जोरू का गुलाम या जे के जी

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kunal
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Re: जोरू का गुलाम या जे के जी

Post by kunal »

गुड्डी की दोनों सहेलियां दरवाजे पे धक्का मार के दाखिल ,

सहेलियां क्या था बिजलियाँ थी , घनघोर घटा के बीच की।

दिया को देख के तो मेरी सांस ऊपर की ऊपर ,नीचे की नीचे।

दिया को मैंने पहले भी देखा था ,कित्ती बार मिली थी ,गुड्डी की क्लोजिस्ट फ्रेंड ,

लेकिन

लेकिन वो अब वाकई बड़ी हो गयी थी ,( बल्कि बड़ा हो गया था )

एकदम परफेक्ट पंजाबी कुड़ी ,




लम्बाई ५. ७ छू रही थी ,एकदम गोरी चिट्ठी ,

उसके टॉप फाड़ते उभार तो आलमोस्ट मेरे उभारों के बराबर ,लेकिन सबसे जबरदस्त था उसका ऎटिट्यूड। एकदम मस्ती छलक रही थी।

दरवाजे से घुसते वो जोर से चीखी , भाभी।

और मैंने उसे जोर से हग कर लिया। मेरा ' टिपिकल टीनेजर ननद स्पेशल हग',मेरे भरे भरे उभार ननदों के आ रहे टीन बूब्स को कस के मसल के रख देते थे।

पर दिया ने खूब जोश से जवाब भी दिया ,अपने उभारों को मेरे सीने पे वापस दबा के। उसकी आँखों में मस्ती की चमक थी। मैं क्यों पीछे रहती ,अपनेहाथ से खुल के उसके जुबना दबाती बोली,

" अरे हार्न तो खूब दबाने लायक हो गएँ हैं। अभी बजवाना शुरू किया की नहीं ,... "

" अरे भाभी ,ननद किसकी हूँ , ... " खिलखिलाते हुए मेरी आँखों में झांकते उस शोख ने जवाब दिया।

तबतक मेरी निगाह गुड्डी की दूसरी सहेली पर पड़ी,




छन्दा ,डस्की लेकिन नमक बहुत ज्यादा। बहुत ही शार्प फीचर्स , थोड़ी लजीली , प्लम्प लेकिन सब सही जगहों पर , खूब गदरायी।

" हे छन्दा तेरा धंधा कैसा चला रहा है ,"

मैंने उसे छेड़ा।

और वो दिवाली की फुलझड़ी की तरह खीस्स से हंस दी।

और मेरा ननद स्पेशल, ननदों को चिढ़ाने के लिए जो मैं गाती थी ,मैं शुरू हो गयी।

"मंदिर में घी के दिए जलें ,मंदिर में ,

मैं तुमसे पूछूं हे छन्दा रानी ,हे दिया रानी ,

तोहरे जुबना क कारोबार कैसे चले ,

अरे तेरा रातों क रोजगार कैसे चले

अरे मंदिर में ,.... "

और बजाय शरमाने ,चिढ़ने के अबकी जवाब दिया ने दिया , खुल के अपने बड़े बड़े बूब्स को पुश करके ,

" अरे भौजी आपकी दुआ से अगर जोबन आये हैं तो उनके कद्रदान भी आएंगे और रोजगार भी चलेगा ही। "





" ये हुयी न बात मस्त छिनाल ननदों वाली , अब ऐसे सावन के मौसम में , मैं तो स्पेशल ऑफर दे रही हूँ तुम ननदों को ,

सैयां से सैयां बदल लो मोरी ननदी ,

मेरी बात काटती अबकी छन्दा जैसे उदास होते ,मुंह बना के बोली ,

" अरे भौजी , अगर सैयां होते तो ऐसे मस्त मौसम में उनके साथ कबड्डी न खेल रही होती बिस्तर पे, इधर उधर भटकती क्या। "

" अच्छा चल सैंया न सही ,यार तो होंगे।" मैंने कोर्स करेक्शन किया कर दिया के उभारों को घूरती बोली ,

" अरे ये जोबन , ये रूप ,ये नमक ,मेरी ननदों का ,अब ये मत कहना की यार भी नहीं है। अरे स्वाद बदल जाएगा नीचे वाले मुंह का ,हैं न ,कभी लंबा कभी मोटा ,कर लो अदलाबदली। बोल मंजूर हो तो बुलाऊँ उन्हें। "

अब छन्दा रानी की चमकी ,,चमक के बोली वो ,

" अच्छा भाभी , हमारे ऊपर हमारे ही भैय्या को चढ़ाना चाहती हैं। माना आपके मायके का चलन है ये ,दिन में भइया रात में सैयां वाला ,हमारे यहाँ नहीं ,... "

लेकिन उसकी बात दिया ने काट दी और मेरे बगल में आके खड़ी होके बोली ,




" तू भी छन्दा ,न यार हर लड़का तो किसी न किसी का भइया होगा ही। ऐसे बारिश के मौसम में ऐसा ऑफर , एकदम मंजूर है भाभी हमें हो जाय अदला बदली"

( गुड्डी ने मुझे बताया था की दिया तो अपने एकलौते सगे भाई से कब से फंसी है ,रोज रात बिना कबड्डी खेलती है और अगले दिन स्कूल में सहेलियों को अनसेंसर्ड वर्ज़न, छन्दा का कोई सगा भाई था नहीं तो वो पिछले साल ही अपने एक फूफेरे भाई से और अबतक तो मौसेरे ,चचेरे , कोई कजिन नहीं बचे हैं )

गुड्डी हम लोगो की छेड़छाड़ से अब तक सूखी बची थी ,उसे क्यों मैं छोड़ती। उससे बोली ,

" अरे गुड्डी कुछ सीख अपनी सहेलियों से , देखो मेरा एक स्पेशल ऑफर है सिर्फ तुम जैसे छिनार ननदों के लिए , एडवांस में अदलाबदली। चलो अभी तुम मेरे वाले से मजा ले लो ,और फिर जिस तुम पटाओगी ,उसके साथ मैं।

