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चूत देखी वहीं मार ली compleet
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Re: चूत देखी वहीं मार ली
प्यास बुझाई नौकर से Running....कीमत वसूल Running....3-महाकाली ....1-- जथूराcomplete ....2-पोतेबाबाcomplete
बन्धन
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दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
मगर आप जैसे दोस्त नसीब वालों को मिलते हैं!
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बन्धन
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Re: चूत देखी वहीं मार ली
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तभी सामने से विनय को रामू आता हुआ दिखाई दिया….उसके हाथ मे भी बॅग था…..विनय को देख उसके होंटो पर मुस्कान फेल गयी…..जैसे ही वो विनय के पास पहुचा तो, उसने अपना बॅग नीचे रखा और इधर उधर देखते हुए बोला….”अर्रे विनय बाबू पता है सुबह से आपके घर के सामने से 5 चक्कर लगा चुका हूँ…”
विनय: क्यों……कोई ज़रूरी काम था…..?
रामू: हां वो मेरे पिता जी की तबीयत खराब हो गयी है…..इसीलिए गाओं जा रहा हूँ….कल आपको बताया था ना कि आज शाम को घर पर आना है…..?
विनय: हां कहा था तो….?
रामू: वही बताना चाहता था…..कि आज मैं गाओं जा रहा हूँ…..20 दिन बाद ही आउन्गा…. जब स्कूल शुरू होंगे तब…..आप दोपहर को 12 बजे स्कूल मे चले जाना….मेरी पत्नी अंजू वही होगे…..उससे मिल लेना…..वो तुम्हे बता देगे कि, मैने तुम्हे क्यों बुलाया था…..
विनय: ना ना मैं नही जाता उसके सामने……मुझे तो बहुत डर लगता है तुम्हारी पत्नी से…..
रामू: आप क्यों फिकर कर रहे है….उसको समझा दिया है…..उसने तो आपको बुलाया है….देखना वो आपसे माफी भी माँगेगी….
विनय: नही फिर भी मैं अकेला नही जाउन्गा उसके पास….
रामू: अच्छा एक काम करो…..ये ये पैसे लो….और अभी स्कूल जाओ…जब वो बाहर आए तो, उसे ये पैसे देना और बोलना कि, मेने भेजे है….अगर तुम्हे लगे कि वो अभी भी तुम्हारे साथ ठीक से पेश नही आ रही है तो, फिर दोपहर को मत जाना ठीक है……
विनय: (कुछ देर सोचने के बाद….) पर करना क्या है वहाँ मेने जाकर सॉफ-2 बाताओ….
रामू: (उसके सामने चुदाई का इशारा करते हुए) ये करना है…..साली की चूत में बहुत आग लगी हुई…..साली को ठंडा कर देना….
रामू के मूह से ये बात सुन कर विनय एक दम भौचक्का रह गया…उसे यकीन नही हो रहा था कि, रामू उससे खुद कह रहा है, कि उसकी पत्नी को चोद दे….रामू ने मुस्कुराते हुए विनय के कंधे पर हाथ मारा…..”अच्छा अब मैं निकलता हूँ, ट्रेन का टाइम हो रहा है….जानना ज़रूर.” रामू ने अपना बॅग उठाया और आगे निकल गया…..कुछ पलों के लिए विनय वहाँ से हिल भी नही पाया….उसे समझ मे नही आ रहा था कि, आख़िर ये सब उसके साथ हो क्या रहा है.
अभी विनय चलने ही लगा था कि, रामू ने उसे फिर से आवाज़ लगाई, वो थोड़ी दूरी पर एक मेडिसिन की दुकान पर खड़ा था….शायद कुछ ले रहा था…..विनय धीरे-2 उसकी तरफ बढ़ा, इतने मे रामू भी दुकान से उसकी तरफ आया, और फिर इधर उधर देखते हुए एक छोटा सा पॅकेट उसके हाथ मे पकड़ा दया…..
विनय: ये क्या है….?
रामू: (मुस्कुराते हुए) व्याग्रा है……
विनय: (पॅकेट खोल कर अंदर पड़ी टॅब्लेट्स की तरफ देखते हुए….) इन गोलियों का मैं क्या करूँगा……
रामू: शीई धीरे बोल……सुन ये गोलियाँ बहुत काम की चीज़ है…..देख जब तू दोपहर को स्कूल मे जाएगा तो, जाने से 1 घंटा पहले 1 टॅबलेट खा लेना…..
विनय: क्यों……..?
रामू: अर्रे यार इससे लंड एक दम लोहे के जैसे सख़्त हो जाता है….बड़ी-2 गस्तियो की बस हो जाती है….अगर इसको खा कर किसी के ऊपेर चढ़ जाओगे……तुम्हारा लंड झड़ने के बाद भी नही बैठेगा…..उस साली रांड़ की ऐसे ठुकाइ करना कि, साली तेरे लंड की गुलाम हो जाए…..
विनय: यार इसे खाने से कोई गड़बड़ तो नही होगी……
रामू: नही होती यार मेने खुद खा कर देखी है…..और वो मनीष है ना…..उसने भी एक बार ये गोली खा कर मेरे ऐसे ठुकाइ की थी, कि साला 4 दिन तक तो चल ही नही पाया था…अच्छा अब मैं चलता हूँ….नही तो ट्रेन मिस हो जाएगी…..
