अनाड़ी खिलाड़ी
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Re: अनाड़ी खिलाड़ी
मन्मथ और मनीषा इस धमाके से चौंक जाते हैं। जल्दी से अपने कपड़े ठीक करते हैं और आवाज़ की और जाने लगते हैं। वो देखते है की पार्टी में से लोग बाहर आ रहे थे धमाके की आवाज़ से। मन्मथ आगे बढ़ता है जहां धमाका हुआ था उस जगह। उसे एक जलती हुई गाड़ी दिखाई देती है जो की उसके घर के सामने पार्क की गयी होती है। गाड़ी में धमाका इतना ज़ोर का था की उनके एरिया का ट्रान्स्फ़ोर्मर भी गाड़ी के ऊपर गिर गया था। वहाँ जाके देखता है तो उसके पड़ोसी राजपूत अंकल और उनकी वाइफ़ दोनों कार में पड़े थे। तभी उसके पापा की आवाज़ आई "अरे कोई जल्दी से पानी लाओ और यह आग बुझाने का इंतेजाम करो। फायर ब्रिगेड को फोन करो।" वो और मन्मथ जल्दी से पास पड़ी मिट्टी डालने लगे गाड़ी पर। लेकिन आग इतनी ज्यादा हो गयी थी की अब कुछ करना मुश्किल था। रोने और चिल्लाने की आवाज़े आ रही थी उस तरफ मन्मथ देखता है तो रति को ऐसे रोता देख कर उसके भी आँसू आ जाते है। आशका रति को संभाल रही थी लेकिन उस पर कोई असर नहीं हो रहा था। आशका मन्मथ को आंखो से इशारा कर के अपने पास बुलाती है। मन्मथ के पास जाते ही रति उस से लिपट जाती है और दहाड़े मार कर रोने लगती है। मन्मथ उसको अलग ले कर गार्डेन की और जाने लगता है उसके साथ मनीषा और आशका भी जाने लगते है। फायर ब्रिगेड और पुलिस दोनों आते है 10 मिनट बाद लेकिन तब तक सब कुछ खत्म हो चुका था।
दूसरे दिन पुलिस अभिमन्युसिंह को इन्फॉर्म करती है की शायद ब्लास्ट सीएनजी किट फोल्टी होने से हुआ होगा, लेकिन उन्हे और इन्वैस्टिगेशन करनी पड़ेगी। कुछ दिन ऐसे ही बीत जाते है। अब रति मन्मथ के यहाँ पर रहेने लगी थी क्यों की उनके कोई दूसरे रिश्तेदार नहीं थे और जो थे उन्होने रिश्ता तोड़ लिया था रति के माँ बाप की लव मैरेज के बाद। सो कुल मिला कर अब मन्मथ की फॅमिली ही रति का सब कुछ थी। रति के पिता घर, बिज़नस और काफी सारी दूसरी प्रॉपर्टि छोड़ गए थे जिस की वजह से फाइनांशीयली तो उसे कोई तकलीफ नहीं होनी थी। इमोशनली वो बहुत टूट गयी थी और अभिमन्युसिंह की सख्त हीदायत थी आशका और मन्मथ को की उसे हर हाल में खुश रखें। दोनों कोशिश भी येही करते थे की उसे कोई तकलीफ ना हो। लेकिन अब मन्मथ और आशका दोनों को दूसरे शहर कॉलेज में पढ़ने जाना था और रति वहाँ पर अकेली रहेना नहीं चाहती थी। मन्मथ और आशका के कहेने पर अभिमन्युसिंह ने रति का एड्मिशन भी उसी शहर के एक बड़े स्कूल में करवा दिया। और तीनों को एक घर ले कर दिया ताकि उन्हे वहाँ हॉस्टल में रहेना ना पड़े। एक नौकरनी का भी इंतेजाम कर दिया जो की उनका खाने पीने का और दूसरी जरूरतों का ध्यान रख सके। मन्मथ ने इंजीन्यरिंग में दाखिला लिया था और आशका ने फार्मसी में। मनीषा को भी उसके पापा ने अपने पैसो के ज़ोर पर मन्मथ के ही कॉलेज में एड्मिशन करवा दिया था। मनीषा भी उसी घर में रहेने लगी थी। चारों के पास अपने अपने वेहिकल थे और एक कार दे रखी थी अभिमन्युसिंह ने ताकि उनलोगों को दूसरी कोई तकलीफ ना हो। धीरे धीरे उन लोगो का रूटीन सेट होने लगा था। मन्मथ सुबह सुबह 5 बजे उठ के रनिंग करने जाता और बाद में घर में ही लाइट एक्सेसइज़ कर ने लगता। 6/6:30 बजे तक तीनों लड़कियां भी उठ जाती और अपने अपने स्कूल/कॉलेज जाने की तैयारी करने लगती। रति अभी भी उस हादसे को भुला नहीं पायी थी। तीनों अपने से होती हर कोशिश कर रहे थे की रति कभी उदास ना हो। लेकिन रति अभी तक अपने माँ बाप को भुला नहीं पायी थी। हालांकि मन्मथ के करीब आ के और उस के साथ एक ही छत के नीचे रहेने से अच्छा लग रहा था। पर अभी वो रोमैन्स के मूड में नहीं थी। उन लोगों की ज़िंदगी ऐसे ही चली जा रही थी। इसी तरह से 3 महीने गुज़र जाते है।
और एक दिन...…
वो तेज़ी से एक सुनसान अंधेरी गली से भाग रही थी, उसका दिल ज़ोरों से धडक रहा था। उसे मौत का दर नहीं था पर वो लोग उसके साथ क्या करेंगे अगर पकड़ लिया तो वो डर था। रति यह सोच कर और तेज़ दौड़ने लगती है। वो उन कमीनों की गिरफ्त में नहीं आना चाहती है।
“रुक जा कुतिया तुम मुझ से बच कर नहीं जा सकती" उसके पीछे भागते आदमी ने आवाज़ दी। वो किसी भी हालत में उसे पकड़ना चाहता था। यह बसित खान था जो शहर का एक नामी गुंडा था। वो एक लंबा चौड़ा और बहुत ही काला इंसान था। उसके काले कारनामे पूरा शहर जानता था। वो हर किस्म का गलत काम करता था जुआ, दारू, ड्रग्स, लड़की सप्लाइ करना हर तरह के काम करता था और पुलिस भी उसके आगे कुछ नहीं कर पाती थी। लोगो को टोर्चर करना उसका शौक था।
“भाई रुक जाओ थोड़ा सा। सांस लेने दो। मेरी धड़कने तेज़ हो गयी है। " उसके पीछे हाँफते हुए एक आदमी ने कहा। वो लाला था जो की बसित का दाहिना हाथ था। और उसके हर काले कामो का राज़दार था।
“जब तक मैं मेरा बदला नहीं ले लेता तब तक मैं नहीं रुकूँगा। जल्दी कर भोसड़ीवाले वो भाग रही है।"
“मैं थक गया हूँ भाई। अब नहीं दौड़ा जाता। "
“अगर तुम ज़िंदा रहेना चाहते हो तो भागो वरना" कह कर उसे अपनी बंदूक दिखाता है। बसित की भी हालत खराब थी। वो भी तेज़ भागने की कोशिश कर रहा था पर उसके गोटियो में जबरदस्त दर्द हो रहा था जो की रति के एक किक का नतीजा था। इसलिए वो ज्यादा तेज़ नहीं भाग पा रहा था।
लाला अपने कमरे में सिगरेट पी रहा था तभी उसे एक चीख सुनाई दी और दरवाजा ज़ोर से बंद होने की आवाज़ आई। वो अपने बॉस के कमरे में गया तो उसे दोनों हाथों से अपना लंड पकड़ कर ज़मीन पर कराहते हुए पाया। रति ने बसित को अपने जाल में फंसा लिया था और उसे यकीन दिला दिया था की वो उस जैसे किसी मर्द के ही इंतज़ार में ही थी। और वो सब कुछ करेगी जो बशीत चाहता है। जैसे ही उसने रति के बंधन खोले उसने अपनी सारी ताकत लगा का उसे दोनों पैरो के बीच में ज़ोर से लात मारी और दरवाजा खोल कर भाग गयी। बसित दर्द के मारे दोहरा हो कर ज़मीन पर गिर गया उसे ऐसा लग रहा था की जैसे उसके अंडे फूट गए हो। वो कराह रहा था "साली रांड इसका बदला तुझे चुकाना पड़ेगा" जाते जाते रति ने यह सुन लिया और उसके शरीर में डर की एक सरसराहट फ़ेल गयी। बसित के आवाज़ में रहा गुस्सा और बदला लेने की चाहत ने उसके और ज्यादा डरा दिया था। वो उसके साथ क्या करेगा सोचा कर ही उसके घिन्न आ रही थी। मार, सुलगती हुई सिगरेट, ठंडा पानी वगैरा तो कुछ नहीं था जो की उसने बसित की आंखो में महसूस किया था जब वो उसको सिड्यूस कर रही थी। उसकी आंखो में एक वहशत भरी हवस देखि और उसके पेंट में बना हुआ तम्बू देख कर रति घबरा गयी थी। उसे पता था अगर वो इन लोगो के हाथ में आ गयी तो उसका बलात्कार तो करेंगे ही पर जान से भी मार डालेंगे। और वो मर जाना पसंद करेगी अपने मन्मथ के अलावा किसी और की होने के बजाय।