अब ऐसे मौसम में भाभी दिन रात मजे ले और बिचारि ननदें सावन में प्यासी रहें , तो बोलो है न मंजूर। "

गुड्डी शरमा गयी ,वो मेरी बात साफ़ साफ़ समझ रही थी , पर दिया उन सबों की लीडर , सब की ओर से बोली।

"एकदम भाभी मंजूर। लेकिन ये बताइये आप हम ननदों के लिए लायी क्या हैं। "

" तेरे भैय्या को लाइ हूँ न ,सावन के मौसम में इससे बढ़िया गिफ्ट क्या हो सकती है , "




हँसते हुए मैंने चिढ़ाया। फिर गुड्डी को देखते हुए बोला ,


" आगे से पीछे से ,ऊपर से नीचे ,.. हर मुंह में ,...चाहे दबवाओ ,चाहे डलवाओ। चाहे चूसो चाहे चुसवाओ। "मैंने छेड़ा।

"नहीं नहीं भाभी " दिया और छन्दा एक साथ चीखीं।


और मैंने दराज से दो मोटी लम्बी हैंड कार्व्ड कैंडल्स निकालीं।
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Re: जोरू का गुलाम या जे के जी

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"चलो तुम्हारी बात मान ली , भैया भी तुम्हारे चार दिन की चांदनी ,.. कुछ दिन बाद तो मैं ले के फुर्र हो जाउंगी , फिर बिचारि तुम ननदें ,तब के लिए है न मस्त देखो। "

और मोटी कैंडल अपनी मुट्ठी में मैं उन दोनों को दिखाते, चिढ़ाते ऐसे मुठिया रही थी जैसे कोई मस्त मोटा लंड हो.

थी भी वो दोनों कैंडले ,साढ़े सात इंच से थोड़ी ज्यादा ही लम्बी ,तीन इंच मोटी देखने में छूने में पकड़ने में एकदम मस्त मोटे लंड को मात करती।

आगे का हिस्सा खूब मोटे फूले हुए कड़क सुपाड़े की तरह ,यहाँ तक की जैसे खड़े लंड में जैसे फूली फूली हलकी वेन्स दिखती हैं ,उस तरह की वेन्स भी , हाँ बेस पे एक बहुत बड़ा सा चौड़ा , इस तरह से डिजाइन किया था की चाहे टेबल पर रखना हो या पकड़ना हो।

" है न एकदम मस्त ,एकदम तेरे भैय्या की शेप और साइज का है , उसी पे मॉडल किया है देख एकदम सटासट जायेगा , हैं न चिकना "

उन दोनों को ललचाती मैं बोलीं।

दिया की आँखे तो एकदम मोटी कैंडल पर चिपकी ,अविश्वास में ,लेकिन छन्दा के मुंह से निकल गया ,




"क्या सच में भाभी ,... "

" और क्या तभी तो मैं इतना मस्त मानसून ऑफर तुम ननदों को दे रही थी ,चाहे तो नाप के ,चाहे पकड़ के ,चाहे घोंट के ,चाहे चूस के ,... देख लेना। हाँ बदले में जब तुम यार पटाओगी तो मैं भी बिना चखे नहीं छोडूंगी। आखिर सलहज का तो ननदोई पर ननद से पहले हक़ होता है। "

अपनी ननदों को, गुड्डी की सहेलियों को , छेड़ते मैं बोली। फिर गुड्डी से कहा ,

" यार तुझे तो मालूम है तेरे भैय्या कंडोम कहाँ रखते हैं ,ज़रा निकाल न। "

गुड्डी ने सुपर डॉटेड फ्लेवर्ड कंडोम का पैकट दराज से निकाल लिया तो मैं उससे बोली ,

अरे मेरी प्यारी ननद ज़रा इस पे चढ़ा भी दे। "

जो कैंडल मैंने छन्दा को गिफ्ट की थी गुड्डी ने पहले उसपर कंडोम चढ़ाया और फिर दिया के हाथ से कैंडल लेके ,तब तक मैं भाभी ज्ञान देने में चालू हो गयी

" तुम सब माना की गवरमेंट गर्ल्स इंटर कालेज की ,सिर्फ अपनी क्लास की ही नहीं बल्कि पूरे कालेज की कैंडलिंग क्वीन हो ,




लेकिन एक एक बात समझ लो ,कंडोम चढ़ा के कैंडलिंग करने के तीन फायदे।

पहला , कोई बैक्टीरया , कोई इंफेक्शन नहीं ,सबसे प्रोटेक्शन।

दूसरा ,कैंडलिंग में सबसे बड़ा खतरा ,हरदम मन में डर बना रहता है कहीं मोमबत्ती टूट न जाय ,कहीं बुर की गरमी से पिघल न जाए ,कंडोम के अंदर होने से वैसा न कोई डर न ख़तरा। बस जम के अपने भइया के बारे में सोच सोच के करो कैंडलिंग।

और तीसरा सबसे बड़ा ,एकदम असली सा मजा। अरे आधे टाइम आजकल लड़के भी तो रेनकोट पहन के , तो बस उसी तरह लगेगा। और साइज शेप मैंने पहलेही बता दिया तेरे भैय्या का ,बस सोचना तेरे भैय्या ही चोद रहे हैं हचक हचक के। "

और उसी समय

फटा पोस्टर निकला हीरो।

उनके भैय्या मेरे सैंया बाहर।
गुड्डी एक कैंडल पर कंडोम चढ़ा रही थी और उसे सीधे दिया की खुली जाँघों के बीच दिखा दिखा के ,

दिया कौन पीछे रहने वाली थी ,वो भी ऐसे धक्के मारने की ऐक्टिंग कर रही थी जैसे कोई चुदक्कड़ माल,नीचे से चूतड़ उछाल उछाल कर ,

भैय्या ,छन्दा चीखी।


तीनो लड़कियां अपनी अपनी जगह फ़्रीज।

"अरे, भाभी से तो इतना हंस हंस के गले मिल रही थी और भैय्या से ,... "


मैंने गुड्डी की सहेलियों को चिढ़ाते हुए सन्नाटा तोड़ा।

एकदम भाभी ,और दिया उनसे ,सिर्फ गले ही नहीं मिली बल्कि लिफाफे पे टिकट की तरह चिपक गयी।

और वो भी ,... वाज लुकिंग सो हॉट ,हैंडसम ,मैनली।

... हॉट मतलब रीयल हॉट ,जिसे देख के एकदम सती साध्वी बनने वाली लड़की भी पिघल जाए.

