'शून्य' - (Shunya)-- Complete Novel

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Jemsbond
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Re: 'शून्य' - (Shunya)-- Complete Novel

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वह सोच रहा था. वह देखनेमेतो कॉम्प्यूटरपर मेल चेक कर रहा था लेकिन उसके दिमागमे और ही कुछ चल रहा था. इतनेमे उसका मोबाईल बजा. उसने मोबाईलपर नंबर देखा. लेकिन मोबाईलके डिस्प्लेपर कुछभी नंबर नही आया था.
किसका फोन होगा ?...
पुलिस तो नही होगी?...
उसने मोबाईलका एक बटन दबाकर मोबाईल कानको लगाया,
" हॅलो " टर्राए हूए स्वरमें वह बोला.
उधरसे कुछभी आवाज नही आ रहा था. सिर्फ 'घरघर' ऐसा किसी चिजका आवाज आ रहा था.
" हॅलो... कौन बोल रहा है ? " उसका आवाज अब सौम्य हूवा था.
" बॉस, मै बॉस बोल रहा हूं " उधरसे आवाज आया.
" बॉस? यस बॉस " कमांड2 खुदको नार्मल रखनेकी कोशीश करते हूए बोला.
" कमांड1का पता चला मुझे" बॉसने कहा.
" हां सर, बहूत बुरा हुवा " कमांड2 सिचूएशनको समझनेकी कोशीश करते हूए बोला.
" किसने मारा उसे " बॉसने पुछा.
" मारा ? मुझे तो लगा वह उपरसे निचे गिर गया होगा. " कमांड2ने मासूमियतसे कहा.
" लगा ? मतलब ? तूम नही थे उसके साथ? " बॉसने आश्चर्यसे पुछा.
" नही सर, मै नही था. आपने दिए वक्तसे एक दिन पहले और वह भी बुरे वक्तमें वह जा रहा था इसलिए मै नही गया उसके साथ. वह बोल रहा था की एक बार मुझे आजमाकर देखना है की बॉसका कहां कहातक बराबर आता है. " कमांड2 बोल रहा था.
" फिर देखा ? देखनेके लिए जिंदा भी रहना पडता है... मूरख! मुफ्तमे अपनी जान गवा बैठा. जहरका इम्तेहान लेने निकलाथा बेवकुफ. " बॉस गुस्सेसे बोल रहा था.
" फिर पुलिसको किसने बताया ? और इतने जल्दी पुलिस कैसे क्या आगई वहा? " बॉसने आगे पुछा.
" बॉस उसनेही बताया होगा. उसने पिछले बारभी पुलिसको बतानेकी जरा जल्दीही की थी. " कमांड2ने कहा.
थोडी देर उधरसे कुछभी आवाज नही आया. सिर्फ किसी चिजका घरघर आवाज आ रहा था.
" तूमने अपनी जगह बदली यह बहुत अच्छा किया. " बॉस ने कहा.
" हा सर, मुझे अंदाजा था की कमांड1की पहचान होनेके बाद पुलिस उसके घरपर रेड करेगी करके. "
" कमसे कम अब उससे सबक लो और आगे ऐसी बेवकुफी मत करो. अभी और अपना बहुत सारा काम बाकी है. " बॉस उसे हिदायत देते हूए बोला.
" हां सर " कमांड2ने अदबसे कहा.
उधरसे फोन कट हूवा.

खुले मैदानमे एक उंची जगह एक टेबल रखा हूवा था. टेबलपर अलग अलग टीव्ही चॅनल्सके टॅग लगाए हूए मायक्रोफोन रखे हूए थे. टेबलके सामने खुली जगहमें कुछ कुर्सीयां रखी हूई थी. वहां प्रेसवालोंने भीड की हूई थी. कुछ प्रेसवाले कुर्सीपर बैठकर प्रेसकॉन्फरन्समें शहर पुलीस शाखाप्रमुख आनेकी राह देख रहे थे. कुछ पत्रकार छोटे छोटे समूह बनाकर कुछ चर्चा कर रहे थे. चर्चा वही. फिलहाल शहरमें चल रहे खुनी श्रुंखलाकी.
" बहुत दिनोंसे वही वही खबरें एक रुटीनसा होगया था. इस खुनकी वजहसे वह रुटीन दूर होगया ऐसा लगता है. " एकने कहा.
" मतलब, तुम्हे कही ऐसा तो नही कहना है की यह खुन हो रहे है यह अच्छा हो रहा है.." दुसरेने व्यंगपूर्वक कहा.
" अरे वैसा नही " पहला गडबडाकर बोला.
" अरे मतलब वैसाही है. लेकीन खुले ढंगसे कहभी नही सकते..." दुसरा हसकर बोला.
फिर दोनो एकसाथ हसने लगे.
" साला, क्या करेंगे अपना कामही कुछ ऐसा है... दुसरे लोगोंके जानपर हमें खबरें बनानी पडती है... " और एक तिसरा बोला.
" हां वही तो... अगर खबरें ना हो तो अपना पेट कैसे भरेगा... ?"
" अरे जब मै नया नया इस क्षेत्रमें आया... तब रोज सुबह भगवानसे प्रार्थना करता था ... हे भगवान, कमसे कम आजतो एक खबर मिलने दे..."
" मतलब... संक्षेपमें... भगवान आज तो भी कोई अॅक्सीडेंट , खून'
' ... या कुछतो चटपटा घटीत होने दे. "
पहिलेने तिसरेकी ताली लेते हूए अपना वाक्य पूरा किया.
दुसरी तरफ टी व्ही चॅनल्सवाले अपने कॅमेरे लेकर तैयार थे. उनमेंभी चर्चा शुरू थी.
" अरे रोज कितना बुरा घटीत होता है इस दुनियामें..." एकने कहा.
" यह अच्छा है की हमें वह सब अपने इस खुली आंखोसे देखना नही पडता..." दुसरेने कहा.
" खुली आंखोसे नही तो कैसे देखते है हम?" दुसरेने आश्चर्य व्यक्त करते हूए कहा.
" अरे मतलब यह कॅमेरा रहता है ना अपने आखोके सामने.."
दोनो खिलखिलाकर हसने लगे.

