जोरू का गुलाम या जे के जी

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kunal
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Re: जोरू का गुलाम या जे के जी

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" एकदम मम्मी आप आइये तो , हम दोनों आपकी सेवा के लिए बेताब हो रहे हैं।

और वो जा आपकी बड़ी बहू जल्दी जल्दी कर रही हैं उनसे बोल दीजिये न हमने नेट से चेक कर लिया है ,गाडी पूरे ४२ मिनट लेट है। असली बात ये है की आपकी बड़ी बहू ने किसी यार को टाइम दे रखा है बस इसी लिए आप लोगों को भेजने की जल्दी है ,

और इसी लिए हम लोग परसों आ रहे है जिससे एक रात का मौका उनको और मिल जाए। और उसके बाद तो मैं उनके देवर को ला ही रही हूँ ,देवर भाभी अपनी पुरानी यादें ताजा कर लेंगे। "

सासु जी खिलखला के बोलीं ,

" देवरानी जेठानी के बीच में मैं नहीं पड़ती , और देवर भाभी के बीच तो एकदम नहीं। परसों तू दोनों आ ही रहे हो सलट लेना आपस में। अरे वो टैक्सी वाला हल्ला कर हां है ,इसलिए। निकलती हूँ , और तेरी अर्जी जरूर लगाउंगी ,पक्की पूरी होगी। "

और उन्होंने फोन रख दिया।

फिर तो मैंने और मम्मी ने मिल के उन्हें ऐसा चिढाया ,

और मम्मी ने भी रात में साढ़े ग्यारह बजे उनसे गुड्डी को भी फोन लगवाया ,पूरे पौन घण्टे बात की दोनों ने।





" भईया ,इत्ती रात को , ... " अलसाती ,अंगड़ाई लेती आवाज में गुड्डी बोली। थोड़ी शिकायत,थोड़ी नखड़ा।

" क्यों रात को नहीं कर सकता क्या मैं ,"

वो सीधे मम्मी के सिखाये लेवल पर आ गए ,पर मेरी छिनार ननदिया,दुहरी मीनिंग वाले डायलाग बोलने में उनसे भी २० थी।







बड़ी अदा से वो शोख किशोरी बोलीं,

" एकदम कर सकते हो भैया आप ,चाहे दिन को चाहे रात को , मैं मना नहीं करुँगी। "

फिर कुछ रुक के बोली ,



"लेकिन आज दिन में किया था न फिर से रात में ," वो लेवल बढ़ाती जा रही थी , उन्हें उकसा रही थी।

और अब वो भी पक्के बेशर्म ,लौंडिया पटाने में एक नम्बर के , वो भी बोले ,

" क्यों एक बार कर लूंगा तो दुबारा नहीं करवाएगी तू ,:

मुझे लगा अब वो गुस्सा हो जाएगी , या फोन रख देगी पर वो भी ,

कुछ देर वो खिलखलाती रही ,फिर बोली ,

" अरे भैया लगता है तुझे कुछ हो गया है ,इत्ती रात को ऐसी ऐसी बातें ,... "

फिर कुछ रुक के सीरियस होती बोली ,




" भइया तू नम्बरी भुलक्कड़ हो। दिन में क्या बोला था मैंने , भूल गए इतनी जल्दी। अरे मैंने बोला था , तू ही पीछे हट जाते हो मैंने आज तक मना नही किया। फिर ये भी तो कहा था न की मान लो मैं मना करूँ भी , तो कोई जरूरी है तू मान जा। "



" एकदम नहीं मानूँगा , मेरे पीछे हटने का सवाल ही नहीं ,अब तुझे भी पीछे नहीं हटने दूंगा ,और नहीं मानेगी तो जबरदस्ती। "





" उफ़्फ़ जबरदस्ती , ऐसे तो न थे आप ,खिलखलाती वो बोली ,फिर हंस के कहा , अच्छा समझी ,भाभी ने बताया था न दिन में ,उनकी पांच दिन की छुट्टी चल रही है इस लिए इतने जोश में हो आप। "


गुड्डी भी न ,

फिर गुड्डी ने उन्हें और उकसाया ,

" अच्छा चलिए आप इतना बोल रहे हो न तो बोलो ,क्या करोगे जबरदस्ती ,ज़रा मैं भी तो देखूं अपने प्यारे प्यारे भइय्या की हिम्मत। "

एक पल केलिए वो रुके ,

एकदम जोश में आ चुके थे वो ,पहले तो मेरी सास से एकदम खुल्लमखुल्ला और फिर अब ये छिनार ननद तो और ,...

तंबू पूरा तना और ऊपर से मम्मी ने शार्ट खींचकर उसे बाहर भी कर दिया ,

" तेरी ले लूंगा ,आने तो दो मुझे। "

" क्या ले लोगे ," गुड्डी अब भी उन्हें छेड़ रही थी ,चढ़ा रही थी

" सब कुछ ,कुछ भी नहीं छोडूंगा। " वो भी अब जोश में थे।

" पहले आओ तो , अभी भी ३४ घंटे १८ मिनट बचे है तेरे यहां आने में। " बड़ी शिकायत से तल्खी भरे अंदाज में वो बोली।



लेकिन वो अब मूड में आ गए थे बोलते रहे ,

बोले ,





" तेरे गुलाबी होंठ


,प्यारे प्यारे गाल , ...मीठी सी चुम्मी ,... आगे बोलूं क्या क्या लूंगा। "

" नहीं नहीं , अब मुझे नींद आ रही है सोने जा रही हूँ , ... "


वो हंस के बोली।

" आ जाऊं मैं भी , बाकी का सपने में बता दूंगा क्या क्या लेनी है तेरी। "


वो अब एकदम जोश में थे।

"एकदम भैय्या आओ न , फिर कुछ रुक के हलके से बोली ,







" मैं तो तुझे सच में भी मना नहीं करुँगी ,सपने में कौन मना करता है , गुड नाइट एंड स्वीट ड्रीम ,लेकिन सपने में आना जरूर। "

और गुड्डी ने फोन काट दिया।

' साली ,छिनार , ऊँगली कर रही होगी तेरे लन्ड के बारे में सोच सोच के "



मम्मी ने उनका लन्ड मुठियाते बोला ,




फिर जोड़ा ,


" देख न,कैसे गीली हो रही थी ,कित्ते मोटे मोटे चींटे काट रहे थे हरामजादी की चूत में ,अरे जा रहे हो परसों तो पहला मौका पाते ही चांप देना ,वरना इतना गरमाई है किसी से भी भरतपुर लुटवा लेगी। "

" एकदम मम्मी। " उन्होंने हामी भरी।

सारी रात वो और उनकी सास ,एक बूँद नहीं सोये ,

कभी वो उन्हें सिखाती पढ़ातीं तो कभी सेवा करवाती ,...