रामू जल्दी से रोड की तरफ चला गया….विनय धीरे-2 घर की तरफ जाने लगा…..वो बार बार हाथ मे पकड़े हुए पैसो को देख रहा था……उसे समझ मे नही आ रहा था कि, वो अब क्या करे, रह-2 कर उसके दिमाग़ मे अजीब-2 से ख़याल आ रहे थे….कि, कही उसकी पत्नी मुझे किसी चक्कर मे ही ना फँसा दे…अगर कुछ गड़बड़ हुई तो, घर पर मेरे बारे मे सब क्या सोचेंगे…..एक हाथ मे पैसे, और एक पॉकेट मे व्याग्रा के 10 टॅब्लेट्स, विनय को ऐसा लग रहा था. कि जैसे वो कोई नशे का समान चोरी छिपे कहीं ले जा रहा हो…..
रास्ते मे जाते हुए जब कभी कोई पहचान वाला दिखाई देता तो, विनय डर के मारे सर झुका लेता. पहले तो इन पैसो को ठिकाने लगाना है….घर गया और मामी ने मेरे पास ये पैसे देख लिए तो क्या जवाब दूँगा….वो इसी सोच मे चलता हुआ स्कूल के पास पहुच गया था…. वो मन ही मन सोच रहा था कि, रामू तो स्कूल के बिल्कुल पीछे वाले रूम मे रहता है. अगर गेट बंद हुआ तो बहुत ज़ोर-2 खटकाना पड़ेगा….और अगर किसी ने देख लिया तो क्या जवाब दूँगा कि, बंद स्कूल मे क्या काम है…..
बोल दूँगा कि, रामू ने पैसे भेजे है वही पकड़ाने है……जवाब तो विनय के पास तैयार ही था….पर जैसे ही वो स्कूल के सामने पहुँचा तो ये देख कर उसकी जान मे जान आए, कि रामू की पत्नी अंजू स्कूल के बाहर गली मे खड़ी हुई थी….और सब्जी वाले से सब्जी ले रही थी…..उसने मिक्स लाइट पिंक और वाइट कलर की साड़ी पहनी हुई थी….वो झुंक कर ठेले से सब्जी उठा रही थी……जैसे ही अंजू की नज़र विनय पर पड़ी, तो उसने होंटो पर कामुक मुस्कान लाते हुए विनय की तरफ देखा, तो विनय एक दम से हैरान हो गया…..वो धीरे-2 आगे उसकी तरफ बढ़ रहा था……”जाओ भैया इसमे से कोई भी तरकारी ताज़ी नही है….नही लेने मुझे..” उसने जब विनय को पास आते हुए देखा तो, उसने सब्जी वाले को भागना ही सही समझा….
तभी सामने से विनय को रामू आता हुआ दिखाई दिया….उसके हाथ मे भी बॅग था…..विनय को देख उसके होंटो पर मुस्कान फेल गयी…..जैसे ही वो विनय के पास पहुचा तो, उसने अपना बॅग नीचे रखा और इधर उधर देखते हुए बोला….”अर्रे विनय बाबू पता है सुबह से आपके घर के सामने से 5 चक्कर लगा चुका हूँ…”
विनय: क्यों……कोई ज़रूरी काम था…..?
रामू: हां वो मेरे पिता जी की तबीयत खराब हो गयी है…..इसीलिए गाओं जा रहा हूँ….कल आपको बताया था ना कि आज शाम को घर पर आना है…..?
विनय: हां कहा था तो….?
रामू: वही बताना चाहता था…..कि आज मैं गाओं जा रहा हूँ…..20 दिन बाद ही आउन्गा…. जब स्कूल शुरू होंगे तब…..आप दोपहर को 12 बजे स्कूल मे चले जाना….मेरी पत्नी अंजू वही होगे…..उससे मिल लेना…..वो तुम्हे बता देगे कि, मैने तुम्हे क्यों बुलाया था…..
विनय: ना ना मैं नही जाता उसके सामने……मुझे तो बहुत डर लगता है तुम्हारी पत्नी से…..
रामू: आप क्यों फिकर कर रहे है….उसको समझा दिया है…..उसने तो आपको बुलाया है….देखना वो आपसे माफी भी माँगेगी….
विनय: नही फिर भी मैं अकेला नही जाउन्गा उसके पास….
रामू: अच्छा एक काम करो…..ये ये पैसे लो….और अभी स्कूल जाओ…जब वो बाहर आए तो, उसे ये पैसे देना और बोलना कि, मेने भेजे है….अगर तुम्हे लगे कि वो अभी भी तुम्हारे साथ ठीक से पेश नही आ रही है तो, फिर दोपहर को मत जाना ठीक है……
विनय: (कुछ देर सोचने के बाद….) पर करना क्या है वहाँ मेने जाकर सॉफ-2 बाताओ….
रामू: (उसके सामने चुदाई का इशारा करते हुए) ये करना है…..साली की चूत में बहुत आग लगी हुई…..साली को ठंडा कर देना….
रामू के मूह से ये बात सुन कर विनय एक दम भौचक्का रह गया…उसे यकीन नही हो रहा था कि, रामू उससे खुद कह रहा है, कि उसकी पत्नी को चोद दे….रामू ने मुस्कुराते हुए विनय के कंधे पर हाथ मारा…..”अच्छा अब मैं निकलता हूँ, ट्रेन का टाइम हो रहा है….जानना ज़रूर.” रामू ने अपना बॅग उठाया और आगे निकल गया…..कुछ पलों के लिए विनय वहाँ से हिल भी नही पाया….उसे समझ मे नही आ रहा था कि, आख़िर ये सब उसके साथ हो क्या रहा है.
