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मैं ताई की गर्दन को चुमते हुए बोला- आय लव यू ताईजी
वो चुप रही मैंने थोडा सा जोर से चुचियो को दबाया ताई ने अपनी गांड को पीछे करके हौले हौले से हिलाना शुरू किया साथ ही मैं अपनी जीभ ताई की गर्दन पर घुमा रहा था ताई भी गर्म होने लगी थी कुछ देर तक हम ऐसे ही करते रहे फिर ताई मेरी पकड़ से निकल गयी
ताई- मैं कपडे बदलने जा रही हु उसने बेग से सूट निकला और चली गयी मैं रह गया पर जल्दी ही वो आ गयी
मैं- क्या हुआ
वो- दोनों टॉयलेट में है कोई
मैं- तो यहाँ कर लो मैं बाहर खड़ा हो जाता हु
ताई- बाद में कर लुंगी
मैं- ताईजी हां कह दो न मेरा भी भला हो जायेगा
ताई- अगर हाँ ना होती तो तुझे अपने साथ ना लेके आती भोंदू, तेरे ऊपर तो मेरा दिल कब से था कितनी बार छुप कर तुझे और रोहित को लंड हिलाते देखा है मैं तो कब से तुझ पे फ़िदा थी पर तू एक नंबर का भोंदू है तुझसे कुछ नहीं होता
मैं- आप हमे देखती ती
वो- हा कई बार तभी से मेरा दील तेरे पे आया हुआ है पर मैं सोच रही थी तू पहल करेगा पर उस दिन जब तू मुझे देख रहा था तो सोचा की अब काम बन जायेगा तेरे ताऊ की उम्र गुजर गयी फ़ौज में पर मैं प्यासी पड़ी रहती
मैं- सारी प्यास बुझा दूंगा अब
मैंने ताई को अपने बिस्तर पर खीच लिया और ताई के लाल होंठो को चूमने लगा तो उसने भी अपना मुह खोल दिया और मेरा साथ देने लगी ताई की जीभ मेरी जीभ से लड़ने लगी साथ ही मैं ताई के बोबो को भीचने लगा तो ताई मदहोश होने लगी
मैं- पूरी रात चोदुंगा तुझे
ताई- देखती हु
मैंने ताई का हाथ अपने लंड पर रख दिया ताई- तेरी जगह और कोई होता तो पिक अप में ही चोद देता
मैं- अभी कौन सा देर हुई है
मैंने ताई का ब्लाउज खोलना शुरू किया तो ताई ने मेरी पेंट उतार दी और मेरे लंड को अपनी मुट्ठी में लेकर बोली- तेरे इस हथियार पर मर ही गयी मैं तो उफ्फ्फ्फ़ कितना गरम है ये
मैंने अपना मुह ताई की चुचियो पर दे दिया और ब्रा के ऊपर से ही उसको सूंघने लगा ताई के बदन की खुसबू मेरे रोम रोम में समाने लगी ताई मेरे लंड पर अपना हाथ आगे पीछे करने लगी थी तो मैंने भी ताई की ब्रा को ऊपर किया और ताई की किलो भर की चूची को अपने मुह में ले लिया
एक नमकीन सा स्वाद मेरे मुह में आने लगा ताई के चुचक में तनाव आने लगा तो ताई बस निपट गयी मुझसे और मेरे सर पर अपना हाथ फेरने लगी
“उम्म्म्मम्म्म्म ”
मैं बारी बारी से दोनों चुचियो का मर्दन करने लगा ऐसे लग रहा था की जैसे मैंने अपने मुह में किसी गुब्बारे को डाल दिया हो बहुत देर तक मैंने ताई की चुचियो से मुह लगाये रखा ताई की साड़ी और पेटीकोट ऊपर को सरक आया था मैंने ताई के बाकि कपड़ो को भी उतारना चालू किया तो ताई शर्माने लगी पर अब शर्मा के क्या होना था
ताई का बदन आज आगे से भी मेरे सामने था ताई बस एक नीली कच्छी में मेरे सामने थे मैंने ताई को अपनी बाहों में भर लिया मेरा लंड ताई की चूत वाले हिस्से से रगड़ खाने लगा
“ओह!ताई, आगे से भी बहुत गरम है तुम, मैं ताई के चूतडो को भीचने लगा तो ताई सिसकने लगी और मस्ताने लगी और तभी मैंने ताई की कच्छी में अपनी उंगलिया फंसाई और कच्छी को घुटनों तक सरका दिया हम दोनों नंगे ऐसे ही अपने केबिन में खड़े थे
