माँ बेटा और नौकरानी
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माँ बेटा और नौकरानी
दोस्तों एक नई कहानी पेश करने जा रहा हूँ , उम्मीद है आपको पसंद आएगी |
अगर आपको यह कहानी पसंद आये तो कमेंट जरुर दीजिएगा ...........
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अनामिका running*** चुदाई का सिलसिला – एक सेक्स सीरियल running***माँ बेटा और नौकरानी running***वाह मेरी क़िस्मत (एक इन्सेस्ट स्टोरी)complete***मजबूरी का फैसला complete*** हाए मम्मी मेरी लुल्ली complete***निशा के पापा ( INCEST) complete***जीजा के कहने पर बहन को माँ बनाया complete
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Re: माँ बेटा और नौकरानी
जब यह सब मादक घटनाएं घटना शुरू हुईं तब मैं काफी छोटा था | अभी अभी किशोर अवस्था में कदम रखा था | गाँव के बड़े पुश्तैनी मकान में मैं कुछ ही दिन पहले माँ के साथ रहने आया था | नौ साल की उम्र से मैं शहर में मामा के यहाँ रहता था और वहीँ स्कूल में पड़ता था | तब गाँव में सिर्फ प्राइमरी स्कूल था , इसलिए माँ ने मुझे पढने शहर भेज दिया था | अब गाँव में हाई स्कूल खुल जाने से माँ ने मुझे यहीं बुलवा लिया था कि दसवीं तक की पूरी पढाई मैं यहीं कर सकूँ |
घर में माँ, मैं हमारा जवां 22 साल का नौकर घोटू और उसकी माँ झुमरी रहते थे | झुमरी हमारे यहाँ घर में नौकरानी थी | चालीस के आस पास उम्र होगी | घर के पीछे खेत में एक छोटा मकान रहने को माँ ने उन्हें दे दिया था | जब मैं वापस आया तो माँ के साथ साथ झुमरी और घोटू को भी बहुत ख़ुशी हुई | मुझे याद है कि बचपन से झुमरी और घोटू मुझे बहुत प्यार करते थे | मेरे सारी देखभाल बचपन में घोटू ही किया करता था |
वापिस आने के दो दिन में ही मैं समझ गया था कि माँ घोटू और झुमरी को कितना मानती थी | वे हमारे यहाँ बहुत सैलून से थे | मेरे जन्म के भी बहुत पहले से | असल में माँ उन्हें शादी के बाद मायके से ही ले आई थी | अब मैंने महसूस किया कि माँ की उनसे घनिष्टता और बढ़ गयी थी | वे उनसे नौकर जैसा नहीं बल्कि घर के सदस्य जैसा बर्ताव करती थी | घोटू तो माँ जी मां जी कहता हमेशा उसके आगे पीछे घूमता रहता था |
घर का सारा काम माँ ने झुमरी के सपुर्द कर रखा था | कभी कभी झुमरी माँ से ऐसे पेश आती थी | जैसे झुमरी नौकरानी नहीं बल्कि माँ की जेठानी हो | कई बार वो माँ पर अधिकार जताते हुए उनसे डांट डपट भी करती थी | पर माँ चुपचाप मुस्कराकर सब सहन कर लेती थी | इसका कारण मुझे जल्दी ही पता चल गया | जब से मैं आया था तब से झुमरी और घोटू मुझपे ख़ास ध्यान देने लगे थे | झुमरी बार बार मुझे पकड़ कर सीने से लगा लेती थी और चूम लेती |
“मुन्ना, बड़ा प्यारा हो गया है तू , बड़ा होकर अब और खूबसूरत लगने लगा है , बिलकुल छोकरियों जैसे सुन्दर है, गोरा चिकना” झुमरी कहती |
माँ यह सुनकर अक्सर कहती, “अरे अभी बहुत छोटा बच्चा है , बड़ा कहाँ हुआ है |”
तो झुमरी कहती, “हमारे काम के लिए काफी बड़ा है , मालकिन” और आँखें नचाकर हंसने लगती | माँ फिर उसे डांट कर चुप करा देती | झुमरी की बातों में छुपा अर्थ बाद में मुझे समझ में आया | घोटू भी मेरी और देखता और अलग तरीके से हँसके बोलता