अब प्रेस कॉन्फरन्समें सिर्फ शहर पोलीस शाखाप्रमुखके आनेकी राह थी. इतनेमें टेबलके उस तरफ थोडी चहल पहल दिखाई दी. इधर टेबलके इस तरफ बैठे प्रेसके लोगोंमें खुसुरफुसुर शुरू हूई. प्रेसके लोगोंको शहर पोलीस शाखाप्रमुख आते हूए दिखाई दिए. अपने बॉसके पिछे पिछे जॉन अपने भारी कदमोंसे चल रहा था. आखीर टेबलके उस तरफ शहर पोलीस शाखाप्रमुख और जॉन ऐसे दो लोग खडे हूए. टेबलके इस तरफ प्रेसवालोंकी गडबड शुरु हूई. इतने दिनोंसे नासूर की तरह तकलिफ दे रहे सिरियल किलरके केसके बारेमें लोगोंको जानकारी देनेके लिए प्रेस कॉन्फरन्स बुलाई गई थी.
प्रेसवालोके सवालोंका तांता शुरु हो गया -
" खुनी कौन है?"
" उसे जिंदा क्यो पकडा नही गया?"
" उसे ढूंढनेके लिए इतना वक्त क्यों लगा ?"
शहर पोलीस प्रमुखने एक गहरी नजर सारे प्रेसवालोंपर डाली.
" वन बाय वन" शहर पोलीस प्रमुख अपने कडे स्वरमें बोले.
" यस यू" शहर पोलीस प्रमुखने एक गरीब दिख रहे प्रेसवालेके तरफ इशारा किया.
" सर, आप किस बातसे यह कह रहे है की बिल्डींगसे गिरकर मरा पाया गया आदमीही खुनी था ?" एक टीव्ही चॅनलवालेने सवाल किया.
" अबतक मिले तिनो डेड बॉडीसे मिली बंदूक की गोलीयां उसकेही बंदूकसे फायर कि हूई थी... यह हमारे टेक्नीकल टीमने साबीत किया है.. और खुनीके कोटकी जेबसे एक खंजर मिला... उस जेबके कपडेपर तिनो खुन किये गये लोगोंके खुनके दाग मिले..." शहर पोलीस प्रमुखने विस्तारसे सब बताया.
" पुलिस उस खुनीको जिंदा क्यो नही पकड पाये..?... अगर जिंदा पकड सकते तो और भी कुछ जानकारी मिली होती. जैसे खुन करनेकी वजह... इत्यादी... " दुसरे एक प्रेसवालेने झटसे अपना मुंह बिचमे घुसाकर सवाल पुछा.
" खुनकी जानकारी मिलतेही ताबडतोड हम घटनास्थल पहूच गए. ... जब हम वहां पहूंचे, खुन हो चूका था लेकिन खुनी बिल्डींगसे बाहर नही निकला था... फिर हमने बिल्डींगको चारो तरफसे घेर लिया... इसलिए खुनीके वहांसे भागनेके सारे रास्ते बंद होगये थे... और उसे सुसाईड करनेके सिवा कोई रास्ता नही बचा था... " शहर पुलिस प्रमुखने विस्तारसे बताया.
जॉनने अपने बॉसकी तरफ आश्चर्यसे देखा. बॉस झुट बोल रहा है इस बातका नही तो वह कितनी सफाईसे झुठ बोल सकता है इस बातका जॉनको आश्चर्य लग रहा था.
" क्या ? खुनीने सुसाईड किया ? लेकिन कुछ लोगोंके अनुसार वह उपरसे गिर गया होगा..." एकने प्रतिप्रश्न किया.
" टेरेसको साडेतीन फिट उंची दिवार होते हूए वह वहांसे गिर गया ऐसा कहना गलत होगा.." शहर पुलिस प्रमुखने अपना तर्क प्रस्तुत करते हूए जवाब दिया.
" खुनके बारेमें पुलिसको किसने जानकारी दी थी.?" एक न्यूजपेपर रिपोर्टरने पुछा.
" अब ये सारी बाते बताना जरा मुश्कील है. हमारे जासूस सबतरफ फैले रहते है... उसमेकेही एकने हमे यह जानकारी दी... कुछ लोग अपना नाम गुप्त रखना चाहते है... तो कुछ लोगोंकी उनका नाम जाहिर करनेमें कुछ दिक्कत नही रहती... कुछभी हो आखीर खुनी, मरा हूवा ही क्यो ना हो... पकडा गया यह सबसे महत्वपुर्ण ... इसलिए इसके बाद न जाने कितने खुन होने वाले थे वह टल गए है... और उसका पुरा श्रेय मै हमारे काबील पुलिस डिपार्टमेंटके बिना रुके किये परिश्रमको देता हूं. उनको उनके मजबुत नेटवर्ककी वजहसे जानकारी मिली... सिर्फ जानकारीही नही वे वहां वक्तपर पहूंच गए और खुनीको भागने के सारे रास्ते बंद हो गए... " शहर पोलीस प्रमुख अब वहांसे खिसकनेके प्रयासमें था.
वे वहांसे खिसकनेके लिए मुडनेहीवाले थे की और एक रिपोर्टरने सवाल किया -
" सर, उस खुनीका उद्देश क्या होगा?"
" सिरीयल किलर मतलब वह एक तरहका पागलही होता है ... नही क्या... उनको खून करनेके लिए कोई उद्देश वगैरे कुछ नही लगता... अब ऐसे दिमागसेही पागल लोगोंका क्या उद्देश होगा यह बोलना तो जरा मुश्कील है... " पोलीस शाखाप्रमुख मुस्कुराते हूए बोले... वह देखकर वहाके आसपासके बाकी लोगभी जिसने सवाल पुछा उसके तरफ देखकर व्यंगतापुर्वक हंसने लगे.
बेचारा सवाल पुछनेवाला मायूस होगया.
अब शहर पोलीस प्रमुख सिधा जवाब नही दे रहे थे.
" सर , खुनीके घरके काम्प्यूटरकी हार्डडिस्क किसीने गायब की ... क्या यह सच है...?" किसीने शहर पोलीस प्रमुखका ध्यान आकर्षित करनेका प्रयास करते हूए पुछा.
