बहू नगीना और ससुर कमीना
- Ankit
- Expert Member
- Posts: 3339
- Joined: 06 Apr 2016 09:59
Re: बहू नगीना और ससुर कमीना
superb update
- Smoothdad
- Novice User
- Posts: 914
- Joined: 14 Mar 2016 08:45
- Smoothdad
- Novice User
- Posts: 914
- Joined: 14 Mar 2016 08:45
Re: बहू नगीना और ससुर कमीना
राजीव घर आके अपने कमरे में गया। चारु सीधा बाथरूम में गयी और वहाँ जाकर मोबाइल खोली और अपनी जींस नीचे की और पैंटी भी नीचे खिसकाई और फ़ोटो देखते हुए अपनी बुर में ऊँगली करने लगी। उसका हाथ कभी कभी अपने निपल पर भी चला जाता था और फिर बुर में वापस चला जाता था। जल्दी हो वह सिसकियाँ भरते हुए झड़ने लगी। राजीव और गुरुजी की हरकतों और बातों ने उसको बहुत उत्तेजित कर दिया था और अब झड़ कर वो शांत हो गयी थी। फिर वो अपने कमरे में जाकर लेट गयी।
उधर राजीव को भी चैन नहीं था। वो लूँगी पहन कर मालिनी के कमरे पहुँचा। मालिनी करवट के बल लेटी हुई थी और गर्भवती होने के कारण उसकी गाँड़ काफ़ी चौड़ी लग रही थी। वह आकर उसके पास बैठा और उसके गाल पर हाथ फेरा और दूसरा हाथ गाँड़ पर फेरा। मालिनी ने आँख खोली और बोली: ओह पापा आप ? कब वापस आए? चारु की ट्रेनिंग ठीक रही?
राजीव: हाँ बहू ठीक रही। तुम्हारी तबियत कैसी है? अब डॉक्टर को कब दिखाना है? वो उसकी गाँड़ दबाकर उसे चूमते हुए बोला।
मालिनी: पापा अभी कोई ज़रूरत नहीं है। अगले महीने बुलाई है।
अब वो सीधी हुई और उसकी नज़र राजीव की लूँगी में बने तंबू पर पड़ी तो वो उसको पकड़कर बोली: पापा ये क्यों खड़ा है? कुछ चाहिए क्या इसे?
राजीव: बहू तुम तो अपने छेद बंद कर दी इस बिचारे के लिए। अब ये क्या करे?
मालिनी: पापा चूस दूँ क्या? बस यही छेद खुला है इसके लिए।
राजीव: हाँ बहू प्लीज़ चूस दो बहुत गरम हो गया है तुम्हारी गाँड़ देखकर? वो झूठ बोला क्योंकि उसकी गरमी का कारण तो चारु की कमसिन जवानी थी।
मालिनी: चलिए लूँगी खोलिए और यहाँ बैठिए। वो उठती हुई बोली। राजीव ने लूँगी खोली और उसका लौड़ा बाहर ऊपर नीचे हो रहा था। मालिनी ने बड़े प्यार से उसे सहलाया और फिर उसे चूमने लगी । अब वो उसे जीभ से पूरी लम्बाई में चाटी और फिर चूसने लगी। राजीव दोनों पैर फैला कर बैठे हुए उसके सिर को अपने लौड़े पर ऊपर नीचे होते देख रहा था। अब वो उसे डीप थ्रोट देने लगी और उसके बड़े बॉल्ज़ भी सहलाने लगी। जल्दी ही राजीव आऽऽऽऽऽह करके अपना रस उसके मुँह में छोड़ने लगा जिसे वो पीती चली गयी। फिर उसने जीभ से उसका लौड़ा चाटकर साफ़ किया और उठकर बाथरूम में चली