लाला यह देख कर हैरान था की इतनी चोट लगने के बावजूद बसित भागा जा रहा था। करीबन 2 किलोमीटर तक वो लोग दौड़े थे रति के पीछे। सरदियों की यह रात थी। सब लोग अपने घरो में दुबके पड़े थे और रास्ते भी सुनसान थे। सर्दियों की वजह से पुलिस भी गश्त नहीं लगा रही थी। जिसने बसित का काम आसान कर दिया था। अगर बसित दर्द में नहीं होता तो अभी तक तो उसने लड़की को पकड़ लिया होता और अपनी मनमानी कर चुका होता। बसित का एगो हर्ट हो गया था। एक चुहिया जैसी लड़की ने उसे धूल चटा दी थी। वो उसे जल्द से जल्द पकड़ कर ऐसी सज़ा देना चाहता था की पूरी जिंदगी वो लड़की याद रखे।
रति भी अपनी इज्ज़त दांव पर लगी देख कर भागे जा रही थी। उसके शरीर पर जगह जगह चोट के निशान थे। रति ने अभी भी वही कपड़े पहेने थे जिसमे इन लोगो ने उसको किडनैप किया था। स्लीव्लेस टीशर्ट जो की मुश्किल से उसके नाभि तक पहुँच रही थी, जीन्स और हील वाले सेंडल्स। भागने की वजह से उसकी टी शर्ट पसीने से भीग गयी थी। वो खुद भी पसीने से तरबतर हो गयी थी। लेकिन उस कोई परवाह नहीं थी। वो बस अपना पीछा छुड़ाना चाहती थी इन लोगो से। उसे यह भी नहीं पता था की उसे किडनैप क्यो किया गया है। लेकिन उसने अपना दिमाग लगाया और जो उसे लगा की बॉस है, उसे अपनी अदाओ के जाल में फसा कर चकमा दे कर भाग आई थी।
अपने पीछे कदमो की आहात तेज़ होते सुन वो और तेज़ भागने लगी। उसके एक कार पार्क की हुई दिखाई दी जिस की लाइट चालू थी। उसे कुछ उम्मीद जागी और वो रुक कर कार में देखती है लेकिन वहाँ कोई नहीं होता वो निराश हो जाती है। उसका पूरा बदन दर्द कर रहा था वो कहाँ है यह भी नहीं पता था। उसे बस इन लोगों से दूर जाना था। वो सिर्फ मन्मथ के बारे में ही सोच रही थी। और अपने आप को कोस रही थी जब मन्मथ ने इतनी रात को अपनी फ्रेंड से मिलने जाने को माना किया था। और वो ज़िद कर के अकेली मिलने चली गयी। वो मूड कर रोड क्रॉस करने के लिए बढ़ती है की उसे सामने से एक लाइट जलती हुई दिखाई देती है और वो आखरी चीज़ थी जो उसे दिखी और फिर उसकी आंखो के सामने अंधेरा छा गया और वो धम्म से ज़मीन पर गिर गयी।
मन्मथ और आशका रति को ढूँढने निकले थे। देर तक रति के ना आने से आशका ने रति को कॉल किया पर उसका मोबाइल बंद बता रहा था इसी लिए आशका ने घबरा कर मन्मथ को बताया की अभी तक रति नहीं आई है और दोनों मनीषा को घर पे छोड़ कर उसको ढूँढने निकाल पड़े। मनीषा भी आना चाहती थी लेकिन उन लोगो ने माना कर दिया ये बोल कर की अगर उनके जाने के बाद रति आ गयो तो किसी को तो घर पर होना चाहिए।
मन्मथ गाड़ी ड्राइव कर रहा था "मुझे ये समझ नहीं आता इतनी देर को उसको अपनी फ्रेंड से क्या काम था।"
आशका: तुम यह नहीं समझोगे। हम लड़कियां ऐसी ही होती हैं।
मन्मथ: पागल सब की सब पागल।
आशका: बस अब चुपचाप ड्राइव करो। उसने कहा था वो एमजी रोड पर रहेती है।
मन्मथ: हाँ वही ले जा रहा हूँ।
एमजी रोड पहुँच कर मन्मथ गाड़ी रोकी और आशका ने नीचे उतार कर मन्मथ को देखा। मन्मथ में इन तीन महीनो में काफी चेंज आया था लेकिन अभी भी वो लड़कियों से बात करने में शरमाता था। तीनों लड़कियां उसे इसी बात पे चिढ़ाती थी। आशका, रति और मनीषा की बात अलग थी उन के साथ मन्मथ को कोई प्रोब्लेम नहीं होती थी। आशका: मैं पूछ कर आती हूँ।
(5 मिनट बाद आशका आती है) “वो तो यहाँ से 9 बजे ही निकाल गयी थी अपनी स्कूती ले कर। "
मन्मथ: अब क्या करे। उसका फोन भी तो नहीं लग रहा। पुलिस में कम्प्लेंट करनी है?
आशका: पापा को बता दें?
मन्मथ: अरे नहीं। पापा को क्यों परेशान करना। हम लोग थोड़ा ढूंढते हैं अगर फिर भी नहीं मिली तो पापा को पूछ कर पुलिस कम्प्लेंट कर देंगे।
आशका: जैसा तुम ठीक समझो।
मन्मथ: चलो फिर। (वो कार स्टार्ट कर देता है।)
आशका: तुम्हें पता है रति तुमसे बहुत प्यार करती है।
मन्मथ: (थोड़ा मुस्कुरा कर) हा पता है।
आशका: कब से?
मन्मथ: पार्ट के दो दिन पहेले मैं उस के घर गया था घर की चाबी मोम वहाँ छोड़ गयी थी। तब पता चला। उसने अभी बताया नहीं है…
आशका: हे भगवान कैसा लड़का है। अब प्रपोज़ भी लड़की करेगी तुमको?
मन्मथ: अरे वो अभी नादान है। उसकी उम्र नहीं है यह सब करने की। इसी लिए मैं भी प्रपोज़ नहीं कर रहा।
आशका: वाह वाह। तुम करोगे खानदान का नाम रोशन। जूनियर पापा (बोल कर वो ज़ोर से हंस देती है)
मन्मथ: मैं इस लिए कह रहा हूँ क्यों की प्यार में एक ताक़त होती है। जो की आप को बना भी सकती है और बर्बाद भी कर सकती है।
आशका: प्यार बर्बाद कैसे कर सकता है?
मन्मथ: देखो अभी हम लोगो की पढ़ने लिखने की उम्र है। अगर हम अभी से प्यार व्यार के चक्कर में पड़ गए तो पढ़ाई लिखाई धारी की धारी रहे जाएगी। हम लोगो को एक दूसरे के अलावा दूसरी किसी चीज़ के मतलब नहीं रहे जाएगा। इस लिए अभी यह सब करने का टाइम नहीं आया है।
आशका: इंट्रेस्टिंग पॉइंट। ऐसा तो मैंने कभी नहीं सोचा। (थोड़ा सख्ती से) और मनीषा के साथ तुम्हारा क्या सीन है? वो बता रही थी तुम लोग बहुत आगे बढ़ गए थे पार्टी में।
मन्मथ: मैं हीट ऑफ दी मोमेंट में थोड़ा बहक गया था।
प्यास बुझाई नौकर से Running....कीमत वसूल Running....3-महाकाली ....1-- जथूराcomplete ....2-पोतेबाबाcomplete
बन्धन
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दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
मगर आप जैसे दोस्त नसीब वालों को मिलते हैं!