अभी विनय चलने ही लगा था कि, रामू ने उसे फिर से आवाज़ लगाई, वो थोड़ी दूरी पर एक मेडिसिन की दुकान पर खड़ा था….शायद कुछ ले रहा था…..विनय धीरे-2 उसकी तरफ बढ़ा, इतने मे रामू भी दुकान से उसकी तरफ आया, और फिर इधर उधर देखते हुए एक छोटा सा पॅकेट उसके हाथ मे पकड़ा दया…..
विनय: ये क्या है….?
रामू: (मुस्कुराते हुए) व्याग्रा है……
विनय: (पॅकेट खोल कर अंदर पड़ी टॅब्लेट्स की तरफ देखते हुए….) इन गोलियों का मैं क्या करूँगा……
रामू: शीई धीरे बोल……सुन ये गोलियाँ बहुत काम की चीज़ है…..देख जब तू दोपहर को स्कूल मे जाएगा तो, जाने से 1 घंटा पहले 1 टॅबलेट खा लेना…..
विनय: क्यों……..?
रामू: अर्रे यार इससे लंड एक दम लोहे के जैसे सख़्त हो जाता है….बड़ी-2 गस्तियो की बस हो जाती है….अगर इसको खा कर किसी के ऊपेर चढ़ जाओगे……तुम्हारा लंड झड़ने के बाद भी नही बैठेगा…..उस साली रांड़ की ऐसे ठुकाइ करना कि, साली तेरे लंड की गुलाम हो जाए…..
विनय: यार इसे खाने से कोई गड़बड़ तो नही होगी……
रामू: नही होती यार मेने खुद खा कर देखी है…..और वो मनीष है ना…..उसने भी एक बार ये गोली खा कर मेरे ऐसे ठुकाइ की थी, कि साला 4 दिन तक तो चल ही नही पाया था…अच्छा अब मैं चलता हूँ….नही तो ट्रेन मिस हो जाएगी…..
रामू जल्दी से रोड की तरफ चला गया….विनय धीरे-2 घर की तरफ जाने लगा…..वो बार बार हाथ मे पकड़े हुए पैसो को देख रहा था……उसे समझ मे नही आ रहा था कि, वो अब क्या करे, रह-2 कर उसके दिमाग़ मे अजीब-2 से ख़याल आ रहे थे….कि, कही उसकी पत्नी मुझे किसी चक्कर मे ही ना फँसा दे…अगर कुछ गड़बड़ हुई तो, घर पर मेरे बारे मे सब क्या सोचेंगे…..एक हाथ मे पैसे, और एक पॉकेट मे व्याग्रा के 10 टॅब्लेट्स, विनय को ऐसा लग रहा था. कि जैसे वो कोई नशे का समान चोरी छिपे कहीं ले जा रहा हो…..
रास्ते मे जाते हुए जब कभी कोई पहचान वाला दिखाई देता तो, विनय डर के मारे सर झुका लेता. पहले तो इन पैसो को ठिकाने लगाना है….घर गया और मामी ने मेरे पास ये पैसे देख लिए तो क्या जवाब दूँगा….वो इसी सोच मे चलता हुआ स्कूल के पास पहुच गया था…. वो मन ही मन सोच रहा था कि, रामू तो स्कूल के बिल्कुल पीछे वाले रूम मे रहता है. अगर गेट बंद हुआ तो बहुत ज़ोर-2 खटकाना पड़ेगा….और अगर किसी ने देख लिया तो क्या जवाब दूँगा कि, बंद स्कूल मे क्या काम है…..
बोल दूँगा कि, रामू ने पैसे भेजे है वही पकड़ाने है……जवाब तो विनय के पास तैयार ही था….पर जैसे ही वो स्कूल के सामने पहुँचा तो ये देख कर उसकी जान मे जान आए, कि रामू की पत्नी अंजू स्कूल के बाहर गली मे खड़ी हुई थी….और सब्जी वाले से सब्जी ले रही थी…..उसने मिक्स लाइट पिंक और वाइट कलर की साड़ी पहनी हुई थी….वो झुंक कर ठेले से सब्जी उठा रही थी……जैसे ही अंजू की नज़र विनय पर पड़ी, तो उसने होंटो पर कामुक मुस्कान लाते हुए विनय की तरफ देखा, तो विनय एक दम से हैरान हो गया…..वो धीरे-2 आगे उसकी तरफ बढ़ रहा था……”जाओ भैया इसमे से कोई भी तरकारी ताज़ी नही है….नही लेने मुझे..” उसने जब विनय को पास आते हुए देखा तो, उसने सब्जी वाले को भागना ही सही समझा….
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यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
मगर आप जैसे दोस्त नसीब वालों को मिलते हैं!
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दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
मगर आप जैसे दोस्त नसीब वालों को मिलते हैं!
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Re: चूत देखी वहीं मार ली
सब्जी वाला भुन्भुनाता हुआ आगे चला गया….विनय अंजू के पास आया….और अंजू की तरफ पैसे बढ़ाते हुए बोला……”ये पैसे वो अंकल ने दिए थी आपको देने के लिए…” अंजू ने मुस्कराते हुए विनय को ऊपेर से नीचे की तरफ देखा, जैसे बिल्ली चूहे को खाने से पहले देख रही हो, कि कितना गोश्त है उसमे……उसने विनय के हाथ से पैसे लेते हुए, उसके सामने ही अपने ब्लाउस मे हाथ डालते हुए अंदर रख लिए……
अंजू: (कातिल अदा के साथ मुस्कराते हुए) और कुछ तो नही कहा था……?