गयी। राजीव थोड़ी देर उससे बात किया और फिर आकर अपने कमरे की ओर जाने लगा। तभी अचानक वो रुका और चारु के कमरे के सामने आकर खिड़की के परदे से अंदर झाँका। अंदर चारु पेट के बल सो रही थी और उसकी स्कर्ट ऊपर तक चढ़ कर उसकी गदराई जाँघों का दर्शन करा रही थी। मुन्नी सीधी लेटी थी और उसकी स्कर्ट से उसकी पैंटी साफ़ दिख रही थी। पैंटी पुरानी थी इसलिए शायद इलास्टिक ढीला सा हो चुका था। इसलिए जाँघ और पैंटी के गैप से उसकी बुर दिखाई पड़ रही थी। राजीव अपने कमरे में गया और बाईनाकुलर यानी दूरबीन लेकर आया और मुन्नी की पैंटी पर फ़ोकस किया। उफफफफ उसकी फाँक और रोएँ से बाल साफ़ दिख रहे थे। क्या माल है ये लड़की भी- वो सोचा। उधर अचानक चारु ने नींद में अपनी पैंटी के ऊपर से अपनी बुर खुजाई। पता नहीं लड़की क्या सपना देख रही थी। उसकी पैंटी भी अब दिखने लगी। फूली हुई बुर उसकी भी पैंटी से उभरी हुई मस्त लग रही थी।
राजीव मुस्कुराकर अपने कमरे में चला गया। उफफफफ क्या मस्त माल है दोनों- वो सोचा।
शाम को वो बाहर घूमने चला गया। जब वो वापस आया तो चारु ड्रॉइंग रूम में बैठी किताब पढ़ रही थी। उसके दोनों पैर ऊपर थे और जुड़े हुए थे। राजीव बाहर ही परदे के पीछे रुक गया और अंदर झाँकने लगा। अचानक चारु अपनी टाँगें खोली और अपनी बुर को पैंटी के ऊपर से खुजायी। और फिर से किताब पढ़ने लगी। पर वो जाँघों को फैली ही रहने दी। उसे क्या पता था कि कोई उस पर नज़र रखे हुए है। राजीव ने देखा कि इसकी पैंटी भी पुरानी थी और ढीली भी थी। उफफफफ इसकी भी बुर की फाँकें दिख रही थीं और बुर बिलकुल चिकनी थी बिना बाल के। वो समझ गया कि ये सब करन की बातों के कारण हुआ है। वो ही इसको बाल साफ़ करने को कहा था। तभी मालिनी और मुन्नी की बातें करने की आवाज़ें आयीं किचन से।
अब राजीव अंदर आकर चारु के पास बैठा और धीरे से बोला: बेटी, अपनी दीदी को सब कुछ बताया तो नहीं ना?
चारु ने ना में सिर हिला दिया।
राजीव: बेटी अच्छा किया। वो बेकार में दुखी होती। मेरी बहू बहुत अच्छी है।
चारु: पर अंकल आप ऐसा काम करते ही क्यों हैं?
राजीव ने अपनी पैंट के ऊपर से अपने लंड को दबाकर कहा: बेटी जब ये खड़ा होता है ना, तब आदमी को सही ग़लत की समझ नहीं रहती। अब तुम्हारे पास तो ये है नहीं, तुम क्या समझोगी?
मालिनी का चेहरा शर्म से लाल हो गया। वो बोली: छी अंकल आप कैसी बातें करते है?
राजीव: बेटी इसमें ग़लत कुछ भी नहीं है। वैसे जब इसमे ( उसकी बुर की ओर इशारा करके )खुजली होती है ना,तब लड़की को भी कुछ ग़लत नहीं लगता। सही कहा ना?