शहर पोलीस प्रमुख उसकी तरफ ध्यान ना देते हूए बोले,
" मुझे लगता है की मैने लगभग सारे सवालोंके जवाब दे दिए है... और इस केसकी सब जानकारी आप लोगोंको दी है... . थँक यू"
शहर पोलीस प्रमुख जो एक बार पलटकर वहांसे जानेको निकले की वे वहांसे बाहर निकलने तक रुकेही नही. उनके पिछे सर निचे झुकाकर जॉन चूपचाप चल रहा था.

जॉन ड्रॉइंग रूममे बैठकर धीरे धीरे व्हिस्कीके घूंट ले रहा था. उसके चेहरेसे साफ झलक रहा था की वह डिस्टर्ब था. इतनेमें उसकी डोअर बेल बजी. वह व्हिस्कीका ग्लास टीपॉयपर रखकर खडा होगया. सामने जाकर उसने दरवाजा खोला. दरवाजेमें उसके सामने अँजेनी खडी थी.
" मै कितने देरसे तुम्हारा मोबाईल ट्राय कर रही हूं. तुम्हारा मोबाईल बंद है क्या?" अँजेनी दरवाजेसे अंदर आते हूए बोली.
" प्रेसवालोंके फोनपर फोन आ रहे है... इसलिए बंद करके रखा" जॉन दरवाजा बंद करते हूए बोला.
अँजेनीने ड्रॉइंग रूममें आनेके बाद टीपॉयपर रखा व्हिस्कीका ग्लास देखा और फिर जॉनके चेहरेके तरफ गौरसे देखने लगी.
" क्या हूवा ? अपसेट दिख रहे हो" अँजेनीने उसे पुछा.
" बैठो ... बताता हूं " उसने खुद एक कुर्सीपर बैठते हूए और अँजेनीको सामने रखे कुर्सीपर बैठनेका इशारा करते हूए कहा.
वह सामने रखी हूई कुर्सी उसके तरफ खिसकाकर उसके पास जाकर बैठ गई। उसने व्हिस्कीका ग्लास फिरसे उठाकर होठोंको लगाया ।
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" ऐसे अंदर ही अंदर गुमसुम रहनेसे अच्छा है अपने प्रॉब्लेम्स अपने किसी करिबी व्यक्तीके साथ शेअर करना ' अँजेनी उसका हाथ अपने हाथमें लेते हूए बोली ।
उसने उसका दुसरा हाथ उसके हाथपर रख दिया ।
" क्या कुछ डिपार्टमेंटमें प्रॉब्लेम हूवा ?" अँजेनीने उसका हाथ थपथपाकर कहा ।
" बोलता हूं... सब कुछ बोलता हूं. " व्हिस्कीका ग्लास बगलमें रखते हूए वह बोला ।
जॉनने एक दीर्घ सांस ली और उसे बोलने लगा -
जॉन उसके बॉसके , यानीकी शहर पोलीस शाखा प्रमुखके सामने बैठा हूवा था ।
" सर, उस बिल्डींगके निचे मिले शवकी तफ्तीश कर यह कुछ जानकारी हासील की है।" जॉन अपने सामने रखे फाईलके पन्ने उलट पुलटकर देखते हूए बोला।
बॉसने सिर्फ " हां " कहा।
जॉनके बॉसने अपने मुंहमें रखे सिगारका एक बडा कश लिया ।
" उस शवके जेबमें बंदूक मिली ... अबतकके तिनो खुन उसी बंदूकसे हूए है ।."
बॉसने अपने मुंहमेंके सिगार की राख सामने टेबलपर रखे अॅश ट्रेमे झटकते हूए कहा ,
" मतलब हम जिस खुनीकी तलाश कर रहे थे वह अपने आपही, मरा हूवा क्यों ना हो, अपने शिकंजे मे आ पहूंचा । "
" सर, मुझे लगता है इतने जल्दी इस नतिजेतक पहूंचना जल्दबाजी होगी. " जॉनने कहा.
" देखो जॉन, अब पुलिसके गलेतक पाणी पहूंच चूका है... अब यह शब्दोंसे खेलनेका वक्त नही है। फिलहाल हालात सामान्य होनेके लिए हमें कुछतो ठोस कदम उठाना जरुरी है । और अपना निष्कर्ष गलत है ऐसा तुम्हे क्यो लगता है ? " बॉसने जॉनके आंखोमें लगातार देखते हूए कहा.
" वैसी बहुत बाते है ." जॉनने फाईलके कुछ पन्ने पलटते हूए कहा.
" उदाहरणके तौरपर ? " बॉसने सिगार बुझाते हूए पुछा.
" नंबर एक - असली खुनीने किसीको मारकर उसके जेबमें बंदूक डाली होगी .. ऐसा भी हो सकता है... . और यह सब वह अपने उपरका ध्यान दुसरी तरफ हटानेके लिए कर सकता है...
नंबर दो - जब हमने वह मरे हूए आदमीके घर पर रेड किया तब उसके कॉम्प्यूटरकी हार्डडिस्क गायब थी. उसके पिछे अलग अलग हेतू हो सकते है... जैसे वह अकेला ना होकर उसके साथ बहुत सारे साथी उसको सामील हो .. जैसे मैने पहले बताया वैसे खुनी दुसराही कोई होकर वह ये सब अपनेपरका ध्यान दुसरी तरफ हटानेके लिए कर सकता है... या फिर वह एक मामुली चोरीभी हो सकती है... "
जॉन बॉसकी प्रतिक्रिया देखनेके लिए रुका.
" हां , और कुछ " बॉसने उसे और कुछ कहना है तो आगे कहने के लिए सुचीत करते हूए कहा.
" नंबर तीन - इस बार खुनकी जानकारी खुनीने ना देते हूए किसी औरही आदमीने दी थी ... क्योंकी जहांसे फोन आया था वहांसे खुनीको खुनके वक्त तक खुनके जगह पहूंचना लगभग नामुमकीन था. और अगर इस बारका अपवाद अगर छोडा तो इसके पहले हरबार खुनीने खुनके जगहसेही फोन किया था. कोई उनकेही टीमका आदमी बेईमानीपर उतर आया हो या किसीको इसकी भनक लगी हो जो की अपनी पहचान बताना नही चाहता हो"
जॉनने बचा हूवा सब लगभग एकही सांसमें बोल दिया और अब वह बॉसके प्रतिक्रिया की राह देखने लगा.