मैंने ताई को लिटाया और खुद ताई के ऊपर लेट गया ताई के जिस्म की गर्मी अब मेरी नस नस में दौड़ने लगी थी एक बार फिर से हमारे होंठ आपस में जुड़ गए थे और बस बेताब थे हम एक दुसरे में समा जाने के लिए ताई ने मेरे सुपाडे की खाल को पीछे की तरफ किया और मेर सुपाडे को अपनी गरमा गरम चूत पर रगड़ने लगी
उस रगड़न से मेरा रोम रोम कांप गया उफ्फ्फ कितना मजा आ रहा था की मैं वर्णन नहीं कर सकता ताई की चूत बड़ी लिसलिसी सी थी उसकी चूत की वो लाल पंखुड़िया जैसे मेरे लंड को आमन्त्रण दे रही थी की आओ और हमे रौंद डालो
मैं तो खुद अब काबू से बाहर हो गया था की अब बस जल्दी से चूत में घुस जाऊ पर ताई को कोई जल्दी नहीं थी असल में वो मुझे तडपा रही थी अपनी इन कातिल अदाओ से पर मेरे को बहुत जल्दबाजी हो रही थी तो मैंने ताई का हाथ हटाया और अपनी कमर को उचकाया
तो मेरा लंड ताई की चूत को चीरते हुए आगे को सरकने लगा और ताई के गले से आहे निकल ने लगी
ताई- कितने दिन में लंड ले रही हु दर्द तो होगा ना ऊपर से तू अनाड़ी अईई
मैं- बस हो गया
कहकर मैंने और जोर लगाया और पूरा लंड ताई की चूत में घुसा दिया ताई ने अपनी अनखो को बंद कर लिया उनकी शकल ऐसी हो रही थी जैसे की बहुत पीड़ा में हो पर अपने को उस समय जूनून सा चढ़ गया था मैंने अपने लंड को बाहर की तरफ खीचा तो ताई ने मुझे रोका
“थोड़ी देर रुक जा ”
मैं वैसे ही ताई के ऊपर लेटा रहा और ताई के गालो को होंठो को चूमने लगा धीरे धीरे ताई फिर से मूड में आने लगी तो मैंने अपने लंड को आगे पीछे करना शुरू किया ताई की चूत का छल्ला मेरे लंड के इर्द गिर्द कस आया था जैसे की किसी टाले में चाबी फसी हो
मैंने अब अपने हाथ ताई के कंधे पर रखे और ताई को चोदने लगा ताई भी मेरा साथ देने लगी और जल्दी ही ताई के पैर m शेप में हो गए थे मैं ताई की पिंडिया पकडे हुए ताई को चोद रहा था ताई के हाथ अपनी चुचियो पर थे जिन्हें वो सहला रही थी
ताई की चूत से बहुत ज्यादा पानी बह रहा था जिस से चूत चिकनी हो गयी थी मेरा लंड बार बार फिसल रहा था करीब दस मिनट तक मैं ऐसे ही धक्के लगाता रहा इस बीच ताई का जिस्म झटके खाने लगा अकड़ने लगा तो ताई ने अब अपने पैर मेरी कमर के पास फसा दिए और निचे से अपने चुतड हिलाने लगी
मुझे भी बहुत मजा आ रहा था ताई की चूत मारने में ताई की गरम सांसे उनकी आहे डिब्बे के वातावरण को झुलसा रही थी और फिर ताई ने मुझे कस लिया अपनी बहो में वो ऐसे लिपट गयी मुझसे की साँस लें भी मुश्किल कर दिया मेरे होंठ उसके मुह में दबे थे और लंड को कस लिया था उसने अपनी चूत में
कुछ देर ताई ऐसे ही झटके खाती रही और फिर शांत पड़ गयी और तभी मेरे लंड से पानी निकल कर ताई की चूत में गिरने लगा मेरा पूरा जिस्म अकड़ गया लरजने लगा आँखे कुछ पालो के लिए बंद हो गयी पर एक के बाद एक झटके खाते हुए मेरा लंड चूत में ढीला होने लगा