चारु: उफ़्फ़ अंकल आपसे बात करना मुश्किल है। वो यह कहकर खड़ी होने लगी। तभी वहाँ मालिनी और मुन्नी चाय लेकर आए। वो वापस से बैठ गयी। सबने चाय पीते हुए गप्पें मारी।
शिवा के आने के बाद सब ड्रॉइंग रूम में ही इकठ्ठे थे और तभी शिवा बोला: चारु इतना डान्स सीख रही हो कुछ हमें भी करके दिखाओ।
सबके ज़ोर देने पर वो खड़ी हुई और डान्स दिखाने लगी। क्योंकि उसने स्कर्ट पहनी थी इसलिए जब वो झुकती या घूमती तो स्कर्ट उठ जाती और शिवा और राजीव उसकी पैंटी और गदराई जाँघें देखकर मस्त हो जाते। शिवा ने भी नोटिस किया कि कैसे पैंटी से उभरी हुई बुर और फाँकें अलग से बहुत सेक्सी लग रही थीं। वो समझ गया कि आज उसे मालिनी से अपना लौड़ा चूसवाना ही पड़ेगा ।राजीव उसकी पैंटी से बाहर आती गोरी गाँड़ का भी दीवाना हो चला था। उसकी गठिली चूचियाँ भी उछाल मार रही थीं।
डान्स ख़त्म होने के बाद सबने तालियाँ बजायीं और फिर खाना खाने के लिए उठ गए।
खाने के बाद सब अपने अपने कमरे में चले गए और राजीव ने आज चुदाई की तस्वीरें चारु के मोबाइल पर भेजीं। उधर मुन्नी सो गयी थी और जैसे ही फ़ोटो आयीं चारु धीरे से उठकर ड्रॉइंग रूम में आकर बैठी और मोबाइल चालू कर देखने लगी। वो सोची कि कहीं मोबाइल की रौशनी से मुन्नी जग ना जाए। अब आज की तस्वीरें तो सिर्फ़ चुदाई की ही थीं। वो उसे देखकर गरम होने लगी।
उधर राजीव अपने कमरे से ये सोचकर निकला कि शायद बिस्तर में पड़ी लड़की फ़ोटो का मज़ा ले रही होगी । पर जैसे ही वो बाहर आने लगा वो रुका क्योंकि ड्रॉइंग रूम में रौशनी सी दिखाई दी। अब वो देखा कि चारु मोबाइल में देख रही है और उसने अपनी स्कर्ट उठाई और अपना हाथ पैंटी के अंदर डाल दिया। उसका हाथ ऊपर नीचे हो रहा था याने कि उसकी उँगलियाँ अंदर बाहर हो रही थीं। उफफफफ कमसिन जवानी की ये अदा राजीव को अंदर तक गरम कर गयी और वो लूँगी से अपना लौड़ा बाहर निकालकर इस अनोखे मादक दृश्य का आनंद लेने लगा। उधर चारु अब मोबाइल को देखते हुए उसे सोफ़े के एक हाथ पर रखा और दूसरा हाथ अपनी चूचि पर रखकर निपल मसलने लगी। एक हाथ बुर पर और दूसरा चूचि पर ज़्यादा देर नहीं रख पाई और घुटी हुई चीख़ निकालकर वो झड़ने लगी। राजीव चुपचाप सब देख रहा था और उसके मुँह पर मानो एक विजयी मुस्कान थी। वो सोने चला गया।
उधर राजीव को भी चैन नहीं था। वो लूँगी पहन कर मालिनी के कमरे पहुँचा। मालिनी करवट के बल लेटी हुई थी और गर्भवती होने के कारण उसकी गाँड़ काफ़ी चौड़ी लग रही थी। वह आकर उसके पास बैठा और उसके गाल पर हाथ फेरा और दूसरा हाथ गाँड़ पर फेरा। मालिनी ने आँख खोली और बोली: ओह पापा आप ? कब वापस आए? चारु की ट्रेनिंग ठीक रही?
राजीव: हाँ बहू ठीक रही। तुम्हारी तबियत कैसी है? अब डॉक्टर को कब दिखाना है? वो उसकी गाँड़ दबाकर उसे चूमते हुए बोला।
मालिनी: पापा अभी कोई ज़रूरत नहीं है। अगले महीने बुलाई है।
अब वो सीधी हुई और उसकी नज़र राजीव की लूँगी में बने तंबू पर पड़ी तो वो उसको पकड़कर बोली: पापा ये क्यों खड़ा है? कुछ चाहिए क्या इसे?
राजीव: बहू तुम तो अपने छेद बंद कर दी इस बिचारे के लिए। अब ये क्या करे?