विनय: (कुछ सोच कर हकलाते हुए) हां वो वो कहा था कि, आप को कुछ काम है मुझसे इसीलिए 12 बजे आपके पास आने के लिए कहा था…..
अंजू: (होंटो पर तीखी जानलेवा मुस्कान लाते हुए…..)और कुछ नही कहा क्या……
विनय: ना नही और कुछ नही कहा….
अंजू: (मन ही मान रामू को कोसने लगी कि, रामू ने उसे सॉफ-2 क्यों नही बताया….अंजू सोच रही थी कि, अब इस चिकने लौन्डे को खुद ही अपने काम जाल मे फसाना होगा..) चल कोई ना…..फिर 12 बजे आ रहे हो ना…..
विनय: जी आ जाउन्गा…..
अंजू: (विनय के बिल्कुल करीब जाकर खड़े होते हुए….इतना करीब कि विनय के नथुनो से निकलने वाली हवा उसे अपनी ब्लाउस के ऊपेर से झाँक रही चुचियों पर महसूस होने लगी. विनय की हालत तो एक दम पतली हो गयी थी…..) ठीक है आ जाना…..मैं तुम्हारा इंतजार करूँगी….
ये कह कर जैसे ही अंजू मूडी, तो उसके ब्लाउस मे कसी हुई चुचियाँ विनय के कंधे से रगड़ खा गई……विनय का पूरा बदन झंझणा उठा…”अहह……” अंजू ने जान बुज कर सिसकते हुए विनय की आँखो मे देखा और फिर कातिल अदा के साथ मुस्कुराते हुए स्कूल के अंदर चली गयी. विनय वापिस घर की तरफ जाने लगा…..वो सारे रास्ते मे अपने ही ख्यालों मे डूबा हुआ था. जैसे ही वो घर के पास पहुचा तो उसे अपने पेंट की पॉकेट मे पढ़ी हुई व्याग्रा टॅब्लेट्स का ख़याल आया……उसका दिल जोरो से धड़क रहा था…..
कि कही मामी की नज़र उसकी पेंट की फूली हुई जेब पर ना पड़ जाए….विनय ने डरते हुए डोर बेल बजाई, तो थोड़ी देर बाद वशाली ने गेट खोला…..विनय ने अंदर आते हुए वशाली से पूछा, “वशाली मामी जी कहाँ है…..”
वशाली: वो अभी शीतल बुआ के घर पर गयी है….
जैसे ही विनय ने सुना कि मामी घर पर नही है, तो उसकी जान मे जान आई…..वो जल्दी से अपने रूम की तरफ चला गया…..रूम मे पहुच कर वो ऐसी जगह तलाश करने लगा. जहाँ पर वो उन टॅब्लेट्स को रख सके…तभी विनय को अपने पिग्गी बॅंक का ख़याल आया….जिसमे उसने पिछले एक साल से काफ़ी पैसे जोड़ कर रखे हुए थे…..उसने जल्दी से अपने पीगी बॅंक का लॉक खोला और उसमे एक टॅबलेट को छोड़ कर बाकी सब रख दी…..
क्योंकि विनय जानता था कि, उसके पिग्गी बॅंक को कोई भी हाथ नही लगाता….और वैसे भी उसके पिग्गी बॅंक के लॉक की चाबी सिर्फ़ उससे के पास रहती थी…..उसके बाद विनय ने घड़ी मे टाइम देखा तो अभी सिर्फ़ 9:30 बज रहे थे….तभी उसे बाहर से मामी और मासी शीतल की आवाज़ सुनाई दी….दोनो घर आ चुकी थी…..विनय जब रूम से बाहर निकल कर बरामदे मे आया तो, देखा किरण मामी और शीतल मासी के साथ उनके दोनो बच्चे भी आए हुए थे…..
विनय को देखते ही, पिंकी और अभी दोनो उसके पास आ गये……..”चलो भाई हाइड & सीक खेलते है…..” अभी ने विनय का हाथ पकड़ते हुए कहा….विनय का मन तो नही था. पर 12 बजने मे अभी बहुत टाइम था…..इस लिए टाइम पास तो करना ही था….”चलो फिर ऊपेर चलते है…..” विनय ने अभी की ओर देखते हुए कहा…..तो पिंकी वशाली के रूम की तरफ जाने लगी…..”मैं वशाली दीदी को भी बुला कर लाती हूँ…..” और फिर वो वशाली के रूम मे चली गयी…..थोड़ी देर बाद जब वशाली रूम से बाहर आई, तो उसके साथ रिंकी भी थी….रिंकी को देखते ही, विनय को कुछ दिन पहले हुई अलमारी वाली घटना याद आ गयी….
रिंकी बड़ी हसरत भरी नज़रों से विनय की तरफ देख कर मुस्कुरा रही थी…..अब विनय कुछ-2 लड़कियों के चेहरे के हावभाव समझने लग गया था…
15
विनय रिंकी की टीशर्ट में कसी हुई चुचियों को एक टक घुरे जा रहा था…..उसकी चुचियाँ ममता से थोड़ी ही छोटी थी……जब रिंकी ने उसे अपनी चुचियों की तरफ इस तरह घुरता हुआ पाया तो, उसने मुस्कुराते हुए धीरे-2 से वशाली के कान में कुछ कहा, तो वशाली ने भी विनय की नज़रों का पीछा काया, और फिर रिंकी की तरफ देखने लगी…..फिर दोनो एक दम से हँस पढ़ी…..विनय को समझ आ गया कि, ये दोनो उसकी बेफ़्कूफी पर हंस रही है…..इसीलिए उसने शर्मिंदा होते हुए अपने सर को झुका लिया……..
