मैं जल्दी से रुची के घर पहुच गया. सोचा था की लाला से पूछ लूँगा की अंकल और रुची चले गए या नहीं पर यहाँ तो दुकान ही बंद थी. मैंने सोचा ओम तो गया होगा रश्मि दीदी को चोदने पर ये लाला कहाँ गायब हो गया कहीं दुकान बंद करके आंटी को चोदने तो नहीं चला गया. मेरे साथ तो klpd हो जाएगी. इससे अच्छा चारू की चाय ही पी लेता. फिर भी मैंने सोचा की चांस लेता हूँ और मैंने घंटी बजा ही दी.
2 मिनट बाद ही आंटी ने दरवाजा खोला और मुझे देख कर हँसते हुए बोली "आइये आइये."
मैंने सोचा की अगर लाला अन्दर होता या इनको चोद रहा होता तो ये दरवाजा इतनी जल्दी नहीं खोलती. मैं अन्दर गया और आंटी ने दरवाजा बंद कर लिया.
मैंने पुछा "अंकल कहा है?"
आंटी फिर से हंसी और बोली "ये तो ऑफिस गए है. इनसे मिलना हो तो शाम को आना."
"और रुची?" मै समझ तो गया था फिर भी पूछ ही लिया.
"वो भी शाम को मिलेगी तब आइयेगा." आंटी ने कहा.
"मैं तो आपसे मिलने आया हूँ" मैंने आंटी को गले लगाते हुए कहा.
"क्यों?" आंटी ने छुड्वाते हुए कहा.
"याद आ रही थी आपकी." मैं बोला.
"गलत टाइम याद आई तुम्हे. मेरी छुट्टी शुरू हो गयी है आज." आंटी हँसते हुए बोली.
"मतलब." मैंने पुछा.
"मतलब पीरियड शुरू हो गए है. अब 5 दिनों को छुट्टी. समझे? अब 5 दिन बाद याद करना क्योंकि उस दिन मुझे भी बहुत याद आती है इसकी." ये कह कर आंटी में मेरा लंड पकड़
लिया. पर अब क्या फायदा klpd तो हो ही गयी.
मैंने कहा "ठीक है आंटी. पांचवे दिन का वादा."
आंटी ने पुछा "चाय पियोगे."
"जो पीने आया था वही पियूंगा 5 दिन बाद. चलिए चलता हूँ. ऊपर से ही चला जाता हूँ. दीदी शायद नहा रही होगी." कह कर मैं आंटी की छत पर आ गया. मैंने सोचा की जब आज कही दाल गल ही नहीं रही तो क्यों न दीदी और ओम की चुदाई ही देखी जाये. इसीलिए मैं छत पर आया और अपने घर में कूद गया.
नए पड़ोसी complete
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Re: नए पड़ोसी
मैं धीरे से बाथरूम को तरफ बढ़ा पर वहां कोई हलचल नहीं थी. मैं धीरे धीरे नीचे आने लगा तभी दीदी के कमरे से दीदी की जोर से चीखने की आवाज आई. "उफ्फ माआर दाल्ल्ल्लल्ला. निकालो ऊऊऊऊऊऊऊऊओ इस्स्सीईईई"
मतलब ओम दीदी के कमरे में दीदी की चुदाई कर रहा था. मैंने धीरे धीरे नीचे आया और छुप कर देखने की कोशिश करने लगा. पर अन्दर का नज़ारा देख कर मेरा दिमाग गनगना उठा क्योंकि अन्दर ओम और दीदी के साथ लाला भी था. दीदी बेड पर नंगी पड़ी थी और ओम ने दीदी का मुह पकड़ रखा था और लाला अपने हलब्बी लंड से दीदी की चूत की कुटाई कर रहा था. इसीलिए दीदी इतने जोर से चीखी होंगी वरना ओम से तो अब वो आराम से चुदवा लेती थी. मुझे समझ नहीं आया की मैं क्या करूं. ये साला ओम मुझे मयंक जैसा ही चुतिया बना रहा था. मेरी रश्मि दीदी की चूत को इसने मुफ्त का चन्दन बना दिया था जिसे मेरे अलावा हर कोई घिसे जा रहा था. तब तक ओम ने दीदी का मुह छोड़ दिया था तो दीदी फिर से लाला को गलिया देने लगी थी. "अबे कमीने चूत फाड़ दी मेरी तूने. बोला था न आराम से करना. उफ्फ्फ्फ़ जानवर है क्या ओह्ह्हह्ह्ह्ह."