मुझे तो बीच में बार बार झपकी आ जाती ,ट्रेन उनकी एकदम सुबह सुबह थी।

और जब चलने का समय हुआ तो मुझे लगा मम्मी से कुछ आखिरी ट्रिक्स तो सीख लूँ कुछ इनके बारे में और इससे ज्यादा कुछ इनकी मायके वालियों के बारे में , अब २४ घण्टे में तो हमें भी वहां चलना था।

मम्मी मेरा इशारा समझ गयीं ,और उनसे बोलीं ,

" ज़रा जा के अच्छी तरह से हर कमरे को देख के आ न ,कहीं मेरी कोई चीज छूट तो नहीं गयी , बाथरूम ,एक एक बार्डरोब सब देख लेना ,

और उनके जाते ही मम्मी की ज्ञान गंगा चालू हो गयी।
मुस्कराते हुए वो बोलीं ,

" मुझे मालूम है तू क्या जानना चाहती है ,तुझे १०० में १०० नम्बर इसे चेंज करने के लिए। लेकिन कहानी अभी शुरू हुयी है। यू नो ,असली गुलाम है वो जो तेरे कहने के पहले समझ जाए तेरी जरुरत क्या है। "

मुझे याद आ गया कई बार मम्मी के पैरों में जुम्बिश भी नहीं होती थी और वो सैंडल ले कर पहननाने लग जाते थे। मम्मी के बोलने का तो सवाल ही नहीं था।

" और ये तब होगा जब वो तन से या दिमाग से नहीं बल्कि मन से गुलाम हो जाए , बस उसे ये लगे की कैसे उसे तुझे खुश रखना है। कभी डांट के कभी झिड़क के तो कभी प्यार से , कभी नीम नीम कभी शहद शहद , बस एकदम से कुछ दिनों में देखना और साथ में उसकी सेक्स की भूख , फंतासियां उन्हें खूब हवा दो। गलत सही कुछ नहीं सिर्फ मजा , "

मम्मी बोल रही थीं और मैं ध्यान से सुन रही थी।

" असली इम्तहान तेरा उसके मायके में होगा , जहाँ उसके साथ उसकी भाभी ,बहन होगी।

और उस समय भी अगर वो तेरे रंग में रंगा रह गया ,तो बस तेरा रंग पक्का। हाँ , इसके लिए तुझे साम ,दाम ,दंड भेद सब इस्तेमाल करना होगा। पुचकारना ,

उसकी बहन के लिए उसकी चाहत और भड़काना ,और उसकी जो 'हॉट हॉट 'पिक्चर हैं न बस उसका इस्तेमाल जरूर करना ,अपने मोबाइल में ऊपर ही रखना।

और उसकी ममेरी बहन के साथ भी पहला मौक़ा पाते ही उसकी हाट सेक्सी फोटुएं जरूर ,




और बेस्ट तो होगा की कुछ करके ,अपनी उस छिनार ननद के एक दो अच्छे वाले एम् एम् एस बना लेना।




मुझे भेज देना तो मैं थोड़ा मॉर्फ करके किसी पॉर्न वीडियों से कुछ एक्शन फोटो भी डाल दूंगी , बस दिखा देना उस छिनार को।

एक बार वो कब्जे में आगयी ,फिर तो एक से एक वीडियो खुद बनवायेगी। "

मैं एक एक बात मन में गाँठ बाँध रही थी।


और तभी वो आगये , थोड़े थके ,थोड़े उदास ,मुंह लटकाये।

" मैंने अच्छी तरह चेक कर लिया मम्मी कुछ नहीं मिला। "

रस्ते भर भी उनका मन उदास , कार में वो पीछे बैठे अपनी सास के साथ ,उनकी गोद में सर रखे और मैं ड्राइव कर रही थी।

मम्मी उनका सर सहला रही थीं प्यार से ,फिर शरारत से उनके कान खींचते बोली ,

" अरे इतना मुंह क्यों लटका रहे हो आउंगी न दस दिन के बाद ,पक्का बोला। "

अब थोड़ा उनका मन कुछ खुश हुआ , सीधे हो के बैठ गए। मम्मी ने उन गाल जोर से पिंच करके बोला ,

" अरे तेरी माँ के साथ आउंगी ,जिस दिन वो तीर्थ से लौटेंगी , उसी दिन। अरे दो काम बचे है बहुत जरुरी। "

अब देख भले ही मैं सामने देख रही थी ,लेकिन कान मेरे भी पीछे चिपके हुए थे।

मॉम बोली ,

" अरे अपने सामने तुझसे तेरी माँ चुदवानी है। मेरी समधन के भोंसडे में मेरे दामाद का मोटा लन्ड जाएगा बोल चोदेगा न ,"




बिना किसी हिचक के न उन्होंने सिर्फ सर हिलाके हामी भरी बल्कि बोला भी ,हाँ मम्मी।

" और दूसरी उससे भी जरूरी चीज ,वो जो चीज लाएगा तू अपने मायके से , न ज़रा मैं भी उसे चखूँगी , और अपने सामने उस को तुझसे गाभिन भी करवाउंगी।





कोई ट्रिक विक नहीं ,गोली वोली कुछ नहीं , बोल फुलायेगा न पेट उसका ,अरे ९ महीने में सोहर होगा , पहिलौठी का दूध तुझे पीने का मौका मिलेगा। है न दोनों जरुरी काम , तुझे मादरचोद बनाने का ,और तुझसे तेरी बहन का पेट फुलवाने का अरे बहनचोद तो आज कल करीब करीब सभी होते हैं लेकिन असली तो वो है जो बहिनिया को गाभिन कर दे। लेकिन मेरी एक शर्त है बस ,"


अब वो और मैं दोनों चौकन्ने हो गए थे , उन्होंने बोला भी ,

" एकदम मम्मी आपकी कोई बात मैंने टाली है जो इसे टालूंगा। "

' बस तू जल्दी से जल्दी अपनी उस बहन को , ... पहले तो उस हचक हचक के चोद ,उसकीकसी कुँवारी चूत की पहली चुदाई का वीडियो , खून खच्चर कुँवारी चूत का फोटो मुझे खुद व्हाट्सऐप करना तभी मैं आने का प्रोग्राम बनाउंगी। "