वशाली: अब ऐसे ही कबूतर की तरह खड़ा टुकूर-2 देखता रहेगा……या फिर कुछ करेगा भी…..?
वशाली ने रिंकी की कमर में कोहनी मारते हुए, विनय से कहा तो, विनय एक दम से हड़बड़ा गया…..”क्या क्या करना है…….” वशाली और रिंकी दोनो एक दूसरे की तरफ देख कर फिर से खिलखिलाने लगी…..”कुछ नही भौंदू राम…..तुम लोग ऊपेर जाकर छुपो…..सबसे पहले में टर्न देती हूँ……” वशाली ने आँखो ही आँखो से रिंकी को इशारा करते हुए कहा….
विनय: क्या बात है, आज बड़ी दयालु हो रही है तू हम सब पर……
वशाली: मेरी मरजी अब जाओ ऊपेर जाकर छुपो ना……में काउंटिंग स्टार्ट करने लगी हूँ…..
वशाली ने इतना कहा ही था कि, सब ने ऊपेर की तरफ दौड़ लगा दी….पिंकी और अभी दोनो अलग -2 कमरो में छुप गये…..जबकि विनय उसी रूम की तरफ बढ़ रहा था…..जहाँ पर वो कुछ दिन पहले रिंकी के साथ अलमारी के अंदर छुपा था…..विनय का दिल उस रूम की तरफ जाते हुए जोरो से धड़क रहा था….कारण ये था कि, रिंकी आज भी उसके पीछे-2 ही आ रही थी…..रूम में पहुँच कर, विनय ने वो अलमारी खोली, और अंदर घुस गया….तो बाहर खड़ी रिंकी ने मिन्नत भरे लहजे में कहा……”विनय में भी अंदर आ जाउ…..”
अंजू: (कातिल अदा के साथ मुस्कराते हुए) और कुछ तो नही कहा था……?
विनय: (कुछ सोच कर हकलाते हुए) हां वो वो कहा था कि, आप को कुछ काम है मुझसे इसीलिए 12 बजे आपके पास आने के लिए कहा था…..
अंजू: (होंटो पर तीखी जानलेवा मुस्कान लाते हुए…..)और कुछ नही कहा क्या……
विनय: ना नही और कुछ नही कहा….
अंजू: (मन ही मान रामू को कोसने लगी कि, रामू ने उसे सॉफ-2 क्यों नही बताया….अंजू सोच रही थी कि, अब इस चिकने लौन्डे को खुद ही अपने काम जाल मे फसाना होगा..) चल कोई ना…..फिर 12 बजे आ रहे हो ना…..
विनय: जी आ जाउन्गा…..
अंजू: (विनय के बिल्कुल करीब जाकर खड़े होते हुए….इतना करीब कि विनय के नथुनो से निकलने वाली हवा उसे अपनी ब्लाउस के ऊपेर से झाँक रही चुचियों पर महसूस होने लगी. विनय की हालत तो एक दम पतली हो गयी थी…..) ठीक है आ जाना…..मैं तुम्हारा इंतजार करूँगी….
ये कह कर जैसे ही अंजू मूडी, तो उसके ब्लाउस मे कसी हुई चुचियाँ विनय के कंधे से रगड़ खा गई……विनय का पूरा बदन झंझणा उठा…”अहह……” अंजू ने जान बुज कर सिसकते हुए विनय की आँखो मे देखा और फिर कातिल अदा के साथ मुस्कुराते हुए स्कूल के अंदर चली गयी. विनय वापिस घर की तरफ जाने लगा…..वो सारे रास्ते मे अपने ही ख्यालों मे डूबा हुआ था. जैसे ही वो घर के पास पहुचा तो उसे अपने पेंट की पॉकेट मे पढ़ी हुई व्याग्रा टॅब्लेट्स का ख़याल आया……उसका दिल जोरो से धड़क रहा था…..
कि कही मामी की नज़र उसकी पेंट की फूली हुई जेब पर ना पड़ जाए….विनय ने डरते हुए डोर बेल बजाई, तो थोड़ी देर बाद वशाली ने गेट खोला…..विनय ने अंदर आते हुए वशाली से पूछा, “वशाली मामी जी कहाँ है…..”
वशाली: वो अभी शीतल बुआ के घर पर गयी है….
जैसे ही विनय ने सुना कि मामी घर पर नही है, तो उसकी जान मे जान आई…..वो जल्दी से अपने रूम की तरफ चला गया…..रूम मे पहुच कर वो ऐसी जगह तलाश करने लगा. जहाँ पर वो उन टॅब्लेट्स को रख सके…तभी विनय को अपने पिग्गी बॅंक का ख़याल आया….जिसमे उसने पिछले एक साल से काफ़ी पैसे जोड़ कर रखे हुए थे…..उसने जल्दी से अपने पीगी बॅंक का लॉक खोला और उसमे एक टॅबलेट को छोड़ कर बाकी सब रख दी…..
