो सौंदर्या भी गाड़ी में बैठ गई और अजय ने गाड़ी को आगे बढ़ा दिया।

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अजय ने गाड़ी आगे बढ़ा दी। धीरे धीरे अपनी रफ्तार से चलती हुई गाड़ी गांव से बाहर निकल गई और सड़क पर आते ही एक तेज रफ्तार के साथ दौड़ पड़ी। गाड़ी में पूरी शांति थी, ऐसा लग रहा था मानो अजय और सौंदर्या दोनो गूंगे हो। दोनों एक दूसरे से बात करना चाह रहे थे लेकिन हिम्मत नही हो रही थी। आखिकार हिम्मत करके अजय ने चुप्पी तोड़ी और बोला:"

" दीदी आप किस टाइम तक फ्री हो जाएगी शाम को ?

सौंदर्या ने एक नजर अपने भाई पर डाली और भावहीन चेहरे के साथ बोली:"

" करीब 5 बज जाएंगे। आप उससे पहले ही आ जाना भाई।

अजय;" आप फिक्र मत कीजिए। मैं आपको बाहर ही मिल जाऊंगा जब आप आओगी।

सौंदर्या ने राहत की सांस ली और कार में एक बार फिर से खामोशी ने अपना डेरा डाल दिया। सौंदर्या ने अजय की तरफ देखा जो भावहीन चेहरे के साथ गाड़ी चला रहा था तो उसे अपनी गलती का एहसास हुआ कि उसे अपने भाई को थप्पड़ नहीं मारना चाहिए था। आखिर गलती उसकी भी तो हैं। थप्पड़ के बजाय उसे अपने भाई को प्यार से समझाना चाहिए था।

सौंदर्या का कॉलेज आ गया और उसने एक प्यार भरी नजर के साथ अपने भाई को देखा और अंदर चली गई। अजय उसे अंदर जाते हुए देखता रहा और थोड़ी देर बाद ही सौंदर्या आगे मुड़कर आंखो से ओझल हो गई।

अजय ने गाड़ी को शहर की तरफ घुमा दिया और उस जगह पहुंच गया जहां उसने शेरा और उसके गुण्डो को मारा था। उसने आस पास नजर दौड़ाई लेकिन उसे कुछ खास नजर नहीं आया।

पिंकी की लाश यहां से थोड़ी ही दूर मिली थी इसलिए अजय ने सोचा कि घटना स्थल पर एक बार जरूर जाया जाए। अजय ने अपनी कार आगे बढ़ाई और थोड़ी देर बाद वो उस जगह आ गया जहां से पिंकी की लाश मिली थी। चारो और लोगो की भीड़ सड़क से आ जा रही थी और अजय ने काफी देर तक इधर उधर देखा लेकिन उसे कुछ खास नहीं मिला तो उसने अपनी गाड़ी को वापिस लिया और घूमने ही वाला था कि उसे एक बाइक पर बैठे हुए व्यक्ति पर शक हुआ लेकिन अजय ने तुरंत अपना चेहरा दूसरी तरफ घुमा दिया मानो उसने देखा ही नहीं और गाड़ी को हल्की रफ्तार से आगे बढ़ा दिया। शीशे से उसने धीरे से देखा तो उसके दिमाग़ में हलचल मच गई क्योंकि बाइक भी उसकी तरफ आ रही थी। अजय ने जान बूझकर गाड़ी को सड़क पर बाई तरफ घुमा दिया तो थोड़ी दूर जाने पर बाइक भी उसी दिशा में घूम गई। अब अजय के दिमाग में शक की कोई बात ही नहीं रह गई थी और वो समझ गया था कि बाइक उसका पीछा कर रही है। लेकिन क्यों कर रही हैं और ये बाइक पर कौन आदमी हैं और उसके पीछे यहीं से क्यों लगा जहां पिंकी की हत्या हुई हैं।

कोई तो है जो मुझे ये नहीं जानने देना चाहता हूं कि पिंकी की मौत क्यों और किसने की जबकि मैं तो कोई पुलिस ऑफिसर भी नहीं हु। अजय ने अपने दिमाग पर जोर दिया तो उसे एक बात समझ आ गई कि उसकी दीदी पिंकी को बचाने के लिए ही तो गुण्डो से भिड़ गई थी तो कहीं अब पिंकी के बाद दीदी ही तो उनके निशाने पर नहीं है।

अजय के दिमाग में खतरे की घंटी बज उठी और उसने तुरंत गाड़ी को सौंदर्या के कॉलेज की तरफ दौड़ा दिया। गाड़ी हवा से बातें कर रही थी और थोड़ी देर बाद ही वो कॉलेज के सामने था।

कॉलेज के बाहर पहले से पुलिस की गाडियां देखकर उसके दिमाग को झटका सा लगा और वो तेजी से नीचे उतरा तो देखा कि कॉलेज के प्राचार्य बुरी तरह से डरे हुए थे और पुलिस उनसे पूछताछ कर रही थी।

ऑफिसर:" आपके स्कूल से दिन में ही एक महिला टीचर का किडनैप हो गया कैसे ? आपके पास तो अपने गार्ड है।

प्राचार्य: मेरे गार्ड बेहोश और जख्मी हालात में मिले हैं। ये तो आपको सोचना चाहिए कि शहर में पुलिस के होते हुए गुण्डो की हिम्मत इतनी कैसे बढ़ गई ?

