काले जादू की दुनिया complete

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Jemsbond
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Re: काले जादू की दुनिया

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त्रिकाल के भूके आदमी किसी जोंक की तरह काजल के नंगे जिस्म से चिपके हुए थे. त्रिकाल को काजल कुवारि चाहिए थी अगली अमावस्या तक, पर अभी अपने आदमियो की काम वासना शांत करने के लिए त्रिकाल ने उन्हे काजल की गदराई मोटी फूली हुई गान्ड मारने की अनुमति दे दी थी.

इधर रत्ना त्रिकाल का बिस्तर गरम कर रही थी वही उसकी बेटी पर चार पाँच आदमी चढ़ कर उसकी गान्ड मार रहे थे. काजल ज़ोरो से चिल्ला रही थी और रत्ना उसकी गान्ड फट ते हुए देख रही थी लेकिन उनकी मदद करने वाला कोई ना था.

ना जाने त्रिकाल के आदमी क्या खाते थे कि सुबह से अनगिनत बार वो काजल की गान्ड मार चुके थे लेकिन अभी भी उनके तगड़े लंड खड़े थे. काजल की गान्ड इतने लंड लेने से बुरी तरह फट चुकी थी. उसके गान्ड का छेद इतना चौड़ा हो गया था कि गान्ड से टट्टी अपने आप बाहर निकलने लगती थी. अपने कॉलेज मे एक बहुत ही खूबसूरत लड़की मानी जाने वाली काजल आज इन घटिया जानवरो से गान्ड मरवा रही थी. उसे अपने पर ही तरस आ रहा था. उसके भाइयो के आने मे देरी से उसकी हिम्मत भी टूटी जा रही थी. अब उसे उसकी मौत तय दिख रही थी.

तभी त्रिकाल ज़ोर से हुंकार भरा और उसके लंड से एक कटोरे भर वीर्य रत्ना की चूत मे गिरने लगा. रत्ना के भोस्डे का छेद इतना बड़ा हो गया था कि पूरे कटोरे भर वीर्य को भी अपने अंदर समा ले.

त्रिकाल ने रत्ना की भोस्डे से लंड खीचा और उसे वापस काल कोठरी मे बंद करवाने का आदेश दे दिया. तभी अचानक बाहर से त्रिकाल का एक दूत आया जो उसके लिए बाहरी दुनिया की खबर लाता था.

“मलिक वो दोनो लड़के....रामपुरा तक पहुचने की कोशिश कर रहे है...और अगर हम ने उनको नही रोका तो वो त्रिशूल पाने मे कामयाब हो सकते है..”

इसे सुनकर त्रिकाल बौखला गया, “नेह्हियियी....ऐसा नही हो सकता....त्रिकाल को कोई नही मार सकता....बहुत जल्दी त्रिकाल अमर हो जाएगा...फिर यह त्रिशूल भी मुझे नही मार पाएगा....हा..हा.हा.”

काजल के ऐसा सुनते ही उसके दिल मे एक उम्मीद जाग गयी कि आख़िर उसके भाइयो ने हार नही मानी है और वो त्रिकाल को मारने आ रहे है.

“मेरे लिए क्या आदेश है मालिक....” उस आदमी ने कहा.

“जाओ जाकर उन दोनो लड़को पर नज़र रखो....मैं कुछ ऐसा करूँगा कि वो दोनो अपना लक्ष्य भूल जाएँगे और तब तक मुझे समय मिल जाएगा अगली अमावस्या तक का....” एक रहस्यमयी मुस्कान हंसते हुए त्रिकाल ने उस आदमी को वहाँ से भेज दिया.

वो वापस तन्त्र साधना पर बैठ गया और घंटो तक तन्त्र मंतरा करता रहा. करीब 6-7 घंटो की तन्त्र साधना के बाद उसने मन्त्र फूक कर अग्नि कुंड मे डाला जिससे एक छोटा सा विस्फोट हुआ और पूरी गुफा मे गहरा धुन्ध फैल गया.