वो कुछ और बोलती तब तक ओम ने दीदी के मुह में अपना लंड डाल दिया और लाला को बोला आराम से कर यार. जान लेगा क्या.
तो दीदी ने ही इसको बोला था चोदने को. ये सुन कर मैं ध्यान से दीदी की चुदाई देखने लगा. ओम दीदी का मुह चोद रहा था और लाला चूत. ओम ने दीदी से कहा "रश्मि डार्लिंग, बोलो डालूँ पीछे. बड़ा मजा आयेगा."
दीदी मुह से ओम का लंड निकाल कर बोली "न बाबा न. तुमने बोला था की इसके लंड से चुदवा कर बहुत मजा आयेगा. इसके लंड के साइज़ का सुन कर मैं लालच में गयी थी पर इसने
मेरी जान निकाल दी है. अब तो एक दो दिन चूत ही नहीं मरवा पाऊंगी और तुम एक साथ गांड और चूत मरवाने को बोल रहे हो. आज तो रहने ही दो."
ये कह कर दीदी फिर से ओम का लंड चूसने लगी और लाला हलके हलके धक्के मारने लगा. मेरा मन तो हो रहा था की मैं दीदी की और चुदाई देखूं पर मैं वापस छत से होकर आंटी के घर आ गया और उनसे कहा "चाय पिला ही दीजिये. छत का दरवाजा बंद है और दीदी नहा रही है." चाय पीकर करीब आधे घंटे बाद जब मैं आंटी के घर से निकला तब भी ओम की दुकान बंद थी मतलब ये लोग अभी तक दीदी को निचोड़ रहे थे पर अब मुझसे और बर्दाश्त नहीं हुआ और मैंने दरवाजा ठोका. 5 मिनट बाद ओम ने दरवाजा खोला और मुझे देख कर बोला "यार तुम जल्दी आ गए"
"तो क्या हुआ? तुम्हारा काम तो हो गया न." मैंने गुस्सा दबाते हुए कहा.
ओम मुझे लेकर बाहर आ गया और बोला "यार पर अभी तो लाला रश्मि को चोद रहा है."
"क्या? ये तो हमारी बात नहीं हुई थी." मैं अब अपना गुस्सा नहीं दबा पाया.
"भाई जो मैं कर रहा हूँ तुम्हारे लिए ही कर रहा हूँ. तुम्ही के रहे थे की जल्दी है, समझने की कोशिश करो" ओम ने आवाज दबा कर कहा.
"मेरे लिए क्या कर रहे हो. मेरी बहन को दुनिया से चुदवा रहे हो मेरे लिए? यार मैंने कहा था की मुझे चोदना है और तुमने चुदवा दिया लाला से. अरे जब दीदी की चूत भोसड़ा बन जाएगी तब क्या फायदा. मैं क्या उस स्विमिंग पूल में गोते लगाऊँगा." मैंने ओम को चिल्लाते हुए कहा.
"यार तुम्हारा कम मैंने कर दिया और सब लाला की वजह से ही हुआ. समझे. अब तुम्हारी बहन उतनी शर्मीली नहीं रही देख रहे हो न. कैसे आराम से लाला से चुदवा लिया. आज मैंने उसे बोला है की अगले महीने राखी के दिन मेरा बर्थडे है और मैं एक फार्म हाउस में पार्टी रख रहा हूँ और वो आने के लिए फ़ौरन तैयार हो गयी. समझे क्योंकि मैंने उससे कहा की लाला और मयंक भी वहां होंगे." ओम ने मुझे समझाया.
"तो क्या? तुम तीनो फिर से दीदी को चोदोगे तो इसमें नयी बात क्या है." मैंने पुछा.
"देखो रश्मि ने मुझे बताया की तुम्हारे मम्मी पापा हर साल राखी में तुम्हारे मामा के घर जाते है और अगली रात तक लौट कर आते है तो वो शाम को रुची के साथ पार्टी में आ जाएगी. मैंने उसको नहीं बताया की तुम भी पार्टी में होगे. मैं रात में रश्मि को रोक लूँगा और तुम्हारा काम करवा दूंगा. पक्का प्रोमिस." ओम बोला.
