एक अधूरी प्यास- 2

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rajan
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Re: एक अधूरी प्यास- 2

Post by rajan »

शुभम का नाम सुनते ही सरला के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगी थी,,,,, हड़बड़ाहट उसके चेहरे पर साफ झलक रही थी,,,,

कककक,, क्या कह रही है तू तुझे कुछ समझ में आ रहा है कि क्या कह रही,, है,,,( सरला अपने बहु से नजरें चुराते हुए बोली,,,)

मैं जो कुछ भी कह रही हुं मम्मी ठीक ही कह रही,,हु,,,

तुझे ऐसा क्यों लग रहा है कि शुभम,,,( इतना कहने के बाद वह आगे कुछ बोल नहीं पाई,,,)

सुभम,,,,, मम्मी जी,,, शुभम भी आपकी बड़ी बड़ी गांड का दीवाना है,,,,,( रुची सरला के एकदम बराबर आकर चलते हुए बोली,,,)


बहुत तुझे यह सब बातें मुझसे करते हो शर्म आनी चाहिए लेकिन तुम एकदम बेशर्म होकर मुझसे यह सब बातें कह रही है,,,( सरला थोड़ा गुस्से में जरूर थी लेकिन फिर भी शर्म के मारे अपनी नजरें चुराते हुए बोल रही थी,,,)

क्या बात है मम्मी जी मुझे यह बातें करते हुए शर्म आनी चाहिए और आपको यह सब करते हुए शर्म नहीं आनी चाहिए,,,,,, क्या कहना आपका,,,,,
( सरला से यह सब सुना नहीं जा रहा था सरला को लगने लगा कि रुचि ने शायद सब कुछ की आंखों से देख ली है,, लेकिन फिर भी आखरी तक अपना बचाव करने के लिए प्रयास करते हुए बोली,,)

कककक,,क्या,,, किया है मैंने,,, क्या करते हुए मुझे शर्म आनी चाहिए क्या करते हुए नहीं आनी चाहिए,, तु ये सब क्या बकवास कर रही है,,,, मुझे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा है,,,,( सरला अपनी बहू से नजरे बचाते हुए जल्दी-जल्दी कदम आगे बढ़ाने लगी,,,)

मैं बकवास नहीं कह रही हूं मम्मी जी मैं जो कुछ भी कह रही हूं सच कह रही हूं मैं ऐसे ही कोई बात नहीं कहती और इतनी बड़ी बात तो बिल्कुल भी नहीं,, छत पर क्या हो रहा था यह सब मैं अपनी आंखों से देख चुकी हुं,,,,(इतना सुनते ही सरला को तो जैसे चक्कर आने लगा उसके पैरों तले की जमीन खिसकने लगी वह लगभग गिरने वाली थी क तब तक रूचि ने उसे अपने हाथ से संभाल लिया और धीरे से फुटपाथ पर लगे कुर्सी पर बिठा दी,,, यह सब देखकर फुटपाथ पर दूसरे चलने वाले लोग खड़े होकर पूछने लगे तो रोज ही ना जरा सा चक्कर आने का बहाना करके उन लोगों को जाने के लिए कह दिया और खुद उसी कुर्सी पर बगल में बैठ गई,,)
सब कुछ अपनी आंखों से देख चुकी हुं,,, मुझे तो यकीन नहीं हो रहा है कि मम्मी तुम ऐसा कर सकती हो ,, इतनी इज्जत दार मर्यादा वाली औरत होने के बावजूद और समाज में इतनी इज्जत दार औरत होते हुए तुम इस तरह की गिरी हुई हरकत कर सकती हो अपने ही बेटे की उम्र के लड़के के साथ खुले छत पर चुदाई का खेल खेल रही थी,,,,,( सरला क्या कहती अब उसके पास अपना बचाव करने के लिए कोई भी शब्द नहीं थे, अपनी बहू की इस तरह की बातें सुनकर उसकी आंखों से आंसू गिरने लगे,, आंसुओं को देखकर भी रुचि आज उस पर बिल्कुल भी रहम नहीं करना चाहती थी वह अपनी सास पर आज अपनी पकड़ एकदम बराबर बना लेना चाहती थी,,, इसलिए वह अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,) पहले तो मुझे लगा मम्मी जी कि मैं कोई सपना देख रही हूं जब मेरी आंखें जो देख रही है वह छूट केवल भ्रम है लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं,,था,,, मेरी आंखें जो कुछ भी देख रही थी वह हकीकत थी,, फिर मुझे लगा कि शायद भावना में आप बह गई होंगी आप से गलती हो गई होगी लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं था आप तो बल्कि शुभम जो कि आपके बेटे की उम्र से भी कम उम्र का लड़का है उसे उकसा रही थी और जोर जोर से धक्के लगाने के,, लिए,,,( रुचि की यह सब बातें सरला से सुनी नहीं जा रही थी उसे एहसास हो रहा था कि उससे बहुत बड़ी गलती हुई है अपने ही बेटे की उम्र के लड़के के साथ वो भी खुले छत पर चुदाई का खेल खेल के वह बहुत बड़ी गलती कर दी है,,, वह लगातार रोए जा रही थी,,,)
मुझे तो वह सब सोचकर ही शर्म आती है मम्मी जी,, ओर वो शुभम बड़ा संस्कारी बना फिरता है उसे भी शर्म नहीं आई अपनी मां की उम्र से बड़ी औरत के साथ शारीरिक संबंध बनाते हुए वह भी कितने मजे ले ले कर तूम्हे पीछे से चोद रहा था,, कि जैसे कोई लड़की को चोद रहा हो,,,,( रुचि यह सब बोलते हुए सरला की तरफ देख ले रही थी जो कि बहुत ही डरी हुई और सहमी हुई नजर आ रही थी उसकी आंखों से लगातार आंसुओं की धार गिरती जा रही थी,,, क्योंकि अब वह अपना बचाव करने में सक्षम नहीं थी वह पूरी तरह से फस चुकी थी,,,, अपनी सास की हालत को देखकर रुचि अंदर ही अंदर खुश हो रही थी उसे लगने लगा था कि उसका शिकंजा उसकी सांस पर पूरी तरह से कस्ता चला जा रहा है,,, वह किसी भी तरह से अपनी सास को छोड़ना नहीं चाहती थी इसलिए बातों के तीर उसके दिल पर चला रही थी और तभी एक तीर और दागते हुए बोली,,,)