ढुन्ध छांट ते ही सामने एक कुरूप बुढ़िया नज़र आई . इतनी देर से काजल वही पर बँधी पड़ी थी. उसने जब उस बुढ़िया को देखा तो वो समझ गयी कि वो एक चुड़ैल है.

“मुझे कैसे याद किया मालिक...” उस चुड़ैल ने कहा.

“मोहिनी एक ज़रूरी काम करना है...” त्रिकाल गंभीर होते हुए बोला.

“आप एक क्या सौ कहो...मैं करने को तय्यार हू...”

“ठीक है....अपना रूप किसी अप्सरा का धर और मेरे बताए हुए दो लड़को को अपनी काम वासना मे फसा ले....ध्यान रखना वो कभी रामपुरा तक ना पहुच पाए और उन्हे अपने हुस्न मे तब तक फसा के रख जब तक अगली अमावस्या नही आ जाती ताकि मैं इस लड़की की बलि देकर अमर हो जाउ...हा.हा.हा.”

“आपका हुकुम सर आँखो पर मालिक...पर मुझे इसके बदले क्या मिलेगा...” चुड़ैल हंसते हुए बोली.

“बोल तुझे क्या चाहिए....” त्रिकाल गुर्राया.

“मालिक आपको वो पुराने दिन याद है जब आप मेरे साथ संभोग किया करते थे....” चुड़ैल ने याद दिलाया.

“हाँ मुझे याद है...मैने सबसे पहले तेरे साथ संभोग किया था...”

“तो आज इस कार्य के लिए मैं आपसे वो संभोग वापस माँग रही हू...आपके हलब्बी लंड से मेरी चूत चोद दो एक बार...और अपना प्रसाद मेरी चूत मे डाल दो..” बुढ़िया चुड़ैल हंसते हुए बोली.

त्रिकाल मुस्कुराया और चुड़ैल को ज़मीन पर लिटा के अपना भीमकाय लंड उसके फटे भोसड़े मे पेल दिया. काजल को यह सब देख कर उल्टी आ रही थी. करीब घंटे भर चली चुदाई के बाद त्रिकाल ने अपना लंड चुड़ैल की चूत मे खाली कर दिया.

“अब जा और अपना काम कर...” त्रिकाल ने लंड को चुड़ैल की चूत से निकालते हुए बोला.

त्रिकाल का सारा वीर्य अपनी चूत मे समेटे हुए चुड़ैल खड़ी हुई और त्रिकाल का शुक्रिया अदा कर के वहाँ से चली गयी.

वहाँ से दूर राजस्थान मे करण और अर्जुन दोनो रामपुरा गाँव को तलाश करने मे जुटे थे. कुछ लोगो से उन्हे पता चला कि जब से वहाँ गाँव मे अकाल पड़ा है तब से वो उस गाँव को श्रापित मान लिए जिसके बाद सबने वो गाँव खाली कर दिया, और आज यह हालत हो गयी है की सिर्फ़ बड़े बुज़ुर्गो को ही वो गाँव का पता मालूम है.

तभी काले जादू से वो चुड़ैल राजस्थान पहुच गयी और रात मे पैदल चल रहे करण अर्जुन के पास पहुच गयी. उसने काले जादू से अपना रूप बदल कर एक सुंदर सी कामुक अबला नारी बन गयी.

“साहब आपको कही ले चलूं ...” एक घोड़ागाड़ी (तांगा) चलाते हुई सफेद साड़ी मे वो चुड़ैल बड़ी कामुक लग रही थी.

करण और अर्जुन ने उसे पलट कर देखा और करण बोला, “जी हमे रामपुरा चलना है...”

यह सुनते ही चुड़ैल एक रहस्यमयी तरीके से मुस्कुराने लगी. और बोली, “आप बैठिए साहब...मैं आपको रामपुरा तक पहुचा दूँगी..” चुड़ैल की बात सुनकर दोनो चौंक गये. पूरे शहर मे उन्हे रामपुरा का पता कोई नही बता पाया और अब ढलती रात मे एक तान्गे वाली उन्हे रामपुरा पहुचाने की बात कर रही है.