एकदम मम्मी , तुरंत उन्होंने हामी भरी।

अगला हुक्म मेरे लिए था।

" बहनचोद तो ये बन जाएगा लेकिन इसे गांडू बनाने की जिम्मेदारी तेरी , तूने ही इसका पिछवाड़ा बचाया था न डिल्डो से ,अब उसकेलिए मोटे करारे लन्ड का इंतजाम करना तेरी जिम्मेदारी। ये मत कहना की नखड़ा कर रहा था , तू अगर चाहती है की तेरी सास की , ... "

गनीमत है तबतक स्टेशन आ गया था,उनका मूड ठीक हो गया था और मैं भी समझ गयी थी मम्मी का मेसेज।

मम्मी को छोड़ कर आने के बाद वो ऐसे बिस्तर पर गिरे। सच में कित्ते दिन बाद वो ठीक से सोये थे , मैं भी थकी उनसे चिपक कर सो गयी।



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जोरू का गुलाम भाग ६५

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जोरू का गुलाम भाग ६५


फ्लैश बैक
मंजू बाई ने गरमागरम कड़क चाय बनाई थी ,बस मैंने और मंजू बाई ने साथ साथ चाय पी।

वो भी मम्मी की पक्की फैन हो चुकी थी,

घर का पूरा काम आज मैंने उसके भरोसे छोड़ा ,और पैकिंग मैं लग गयी ,कल सुबह ही इनके मायके के लिए निकलना था। फिर ढेर सारे आइटम मैंने अपनी जेठानी के लिए ,इनके माल के लिए लिए थे , इतने दिन बाद ससुराल जा रही थी।

मंजू बाई ने भी पूछा भी लेकिन मैंने बोल दिया उन्हें सोने देने को , कब के सोये नहीं थे ठीक से ये।

मंजू बाई जब जाते हुए दरवाजा बंद कर रही थी तो मैंने उससे बोला , ज़रा गीता को भेज देना , थोड़ा हेल्प करा देगी , बहुत काम पड़ा है।

मैंने पहले तो अपनी ननद के लिए , मम्मी ने उन्हें समझाया था ,इत्ता मस्त सेक्सी माल है बिना गिफ्ट के नहीं पटेगी और और शापिंग भी ज्यादा मैंने इन्ही के साथ की थी ,




हाफ कप पुशिंग ब्रा ,जो उसकी कच्ची अमियों को न सिर्फ कस के दबोच के रखेंगे बल्कि एक दो नम्बर और उभारेंगे। हाफ कप होने से क्लीवेज भी खूब गहरा होगा और उरोजों के उभार भी छलक छलक कर बाहर आएंगे।




और भी तरह तरह की ब्रा , एकदम शियर ,सब कुछ दिखता है वाली , लेसी ,




और साथ में मैचिंग पैंटीज और पैंटीज क्या ज्यादातर तो थांग , बस एक दो अंगुल की पट्टियां और पिछवाड़े तो बस एक पतली सी रस्सी की तरह गांड की दरार में फंसी।




टॉप भी वैसे , शोल्डर लेस हाल्टर , टैंक और ट्यूब टॉप्स स्कर्ट सारी घुटनों से कम से कम दो बित्ते ऊपर वाली और कई तो साथ में साइड स्प्लिट भी , उसकी गोरी गोरी जाँघे एकदम खुल के दिखतीं।

साथ में उसे गिफ्ट करने के लिए इन्होंने एक लेटेस्ट आई फोन भी खरीद दिया था।

और उनके सामान भी पैक करने थे , जो जो कपडे वो अपने मायके में नहीं पहनते थे सारे वही ,

पिंक शर्ट्स , पूरी फ्लोरल डिजाइन की , कुछ ऑलमोस्ट ट्रांसपेरेंट स्लीवलेस शर्ट्स , शार्ट्स भी बॉक्सर वो भी मैश्ड ,कुछ मेल जाक्स ,

तब तक गीता गयी थी , किचन का जिम्मा मैंने उसे ही सौंपा ,अभी और भी पैकिंग बाकी थी ,

प्लेइंग कार्ड्स वो भी एकदम न्यूड अलग आसनों में चुदाई करते ,

रम और जिन,वोदका की बोतलें ( कोला और ,लिम्का में मिलाने के लिए )

वाइन वाली चॉकलेट्स , कुछ खिलौने जो ख़रीदे थे अपनी ननदिया के लिए।


अपने भी मैंने ज्यादातर शलवार शूट्स ,टॉप कैपरी और जीन्स ही रखी।




एक जमाने में तो साडी वो भी पूरे सर पर के अलावा कुछ पहनने की मैं सोच भी नहीं सकती थी अपने ससुराल में।

खाना मैंने गीता ने साथ साथ खाया , वो अभी भी सो रहे थे।


गीता और मैंने घर को भी , ....अब हफ्ते भर तक तो घर बंद रहना था ,ठीक किया।

उनकी नींद खुलने की हलकी से आवाज आयी तो मैंने गीता को उन्हें खिलाने के काम पे लगा दिया और खुद घर की सेटिंग में लगी थी।

खा के वो सो गए ,गीता बर्तन वर्तन कर के चली गयी। तिजहरिया हो रही थी , मेरा भी काम ख़तम होने को आया था ,


तभी फोन की घंटी बजी।

ट्रिंग ट्रिंग ,

मैं बिस्तर पर इनके बगल में लेटी अलसा रही थी , मैंने फोन नहीं उठाया।

ट्रिंग ट्रिंग फिर फोन ने दस्तक दी , करीब करीब मुंझे झिंझोड़ते हुए , और मैंने अनमने मन से फोन उठा ही लिया। ,

और आवाज सुनते ही जोर से चीखी

"जीजू , आप,... तुम कहाँ पर ,... "

" अरे साली ,इत्ते देर से लगाने की कोशिश कर रहा था , लग नहीं पा रहा था। "




हँसते हुए उनकी आवाज आयी ,

वही मैस्कुलिन हस्की सेक्सी आवाज ,वही खनखनाती हंसी , कमल जीजू ,एकदम,...