ऐसा लग रहा था की बदन से सब कुछ निचुड़ सा गया हो फिर क्या हुआ मुझे याद नहीं रहा जब होश आया तो देखा की मैं और ताई एक दुसरे की बाँहों में नंगे पड़े है ताई का हाथ मेरे सीने पर था तो मैंने उसे हटाया और बोतल से कुछ घूंट पानी पिया गला गीला किया
मैं ताई के नंगे जिस्म को देख रहा था सोच रहा था की कितनी आसानी से ताई को चोद दिया था मैंने मेरे होंठो पर एक मुस्कान सी आ गयी मैंने देखा की ताई की चूत और जांघ के हिस्से पर कुछ सुखा चिपचिपा सा लगा है ताई की चुचिया उसकी सांसो के साथ ऊपर निचे हो रही थी तो बड़ी प्यारी लग रही थी
मैंने अपनी घडी में देखा तो बारह से थोडा उपर हो रहा था हमारा दो दिन का सफ़र था और इन दो दिन में ताई को खूब चोदना था मुझे मैं ताई के बदन पर हाथ फेरने लगा तो ताई भी जाग गयी एक बार तो वो ऐसे हालात देख कर चौंक सी गयी पर फिर उसे याद आया तो मुस्कुरा पड़ी
उसने बेग से दुसरे कपडे निकाले और बोली- मैं आती हु
ताई शायद पेशाब करने गयी थी मैं नंगा ही बैठा रहा थोड़ी देर बाद वो आई ताई ने अब सूट सलवार पहन लिया था और मेरे पास ही आके बैठ गयी मैंने ताई का हाथ अपने लंड पर रख दिया तो वो उस से खेलने लगी और कुछ ही मिनट में वो फिर से नंगी थी
ताई ने मेरे पैरो को फैलाया और खुद फर्श पर बैठ कर मेरे लंड को अपने होंठो पर रगड़ने लगी उसे सूंघने लगी फिर ताई ने अपनी जीभ बाहर को निकाली और मेरे लंड पर फेरने लगी
“ओह,,,,,,, ये क्या कर दिया आप्नीईईए ”
ताई ने अपनी कजरारी आँखों से देखा मुझे और फिरसे मेरे लंड पर जीभ फेरने लगी मुझे बहुत गुदगुदी हो रही थी पर धीरे धीरे उसने लंड मुह के अंदर लेना शुरू किया तो मजा आने लगा और जल्दी ही मेरा लंड उसके गले की गहराइयों को नाप रहा था ताई के थूक से सन गया था वो
साथ ही उसकी उंगलिया मेरी गोटियो पर चल रही थी मुझे तो जैसे पागल ही कर दिया था ताई ने उफ्फ्फ इतना मजा आ रहा था की क्या बताऊ मैं तो इतना गरम हो गया था की ताई के मुह में ही धक्के लगाने लगा जैसे वो ही चूत हो मेरे बदन में आग लग गयी थी काम्ग्नी में जल रहा था मैं
फिर ताई ने मेरे लंड को अपने मुह से निकाला और बिर्थ पर घोड़ी बन गयी ताई का विशाल पिछ
वाड़ा मेरी तरफ आ गया हाय कितने मोटे चुतड थे इस गरम औरत के मैंने अपने हाथ उसके चूतडो पर फेरा तो मजा आ गया ताई ने कहा की उसकी चूत को ऐसे ही मुह से चुसू मैं भी
तो मैंने अपना मुह ताई के चूतडो पर किया ताई की गांड का मस्त छोटा सा छेद उत्तेजना से कांप रहा था मैंने चुतड थोड़े से फैलाये और ताई की चूत पर अपने होंठ लगा दिए एक पल को तो लगा की मेरे होंठो कही जल न जाए ताई ने आह भरी और अपने कुलहो को पीछे करने लगी
चूत का नमकीन खट्टा सा रस मेरी जीभ से टकराया तो मैं उसकी चूत कीदरार पर अपनी जीभ को रगड़ने लगा तो ताई पागल होने लगी मेरे दोनों हाथ ताई के चूतडो पर थे मैं मेरी जीभ चूत के अन्दर घुसने की कोशिश कर रही थी ताई तो जैसे सपनो की दुनिया में खो सी गयी थी
सुदुप सुद्प सू करके मेरी जीभ ताई की चूत से टपकते उस चिपचिपे पानी को चाट रही थी जब जब मेरी जीभ चूत के दाने को छू जाती तो ताई को कर्र्न्त सा लगता ताई का पूरा चेहरा लाल सुर्ख हो गया था