क्योंकि विनय जानता था कि, उसके पिग्गी बॅंक को कोई भी हाथ नही लगाता….और वैसे भी उसके पिग्गी बॅंक के लॉक की चाबी सिर्फ़ उससे के पास रहती थी…..उसके बाद विनय ने घड़ी मे टाइम देखा तो अभी सिर्फ़ 9:30 बज रहे थे….तभी उसे बाहर से मामी और मासी शीतल की आवाज़ सुनाई दी….दोनो घर आ चुकी थी…..विनय जब रूम से बाहर निकल कर बरामदे मे आया तो, देखा किरण मामी और शीतल मासी के साथ उनके दोनो बच्चे भी आए हुए थे…..
विनय को देखते ही, पिंकी और अभी दोनो उसके पास आ गये……..”चलो भाई हाइड & सीक खेलते है…..” अभी ने विनय का हाथ पकड़ते हुए कहा….विनय का मन तो नही था. पर 12 बजने मे अभी बहुत टाइम था…..इस लिए टाइम पास तो करना ही था….”चलो फिर ऊपेर चलते है…..” विनय ने अभी की ओर देखते हुए कहा…..तो पिंकी वशाली के रूम की तरफ जाने लगी…..”मैं वशाली दीदी को भी बुला कर लाती हूँ…..” और फिर वो वशाली के रूम मे चली गयी…..थोड़ी देर बाद जब वशाली रूम से बाहर आई, तो उसके साथ रिंकी भी थी….रिंकी को देखते ही, विनय को कुछ दिन पहले हुई अलमारी वाली घटना याद आ गयी….
रिंकी बड़ी हसरत भरी नज़रों से विनय की तरफ देख कर मुस्कुरा रही थी…..अब विनय कुछ-2 लड़कियों के चेहरे के हावभाव समझने लग गया था…
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विनय रिंकी की टीशर्ट में कसी हुई चुचियों को एक टक घुरे जा रहा था…..उसकी चुचियाँ ममता से थोड़ी ही छोटी थी……जब रिंकी ने उसे अपनी चुचियों की तरफ इस तरह घुरता हुआ पाया तो, उसने मुस्कुराते हुए धीरे-2 से वशाली के कान में कुछ कहा, तो वशाली ने भी विनय की नज़रों का पीछा काया, और फिर रिंकी की तरफ देखने लगी…..फिर दोनो एक दम से हँस पढ़ी…..विनय को समझ आ गया कि, ये दोनो उसकी बेफ़्कूफी पर हंस रही है…..इसीलिए उसने शर्मिंदा होते हुए अपने सर को झुका लिया……..
वशाली: अब ऐसे ही कबूतर की तरह खड़ा टुकूर-2 देखता रहेगा……या फिर कुछ करेगा भी…..?
वशाली ने रिंकी की कमर में कोहनी मारते हुए, विनय से कहा तो, विनय एक दम से हड़बड़ा गया…..”क्या क्या करना है…….” वशाली और रिंकी दोनो एक दूसरे की तरफ देख कर फिर से खिलखिलाने लगी…..”कुछ नही भौंदू राम…..तुम लोग ऊपेर जाकर छुपो…..सबसे पहले में टर्न देती हूँ……” वशाली ने आँखो ही आँखो से रिंकी को इशारा करते हुए कहा….
विनय: क्या बात है, आज बड़ी दयालु हो रही है तू हम सब पर……
वशाली: मेरी मरजी अब जाओ ऊपेर जाकर छुपो ना……में काउंटिंग स्टार्ट करने लगी हूँ…..
वशाली ने इतना कहा ही था कि, सब ने ऊपेर की तरफ दौड़ लगा दी….पिंकी और अभी दोनो अलग -2 कमरो में छुप गये…..जबकि विनय उसी रूम की तरफ बढ़ रहा था…..जहाँ पर वो कुछ दिन पहले रिंकी के साथ अलमारी के अंदर छुपा था…..विनय का दिल उस रूम की तरफ जाते हुए जोरो से धड़क रहा था….कारण ये था कि, रिंकी आज भी उसके पीछे-2 ही आ रही थी…..रूम में पहुँच कर, विनय ने वो अलमारी खोली, और अंदर घुस गया….तो बाहर खड़ी रिंकी ने मिन्नत भरे लहजे में कहा……”विनय में भी अंदर आ जाउ…..”
प्यास बुझाई नौकर से Running....कीमत वसूल Running....3-महाकाली ....1-- जथूराcomplete ....2-पोतेबाबाcomplete
बन्धन
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दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
मगर आप जैसे दोस्त नसीब वालों को मिलते हैं!
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तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
मगर आप जैसे दोस्त नसीब वालों को मिलते हैं!
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Re: चूत देखी वहीं मार ली
उसके होंटो पर मासूम सी स्माइल थी……विनय ने हां में सर हिलाया तो, रिंकी जल्दी से उस अलमारी में घुस गयी……अलमारी में घुसते ही, विनय ने जैसे ही अलमारी के डोर को बंद किया, तो, रिंकी ने उसी दिन की तरह ही, अपनी स्कर्ट को आगे से ऊपेर उठा लिया….ताकि वो अपने मुनिया का संगम उसके बलमा यानी विनय के लंड से करवा सके….जैसे ही डोर बंद हुआ, तो अंदर एक दम अंधेरा छा गया……दोनो एक दूसरे की तरफ मूह करके आमने सामने खड़े थे…..दोनो की साँसे एक दूसरे के चेहरे पर टकरा रही थी…..”आहह यहाँ खड़ा होना सच में बहुत मुस्किल है….” रिंकी ने अपने दोनो हाथो को विनय के कंधे पर रखते हुए कहा…
रिंकी को अपने इतना करीब पाकर विनय का दिल भी जोरो से धड़क रहा था….रिंकी बदन से उठ रही भीनी-2 मादक खुसबु उसे दीवाना बनाए जा रही थी…..दोनो अंधेरे में ही एक दूसरे के आँखो में झाँकने के कॉसिश कर रहे थे…..जब रिंकी को अपनी जाँघो के बीच इस बार विनय के लंड का दबाव महसूस नही हुआ, तो उसने अपनी टाँगो को खोल कर अपनी चूत को विनय की पेंट के ऊपेर से लंड वाले हिस्से पर धीरे-2 रगड़ना शुरू कर दिया…..इतना धीरे कि विनय को अंदाज़ा लगाना भी मुस्किल हो रहा था कि, रिंकी ये सब जानबूझ कर कर रही है…..या फिर जगह तंग होने के कारण वो सही से खड़े नही हो पा रही…….