मम्मी जी मुझे बहुत शर्म आ रही है मैं उसी दिन जब तुम शुभम से चुदवा रही थी तभी तुम्हें पकड़ लेना चाहती थी लेकिन मुझे लगा कि ऐसा करने पर आप बहुत शर्मिंदा होंगी आपको बहुत दुख होगा इसीलिए मैं खामोश रही लेकिन मुझे नहीं लगता कि मैं खामोश रह पाऊंगी अगर यह सब बात सब को पता चल गई तब सोचो क्या होगा अगर यही बात तुम्हारे बेटे को पता चल गई कि उसकी मां एक जवान लड़के से चोरी-छिपे छत पर चुदाई करवाती है रोज चुदवाती है तो सोचो वह क्या सोचेगा तुम्हारे बारे में,,


नहीं नहीं बहु ऐसा बिल्कुल मत करना मैं तेरे हाथ जोड़ती हूं (और ऐसा कहते हुए रोते हुए वह रुचि के आगे हाथ जोड़ने लगे लेकिन रुचि तुरंत उसका हाथ पकड़कर नीचे कर दी और बोली,,)

क्या करती हो मम्मी जी आते जाते सब लोग देख रहे हैं क्या सोचेंगे,,,,,

मैं क्या करूं बहु मैं बहक गई थी मुझे बहुत शर्मिंदगी महसूस हो रही है मैं सच में बहुत बड़ी गलती कर गई,,,,,
( रुचि को सरला के चेहरे पर साफ दिख रहा था कि उसे पछतावा हो रहा था वह अंदर ही अंदर दुखी थी शर्मिंदगी महसूस कर रही थी अब सरला उसे और बेइज्जत नहीं करना चाहती थी इसलिए बोली,,,)

मम्मी जी आप चाहती हैं कि यह राज राज ही रहे तो यह राज हमेशा के लिए मेरे सीने में दफन रहेगा मैं यह बात किसी से नहीं कहूंगी आपके बेटे से भी नहीं,,,

बाहों में तेरी जिंदगी भर एहसानमंद रहूंगी तू जो कहेगी मैं वह करूंगी लेकिन यह बात किसी को मत बताना वरना मैं मर जाऊंगी,,

मम्मी जी आप यकीन रखिए में यह बात किसी से नहीं कहूंगी,,,( रुचि अपनी सास का हाथ अपने हाथ में लेकर उसे हल्के से दबाते हुए उसे एहसास दिलाते हुए बोली,,)
अब चलिए हमें दवाखाने भी जाना है ,,,,

इतना कहकर रुचि उसका हाथ पकड़ कर खड़ी हुई और धीरे-धीरे कदम आगे बढ़ा कर अस्पताल की तरफ जाने लगी रुचि मन ही मन में बहुत खुश हो रही थी क्योंकि उसे यकीन था कि उसकी युक्ति एकदम काम कर जाएगी जैसा कि वह चाहती है उसका तीर ठीक निशाने पर लगा था उसकी सास पूरी तरह से उसकी पकड़ में आ गई थी,,,, सरला अपनी बहू से नजर नहीं मिला पा रही थी ,,,वह एकदम शर्म से गड़ी जा रही थी कर भी क्या सकती थी उसकी हरकत ही कुछ ऐसी थी,,,, और देखा जाए तो हरकत कुछ गलत नहीं थी औरत को अपनी प्यास बुझाने का पूरा हक होता है जब तक कि उसका साथी उसके पास होता है तब तक यही क्रिया वह बड़े आराम से और दुनिया की नजर में सभ्यता के साथ करती रहती है लेकिन जब उसी के पास किसी भी प्रकार का जुगाड़ नहीं होता,, तब यही किया उसे बाहर करनी पड़ती है जो कि दुनिया की नजर में सभ्यता और संस्कार के खिलाफ होता है लेकिन औरतों की अपनी जरूरत को पूरा करने के लिए यही रास्ता सही भी होता है,,,, सरला के लिए यह सब सही होता अगर वह पकड़ी नहीं गई होती तो,, लेकिन उसकी किस्मत खराब थी कि उसकी बहू ने उसे रंगेहाथ चुदवाई करवाते हुए देख ली थी,,,, और यही उसकी सबसे बड़ी गलती थी कि वह जल्दबाजी कर गई थी अपनी वासना अपनी जरूरत है थोड़ा भी सब्र नहीं कर पाई और आनन-फानन में अपनी बहू की मौजूदगी में ही वह खुले छत पर शुभम के साथ संभोग रत हो गई,,,,,

थोड़ी ही देर में दोनों अस्पताल पहुंच गए थे,, अब रुचि का दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि अभी तक वह अपनी युक्ति को काम लगाने के चक्कर में यह भूल गई थी कि आज उसकी रिपोर्ट आने वाले थे और यही रिपोर्ट उसे बताने वाली थी कि वह पूरी तरह से मां बनने में सक्षम है या नहीं,,,,, सरला भी परेशान नजर आ रही थी,, उसे लगने लगा था कि आज का दिन उसके लिए बहुत खराब है क्योंकि शुरुआत ही खराब हो चुकी थी और वह भी थोड़ी बहुत नहीं बेहद खराब हो चुकी थी,,, अब उसे यह डर सता रहा था कि कहीं रिपोर्ट में यह ना जाए कि उसका बेटा बाप बनने में सक्षम नहीं है क्योंकि थोड़ी बहुत शंका तो उसे अपने बेटे के हाव-भाव और उसके दुबले पतले शरीर को देखकर हो ही रही थी लेकिन आज रिपोर्ट आज आने पर सब कुछ साफ हो जाएगा वह मन ही मन भगवान से प्रार्थना कर रही थी कि ऐसा कुछ भी ना रिपोर्ट में आए जिससे उसकी बदनामी और शर्मिंदगी,,हो,,,