जॉनका बॉस उसके कुर्सीसे धीरेसे उठ गया. खिडकीके बाहर देखते हूए उसने नई सिगार सुलगाई. फिर सिगारके लंबे कश लेते हूए उसने जॉनके इर्द गिर्द एक चक्कर लगाई -
" होगया तुम्हारा ?" बॉसने उसके तरफ घुरकर देखते हूए कहा.
जॉनने सिर्फ अपना सर हिलाया.
" देखो जॉन, तुम्हे पताही है की इस घटना की वजहसे अपने पुलिसकी प्रतिमा कितनी मलीन हो चूकी है. और तुम जो कह रहे हो वह सारी संभावनाएं है. उसका अपने पास कोई ठोस सबुत नही है. "
जॉनका बॉस कमरेमें चहलकदमी करते हूए बोल रहा था.
" लेकिन सर.." जॉनने बिचमें बोलनेका प्रयास किया.
उसे रोकते हूए बॉसने कहा,
" मुझे लगता है इस केसपर काम करके और लगातार तणावके वजहसे तूम शारिरीक और मानसिक तरहसे थक चूके हो... और थकनेके बाद बहुत बार ऐसा होता है... आदमी गडबडा जाता है... और फिर वह तरह तरहके निष्कर्ष निकालने लगता है."
" नही सर, वैसा नही ." जॉनने अपना पक्ष रखने का प्रयास किया.
" देखो , मै क्या कहता हूं ध्यान देकर सुनो " बॉस अब कडे स्वरमें बोल रहा था,
" अब एक प्रेस कॉन्फरंस लेनी पडेगी. उसमें एक साथ केसकी सारी जानकारी देकर अपने पुलिस डिपार्टमेंटकी बची कुची लाज रखनी पडेगी. और फिर ..... और फिर तुम एक महिनेके लिए छुट्टीपर चले जावो... मै तुम्हारी छुट्टी अभी सँक्शन कराये देता हूं ... फिर तुम तुम्हारी दोस्त अँजेनीको लेकर किसी हिलस्टेशनको जावो... छुट्टीया मनाने के लिए... बाकी चिंता तुम मत करो... मै सब बंदोबस्त करता हूं. "
जॉनने एकदम चौंककर उसके बॉसकी तरफ देखा. अपने बॉसको अपने और अँजेनीके बारेमें कैसे पता चला? उसकी आंखोमे अभीभी आश्चर्य और अविश्वास तैर रहा था. .
" आय अॅम सॉरी... इट्स यूवर पर्सनल मॅटर... बट इटस् माय प्रोफेशनल वे ऑफ वर्कींग .... मुझे सबपर पैनी नजर रखनी पडती है"
जॉन कुछ बोले इसके पहलेही बॉसने कुर्सीके पिछे टंगा हूवा अपना ओव्हरकोट उठाया और वह दरवाजेकी तरफ जाने लगा.
दरवाजेमें रुककर जॉनकी तरफ पलटकर देखते हूए वह बोला, " कल सुबह दस बजे मैने प्रेस कॉन्फरंस बुलाई है. क्या बोलना है वह सब मै देखता हूं. यू जस्ट बी देअर."
जॉनके जवाब की राह ना देखते हूए बॉस खाट खाट जूतोंका आवाज करते हूए वहांसे निकल गया. जॉन संभ्रमसे कभी बॉसको जाते हूए देख रहा था तो कभी अपने हाथमेंके फाईल और कागजादोंकी तरफ देखते हूए वहां खडा रहा.
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जॉनकी कार जैसी तेज गतिसे दौड रही थी उसी गतीसे उसके खयालात भी दौड रहे थे. उसके पास दाए तरफ अँजेनी बैठी हूई थी. जॉन गाडी ड्राईव्ह कर रहा था. वह भलेही जॉनके पास बैठी थी, लेकिन उसे अकेलापन महसूस हो रहा था. क्योंकी भलेही जॉन कारमें उसके पास बैठा हूवा था लेकिन उसके खयाल उसे कही औरही ले गए थे. धीरे धीरे गाडीने शहरका हिस्सा पिछे छोड दिया. अब रास्तेके किनारे सिर्फ कुछही घर खिडकीसे दिख रहे थे. धीरे धीरे वह भी दिखना बंद होगए. कुछ देर बाद गाडी चारो तरफसे हरे हरे पेढ, हरे भरे खेत, हरे टीलोंसे भरे स्वर्गतुल्य प्रदेशसे गुजरने लगी. रास्तेके दोनो तरफ आखोंको ठंडक पहूचानेवाली हरीयाली फैली हूई थी. अँजेनीने जॉनके तरफ देखा. वह अभीभी अपने सोचमें डूबा हूवा था.
" तूम भलेही मेरे पास बैठे हो लेकिन तूम अभीभी उस खुनके केसमें उलझे हूए लगते हो. " अँजेनी उसके तरफ देखकर बोली.
अँजेनीके बोलनेसे वह खयालोंसे बाहर आगया.
" हां.... मतलब..ऩही... वैसा नही.., " वह गडबडाकर बोला.
" मै समझ सकती हू की तुम्हारे बॉसने तुम्हारे बारेमें जो किया वह कुछ ठिक नही किया. लेकिन कभी कभी ऐसी चिजोंपर अपना कोई बस नही चलता. देखोना मेरे बारेमें इस नियतीने कहां ठिक किया.. " सानी की याद आकर वह बोली.
उसे क्या बोले कुछ समझमें नही आ रहा था. गाडी चलाते वक्त उसने सिर्फ उसकी तरफ एक प्रेम भरा कटाक्ष डाला.
इतनेमें वातावरणमें पाणी के बहनेकी आवाज गुंजने लगी.
" यहा कहीं वॉटर फॉल बह रहा है शायद... " वह बात बदलनेके उद्देशसे बोला.
" वो देखो उधर ... कितना सुंदर! " दु:खके सायेसे बाहर आते हूए अँजेनी उत्साहपुर्वक बोली.
उसके चेहरेपर किसी मासूम बच्चे जैसे भाव झलक रहे थे.