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बन्धन
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Re: अनाड़ी खिलाड़ी
आशका: (ज़ोर से हंस देती है) हीट ऑफ दी मोमेंट माइ फूट। तुम्हें पता होना चाहिए कौन तुम्हें प्यार करता है और कौन यूज़ कर रहा है। तुम अब बच्चे नहीं रहे। एक बड़े बिज़नस मेन के बेटे हो। स्मार्ट और हैंडसम हो। ऐसी कई लड़कियां तुम्हारे आगे पीछे घूमेगी जिसका मकसद सिर्फ तुम्हारे करीब आ कर तुम्हारी दौलत पाना होगा।
मन्मथ: मुझे पता है। मैं बेवकूफ़ नहीं हूँ।
आशका: मैं तुम्हें इस लिए कह रहो हूँ की मुझे तुम्हारी फिक्र है और लड़की होने के नाते मुझे पता है की हम लोगो के पास ऐसी ताकत होती है की हम चाहे तो मर्दो को अपनी उँगलियों पर नाच नचाएँ।
आशका: लोग कहेते हैं औरत की खूबसूरती और उसका जिस्म उसका सबसे बड़ा हथियार होती है। जिसको यह यूज़ करना आ गया वो बहुत आगे बढ़ जाती है। अब फिल्मों की हेरोइनों को ही देख लो। अपने जिस्म की नुमाइश कर कर के करोड़ो अरबों रुपए कमा लेती है। उम्र ढलने से पहेले किसी बड़े बिसनेस् मेन को पटा कर शादी कर अपना भविष्य सुरक्षित कर लेती है।
मन्मथ उसकी बात सुन कर अपना सर हाँ में हिलाता है और सोचने पर मजबूर हो जाता है। कॉलेज में लड़कियां उसका पीछा हि नहीं छोडती। किसी ना किसी बहाने उसके पास आने की कोशिश करती रहेती थी। उसके उनके प्यार के प्रोपोसल के ठुकराने के बावजूद उस से नजदीकीया बढ़ाने की कोशिश करती रहती थी। मन्मथ इसी सोच में था और गाड़ी चला रहा था और अचानक उसने किसी साये को आते देखा और ज़ोर से ब्रेक मारता है। लेकिन तब तक उस साये से गाड़ी की टक्कर हो ही जाती है।
“हे भगवान तुम्हें लगता है यह ठीक हो जाएगी?” - आशका
“मेरी गाड़ी का एक्सिडेंट भी इसी से होना था?” - मन्मथ
“यह कोई भी हो सकता था। शुक्र मानो भगवान का की रति की हमारी गाड़ी से टक्कर हुई वरना हम इसे पूरी रात ढूंढते है रहेते" - आशका
“नहीं यह सब मेरी ही गलती है। में ख़यालों में इतना खो गया था की मुझे याद ही नाही रहा की मैं गाड़ी चला रहा हूँ। " - मन्मथ
“अपने आप को सारा दोष मत दो। ना ही मैं यह सब बात करती और नाही तुम उलझन में पड जाते"
वो दोनों शांत हो कर बैठ गए और डॉक्टर का इंतज़ार करने लगे। डॉक्टर रूम में रति को चेक कर रहे थे। आशका मन्मथ को देखती है और उसको काफी टेंशन में पाती है। जैसे कोई अपना सब कुछ खोने की कगार पर हो वैसा लग रहा था मन्मथ। आशका उसका हाथ अपने दोनों हाथो में लेती है और अपना सर उसके कंधे पर रख देती है और बोलती है "चिंता मत करो। सब ठीक हो जायेगा।" इसी तरह बैठे बैठे दोनों सो जाते हैं।
उन दोनों की आंखे सुबह की चहल पहल से खुलती है। रात की नर्सेस अपनी शिफ्ट खत्म कर के जा रही थी और सुबह वाली अपनी शिफ्ट जॉइन कर रही थी। उनकीबातों की आवाज़ से दोनों की नींद खुल जाती है। “मैं चाय और कुछ खाने का ले के आता हूँ” बोल कर मन्मथ बाहर कैंटीन की और चला जाता है। उसके जाने के कुछ देर बाद एक डॉक्टर आशका के पास आता है आशका उस से पूछती है “कैसी है रति अब”
डॉ: वो ठीक हो जाएगी।
आशका: थेंक गोड।
डॉ: लेकिन हमे उसे कुछ समय तक यहाँ हॉस्पिटल में निगरानी में रखना होगा।
आशका: ओके डॉ। पर उसने कुछ बताया?
डॉ: आप को उसकी चोट का अंदाज़ा नहीं है। अभी वो बोल सके ऐसी हालत में नहीं है।
आशका: सोर्री डॉ। मुझे बहुत चिंता हो रही थी इसी लिए पूछा।
डॉ: मैं समझ सकता हूँ। (डॉ जा कर अपना काम करने लगता है। और मन्मथ वापस चाय और बिसकुट ले कर आता है।)
आशका उसको डॉ से हुई बात बताती है। और उसे घर जाने को कहेती है। और बोलती है की शाम को तुम वापस आ जाना ताकि रात को तुम यहाँ रुक सको। वो शाम को घर चली जाएगी। और दोपहर को मनीषा को खाना ले कर भेजने को बोलती है।
मन्मथ का मन नहीं था फिर भी वो अपनी बहन की बात मान कर घर चला जाता है।
घर पहुँच कर देखता है तो मनीषा फोन पर आशका से बात कर रही थी। उस के आते ही पूछती है “अभी तो ठीक है न रति?” मन्मथ सारी बात बता कर अपने रूम में जाता है फ्रेश होने। फ्रेश हो कर वो अपने बेड पर लेट जाता है और मोबाइल पर सोंग्स ढूंढ कर बजाने लगता है।
“हम्म गाने सुने जा रहे हैं” मनीषा कमरे मे आती है।
“हाँ सोचा थोड़ा मूड ठीक हो जाएगा”
मनीषा स्माइल करती है और मन्मथ के पास उसके बेड की किनारी पर आ कर बैठ जाती है।
“मन्मथ”
“हुम्म क्या है?”
“तुम रति को पसंद करते हो ना”
“हाँ। तुम्हें कैसे पता?”
“सारी दुनिया को पता है। यह इश्क़ है छुपाए नहीं छुपता” बोल कर हंस देती है।
“वैसे मुझे कोई प्रोब्लेम नहीं है तुम किसी से भी प्यार करो।“ कह कर मन्मथ के हाथ में से फोन ले कर साइड में रख देती है। और उसके और करीब जा कर बैठ जाती है।
“तुम मेरे बारे में क्या सोचते हो?”
“क क कुछ नहीं।तुम एक अच्छी लड़की हो और मेरी दोस्त भी हो।“
“मेरे कपड़े कैसे हैं?” (कपड़ो के नाम पर उसने सिर्फ छोटी सी स्लिप पहेनि हुई थी और ब्रा भी नहीं पहेनी थी। जीस में से उसके उभार दिक रहे थे।
“अअअ अछे हैं”
’’aammphhh...”मनीषा एक कातिल स्माइल देती है और अपना हाथ मन्मथ के सीने पर रख देती है। और धीरे धीरे नीचे की और ले जाती है।
“य ये क्या कर रही हो मनीषा”
“shshshsh चुप रहो। काकी सुन लेगी।“
“हुह तभी कह रहा हूँ। ठीक से बैठो.”
“यह तुम्हारा चान्स है मेरे साथ कुछ भी शैतानी करने का। इसे गंवा मत देना बेवकूफ़।“
“पर पर आह्ह”
मनीषा का हाथ मन्मथ के लंड तक पहुंचता है और वो उसे मसल देती है। मन्मथ की आह निकल जाती है।
“उस दिन के बाद आज मौका मिला है। उस दिन तो काफी बड़ा लग रहा थाई आज देखते हैं सही में कितना बड़ा है।“
मनीषा मन्मथ की शॉर्ट्स खींच लेती है। और मन्मथ का लंड जो की पूरा खड़ा नहीं था बाहर आ जाता है।
“हुम्म लगता है महाशय सो रहे हैं। इसको जगाना पड़ेगा।“
“अगर काकी आ गयी तो?” मन्मथ ने डरते डरते कहा (काकी उनकी नौकरानी थी।)
“नहीं आएगी वो। मैंने उन्हे दोपहर के खाने के लिए सब्जी लाने बाहर भेज दिया है। अब चुप रहो और मुझे अपना काम करने दो। “
मनीषा उसका लंड अपनी मुट्ठी में पकड़ती है और धीरे धीरे से हिलाने लगती है। वो लंड को काफी ध्यान से देख रही थी जैसे कभी उसने देखा ही ना हो। उसकी मेहनत रंग लाने लड़ी और मन्मथ का लंड अपने पूरे शबाब पर आ गया।
“हाहाहा खड़ा हो गया। अभी तो बहुत शरीफ बन रहे थे।किस के बारे में सोच रहे थे बोलो? किस को ख्यालो ख्यालो में ही चोद डाला?”