एकदम देह से चिपकी हुयी शर्ट ,

जिससे बाइसेप्स ही नहीं उनकी ऐब्स भी साफ़ साफ़ झलक रही थीं।

ब्राड शोल्डर ,जिसे संस्कृत में वृषभ कंध कहते हैं न ,एकदम वही ,

चौड़ा चेस्ट ,परफेट V .

पतली कमर , केहरि कटि।

खूब लम्बे और गोरे तो वो हैं ही ,टाइट रिप्ड लेविस में उनकी परफेक्ट मस्क्युलर जिम टोंड थाइज भी साफ़ साफ़ झलक रही थीं।

और उनका वो मैनली इम्पोर्टेड परफयूम ,....




और जिस तरह से दिया ने उन्हें गले लगाया था , उसमें 'बहन ' जैसा कुछ भी नहीं था।




वो खुल के अपने गदराये टॉप फाड़ते कड़े कड़े किशोर उभार उनके चौड़े सीने पे रगड़ रही थी , दिया की लम्बी लम्बी छरहरी टाँगे ,उनकी टांगों के चारो ओर. लता की तरह लिपटी।

लेकिन वो न ,

मैंने उन्हें जबरदस्त आँख मारी और इत्ता इशारा काफी था।

उनकी तगड़ी बाहों ने कस के दिया को भींच लिया ,उनके गाल हलके हलके उस पंजाबी कुड़ी के मक्खन जैसे गाल पे हलके हलके रगड़ रहे थे , साथ में उनका तन्नाता बल्ज सीधे दिया की जाँघों के बीच और दिया ने अपनी मखमली जाँघे और फैला दीं ,और फिर जैसे दिया को बाहों में पकड़ते हुए एक्सीडेंटली ,...उनकी उंगलिया दिया के किशोर उभारों को हलके से रगड़ गयीं।




दिया भी न ,उसने अपने होंठ इनके कानों पे लगा के पहले तो हलके से छूआ फिर कुछ कान में फुसफुसाया

बस खिलखिलाते हुए खुल के इनके एक हाथ ने दिया का एक उभार टॉप के ऊपर से पकड़ के कचकचा के दबा दिया।

दिया सिसक पड़ी। लेकिन बजाय बुरा मानने के वो गुड्डी को चिढ़ाने में जुट गयी ,

गुड्डी को जीभ निकाल के उसने चिढ़ाया और मुझसे मसकराते हुए बोली ,

" भाभी , मुझे कहीं कुछ जलने सुलगने की महक आ रही है। "

गुड्डी की ओर से जवाब मैंने ही दिया ,

" अरे नहीं ,जो सुलगने वाली चीज थी वो मैंने पहले ही इसकी साफ़ सूफ करवा दी है ,कोई खतरा नहीं है। "

" लगी रह तू ,... "


खिलखिलाते हुए गुड्डी ने दिया को और उससे भी ज्यादा अपने भैय्या को भी थम्स अप किया।

" सही है ,भाभी ,मैं भी अपनी चिकनी चुपड़ी रखती हूँ ,क्या पता कब मेरी गुलाबो की लाटरी निकल आये। "

दिया भी अब एकदम खुल के मूड में आ गयी थी।

और जैसे दिया की बात के जवाब में जैसे आलमोस्ट ड्राई हंपिंग की तरह अपना तन्नाता खूंटा उन्होंने दिया की खुली जांघ के बीच ताकत से थ्रस्ट किया। एक हाथ से उन्होंने दिया के किशोर जोबन पकड़ रखे थे और दूसरा दिया के मचलते नितम्ब पर कस के जकड़े था।

अब गुड्डी की दूसरी सहेली छन्दा का भी मन मचलने लगा ,वो दिया से बोली ,






" हट न तू ,क्या तू अकेले अकेले ही भइया से गले मिलेगी। "

" अरे तू पीछे से लग जा ना " मैंने छन्दा को उकसाया।

" भाभी ,पीछे से इस बिचारी का क्या भला होगा। "

गुड्डी बोली। वो भी अब एकदम मूड में थी।

" क्यों ,आगे वाला पकड़ तो सकती ही है ,पीछे से। "

अपनी ननद को छेड़ते मैं ,खिलखिलाते बोली।

एक बार और दिया के उभार मसल के उन्होंने दिया को छोड़ दिया और छन्दा खुद उनकी बाहों में जा के समा गयी।

और अब छन्दा तो दिया से भी ज्यादा खुल के ,...



"यार अपनी बहनों का सिर्फ रगडोगे मसलोगे , दबाओगे मिजोगे या कुछ खिलाओ पिलाओगे भी "

मैंने उन्हें उकसाया।

" एकदम " वो बोले।

उन्हें बिना छोड़े छन्दा बोली ,क्या।

और वो स्पेशल चॉकलेट का पैकेट निकाल के ले आये। लायी भी मैं थी उसे अपनी ननदों के लिए ही मैं लायी थी।
चॉकलेट्स ,, लेडीज़ ड्रीम ,डार्क ऐज सिन ,सेंसुअस।


, उन्होंने एक चॉकलेट खोल के छन्दा की ओर बढ़ाया पर वो गुड्डी की सहेली कम नहीं थी।

अपने डार्क रेड लिपस्टिक लगे होंठ खोल के इनके हाथ से उसने खुद गड़प आकर लिया।

" तू है मेरी पक्की ननद , घोंटने में नंबर वन ,खासतौर से अपने भैय्या का ,है न ,मजा आ रहा है चूसने में ?"