स्वच्छ शुभ्र पाणी मधूर आवाज करते हूए बह रहा था.
" वाव, कितना सुंदर!" उसने दर्शाए दृष्यकी तरफ देखकर जॉनके मुंहसे निकल गया. .
" कितनी समानता है आदमीके जिवनमें और इस पाणीमें " वह फिरसे दुखकी सायेमें प्रवेश करते हूए बोली.
" कैसे क्या ?" जॉनने पुछा.
अनजानेमें जॉनके चेहरेपर अपराधी भाव आगए. अगर मै सोचमें डूबा नही होता तो उसे उसकी दर्दभरी यादें नही आती. अब उसके बिते दिनोंकी यादोंसे बाहर निकालनेके लिए वह उससे जादासे जादा बोलनेकी कोशीश करने लगा.
" देखो ना. यह पाणी एकबार उपरसे गिरा की उसकी जीवनयात्रा शुरु हो जाती है और फिर उस यात्रा का कोई अंत नही होता. वह पाणी आखीर समुंदरतक पहूंचनेतक उसे रुकनेकी कोई गुंजाईश नही होती. " अँजेनी भावूकतासे बोली.
" वह उधर देखो..., हिरन कैसे कुद कुदकर दौड रहे है. " जॉन अचानक एक तरफ निर्देश करते हूए बोला.
जॉनकी तरफसे खिडकीसे स्प्रींग बग्जका एक बडासा समुह गाडीकी आहटसे कुदकर दौडता हूवा दिखाई दिया.
" हाऊ स्वीट! कितना सुंदर!" अँजेनीके मुंहसे निकल गया.
उसकी आंखे खुशीसे चमक रही थी.
तबतक गाडी आगे निकल गई और वह समुह पिछे रह गया. अँजेनी पिछे मुड मुडकर गाडी के पिछेके ग्लाससे वह समुह जबतक दिख रहा था तबतक देख रही थी.
" अपना कॉटेजभी आगे कही इसी झरनेके किनारे होगा " जॉनने कहा.
" क्या वहां भी यह झरना है ! " वह खुशीसे बोली.
" हां वह तो ऐसाही कुछ बोल रहा था. " जॉनने कहा.
क्रमश:कमांड2 फॅशन स्ट्रीटपर भीडसे रास्ता निकालते हूए सामने जा रहा था. उसे जानेकी बडी जल्दी थी, लेकिन चलते हूए बिचमें आते हूए लोगोंकी वजहसे वह तेज चल नही पा रहा था. वह लोगोको लगभग बाजू धकेलते हूए आगे जा रहा था. उसी भीडमें दुसरी जगह खडे डिटेक्टीव्ह अॅलेक्सने कमांड2की संशयभरी गतिविधीयां पहचान ली. वह बडी सावधानीसे, जैसे चिता अपने शिकारको घेर लेता है, उस तरह उसका पिछा करने लगा. कमांड2 डिटेक्टीवकी गतिविधीयोंसे अनभिज्ञ भीडसे रास्ता निकालते हूए आगे आगे जा रहा था.
बडी मुश्कीलसे आखीर कमांड2 भीडसे बाहर आ गया. भीडसे बाहर आतेही रुककर उसने इधर उधर अपनी नजर दौडाई. डिटेक्टीव्ह अॅलेक्स उसके खयालमें ना आए इसलिए बगलकेही एक दुकानमें घुस गया. कुछ चिंताकी बात नही इसकी तसल्ली होतेही कमांड2 बगलके एक अंधेरे गलीमें घुस गया. डिटेक्टीव्ह अॅलेक्सभी उसके पिछे उस अंधेरे गलीमें घुस गया.
एक बिल्डींगके दिवारके पिछे छूपकर डिटेक्टीव्ह अॅलेक्सने रास्तेके उस तरफ कमांड2को एक मकानके अहातेमें बडी सावधानीसे जाते हूए देखा. डिटेक्टीव्ह अॅलेक्सने अपनी चारो ओर देखते हूए वह किसीके नजरमें तो नही आ रहा है इस बातकी तसल्ली की. फिर कमांड2 गया था उस मकानकी तरफ देखा. वह अबतक उस मकानके अंधरेमें गायब हो चूका था.

बहते पाणीके धारके दोनो तरफ कॉटेजेसका समूह बसा हूवा था. उस कॉटेजेसके पिछे उंचे पर्बत अपनी गोदमें हरीयाली और पेढोंकी मखमल लिए शानसे खडे थे. उपर आसमानमें उन पर्बतोंके टीलोंसे खेलते इतराते सफेद बादल. और पुरा आसमंत उस बहते पाणीके मधूर ध्वनीसे मानो डोल रहा था. और ऐसेमें आजूबाजूके पेढोंपर छिपे पंछी अपना चहचहाट भरा संगीत बिखेर रहे थे.
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नदीके पाणीमें पैर डूबोकर एक पत्थरपर जॉन और अँजेनी बैठे हूए थे. दोनोंके हाथमें एक-एक मछली पकडनेका पाणीमें छोडा हूवा हूक था. दोनो बडे खुश दिख रहे थे. अँजेनीका जॉनकी मजाक करने मूड हूवा. उसने उसे एक पहेली पुछी.
" एक बार नंबर बारा बार में गया और उसने बारटेंन्डरको व्हिस्की लाने को कहा. लेकिन बार टेन्डरने उसे
वहांसे भगा दिया... उसने उसे क्यो भगाया होगा?"
अँजेनीने एकबार मछली पकडनेका हूक हिलाकर देखा और फिर जॉनकी तरफ प्रश्नार्थक मुद्रामें देखा.
" अब यह नंबर्स कबसे बारमें जाने लगे ? " जॉनने उसे छेडते हूए कहा. .
" बोलोना ..." अँजेनी प्रेमभरी नजरोसे उसके तरफ देखते हूए बोली.
" मुझे लगता है यह हाथी और चिंटीके जोक्स जैसा कुछ होगा" जॉन हसते हूए बोला.
" तो फिर बोलोना ... बार टेन्डरने नंबर बाराको क्यो भगा दिया? " अँजेनी उसके पिछेही पड गई.
" नही बाबा ... मुझे तो कुछ समझमें नही आ रहा है... तूमही बोलो? " जॉनने अपनी हार मानते हूए कहा.