खैर वो दोनो अपना समान टांगा पर रख कर चुड़ैल के आजू बाजू बैठ गये. अर्जुन को चुड़ैल की जिस्म से आती पसीने की गंध पागल बना रही थी, यही हाल करण का भी था.
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Re: काले जादू की दुनिया

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“तुम रामपुरा के बारे मे कैसे जानती हो....” अर्जुन ने पूछा.

“साहब मेरा ससुराल वही है....” चुड़ैल ने रहस्यमयी तरीके जवाब दिया.
“पर अभी तो वहाँ कोई नही रहता ना....” अर्जुन ने फिर पूछा.

“हाँ साहब जब से वहाँ अकाल पड़ा था, वाहा कोई नही रहता...सब कहते है वह गाँव श्रापित है....पर हम कभी कबार वहाँ जाते रहते है....इसीलिए मुझे वहाँ का रास्ता याद है..”

“तो क्या तुम्हे उस श्राप का डर नही है...”

“क्या साहब आप इतने पढ़े लिखे होकर इन अंधविश्वास पर यकीन करते हो...यह श्राप व्राप कुछ नही है बस मन्घडन्त बातें है...” चुड़ैल तांगा हाकते हुए बोली. उसे बाजू उठाने से उसके बगलो के पसीने का गंध करण और अर्जुन के नथुनो मे भर गया और उन दोनो के लंड उनके पॅंट के अंदर ही सलामी देने लगे.

चुड़ैल यह समझ गयी और रहस्यमयी ढंग से मुस्कुराने लगी. उसे पता था था कि जो काम उसे दिया गया है वो उसे बहतारीन ढंग से कर रही है.

“तुमने अपना नाम नही बताया....” अर्जुन चुड़ैल के सम्मोहन मे फस चुका था और वो चुड़ैल से ज़्यादा ही चिपकने लगा ताकि उसकी जिस्म से आती पसीने की मादक गंध को सूंघ सके.

“जी मेरा नाम मोहिनी है साहब...” चुड़ैल ने जवाब दिया.

“तुम करती क्या हो...और तुम्हारे परिवार मे कॉन कॉन है...” अर्जुन धीरे से मोहिनी के कंधो पर हाथ रखता हुआ बोला. करण को यह सब बड़ा अजीब लग रह था. वो निशा से बहुत प्यार करता था इसीलिए अभी तक मोहिनी के सम्मोहन से आज़ाद था.

“साहब मैं तो बेचारी विधवा हू...मेरा मर्द यह तांगा चलाता था पर दो साल पहले उसको साँप काटने से मौत हो गयी तब मेरे सास ससुर ने मुझे उसका तांगा दे दिया चलाने को...” मोहिनी बड़ी अदा से बोल रही थी और तांगा हाकते जा रही थी.

अब तक काफ़ी रात हो चुकी थी. तांगा ना जाने कॉन से अंजान रास्ते पर चल रहा था. रास्ता इतना उबड़ खाबड़ था कि तांगा बुरी तरह हिचकोले खा रहा था. झींगुरो की आवाज़ आस पास की झाड़ियो से आ रही थी. घुप्प अंधेरे मे तांगे पर लगा लालटेन ही रोशनी का एक मात्र स्रोत था.

तभी तांगे ने एक ज़ोर का झटका खाया और उसका एक पहिया निकल कर दूर लुढ़क गया. करण और अर्जुन दोनो घबरा गये पर मोहिनी फिर अपनी रहस्यमयी मुस्कान हंसते हुए बोली, “साहब लगता है तांगा खराब हो गया है...मेरे घोड़े भी थक गये है...लगता है हमे आज रात यही पर बिताना पड़ेगा.”

चुड़ैल मोहिनी के सम्मोहन पाश मे जकड़ा अर्जुन खुश हो गया. करण को कुच्छ दाल मे काला नज़र आ रहा था. उसने बोला, “मोहिनी तुम एक काम करो हमे वापस जाने का रास्ता बता दो...हम दिन मे रामपुरा जाने का रास्ता अपने आप ढूँढ लेंगे..”