थोड़ी ही देर में एक नर्स आई और उन्हें डॉक्टर के केबिन में जाने के लिए बोली,,, सास बहू दोनों धड़कते दिल के साथ डॉ के केबीन में चली गई,,, डॉक्टर ने रिपोर्ट के बारे में बताने लगा उसने यह बताया कि रुचि में कोई कमी नहीं है वह कभी भी मां बन सकती है और पूरी तरह से सछम लेकिन, उसका पति किसी भी सूरत में कभी भी बाप नहीं बन सकता यह सुनते ही सरला के नीचे से जमीन सरक गई उसे फिर से चक्कर जैसा आने लगा,,,, वह डॉक्टर के आगे हाथ जोड़कर विनती करने लगी कि किसी भी तरह से उसे बाप बनने में सक्षम बनाइए,, लेकिन वह डॉक्टर सरला से साफ शब्दों में कह चुका था कि वह या तो मेडिकल किसी भी तरह से उसकी कोई भी मदद नहीं कर सकते वह कभी भी बाप नहीं बन सकता,,,, रही सही उम्मीद सरला की जाती रही आज का उसका दिन ही खराब था,, दोनों सूरते हाल में उसकी इज्जत पर बनाई थी अगर छत वाली बात किसी को भी कानो कान खबर पड़ेगी तो वह समाज में मुंह दिखाने के काबिल नहीं रह जाएगी और अगर उसका बेटा कभी बाप नहीं बन सका तो यह भी उसकी इज्जत पर बन आने वाली बात थी,, ,,, वह मां बनने में पूरी तरह से सक्षम है इस बात से रूचि बेहद खुश थी लेकिन इस बात का उसे बेहद दुख था कि वह कभी भी मां नहीं बन पाएगी क्योंकि उसका पति बाप बनने के लायक ही नहीं है,, उसकी धारणा बिल्कुल सही साबित हुई थी वह डॉक्टर के केबिन में कुछ बोल नहीं पाई वहां से दोनों सास बहू डॉक्टर के केबिन से बाहर आ गए,,,,

सड़क पर चलते समय सरला को कुछ सुझ नहीं रहा था कि वह क्या करें सब कुछ परिस्थिति उसके विपरीत चल रही थी,,,, रुचि भी अब कुछ बोल नहीं रही थी दोनों खामोश होकर घर वापस लौट आए,, छत वाली बात को लेकर रुचि अपनी सास से कुछ बोल नहीं पाई क्योंकि बात ही कुछ ऐसी हो गई थी,,,,, रात भर दोनों सास बहु अपने अपने कमरे में अपने बिस्तर पर करवट बदलते हुए इसी बारे में सोचते रहे कि आगे क्या होगा ,,,अब क्या किया जाए,,,,
दुनिया में औरतों के लिए सबसे बड़ा सुख होता है मां बनना,, रुचि भी यही चाहती थी कि वह जल्द से जल्द में आपने लेकिन अब उसके सारे सपने पर पानी फिर गया था क्योंकि उसका पति उसे मां बनाने लायक बिल्कुल भी नहीं,, था,, रुचि को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें उसके पास दूसरा कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा था ऐसे में उसे,,,, शुभम का ख्याल आया,, ,, अपने मन में सोचने लगी कि उसका पति तो उसे मां बनाने से रहा क्यों ना वाह शुभम के साथ शारीरिक संबंध बनाते हुए मां बन जाए वैसे भी उससे और उसकी सास के सिवा किसी और को भी पता नहीं है कि उसका पति बाप बनने लायक नहीं है,,,, ऐसे में उसका दो काम हो जाएगा एक तो अपनी शारीरिक संतुष्टि को भी प्राप्त कर देगी जुदाई के असली सुख को प्राप्त करके वह मां भी बन जाएगी,, और यह बात किसी को कानों कान खबर भी नहीं पड़ेगी मैं तो शुभम को भी यह बात के बारे में पता चलेगी कि उसके पेट में जो बच्चा पड़ रहा है उसी का है,, यह ख्याल मन में आते ही सुरुचि के चेहरे पर चमक आ गई उसे अब अपनी मंजिल नजर आने लगी कुछ देर पहले जो रास्ता नहीं सोच रहा था आप सब कुछ साफ हो चुका था बस उसे इस बारे में अपनी सास से बात करके उन्हें पटाना था जो कि इसमें कोई भी दिक्कत उसे नजर नहीं आ रही थी क्योंकि उसके लिए उसकी सास को काबू करने के लिए छत वाली बात ही काफी थी,, अपनी मुश्किल को सुलझा ली थी इसलिए आराम से सो गई लेकिन दूसरे कमरे में उसकी सास की आंखों से नींद कोसों दूर थी ,,, उसे कोई रास्ता नहीं सोच रहा था कि तोबा डबल मुसीबत में फंस गई थी एक तो उससे शुभम से चुदवाते हुए उसकी बहू ने देख ली थी और दूसरा यह कि उसका बेटा कभी बाप नहीं बन सकता था इन दोनों मुसीबत से उसे छुटकारा पाना था,,,, ऐसे में सरला के लिए मात्र एक सहारा शुभम ही नजर आ रहा था वह चाहती थी कि उसकी बहू शुभम के साथ शारीरिक संबंध बनाकर गर्भवती हो जाए और इस बात की कानो कान खबर ना तो शुभम को ही पता रहेगी और ना ही किसी को सबको यही लगेगा कि जब उसके पति का ही बच्चा है ऐसे में सब कुछ सही हो जाएगा,, रुचि की शारीरिक जरूरत भी पूरी हो जाएगी और वह मां भी बन जाएगी लेकिन उसे इस बात का डर था कि कहीं रुचि इसके लिए तैयार होगी या नहीं होगी इस बारे में बात करने से भी से डर लग रहा था लेकिन क्या करें मुसीबत से रास्ता तो निकालना ही था इसलिए वह अपना मन पक्का करके सुबह में उससे बात करने की ठान कर वो भी सो गई ,,,

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rajan
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Re: एक अधूरी प्यास- 2