मस्ती से चॉकलेट चूसते चुभलाते छन्दा मेरे ही अंदाज में बोली ,

" एकदम भाभी ,भैय्या का चूसने में तो मजा ही अलग है। फिर भाभियाँ तो रोज ही भैय्या की चॉकलेट का मजा लेती हैं ,कभी कभी ननदे भी शामिल हो जाएँ तो क्या बुरा है। "

" एकदम , कभी कभी क्यों रोज , अपनी इस सहेली से पूछना , " गुड्डी की ओर इशारा करके मैं बोली ," अब इसे ले जा रही हूँ अपने साथ न ,तो बस रोज मिल बाँट के इसके भैया के चॉकलेट का ,... "

गुड्डी के गाल लाज से गुलाल हो गए।

पर उधर वो पंजाबी कुड़ी ,शोख पटाखा मैदान में आ गयी थी।




इन्होने अच्छे घर दावत दे दी थी। वो खेली खायी ,उसको चॉकलेट दिखा के मेरे सैंया ने अपने मुंह में ,पर दिया भी ,

उसने झपट के इन्हे दबोच लिया ,दोनों हाथों से इनके सर को पकड़ के अपने पलाश से दहकते किशोर होंठ सीधे , इनके होंठों पर और कुछ देर में ही दिया की जीभ इनके मुंह में , जब तक वो सम्हलें सम्हले ,डीप फ्रेंच किस , टंग फाइट चालू हो गयी थी।

यही नहीं उस गुड्डी की सहेली इंटरवाली पंजाबी कुड़ी ने अपने बड़े बड़े नए आये कड़े जोबन की बरछी भी इनके सीने में गड़ानी शुरू कर दी।




इनका भी खूंटा तना और मम्मी की ट्रेनिंग मेरा उकसाना ,एक हाथ सीधे इन्होने दिया के उभार पे और दूसरा नितम्बों में ,खड़ा खूंटा दिया की खुली जांघों के बीच , हलके हलके रगड़ता।
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Re: जोरू का गुलाम या जे के जी

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आखिर दिया की जीभ उस चॉकलेट के साथ दिया के मुंह में वापस आयी , जिस के बहाने इत्ती मौज मस्ती चालू हो गयी थी।

यही तो मैं चाहती थी और गुड्डी की सहेलियां भी ,

झड़ी बाहर फिर शुरू हो गयी थी ,मैंने पूछा सबसे ,

" यार ये मौसम पकौड़ी खाने का हो रहा हैं न "

" एकदम भाभी , नेकी और पूछ पूछ " दिया छन्दा एक साथ बोली।

दोनों चॉकलेट चुभलाते बोली।

ये चॉकलेट तो ५-१० मिनट में असर दिखलाती। वोडका लिकर चॉकलेट ४० % से भी ज्यादा अल्कोहल , और सबसे बड़ी बात ये थी की इसमें लाइनिंग अल्कोहल प्रूफ कैंडी की होती है तो जब वो चॉकलेट मुंह में मेल्ट करती है तो सीधे वोडका का शाट ,दो चॉकलेट से सीधे एक पेग का नशा और वो भी ४० % वाली वोदका का।

और चलने के पहले मैंने दिया को एक और चॉकलेट ,

एकदम भाभी हूँ उसकी इसलिए सीधे अपने होंठों से ,और इनकी तरह सीधी थोड़ी हूँ इसलिए अपने ननद के जोबन का रस सिर्फ टॉप के ऊपर से ही नहीं बल्कि टॉप के अंदर से ,

एकदम मस्त कड़ी कड़ी चूँचिया थी उस पंजाबी कुड़ी की।

" हे ये बटन अब बंद नहीं होने चाहिए "


मैंने उसके कान में वार्न किया , और खिलखलाते हुए उसने हामी भी भर दी।

ये क्यों पीछे रहते ये छन्दा के साथ ये भी लस लिए और अब की उन के भी हाथ अंदर का मजा ले रहे थे।

गुड्डी को भी मैं अपने साथ खींच के ले गयी।
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Re: जोरू का गुलाम या जे के जी

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जोरू का गुलाम भाग १०५

मुझे लगा वो थोड़ा सुलग रही है इसलिए उसको समझाते मैं बोली ,

" अरे यार ये माल तो हम दोनों का है , हम तो जब चाहे तब ,थोड़ी देर ये भी मजा ले ले ,आखिर तेरी पक्की सहेलियां है "

गुड्डी समझती मुस्कराती बोली ,

"एकदम सही कहा भाभी आपने , ओनर्स प्राइड नेबर्स एनवी , स्सालियाँ बहुत अपने भैय्या के किस्से मुझे रोज सुना सूना के जलाती थीं ,अब इन कमीनियों को पता चलेगा की मेरे भैय्या उसके भैय्या से १९ नहीं २० हैं।“


मैं और गुड्डी साइड वाले रूम से निकले थे और वहां एक लार्ज साइज फ्रिज था।

"गुड्डी सुन यार फ्रिज खोल के वो सनसेट रम की एक बॉटल और दो कोक के कैन भी निकाल ले। "




फ्रिज के अंदर पूरी बार थी तरह तरह की रम ,वोडका , व्हिस्की ,...