“अब कितना तड्पाएगा जालिम, डाल दे अन्दर और ठंडी कर मुझे ”
मैंने अपने लंड पर थोडा सा थूक लगाया और ताई की चूत पर लगाया ताई के गोरे चुतड हिलने लगे मैंने उसकी कमर पर हाथ रखा और लंड अंदर डालने लगा तो वो हाय हाय करने लगी पर एक बार लंड अन्दर जाते ही वो भी अपनी गांड को पटकने लगी
और चुदने का मजा लेने लगी थप्प्प्प थप्प्प्प की आवाज केबिन में गूंज रही थी पता नहीं कब मेरे हाथ ताई के खर्बुजो पर पहुच गए और मैं उनको दबाते हुए ताई को चोदने लगा और उसने भी मेरा भरपूर साथ दिया उस रात हमने तीन बार चुदाई की
मैं बहुत ज्यादा थक गया था तो कब नींद ने मुझे अपने आगोश में लिया कुछ पता नहीं चला जब मेरी आख खुली तो दोपहर ढल रही थी जम्हाई लेते हुए मैं उठा ताई भी सो रही थी मैंने एक नजर उस पर डाली और फिर अपने कपडे लेकर बाहर चला गया
फ्रेश हुआ फिर नहाया फिर वापिस आया कुछ भूख सी भी लग आई थी तो खाने का आर्डर दिया और खिड़की से बाहर देखने लगा बाकि का वक़्त मैंने ऐसे ही गुजारा उस 48 घंटे में मैंने और ताई ने जितना हो सका चुदाई का आनंद लिया
कोच्ची पहुचने तक मेरी हालत थोड़ी खस्ता हो चुकी थी और ताई थोड़ी सी खिल गयी थी हम ट्रेन से उतरे और स्टेशन से बाहर आये तो टैक्सी थी वहा पर मैंने उस से बात की पर उसकी भाषा ना मुझे समझ आये न ताई को तो मैंने उसे लिख कर बताया पर उसकी समझ में नहीं आया
एक दो टैक्सी वालो से बात की पर उनको थोडा हिंदी का दिक्कत था काफी देर हो गयी तब जाके एक हमारी बोली समझने वाला मिला तो उसको पता बताया अऔर चल पड़े हम रोहित के नाना के घर की तरफ करीब पौने घंटे में हम वहा पहुच गए
उसके नाना का तीन कमरों का घर था उन्होंने अच्छे से हमारा स्वागत किया मैं थोडा थका हुआ था तो सो गया और सोया भी ऐसा की सुबह ही आँख खुली तो मैंने देखा की ताई और उसकी माँ ही थी नाना ड्यूटी पे जा चुके थे ताई ने मुझे रसोई में आने को कहा
मैं ताई के पीछे रसोई में गया ताई ने एक मैक्सी पहनी हुई थी मैंने देखा नानी तो अपने कमरे में आराम कर रही थी तो जाते ही मैंने ताई को अपनी बाहों में जकड लिया और ताई के चुचे दबाने लगा
ताई- सबर कर ले थोडा
मैं- नहीं होता करने दो ना
वो- माँ आ जाएगी
मैं- कोई नहीं आएगा
मैंने ताई का मुह अपनी तरफ किया और ताई के लाल होंठो को अपने मुह में दबा लिया पर उसने जल्दी ही मुझे परे धकेल दिया
“मैंने कहा ना अभी नहीं ”
मैं- बस एक बार
ताई- पहले कुछ खा ले
फिर उन्होंने मुझे नाशता करवाया और खुद भी किया उसके बाद ताई नहाने चली गयी मैं टीवी देखने लगा पर वो दिन ऐसे ही गया नानी ज्यादा तर ताई के साथ ही रही तो मुझे चोदने का मौका नहीं मिला फिर शाम को नाना आ गए तो ऐसे ही टाइम पास होता रहा उस रात भी कुछ ना हुआ
अगले दिन मैं और ताई घुमने गए
मैं- फिलम देखने चले
ताई- ठीक है थोडा टाइम पास भी हो जायेगा
तो मैंने टिकट ली और सिनेमा हाल में घुस गए पर भीड़ पता नहीं क्यों ज्यादा नहीं थी मैं और ताई ऊपर की तरफ बैठ गए और फिल्म शुरू हो गए आसपास कुछ जोड़े और बैठे थे पर हम चूँकि सबसे ऊपर की रो में थे तो किसी का हमारी तरफ ध्यान नहीं था बल्कि हम तो देख ही सकते थे