मुन्ना नहला दूं? बचपन में मैं ही नह्लाता था तुझे | मैं नराज होकर उसे डांट देता | वैसे बात सही थी | मुझे कुछ कुछ याद था कि बचपन में घोटू मुझे नंगा करके नह्लाता था | तब वो 15 साल का होगा | मुझे वो कई बार चूम भी लेता था | मेरी लुल्ली और चूतडों को वो खूब साबुन लगाकर रगड़ता था और मुझे वो बड़ा अच्छा लगता था | एक दो बार खेल खेल में घोटू मेरी लुल्ली और चुतड चूम भी लेता और फिर कहता कि मैं माँ से ना कहूँ | वो मुझे इतना प्यार करता और दिन भर मेरे साथ खेलकर मेरा मन बहलाता रहता इसलिए मैं चुप रहता था |
घर में माँ, मैं हमारा जवां 22 साल का नौकर घोटू और उसकी माँ झुमरी रहते थे | झुमरी हमारे यहाँ घर में नौकरानी थी | चालीस के आस पास उम्र होगी | घर के पीछे खेत में एक छोटा मकान रहने को माँ ने उन्हें दे दिया था | जब मैं वापस आया तो माँ के साथ साथ झुमरी और घोटू को भी बहुत ख़ुशी हुई | मुझे याद है कि बचपन से झुमरी और घोटू मुझे बहुत प्यार करते थे | मेरे सारी देखभाल बचपन में घोटू ही किया करता था |
वापिस आने के दो दिन में ही मैं समझ गया था कि माँ घोटू और झुमरी को कितना मानती थी | वे हमारे यहाँ बहुत सैलून से थे | मेरे जन्म के भी बहुत पहले से | असल में माँ उन्हें शादी के बाद मायके से ही ले आई थी | अब मैंने महसूस किया कि माँ की उनसे घनिष्टता और बढ़ गयी थी | वे उनसे नौकर जैसा नहीं बल्कि घर के सदस्य जैसा बर्ताव करती थी | घोटू तो माँ जी मां जी कहता हमेशा उसके आगे पीछे घूमता रहता था |
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“मुन्ना, बड़ा प्यारा हो गया है तू , बड़ा होकर अब और खूबसूरत लगने लगा है , बिलकुल छोकरियों जैसे सुन्दर है, गोरा चिकना” झुमरी कहती |
माँ यह सुनकर अक्सर कहती, “अरे अभी बहुत छोटा बच्चा है , बड़ा कहाँ हुआ है |”
तो झुमरी कहती, “हमारे काम के लिए काफी बड़ा है , मालकिन” और आँखें नचाकर हंसने लगती | माँ फिर उसे डांट कर चुप करा देती | झुमरी की बातों में छुपा अर्थ बाद में मुझे समझ में आया | घोटू भी मेरी और देखता और अलग तरीके से हँसके बोलता
मुन्ना नहला दूं? बचपन में मैं ही नह्लाता था तुझे | मैं नराज होकर उसे डांट देता | वैसे बात सही थी | मुझे कुछ कुछ याद था कि बचपन में घोटू मुझे नंगा करके नह्लाता था | तब वो 15 साल का होगा | मुझे वो कई बार चूम भी लेता था | मेरी लुल्ली और चूतडों को वो खूब साबुन लगाकर रगड़ता था और मुझे वो बड़ा अच्छा लगता था | एक दो बार खेल खेल में घोटू मेरी लुल्ली और चुतड चूम भी लेता और फिर कहता कि मैं माँ से ना कहूँ | वो मुझे इतना प्यार करता और दिन भर मेरे साथ खेलकर मेरा मन बहलाता रहता इसलिए मैं चुप रहता था |
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- Kamini
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- Joined: 12 Jan 2017 13:15
Re: माँ बेटा और नौकरानी
superb
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संक्रांति काल - पाषाण युगीन संघर्ष गाथा viewtopic.php?t=11464&start=10
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- sexi munda
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Re: माँ बेटा और नौकरानी
thanks for shearing a new story
मित्रो नीचे दी हुई कहानियाँ ज़रूर पढ़ें
जवानी की तपिश Running करीना कपूर की पहली ट्रेन (रेल) यात्रा Running सिफली अमल ( काला जादू ) complete हरामी पड़ोसी complete मौका है चुदाई का complete बड़े घर की बहू (कामया बहू से कामयानी देवी) complete मैं ,दीदी और दोस्त complete मेरी बहनें मेरी जिंदगी complete अहसान complete