" अरे जीजू , ये कैसे हो सकता है की मेरे जीजू लगाने की कोशिश करें और लगा न पाएं। "

खिलखिलाते हुए एकदम उन्ही के अंदाज में मैंने द्विअर्थी जवाब दिया।

" अरे साली मेरी ऐसी मक्खन ऐसी चिकनी है , हरदम फिसल जाती है। "

कमल जीजू भी न उसने जीत पाना , ... खैर उन्होंने हाल खुलासा बताने की ज्यादा कोशिश नहीं की।

सिर्फ ये कहके की टावर नहीं है ,सिग्नल बहुत कमजोर है ,वो रास्ते में हैं ,और जहां सिग्नल ठीक आएगा , आधे पौन घण्टे बाद ,वहां से फिर लगाएंगे।

और ये कहके उन्होंने फोन रख दिया।

और मैं यादों की दुनियां में खो गयी।

कमल जीजू ,मैं एकदम से उनकी फैन हो गयी थी , जब से पहली बार उनसे मिली थी चीनू की शादी में ,तभी से।





चीनू मेरी सबसे बड़ी बहन।




वैसे तो मैं एकलौती बेटी थी , मम्मी की लेकिन मेरी दो मौसियां थी , बड़ी मौसी की बेटी चीनू सबसे बड़ी और मंझली मौसी की बेटी रीनू उनसे छोटी ।


सबसे छोटी मैं।

लेकिन उमर में साल दो साल का ही फरक।

हर साल कम से कम एक दो बार छुट्टियों में हम लोग मिलते थे और एकदम खुल के बेबाक , मेरी मौसियां मम्मी से भी दो हाथ आगे थी।

उभार आने लगे तो मजाक भी खूब खुल के ,

मैं सबसे छोटी थी तो दोनों ,रीनू और चीनू मिल के मुझे बहुत चिढाती थी और उनसे भी ज्यादा मेरी मौसियां।

" उभार तो तेरे मस्त उठ रहे हैं ," बड़ी मौसी मिलते ही दबा के कहतीं और फिर ,




सबसे छोटी है तू , दो दो जीजा का मजा तुझे मिलेगा।




रात में मैं और रीनू चीनू एक साथ ही सोतीं और तीन शोख किशोरियां एक कमरे में एक साथ हो तो ,...




वो सब कुछ होता था जो आप सोच सकते हैं।



लेकिन हर बार चीनू और रीनूबस एक बात ,

" यार तेरे मर्द को बड़ा घाटा होगा , एकदम चौड़ी पोखर मिलेगी उसे। जबतक उसका नम्बर आएगा मेरे और चीनू के मरद इतनी बार उसमें डुबकी लगाएंगे की ,... "



शुरू में तो मैं चिढ़ती थी लेकिन एक बार मम्मी के सामने मेरी दोनों मौसियां भी यही कह के मुझे चिढा रही थीं तो मेरी ओर से मम्मी आ गयीं मैदान में ,

" अरे अच्छा तो है ,सबसे छोटी साली है , दो दो जीजा का मजा लेगी। इसको इतना इन्तजार भी नहीं करना पडेगा ,शादी हो तो , ..."


और मुझसे बोलीं

" तू काहें मुंह फुलाये है , अरे ये सोच न शादी तेरी बहनों की होगी फायदा तेरा होगा। "

फिर यही ट्रिक और जवाब मैंने भी सीख लिया , रात में जब हम तीनो मौसेरी बहने एक दूसरी की नयी नयी आयी केसर क्यारी सहलाती ,गुलबिया का रस लेतीं तो चीनू मेरी फांको में अपनी तर्जनी घुसाने की कोशिश करती ,

" सुन ले नो कैंडलिंग , वैंडलिग ,... इस में सबसे पहले मेरे वाले का घुसेगा। "





" और उसके बाद मेरे मर्द का मूसल ,... " मेरे कच्चे टिकोरे दबाते मेरी दूसरी मौसेरी बहन बोलती ,रीनू।


"और फिर तेरे दोनों जीजू एक साथ सोच ले क्या हालत होने वाली है तेरी इस चुनमुनिया की। "

दोनों एक साथ छेडती।

और अब मैं भी चपल चालाक होगयी थी उलटे उन्ही पर चढ़ाई कर देती ,

" अरे चीनू दी , सोच लो छोटी साली हूँ ,आप से पहले जीजू को मैं टेस्ट कर के देखूंगी ,फिर मत बोलना , ... "

" एकदम नहीं बोलूंगी , अरे तू भी क्या याद करेगी ,हम दोनों की छोटी बहन है ,ले लेना ले लेना। " हंसते हुए चीनू बोलतीं।

और धीमे धीमे ये मजाक से भी बढकर ,जब हम किशोरियों से पूरी तरुणी होगयी , ये पक्का पैक्ट होगा , उन दोनों से पहले मैं अपने जीजू के साथ ,...


लेकिन कहते हैं न प्लानिंग से कुछ नहीं होता।

तीनो बहनों में सबसे पहले मेरी शादी हो गयी ,इसलिए इन्हें बंद किले का दरवाजा खोलना पड़ा।

" सारी चीनू दी , ... " विदाई में मुस्करा के मैंने उनसे कहा।

चीनू की शादी भी तय तो मेरे साथ ही हुयी थी लेकिन कुछ छुट्टी का चक्कर कुछ पंडितों का , और चीनू की तारीख मेरी शादी के ठीक २२ दिन बाद।

कमल जीजू से.

हम लोग हनीमून से लौटे थे और मैं सीधे चीनू की शादी में , खूब धमाल मचाया मैंने खूब मस्ती।





ये तो आ नहीं पाए थे मैं अकेले ही चीनू की शादी में ,


और शादी के दिन ही मैं कमल जीजू की फैन हो गयी।
खूब टॉल ,६ फीट तो कम से कम रहे ही होंगे , टॉल ,डार्क नहीं एकदम फेयर ,हैंडसम

चौड़े वृषभ कंध , क्षीण कटि , बस ऐसी बॉडी की ,देखते ही मम्मी ने अपना जजमेंट दे दिया ,







नम्बरी चोदू होगा ये।

और मरदों के मामले में मम्मी का जजमेंट कभी गलत नहीं होता।

और उस दिन मैं भी तो एकदम कटीली लग रही थी , चोली और लहंगे में। ,



चोली ,बैकलेस ,खूब लो कट , और एकदम टाइट ,कटाव उभार के साथ गहराई भी खुल के दिख रही थी,





नाभी दर्शना तो थी ही , चुन्नी सिर्फ मेरे एक उभार को आधा ही वो भी मुश्किल से ढँक रही थी।

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Re: जोरू का गुलाम या जे के जी

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बराती सब बहुत मस्त डांस कर रहे थे। कमल जीजू बीच में खड़े बस मेरी ओर टकटकी लगाए ,किसी ने उनसे बोला ,

अरे साली को नचाओ।

" एकदम लेकिन मैं सिर्फ दूल्हे के साथ नाचूंगी। "