पर जो भी था, रिंकी की पेंटी में कसी हुई चूत की तपिश उसके लंड तक ज़रूर पहुँच गयी थी……जिसके कारण उसका लंड उसकी पेंट में अब धीरे-2 खड़ा होने लगा था….विनय को भी लगने लगा था कि, रिंकी भी उसकी तरह वासना की आग में जल रही है….उसने हिम्मत करते हुए और अंज़ान बनते हुए अपना एक हाथ उसकी कमर पर रख दिया…..जैसे ही रिंकी को विनय का हाथ अपनी कमर पर महसूस हुआ, तो रिंकी के बदन में सिहरन से दौड़ गयी…..उसने अपनी पैंटी के ऊपेर से चूत पर विनय का तना हुआ लंड रगड़ ख़ाता हुआ महसूस होने लगा था…
दोनो कुछ देर चुप रहे…..दोनो की साँसे धौंकनी की तरह तेज चल रही थी…..रिंकी की चूत से पानी रिस-2 कर उसकी पेंटी को गीला करने लगा था…..यही हाल विनय का भी था…उसका लंड तो मानो जैसे बागवत पर उतर आया था….वो पेंट फाड़ कर रिंकी की चूत में घुस जाना चाहता था….और रिंकी की चूत भी विनय के लंड को अपने अंदर महसूस करने के लिए धुनकने लगी थी…..और फिर जब मदहोश होकर विनय ने अपना दूसरा हाथ भी रिंकी की कमर पर रखा. तो रिंकी एक दम से सिसकते हुए विनय से एक दम चिपक गये……
उसकी गोल-2 चुचियाँ विनय की चेस्ट में दब से गयी…..लंड रिंकी की चूत पर पैंटी के ऊपेर से अंदर जाने के लिए दबाव बढ़ाता जा रहा था…..”श्िीीईईईईईई विनय…….” रिंकी ने सिसकते हुए, जैसे ही अपनी कमर को हिलाते हुए अपनी चूत को उसके लंड पर रगड़ा तो, मानो जैसे विनय पर कहर बरस गया हो….विनय के लंड ने झटके खाते हुए अपना लावा उगलना शुरू कर दिया….उसकी साँसे उखाड़ने लगी थी…..
और फिर धीरे-2 उसका लंड सिकुड़ने लगा……एक अजीब सी शर्मिंदगी उसके दिल दिमाग़ पर हावी होने लगी थी……झड़ने के बाद पता नही क्यों अब उसका और मन नही था….वहाँ खड़े रहने का….उसने अलमारी का डोर खोला, और बाहर आ गया…..रिंकी भी अपनी स्कर्ट ठीक करते हुए उसके पीछे बाहर आ गयी……रिंकी को भी विनय की हालत का कुछ-2 अंदाज़ा हो गया था. “क्या हुआ विनय बाहर क्यों आ गये…..” रिंकी ने जब विनय को सर झुकाए देखा तो, उसने विनय से पूछा……”क क कुछ नही……मेरा मन नही है…..खेलने का…..”
तभी रिंकी की नज़र विनय के पेंट पर पड़ी, जो उसके वीर्य के कारण आगे से गीली हो चुकी थी……..”हाईए इसका तो इतनी जल्दी हो गया…….फट्टू साला……” रिंकी ने मन ही मन विनय को गाली दी….क्योंकि, विनय ने उसे मज़धार में ही छोड़ दिया था….वो कामवासना की आग में सुलग रही थी……और मन ही मन विनय को कोस रही थी…..इतने में वशाली भी आ गयी…..इससे पहले कि वशाली कुछ बोलती, विनय रूम से बाहर चला गया….विनय को इस तरह गुस्से से बाहर जाता देख, वशाली ने रिंकी से पूछा…….
वशाली: क्या हुआ रिंकी, विनय इतने गुस्से में बाहर गया है क्यों……?
रिंकी: (एक घमंडी मुस्कान होंटो पर लाते हुए…..) हूँ कुछ नही…….तेरा भाई दो मिनट भी नही टिक पाया…..सारा मज़ा किरकिरा कर दया…..पेंट में ही लीक हो गया उसका…..
वशाली: श्िीीईई धीरे बोल….पागल है तू भी….अभी उसकी उम्र ही क्या है……
रिंकी: पर इतनी जल्दी…..मुझे तो लगता है…..तेरा भाई नमार्द है……
वशाली: देख रिंकी अगर आज के बाद तूने विनय के बारे में ऐसा कुछ बोला तो, मुझसे बुरा कोई ना होगा…..
रिंकी: ठीक है……में भी आज के बाद तुमसे कोई बात नही करूँगी…..में जा रही हूँ…..