लेकिन अब गुड्डी शॉक्स से ऊपर उठ चुकी थी और उसने सनसेट रम की बोतल ,दो कोक के कैन निकाल लिए और मेरे मेरे पीछे किचेन में।

"आज तेरी सहेलियों को टुन्न करते हैं ,बहुत तुझे चिढ़ाती थीं न आज पता चलेगा उन्हें , गुड्डी की ब्रा विहीन पीठ को सहलाती मैं बोली।

"एकदम भाभी " हंस के उसने मेरी स्कीम ज्वाइन कर ली।

" चल मैं बेसन फेंटती हूँ ,तब तक तू ज़रा वो पैक्ट अलमारी के ऊपर वाले खाने से निकालना ,सबसे ऊपर वाले खाने से "



मैंने गुड्डी को काम पकड़ाया।

पैकेट निकाल के उसने मेरे हवाले कर दिया। वो पूछती उसके पहले ही हँसते हुए मैंने उसे बता दिया ,




"आज तेरी सहेलियों को भांग के पकौड़े खिलाने वाली हूँ मैं , यही है इसमें अब जरा थोड़ा अजवाइन ,अनारदाना निकाल के मुझे दे दे और बैंगन और प्याज फटाफट काट दे मेरी प्यारी ननद। "

गुड्डी ने पहले तो मुझे कस के पीछे से भींच के मेरे कुर्ते से उभरते ३४ सी उभारों को हल्के से मसल दिया और मेरे गालों को चूमते बोली ,

" भाभी आप बहुत प्यारी भी हो और बदमाश भी ," और काम में लग गयी।

भांग के पकौड़े की रेसिपी के हिसाब से तो २५० ग्राम बेसन में सिर्फ १० ग्राम भांग पड़ती है ,लेकिन वो ननदों के लिए थोड़ी है और खासतौर से इंटर में पढ़ने वाली सेक्सी टीनेजर ननदें हो ,इसलिए मैंने कंजूसी नहीं की ,पूरे २५ ग्राम भांग मिला दी।

मेरे मोबाइल और गुड्डी के मोबाइल पे एक साथ व्हाट्सऐप वाला मेसेज बजा।

गुड्डी के सारे व्हाट्सऐप ग्रुप मैंने ज्वाइन कर लिए थे और उसे भी अपने मिसेज खन्ना ,सुजाता वाले ग्रुप में ऐड कर लिया था।

बिना अपना मोबाइल खोले मैंने गुड्डी की ओर देखा तो वो मेसेज पढ़ रही थी।

और मुस्करा रही थी।

बेसन में भांग फेंटते मैंने गुड्डी की ओर देखा और मेरी बात समझ के गुड्डी मुस्कराती बोली ,

" छुटकी का है ,बड़े चींटे काट रहे हैं उसे। "


" छुटकी का है ,बड़े चींटे काट रहे हैं उसे। "

" बोल दे उसे रात में आज ट्रिपलिंग करेंगे। " मैंने थोड़ा नमक डालते बोला।

" एकदम भाभी। "




अब आप पूछेंगे छुटकी कौन , ...

इनकी सबसे छोटी कजिन।

मैंने बताया था की जब मैंने गुड्डी का मोबाइल हैक किया था उसके सारे व्हाट्सऐप ग्रुप ,.. और ये वाला ग्रुप ,इसमेंकि सारी कजिन्स थी ,मौसेरी ,ममेरी ,चचेरी ,पूरी चौदह।

और सब की सब एकदम ,छुटकी का नाम तो वैसे अनन्या था ,पर सबसे छोटी होने के कारण घर में सब उसे छुटकी कहते थे ,अभी हाईस्कूल का इम्तहान दिया था।




गुड्डी से दो साल छोटी। गोरी चिट्ठी , लम्बी ,जोबन बस , जैसे हाईस्कूल की लड़कियों के होते हैं बस वैसे ही ,....
. ( ट्रिपलिंग मतलब ,... हम तीन , मैं गुड्डी और छुटकी रात में स्काइप पर एक साथ मस्ती करेंगी )

"यार छुटकी ,अभी थोड़ी छोटी है न "

कड़ाही चढ़ाते हुए , भेद जानने के लिए ,मैंने गुड्डी को उकसाया।

" अरे नहीं भाभी , कत्तई छोटी वोटी नहीं , आप तो हमारे ग्रुप में नयी नयी आयी हैं न , इसलिये आप को अंदाज नहीं है। हमारे ग्रुप की सबसे तीखी मिर्च है वो.. "

हँसते हुए गुड्डी बोली कटे प्याज और बैगन उसने मेरी ओर सरका दिया।

बैगन बेसन में फेंटते हुए मैंने सोचा ,



अगर गुड्डी की बात सही है तो ,तीखी हरी मिर्च कुतरने का बहुत शौक है मुझे।

" हे जरा चार शीशे वाले ग्लास फ्रीजर में लगा दे न चार पांच मिनट के लिए " मैं गुड्डी से बोली।

आज रमोला मैं इसी से बनवाने वाली थी।

गुड्डी ने फ्रीजर में ग्लास रखते हुए छुटकी के बारे में अपनी बात जारी रखी ,

" भाभी छुटकी की शकल पे मत जाइयेगा ,चेहरे पे भले अभी ,... लेकिन,... "




मैंने छेड़ा , तो मतलब ,यार लग गए है उसके पीछे ,

" एकदम भाभी ,आधे दर्जन से ऊपर ,उसकी फेसबुक पेज पे देखिये आप ,लड़कों की लाइन लगी है। अरे आज कल लड़कियों के पिरीअड बाद में आते हैं ,यार पहले आ जाते है, एडवांस बुकिंग का जमाना है।

खिलखलाते हुए वो बोली , और मेरे पास आ के पकौड़ी बनाने में मेरा हाथ बटाने लगी।




" खास तौर से मेरी ननदों के , अरे मेरे ननदे हैं ऐसी नमकीन ,"


गुड्डी को छेड़ते हुए थोड़ा सा बेसन मैंने उसके चम्पई गालों पर लगा दिया।
" भाभी , " वो चिढ़ती हुयी बोली।

" अरी मेरी बन्नो , रूप निखर आएगा हल्दी और चन्दन से ,फिर आज मेरी बन्नो को हल्दी लगी है , और हल्दी लगने के बाद लड़कियां जो लगवाती हैं ,उसके लिए तो तेरे भैया कब से तड़प रहे हैं "


मैं भी उसे चिढ़ाती हुयी पकौड़ियाँ छानने में लग गयी और उसे काम पकड़ा दिया।

" अच्छा सुन , ज़रा फ्रिज से क्रश्ड आइस निकाल ले , और वो जा चार ग्लास फ्रीजर में रखे थे न उसमे से निकाल के , डाल दे। और जो तू ऊपर से कोक के दोनों कैन लायी थी वो खोल दे। "

गुड्डी के मालपुआ ऐसे मुलायम चम्पई गालों पर बेसन बहुत अच्छा लगा रहा था।

लेकिन मेरे मन में बहुत से किंकी ख्याल आ रहे थे ,गुड्डी को देख देख के।

उसकी भैय्या उसकी सील खोलेंगे अभी वो बिचारी यही सोच रही थी , लेकिन उस बिचारी के साथ तो बहुत कुछ होना था।




सील खोलना तो बस शुरुआत थी। मंजूबाई और उसकी बेटी गीता तो,...