“तुम मेरा लंड पकड़ के हिला रही हो और पूछ रही हो की खड़ा क्यों हो गया?पागल हो क्या? तुम्हारे मुलायम हाथ के छूने से ही यह खड़ा हो गया था।“
“अगर में स्पीड बढ़ा दूँ तो तुम्हें और मज़ा आएगा?” कह कर वो अपनी स्पीड थोड़ी सी बढ़ा देती है।
“ओहह हाँ येस्स ऐसे ही” मन्मथ का गला सुकने लगता है।
“हेहेहे ठरकी मन्मथ”
उसके नाजुक मुलायम हाथ मन्मथ को अपने लंड के इर्दगिर्द घूमते हुए इतने अच्छे लग रहे थे। उसकी आंखे बंद हो गयी। वो उसे रोकना चाहता था पर पता नहीं क्यों नहीं रोक पाया। इतने में मनीषा ने अपना अंगूठा उसके पी हॉल पर रखा और धीरे से सहलाने लगी। उसकी इस हरकत से मन्मथ सिहर उठा और उसके मूह से आहे निकाल ने लगी।
“तुम्हारा हथियार तो बहुत सख्त हो गया हौ मन्मथ”
“हाँ क्यों की उसकी देखभाल तुम्हारे जैसी एक्सपेर्ट कर रही है। आह ओहह और तेज़ ऐसे ही उंगली घुमाओ“
“हहहेहेहे लगता हैं मैंने तुम्हारा वीक स्पॉट ढूंढ निकाला है।“
मनीषा एक हाथ को उसके लंड पर उपर नीचे कर रही थी और दूसरे हाथ के अंगूठे से उसके पी होल को सहेला रही थी। मन्मथ इतने मज़े को ज्यादा देर तक सहन नहीं कर पाया और उसका पानी छूटने लगा। उसकी पहेली धार मनीषा के स्तन पर जा कर गिरि और दूसरी उसकी जांघों पर और बाकी की उसके हाथो पर। मन्मथ अभी तक हाँफ रहा था और उसकी आंखे बंद थी। मनीषा उसको देख कर मुस्कुराइ और अपने आप को साफ करने के लिए अपने रूम में चली गयी।
थोड़ी देर बाद मनीषा वापस आती है तो देखती है मन्मथ अभी तक वही पोसिशन में था। उसकी साँसे अब नॉर्मल हो गयी थी। और उसके फ़ेस पर एक बहुत बड़ी स्माइल थी। यह पहेली बार था की किसी लड़की ने उसकी मूठ मारी थी। उसने सिर्फ पॉर्न फिल्म्स में ही देखा था ऐसा। मनीषा उसे ऐसे देख कर स्माइल करती है और उसके पास जा कर लेट जाती है। वो मन्मथ के एक हाथ को तकिया बनती है और दूसरे हाथ को अपने कूल्हे पर रख देती है और उस से चिपक जाती है।
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Re: अनाड़ी खिलाड़ी
मनीषा मन्मथ को लेटे हुए ही अपनी बाहों में ले लेती है और उसकी मर्दाना खुशबू को महसूस करती है और सोचती है “मन्मथ कितना प्यारा है। मैं इसे बता दूँ की मैं भी इस से प्यार करती हूँ?”फिर कुछ सोच कर वो बोलती है...मैं थोड़ा फ्रेश हो कर आती हूँ। वो बाथरूम में चली जाती है। मन्मथ देखता है तो टॉवल उसके स्टडि टेबल पर पड़ा होता है वो बोलता है “अरे यह टॉवल तो तुम यही भूल गयी।“वो टॉवल ले कर बाथरूम का दरवाजा नोक करता है। दरवाजा खुलने पर वो देखता ही रहे जाता है। उसके सामने मनीषा पूरी नंगी खड़ी थी।
“मन्मथ...”
“ओह सॉरी में टॉवल ले कर आया था। बाथरूम में टॉवल नहीं है।“
मन्मथ की आंखे मनीषा के बदन पर से हट ही नहीं रही थी। वो उसके सख्त स्तन और बिना बालो वाली चुत को देख़्ता हि रहता है। मनीषा उसे ऐसे देख कर मन ही मन मुस्कुरा देती है और बोलती है “सो स्वीट ऑफ यू। थेंक यू” और देखती है तो मन्मथ का लंड वापस अपने शबाब पर आ गया था। उसके लोअर में एक पहाड़ जैसा बना था जिसे मनीषा ललचाई नजरों से देख रही थी। मनीषा भी मन्मथ को हसरत भरी नजरों से देख रही थी। उसके शरीर में अजब सी हलचल मचने लगी थी। सिर्फ उसे देखते ही उसके योनि वाले भाग में सर सराहट हो रही थी। वो आगे बढ़ती है और मन्मथ को बाथरूम में खींच लेती है।
“क क क्या हुआ। यह क्या कर रही हो?”
“बहुत टाइम से मैं तुम्हें नंगा देखने का सोच रही थी। आज मौका भी है और हम दोनों मूड में भी है।“ बोल कर वो मन्मथ के लंड की और इशारा करती है। मन्मथ थोड़ा सा शर्मा जाता है। मनीषा उसे कहेती है “अपना लोअर उतारो”
“क क्यों?”
मनीषा हवस के मारे पागल हो रही थी और मन्मथ जैंटल मेन बन रहा था। वो एक झटके से मन्मथ का लोअर खींच कर उतार देती है। मनीषा उसके लंड को पकड़ कर हौले से दबा देती है। और दूसरे हाथ से उसके अंडे सहलाने लगती है। मनीषा की इस हरकत से मन्मथ के अंदर एक तूफान सा उठने लगता है।
“कैसा लग रहा है” – मनीषा
“आहह ऐसे ही करती रहो”
“तुम्हारा लंड बहुत बड़ा है। मैंने पहेले कभी नहीं देखा सिर्फ ब्लू फिल्मों में। और यह वैसा ही लंबा और मोटा है। “
वो लंड को सहलाना शुरू करती है और दूसरे हाथ से मन्मथ की कमर पकड़ लेती है। और मन्मथ की आंखो में देख कर बोलती है
“मन्मथ मैं बहुत दिनों से एक बात कहेना छह रही थी तुम से शायद येही सही मौका है। ”
“हाँ कहो”
“मन्मथ... आई लव यू सो मच”
“........” मन्मथ यह सुन कर अवाक रहे जाता है। उसको कुछ नहीं सूझता की क्या बोले और क्या करे। तभी मनीषा खामोशी तोड़ती है
“मुझे पता है तुम रति से प्यार करते हो।लेकिन में यह तुम से उसी दिन पार्टी में कहेना चाहती थी लेकिन मेरी हिम्मत नहीं हुई।“
मन्मथ अभी भी चुप था उसे पता नहीं चल रहा था की कोई लड़की उसे आई लव यू कहे तो क्या करना चाहिए।
“म म मैं यह यह आई लव यू तुम से एकस्पेक्ट नहीं कर रहा था।“
“पता है। लेकिन मुझे फर्क नहीं पड़ता की तुम किसी और को चाहते हो। मैं तुम्हें चाहती हूँ और हम अपना ये संबंध ऐसे ही छुपा कर रखेंगे। मैं सिर्फ तुम्हारे नजदीक रह कर खुश रहूँगी। और अपने से बनती सारी कोशीश करूंगी की तुम भी खुश रहो।“ कह कर मन्मथ को आँख मार देती है।
फिर वो झुक कर मन्मथ का लंड अपने मूह में ले लेती है और उसके लिंग मूँड पर अपनी जीभ से सहलाने लगती है।
“उहहम्म”
उसे ऐसे आहें भरता देख कर वो खुश हो जाती है और अपनी जीभ को और जगहो पर घुमाने लगती है। उसके अंडकोश को सहलाते हुए अपनी एक उंगली वो मन्मथ की गांड कि और ले जाति है. और छेद के ऊपर सर्क्युलर मोशन में उंगली घुमाती है।
“usshhhhhक्या कर रही हो वहाँ पर। बहुत अच्छा लग रहा है।“
मन्मथ झुक कर मनीषा को उठा लेता है और उसके होंटो पर एक जबर्दस्त कीस कर देता है। दोनों एक दूसरे को बुरी तरह चूस रहे थे। मन्मथ के हाथ मनीषा के बूब्स पर जाते है और वो धीरे धीरे उन्हे मसलने लगता है। मनीषा को भी अपने बूब्स पर मर्दाना हाथ फिरते देख कर अच्छा लगता है। उसने सोचा नहीं था की सिर्फ बूब्स दबवाने में भी इतना मज़ा आता होगा। उसे लगता था की आज उसकी सुहाग रात सॉरी सुहाग दिन मन कर रहेगा। यह सोच कर उसके गालों पर शरम की लालिमाछा जाती है। मन्मथ का दूसरा हाथ मनीषा की कमर से होता हुआ उसके कूल्हो पर जाता है। उसके गुदाज कूल्हो को वो कुछ देर तक सहलाता है और उसके बाद उसकी गांड की दरार पर अपनी एक उंगली ले दाता है और ऊपर से ले कर नीचे तक हल्के से ले जाता है।
“तुम बहुत खूबसूरत हो मनीषा”
मनीषा अपनी तारीफ सुनकर शर्मा जाती है। और मन्मथ को गर्दन पर हल्के से काट लेती है। “मन्मथ मैं तुम्हें अपने अंदर फील करना चाहती हूँ” मन्मथ स्माइल करता है और झट से मनीषा को पलटा देता है और उसेवॉश बेसिन को पकड़ कर खड़ा कर देता है।“ मनीषा को मन्मथ के हाथ अपनी गांड और कमर के इर्द गिर्द महसूस होते हैं। और उसके लंड की टिप अपनी चुत के मुहाने पर महसूस होती है। मन्मथ अपने लंड को मनीषा की चुत पर घिसता है और कहेता है “मनी यह मेरा फ़र्स्ट टाइम है मूजे पता नहीं कैसे करते है पर लेट्स डू इट।“
“हाँ मेरा भी फ़र्स्ट टाइम है। और में खुशनसीब हूँ की यह तुम्हारे साथ है”
मन्मथ अपने लंड पर थूक लगा कर उसे गीला करता है और एक ज़ोर का झटका मारता है। झटका इतना ज़ोर का था की मनीषा का सर सामने वाली दीवार पर टकरा जाता है उसकी आंखे बाहर आ जाती है। उसकी आँखों से आँसू बहने लगते है वो चिल्लाने लगती है “अरे अनाड़ी इतना ज़ोर से नहीं, मेरी तो जान है निकाल गयी” इतना ज़ोर से जटका मारने के बावजूद उसके लंड सिर्फ थोड़ा सा ही अंदर गया था। वो फिरसे एडजस्ट होते है और मन्मथ दूसरा धक्का देता है लेकिन इस बार थोड़ा धीरे से। इसबार मनीषा का सर दीवार से नहीं टकराता पर मन्मथ के लंड का टोपा अंदर आ गया था। मनीषा को लग रहा था की कोई उसके अंदर गरम चाकू दाल कर उसके दो टुकड़े कर रहा हो। उसे बहुत दर्द हो रहा था लेकिन वो आज किसी भी हालत में मन्मथ की होना चाहती ही। उसने मन्मथ को कहा “इसको बाहर निकाल कर साबून से थोड़ा झाग में करो।“ मन्मथ उसका कहा मान कर अपने लंड को झाग में लपेट लेता है और दोनों वापस वही पोसिशन में आ जाते हैं। “अब डाल दो अपना खूंटा” बोल कर वो मूड कर देखती है मन्मथ को। उसकी सेक्सी स्माइल देख कर मन्मथ जोश में आजाता है और एक झटके से अपना लंड उसकी छूट में डाल देता है। मनीषा को उम्मीद नहीं थी की वो इतना ज़ोर से धक्का मारेगा। “माँ मर गई रेबोला था इतना ज़ोर से नहीं। फाड़ डाला रे” बोल कर रोने लगती है। मन्मथ देखता है तो उसका लंड खून से लथपथ था वो घबरा जाता है। और मनीषा से बोलता है “ख ख खून...”