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Re: माँ बेटा और नौकरानी
वैसे झुमरी की यह बात सच थी कि अब मैं बड़ा हो गया था | माँ को भले ना मालूम हो पर झुमरी ने शायद मेरे तने लंड का उभार पेंट में से देख लिया होगा | इस कमसिन उम्र में भी मेरा लंड खड़ा होने लगा था और पिछले ही साल से मेरा मुठ मारना भी शुरू हो गया था | शहर में मैं गंदी किताबें चोरी से पड़ता था और उनमें कई नंगी औरतों की तस्वीरें देख कर मूठ मारता | बहुत मजा आता था औरतों के प्रति मेरी रूचि बहुत बढ़ गयी थी | खास कर बड़ी खाए पिए बदन की औरतें मुझे बहुत अच्छी लगती थी |
गाँव आने के बाद गंदी किताबें मिलना बंद हो गया था | इसलिए अब मैं मन के लड्डू खाते हुए तरह तरह की औरतों के नंगे बदन की कल्पना करते हुए मूठ मारा करता था | आने के बाद माँ के प्रति मेरा आकर्षण बहुत बढ़ गया था | सहसा मैंने महसूस किया था कि मेरी माँ एक बड़ी मतवाली नारी थी | उसके इस रूप का मुझ पर जादू सा हो गया था | शुरू में एक दिन मुझे अपराधी जैसा लगा था | पर फिर लंड में होती मीठी टीस ने मेरे मन के सारे बंधन तोड़ दिए थे |
मेरी माँ दिखने में साधारण सुन्दर थी | भले ही बहुत रूपवती ना हो पर बड़ी सेक्सी लगती थी | 35 साल की उम्र होने से उसमें एक पके फल सी मिठास आ गयी थी | थोडा मोटा खाया पिया गोरा चिट्टा मांसल शरीर , गाँव के स्टाइल में जल्दी जल्दी पहनी ढीली ढीली साड़ी,चोली और चोली में से दिखते सफ़ेद ब्रा में कसे बड़े बड़े मुम्मे , इनसे वो बड़ी चुदैल सी लगती थी , बिलकुल मेरी ख़ास किताबों में दिखाई गईं चुदैल रंडियों जैसी |
मैंने तो अब उसके नाम से मूठ मारना शुरू कर दिया था | अक्सर धोने को डाले हुए उसकी ब्रा या पैंटी मैं चुप चाप कमरे में ले आता और उसमें मूठ मारता | उन कपड़ों में से आती उसके शरीर की सुंगंध मुझे मतवाला कर देती थी |
एक दो बार मैं पकडे जाते हुए बचा | माँ को अपनी पैंटी और ब्रा नहीं मिले तो वो झुमरी को डांटने लगी | झुमरी बोली कि माँ ने धोने डाली ही नहीं | किसी तरह से मैं दुसरे दिन उन्हें फिर धोने के कपड़ों में छुपा आया | झुमरी को शयद पता चल गया था क्योंकि माँ की डांट खाते हुए वो मेरी और देखकर मंद मंद हंस रही थी पर कुछ बोली नहीं बस माँ को बोली , “आजकल आपके कपडे ज्यादा मैले हो जाते हैं मालकिन , ठीक से धोने पड़ते हैं” |
मेरी जान में जान आई | मुझे ज्यादा दिन प्यासा नहीं रहना पड़ा | माँ वास्तब में कितनी चुदैल और छिनाल थी और घर में क्या गुल खिलते थे | यह मुझे जल्द ही मालूम हो गया | मैं एक दिन देर रात को अपने कमरे से पानी पीने को निकला | उस दिन मुझे नींद नहीं आ रही थी | माँ के कमरे से कराहने की आवाजें आ रही थी | मैं दरवाजे से सट कर खड़ा हो गया और कान लगाकर सुनने लगा , सोचा माँ बीमार तो नहीं हैं |
आहा... मर गयी रे.... झुमरी... तू मुझे मार डालेगी आज ...उइइइइ सीसीसी.... माँ की हल्की चीख सुनकर मुझे लगा कि ना जाने झुमरी , माँ को क्या यातना दे रही है | इसलिए मैं अन्दर घुसने के लिए दरवाजा खटखटाने ही वाला था कि झुमरी कि आवाज़ आई, “मालकिन , नखरे मत करो , अभी तो सिर्फ ऊँगली ही डाली है आपकी चूत में , रोज की तरह जीभ डालूँगी तो क्या करोगी” ?