अजय का दिल किसी अनहोनी की आशंका से कांप उठा और वो तेजी से आगे आया और एक महिला अध्यापक से पूछा :"

" क्या हुआ हैं यहां ? किसका किडनैप हो गया है ?

मैडम के चेहरे पर खौफ के मारे हवाइयां उड़ी हुई थी और वो डरते हुए बोली:"

" हमारे कॉलेज की एक टीचर सौंदर्या का।

अजय अपनी बहन का नाम सुनते ही परेशान हो गया क्योंकि वो जानता था कि उसकी बहन बहुत बड़े खतरे ने पड़ चुकी है। अजय ने तुरंत पीछे नजर दौड़ाई क्योंकि वो जानता था कि जो बाइक वाला उसका पीछा कर रहा हैं जरूर उसके है गैंग ने उसकी बहन का किडनैप किया है। लेकिन अजय को बाइक वाला दूर दूर तक कहीं नहीं दिखाई दिया।

अजय परेशान हो उठा और तेजी से गाड़ी से बाहर निकला और इधर उधर बाइक वाले को देखने लगा लेकिन उसे वो कहीं नजर नहीं आया। अजय को समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करे ?

अजय तेजी से आते हुए अपनी गाड़ी में बैठा और गाड़ी सीधे रोड की तरफ दौड़ा दी और बाइक की तलाश में जुट गया।

एक बहुत ही वीरान सा खंडर था ये शहर से बाहर की तरफ। मुख्य सड़क से हटकर एक कच्छी मिट्टी की सड़क बस यहां आने के लिए एक मात्र रास्ता थी। बरसात की वजह से सड़क पर जगह जगह पानी भरा हुआ था और कीचड़ बहुत ज्यादा हो गई थी।

इसी सड़क पर एक स्कॉर्पियो मुड़ी और धीरे धीरे खंडर की तरफ बढ़ने लगी। स्कॉर्पियो के पीछे तीन गाडियां और थी जो गुण्डो से पूरी तरह से भरी हुई थी। शेरा ने गाड़ी को खंडर के ठीक सामने रोक दिया और उसके साथ ही सारे गुंडे गाड़ी से बाहर निकल गए।

शेरा ने गाड़ी की डिक्की खोली तो उसमे सौंदर्या बेहोश पड़ी हुई थी। शेरा की आंखों चमक उठी और उसने सौंदर्या के अचेत जिस्म को कंधे पर उठाया और अंदर की तरफ चल पड़ा। एक एक करके सभी गाड़ियों से गुंडे उतर गए थे गाड़ियों को घास और लकड़ियों से ढक दिया गया। अब दूर दूर से गाड़ी नजर नहीं आ रही थी बल्कि घास का एक ढेर नजर आ रहा था।

शेरा सौंदर्या को लिए हुए एक अंदर घुस गया और शेरा को देखते ही सामने बैठे हुए मनोज की आंखे चमक उठी।

मनोज अपनी कुर्सी से उठ गया और एक विजयी मुस्कान के साथ बोला:" शाबाश मेरे शेर, तुम सचमुच शेर हो। मानना पड़ेगा तुम्हारी हिम्मत को क्योंकि आज तुमने जो किया हैं उसके लिए सचमुच शेर का ही दिल चाहिए।


शेरा ने सौंदर्या को एक चारपाई पर पलट दिया और स्माइल करते हुए बोला:" डरता नहीं हूं इसलिए ही तो मेरा नाम शेरा हैं। लीजिए जिसकी आपको तलाश थी आपके सामने पड़ी है।

मनोज ने एक नजर सौंदर्या की तरफ देखा और शेरा के कंधे पर हाथ रखकर उसे शबासी दी और बोला:"

" शेरा मुझे अपने बाद पर सिर्फ तुम पर ही तो सबसे ज्यादा भरोसा है। सच में तुम एक सच्चे वफादार हो।

शेरा अपनी तारीफ सुनकर खुश हो गया और उसके बाद मनोज ने सभी को बाहर जाने का इशारा किया तो एक के बाद एक सभी लोग बाहर चले गए। शेरा भी बाहर चला गया जबकि मनोज ने उसे जाने के लिए नहीं बोला था।

मनोज ने सौंदर्या में मुंह में ठूंसा हुआ कपड़ा बाहर निकल लिया और एक बॉटल से थोड़ा सा पानी लेकर सौंदर्या में मुंह पर छिड़क दिया तो सौंदर्या ने एक झटके के साथ अपनी आंख खोल दी और अपने आप को एक बिल्कुल अंजना जगह पर पाया।उसकी नजर अपने सामने बैठे हुए मनोज पर पड़ी तो उसकी समझ में आ गया कि ये सब उसी का किया धरा है।

सौंदर्या:" मनोज ये क्या बदतमीजी हैं ? मुझे इस तरह क्यों उठा कर लाया गया ?

इतना कहकर सौंदर्या उठ खड़ी हुई और गुस्से से उसकी तरफ देखने लगी। मनोज ने उसकी तरफ एक स्माइल दी और बोला:_

" मेरी प्यारी सौंदर्या तुमने और तुम्हारे भाई ने मेरी इज्जत मिट्टी में मिला दी, मेरे गुण्डो पर पहली बार किसी ने हाथ उठाया और उन्हें बुरी तरह से मारा अजय ने सिर्फ तुम्हारी वजह से।
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