खुद ही ठसके से मैं बोली और तुरन्त वो , रेडी और मैं भी उनके साथ

दरवाजे पे कुण्डी मारो ,कोई बच के जाने न पाए


डी जे को समझा दो ,गलती से म्यूजिक रुक न पाए

जी भर के नाच लो बेबी , नाच नाच के तोड़ दे सैंडल





और फिर तो मैंने अपनी चुन्नी भी उतार के कमर में बांध ली और जीजू ने मुझे कस के भींच लिया , उनकी निगाह मेरी गोलाइयों के बीच झांकती ललचाती


और शुरुआत मैंने ही की ,डी जे वाले को इशारा किया फिर एक स्लो ग्राइंड ,


और हमलोगों की देह अब हलके हलके रगड़ रही थी ,

बाकी सबने नाचना बंद कर दिया था , बस किनारे गोल गोल खड़े , ताली बजा रहे थे ,सेंटर में सिर्फ मैं और जीजू

कर गयी चुल ,अरे लड़की ब्यूटीफुल कर गयी चुल

चुल चुल चुल






और फिर मेरा फेवरिट

चिठिया कलाइयां रे ,

ओह बेबी चिठिया कलाइयां रे ,


और जीजू जबरदस्त जवाब दे रहे थे , हर धक्के का धक्के से ,हर झटके का झटके से ,


और हद तो तब हो गयी जब उसने


ज़रा ज़रा टच मी टच मी ,

ज़रा ज़रा किस मी किस मी लगाया।

मैं कैट को मात कर रही थी।

शादी की रस्में वेट कर रही थी ,, तब भी आधे घण्टे से ऊपर

और जब मैं उनके पास से हटी तो मेरे कान से अपने होंठ सटा के वो बोले ,


" अभी तो पार्टी शुरू हुयी है। "




और अपने गालों पर से एक लट हटाते उन्हें देख के मुस्कराते , हलके से अपने नितम्बो को जुम्बिश देती थीड़ा हाँ थोड़ा न का इशारा करती मैं चली गयी।


फिर तो हर रस्म पर ,द्वारपूजा,जयमाल खूब छेड़छाड़ , डबल मीनिंग वाले डायलाग ,खुल के इशारेबाजी, शादी में ये सब तो लड़के वालों के लड़को और लड़की वलियों के बीच होता ही है ,

लेकिन जीजू और मैंने हर हदें डाक दी थीं।

आखिर जीजू साली के बीच भी कुछ हद हुयी होई तो जीजा साली के रिश्ते का मजा ही क्या ?

ये बात जीजू ही ने बोली थी और मैंने सर हिला के जोर जोर से हामी भर दी थी।

लेकिन हमदोनो को बात करने का मौक़ा मिला खाने के समय ,

शादी की आपाधापी में जीजू खुद अपनी प्लेट लेके ,

मेरी निगाहें तो उन्ही का पीछा कर रही थीं और मैंने उन्हें पीछे से गपुच लिया और उनके हाथ से प्लेट ले ली।

" अरे ससुराल में भी जीजू को अपने हाथ का इस्तेमाल का अंदाज करना पड़े ,साली के रहते कित्ती गलत बात है। "

एकदम उन्ही के अंदाज में चिढाते मैं बोली।

और पहली बार वो चुप रह गए , मैंने फिर पूछा ,

" जीजू आप वेज हो या नान वेज ? "

" प्योर नान वेज , और तू "



," जो मेरे जीजू की पसंद वो मेरी ,प्योर नान वेज "


खिलखलाते हुए मैं बोली और उन्हें ले कर नान वेज स्टाल की ओर चल पड़ी।

गनीमत थी उधर भीड़ नहीं थी ,

चिकेन कोरमा में लेग पीस निकालते समय गलती से मेरेमुँह से निकल गया ,

" और जीजू गालियां , वेज की नान वेज "

( दर असल मैं शादी में गायी जाने वाली गालियों के बारे में सोच रही थी और अनजाने में मेरे मुंह से निकल गया )

और वो भी समझ गए। बोले

" गाली अगर नॉन वेज न हो तो गाली क्या , फिर साली और गाली का तो जबरदस्त रिश्ता है ,क्यों साली। "

अब वो मूड में आगये थे , हम दोनों एक ही प्लेट से खा रहे थे।

उनके मुंह से चिकन लेग पीस निकाल के मैंने अपने मुंह में डाल ली ,और जैसे हौले हौले कोई शिश्न चूस रही हुईं ,मैंने पहले उसे जीभ से उन्हें दिखा के लिक किया ,

फिर हलके हलके चूसने लगी।

मेरी आंखे उनका रिएक्शन देख रही थीं , बिचारे हालत खराब हो रही थी उनकी।

अब तक जो उनकी निगाहें बार बार मेरी लो कट चोली से मेरी गहराइयाँ नाप रही थीं अब मेरे गुलाबी रसीले होंठों से चिपकी थीं।

+




" मुझे लेग पीस बहुत अच्छी लगती है। बहुत मजा आता है मुंह में ले के चूसने में "


मैंने आँखे गोल गोल नचा के अपना इरादा जाहिर किया।

" किसका " चिढाते बोले।

" मेरे हैंडसम जीजू का "


मैं कोई कन्फ्यूजन बाकी नहीं रखना चाहती थी।

" सिर्फ चूसना या ,... "


अब वो एकदम सीधे मुद्दे पर आगये थे। जिधर हम लोग खड़े थे उधर थोड़ा सन्नाटा भी था।

" अरे मुझे चीनू दी पर दया आ गयी तो आपको बख्स दिया की चलो कल सुहागरात मना लो , फिर उसके बाद , वरना हम लोगों की बचपन की शर्त थी की पहले मैं लगाउंगी नम्बर। "






खिलखलाते हुए मैं बोली।

बचपन से मेरी दोनों बहने ही नहीं मेरी मौसियां भी चिढाती थीं ,तू छोटी है तेरे दोनों जीजा पहले चढ़ेंगे तेरे ऊपर और चीनू सबसे बड़ी है , तो तेरी फाड़ेगा तो वही। और मैं भी कहती ,मुझे मंजूर है लेकिन चीनू दी के पहले मेरा ही नंबर लगेगा ,चीनू दी भी बोलतीं ,चल यार तू सबसे छोटी है ले लेना।

हँसते हुए बोले वो , " मुझे सब मालूम है "

आजकल चैटिंग डेटिंग और व्हाट्सऐप के जमाने में कुछ छुपता है ,चीनू दी ने सब हाल खुलासा जीजू को पहले ही बता दिया था।

फिर जोर से मेरे गुलाब से गालों पे कस के चिकोटी काटते चिढाते बोले ,

" फटी पुरानी ,तूने तो पहले ही ,... "