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सुबह उठकर शुभम और निर्मला तैयार होकर स्कूल चले गए,,, और दूसरी तरफ रूचि और सरल आ रात भर सोच विचार ने के बाद अपने मन की बात एक दूसरे को कहने के लिए लालायित हुए जा रहे थे लेकिन उन्हें कोई राह नहीं सुझ रही थी कि वह किस तरह से अपनी बात की शुरुआत करें,,,,, सरला के अंदर बहुत सारी बातें चल रही थी एक तो वैसे ही परेशान थी, सब कुछ ठीक चल रहा होता अगर रुचि ने उसे शुभम से संभोग करते हुए ना देखी होती,, उसकी हड़बड़ाहट उसके लिए परेशानी का कारण बन चुकीथी,,
सरला कुर्सी पर बैठी हुई थी और रुचि रसोई घर में नाश्ता तैयार कर रही थी उसके मन में भी ढेर सारी बातें चल रही थी और अंदर ही अंदर वह प्रश्न भी हो रही थी क्योंकि एक तरह से उसके पति का इस तरह से बाप ना बनने की स्थिति में उसका ही फायदा हो रहा था ऐसे वह चोरी-छिपे शुभम से शारीरिक संबंध बनाती लेकिन अब इस तरह की स्थिति में वह खुले तौर पर बिना डरे शुभम से चुदवा सकती थी,,, लेकिन उसके मन में घबराहट भी हो रही थी कि वह कैसे अपनी सास से यह बात खुले तौर पर कह दो कि भले ही वह अपनी सास को शुभम वाली बात से अपनी पकड़ में कर ली हो लेकिन फिर भी संस्कार और मर्यादा भी कोई चीज होती है जो कि अभी तक रुचि के पक्ष में मजबूत स्थिति में था वह कभी भी ऐसा कोई काम नहीं की थी जिससे उसकी बदनामी हो वह बेहद शरीफ खानदान से थी और संस्कारी थी हालांकि अपने बदन की प्यास को अब वह दबा पाने में सक्षम नहीं थी,,, क्योंकि उसकी रसीली पुर में भी एक जवान मोटे तगड़े लंड का स्वाद चख ली थी जिसकी वजह से अब उसके अंदर कुछ ज्यादा ही खुजली होने लगी थी,,,,, नाश्ता तैयार करते समय बार-बार उसकी आंखों के सामने शुभम का लटकता हुआ बेहद खतरनाक तगड़ा लंड नजर आ रहा था और साथ ही वह नजारा याद आ रहा था जब उसकी सास उम्र दराज होने के बावजूद भी बड़ी मस्ती के साथ झुककर पीछे से शुभम के मोटे तगड़े लंड को अपने बुर में लेकर चुदाई करवा रही थीं,,,, यह सब याद करके उसे अपनी पेंटिं गीली होती महसूस हो रही थी ,,, तभी चाय में आ रही हो ऊबाल को देखकर उसकी तंद्रा भंग हुई वह जल्दी से दो कप चाय तैयार करके रसोई घर से बाहर आ गई,,,, और कब की ट्रे को टेबल पर रखते हुए एक चाय का कप अपनी सास की तरह बढाते हुए बोली,,,


मम्मी जी चाय पीजिए,,

सरला अपना हाथ आगे बढ़ा कर अपनी बहू के हाथ से चाय का कप लेकर कुछ देर तक यूं ही सुन्यमनष्क होकर कप की तरफ देखती रही,,, अपनी सास को इस तरह से खामोश देखकर रूचि बोली,,

क्या हुआ मम्मी इतनी खामोश क्यों हो,,?


मैं जानती हूं बहू की जो कुछ भी हुआ वह ठीक नहीं हुआ मुझे तो समझ में नहीं आ रहा कि मैं क्या करूं किस तरह से मैं तेरी सूनी गोद को हरी कर दूं,,,,( सरला की बात सुनकर रुचि का मन तो हो रहा था कि वह सब कुछ अपनी सास से साफ शब्दों में कह दे कि वह शुभम से चुराकर गर्भवती होना चाहती है,, लेकिन ऐसा कहने से भले ही सरला कुछ ना बोले लेकिन उसके मन में उसके संस्कार को लेकर शंका जरूर होने लगेगी,, इसलिए वह बोली कुछ नहीं बस चाय की चुस्की लेती रही,,,, लेकिन लेकिन अभी भी सरला उसी तरह से शांत बैठी रही तो रूचि बोली,)

मम्मी जी इसमें हम और आप कुछ नहीं कर सकते हैं कि सब शायद भगवान की ही मर्जी थी तब यह सब कुछ हुआ आप चाय पी लीजिए बेवजह चिंता मत करिए भगवान कोई ना कोई रास्ता जरूर निकाल देगा,,,( रुचि अपनी तरफ से पूरा प्रयास कर रही थी कि वह अपनी सास की नजर में संपूर्ण रूप से चरित्रवान औरत बनी रहे ,,)

यह तो तेरा बड़प्पन है बहू जो इतना कुछ होने के बावजूद भी तू कुछ भी नहीं बोल रही है,,,, मैं तो किसी भी तरह से तुझ से नजर मिलाने के लायक ही नहीं रह गई,,, मैं इतने वर्षों तक अपने चरित्र को संभाल कर रखी थी लेकिन ना जाने क्या हुआ कि सबकुछ तार-तार हो,,गया,,,( इतना कहकर सरला रोने लगी और उसको रोता हुआ देखकर रुचि उसे चुप कराते हुए,, बोली,,)

मम्मी इस तरह से मत रोना मैं जानती हूं जो कुछ भी हुआ वह सब भावना में बहकर हुआ है एक औरत होने के नाते आप के दर्द को मैं समझ सकती हुं,, ईतने वर्षों से आप अपने पति बिगर रहकर अपने आप को संभाले हुए थी,, यही आपके चरित्रवान होने का सबूत है हर इंसान से गलती होती है आपसे भी गलती हो गई है आपकी जरूरत थी,,
( अपनी बहू किस तरह की बातें सुनकर सरला को थोड़ी राहत महसूस हो रही थी उसे लगने लगा था कि ओरत होने के नाते वह उसके दर्द को समझ रही है,,)

बहु मुझसे गलती हो गई मैं ऐसा कुछ भी नहीं चाहती थी मैं कैसे बह गई मैं समझ नहीं पा रही हूं,,

मम्मी जी मैं भी यही नहीं समझ पा रही हो कि इतनी उम्र गुजर जाने के बाद आप अपने आप पर कंट्रोल कैसे नहीं कर पाई बल्कि जवानी के दिनों में आपने ऐसी कोई गलती नहीं की होगी यह मुझे पूरी तरह से उम्मीद है तो अब यह गलती कैसे हो गई,,(चाय की चुस्की लेते हुए रूचि बोली)

बहु मुझे भी कुछ समझ में नहीं आ रहा है लेकिन इसमें सब कुछ शुभम की गलती है हमें ठीक तरह से नहीं कह सकती कि उसकी गलती है या मेरी क्योंकि एक हाथ से ताली कभी नहीं बजती लेकिन मैं बहक जरूर गई थी ,,,,,

बहक गई थी लेकिन कैसे और क्यों,,,?