मालिनी: पापा चूस दूँ क्या? बस यही छेद खुला है इसके लिए।
राजीव: हाँ बहू प्लीज़ चूस दो बहुत गरम हो गया है तुम्हारी गाँड़ देखकर? वो झूठ बोला क्योंकि उसकी गरमी का कारण तो चारु की कमसिन जवानी थी।
मालिनी: चलिए लूँगी खोलिए और यहाँ बैठिए। वो उठती हुई बोली। राजीव ने लूँगी खोली और उसका लौड़ा बाहर ऊपर नीचे हो रहा था। मालिनी ने बड़े प्यार से उसे सहलाया और फिर उसे चूमने लगी । अब वो उसे जीभ से पूरी लम्बाई में चाटी और फिर चूसने लगी। राजीव दोनों पैर फैला कर बैठे हुए उसके सिर को अपने लौड़े पर ऊपर नीचे होते देख रहा था। अब वो उसे डीप थ्रोट देने लगी और उसके बड़े बॉल्ज़ भी सहलाने लगी। जल्दी ही राजीव आऽऽऽऽऽह करके अपना रस उसके मुँह में छोड़ने लगा जिसे वो पीती चली गयी। फिर उसने जीभ से उसका लौड़ा चाटकर साफ़ किया और उठकर बाथरूम में चली गयी। राजीव थोड़ी देर उससे बात किया और फिर आकर अपने कमरे की ओर जाने लगा। तभी अचानक वो रुका और चारु के कमरे के सामने आकर खिड़की के परदे से अंदर झाँका। अंदर चारु पेट के बल सो रही थी और उसकी स्कर्ट ऊपर तक चढ़ कर उसकी गदराई जाँघों का दर्शन करा रही थी। मुन्नी सीधी लेटी थी और उसकी स्कर्ट से उसकी पैंटी साफ़ दिख रही थी। पैंटी पुरानी थी इसलिए शायद इलास्टिक ढीला सा हो चुका था। इसलिए जाँघ और पैंटी के गैप से उसकी बुर दिखाई पड़ रही थी। राजीव अपने कमरे में गया और बाईनाकुलर यानी दूरबीन लेकर आया और मुन्नी की पैंटी पर फ़ोकस किया। उफफफफ उसकी फाँक और रोएँ से बाल साफ़ दिख रहे थे। क्या माल है ये लड़की भी- वो सोचा। उधर अचानक चारु ने नींद में अपनी पैंटी के ऊपर से अपनी बुर खुजाई। पता नहीं लड़की क्या सपना देख रही थी। उसकी पैंटी भी अब दिखने लगी। फूली हुई बुर उसकी भी पैंटी से उभरी हुई मस्त लग रही थी।
राजीव मुस्कुराकर अपने कमरे में चला गया। उफफफफ क्या मस्त माल है दोनों- वो सोचा।
शाम को वो बाहर घूमने चला गया। जब वो वापस आया तो चारु ड्रॉइंग रूम में बैठी किताब पढ़ रही थी। उसके दोनों पैर ऊपर थे और जुड़े हुए थे। राजीव बाहर ही परदे के पीछे रुक गया और अंदर झाँकने लगा। अचानक चारु अपनी टाँगें खोली और अपनी बुर को पैंटी के ऊपर से खुजायी। और फिर से किताब पढ़ने लगी। पर वो जाँघों को फैली ही रहने दी। उसे क्या पता था कि कोई उस पर नज़र रखे हुए है। राजीव ने देखा कि इसकी पैंटी भी पुरानी थी और ढीली भी थी। उफफफफ इसकी भी बुर की फाँकें दिख रही थीं और बुर बिलकुल चिकनी थी बिना बाल के। वो समझ गया कि ये सब करन की बातों के कारण हुआ है। वो ही इसको बाल साफ़ करने को कहा था। तभी मालिनी और मुन्नी की बातें करने की आवाज़ें आयीं किचन से।
अब राजीव अंदर आकर चारु के पास बैठा और धीरे से बोला: बेटी, अपनी दीदी को सब कुछ बताया तो नहीं ना?
चारु ने ना में सिर हिला दिया।
राजीव: बेटी अच्छा किया। वो बेकार में दुखी होती। मेरी बहू बहुत अच्छी है।
चारु: पर अंकल आप ऐसा काम करते ही क्यों हैं?
राजीव ने अपनी पैंट के ऊपर से अपने लंड को दबाकर कहा: बेटी जब ये खड़ा होता है ना, तब आदमी को सही ग़लत की समझ नहीं रहती। अब तुम्हारे पास तो ये है नहीं, तुम क्या समझोगी?