मैं समझ रही थी उनकी बात। हंसते हुए मैंने जवाब दिया ,

" जीजू पुरानी तो मत बोलिये , आपवाली से पूरी दो साल छोटी हूँ। और रही दूसरी बात , तो आप ने ही देर करदी सिर्फ १८ दिन पहले , और वैसे भी कोई आप का घाटा नहीं हुया , एक्सपीरिएंस काउंट्स। "

उनकी हंसी भी मेरी हंसी में घुल गयी।

लेकिन अब मेरी बारी इल्जाम लगाने की थी ,चिढाते हुए मैं बोली ,

" जीजू आप भी तो कोरे नौसिखिये नहीं लगते। "

" एक्सपीरियंस काउंट्स। "


हंस के उन्होंने मेरा ही जवाब दुहरा दिया।

और हमारी आँखों ने जबरदस्त हाई फाइव किया।
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kunal
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Re: जोरू का गुलाम या जे के जी

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आखिर साली थी मैं ,शरारत पर हक़ था मेरा ,खाना ख़तम होते होते , मैंने एक बड़ा सा कौर बनाया ,थोड़ा सा अपने मुंह में फिर पूरा का पूरा उन मुंह में।


" एक बार में ही पूरा का पूरा ,... " जीजू ने शिकायत की।

" आप छोड़ेंगे क्या अपनी बारी आने पर,... हँसते हुए मैंने जवाब दिया।

" और तू मना करेगी , ना ना करेगी। " वो बोले।

" वाह जी आप इते भोले तो नहीं है की मेरे मना करने पर , ना ना करने पर मान जाएंगे। "


बड़ी शोख अदा से मैंने जवाब दिया।

मेरे उँगलियों में कोरमा लगा था ,अब नेपकिन कौन ढूंढता फिरता ,मैंने सब जीजू के चिकने गालों पे पोंछ दिया ,

" आपकी जो बहने आयी हैं न साथ में उसे चटवा चुटवा के अच्छी तरह साफ़ करवा लीजियेगा। " मैंने अपना इरादा बता दिया।

( घर में तो मैं देखती थी न मेरी मम्मी कैसे मेरे मौसा लोगों की ऐसी की तैसी करती थीं और आज पहला मौक़ा मुझे मिला था अपने जीजू के साथ तो मैं क्यों बख्शती उन्हें )


लेकिन मेरे जीजू भी नहीं एकदम पक्के असली वाले जीजू थे ,जैसा मैं सोचती थी , एकदम वैसे ,मुझसे २० नहीं बल्कि २५ पड़ते थे हर बार।


उन्होंने एक बार इधर उधर देखा ,कोई नहीं दिख रहा था , बस मेरा सर पकड़ के मेरे होंठ सीधे अपने चिकने गालों पर ,

" अब और कोई तो, दिख नहीं रहा है ,चल मेरी बहन नहीं सही मेरी बीबी की बहन सही। "





और मैंने चाट चुट लिया ,कम से कम मेरे होंठों ने जीजू का स्वाद ,चीनू दी के पहले ले लिया। लेकिन छेड़ने का मौका क्यों मैं छोडती ,


"लगता है जीजू आप अपनी बहन और बीबी की बहन में कोई फर्क नहीं करते "

अब उनके चुप हो जाने की बारी थी।


( वैसे भी न उनकी सभी सगी,चचेरी,मौसेरी ,फुफेरी बहनों की लिस्ट मैं इकठ्ठा कर चुकी थी , आज रात में सबका नाम ले ले के कुटवाने वाली थी मैं शादी में। बारात में आयी कोई भी लड़की बचने वाली नहीं थी )

जीजू मुझे पकड़ के डेजर्ट की ओर ले आये।

आइसक्रीम , तरह तरह की , लेकिन मैं जीजू को सॉफ्टी कार्नर पे खींच के ले आयी।

और एक हॉट चाकलेट कोन विद व्हाइट चाकलेट टापिंग आर्डर किया।

" तुझे सॉफ्टी पसन्द है , मैं तो सोचता था तू ,... "


जीजू ने अपने टिपीकल डबल मीनिंग वाले अंदाज में चिढाया।

लेकिन मैं भी उनकी सबसे छोटी साली थी , क्यों पीछे रहती। हंस के बोली ,





" जीजू आपने अपनी साली के गुलाबी होंठ देखे हैं ,उनका जादू नहीं देखा है न. . मेरे होंठ लगते ही सॉफ्टी हार्डी में बदल जाती है। "

तबतक सॉफ्टी वाले ने कोन बना के दे दिया , और मैं जीजू को चिढाते ललचाते पहले तो अपनी जीभ निकाल के कोन के चारो ओर रिम पर लिक करने लगी जैसे किसी कड़े मोटे सुपाड़े के चारो ओर लिक कर रही होऊं।

फिर मेरी जीभ गाढे हार्ड हॉट चाकलेट के निकले कोन के ऊपर तक ,




सपड़ सपड़ और फिर मेरे रसीले होंठों ने जीजू को दिखा के उस चाकलेट के कोन पे पहले तो एक हलकी सी चुम्मी ली , फिर चाटना चूसना शुरू कर दिया , जैसे कोई मोटा लन्ड चूस रही होऊं।

मेरी निगाहें जीजू के बल्ज की ओर चिपकी थीं। एकदम टाइट हो रहा था। उनकी ब्रीफ उसे रोक नहीं पा रही थी।

तबतक जीजू ने मेरे हाथ से कोन ले लिया और जहां मेरे होंठों की लिपस्टिक कोन पे लगी थी ,






वहीँ पे किस कर लिया और वहीँ से हलकी हलकी बाइट लेने लगे.

मेरी पूरी देह में झुरझुरी दौड़ गयी।

मुझे सॉफ्टी का अपना जूठा अधखाया कोन उन्होंने वापस कर दिया और पूछ भी लिया ,







" हे तुझे आइसक्रीम में चाकलेट पसन्द है ये तो मालूम पड़ गया लेकिन चाकलेट कौन सी पंसद है।"

आइसक्रीम का मजा लेते हुए भी मेरी निगाह उनके बल्ज पे टिकी थी , और मुझे इस बात का फर्क नहीं पड़ रहा था की उनके तन्नाए टेंट को मुझे देखते हुए जीजू देख रहे थे।


आखिर इत्ती देर से वो भी तो खुल मेरी लो कट चोली के अंदर से झांकते मेरे गोरे गोरे कबूतरों पर नजर गड़ाए हुए थे। और मैं भी कभी झुक के कभी उचका के अपने उभार क्लीवेज सब उन्हें दिखा रही थी।


अपनी गोल गोल आंख्ने नचाती शरारत से मैं बोली ,

" जीजू वो स्पेशल वाली ,खूब हार्ड , जिसे मैं चाहे जितना लिक करूँ ,बाइट करूँ ,मन भर खाऊं लेकिन वो ख़तम न हो ,मैं चूसती जाऊं चाटती जाऊं , ... लेकिन वो ख़तम ही न हो ,वैसे की वैसे रहे। "



" किस वाले होंठ से ,ऊपर वाले या नीचे वाले या दोनों ?"