शुभम के लंड को देखकर,,,,( सरला साफ शब्दों में अपने बहू से अश्लील शब्द बोल गई,,)

क्या कह रही हो मम्मी अभी तो वह पूरी तरह से जवान भी नहीं हुआ है तब आप कैसे उसके लंड पर मोहित हो गई,,,( रुचि को तो अच्छी तरह से मालूम था कि शुभम के पास किस तरह का हथियार है लेकिन फिर भी वह जानबूझकर इस तरह से अपनी सास से पूछ रही थी,,)

बहु यही तो बात है मुझे भी नहीं लगता था कि अभी जवान होते लड़के के पास इतना जबरदस्त हथियार होगा मैं तो देखकर ही दंग रह गई और अपने आप को रोक नहीं भाई उसका लंड वास्तव में मोटा तगड़ा है,,( सरला अपने मुंह से अपनी गलती तो बता रही थी लेकिन उसका इरादा कुछ और था, एक औरत होने के नाते वह औरत के मन को अच्छी तरह से जानती थी वह यह बात अच्छी तरह से जानती थी कि किसी भी औरत के सामने किसी भी मर्द के मर्दाना अंग की तारीफ कर देने से सामने वाली औरत के मन में उसे देखने कि उसे पाने की इच्छा जरूर जागरूक होती है और यही इच्छा वह रुचि के मन में जगाना चाहती थी ताकि उसका काम आसानी से बन जाए और वह गर्भवती हो जाए,, लेकिन रुचि तो पहले से ही शुभम से शारीरिक सुख भोग चुकी थी इसलिए उसे मालूम था कि शुभम का लंड कितना तगड़ा और मोटा और जानदार है लेकिन फिर भी वह अपनी सास के आगे अनजान बनते हुए बोली,,)

क्या कह रही हो मम्मी सबका एक जैसा ही होता है शुभम में ऐसी कौन सी ख़ास बात थी कि आप बहक गई,,

तू पागल है बहू तुझे अभी मर्दों के बारे में नहीं पता,,( सरला के मुंह से अनजाने में ही यह बात निकल गई तू अपनी सास की बात को पकड़ते हुए रूचि बोली,,,)

क्या बात है मम्मी जी ऐसा लगता है कि आप बहुत सारे मर्दों के साथ सोई है,,

नहीं नहीं ऐसी कोई बात नहीं है मैंने तुझे सिर्फ बता रही हूं क्योंकि अक्सर हम सहेलियों में इस तरह की बातें होती रहती थी तब जाकर मुझे यह सब बात पता है,,,,


लेकिन मम्मी मुझे तो यह सब बातें बिल्कुल भी नहीं पता मैं तो यही समझती हूं कि सब का एक जैसा ही होता है जैसा कि आपके बेटे का है,,,,( रुचि आप अपनी सास के आगे जरा भी शर्म नहीं कर रहे थे बल्कि वह खुलती जा रही थी,)

अब मैं यह तो नहीं जानती कि मेरे बेटे का कैसा है बचपन में देखी थी लेकिन अब कैसा है यह मैं नहीं जानती यह बात तो तू ही जानती होगी लेकिन शुभम का कैसा है ,,,रुक मैं तुझे बताती हूं ,,,,(इतना कहकर वह कुर्सी पर से उठ गई और रसोई घर की तरफ जाने लगी,,, रुचि अपनी सास को रसोई घर की तरफ जाते हुए देखती रही और उसी को लगने लगा था कि अब उसका काम बन जाएगा और सरला को भी यही लग रहा था कि शुभम के लंड की बढ़ाई अपनी बहू के आगे करके को अपने बहू में उसे पाने की लालसा जागरुक कर देगी ऐसे में सब कुछ सही हो,, जाएगा,,, रुचि की चाय खत्म हो चुकी थी वह खाली कब को टेबल पर रखते हुए बड़ी उत्सुकता के साथ रसोई घर की तरफ देख रही थी, वह अपनी सास की बात से एकदम सहमत हैं जिस तरह कि वह बात कह रही थी कि वह उसके लंड को देख कर भाग गई ठीक वैसा ही तो उसके साथ भी हुआ था वास्तव में सुभम के लंड में अजीब तरह की ताकत और आकर्षण था जो एक बार और देख ले तो उसकी दीवानी हो जाए और यही उन दोनों के साथ भी हो रहा था,,, और दूसरी तरफ सरला रसोई घर में आकर फ्रिज खोल कर उसमें से लंबा तगड़ा जैसा कि शुभम का लंड था उस तरह का बैगन ढूंढने लगी और थोड़ी देर में उसकी तलाश खत्म हुई वह एक मोटा तगड़ा लंबा बैगन हाथ में लेकर बड़ी उत्सुकता के साथ रसोई घर से बाहर आए और उसे अपनी बहू को दिखाते हुए बोली,,

लेट एक बहू जैसा यह बदन है ठीक वैसा ही शुभम का लंड है मोटा तगड़ा लंबा जिसे देखते ही मैं तो क्या कोई भी औरत उसके आकर्षण में बंध जाएं,,,

क्या बात कर रही हो मम्मी( सरला के हाथ से बेगम को अपने हाथ में लेकर उसे इधर-उधर घुमाते हुए,,) क्या सच में शुभम का लंड ऐसा तगड़ा है,,