दोनों के खुजली मची हुयी थी , नम्बरी कमीनी ,बिना 'सब कुछ खिलाये पिलाये 'तो वो इसे छोड़ने वाली नहीं थी। शर्त मैंने बस एक छोटी सी रखी थी , सब कुछ मेरे सामने होगा।

" हे तुझे बेसन का हलवा अच्छा लगता है। " आँखे नचाते हुए मैंने पूछा।

ग्लास की ओर से मेरी ओर मुंह करती वो जानेमन बोली ,

" अरे भाभी ,क्या बात कर दी आपने , नाम सुन के मुंह में पानी आगया। खिलाने वाली हैं क्या आप। "

" एकदम ,अरे तेरी पसंद की चीज और मैं न पूरी करूँ तो भाभी कैसी तेरी , लेकिन यहाँ नहीं। "

मेरी आँखों के सामने मंजू बाई का चेहरा उसकी किंकी बातें घूम रही थीं।

" अरे बस दो तीन दिन में चलेगी न हमारे साथ , एक हमारे यहाँ काम करती है ,एकदम घर की ही तरह ,उससे कोई दुराव छिपाव एकदम नहीं है ,तेरा भैय्या का तो बहुत ख्याल करती है ,मंजू बाई।

बहुत बढ़िया स्पेशल वाला बनाती है। बस एक बार चल चल तू हमारे साथ , फिर देखना। हाँ एक बार अगर तूने मंजू बाई से हाँ कर दिया तो बिना खिलाये वो छोड़ेगी नहीं। "

मुस्कराते हुए मैं बोली और फिर गुड्डी को कहा ,

" सुन वो जो रम की बोतल है न ,खोल के हर ग्लास में एक तिहाई क्रश्ड आइस के ऊपर डाल ,हाँ बस ऐसे ही। और जो बचेगी न उस जग में डाल दे ,हाँ पहले क्रश्ड आइस जग में भी , ... "

गुड्डी क्विक लर्नर भी थी और बस थोड़ी सी जोर जबरदस्ती और वो मान भी जाती थी।

" हाँ पूरी बोतल खाली कर दे , आज तेरी सहेलियों को एकदम टुन्न करना है। "




मैंने उसको अपना प्लान बताते हुए बोला।

"एकदम सही भाभी , आप मेरी सबसे अच्छी वाली मीठी मीठी भाभी हो , सेक्सी प्यारी। ये दोनों कमिनियाँ ,सुबह से मेरे पीछे पड़ी थी , भैय्या से मिलवाने को , ये स्साली दिया भी न, सुबह मेरे घर आयी , बस पहला हमला मेरे मोबाइल पे करती है।

और वो नया नया भैय्या का दिया आई फोन लेटेस्ट ,बस दिया ने खोल लिया और भैय्या के ८-९ मेसेज थे एकदम सुबह सुबह ,मैंने डिलीट भी नहीं किये थे और उस ने खोल के देख लिए। और भइया भी न अब से जब से आये हैं एकदम बस। "

उसकी बात काटती मैंने पूछा ,तुझे ऐसे वाले भैय्या अच्छे लगते है या पुराने वाले ,सीधे साधे। "

"क्या भाभी आप भी न ये भी कोई पूछने की बात है ऐसे वाले ," खिलखिलाते हुए वो शोख बोली और अपनी बात आगे बढ़ाई।

" भइया भी न ,सुबह सुबह अपने उसका ,वीडियो फोटो सब , ...एकदम से ,... "

मैंने उसको टोका नहीं ,आखिर वो सब वीडियो उनके खूंटे का ,मुठियाने का मैंने ही तो भेजा था उनके फोन से , और गुड्डी के सारे जवाब भी मैंने पढ़े थे ,शुरू में थोड़े शरमाते झिझकते बाद में सब हाट हाट।

" तो क्या हुआ , आगे बोल न " मैंने गुड्डी को उकसाया , और काम पर भी लगाया ,

"सुन बताती जा और वो कोक उन रम वाले ग्लासेज में ,ऊपर से धीमे धीमे पोर कर दे। "

गुड्डी ने कोक पोर करते हुए बात जारी रखी ,

" बस दिया स्साली तो ,भइया के उसके फोटो देखते ही सुलग गयी। मैंने चिढ़ाया , बोल मेरे भैय्या का कैसा लगा. "

गुड्डी ने कोक पोर करते हुए बात जारी रखी ,

" बस दिया स्साली तो ,भइया के उसके फोटो देखते ही सुलग गयी।

मैंने चिढ़ाया , बोल मेरे भैय्या का कैसा लगा. "

मुझसे नहीं रहा गया ,पूछ बैठी ,

" तूने उसके भैय्या का देखा है क्या , ... "

हँसते हुए बोली वो शोख ,




"भाभी आप भी न ,देखा है पूछ रही हैं। यहाँ लड़किया नाम बाद में पूछती हैं सेल्फी पहले खिंचवाती हैं। रोज बिना नागा।

सच में नहीं अरे फोटो में।

ये दिया भी न ,ठीक प्रेयर में , फिर टिफिन में ,किती बार क्लास में भी ,रोज ,... कभी हाथ में अपने पकड़ के ,कभी गाल पे रख के सेल्फी , एक दिन इंच टेप के साथ , सात इंच का पूरा। "




फिर गुड्डी अपनी बात बढाती बोली ,

" दिया को यकीन नहीं हुआ ,बोली फोटोशॉप होगा।

फिर बोली बाजी लगा और मैंने बाजी लगा ली। मुझे अपने भैय्या पे पूरा यकीन था। "