“अरे पर आज कितना मीठा मसल रही है , मेरे दाने को छिनाल जालिम , कहाँ से सीखा ऐसा दाना रगड़ना”?, माँ करहाते हुए बोली |
“घोटू सीख कर आया है, शहर से शायद वो ब्लू फिल्म देख कर आया है , कल रात को मुझे चोदने के पहले बहुत देर तक मेरा दाना मसलता रहा हरामी , इतना झड़ाया मुझे कि मै पस्त हो गयी,” झुमरी की आवाज़ आई |
गाँव आने के बाद गंदी किताबें मिलना बंद हो गया था | इसलिए अब मैं मन के लड्डू खाते हुए तरह तरह की औरतों के नंगे बदन की कल्पना करते हुए मूठ मारा करता था | आने के बाद माँ के प्रति मेरा आकर्षण बहुत बढ़ गया था | सहसा मैंने महसूस किया था कि मेरी माँ एक बड़ी मतवाली नारी थी | उसके इस रूप का मुझ पर जादू सा हो गया था | शुरू में एक दिन मुझे अपराधी जैसा लगा था | पर फिर लंड में होती मीठी टीस ने मेरे मन के सारे बंधन तोड़ दिए थे |
मेरी माँ दिखने में साधारण सुन्दर थी | भले ही बहुत रूपवती ना हो पर बड़ी सेक्सी लगती थी | 35 साल की उम्र होने से उसमें एक पके फल सी मिठास आ गयी थी | थोडा मोटा खाया पिया गोरा चिट्टा मांसल शरीर , गाँव के स्टाइल में जल्दी जल्दी पहनी ढीली ढीली साड़ी,चोली और चोली में से दिखते सफ़ेद ब्रा में कसे बड़े बड़े मुम्मे , इनसे वो बड़ी चुदैल सी लगती थी , बिलकुल मेरी ख़ास किताबों में दिखाई गईं चुदैल रंडियों जैसी |
मैंने तो अब उसके नाम से मूठ मारना शुरू कर दिया था | अक्सर धोने को डाले हुए उसकी ब्रा या पैंटी मैं चुप चाप कमरे में ले आता और उसमें मूठ मारता | उन कपड़ों में से आती उसके शरीर की सुंगंध मुझे मतवाला कर देती थी |
एक दो बार मैं पकडे जाते हुए बचा | माँ को अपनी पैंटी और ब्रा नहीं मिले तो वो झुमरी को डांटने लगी | झुमरी बोली कि माँ ने धोने डाली ही नहीं | किसी तरह से मैं दुसरे दिन उन्हें फिर धोने के कपड़ों में छुपा आया | झुमरी को शयद पता चल गया था क्योंकि माँ की डांट खाते हुए वो मेरी और देखकर मंद मंद हंस रही थी पर कुछ बोली नहीं बस माँ को बोली , “आजकल आपके कपडे ज्यादा मैले हो जाते हैं मालकिन , ठीक से धोने पड़ते हैं” |
मेरी जान में जान आई | मुझे ज्यादा दिन प्यासा नहीं रहना पड़ा | माँ वास्तब में कितनी चुदैल और छिनाल थी और घर में क्या गुल खिलते थे | यह मुझे जल्द ही मालूम हो गया | मैं एक दिन देर रात को अपने कमरे से पानी पीने को निकला | उस दिन मुझे नींद नहीं आ रही थी | माँ के कमरे से कराहने की आवाजें आ रही थी | मैं दरवाजे से सट कर खड़ा हो गया और कान लगाकर सुनने लगा , सोचा माँ बीमार तो नहीं हैं |
आहा... मर गयी रे.... झुमरी... तू मुझे मार डालेगी आज ...उइइइइ सीसीसी.... माँ की हल्की चीख सुनकर मुझे लगा कि ना जाने झुमरी , माँ को क्या यातना दे रही है | इसलिए मैं अन्दर घुसने के लिए दरवाजा खटखटाने ही वाला था कि झुमरी कि आवाज़ आई, “मालकिन , नखरे मत करो , अभी तो सिर्फ ऊँगली ही डाली है आपकी चूत में , रोज की तरह जीभ डालूँगी तो क्या करोगी” ?
“अरे पर आज कितना मीठा मसल रही है , मेरे दाने को छिनाल जालिम , कहाँ से सीखा ऐसा दाना रगड़ना”?, माँ करहाते हुए बोली |
“घोटू सीख कर आया है, शहर से शायद वो ब्लू फिल्म देख कर आया है , कल रात को मुझे चोदने के पहले बहुत देर तक मेरा दाना मसलता रहा हरामी , इतना झड़ाया मुझे कि मै पस्त हो गयी,” झुमरी की आवाज़ आई |
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