जीजू ने मजाक का लेवल और बढ़ा दिया।

मैंने जीजू को पीटने के लिए हाथ बढ़ाया ,पर हाथ में तो आइसक्रीम थी ,जीजू एवर हेल्पफुल जीजू ने मेरे हाथ से आइसक्रीम पकड़ ली और बची खुची खुद ,


" हे हे सब आप ही ले लोगे क्या , " मैं चिल्लाई।

आइसक्रीम कोन अब थोड़ा थोड़ा पिघलने लगा था, जीजू ने मुझे पकड़ाया ,लेकिन वहीँ वो बदमाशी कर गए।


आइसक्रीम कोन उन्होंने थोड़ा सा टिल्ट कर दिया , और क्रीम सीधे मेरे लो कट टाइट चोली से झांकती गहराई के बीच , और दोनों उभारों पर।






जीजू ,.... मैं जोर से चिल्लाई।

मेरे हाथ कोन पकडे हुए थे और बाकी के पिघलने के पहले मैं उसे ख़तम करने में लगी थी , वरना वो भी मेरी चोली लहंगे पे गिर के ,...

"ऊप्स सारी , बनावटी सारी के साथ जीजू ने अपने दोनों कान पकड़े और बोले ,

" साली ,अरे जो डालता है वही निकालता है बस अभी,... "

उनकी बात मैं समझती उसके पहले कमल जीजू का हाथ मेरी चोली के अंदर ,

मैं समझ तो रही थी जो अपने हाथ में लगा कोरमा मैंने उनके गालों पर लगाया था उसी का वो सूद ब्याज के साथ बदला ले रहे हैं।






आइसक्रीम तो बहाना था , मेरे दोनों उभार सनसना रहे थे ,पत्थर की तरह कड़े हो रहे थे। जीजू की दुष्ट उंगलिया , और निकालते समय भी उनके अंगूठे ने मेरे कड़े खड़े निप्स जोर से फ्लिक कर दिए।

मैं उनसे थोड़ा दूर हट के खड़ी हो गयी और आग्नेय नेत्रों से उन्हें देखने लगी।

मेरे चेहरे से गुस्सा टपक रहा था।


बिचारे जीजू ,उन्हें लगा की शायद कुछ ज्यादा हो गया। उन्होंने आँखे झुका ली।

मैं कड़ी आवाज में बोली , जीजू मैं आपसे गुस्सा हूँ। "

बिचारे वो कुछ बोलते , उसके पहले ही मैं बोल पड़ी।






" इसलिए की आपने सारी क्यों बोला , साली से भी सॉरी ? "

और अब मैं एकदम उनसे सट के खड़ी थी ,मेरे चोली फाड़ते उभार उनके सीने को दरेर रहे थे।

और अब हम दोनों खुल के हंस रहे थे ,

" सॉरी साली जी , आगे से नो सॉरी। "


वो मुस्कराते हुए बोले।


तबतक कोई मुझे ढूंढते हुए आ गया , शादी की आगे के रस्मों की तैयारी के लिए।

" मिलती हूँ जीजू ,ब्रेक के बाद '

उनकी शरारतों का १०० गुना जवाब देने का प्लान मेरे दिमाग में पक रहा था।



आने दो उन्हों शादी के लिए मण्डप में ,हम सब मिल के सारे बरातियों की ,


फिर कोहबर में तो वो एकदम अकेले होंगे न , ससुराल का मजा आज उन्हें अच्छे से मिलेगा।

जैसे कोई बाहरी हमला होने पर सभी अंदरूनी ताकतें एकजुट हो जाती हैं , बस बरात आने पर घर में , ..

जो भाभियाँ पहला मौका मेरी और मेरी मौसेरी चचेरी फुफेरी बहनों के साया ,शलवार का नाडा खोलने में लग जाती थीं , गाने जो शादी के गानों से शुरू होते थे लेकिन थोड़ी ही देर में हम ननदों की ओर मुड़ जाते थे ,


फिर न कोई उमर न लिहाज और रतजगे के दिन तो कोई बचा नहीं चाहे कच्चे टिकोरे वालियां रही हो या




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Re: जोरू का गुलाम या जे के जी

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मेरे जैसी तुरंत तुरंत शादी हुयी , सबकी नीचे वाले की न सिर्फ मुंह दिखाई हुयी बल्कि ऊँगली डाल के भाभियों ने गहराई भी नापी।


थी भी दर्जन भर से ऊपर चीनू की चचेरी , फुफेरी मोहल्ले की भाभियाँ ,





और सबकी नेता छंदा भाभी , तीन चार साल पहले ही शादी हुयी थी।

और सिर्फ हमारी भौजाइयां ही नहीं , मम्मी ,मौसियां मेरी चीनू की बुआ के पीछे , एक से एक गन्दी गालियां

और जो गालियां देने में भाभियाँ थोड़ा शर्माती झिझकती थीं ,उसके लिए बसन्ती नाउन को आगे कर देतीं थी ,हमारे नाउन की बहु होने के नाते भौजी ही लगती थी।

सभी रस्में भी वही निभाती थी। लेकिन उसका जवाब देने के लिए हम लोग चमेली को आगे कर देते थे , घर में काम करती थी लेकिन बेटी होने के नाते वो ननद लगती थी इसलिए हम लोगों का साथ देने आ जाती थी।

लेकिन आज सब एकजुट थीं। जो छोटी लड़कियां थी हम लोगों के घर की उन्होंने अपना काम अंजाम दे दिया था। जीजू के घर की सारी लड़कियों का नाम उमर ,जो बरात में आयी थीं सबसे दोस्ती कर के और अब उनके सामने मिशन था जूता चुराने का।

हम सब जल्दी जल्दी तैयार हो रहे थे।

जीजू की कमजोरी मैंने भाप ली थी ,मेरे गदराये उभार।

लो कट चोली में मैंने उसकी गहराई की झलक तो उन्हें दिखा ही दी थी इसलिए अब मैंने एक बहुत टाइट सूट पहना , पीले रंग का सरसों के फूलों वाले , उभारों पर इसकी फिटिंग एकदम टाइट थी , कटाव उभार कड़ापन सब कुछ दिखता था और आफ कोर्स एक हाफ पुशअप ब्रा उसे और उभार रही थी।





चुन्नी मैंने डाली जरूर थी लेकिन एकदम गले से चिपका कर।

मेरी सारी बहने ,भाभियाँ ,मौसियां ,मम्मी ,बसन्ती और चमेली सब लोग मंडवे में बैठ गए थे।


लेकिन सबसे आगे छंदा भाभी ढोलक उन्होंने ही सम्भाल रखी , बगल में मैं और मेरे बगल में बसन्ती और उसके पीछे चमेली ( एकदम ऐसे वैसे वाले गानों के लिए ) पीछे लड़कियों भौजाइयों का झुण्ड ,मम्मी मौसियां बुआ लोग भी.