ये बात की मम्मी पापा हर साल राखी में 2 दिन के लिए मामा के घर जाते है सही थी. मतलब रश्मि दीदी ने ही इसको बताया होगा. मुझे ओम पर थोडा भरोसा हुआ. तब तक लाला भी कपडे पहन कर बाहर आ गया. मुझे देख कर बोला "भाई कमाल का कड़क माल है तुम्हारी बहन. मजा आ गया."
ओम बोला "अच्छा अच्छा तुम जाकर दुकान खोलो. मैं अभी आता हूँ. सुनो मनीष भाई उस दिन बहुत मजा आयेगा. हम 4 लड़के और 2 लडकिया. पूरी रात मजे करेंगे. अब तुम टेंशन मत लो. बस अपनी दीदी की चुदाई की तैय्यारी कर लो. लंड को तेल पिलाओ ताकि दीदी को पूरा सुख दे पाए. अब हम जाते है. कल आएंगे रश्मि को चोदने."
"कौन तुम या लाला?" मैंने पुछा.
"कभी हम और कभी लाला. ये तुम्हारे काम के लिए बहुत जरूरी है." ओम जाते जाते बोला.
मतलब ओम दीदी के कमरे में दीदी की चुदाई कर रहा था. मैंने धीरे धीरे नीचे आया और छुप कर देखने की कोशिश करने लगा. पर अन्दर का नज़ारा देख कर मेरा दिमाग गनगना उठा क्योंकि अन्दर ओम और दीदी के साथ लाला भी था. दीदी बेड पर नंगी पड़ी थी और ओम ने दीदी का मुह पकड़ रखा था और लाला अपने हलब्बी लंड से दीदी की चूत की कुटाई कर रहा था. इसीलिए दीदी इतने जोर से चीखी होंगी वरना ओम से तो अब वो आराम से चुदवा लेती थी. मुझे समझ नहीं आया की मैं क्या करूं. ये साला ओम मुझे मयंक जैसा ही चुतिया बना रहा था. मेरी रश्मि दीदी की चूत को इसने मुफ्त का चन्दन बना दिया था जिसे मेरे अलावा हर कोई घिसे जा रहा था. तब तक ओम ने दीदी का मुह छोड़ दिया था तो दीदी फिर से लाला को गलिया देने लगी थी. "अबे कमीने चूत फाड़ दी मेरी तूने. बोला था न आराम से करना. उफ्फ्फ्फ़ जानवर है क्या ओह्ह्हह्ह्ह्ह."
वो कुछ और बोलती तब तक ओम ने दीदी के मुह में अपना लंड डाल दिया और लाला को बोला आराम से कर यार. जान लेगा क्या.
तो दीदी ने ही इसको बोला था चोदने को. ये सुन कर मैं ध्यान से दीदी की चुदाई देखने लगा. ओम दीदी का मुह चोद रहा था और लाला चूत. ओम ने दीदी से कहा "रश्मि डार्लिंग, बोलो डालूँ पीछे. बड़ा मजा आयेगा."
दीदी मुह से ओम का लंड निकाल कर बोली "न बाबा न. तुमने बोला था की इसके लंड से चुदवा कर बहुत मजा आयेगा. इसके लंड के साइज़ का सुन कर मैं लालच में गयी थी पर इसने
मेरी जान निकाल दी है. अब तो एक दो दिन चूत ही नहीं मरवा पाऊंगी और तुम एक साथ गांड और चूत मरवाने को बोल रहे हो. आज तो रहने ही दो."