“हाँ वो तो फ़र्स्ट टाइम में निकलेगा ही। अब तुम शुरू करो लेकिन स्लो”
मन्मथ धीरे धीरे से धक्के मारना शुरू करता है मनीषा को दर्द तो हो रहा था लेकिन एक मीठा मीठा अहेसास भी हो रहा था॥ धीरे धीरे धक्को के साथ दर्द की मात्रा कम होरही थी और वो अहेसाह बढ़ता जारहा था॥
“सही हैं न कहीं स्पीड ज्यादा तो नहीं” मन्मथ धक्के लगाता हुआ बोला
“सही है। ऐसे ही करते रहो....आहह मज़ा आ रहा है।“ मनीषा जोरों से कराह ने लगती है। उसे यकीन नहीं हो रहा था की जिस से वो प्यार करती थी उसी के साथ वो चुद रही थी। और दोनों का फ़र्स्ट टाइम भी था। मन्मथ धीरे धीरे धक्के मार रहा था और उसका लंड जैसे एक संकड़ी गली में भींच गया हो ऐसा लग रहा था। उसके दोनों हाथ से मनीषा की कमर पकड़ रखी थी। एक हाथ आगे बढ़ा कर उसने मनीषा के स्तन पकड़े और ज़ोर से मसल डाला।
“ओहह इतना ज़ोर से मत दबाओ। अब ये सिर्फ तुम्हारे है।“
“आहह ओहह मनी तुम्हारी चुत में लंड ऐसा लग रहा है जैसे मक्खन में छुरी जा रही हो। कितनी सॉफ्ट है तुम्हारी चुत”
“तुम्हारा लंडभी बहुत तगड़ा है। तुम्हारी बॉडी तुम्हारी खुशबू सब ने मुझे पागल बना रखा था इतने दिनो से।मुझे खुशी है की मैं आज तुम्हारी हो गयी....”
मन्मथ यह सुनकर दोनों हाथो से उसके बूब्स पकड़ता है और दबा देता है और धक्को की स्पीड बढ़ा देता है। मन्मथसे ज्यादा कंट्रोल नहीं होता और वो अपना वीर्य मनीषा के अंदर छोडने लगता है। अपनी चुत में गरम गरम वीर्य क फुहार महसूस करते ही मनीषा भी अपना पानी छोडने लगती है। दोनों हाँफते हाँफते एक दूसरे को देख कर हंस पड़ते है। और एक दूसरे आ से लिपट जाते है। थोड़ी देर बाद दोनों नहा धो कर आगे क्या करना है उसकी प्लानिंग करने लगते है। मन्मथ को रात को ही हॉस्पिटल जाना था और मनीषा दोपहर को जानेवाली थी। काकी ने खाना बना दिया था और मनीषा वो ले कर हॉस्पिटल चली जाती है।
मनीषा और काकी के चले जाने के बाद मन्मथ अपने रूम में जा कर सो जाता है। अपनी पहेली चुदाई के बाद उसे थकान महेसूस हो रही थी।
*****
“तौलिया लाना” बसित ने ज़ोहरा से कहा। ज़ोहरा बसित की बीवी थी।
“ला रही हूँ। चिल्लाने की कोई जरूरत नहीं है। “
बसित रात की भाग दौड़ के बाद थकामांदा अपने घर चला गया था। एक चुहिया सी लड़की ने उसके अहम को चोट पहुंचाई थी और वो अभी भी गुस्से में था। उसके दूसरे भी कई घर थे शहर में। वो ज़ोहरा के घर पर सिर्फ अपनी हवस बुझाने ही जाता था। ज़ोहरा पहेले उसकी कई रखैलों में से एक थी। उसने ज़ोहरा से शादी इसलिए की थी की उसने एक बेटे को जन्म दीया था। जो की उसका वारिस था उसने दूसरी कई औरतों को गर्भवती किया था लेकिन जैसे ही उसे पता चलता की लड़की होने वाली है वो अबॉरशन करवा देता और पैसे दे कर वो माँ बन ने वाली औरत का मूह बंद कर देता।
बाथरूम के बाहर तौलिया ले कर खड़ी थी ज़ोहरा। उसने कहा “कहाँथे इतने दिनो तक?”
उसे पता था की उसे संभाल कर बोलना पड़ेगा वरना बसित अगर गुस्सा हो गया तो जानवरों की तरह पिटेगा और फिर उसकी अच्छी तरह बैंड बजाएगा। सुबह सुबह जब बसित ने फोन किया तो वो घबरा गयी थी। क्यों की उसके घर पे उसका प्रेमी रात रुका था। और अगर बसित को पता चल जाता तो अभी तक दोनों की लाशे पुलिस को मिली होती। फोन आने के बाद उसने अपने प्रेमी को रवाना किया और घर की साफ सफाई की और सारे सबूत मिटा दिये जिस से लगे की रात को कोई और यहाँ रुका था। बसित से शादी उसने सिर्फ पैसो के लिए की थी। उसे पता था की उसका बेटा उसका वारिस बनेगा और अगर बसित अपने कामधंधे की वजह से मारा भी जाता है तो वो बाकी की ज़िंदगी ऐशोंआराम से गुज़र सकती है। बसित उसके पास महीने में एक दो बार ही आता था इस लिए ज़ोहरा ने भी अपनी जिस्मानी जरूरतों को पूरा करने के लिए एक लड़के को पटा लिया।
उसके सवाल पुछने से बसित गुस्सा हो गया और बाथरूम से बाहर आया और उसके बड़े बड़े स्तन देख कर उसे खून का बहाव अपने सर के बजाय दूसरे किसी अंग की तरफ जाता हुआ लगा। वही अंग जो की एक छोटी लड़की की लात खाने के बाद दर्द के मारे बेहाल था। उसका मूह खुला का खुला रहा गया था। उसे ऐसी हालत में देख कर ज़ोहरा ने एक कातिल स्माइल दी जिस से बसित अपने होंठो पर जीभ फिरने लगा। “इधर आओ और ज्यादा सवाल पुछना बैंड करो।“
यह जवाब कम और हुकुम ज्यादा था। वो बसित के पास में आई तो बसित ने कहा “नीचे जाओ” उसने यह हुक्म की भी तामीर की और धीरे धीरे बसित की आंखो में देखती दहती बैठ गयी। उसे रफ चुदाई बहुत पसंद थी और बसित यह जानता था। ज़ोहरा भी भूल गयी की वो इतने दिनो बाद घर आया है और वो बसित के लंबे मोटे काले लंड के बारे में सोचने लगी और उसकी चुत गीली होने लगी। वो अपने बॉय फ्रेंड से रेगुलर चुदवाती थी लेकिन फिर भी बसित की चुदाई की वो कायल थी। वो एक सेक्स मैनियाक थी अगर लंड ना मिले तो वो गाजर/मूली/ककड़ी या फिर किसी जानवर से भी करवा लेती थी। उसका मकसद सिर्फ अपनी हवस संतुष्ट करना था। चाहे वो कोई आदमी करे या कोई जानवर। उसने अपने हाथो से बसित का पाइजामे का नाड़ा खोला और उसकी चड्डी भी उतार दी। जैसे ही उसने कपड़े उतारे बसित का काला भुजंग जैसे जेल से रिहा हो गया हो वैसे उसके सामने डोलने लगा। ज़ोहरा की आंखो में चमक आगयी अपनी दूसरी प्यारी चीज़ देख कर (पहेली प्यारी चीज़ उसकी पैसा था) एक हाथ से उसने बसित के बोल्स सहलाना शुरू किया और अपनी जीभ के नोक से उसके लंड की नोक पर रगड़ने लगी।
“ओहह बढ़िया ऐसे ही करती रहो.... जीभ अंदर डालो...”