"किस बात की बाजी " मुझसे रहा नहीं गया।



"अरे भौजी ,अगर मेरे भैय्या का बड़ा होगा तो वो मेरे भैय्या से मरवायेगी और अगर उसके भैय्या का बड़ा होगा तो मुझे उसके भैय्या से मरवाना होगा। "



बाकी कोला जग में रखे रमोला में मिलाते गुड्डी बोली।

"मरवाना "

मैंने घुड़का :उसको ,कल क्या सिखाया था तुझे , मेरे सामने ,तेरे भैय्या के सामने कैसे बोलना है।"

" सॉरी भाभी " चट से मेरी ननद ने अपने कान पकडे और बोली ,
‘चुदवाना। ‘






बिना झिझके शर्माए।

" तू आराम से जीत जायेगी। दिया चुदेगी तेरे भइया कम सैंया से। वैसे दिया के भाई का सात इंच भी काफी बड़ा है लेकिन तेरे भइया का , तूने तो देखा भी है ,पकड़ा भी है ,... " मैंने गुड्डी को भरोसा दिलाया।

" एकदम भाभी ,तभी तो बाजी झट से लगा ली मैंने ," खिलखिलाती हुयी वो टीनेजर बोली।






सीढयों पर चढ़ती मैं बोली ,चल ऊपर अभी फैसला कर लेते हैं न हाथ कंगन को आरसी क्या , मैंने उसे उकसाया।

एकदम भाभी ,देर किस बात की स्साली दिया भी समझ जायेगी।

गुड्डी ने तुरंत हामी भरी।

थोड़ी देर में हम ननद भौजाई , कोक और रम मिला रमोला ,और भांग के पकौड़े लेकर ऊपर कमरे में ,जहाँ दिया और छन्दा के साथ ये ,

" काक ऊप्स कोक चलेगा ,... : मैंने बाहर से हंकार लगाई।

" एकदम भाभी ,दोनों चलेगा। " छन्दा की खिलखिलाती आवाज आयी।

" अरे कॉक तो हमारे पास है , हाँ कोक चलेगा नहीं दौड़ेगा। "


दिया अंदर से बोली ,




और हम दोनों मैं और गुड्डी अंदर दाखिल।
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Re: जोरू का गुलाम या जे के जी

Post by kunal »

जोरू का गुलाम भाग १०६

अंदर का नजारा देख के तो मेरी तबियत एकदम मस्त होगयी। यही तो मैं चाहती थी अपने सैंया के बारे में ,और आज एकदम बिलकुल उसी तरह ,

नान स्टाप मस्ती , नो होल्स बार्ड एकदम झकास

वो मस्त पंजाबी कुड़ी ,जिसके उभार अपनी उम्र से दो साल बड़ी लड़कियों को भी चैलेंज करते हुए ,एकदम कड़क , इनकी गोद में





लेकिन असली बात तो इसके आगे थी

,इनका हाथ उस पंजाबी कुड़ी के टॉप के अंदर गोलाइयों की नाप जोख तो कब की ख़तम कर चुका था अब तो खुल के रगड़ाई मसलाई हो रही थी मेरी ननद की जुबना की।

और वो पंजाबी कुड़ी ,दिया भी कौन कम ,

स्साली एकदम मेरी पक्की ननद ,उसका हाथ इनके जींस के अदंर और साफ़ लग रहा था की उसने हथियार मुट्ठी में पकड़ रखा है।

मेरी उस पंजाबी ननद ने , नाप जोख तो कब की पूरी कर ली थी अब तो बस वो हलके हलके मुठिया रही थी ,अपनी कोमल मुट्ठी में मस्त खूंटे का मजा ले रही थी।




छन्दा ,गुड्डी की दूसरी सहेली थी तो थोड़ी छुईमुई टाइप

लेकिन वो भी तो अपने कजिन्स के खूंटे घोंट चुकी थी ,




तो इनकी दूसरी जांघ पे वो और उनका दूसरा हाथ बाहर से ही सही खुल केछंदा रानी के जोबन का रस लूट रहा था।




यही तो जवानी की मजा है ,

गोद में दो दो टीनेजर , इंटर में पढ़ने वाली नए नए जुबना वाली बैठी हों ,और उनके जुबना का रस मेरे सैयां ,उन के भैय्या लूट रहे हों ,...

गुड्डी ने सामने टेबल पर पकौड़े , रमोला ऊप्स कोला रख दिया ,

इन्होने छन्दा के उभार पर से हाथ हटाना चाहा तो मेरी आँखों ने उन्हें जोर से घुड़क दिया ,और अपनी ननदों को उकसाया ,

"अरे सालियों ,तीन तीन बहने जिस भाई के पास बैठीं हो ,सामने ,और एक से एक जबरदंग जोबन वाली ,मस्त माल।

उस भाई को अपना हाथ इस्तेमाल करना पड़े। "

" एकदम नहीं भाभी आपने समझा क्या है हम बहनों को ,... " दिया बोली।

वो कुड़ी सच में हॉट थी।




बिना अपना उनकी जींस के अंदर घुसा हाथ निकाले उस शोख ने दूसरे हाथ से एक पकौड़ी उठायी ,और नहीं नहीं उनके मुंह में नहीं अपने मुंह में गड़प कर ली ,पूरी की पूरी और कुछ देर तक कुचल कर , हाथ से उनका सर कस के पकड़ा और दिया के होंठ मेरे सैंया के होंठों से चिपक गए , दिया की जीभ अंदर

और पकौड़ी ईमानदारी से आधी आधी बाँट ली गयी।

और अगली बार छन्दा ने देखा देखी यही।

मैं क्यों छोड़ती अपनी ननद को, जब छन्दा और उनके बीच टंग फाइट चल रही थी मैंने ,दिया के साथ और एक खूब मोटी बैंगनी ,