हारे बिल्कुल ऐसा ही है इससे 20 ही होगा इससे कम नहीं होगा,,


लेकिन मम्मी आपके बेटे का तो इससे आधा भी नहीं है और पतला है,,,,

मैं जानती हूं बहू तभी तो तू उसके द्वारा मां नहीं बन सकती मैं अच्छी तरह से जानती हूं कि तुझे वह छोड़कर तुझे खुश नहीं कर पाता होगा,,,( अब सास बहू दोनों के बीच खुले शब्दों में वार्तालाप होने लगी थी दोनों ऐसा लग रहा था कि शर्म त्याग दी हो,, लेकिन इस तरह की बातें करने में उन दोनों का अपना स्वार्थ था सरला इस तरह की खुली तौर पर बातें करके रुचि को शुभम से संभोग करने के लिए उत्सुक और लालाईत करने पर लगी हुई थी,,, और रूचि इस तरह की बातें करके अपना उल्लू सीधा करने में लगी हुई थी,,,, सरला अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली )
सच सच बताना रुचि में एक सास होने के नाते नहीं बल्कि एक औरत होने के नाते तुझ से पूछती हूं कि जब मेरा बेटा तेरी चुदाई करता हैं तो क्या तुझे मजा आता है क्या तुझे ऐसा लगता है कि कसके उसे अपनी बाहों में भर ले या कभी उसके जोरदार धक्को को सहन करके तु बिस्तर पर बिछी चादर को अपनी मुट्ठी में बांध लेती है अपने दांतो को कस देती है कभी ऐसा हुआ है कि उसकी चुदाई से तु एकदम मस्त हो गई हो और दोबारा उसे चोदने के लिए बोलती हो,,,,,( अपनी सास के मुंह से इस तरह की बातें सुनकर उसे आश्चर्य हो रहा था और वह भी खुद अपने ही बेटे के बारे में एक माह कभी भी उसकी बुराई करने वाली बात नहीं कर सकती थी लेकिन सलाह के मुंह से इस तरह की बातें सुनकर उसे अजीब लग रहा था लेकिन उसे मज़ा भी आ रहा था उसे इस बात का एहसास भी हो रहा था कि अगर वह शुभम से संभोग करेगी तो शायद उसके साथ को कोई एतराज नहीं होगा, इसलिए वह अपनी सास के सवाल का जवाब देते हुए बोली,,)

जैसा आप कह रहे हैं मम्मी ऐसा कुछ भी नहीं होता ना जाने क्यों मुझे इन से चुदवाने में जरा भी मजा नहीं आया था जैसा कि मैंने आपको बताई कि उनका लंड जैसा कि आप बता रही है किसी कंपनी देखना मोटा तगड़ा है तो ऐसा बिल्कुल भी नहीं है इससे आधा भी नहीं है और इससे एकदम पतला होगा,, तो आप खुद ही सोच सकती हो कि एक औरत के लिए क्या इतना छोटा और पतला लंड सक्षम है उसे संतुष्टि देने के लिए,,


नहीं बहू यही तो मैं कह रही हूं इसलिए तो कह रही हूं कि मेरा बेटा तुझे शारीरिक सुख नहीं दे सकता तभी तो तु मां नहीं बन पा रही है,,,


तुम्हें क्या करूं मम्मी कहां जाऊं किसी अपना दुख कहूं मुझे तो समझ में नहीं आ रहा है मैं तो यही समझती थी कि जिस तरह का सुख आपके बेटे मुझे देते हैं औरत के नसीब में ऐसा ही सुख होता है मुझे क्या मालूम था कि एक मर्द औरत को इससे भी कहीं ज्यादा सुख देकर उसे संतुष्ट कर देता है और मां बनाता है,,,( अपने चेहरे पर निराशा के भाव लाते हुए बोली उसे देखकर सरला के मन में आशा की किरण नजर आने लगी उसे लगने लगा कि यही ठीक समय है अपने मन में आई बात उसे कहने का इसलिए वह अपना हाथ आगे बढ़ाकर अपनी बहू कहां तक ने हाथ में लेकर उसे हल कैसे दबाते हुए खुद कुर्सी पर बैठ गई और बोली,,)

इसीलिए तो बहू मेरे मन में ख्याल आया है अगर तू कहे तो मैं तुझे बता दूं इसमे हम सबकी भलाई है,,, ( सरला इतना कर ही रही थी कि तभी मोबाइल की घंटी बजने लगी रुचि मोबाइल उठाकर स्क्रीन पर नाम देखें तो वह अपनी सास को दिखाते हुए बोली,,)

मम्मी आपके बेटे का फोन है आप बताइए मैं उन्हें क्या कहूं वो रिपोर्ट के बारे में सुबह से 3 बार फोन कर चुके हैं,,


बहू तू जैसा मैं कहती हूं वैसा ही कह तू सच मत बताना कि वह कभी बात नहीं बन सकता ,,, नहीं तो वह टूट जाएगा एकदम निराश हो जाएगा,,,,

तो मैं क्या कहुं मम्मी,,,,( अभी भी मोबाइल की घंटी बज रही थी जो कि सरला के जवाब देने से पहले ही बंद हो गई,,)

देख बहु मेरे घर की इज्जत अब तेरे हाथ में ही है मैं तेरे हाथ जोड़ती हूं तो घर की इज्जत बचा ले वरना मैं भी कहीं मुंह दिखाने के लायक नहीं रह जाएंगी क्योंकि मेरा वंश बढ़ाने का बस अब यही एक तरीका है,,,,

यह क्या कर रही है मम्मी इस तरह से आप मुझे शर्मिंदा कर रही हैं,,

शर्मिंदा तो मैं हूं बहू अपनी हरकत की वजह से और अपनी किस्मत की वजह से अब यह शर्मिंदगी से तू ही मुझे निकाल सकती है देख तुझे सिर्फ इतना कहना है कि रिपोर्ट एकदम नॉर्मल आई है रिपोर्ट में कुछ भी नहीं है डॉक्टर कह रहा था कि सिर्फ समय आने पर सब कुछ सही हो जाएगा,,,,

लेकिन कैसे हो जाएगा मम्मी,,, मै कैसे उनसे झूठ कह दूं,,

मेरे कहने पर तू उससे झूठ कह दे मेरे घर की इज्जत बचा ले बहू,,,,,

मैं जैसा तुझसे कह रही हूं वैसा ही कह दे,,,,

लेकिन झूठ कहने से तो मैं मां नहीं बन सकती ना मम्मी,,,


उसका भी उपाय मेरे पास ही बस तु फोन करके जितना मैं कह रही हूं इतना कह दे बस,,,,
( रुचि अपनी सास की बात सुनकर आश्चर्य से उसे देख रही थी रुचि के मन में यही चल रहा था कि पता नहीं वह क्या कहने वाली है पता नहीं कैसा उपाय ढूंढ कर रखी है क्योंकि वह इसका इलाज कुछ और मन में सोच कर रखी थी कहीं ऐसा ना हो कि दोनों का उपाय अलग अलग है यही सोचकर वह अपने पति को फोन लगाने लगी,,, और जैसा सरला ने बताई थी ठीक वैसा ही वह अपने पति से कह दी उसका पति इस बात से संतुष्ट था कि रिपोर्ट पूरी तरह से नॉर्मल आई है,,,, फोन कट करके रुचि अपनी सास की तरफ आश्चर्य से देखते हुए बोली आप कौन सा उपाय बताने वाली है,,)


देख बहु मेरी बात ध्यान से सुन,,, किसी भी सूरते हाल में तू मां बन नहीं सकती,, जब तक कि तू कोई गलत कदम ना उठाए,,

मैं कुछ समझी नहीं मम्मी जी आप क्या कह रही हैं ,,,?