इसपर मोहिनी दाँत पीसती हुई बोली, “अरे साहब आप एक मर्द होकर घबरा रहे है जबकि मैं तो एक औरत हू....मेरी मानिए तो आप इस गुप्प अंधेरी रात मे वापस भी नही जा पाएँगे...”

“अरे भाई यह बोल रही है ना कि यह हमे कल सुबह रामपुरा पहुचा देगी तो इसमे टेन्षन की क्या बात है...” अर्जुन पूरी तरह से मोहिनी के काबू मे आ चुका था.

अब करण करता भी तो क्या करता. तीनो वही ज़मीन पर चादर बिच्छा कर लेट गये. मोहिनी के जिस्म से उठती मादक गंध को करण भी नज़रअंदाज नही कर पा रहा था. उसका लंड उसके पॅंट मे ही विकराल रूप लेने लगा. एक पल के लिए उसके मन मे निशा का चेहरा आया तो उसे मानो एक झटका सा लगा. उसे अपने आप पर शरम आई कि अपनी नयी नयी बीवी को घर छोड़ के आने के बाद वो एक पराई औरत के जिस्म की गंध सूंघ कर उत्तेजित हो रहा है.

पर अर्जुन के साथ मामला कुछ और ही था. उसके दिलो दिमाग़ पर मोहिनी ने जादू कर दिया था. किसी भावरे की तरह वो मोहिनी के आस पास मंडराने लगा था. करण को लगा कि अर्जुन शायद दिल से मोहिनी को पसंद करने लगा है.
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Re: काले जादू की दुनिया

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आधी रात से ज़्यादा हो चली थी जब करण के कानो मे मोहिनी सी सिसकिया गूँज उठी. उसकी आँखें तुरंत खुल गयी लेकिन गुप्प अंधेरा होने की वजह से उसे कुछ दिखाई नही दिया.

“आअह साहब....धीरे धीरे मस्लो मेरी चुचियो को...” मोहिनी सीसीया रही थी.

करण के एकदम से होश उड़ गये. उसने अंधेरे मे ही इधर उधर टटोलकर देखा कि अर्जुन का चादर खाली है. तभी उसे अर्जुन की आवाज़ आई, “मोहिनी...तेरी इन चुचियो का सारा दूध मैं आज पी जाउन्गा..” इसे सुन कर करण हक्का बक्का रह गया. चुदाई उसके ठीक बगल मे ही हो रही थी.

उसकी समझ मे ही नही आ रहा था कि वो क्या करे. कुछ देर सोचने के बाद उसने सोचा कि अर्जुन और मोहिनी को डिस्टर्ब ना करे. उधर अर्जुन और मोहिनी चरम पर थे.

अंधेरे मे अर्जुन का तगड़ा लंड मोहिनी की कसी हुई चूत मे घुस चुका था. मोहिनी ज़ोरो से सिसकिया ले रही थी, “चोदो साहब....और ज़ोर से चोदो...अपना पूरा मूसल मेरी चूत मे पेल दो....दूसरे वाले साहब को भी बोलो की वो अपने लंड से मेरी गान्ड ठोके..” करण मोहिनी के मूह से अपने लिए ऐसे शब्द सुन कर सन्न रह गया.

उसका लॉडा भी अब पॅंट मे तनने लगा था. एकदम गुप्प अंधेरे मे ना जाने कहाँ से एक हाथ आया और करण के लंड को पॅंट के उपर से ही सहलाने लगा.

करण ने तुरंत वो हाथ झिटक दिया. करण को उसका खड़ा लंड पॅंट के अंदर चुभ रहा था इसलिए उसने अपनी पॅंट की ज़िप खोली और लंड को अड्जस्ट करके वापस ज़िप बंद करने लगा जब उस हाथ ने करण को ऐसा करने से रोक दिया.