ज़ोहरा अपनी जीभ की नोक बसित के पी हॉल में डालती है। और उत्तेजना मे मारे बसित की आह निकाल जाती है “या खुदा ज़ोहरा जान येही जन्नत है।“ वो बाथरूम के दरवाजे को पकड़ कर खड़ा था और पीछे की और झुका हुआ था। ज़ोहरा का टैलंट कहो या स्पैशलिटी वो लंड चूसने में माहिर थी। “बताओ ना कहाँ थे इतने दिन” बोल कर ज़ोहरा ने हल्के से अपने दाँत उसके लंड की नोक पर गड़ा दिये। “आहहहहहहहह साली रंडी काट मत। वरना तेरी गांड मार दूंगा”
“हाहाहा कितने प्यारे लगते हो गुस्सा होते हो तब। अपनी बीवी के बोबे देखना पसंद करोगे?”
“ हाँ हाँ जल्दी करो“
ज़ोहरा अपनी कमीज़ और सलवार उतार देती है। उसने अंदर ब्रा नहीं पहेनि होती और उसके 40 की छाती देख कर बसित से रहा नहीं जाता और अपने हाथ उसकी छाती पर रख देता है और ज़ोर से उसके निपल मरोड़ देता है। ज़ोहरा चिल्ला उठी है “मादर छोड़ इतना ज़ोर से नहीं।“
“हा हा हा बहन की लोड़ी अब पता चला दर्द कैसे होता है” बोल कर वो उसके निपल्स को धीरे धीरे मसल ने लगता है।
ज़ोहरा को इस से सेंसेसन होने लगता है और वो फिर से अपना ध्यान बसित के लंड पर केन्द्रित करती है। इस बार वो पीहॉल पर काटने के बजाय प्रैशर देकर सुककिंग करने लाती है एक वैक्युम क्लीनर की तरह। उसके ऐसे करते ही बसित को अपने शरीर का सारा खून अपने लंड के तरफ जाता हुआ लग्ता है उसका दिमाग शून्य होने लगता है और उसकी साँसे तेज़ हो जाती है। उसे लगता है उसकी रूह लंड के रास्ते निकाल कर ज़ोहरा के मूह में चली जा रही है। वो ज़ोहरा के स्तन छोड़ कर फिर से दरवाजे को पकड़ लेता है। “कैसा लग रहा है” बसित की आवाज़ ही नहीं निकाल पाती और वो सिर्फ अपना सर हिला कर हाँ बोलता है। वो लंड को लीक करना शुरू करती है और लंबे लंबे स्ट्रोक से अपनी जीभ उसके काले लंड पर चाटने लगती है।
“आह बढ़िया... ऐसे ही करती रहो। शायद तुम्हें कोई गिफ्ट मिल जाये” गिफ्ट का सुन के वो ज़ोर ज़ोर ई से उसका लंड अपने मूह में लेना शुरू कर देती है। बसित का लंड उसके मूह के अंदर तक जा रहा था और ज़ोहरा की आँखें बाहर आ रही थी। लेकिन पैसो की हवस उसे यह सब करवा रही थी। “आहाहह” बोल कर बसित ज़ोर से झड़ जाता है। उसके वीर्य की मार पहेले ज़ोहरा को मूह पर पड़ती है और बाकी उसके नंगे स्तनो पर। वो बसित का लंड चाट चाट कर साफ करती है और अपने शरीर पर पड़ा माल भी उँगलियो में ले कर अपने चहेरे और बदन पर पोंछ लेती है। बसित खुश हो जाता है और बोलता है “आज शाम को तुम को डीयमंड का नेकलेस दूंगा।“ वो खुश हो जाती है।
“लेकिन अभी मुझे जानाहोगा”
“क्या?”
“मुझे काम है, मैं फालतू नहीं बैठा हूँ। तुम जो यह पैसा खर्च करती है और यह नेकलेस ऐसे ही नहीं आएगा।“
वो अपने कमरे में जा कर कपड़े बदलने लगता है। ज़ोहरा उसके पीछे पीछे जाती है और कहेती है “लेकिन मेरा क्या?”
“तुम्हें वेट करना होगा जब तक में वापस ना आऊँ “
“तुम इतने खुदगर्ज़ कैसे हो सकते हो??”
“मेरे पास यह सब बातों के लिए वक़्त नहीं है। ज्यादा चूल मच रही है तो खीरा लेलों अपनीचुत में। “
ज़ोहरा गुस्से से आगबबूला हो जाती है। लेकिन कुछ नहीं कह पाती बसित बाहर चला हाता है और ज़ोहरा वहीं पर खड़ी खड़ी कुछ सोचने लगती है।
*****
“ट्रिन्न ट्रिन्न ट्रिन्न”
“ट्रिन्न ट्रिन्न ट्रिन्न ट्रिन्न ट्रिन्न ट्रिन्न”
घंटी की आवाज़ से अचानक मन्मथ की नींद उड़ जाती है। वो उठ कर दरवाजा खोलता है तो अपनी माँ और आशका को देख कर हैरान रह जाता है।
“इतनी देर दरवाजा खोलने में”
“मोम में सो रहा था।“
“ओके।“
“लेकिन आप यहाँ कैसे?”
“आशका ने फोन किया था।तुम्हारे पापा रति के पास हॉस्पिटल में है।जैसे ही पता चला हम यहाँ पर आ गए।“
“आशका जाओ आराम कर लो। मैं भी सो जाती हूँ।और मन्मथ तूम आज रात को हॉस्पिटल में ही रुकोगे। शाम को पापा घर चले जाएँगे”
“ओके मोम”
“मन्मथ...”
“ओह सॉरी में टॉवल ले कर आया था। बाथरूम में टॉवल नहीं है।“
मन्मथ की आंखे मनीषा के बदन पर से हट ही नहीं रही थी। वो उसके सख्त स्तन और बिना बालो वाली चुत को देख़्ता हि रहता है। मनीषा उसे ऐसे देख कर मन ही मन मुस्कुरा देती है और बोलती है “सो स्वीट ऑफ यू। थेंक यू” और देखती है तो मन्मथ का लंड वापस अपने शबाब पर आ गया था। उसके लोअर में एक पहाड़ जैसा बना था जिसे मनीषा ललचाई नजरों से देख रही थी। मनीषा भी मन्मथ को हसरत भरी नजरों से देख रही थी। उसके शरीर में अजब सी हलचल मचने लगी थी। सिर्फ उसे देखते ही उसके योनि वाले भाग में सर सराहट हो रही थी। वो आगे बढ़ती है और मन्मथ को बाथरूम में खींच लेती है।
“क क क्या हुआ। यह क्या कर रही हो?”
“बहुत टाइम से मैं तुम्हें नंगा देखने का सोच रही थी। आज मौका भी है और हम दोनों मूड में भी है।“ बोल कर वो मन्मथ के लंड की और इशारा करती है। मन्मथ थोड़ा सा शर्मा जाता है। मनीषा उसे कहेती है “अपना लोअर उतारो”
“क क्यों?”