देख बहु मैं जो बात कह रही हुं थोड़ी अटपटी है लेकिन,, इसमें हम सबकी भलाई है हम सबकी इज्जत बनी की बनी रह जाएगी,,


मैं कुछ समझ नहीं पा रही हूं मम्मी आप क्या कहना चाह रही हैं ,,,,

मैं तुझे समझा रही हुं मेरी बात पूरी तो होने दे,, देख बाबू हम दोनों यह बात अच्छी तरह से जानते हैं कि मेरा बेटा तुझे किसी भी तरह से चोद कर ना तो संतुष्ट कर पाएगा और ना ही तुझे मां बना पाएगा,, ,,

तो,,,,( रुचि आश्चर्य से बोली,,)

तो यही कि जब तक तू अपने कदम बाहर नहीं ले जाती तब तक ना तो सो संतुष्ट हो पाएगी और ना ही तु कभी गर्भवती हो पाएगी,, और अगर तुझे एक स्त्री होने का असली सुख प्राप्त करना है तो अपने कदम बाहर निकालना ही होगा किसी और से संबंध बनाना ही होगा,,
rajan
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Re: एक अधूरी प्यास- 2

Post by rajan »

मम्मी जी यह कैसी बातें कर रही है आप आप जानती हैं कि आप क्या कह रहे हैं कि सब खानदान की हमारी कितनी बदनामी होगी और तो और में कितनी बदनाम हो जाएंगे इस बात की खबर है आपको,,( रुचि अपनी सास की बात को समझते हुए जानबूझकर गुस्सा दिखा रही थी,, अंदर से तो वह बेहद खुश हो रही थी क्योंकि उसका काम बनता नजर आ रहा था,,)

मुझे सब खबर है बेटी में सब कुछ सोच समझकर ही है तुझसे यह कह रही हूं,,,,

नहीं मानी मुझसे यह बिल्कुल भी नहीं होगा मैं संस्कारी और मर्यादा वाली औरत हूं शरीफ खानदान से तालुकात रखती हूं मैं कैसे बाहर जाकर के किसी गैर मर्द से संबंध बनाओ और उसके बच्चे की मां बन जाऊं ऐसा नहीं हो सकता मम्मी आप ऐसा सोच भी कैसे सकती हैं कि मैं इस सब के लिए तैयार हो जाऊंगी,,,( रुचि क्रोधित स्वर में बोली जो कि मात्र दिखावा भर था,,)

मेरी बच्ची तो समझने की कोशिश क्यों नहीं करती अगर तू बाहर नहीं जाएगी तो तो मां कैसे बन पाएगी और मेरा बेटा तुझे कभी भी शरीर सुख नहीं दे पाएगा,,

मैं जिंदगी भर ऐसे ही रह लूंगी मम्मी लेकिन किसी गैर मर्द से संबंध नहीं बनाऊंगी,,
( रुचि की बातें सुनकर सरला को लगने लगा था कि यह नहीं मानेगी अब सरला की नजर में रुचि बेहद संस्कारी और मर्यादा वाली औरत लगने लगी थी वैसे तो वह पहले से ही सही थी लेकिन इस बात से वह और भी ज्यादा संस्कारी साबित हो रही थी सरला परेशान हुई जा रही थी कि वह आप कैसे समझाएं,,)

सोनी को लेकर तो जिंदगी बिता लेगी तो कैसे से पाएगी जब किसी और औरत को उनके बच्चों के साथ जाते हुए देखेगी उन्हें मम्मी मम्मी कहते हुए तेरे कान सुनेंगे तो क्या तेरा मन नहीं कहेगा कि तेरा भी एक बच्चा हो जो तुझे मम्मी कहे,,
( सरला की यह बात सुनकर मुझे ऐसा दिखावा करने लगी कि जैसे वह उसकी बात सुनकर ख्यालों में खो गई,, और उसे इस तरह से खोया हुआ देखकर सरला अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,) सोच जरा बेटी तेरा भी खुद का बच्चा होगा तो यह घर किन कार्यों से गूंजेगा आगे पीछे मम्मी मम्मी कहने वाला था पर मुझे दादी,, और तो और मेरे बेटे के माथे पर से यह कलंक दूर हो जाएगा कि वह कभी बाप नहीं बन सकता,,

लेकिन मम्मी यह होगा कैसे मेरी इतनी हिम्मत नहीं है कि मैं घर से बाहर निकल कर किसी गैर मर्द को इस बात के लिए तैयार करूं कि वह मुझे चोद कर गर्भावती कर दे,,,

बाहर नहीं जाना है बहू तभी तो मैं तुझे इतनी देर से समझा रही हूं घर में ही जुगाड़ है और किसी को कानों कान खबर भी नहीं पड़ेगा,,,,,


घर में ही जुगाड़ में कुछ समझे नहीं मम्मी आप क्या कहना चाहती हैं घर में कैसे जुगाड़ है,,( रुचि आश्चर्य सेअपनी सास की तरफ देखते हूए बोली,,,)

सुभम,,,,,,( सरला एकदम खुश होते हुए बोली और शुभम का नाम सुनते ही रुचि के चेहरे पर जैसे चमक आ गयी लेकिन वह अपने चेहरे पर आए भाव को छिपाते हुए बोली,,)

शुभम,,,, मैं, कुछ समझी नहीं आप क्या कह रही हैं,,,,,

बेटी वह शुभम ही तो है जो तुझे चोदकर तुझे संतुष्ट भी कर देगा और तुझे मां भी बना देगा,,


यह कैसी बातें कर रही है मम्मी वह कल का छोकरा मुझे चोद कर मां बना देगा,,,,


बहु वो कल का छोकरा नहीं है बल्कि जबरदस्त मर्द है,,,, इस बात का प्रमाण मुझसे अच्छा भला कौन दे सकता है और यह तो तू अपनी आंखों से देख चुकी है वह कल का छोकरा होता तो मैं उसके साथ कभी भी सारीरिक संबंध बनाने के लिए तैयार नहीं होती लेकिन तु शायद नहीं जानती कि उसका लंड इतना जबरदस्त मोटा तगड़ा है कि अगर औरत की बुर में एक बार जाए तो वह उसकी दीवानी हो जाती है,,( सरला अपनी बहू को समझाने के लिए सुगंध की तारीफ पर तारीफ किए जा रही थी जो कि इस बात से रूचि पूरी तरह से अवगत थी कि जो उसकी सास कह रही है वह 100 आना सच है,,)