तो हमसे कुछ रो आगे बैठे जोड़े ने अचानक ही चूमा चाटी करना चालू कर दिया मैंने इशारे से ताई को दिखाया तो वो हसने लगी मैंने भी ताई का हाथ अपने लंड पर रख दिया तो उसने हटा लिया
मैं- एक पप्पी दो ना
ताई- यहाँ नहीं
मैं- वो भी तो कर रहे है
ताई- समझा कर
मैं- मान भी जाओ
वो- समझा कर आज रात कुछ भी करके दूंगी पर यहाँ नहीं
तो अब हम क्या कर सकते थे खैर, फिलम देख कर हम वापिस आये बड़े शहरो की तो रौनक ही अलग होती है हम गाँव वालो की क्या बिसात उस चकाचौंध के आगे तो फिर घर आये खाना खाया ऐसे ही रात हो गयी तो पता चला की कल नानी को हॉस्पिटल ले जाना है दिखाने के लिए
तो ताईजी ने कहा की वो चली जाएँगी साथ पर मुझे तो चोदने की लगी थी ताई ने इशारो से कहा की काबू रखो ऐसे ही बातो बातो में दस बज गए बस सोने की तयारी ही थी की बिजली चली गई तो ताई बोली- मैं तो इतनी गर्मी में ना सो पाऊँगी
नाना- बेटा तो छत पर सो जाओ
ताईजी-आप लोग भी चलो
नाना- नहीं बेटी, तुम्हरी माम तो चढ़ नहीं पायेगी और मैं भी निचे ही सो जाऊंगा क्योंकि मुझे सुबह जल्दी ही निकलना है ऑफिस के काम से तुम दोनों सो जाओ और हाँ सीढियों के दरवाजे को खुल्ला ना रखना चोरिया बहुत होती है इधर
तो हम अपनी अपने बिस्तर लेकर छत पर आये और फिर सीढियों का दरवाजा बंद कर लिया चारो तरफ अँधेरा था और दरवाजा बंद करते ही मैंने ताई को अपनी बाहों में ले लिया और और मैक्सी के ऊपर से ही ताई की छाती को दबाने लगा
स्पर्श से ही मैं जान गया की उसने ब्रा-पेंटी नहीं पहनी है और पहनती भी क्यों वो भी तो बेक़रार थी मेरा लंड लेने के लिए जल्दी ही हम दोनों के कपडे पास में पड़े थे ताई ने मेरे लंड को अपनी जांघो में दबा लिया था और अपने चुचे दबवा रही थी
मैं- कितना तडपाती हो
वो- मौका लगते ही आ तो गयी
मैं- जी तो करता है की तुझे 24 घंटे लंड पे बिठाये रखु मेरी जान
ताई- तो अब बिठा ले किसने रोका है
मैं- वो तो बिठाऊंगा ही पर जरा पहले तेरे इस बदन को थोडा सहला लू उफ्फ्फ ताईजी कितनी गरम है तू जी करता है किसी रसगुल्ले की तरह तुझे गप्प से खा जाऊ
मेरे हाथ ताई के बोबो पर रेंग रहे थे और ताई लगातार अपने मोटे मोटे कुलहो को पीछे रगड़ रही थी उस गर्मी के मौसम में भी अब मजा आ रहा था ताई अब निचेबैठ गयी और मेरे लंड को चूसने लगी मैंने अपने दोनों हाथ उसके सर पर रख दिए और ताई के होंठो का मजा अपने लंड पर लेने लगा
ऊऊऊउ ऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊउ ताई की नाक से ऐसी आवाज आ रही थी और मेरा लंड ताई के मुह में बार बार अन्दर बाहर हो रहा था ताई ने अपने दोनों हाथ मेरे कुलहो पर रखे हुए थे और जितना हो सके लंड को अपने मुह में ले जा रही थी
पर जो मजा चूत में मिलता है वो मुह में कहा तो मैंने ताई को दीवार के सहारे खड़ा कर दिया और थोडा सा थूक ताई की चूत पर लगाया ताई ने अपने पैर को मेरी कमर पर लगाया और खड़े खड़े ही मैं ताई की चूत मारने लगा मेरे दोनों हाथ उसकी कमर पर थे और होंठो में होंठ दबे हुए थे