" इतने जल्दी घुटने टेक दिए ... ." अँजेनी उसे चिढाते हूए बोली.
" नही.... मै तो कुछ अंदाजा नही लगा पा रहा हूं ... हां मैने हार मानली ... बस ... अब तो बोलोगी?" जॉन जवाब सुननेके लिए बेताब हो गया था.
" व्हेरी सिंपल ... क्योंकी नंबर बारा अंडरएज था ... अठारा सालसे कम " अँजेनी हसते हूए बोली.
" अच्छा ऐसा ... अरे हां... सचमुछ .." जॉनभी हंसने लगा.
" अब और एक बताना .." अँजेनी पाणीमें छोडा हूवा हूक हिलाकर देखते हूए बोली.
" हां ...बोलो " जॉनने उसे अपनी दिलचस्पी दिखाते हूए कहां.
" नंबर एट नंबर थ्री को क्या कहेगा? " अँजेनीने पुछा.
" अब यह नंबरर्स एक दुसरेको बोलने भी लगे?" जॉनने फिरसे उसे छेडते हूए कहा.
" बोलने का क्या ... कुछ देरके बाद वे एक दुसरेसे प्यारभी करने लगेंगे... अपने जैसे" अँजेनी उसे वैसाही जवाब देते हूए बोली.
" पॉसीबल है .... शायद इसलिएही ... 99, 66, 63, 69 ये सारे कोडवर्ड बने होंगे " जॉनने अपनी एक आंख दबाते हूए कहां.
अँजेनीने लाजसे लाल लाल होते हूए अपनी गर्दन निचे झुकाई.
थोडी देरसे गर्दन उपर कर शरमाते हूए उसके तरफ देखते हूए उसने कहा -,
"अच्छे खासे बदमाश हो ..."
जॉन सिर्फ उसकी आंखोंमे देखते हूए मुस्कुरा दिया.
" बोलोना .. नंबर एट नंबर थ्री को क्या कहेगा ?" अँजेनी उसके सिनेपर झूट झूट मारते हूए बोली.
" नही बाबा ... यह भी मै हार गया ... तूमही बता दो " जॉन बोला.
" अरे ...नंबर एट नंबर थ्रीको बोलेगा ...वील यू शट अप यूवर माऊथ प्लीज"
" अरे वा अच्छा है... " जॉनने अपना मछली पकडनेका हूक हिलाकर देखते हूए कहा.
" अच्छा और एक ... नंबर एटने नंबर सिक्सको नंबर नाईनकी तरफ उंगली दिखाकर समझाया... क्या समझाया होगा ?" अँजेनीने पुछा.
" देखो तुम्हारे नंबर एक एक स्टेप आगेही जा रहे है... पहले बारमें गए... फिर बोलने लगे... और अब एक दुसरेको समझानेभी लगे... अब आगेकी स्टेप ..."
जॉन आगे कुछ बोले इसके पहलेही अँजेनीने मजाकमें उसे अपना मुक्का मारनेकी ऍक्टींग की.
" हां बोलता हूं... बोलता हूं बाबा ." जॉन उसे डरे जैसा दिखाते हूए बोला., " ... क्या समझाया होगा?... क्या समझाया होगा? .... हां वह बोला होगा यह क्या हमेशा तुम उलटे खडे रहते हो... देखो वह नंबर नाईन कितना होशीयार है ... कैसा हमेशा सिधा खडा रहता है... ." जॉनने मजाकमें कहा.
" अरे वा... यू आर राईट..." अँजेनी आश्चर्यसे बोली.
" क्या! बरोबर है ? " जॉन आश्चर्य और विस्मयसे बोला.
" यस ...यू आर अब्सल्यूटली राईट... पहले कभी सुना होगा तुमने..." अँजेनीको विश्वास नही हो रहा था.
" अरे नही ... सचमुछ मुझे मालूम नही था ... मैने ऐसेही अपना अंदाजा लगाया." जॉन बोला.

थोडी देर दोनो शांत थे.
फिर जॉन ने कहा " अब मै एक पहेली पुछता हूं."
अँजेनीने आंखोहीसे 'हां' कहा.
" नंबर शून्य नंबर एट को क्या बोला होगा?" जॉन ने पुछा.
शून्य ... शून्यका जिक्र होतेही अँजेनीके चेहरेपर एक उदासी छा गयी. उसके चेहरेपरसे वह अल्लड हंसी गायब हो चूकी थी. जॉनके खयालमें आया की उसने शून्यका जिक्र नही करना चाहिए था.
" आय अॅम सॉरी..." वह उसकी पिठ थपथपाते हूए बोला.
वह कुछ ना बोलते हूए पाणीमें हूक हिलाने लगी.
" रियली आय अॅम सॉरी ... मेरे खयालमेंही नही आया" उसने फिरसे कहा.
" इट्स ऑलराईट ..." वह खुदकी भावनाए संवारते हूए बोली. " तूमही बोलो ... मै नही बता पा रही हूं."
" क्या ?" जॉनने पुछा.
" अरे शून्य नंबर एट को क्या बोला वह बतावो. " वह फिरसे उल्लड होने की चेष्टा करते हूए बोली.
जॉन कुछ नही बोला.
" बोलो ना " वह उसका चेहरा अपनी तरफ करते हूए बोली.
जॉन उसकी तरफ देखकर हंसते हूए बोला. " हार गई ...इतने जल्दी. "
" हां ... बोलो ना. " वह उत्सुकतापुर्वक बोली.
" शून्य नंबर एट को बोला ... नाईस बेल्ट" जॉन हंसते हूए बोला.
" अरे वा...नाईस "
वहभी उसके साथ हंसने लगी.
काफी समय दोनो चूप थे. दोनोभी अपने अपने हूक्स हिलाकर देखनेमें व्यस्त थे.
" तुम्हे मछली पकाने आती है ?" अँजेनीने जॉनके पास खिसकर कहा.
अपना भारी लगता हूवा हूक खिंचकर देखते हूए जॉनने कहा " नही"
" फिर हम मछलियां क्यो पकड रहे है ?" अँजेनीने पुछा.
" अरे ... क्यो मतलब खाने के लिए" जॉन उसकी तरफ आश्चर्यसे देखते हूए बोला.