रिंकी और वशाली दोनो इस बात से अंज़ान थी कि, विनय रूम के बाहर खड़ा छुप कर उनकी बातें सुन रहा है…..एक बार तो उसे वशाली पर इतना गुस्सा आया कि, वो अभी जाकर उसके मूह पर थप्पड़ मार दे….पर वशाली ने उसकी साइड ली थी…..जिसके कारण उसका गुस्सा थोड़ा ठंडा ज़रूर हो गया था……विनय वापिस नीचे चला गया…..और अपने रूम में जाकर एक हाफ पेंट ली, और बाथरूम में घुस गया…..उसने उस धब्बे को सॉफ किया, और फिर हाफ पेंट पहनी और उसमे से व्याग्रा की टॅबलेट निकाल कर अपने शॉर्ट्स के पॉकेट में रख ली…..
उसके मन में अजीब तरह का डर घर कर गया था…….कि कही अगर अंजू के पास जाकर भी उसके साथ ऐसा ही हुआ तो, कही वो भी उसका मज़ाक ना उड़ाए….पर रामू की कही हुई बात उसे याद थी…..कि इस टॅबलेट को खाने से क्या होता है….रिंकी अपने घर जा चुके थी…..11 बज चुके थे…..विनय ने पहले से ही अपने रूम में पानी की बॉटल रखी हुई थी….उसने जब देखा कि सब लोग बाहर बरामदे में बैठे है, तो उसने व्याग्रा की टॅबलेट खा ली…फिर बाहर आकर अपनी मामी के पास बैठ गया…..और 12 बजने का वेट करने लगा…..
पर बाहर जाने के लिए भी तो कोई ना कोई बहाना तो लगाना ही था……पर विनय जानता था कि, उसकी मामी इतनी तेज धूप में उसको घर से बाहर आसानी से नही जाने देगी….विनय ने करीब 10 मिनट तक काफ़ी तरह के बहाने सोचे…..फिर आख़िर कार उसके दिमाग़ में कुछ आया तो वो अपनी मामी से बोला……
विनय: मामी वो मुझे आकाश के घर जाना है…..
किरण: आकाश कॉन आकाश…..
विनय: मेरे क्लास में…..सुबह जब में मासी को छोड़ कर आ रहा था….तब मुझे अपनी मम्मी के साथ मिला था रास्ते में…..उसकी मम्मी बोल रही थी कि, तुम आकाश को आकर इंग्लीश का होमे वर्क करवा देना……
किरण: तो शाम को चले जाना……इतनी धूप में क्यों जाना है…..?
विनय: वो मामी उसका होमवर्क बहुत पीछे चल रहा है…..इसीलिए……
किरण: अच्छा चले जाना…..पर बाहर मत घूमना ज़्यादा….जा पहले कुछ खा ले…..
विनय: नही मामी में आकर खा लूँगा….
किरण: देख ज़िद्द नही करते…..पता नही वहाँ तुझे कितना टाइम लगे….चल बैठ रसोई में अंगूर रखे है……में लाकर देती हूँ…..
विनय: जी मामी…….
किरण उठ कर किचन में गयी…..और एक प्लेट में अंगूर डाल कर ले आई…..विनय ने अंगूर खाए…तो देखा कि, 12 बजने में सिर्फ़ 15 मिनट बचे है….विनय ने अपनी एक कॉपी और इंग्लीश की बुक उठाई और घर से बाहर आ गया…..स्कूल तो 5 मिनट की दूरी पर ही था….धूप इतनी तेज थी कि, गली एक दम सुनसान थी…..कोई भी बाहर नज़र नही आ रहा था…विनय अपनी गली से बाहर आ चुका था…..सामने ही स्कूल था….और जैसे ही वो स्कूल के गेट के सामने पहुँचा तो, उसने देखा कि स्कूल का छोटा गेट थोड़ा सा खुला हुआ था……
और अंदर की तरफ एक छोटे टेबल पर अंजू बैठी हुई बाहर की तरफ देख रही थी……उसने फरोज़ी कलर के साड़ी पहनी हुई थी…..जैसे ही उसने विनय को स्कूल के गेट के सामने देखा तो, उसने जल्दी से खड़े होकर गेट खोला और विनय को अंदर आने का इशारा काया…..विनय ने गली में दोनो तरफ देखा……गली में उस समय कोई भी ना था……विनय जल्दी से स्कूल के अंदर चला गया…..जैसे ही विनय अंदर गया….अंजू ने गेट बंद किया……
और फिर विनय की तरफ पलट कर मुस्कुराते हुए बोली…..”बड़े टाइम पर आ गये हो…..नही तो मुझे यहाँ गरमी में बैठना पड़ता…..चलो अंदर चलते है….” ये कह कर अंजू स्कूल की बिल्डिंग के पीछे बने हुए अपने रूम्स की तरफ जाने लगी…..अंजू के पीछे चलते हुए विनय का दिल जोरो से धड़क रहा था…..उसे अभी भी यकीन नही हो रहा था कि, क्या जो रामू ने उससे कहा है, वो सही है….आगे चल रही अंजू की मोटी मटकती हुई गान्ड को देख कर विनय के लंड में हलचल होने लगी थी…..धूप बहुत तेज थी….इसीलिए अंजू तेज़ी से चलते हुए कमरो की तरफ जा रही थी…..
उसने रूम के सामने पहुँच कर रूम का डोर खोला, और विनय को अंदर आने का इशारा करते हुए, रूम के अंदर चली गये….विनय भी उसके पीछे रूम में आ गया…..
टू बी कंटिन्यू....................
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