ताई की सिस्कारिया मेरे मुह में ही घुल रही थी उसकी पूरी लिपस्टिक मेरे मुह में पिघल गयी थी पसीने से तप रहा था बदन पर नसों में ताप बढ़ रहा था ताई की गरम चूत मेरे लंड को निचोड़ देना चाहती थी जैसे की और फिर ताई बिस्तर पर लेट गयी मैं उसके ऊपर वो मेरे निचे हमारी सांसे तो खामोश थी पर छत पर ठप्प ठप्प की आवाजे गूंज रही थी
उसके पैर हवा में उठे हुए थे और गप गैप मेरे लंड ने चूत की रेल बनाई हुई थी ताई की चूत का छला जो रगड़ खा रहा था मेरे लंड से चुदाई का आनंद दुगना हो गया था उसके रसीले होंठ गोरे गाल सब पर मेरे दांतों के निशान अपनी छाप छोड़ गए थे
बहुत देर तक हम दोनों के जिस्म एक दुसरे से उठा पटक करते रहे और फिर हम झदते जले गए समा गए एक दुसरे की बाहों में हसरतो के आगे जिस्मो की हद ने पनाह मांग ली थी पसीने से टार हम दोनों एक दुसरे की बाहों में लिपटे लिपटे ही सो गए
भोर ने जब दस्तक दी तो आँख खुली, मैंने देखा मेरी बगल में ही ताई सो रही थी जैसे सुबह की पहली किरण ने चुम्बन लिया हो उसका इतनी खुबसूरत लग रही थी कौन कह सकता था की उम्र के 35 के फेर में ऐसी ताजगी जैसे की किसी चमन में वो अकेला गुलाब हो
उसके होंठो को हल्ल्के से चूमा मैंने और फिर उसे जगाया अंगड़ाई लेते हुए वो जागी तो कसम से उसकी चुचिया हवा में तन गयी दिल तो किया की अभी के अभी पेल दू उसको पर कण्ट्रोल किया हमने बिस्तर समेटा और निचे आये
मैं सीधा बाथरूम में घुस गया और नाहा धोके करीब आधे घंटे बाद आया तो नानी ने नाश्ते के लिए बोला पर इधर का ट्रेडिशनल खाना मेरे को थोडा जम नहीं रहा था बस खा ही रहा था जैसे तैसे करके खैर, आज नानी को हॉस्पिटल ले जाना था तो नाना ने ऑटो घर ही बुला लिया था
तो हम सब तैयार होकर चले हॉस्पिटल के लिए मैं कोने में ताई बीच में और दूसरी तरफ नानी बैठ गयी ऑटो चल पड़ा ताई के पैर मेरे पैरो से रगड़ खा रहे थे तो मुझ पर गर्मी चढ़ने लगी ताई ने अपनी नशीली आँखों से मेरी तरफ देखा तो मैं मुस्कुरा दिया
मैंने इधर उधर देखा और फिर अपनी कोहनी से ताई के चूचो को सहलाने लगा तो ताई के चेहरे का रंग बदलने लगा पर वो भी शायद मजे लेने के मूड में थी तो उसने मुझे मना नहीं किया तभी ऑटो ने झटका सा खाया तो ताई ने अपना हाथ मेरे लंड पर रख दिया
और उस एक पल में ही उसे दबा दिया दरअसल वो भी दिखा रही थी की वो कम नहीं है हमारी आपस में छेडछाड चालू थी और मेरा लंड पेंट से बाहर आने को मचल रहा था पर यहाँ किया कुछ नहीं जा सकता था तो अपने जज्बातों को किया काबू में और पहुच गए हॉस्पिटल में
नानी को डॉक्टर को दिखाने में बहुत टाइम निकल गया पर वो ठीक हो रही थी तो राहत की बात थी मैं नानी के पास ही रुक गया और ताई दवाइया लाने गयी जब वो मटक के चल रही थी तो मेरी निगाह ताई की मस्तानी गांड पर ही थी मेरा तो बुरा हाल हो रहा था की क्या करू अब
खुद पर काबू करना मुश्किल हो रहा था खैर घर आये नानी अपनी गोली लेकर सो गयी और मैंने ताई को पकड़ लिया
मैं- कब से तडपा रही हो अब जल्दी से मेरे लंड को शांत करो
ताई- तूने मुझे कितना गरम कर रखा है देख जरा