मनीषा हवस के मारे पागल हो रही थी और मन्मथ जैंटल मेन बन रहा था। वो एक झटके से मन्मथ का लोअर खींच कर उतार देती है। मनीषा उसके लंड को पकड़ कर हौले से दबा देती है। और दूसरे हाथ से उसके अंडे सहलाने लगती है। मनीषा की इस हरकत से मन्मथ के अंदर एक तूफान सा उठने लगता है।
“कैसा लग रहा है” – मनीषा
“आहह ऐसे ही करती रहो”
“तुम्हारा लंड बहुत बड़ा है। मैंने पहेले कभी नहीं देखा सिर्फ ब्लू फिल्मों में। और यह वैसा ही लंबा और मोटा है। “
वो लंड को सहलाना शुरू करती है और दूसरे हाथ से मन्मथ की कमर पकड़ लेती है। और मन्मथ की आंखो में देख कर बोलती है
“मन्मथ मैं बहुत दिनों से एक बात कहेना छह रही थी तुम से शायद येही सही मौका है। ”
“हाँ कहो”
“मन्मथ... आई लव यू सो मच”
“........” मन्मथ यह सुन कर अवाक रहे जाता है। उसको कुछ नहीं सूझता की क्या बोले और क्या करे। तभी मनीषा खामोशी तोड़ती है
“मुझे पता है तुम रति से प्यार करते हो।लेकिन में यह तुम से उसी दिन पार्टी में कहेना चाहती थी लेकिन मेरी हिम्मत नहीं हुई।“
मन्मथ अभी भी चुप था उसे पता नहीं चल रहा था की कोई लड़की उसे आई लव यू कहे तो क्या करना चाहिए।
“म म मैं यह यह आई लव यू तुम से एकस्पेक्ट नहीं कर रहा था।“
“पता है। लेकिन मुझे फर्क नहीं पड़ता की तुम किसी और को चाहते हो। मैं तुम्हें चाहती हूँ और हम अपना ये संबंध ऐसे ही छुपा कर रखेंगे। मैं सिर्फ तुम्हारे नजदीक रह कर खुश रहूँगी। और अपने से बनती सारी कोशीश करूंगी की तुम भी खुश रहो।“ कह कर मन्मथ को आँख मार देती है।
फिर वो झुक कर मन्मथ का लंड अपने मूह में ले लेती है और उसके लिंग मूँड पर अपनी जीभ से सहलाने लगती है।
“उहहम्म”
उसे ऐसे आहें भरता देख कर वो खुश हो जाती है और अपनी जीभ को और जगहो पर घुमाने लगती है। उसके अंडकोश को सहलाते हुए अपनी एक उंगली वो मन्मथ की गांड कि और ले जाति है. और छेद के ऊपर सर्क्युलर मोशन में उंगली घुमाती है।
“usshhhhhक्या कर रही हो वहाँ पर। बहुत अच्छा लग रहा है।“
मन्मथ झुक कर मनीषा को उठा लेता है और उसके होंटो पर एक जबर्दस्त कीस कर देता है। दोनों एक दूसरे को बुरी तरह चूस रहे थे। मन्मथ के हाथ मनीषा के बूब्स पर जाते है और वो धीरे धीरे उन्हे मसलने लगता है। मनीषा को भी अपने बूब्स पर मर्दाना हाथ फिरते देख कर अच्छा लगता है। उसने सोचा नहीं था की सिर्फ बूब्स दबवाने में भी इतना मज़ा आता होगा। उसे लगता था की आज उसकी सुहाग रात सॉरी सुहाग दिन मन कर रहेगा। यह सोच कर उसके गालों पर शरम की लालिमाछा जाती है। मन्मथ का दूसरा हाथ मनीषा की कमर से होता हुआ उसके कूल्हो पर जाता है। उसके गुदाज कूल्हो को वो कुछ देर तक सहलाता है और उसके बाद उसकी गांड की दरार पर अपनी एक उंगली ले दाता है और ऊपर से ले कर नीचे तक हल्के से ले जाता है।
“तुम बहुत खूबसूरत हो मनीषा”
मनीषा अपनी तारीफ सुनकर शर्मा जाती है। और मन्मथ को गर्दन पर हल्के से काट लेती है। “मन्मथ मैं तुम्हें अपने अंदर फील करना चाहती हूँ” मन्मथ स्माइल करता है और झट से मनीषा को पलटा देता है और उसेवॉश बेसिन को पकड़ कर खड़ा कर देता है।“ मनीषा को मन्मथ के हाथ अपनी गांड और कमर के इर्द गिर्द महसूस होते हैं। और उसके लंड की टिप अपनी चुत के मुहाने पर महसूस होती है। मन्मथ अपने लंड को मनीषा की चुत पर घिसता है और कहेता है “मनी यह मेरा फ़र्स्ट टाइम है मूजे पता नहीं कैसे करते है पर लेट्स डू इट।“
“हाँ मेरा भी फ़र्स्ट टाइम है। और में खुशनसीब हूँ की यह तुम्हारे साथ है”
मन्मथ अपने लंड पर थूक लगा कर उसे गीला करता है और एक ज़ोर का झटका मारता है। झटका इतना ज़ोर का था की मनीषा का सर सामने वाली दीवार पर टकरा जाता है उसकी आंखे बाहर आ जाती है। उसकी आँखों से आँसू बहने लगते है वो चिल्लाने लगती है “अरे अनाड़ी इतना ज़ोर से नहीं, मेरी तो जान है निकाल गयी” इतना ज़ोर से जटका मारने के बावजूद उसके लंड सिर्फ थोड़ा सा ही अंदर गया था। वो फिरसे एडजस्ट होते है और मन्मथ दूसरा धक्का देता है लेकिन इस बार थोड़ा धीरे से। इसबार मनीषा का सर दीवार से नहीं टकराता पर मन्मथ के लंड का टोपा अंदर आ गया था। मनीषा को लग रहा था की कोई उसके अंदर गरम चाकू दाल कर उसके दो टुकड़े कर रहा हो। उसे बहुत दर्द हो रहा था लेकिन वो आज किसी भी हालत में मन्मथ की होना चाहती ही। उसने मन्मथ को कहा “इसको बाहर निकाल कर साबून से थोड़ा झाग में करो।“ मन्मथ उसका कहा मान कर अपने लंड को झाग में लपेट लेता है और दोनों वापस वही पोसिशन में आ जाते हैं। “अब डाल दो अपना खूंटा” बोल कर वो मूड कर देखती है मन्मथ को। उसकी सेक्सी स्माइल देख कर मन्मथ जोश में आजाता है और एक झटके से अपना लंड उसकी छूट में डाल देता है। मनीषा को उम्मीद नहीं थी की वो इतना ज़ोर से धक्का मारेगा। “माँ मर गई रेबोला था इतना ज़ोर से नहीं। फाड़ डाला रे” बोल कर रोने लगती है। मन्मथ देखता है तो उसका लंड खून से लथपथ था वो घबरा जाता है। और मनीषा से बोलता है “ख ख खून...”
“हाँ वो तो फ़र्स्ट टाइम में निकलेगा ही। अब तुम शुरू करो लेकिन स्लो”
मन्मथ धीरे धीरे से धक्के मारना शुरू करता है मनीषा को दर्द तो हो रहा था लेकिन एक मीठा मीठा अहेसास भी हो रहा था॥ धीरे धीरे धक्को के साथ दर्द की मात्रा कम होरही थी और वो अहेसाह बढ़ता जारहा था॥
“सही हैं न कहीं स्पीड ज्यादा तो नहीं” मन्मथ धक्के लगाता हुआ बोला
“सही है। ऐसे ही करते रहो....आहह मज़ा आ रहा है।“ मनीषा जोरों से कराह ने लगती है। उसे यकीन नहीं हो रहा था की जिस से वो प्यार करती थी उसी के साथ वो चुद रही थी। और दोनों का फ़र्स्ट टाइम भी था। मन्मथ धीरे धीरे धक्के मार रहा था और उसका लंड जैसे एक संकड़ी गली में भींच गया हो ऐसा लग रहा था। उसके दोनों हाथ से मनीषा की कमर पकड़ रखी थी। एक हाथ आगे बढ़ा कर उसने मनीषा के स्तन पकड़े और ज़ोर से मसल डाला।
“ओहह इतना ज़ोर से मत दबाओ। अब ये सिर्फ तुम्हारे है।“
“आहह ओहह मनी तुम्हारी चुत में लंड ऐसा लग रहा है जैसे मक्खन में छुरी जा रही हो। कितनी सॉफ्ट है तुम्हारी चुत”
“तुम्हारा लंडभी बहुत तगड़ा है। तुम्हारी बॉडी तुम्हारी खुशबू सब ने मुझे पागल बना रखा था इतने दिनो से।मुझे खुशी है की मैं आज तुम्हारी हो गयी....”
मन्मथ यह सुनकर दोनों हाथो से उसके बूब्स पकड़ता है और दबा देता है और धक्को की स्पीड बढ़ा देता है। मन्मथसे ज्यादा कंट्रोल नहीं होता और वो अपना वीर्य मनीषा के अंदर छोडने लगता है। अपनी चुत में गरम गरम वीर्य क फुहार महसूस करते ही मनीषा भी अपना पानी छोडने लगती है। दोनों हाँफते हाँफते एक दूसरे को देख कर हंस पड़ते है। और एक दूसरे आ से लिपट जाते है। थोड़ी देर बाद दोनों नहा धो कर आगे क्या करना है उसकी प्लानिंग करने लगते है। मन्मथ को रात को ही हॉस्पिटल जाना था और मनीषा दोपहर को जानेवाली थी। काकी ने खाना बना दिया था और मनीषा वो ले कर हॉस्पिटल चली जाती है।
मनीषा और काकी के चले जाने के बाद मन्मथ अपने रूम में जा कर सो जाता है। अपनी पहेली चुदाई के बाद उसे थकान महेसूस हो रही थी।
*****
“तौलिया लाना” बसित ने ज़ोहरा से कहा। ज़ोहरा बसित की बीवी थी।
“ला रही हूँ। चिल्लाने की कोई जरूरत नहीं है। “
बसित रात की भाग दौड़ के बाद थकामांदा अपने घर चला गया था। एक चुहिया सी लड़की ने उसके अहम को चोट पहुंचाई थी और वो अभी भी गुस्से में था। उसके दूसरे भी कई घर थे शहर में। वो ज़ोहरा के घर पर सिर्फ अपनी हवस बुझाने ही जाता था। ज़ोहरा पहेले उसकी कई रखैलों में से एक थी। उसने ज़ोहरा से शादी इसलिए की थी की उसने एक बेटे को जन्म दीया था। जो की उसका वारिस था उसने दूसरी कई औरतों को गर्भवती किया था लेकिन जैसे ही उसे पता चलता की लड़की होने वाली है वो अबॉरशन करवा देता और पैसे दे कर वो माँ बन ने वाली औरत का मूह बंद कर देता।
बाथरूम के बाहर तौलिया ले कर खड़ी थी ज़ोहरा। उसने कहा “कहाँथे इतने दिनो तक?”