एकदम अंधेरे मे करण को कुछ दिख ही नही रहा था. बगल मे अर्जुन कस कस के मोहिनी की ठुकाई कर रहा था. अब उस हाथ ने करण की ज़िप को खोलकर उसके मोटे लंड को बाहर निकाल लिया. अपने लंड पर वो कोमल हाथो को महसूस करके करण को यकीन हो गया कि यह काम बगल मे चुद रही मोहिनी का है.

अब करण पर भी मोहिनी का सम्मोहन सर चढ़ कर बोलने लगा. वो उठा और बगल मे टांगे फैलाई चुद रही मोहिनी के दूध को मसल्ने लगा.

“आअहह....आप भी आ जाइए साहब...आप अभी तक मोहिनी के तान्गे की सवारी कर चुके है....अब खुद मोहिनी की सवारी भी कर लीजिए...” मोहिनी अर्जुन से चुदती हुई करण को बोली.

“आ जाओ भाई...बड़ा ही कड़क माल है...देखो कितनी कसी हुई चूत है इसकी..” बोलते हुए अर्जुन अपना तगड़ा लॉडा अंदर बाहर कर रहा था.

करण का दिलो दिमाग़ एक दूसरे से बग़ावत कर रहा था. दिमाग़ बिल्कुल सुन्न पड़ा था जिसे पास मे पड़ी एक नंगी औरत दिख रही थी, वही दिल उसको बार बार निशा के प्रति बेवफ़ाई से सचेत कर रह था. दिमाग़ उसे बार बार कह रहा था कि एक बार इसे चोद दे क्यूकी इस वीराने मे चुदाई के बारे मे निशा को कभी पता नही चलेगा.

“आ भी जाइए साहब...आज मोहिनी आप दोनो के लिए एक मुफ़्त की रंडी है...जितना पेलना है पेलो..” मोहिनी चुदाई मे झूम रही थी. दिल दिमाग़ की कशमकश मे दिल बाज़ी मार गया और दिमाग़ हार गया. करण उठा और मोहिनी को अपने उपर खिसका लिया. अर्जुन भी खिसकता हुआ वापस मोहिनी पर आ गया और दोबारा अपने लंड से उसकी चूत पेलने लगा.
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Re: काले जादू की दुनिया

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मोहिनी दोनो भाइयो के बीच सॅंडविच बनी हुई थी. मोहिनी अपनी चूत चुदवाते हुए अपने हाथो को नीचे ले गयी और करण का मोटा लंड पकड़ कर अपनी गान्ड से सटा दिया.


करण ने भी नीचे से एक तगड़ा झटका मारा और उसका आधा लॉडा मोहिनी की गान्ड मे समा गया. अगले झटके मे करण ने पूरे लौडे को मोहिनी की गान्ड मे जड़ तक उतार दिया. करण और अर्जुन के लौडो की लंबाई बराबर थी यानी 8 इंच पर करण का लॉडा थोड़ा ज़्यादा मोटा था और अर्जुन का थोड़ा पतला.

मोहिनी की चाल कामयाब हो चुकी थी. आख़िर उसने अपने काले जादू से दोनो भाइयो को अपने लक्ष्य से भटका दिया था जो आज रात मिलकर उसकी गान्ड और चूत चोद रहे थे.

चुदाई करते समय मोहिनी ने जादू किया और उससे करण के दिमाग़ को पढ़ने का मौका मिल गया. अब उसे करण की नयी शादी और उसकी पत्नी के बारे मे पता चल चुका था. उसे ये भी पता चल गया था कि करण और निशा एक दूसरे से लड़ कर आए है.

दोनो करण और अर्जुन चुदाई मे इतने व्यस्त थे कि उन्हे कुछ भी होश नही था. मोहिनी ने चुद्ते हुए अपने हाथो को करण की पॅंट की जेब मे डालकर उसका मोबाइल निकाल लिया और निशा का नंबर डाइयल करने लगी.