लेकिन टीम की सेंटर फारवर्ड कहें या ओपनिंग बैट्समैन या कप्तानी , ये जिम्मेदारी मेरे ही कंधो पर थी , एक तो मैं छोटी साली ,दूसरे अभी अभी शादी हुयी ,हनीमून से सीधे यहीं आयी इसलिए भौजाइयों का मानना था की मैंने भी ' खून चख लिया ' है इसलिए मैं भी एकतरह से उनकी ही बिरादरी में शामिल हो गयी हूँ।


फिर कमल जीजू से खाने के समय जो ' इंटरैक्शन ' हुआ , मैंने भी ठान लिया था ,आज इन सब की ऐसी की तैसी करनी है। मुझे मालुम था न वो बुरा मानने वाले हैं न बाकी बरात वाले।







कमल जीजू आके बैठ गए ,

जैसे कोई बैट्समैन सारे फील्डर्स का मुआयना करता है ,पिच को देखता भालता है बस उसी तरह और फिर उन्होंने सीधे मेरी आँखों में आंखे डाल के और फिर उनकी निगाहे सीधे मेरे टाइट कुर्ते को फाड़ते जोबन पे ,जैसे दो बरछी चुभ जाए वो असर हुआ उन पे।






और उन्होंने बिना इस बात की परवाह किये मेरी सारी भाभियाँ ,मम्मी ,मौसियां बैठी हैं अपने जीभ होंठो पर फिराई , सब एकदम साफ़ था वो क्या देख रहे हैं और क्या असर हुआ।

" चल गयी तेरी दुनाली ,बिचारा घायल होगया। " संध्या भाभी ने मुझे चिढ़ाया।

मैंने कमल जीजू को जैसे दिखाते हुए अपनी चुन्नी ठीक की , उसे उभारो पर करने का नाटक किया लेकिन कमल जीजू ,नम्बरी दुष्ट ,बेशरम ,सबके सामने उन्होंने सर हिलाके आँखों से मुझे बरज दिया , और एक बार चुन्नी फिर उभारों से दूर गले से चिपक गयी।

संध्या भाभी ने तबतक ढोलक पर थाप देनी शुरू कर दी ,पीछे से लड़कियों ने भी ताली से साथ देना शुरू कर दिया , और मैंने जीजू के पाले में पहली गेंद डाल दी ,गाने शुरू हो गए ,


जीजू को देखते ,चिढाते मैंने शुरू कर दिया ,

" अरे स्वागत में गारी सुनाओ ,स्वागत में , अरे स्वागत में
संध्या भाभी ने तबतक ढोलक पर थाप देनी शुरू कर दी ,पीछे से लड़कियों ने भी ताली से साथ देना शुरू कर दिया , और मैंने जीजू के पाले में पहली गेंद डाल दी ,गाने शुरू हो गए ,


जीजू को देखते ,चिढाते मैंने शुरू कर दिया ,

" अरे स्वागत में गारी सुनाओ ,स्वागत में , अरे स्वागत में

अरे दूल्हे के तन पे सूट नहीं है ,अरे उसको उसको तो ,

( पहली लाइन मैं गाती और जवाब की लाइन सारी मेरी कजिन्स , भाभियाँ मिल के )

... अरे उसको तो साडी और ,अरे साडी और ब्लाउज पहनाओ।

अरे उसको तो चोली पहनाओ ,अरे उसको तो

( तब तक मम्मी ने एक लाइन जोड़ी , अरे उसके तन पर बंडी नहीं है , बंडी नहीं है

उसको तो ब्रा पहनाओ ,अरे उसको तो ब्रा पहनाओ )

अरे स्वागत में गारी सुनाओ ( मैं फिर चालू हो गयी ) अरे स्वागत में ,

दूल्हे के कलाई में घड़िया नहीं है , अरे उसको तो अरे उसको तो चूड़ियां पहनाओ।


तबतक झरर मार के ढेर सारी बरात वाली लड़कियां आगयीं और दूल्हे को घेर के बैठ गयीं। पीछे से मेरी कजिन्स मुझे फीड बैक,...







वो फिरोजी ड्रेस वाली ,नीतू है टेंथ अभी पास किया है।





जीन्स टॉप वाली उनकी मौसेरी बहन ज्योती ,बी ए सेकेण्ड इयर ,





उसके पीछे जो एकदम चिपक के बैठी है ,चोली लहंगे वाली मीता उनकी ममेरी बहन,



और मैंने गाना आगे बढ़ाया ,

अरे स्वागत में गारी सुनाओ , मेरी सखियों स्वागत में अरे स्वागत में गारी सुनाओ ,

अरे दूल्हे के संग में , अरे दूल्हे के संग में , अरे दूल्हे के संग में रंडी नहीं है,

दूल्हे की बहना नचाओ ,अरे नीतू और ज्योति को नचाओ।

अरे मीता छिनार को नचाओ ,नचाओ मेरी सखियों ,नचाओ मेरी बहनों ,

दूल्हे की बहना नचाओ।

( तबतक मुझे पीछे से मौसी और बुआ की डाँट पड़ गयी , तुझे खाली अपनी ननदों की फिकर है ,ज़रा हमारी समधन को भी तो ,मैंने जोड़ दिया )

अरे दूल्हा की अम्मा नचाओ ,अरे दूल्हे की बुआ नचाओ ,मेरी सखियों।

स्वागत में गारी सुनाओ।





तबतक दूल्हे के चच्चा ,ताऊ ,मामा ,फूफा ये लोग भी आगये और अब शादी की रस्में बस शुरू ही होने वाली थी।

और मैंने दूसरा गाना शुरू कर दिया ,लेकिन अब फोकस थोड़ा चेंज हो गया था
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