उसे पता था की उसे संभाल कर बोलना पड़ेगा वरना बसित अगर गुस्सा हो गया तो जानवरों की तरह पिटेगा और फिर उसकी अच्छी तरह बैंड बजाएगा। सुबह सुबह जब बसित ने फोन किया तो वो घबरा गयी थी। क्यों की उसके घर पे उसका प्रेमी रात रुका था। और अगर बसित को पता चल जाता तो अभी तक दोनों की लाशे पुलिस को मिली होती। फोन आने के बाद उसने अपने प्रेमी को रवाना किया और घर की साफ सफाई की और सारे सबूत मिटा दिये जिस से लगे की रात को कोई और यहाँ रुका था। बसित से शादी उसने सिर्फ पैसो के लिए की थी। उसे पता था की उसका बेटा उसका वारिस बनेगा और अगर बसित अपने कामधंधे की वजह से मारा भी जाता है तो वो बाकी की ज़िंदगी ऐशोंआराम से गुज़र सकती है। बसित उसके पास महीने में एक दो बार ही आता था इस लिए ज़ोहरा ने भी अपनी जिस्मानी जरूरतों को पूरा करने के लिए एक लड़के को पटा लिया।
उसके सवाल पुछने से बसित गुस्सा हो गया और बाथरूम से बाहर आया और उसके बड़े बड़े स्तन देख कर उसे खून का बहाव अपने सर के बजाय दूसरे किसी अंग की तरफ जाता हुआ लगा। वही अंग जो की एक छोटी लड़की की लात खाने के बाद दर्द के मारे बेहाल था। उसका मूह खुला का खुला रहा गया था। उसे ऐसी हालत में देख कर ज़ोहरा ने एक कातिल स्माइल दी जिस से बसित अपने होंठो पर जीभ फिरने लगा। “इधर आओ और ज्यादा सवाल पुछना बैंड करो।“
यह जवाब कम और हुकुम ज्यादा था। वो बसित के पास में आई तो बसित ने कहा “नीचे जाओ” उसने यह हुक्म की भी तामीर की और धीरे धीरे बसित की आंखो में देखती दहती बैठ गयी। उसे रफ चुदाई बहुत पसंद थी और बसित यह जानता था। ज़ोहरा भी भूल गयी की वो इतने दिनो बाद घर आया है और वो बसित के लंबे मोटे काले लंड के बारे में सोचने लगी और उसकी चुत गीली होने लगी। वो अपने बॉय फ्रेंड से रेगुलर चुदवाती थी लेकिन फिर भी बसित की चुदाई की वो कायल थी। वो एक सेक्स मैनियाक थी अगर लंड ना मिले तो वो गाजर/मूली/ककड़ी या फिर किसी जानवर से भी करवा लेती थी। उसका मकसद सिर्फ अपनी हवस संतुष्ट करना था। चाहे वो कोई आदमी करे या कोई जानवर। उसने अपने हाथो से बसित का पाइजामे का नाड़ा खोला और उसकी चड्डी भी उतार दी। जैसे ही उसने कपड़े उतारे बसित का काला भुजंग जैसे जेल से रिहा हो गया हो वैसे उसके सामने डोलने लगा। ज़ोहरा की आंखो में चमक आगयी अपनी दूसरी प्यारी चीज़ देख कर (पहेली प्यारी चीज़ उसकी पैसा था) एक हाथ से उसने बसित के बोल्स सहलाना शुरू किया और अपनी जीभ के नोक से उसके लंड की नोक पर रगड़ने लगी।
“ओहह बढ़िया ऐसे ही करती रहो.... जीभ अंदर डालो...”
ज़ोहरा अपनी जीभ की नोक बसित के पी हॉल में डालती है। और उत्तेजना मे मारे बसित की आह निकाल जाती है “या खुदा ज़ोहरा जान येही जन्नत है।“ वो बाथरूम के दरवाजे को पकड़ कर खड़ा था और पीछे की और झुका हुआ था। ज़ोहरा का टैलंट कहो या स्पैशलिटी वो लंड चूसने में माहिर थी। “बताओ ना कहाँ थे इतने दिन” बोल कर ज़ोहरा ने हल्के से अपने दाँत उसके लंड की नोक पर गड़ा दिये। “आहहहहहहहह साली रंडी काट मत। वरना तेरी गांड मार दूंगा”
“हाहाहा कितने प्यारे लगते हो गुस्सा होते हो तब। अपनी बीवी के बोबे देखना पसंद करोगे?”
“ हाँ हाँ जल्दी करो“
ज़ोहरा अपनी कमीज़ और सलवार उतार देती है। उसने अंदर ब्रा नहीं पहेनि होती और उसके 40 की छाती देख कर बसित से रहा नहीं जाता और अपने हाथ उसकी छाती पर रख देता है और ज़ोर से उसके निपल मरोड़ देता है। ज़ोहरा चिल्ला उठी है “मादर छोड़ इतना ज़ोर से नहीं।“
“हा हा हा बहन की लोड़ी अब पता चला दर्द कैसे होता है” बोल कर वो उसके निपल्स को धीरे धीरे मसल ने लगता है।
ज़ोहरा को इस से सेंसेसन होने लगता है और वो फिर से अपना ध्यान बसित के लंड पर केन्द्रित करती है। इस बार वो पीहॉल पर काटने के बजाय प्रैशर देकर सुककिंग करने लाती है एक वैक्युम क्लीनर की तरह। उसके ऐसे करते ही बसित को अपने शरीर का सारा खून अपने लंड के तरफ जाता हुआ लग्ता है उसका दिमाग शून्य होने लगता है और उसकी साँसे तेज़ हो जाती है। उसे लगता है उसकी रूह लंड के रास्ते निकाल कर ज़ोहरा के मूह में चली जा रही है। वो ज़ोहरा के स्तन छोड़ कर फिर से दरवाजे को पकड़ लेता है। “कैसा लग रहा है” बसित की आवाज़ ही नहीं निकाल पाती और वो सिर्फ अपना सर हिला कर हाँ बोलता है। वो लंड को लीक करना शुरू करती है और लंबे लंबे स्ट्रोक से अपनी जीभ उसके काले लंड पर चाटने लगती है।
“आह बढ़िया... ऐसे ही करती रहो। शायद तुम्हें कोई गिफ्ट मिल जाये” गिफ्ट का सुन के वो ज़ोर ज़ोर ई से उसका लंड अपने मूह में लेना शुरू कर देती है। बसित का लंड उसके मूह के अंदर तक जा रहा था और ज़ोहरा की आँखें बाहर आ रही थी। लेकिन पैसो की हवस उसे यह सब करवा रही थी। “आहाहह” बोल कर बसित ज़ोर से झड़ जाता है। उसके वीर्य की मार पहेले ज़ोहरा को मूह पर पड़ती है और बाकी उसके नंगे स्तनो पर। वो बसित का लंड चाट चाट कर साफ करती है और अपने शरीर पर पड़ा माल भी उँगलियो में ले कर अपने चहेरे और बदन पर पोंछ लेती है। बसित खुश हो जाता है और बोलता है “आज शाम को तुम को डीयमंड का नेकलेस दूंगा।“ वो खुश हो जाती है।
“लेकिन अभी मुझे जानाहोगा”
“क्या?”
“मुझे काम है, मैं फालतू नहीं बैठा हूँ। तुम जो यह पैसा खर्च करती है और यह नेकलेस ऐसे ही नहीं आएगा।“
वो अपने कमरे में जा कर कपड़े बदलने लगता है। ज़ोहरा उसके पीछे पीछे जाती है और कहेती है “लेकिन मेरा क्या?”
“तुम्हें वेट करना होगा जब तक में वापस ना आऊँ “
“तुम इतने खुदगर्ज़ कैसे हो सकते हो??”
“मेरे पास यह सब बातों के लिए वक़्त नहीं है। ज्यादा चूल मच रही है तो खीरा लेलों अपनीचुत में। “
ज़ोहरा गुस्से से आगबबूला हो जाती है। लेकिन कुछ नहीं कह पाती बसित बाहर चला हाता है और ज़ोहरा वहीं पर खड़ी खड़ी कुछ सोचने लगती है।
*****
“ट्रिन्न ट्रिन्न ट्रिन्न”
“ट्रिन्न ट्रिन्न ट्रिन्न ट्रिन्न ट्रिन्न ट्रिन्न”
घंटी की आवाज़ से अचानक मन्मथ की नींद उड़ जाती है। वो उठ कर दरवाजा खोलता है तो अपनी माँ और आशका को देख कर हैरान रह जाता है।
“इतनी देर दरवाजा खोलने में”
“मोम में सो रहा था।“
“ओके।“
“लेकिन आप यहाँ कैसे?”
“आशका ने फोन किया था।तुम्हारे पापा रति के पास हॉस्पिटल में है।जैसे ही पता चला हम यहाँ पर आ गए।“
“आशका जाओ आराम कर लो। मैं भी सो जाती हूँ।और मन्मथ तूम आज रात को हॉस्पिटल में ही रुकोगे। शाम को पापा घर चले जाएँगे”
“ओके मोम”
प्यास बुझाई नौकर से Running....कीमत वसूल Running....3-महाकाली ....1-- जथूराcomplete ....2-पोतेबाबाcomplete
बन्धन
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दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
मगर आप जैसे दोस्त नसीब वालों को मिलते हैं!
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- rangila
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Re: अनाड़ी खिलाड़ी
Jems bhai new stori ke liye mubarakbad kabool kare
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मकसद running.....जिंदगी के रंग अपनों के संग running..... मैं अपने परिवार का दीवाना running.....
( Marathi Sex Stories )...
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