मालिनी का चेहरा शर्म से लाल हो गया। वो बोली: छी अंकल आप कैसी बातें करते है?
राजीव: बेटी इसमें ग़लत कुछ भी नहीं है। वैसे जब इसमे ( उसकी बुर की ओर इशारा करके )खुजली होती है ना,तब लड़की को भी कुछ ग़लत नहीं लगता। सही कहा ना?
चारु: उफ़्फ़ अंकल आपसे बात करना मुश्किल है। वो यह कहकर खड़ी होने लगी। तभी वहाँ मालिनी और मुन्नी चाय लेकर आए। वो वापस से बैठ गयी। सबने चाय पीते हुए गप्पें मारी।
शिवा के आने के बाद सब ड्रॉइंग रूम में ही इकठ्ठे थे और तभी शिवा बोला: चारु इतना डान्स सीख रही हो कुछ हमें भी करके दिखाओ।
सबके ज़ोर देने पर वो खड़ी हुई और डान्स दिखाने लगी। क्योंकि उसने स्कर्ट पहनी थी इसलिए जब वो झुकती या घूमती तो स्कर्ट उठ जाती और शिवा और राजीव उसकी पैंटी और गदराई जाँघें देखकर मस्त हो जाते। शिवा ने भी नोटिस किया कि कैसे पैंटी से उभरी हुई बुर और फाँकें अलग से बहुत सेक्सी लग रही थीं। वो समझ गया कि आज उसे मालिनी से अपना लौड़ा चूसवाना ही पड़ेगा ।राजीव उसकी पैंटी से बाहर आती गोरी गाँड़ का भी दीवाना हो चला था। उसकी गठिली चूचियाँ भी उछाल मार रही थीं।
डान्स ख़त्म होने के बाद सबने तालियाँ बजायीं और फिर खाना खाने के लिए उठ गए।
खाने के बाद सब अपने अपने कमरे में चले गए और राजीव ने आज चुदाई की तस्वीरें चारु के मोबाइल पर भेजीं। उधर मुन्नी सो गयी थी और जैसे ही फ़ोटो आयीं चारु धीरे से उठकर ड्रॉइंग रूम में आकर बैठी और मोबाइल चालू कर देखने लगी। वो सोची कि कहीं मोबाइल की रौशनी से मुन्नी जग ना जाए। अब आज की तस्वीरें तो सिर्फ़ चुदाई की ही थीं। वो उसे देखकर गरम होने लगी।
उधर राजीव अपने कमरे से ये सोचकर निकला कि शायद बिस्तर में पड़ी लड़की फ़ोटो का मज़ा ले रही होगी । पर जैसे ही वो बाहर आने लगा वो रुका क्योंकि ड्रॉइंग रूम में रौशनी सी दिखाई दी। अब वो देखा कि चारु मोबाइल में देख रही है और उसने अपनी स्कर्ट उठाई और अपना हाथ पैंटी के अंदर डाल दिया। उसका हाथ ऊपर नीचे हो रहा था याने कि उसकी उँगलियाँ अंदर बाहर हो रही थीं। उफफफफ कमसिन जवानी की ये अदा राजीव को अंदर तक गरम कर गयी और वो लूँगी से अपना लौड़ा बाहर निकालकर इस अनोखे मादक दृश्य का आनंद लेने लगा। उधर चारु अब मोबाइल को देखते हुए उसे सोफ़े के एक हाथ पर रखा और दूसरा हाथ अपनी चूचि पर रखकर निपल मसलने लगी। एक हाथ बुर पर और दूसरा चूचि पर ज़्यादा देर नहीं रख पाई और घुटी हुई चीख़ निकालकर वो झड़ने लगी। राजीव चुपचाप सब देख रहा था और उसके मुँह पर मानो एक विजयी मुस्कान थी। वो सोने चला गया।
-
- Posts: 19
- Joined: 19 Jul 2017 12:32
Re: बहू नगीना और ससुर कमीना
बहुत बढिया लाजवाब कहानी भाई जारी रखो