उधर दूर मुंबई मे बैठी निशा अपने अकेलेपन से लड़ रही थी. करण के ऐसे अचानक बिना कुछ बताए छोड़ कर चले जाने से उसे उसपर शक हो रहा था कि कही उसका किसी लड़की के साथ चक्कर तो नही. तभी उसके मोबाइल पर करण का कॉल आया. इतनी रात को कॉल आने से वो चौंक गयी. उसने फोन उठाया तो पीछे सिसकिया और चुदाई की आवाज़ें चल रही थी. निशा का दिमाग़ एकदम से सन्ना गया.

“आह....करण बाबू चोदिये...और ज़ोर से चोदिये अपने लौडे को मेरी गान्ड मे....” मोहिनी जान बूझ कर चिल्ला कर बोल रही थी ताकि फोन पर निशा सुन सके.

“आअहह...मोहिनी...क्या मस्त माल है तू....तेरी गान्ड कितनी कसी हुई है...” इस सब से बेख़बर काले जादू के असर से करण बडबडाये जा रहा था. यह सब सुनकर मानो निशा पर पहाड़ टूट पड़ा हो.

“क्या मेरी गान्ड आपकी बीवी निशा से भी ज़्यादा टाइट है...” मोहिनी फिर चिल्ला के बोली ताकि निशा यह सब सुन सके.

“हाँ मेरी जान...तेरी गान्ड मे जो बात है वो मेरी बीवी मे भी नही...इनफॅक्ट मुझे उसकी गान्ड बिल्कुल पसंद नही है....मजबूरी मे उसकी चूत चोदता हू..वरना वो भी नही चोदु..” करण यह सब कहना नही चाहता था पर मोहिनी का सम्मोहन उसे ऐसा कहने पर मजबूर कर रहा था.

निशा को लगा कि उसके कान फट जाएँगे अगर उसने आगे एक भी सेकेंड सुना तो. गुस्से और नफ़रत से उसका चेहरा लाल हो गया था.

फिर भी उसके मन मे कही ना कही यह ख़याल ज़रूर था कि उसका पति करण उसके साथ धोका नही कर सकता. इसलिए निशा ने सच पता लगाने का फ़ैसला किया.

उसने करण का लॅपटॉप खोला और उसके क्रेडिट कार्ड के बिल को देखने लगी. उसे वहाँ दिखाई दिया कि करण और अर्जुन ने जयपुर के मान सिंग पॅलेस नाम के होटेल मे क्रेडिट कार्ड से पेमेंट किया है. निशा गुस्से मे तिल मिलाते उठी और तुरंत सुबह वाला मुंबई तो जयपुर फ्लाइट बुक करवा लिया.
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इधर कस कर दस पंद्रह मिनिट की चुदाई के बाद दोनो करण और अर्जुन ने अपने वीर्य को मोहिनी की गान्ड और चूत मे भर दिया और उसके जिस्म से उतर गये. मोहिनी अपनी चाल मे कामयाब हो चुकी थी. साथ ही साथ वो करण और निशा के रिश्तो मे भी दरार डालने का काम कर चुकी थी.

“वाह साहब...आप दोनो ने तो मुझे आगे पीछे से बहुत तगड़ा बजा दिया है....अब आपलोग मोहिनी की चुचियो का दूध पीकर वापस अपनी ताक़त इकट्ठा कर लो ताकि हम फिर से चुदाई कर सके...” कहते हुए मोहिनी ने आजू बाजू लेटे करण और अर्जुन के मूह मे अपनी दोनो चुचि घुसा दी जिसे वो दोनो किसी बच्चे की तरह चूसने लगे.

चुचि से निकलते ताज़ा दूध उन दोनो के मूह मे भरता जा रहा था. जिसे पीकर वो अपने होश गँवाते जा रहे थे.

अगली सुबह जब करण की नींद खुली तो उसके सर मे तेज़ दर्द था. इतना तेज़ कि मानो उसका सर दर्द से फट जाएगा. सब कुछ धुँधला धुन्द्ला दिख रहा था. उसे महसूस हुआ कि वो बिस्तर पर नंगा पड़ा है और कोई उसके खड़े लंड को मूह मे लेकर चूस रहा है.