अपने होंठों से दिया के मुंह में।

" बैंगन तो तुझे बहुत पसंद होगा , " मैंने उसे चिढ़ाया।




"एकदम भाभी , लेकिन अब उसकी जरूरत नहीं पड़ती ज्यादा ,मेरा सगा भाई है न। उसकी हिम्मत जो अपनी बहन को इग्नोर करे "


खिलखिलाती उस शोख ने अपनी सारी कहानी एक लाइन में कह दी।



दिया ने तबतक कोका कोला का ग्लास उठाया और पहली घूँट में ही उसे अंदाज मिल गया , मेरी ओर मुस्करा के देखा ,आँखों ही आँखों में हाई फाइव किया और तीनो टीनेजर्स ने एक साथ , अपने भैया के साथ टोस्ट किया ,




"टू अवर सेक्सिएस्ट ,हैंड्समेस्ट भैय्या "

दूसरा टोस्ट मैंने प्रपोज

" टू माई सेक्सिएस्ट छिनाल ननदों के नाम पर "

और सब ने टोस्ट किया , उन्होंने भी।

आधे से ज्यादा ग्लास खाली था। एक बार और फिर मेरी ननदों के टुन्न होने में कोई कसर बाकी नहीं थी।

खासतौर से छन्दा , वो अभी भी थोड़ा थोड़ा ,...

मैंने दिया को छन्दा की ओर देखते हुए इशारा किया , और मुस्कराते हुए उसने हामी भर दी।

" अबकी बॉटम्स अप ,पूरा ग्लास खाली। जिसकी ग्लास में एक बूँद भी बचा न ये ,बस उसे ये छूना पकड़ना घोंटना तो दूर ,देखने को भी नहीं मिलेगा ये जादू का डंडा ,भैय्या का। "

दिया का हाथ तो अभी तक उनकी जींस में था , उनके मुस्टंडे को पकडे ,उसे जींस के अंदर से उचकाते हुए उसने चैलेन्ज किया , खास तौर से छन्दा को उकसाया।

गुड्डी तो खेल समझ ही रही थी ,वो छन्दा की ओर से आ गयी ,

" अरे दिया ,तू समझती है क्या अपनी छन्दा को देख तुझसे पहले ग्लास खाली करेगी वो " और गुड्डी ने ग्लास उठाया ,बॉटम्स अप।

सच में छन्दा ने ग्लास खाली कर दिया ,ये तो गुड्डी को भी नहीं मालूम था क्या होने वाला था ,सिर्फ मुझे अंदाज था।

सुपीरीयर रम , ,स्ट्रांगेस्ट। और दो पेग से ज्यादा ,






" हे दिया ,इत्ती देर से तू पकड़ के बैठी है मुझे भी , ... "छन्दा बोल रही थी।
" क्या पकड़ के बैठी है ये नाम तो बता ,ननद रानी। "



मैंने उसे छेड़ा।

" अरे भाभी ,नाम लेने में इसकी फट रही है तो क्या भईया का पकड़ेगी क्या घोटेगी। "


दिया ने उसे और उकसाया।

मैं समझ गयी थी दिया एकदम मेरे मन मुताबिक़ वाली ननद है मेरी।

" अरे छन्दा बोल दे न यार आपस में तो ,हमीं लोग तो है और फिर भाभी भी तो हमारी तरह से ही ,... "


गुड्डी ने हाँके में ज्वाइन करते

छन्दा को हमारी ओर खेदा।

" छन्दा बोल दे तो अभी दे देती हूँ , तुझे और मैंने तो जींस के अंदर से पकड़ा था तू ऊपर से पकड़ लेना।

और छन्दा ने बोल दिया ,खूब जोर से चियर्स हुआ।

मैंने खुद उनकी जींस की बेल्ट खोल दी , ज़िप भी ढीली कर दी , ... और गुड्डी और दिया ने पकड़ के छन्दा का हाथ इनकी जींस के अंदर ,




अब छन्दा इनकी गोद में इनके दोनों हाथ उसके कुर्ते के अंदर ,और ,...





वो बाहर तो नहीं निकाला ,लेकिन बटन ज़िप खुलने से छन्दा का हाथ आराम से उसे पकडे हुए था।

मैं दिया और गुड्डी अब बेड पर आ गए थे।

गुड्डी के मन में जो सवाल कुलबुला रहा था सुबह से ,जो बाजी लगी थी उसका रिज्लट जानने को ,

" बोल न किसका २० है ,... " दिया से वो पूछ रही थी।





सुबह इनके मुस्टंडे की जो फोटो मैंने गुड्डी को इनके फोन से भेज दे थी वो दिया के हाथ लग गयी थी बस दिया और गुड्डी के बीच बाजी लग गयी।



अगर दिया के भैय्या का बीस होगा तो गुड्डी दिया के भैय्या के साथ

और अगर गुड्डी के भैय्या का बीस होगा तो दिया गुड्डी के भैय्या के साथ

" स्साली ,कमीनी , तेरे भैय्या का एकदम बीस नहीं है। मैंने पकड़ के ,दबा के मसल के नाप के देख लिया। "

दिया गुड्डी एकदम तेल पानी लेके चढ़ गयी।

" मतलब " गुड्डी के चेहरे का रंग उतर गया।

क्या वो बाजी हार गयी ,उसको पूरा भरोसा था ,ऊपर से मैंने भी उसे ,

क्या उसे दिया के भाई से ,

दिया खिलखिलाने लगी ,

" अरे पढ़ने में भले तू मुझसे कित्ती ही तेज क्यों ,खूंटे के मामले में मैं ही ,... कत्तई२० नहीं है तेरे भईया का "

फिर कुछ रुक कर गुड्डी की आँखों में झांकती वो पंजाबी कुड़ी बोली ,

" २४ होगा बल्कि २६ , तेरे भैय्या का ,२० नहीं। कलाई इतना मोटा होगा कम से कम और लम्बा कितना। सबसे बढ़कर कड़क भी खूब है ,हार्ड भी एकदम स्टील.




और सब से बढ़के लम्बी रेस का घोडा है तेरे भैय्या का। "
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