" फिर इसका कोई फायदा नही " अँजेनीने कहा.
" मतलब ? "
" मतलब मुझेभी मछलीयां पकाना नही आता"
" क्या? " वह आश्चर्यसे बोला.
" हां, अगर तुम्हे वैसेही बिना पकाये हूए खानेकी हो तो कोई बात नही. " वह मजाकमें बोली.
" तुम्हेभी नही बनाने आती ? कोई बात नही हम पकाकर तो देख सकते है... ट्राय करनेमें क्या दिक्कत है..? " उसने सुझाया.
" और अगर नही पका पाये तो"
" तो जैसे बनती है वैसीही खा एंगे. कमसे कम बिना पकी खानेकीतो नौबत तो नही आयेंगी. " वह हंसते हूए बोला.
इतनेमें अँजेनीको अहसास हूवा की उसका हूक भारी लग रहा है. उसने हूक हिलाकर देखा. शायद उसके हूकमें मछली अटक गई थी. उसने अपना हूक लपेटना शुरु किया. एक भूरे शेडकी सफेद मछली छटपटाते हूए हूकके साथ उसके पास आने लगी. उसने धीरेसे उसे हूकसे निकालकर बगलमें पत्थरपर रखे टोकरीमें डाला और वह फिरसे हूक पाणीमे छोडने लगी. इतनेमें तितलीजैसा कुछतो उसके नाकको लगके पाणीमें गिरे जैसा उसे लगा. उसने नाकको हाथसे पोंछ लिया और फिर उसी हाथसे अपने चेहरेपर लहराती लटोंको संवारते हूए हूक पाणीमे छोडनेमें व्यस्त हूई.
जॉन अचानक उसकी तरफ देखकर जोर जोरसे हंसने लगा.
उसने जॉनके तरफ देखकर पुछा , " क्या हूवा ?"
" तुम्हारी मछली कहा है ? " उसने पुछा.
उसने पिछे रखे टोकरीमें देखा तो मछली वहां नही थी.
" कहा गई ? " वह इधर उधर देखने लगी.
" सचमुछ कहा गई ?" वह मुस्कुराते हूए बोली.
उसे मजा आ रहा था.
" गयी वहां पाणीमें छलांग लगाकर... और साथमें तुम्हारे नाकपर चपटी मारकर" वह फिरसे जोरसे हंसते हूए बोला.
" अच्छा तो वह मछली थी... " उसके खयालमें आया तो वह अपने नाकको हाथ लगाते हूए बोली और वह भी उसके साथ जोरसे हंसने लगी.
प्यास बुझाई नौकर से Running....कीमत वसूल Running....3-महाकाली ....1-- जथूराcomplete ....2-पोतेबाबाcomplete
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Re: 'शून्य' - (Shunya)-- Complete Novel

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रात हो चूकी थी. दोनोने मिलके खाना पकाया. खानेके टेबलपर सारे जिन्नस सजाके रखे. जॉनने कमरेमे अंधेरा करके टेबलपर मोमबतीयां लगाकर जलाई. दोनो टेबलपर मोमबतीके धूंदले रोशनीमे आमनेसामने एकदूसरेको प्यारसे निहारते हूए बैठ गए. खानेके जिन्नस वैसेही पडे हूए थे. उन्हे खाने पिनका कहां होश था. उनकी भूख प्यास गुम हो चूकी थी. अचानक उसे अहसास हूवा की जॉनका चेहरा फिरसे चिंतायूक्त होकर सोचमें डूब गया है. .
" हॅलो" उसने चुटकी बजाकर उसे अपने खयालोंसे बाहर लाने की कोशीस की.
" क्या सोच रहे हो?" उसने पुछा.
" यहांसे अगर गाडीसे शहर जाना हो तो कितना वक्त लगेगा ?" उसने अपने खयालोंसे बाहर आते हूए पुछा.
" लगेंगे डेड दो घंटे ... क्यो? क्यो पुछा?" उसने उसे पुछा.
" प्लीज तूम मुझे चार घंटेका समय दोगी ?"
" किसलिए ?" उसने पुछा. .
" एक अर्जंंट काम निकल आया है. दो घंटे जानेके लिए और दो घंटे आनेके लिए. बस सिर्फ चार घंटे... चार घंटेमे जाकर आता हूं. " वह उसके तरफ देखकर बोला.
उसका चेहरा मलीन हो गया.
" प्लीज " वह उसे रिक्वेस्ट करते हूए बोला.
" जाना जरुरी है क्या ?" वह र्नव्हस होते हूए बोली.
" हां बहुत जरुरी है " उसने कहा.
" लेकिन ऐसा क्या काम निकल आया ?" उसने पुछा.
" वह मै तुम्हे अभी नही बता सकता. लेकिन उधरसे वापस आनेके बाद जरुर बताऊंगा." वह उसका मूड ठिक करनेके लिए कुर्सीसे उठते हूए, हंसते हूए बोला.
वह कुछ बोले इसके पहलेही वह तेजीसे बाहरभी गया था. 'ठक..ठक' सिढीयां उतरनेका आवाज आने लगा. वह उठकर खिडकीके पास गई. खिडकीसे वह उसे गाडीतक जाते हूए देखती रही. गाडीके पास जाकर उसने मुडकर खिडकीकी तरफ देखा.
" तूम चिंता मत करो . बराबर चार घंटेमे मै वापस आवूंगा " निचेसे वह जोरसे बोलते हूए गाडीमें बैठ गया.
'खाट' गाडीका दरवाजा उसने जोरसे खिंच लिया. उसका दिल जोरजोरसे धडकने लगा. उसने गाडी शुरु कर खिडकीसे उसे 'बाय' किया और वह निकल गया. उसके चेहरेपर फिरसे मलिनता दिखने लगी. चार घंटेके लिए क्यों ना हो वह उसे बेचैन कर चला गया था.
वह क्यो गया होगा ?...
वह वापस तो आयेंगा ना ?...
या सानीजैसा उसे बिचमेंही मंझधारमें छोड जायेगा ?...
उसका सोच श्रुंखला शुरु हूई.