उसने सर घुमा के देखा तो अर्जुन उसके बगल मे नंगा सो रहा था. उसके शरीर मे जैसे जान ही नही बची थी. धीरे धीरे उसको सब दिखाई देने लगा. वो वापस अपने होटेल मान सिंग पॅलेस के अपने कमरे मे लेटा हुआ था और मोहिनी बिना कपड़ो के पूरी नंगी उसके लौडे को चूस रही थी.

अब धीरे धीरे करण को होश आ रहा था. पर जैसे ही उसका रात का नशा उतरा उसने देखा कि जो भी हो रहा है वो ग़लत है. वो ऐसे अपनी बीवी को धोका नही दे सकता. उसने मोहिनी को अपने लौडे से हटाने की कोशिश की पर उसके शरीर मे ताक़त ही नही बची थी.

मोहिनी करण को जगा देख कर अपनी वही रहस्यमयी मुस्कान से मुस्कुराने लगी. जब तक करण उसे रोकता वो चढ़ कर उसके उपर बैठ गयी थी और उसके लौडे को अपने हाथ मे लेकर अपनी चूत से भिड़ा कर उसपे बैठ गयी.

लॉडा सरसराता हुआ चूत की जड़ तक घुस गया और मोहिनी लौडे पर कूदने लगी. करण ने अपनी पूरी ताक़त बटोरकर मोहिनी को अपने से हटाना चाहा पर तब तक होटेल के रूम का दरवाज़ा खुला और सामने करण को ब्लॅक जीन्स और ग्रीन टॉप पहने निशा खड़ी दिखी.

करण की तो दुनिया ही पलट गयी. मोहिनी अभी भी उसके लौडे पर बेफ़िक्र होकर कूद रही थी और उसे अपनी रसीली चूत मे ले रही थी. निशा वहाँ अब एक पल भी ना रह सकी और गुस्से से रूम का दरवाज़ा भड़ाक से बंद करके चली गयी.

करण ने मोहिनी को वहाँ से धक्का दे के हटाया और अपनी पॅंट शर्ट पहनकर नीचे दौड़ा जहाँ उसे निशा रिसेप्षन से होकर जाती हुई दिखाई दी.

“प्लीज़ निशा मेरी बात तो सुनो...” उसने निशा का हाथ पकड़ते हुए कहा.

निशा पलटी और सबके सामने करण के गालो पर खीच कर एक तगड़ा झापड़ लगा दिया. पूरा होटेल सन्न रह गया, सब के सब करण और निशा की तरफ देख रहे थे. झापड़ इतनी ज़ोर का था कि करण के गोरे गालो पर निशा की पाँचो उंगलिया छप गयी.

“मैं वो सब नही करना चाहता था....” उसने सर झुकाते हुए कहा.

“मैने तुम जैसे घटिया आदमी से प्यार करके सबसे बड़ी भूल की है...और उसे भी बड़ी भूल तुम पर विश्वास करके शादी करने कर के की है...” निशा वही पर रोते हुए बोली.

“प्लीज़ निशा...मैं अपने सेन्स मे नही था....यह सब क्या हो रहा है मुझे खुद कुच्छ भी समझ मे नही आ रहा है....मुझे कुछ याद भी नही आ रहा है...”

“कितने गिरे हुए इंसान हो तुम करण...इतना सब कुछ करने के बाद भी बोल रहे हो तुम्हे कुछ समझ मे नही आ रहा....उस औरत के साथ नाजायज़ संबंध बना कर तुम कह रहे हो तुम्हे कुछ भी याद नही...तुमने मुझे धोका दिया है करण...बेवफ़ाई की है तुमने..”

“मैने तुम्हे धोका नही दिया है निशा....यह सब कैसे और क्यू हो रहा है मुझे कुछ नही पता....प्लीज़ मेरी बात का यकीन करो..”

“यकीन करने को तो कुछ रह ही नही गया डॉक्टर. करण ऱठोड...आज मुझे घिंन आ रही है अपने आप पर जो मैं तुम्हारे साथ उस रात सोई...” और निशा ने फर्श पर थूकते हुए कहा.
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