मम्मी मुझे नहीं लगता कि वह इस काबिल हो कि वह मुझे चोद कर संतुष्ट कर पाएगा और मुझे मां बना पाएगा,,( रुचि जानबूझकर ऊपरी मन से शंका जताते हुए बोली)

बेटी तो बस एक बार मेरी बात मान ले अगर यह सच नहीं हुआ तो मैं जिंदगी भर के लिए तेरी गुलाब बन जाऊंगी बस एक बार मेरी बात मान ले और इस घर की इज्जत बचा ले,,
( रुचि अपनी सास की बात सुनकर कुछ देर तक सोचने के बाद बोली,,,)
अच्छा ठीक है मैं आपकी बात मान लेती हूं लेकिन वह तैयार कैसे हो जाएगा मुझे चोदने के लिए,

बहू तु एकदम नादान है एकदम पागल भी तु शायद मर्दों को नहीं जानती कि उन्हें तो बस मौका मिलना चाहिए औरतों को चोदने के लिए,,,,,

लेकिन फिर भी मम्मी उसे इस बात का पता चल गया कि मैं उसके द्वारा गर्भवती हुई हूं तो कहीं पूरे समाज में हम लोगों की बदनामी ना हो जाए,,,


कुछ नहीं पता चलेगा बहु,,, औरत के पेट में किसका बच्चा है यह औरत के सिवा और कोई नहीं बता सकता,,,,, बस तू एक बार उससे चुदवा ले तु एक दम मस्त हो जाएगी और तेरी मनोकामना भी पूरी हो जाएगी,,,

लेकिन मम्मी जी क्या एक बार में औरत गर्भवती हो जाती है,,

मैं तुझे एक बार उससे चुदवाने के लिए नहीं कह रही हूं अब तो वह तुझे जिंदगी भर तुझे चोदेगा जब तेरा मन करे तब उससे चुदवा,,,,,( रुचि तो अपनी मम्मी कुछ और सोच कर रखी थी लेकिन यह तो उसकी सास ने उसके ही मन की बात कह डाली थी उसे तो मुंह मांगी मुराद मिल गई,,थी जिसके साथ चुदवाने के लिए वह सारी युक्ति आजमाई थी वह खुद-ब-खुद उसे उसी के साथ चुदवाने के लिए बोल रही थी और उसके बच्चे की मां बनने के लिए भी कह रही थी उसके लिए तो सोने पर सुहागा हो गया था,,,, वह अंदर ही अंदर बेहद प्रसन्न हो रही थी अब तो उसे बस प्रतीक्षा थी कब शुभम का लंड अपनी बुर में ले,,)


लेकिन मम्मी जी ऐसा होगा कैसे हैं मुझे तो बहुत डर लग रहा है वह कैसे तैयार हो जाएगा मुझे चोदने के लिए,,, मेरा मतलब है कि उसे तो मालूम नहीं कि मैं उसे छुड़वाना चाहती हूं तो यह सब होगा कैसे,,,,

सब कुछ हो जाएगा तो शायद नहीं जानते कि शुभम और को का दीवाना है तभी तो वह मेरी जैसी उम्र दराज औरत को चोद कर मस्त हो गया था तु तो एकदम जवान औरत है तेरे पीछे तो वह पागल हो जाएगा बस एक बार उसे ईसारा कर दे वह दिन रात तेरी चुदाई करेगा,,, देख मैं तुझे सब कुछ बताती हूं मैं कुछ दिनों के लिए एक बहाने से किसी रिश्तेदार के घर चली जाती हूं और तू घर में अकेली रहेगी रोज कोई न कोई काम के बहाने तो उसे बुलाते रहना एक बार तू अपनी जवानी का जलवा उसे दिखा दी तब वह तेरा दीवाना हो जाएगा एक बार तेरी बुर का स्वाद उसका लंड चक ले जाना तब वह दिन-रात तेरा गुलाम बनकर तेरी चुदाई करेगा इतना जान लेना कि यही रास्ता है तुझे मां बनने का सुख प्राप्त करने के लिए और संतुष्ट होने के लिए,,
( रुचि सब कुछ समझ गई थी और वह हां में सर हिला कर अपनी स्वीकृति दे रही थी।,, रुचि का काम बन चुका था मुंह मांगी मुराद उसकी झोली में आ कर गिरी थी,, लेकिन इसमें सरला का भी फायदा था सरला अपना फायदा देखते हुए रुचि को यह सलाह और सुझाव दी थी और, शुभम के साथ शारीरिक संबंध बनाने के लिए तैयार है करवाई थी क्योंकि अगर वह शुभम के साथ चुदवा कर मां बन जाएगी तो एक साथ उसका दो काम हो जाएगा,,, एक तो वह रुचि के मां बनने की सबसे बड़ी राजदार बन जाएगी और साथ ही वह शुभम के साथ कभी भी शारीरिक संबंध बनाकर अपने बदन की प्यास बुझा सकती है क्योंकि तब उसकी बहू को इसके लिए कोई भी ऐतराज नहीं होगा कि उसकी सास एक जवान लड़के से चुदाई करवाती है,,, क्योंकि रुचि के द्वारा पकड़े जाने पर उसे इस बात का पछतावा जरूर था कि जो कुछ भी हुआ वह गलत था लेकिन एक बार सौगंध फिल्म को अपनी बुर में लेने के बाद उम्र दराज सरला से भी रहा नहीं जा रहा था बार-बार उसे शुभम का लंड याद आ रहा था और वह उससे चुदवाने के लिए तड़प रही थी,,, सलमा को कुछ दिन के लिए घर से बाहर जाना था क्योंकि एक बार और उसी के साथ शारीरिक संबंध बन जाने के बाद शुभम कभी भी उसके साथ शारीरिक संबंध बना सकता है तब उसे किसी भी प्रकार का डर नहीं रहेगा,, अब रुचि को पोषण का बड़ी बेसब्री से इंतजार था जब शुभम एक बार फिर से उसके अंदर समाएगा और रूचि और आने वाले पल का बड़ी बेसब्री से इंतजार करने लगी,,

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