ताई ने मेरा हाथ अपनी चूत पर रख दिया तो मैं उसे मसलने लगा साड़ी के ऊपर से ही ताई मेरे होंठो को चूसने लगी मैंने ताई की साड़ी को ऊपर उठाया और कच्छी को घुटनों तक सरका दिया किस करते करते मैंने ताई की चूत में ऊँगली डाल दी और उसको अन्दर बाहर करने लगा
ताई का निचला होंठ मेरे मुह में था और ताई का हाथ मेरे लंड पर चल रहा था बस कुछ ही देर में हम दोनों एक दुसरे में खो जाने वाले थे पर शायद किस्मत को ये मंजूर नहीं था हमारा काम शुरू हुआ ही था की किसी ने घंटी बजा दी
तो हमने अपने अपने कपडे सही किये ताई ने दरवाजा खोला तो पड़ोसन आंटी आई थी और आई तो ऐसी आई की दो ढाई घंटे पहले गयी ही नहीं पर हम क्या कर सकते थे अब हर चीज़ हमारे हिसाब से तो नहीं हो सकती थी ना तो बस दिल को रोक लिया की मौका मिले तो बात बने
आंटी के जाने के बाद हम सब तैयार हुए जल्दी से क्योंकि आज नाना के बॉस के घर पार्टी थी तो नाना के आते ही हम चल दिए काफी शानदार आयोजन किया गया था काफी लोग आये हुए थे ऐसे ही करीब १२-1 बज गया नाना ने वैसे तो टैक्सी बुक की हुई थी पर वो साला पता नहीं कहा पार हो गया था अब इस टाइम दूसरा साधन मिलने का भी थोडा दिक्कत था
क्योंकि बॉस का घर थोडा बाहरी इलाके में था नाना के सहकर्मी ने हमे छोड़ने को कहा पर दिक्कत ये थी की गाड़ी में दो लोगो की जगह थी और हम थे चार तो क्या किया जाये मैंने कहा आप और नानी जाइये क्योंकि नानी बहुत थक भी गयी थी और उनकी तबियत का भी इशू था
कुछ ना नुकुर के बाद वो लोग चले गए तो हमने भी सोचा की कुछ जुगाड़ करते है कोई बीस मिनट के बाद उधर से एक टैक्सी वाला आया तो मैंने उसे हाथ दिया उसने गाड़ी रोकी पर वो नशे में झूम रहा था
ताई- पिए हुए है जाने दे इसको
मैं- पर और कोई साधन आये ना आये रुको मैं देखता हु
मैंने टैक्सी वाले को एड्रेस दिया तो उसने कहा की रात का टाइम है इसलिए डबल किराया लेगा तो मैंने हां कह दिया और उसको थोडा सेफ्टी से चलने को कहा
ताई का मन नहीं था पर मैं साथ था तो हम बैठ गए उसने गाड़ी चलाई पूरी गाडी शराब की बदबू से महक रही थी पर जल्दी ही मुझे लगा की ये तो दूसरा रास्ता है तो मैंने पुछा
ड्राईवर- ये शॉर्टकट है जल्दी पहुचेंगे
मैं चुप हो गया करीब आधा घंटा हो गया आबादी कम कम होती जा रही थी और जंगल घना तो मेरे दिमाग में डाउट हुआ
मैं- अबे कहा ले जा रहा है
वो- कहा न पंहुचा दूंगा
रात का वक़्त ऊपर से ताई मेरे साथ तो अब मैं भी घबराने लगा कुछ मिनट और बीती कायदे से हमे शहर के अन्दर की तरफ होना चाहिए था पर हम और दूर निकल आये थे तो मेरा दिमाग घुमने लगा
मैं- कहा ले जा रहा है
वो- सही तो जा रह है
मैं- गाड़ी रोक
तो उसने बराक मारा,
मैं- शहर तो दूर रह गया तू कहा ले आया हमे
वो- मुझे नहीं पता
बहनचोद ये क्या बोल रहा है
मैं- नहीं पता का क्या मतलब
वो साला कुछ ना बोला शायद अब दारू पूरी तरह से चढ़ गयी थी उसके सर में अँधेरी रात में साला पता नहीं कहा ले आया था अब साला तूफानी बन रहा था मुझे भी गुस्सा आने लगा तो हमारी थोड़ी बोल चल हो गयी और वो हमे वही छोड़ के भाग गया
मैंने अपना माथा पीट लिया
ताई- अब कहा फसवा दिया
मैं- पता नहीं