अभीभी अँजेनी खानेके टेबलपर बैठी थी. टेबलपर जलाई मोमबत्तीयां आखीर बुझ गई थी. टेबलपर सिर्फ बचा था इधर उधर फैला हूवा मोम. उसके दिलका हालभी कुछ उस मोम जैसाही था. जल जलकर जमे जैसा. टेबलपर खाना वैसाका वैसा रखा हूवा था. राह देख देखकर थकनेके बाद वह कुर्सीसे उठ गई. उतनेमे घडीका गजर बजा. बारा बार. कोई मानो उसके दिलपर घांव कर रहा हो ऐसा उसे लग रहा था. रातके बारा बज चूके थे. .
वह बराबर आठ बजे यहांसे गया था... .
मतलब चार घंटे हो चूके थे. ...
वह शायद कॉटेजके आसपासही पहूंचा होगा...
वह खिडकीके पास जाकर बाहर झांककर देखने लगी. कॉटेजकी तरफ आनेवाला रास्ता एकदम सुनसान था. ना किसीकी आहट ना किसी वाहन के लाईट्स. वह काफी समयतक रास्ते पर आखे लगाए रास्ता ताकती रही. अचानक उसे दो दिए रास्तेसे सामने आते हूए दिखाई दिए. वे उसकी तरफही आ रहे थे. उसका चेहरा खुशीसे खील गया.
वही होगा ...
जरुर जॉन ही होगा ...
वह दूर रास्तेपर आगे सरकते गाडीके लाईटस की तरफ देखने लगी. जैसे जैसे गाडीके दिए नजदीक आने लगे उसका दिल खुशीसे नाचने लगा.
जॉनके बारेमै मैने संदेह नही करना चाहिए था ...
उसे अपराधी लगने लगा था. गाडी अब सामने चौराहे तक आ पहूची थी.
गाडी एक टर्न लेगी और फिर अपने कॉटेजके तरफ आयेगी. ...
लेकिन यह क्या ?...
गाडी चौराहेपर कॉटेजकी तरफ ना मुडते हूए सिधे सामने निकल गई....
फिरसे निराशा उसके चेहरेपर दिखने लगी. अपने मनकी विषण्ण भावना दूर करनेके लिए वह कमरेमे चहलकदमी करने लगी. बिच बिचमें वह खिडकीसे बाहर झांकती थी. सामने रस्ता फिरसे पहले जैसा खाली खाली दिखने लगा था. चहलकदमी करते हूए उसने फिरसे दिवार पर टंगे घडीकी तरफ देखा. साडे बारा बज चूके थे. जॉनका अभीतक कोई अता पता नही था. उसे अब अकेलपन का डर लगने लगा था. उसने फिरसे एकबार खिडकीसे बाहर झांका. उसकी आशा फिरसे अंकुरीत होने लगी. फिरसे गाडीके दो दिए उसे रास्तेपर सरकते हूए दिखाई दिए.
अभी जरुर वही होगा ...
वह फिरसे खिडकीके पास खडी होकर लाईट्सकी तरफ लगातार देखने लगी.
यह गाडी जॉनकी हो सकती है .. और नही भी हो सकती...
लेकिन दिल ऐसा होता है की आदमी को आशा लगाए देता है... ...
अचानक चौराहेपर आनेके बाद गाडीके दिए गायब हो गए.
क्या हूवा ?..
गाडी वहा रुकी तो नही ?...
या फिर गाडी आ रही है ऐसा सिर्फ आभास..?...
वह खिडकीसे हटकर फिरसे कमरेमे चहलकदमी करने लगी. अचानक उसे निचे गाडी के हॉर्नका आवाज आया. वह खिडकीकी तरफ दौडी और उसने बाहर झांककर देखा. जॉन गाडीसे उतर रहा था. उसके जानमे जान आगई. वह दरवाजेके तरफ दौडते हूए चली गई. दरवाजा खोलकर जॉनकी तरफ वह लगभग दौडते हूएही लपकी. सामनेसे जॉनभी दौडते हूए आ रहा था. वह दौडतेही जॉनकी बाहोंमे समा गई.
" कितना वक्त लगाया ? ..." वह जॉनके सिनेपर हलके हलके मुक्के मारते हूए बोली.
" कितनी घबरा गई थी मै .....मुझे तो लगा की तुम मुझे यही छोड जावोगे..." उसकी आंखोमें देखते हूए वह बोली.
" नासमझ हो... ऐसा कभी हो सकता है क्या ?" वह उसके कंधेपर हाथ डालकर उसे कॉटेजमे लाते हूए बोला.
दोनोभी एकदुसरेके कमर मे हाथ डाले सिढीयां चढने लगे.
" अबतो बोलोगे ... कहां गए थे?" उसने पुछा.
" बताता हूं ... बताता हू... थोडा सब्रतो करोगी" वह बोला.
अब दोनो कॉटेजमे आगए. अँजेनीने अंदर आतेही सामनेका दरवाजा बंद किया. और वह क्या बोलता है इसका बेसब्रीसे इंतजार करते हूए उसके आगे पिछे करने लगी. वह सिधा अंदर डायनींग टेबलके पास गया. वह भी उसके पिछे पिछे वहा गई. उसने फिरसे खानेके टेबलपर मोमबतीयां जलाई. घरके सारे लाईट्स बंद किये. अँजेनी कुछ ना समझते हूए सिर्फ उसके पिछे पिछे जा रही थी. उसने उसके कंधे को पकडकर उसे उसके सामने कुर्सीपर बिठाया.
" बैठो, बैठो .. मै तुम्हे बताता हू की मै कहा गया था..." वह उसे बोला.
वहभी उसके सामने बैठ गया. थोडी देर दोनो शांत बैठे रहे. फिर जॉनने उसकी आंखोमें देखते हूए उसके मुलायम हाथ अपने हाथोंमे लिए. मोमबत्तीयोंके रोशनीमें उसका चेहरा और ही निखर आया था. जॉनका आने के बाद यह क्या चल रहा है यह ना समझते हूए वह असमंजससी उसके तरफ देख रही थी.
प्यास बुझाई नौकर से Running....कीमत वसूल Running....3-महाकाली ....1-- जथूराcomplete ....2-पोतेबाबाcomplete
बन्धन
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दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
मगर आप जैसे दोस्त नसीब वालों को मिलते हैं!
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