ये कह कर दीदी फिर से ओम का लंड चूसने लगी और लाला हलके हलके धक्के मारने लगा. मेरा मन तो हो रहा था की मैं दीदी की और चुदाई देखूं पर मैं वापस छत से होकर आंटी के घर आ गया और उनसे कहा "चाय पिला ही दीजिये. छत का दरवाजा बंद है और दीदी नहा रही है." चाय पीकर करीब आधे घंटे बाद जब मैं आंटी के घर से निकला तब भी ओम की दुकान बंद थी मतलब ये लोग अभी तक दीदी को निचोड़ रहे थे पर अब मुझसे और बर्दाश्त नहीं हुआ और मैंने दरवाजा ठोका. 5 मिनट बाद ओम ने दरवाजा खोला और मुझे देख कर बोला "यार तुम जल्दी आ गए"
"तो क्या हुआ? तुम्हारा काम तो हो गया न." मैंने गुस्सा दबाते हुए कहा.
ओम मुझे लेकर बाहर आ गया और बोला "यार पर अभी तो लाला रश्मि को चोद रहा है."
"क्या? ये तो हमारी बात नहीं हुई थी." मैं अब अपना गुस्सा नहीं दबा पाया.
"भाई जो मैं कर रहा हूँ तुम्हारे लिए ही कर रहा हूँ. तुम्ही के रहे थे की जल्दी है, समझने की कोशिश करो" ओम ने आवाज दबा कर कहा.
"मेरे लिए क्या कर रहे हो. मेरी बहन को दुनिया से चुदवा रहे हो मेरे लिए? यार मैंने कहा था की मुझे चोदना है और तुमने चुदवा दिया लाला से. अरे जब दीदी की चूत भोसड़ा बन जाएगी तब क्या फायदा. मैं क्या उस स्विमिंग पूल में गोते लगाऊँगा." मैंने ओम को चिल्लाते हुए कहा.
"यार तुम्हारा कम मैंने कर दिया और सब लाला की वजह से ही हुआ. समझे. अब तुम्हारी बहन उतनी शर्मीली नहीं रही देख रहे हो न. कैसे आराम से लाला से चुदवा लिया. आज मैंने उसे बोला है की अगले महीने राखी के दिन मेरा बर्थडे है और मैं एक फार्म हाउस में पार्टी रख रहा हूँ और वो आने के लिए फ़ौरन तैयार हो गयी. समझे क्योंकि मैंने उससे कहा की लाला और मयंक भी वहां होंगे." ओम ने मुझे समझाया.
"तो क्या? तुम तीनो फिर से दीदी को चोदोगे तो इसमें नयी बात क्या है." मैंने पुछा.
"देखो रश्मि ने मुझे बताया की तुम्हारे मम्मी पापा हर साल राखी में तुम्हारे मामा के घर जाते है और अगली रात तक लौट कर आते है तो वो शाम को रुची के साथ पार्टी में आ जाएगी. मैंने उसको नहीं बताया की तुम भी पार्टी में होगे. मैं रात में रश्मि को रोक लूँगा और तुम्हारा काम करवा दूंगा. पक्का प्रोमिस." ओम बोला.
ये बात की मम्मी पापा हर साल राखी में 2 दिन के लिए मामा के घर जाते है सही थी. मतलब रश्मि दीदी ने ही इसको बताया होगा. मुझे ओम पर थोडा भरोसा हुआ. तब तक लाला भी कपडे पहन कर बाहर आ गया. मुझे देख कर बोला "भाई कमाल का कड़क माल है तुम्हारी बहन. मजा आ गया."
ओम बोला "अच्छा अच्छा तुम जाकर दुकान खोलो. मैं अभी आता हूँ. सुनो मनीष भाई उस दिन बहुत मजा आयेगा. हम 4 लड़के और 2 लडकिया. पूरी रात मजे करेंगे. अब तुम टेंशन मत लो. बस अपनी दीदी की चुदाई की तैय्यारी कर लो. लंड को तेल पिलाओ ताकि दीदी को पूरा सुख दे पाए. अब हम जाते है. कल आएंगे रश्मि को चोदने."
"कौन तुम या लाला?" मैंने पुछा.
"कभी हम और कभी लाला. ये तुम्हारे काम के लिए बहुत जरूरी है." ओम जाते जाते बोला.
- Kamini
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Re: नए पड़ोसी
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- kunal
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Re: नए पड़ोसी
nice update
फूफी और उसकी बेटी से शादी.......Thriller वासना का भंवर .......Thriller हिसक.......मुझे लगी लगन लंड की.......बीबी की चाहत.......ऋतू दीदी.......साहस रोमांच और उत्तेजना के वो दिन!