ठाकुर सूर्य प्रताप ने बाबूजी से मिलकर सबसे पहले हाथ जोड़कर अपने बेटे के व्यवहार के लिए माफी माँगी, .. एक दूसरे से बड़े अपनेपन से मिले..
घर - परिवार की चर्चा की.. और भविश्य में आपस में संबंध अच्छे रहें इस बात का आश्वासन दिया, और कुछ देर बैठकर चाइ नाश्ता लेकर वो चले गये…
उनके जाने के बाद बाबूजी ने मुझे अपने पास बुलाया, और उनके साथ जो भी बात-चीत हुई, वो सब उन्होने बताते हुए कहा..
बेटा ! ठाकुर साब ने कहा है, कि अब इस बात को यहीं ख़तम करो, तो मे चाहता हूँ, तुम अपनी तरफ से उनके बच्चों के प्रति कोई बैर मत रखना..
मेने हां में अपनी सहमति जताई, और अपने कमरे में आकर कुछ देर के लिए सो गया…
3 बजते ही मे और कामिनी भाभी गाड़ी लेकर चल दिए ग्राउंड की ओर.. मेरे मन में उथल-पुथल मची हुई थी…,
भाभी की कल की हरकतों ने मुझे मेरे लंड तक हिला दिया था, ना जाने आज क्या होने वाला था…?
कल का वाक़या याद करते ही मेरा लौडा खड़ा होने लगा.. और उसने पाजामे के अंदर तंबू बनाना शुरू कर दिया…!
जान बूझकर मेने आज काफ़ी पुराना पड़ा हुआ अंडरवेर पहना था, जिससे उसका कपड़ा काफ़ी लूस हो गया था, उसमें मेरे मूसल महाराज आज कुछ कंफर्टबल फील कर रहे थे,
उसकी लंबाई आज ऊपर से पाजामे के बबजूद भी कुछ ज़्यादा ही लग रही थी.
भाभी गाड़ी चलाते हुए बीच-2 में मेरी तरफ मुँह कर के बातें भी करती जा रही थी… लाख छुपाने के बबजूद भी उनकी नज़र मेरे तंबू पर पड़ गयी..,
जिसे देखकर उनके चेहरे पर एक शरारत भरी मुस्कान तैर गयी…
मैदान में पहुँचकर कल की तरह अपने उन्होने अपने कपड़े चेंज किए… और मुझे ट्राइयल देने को कहा…
कई बार की कोशिशों के बाद भी में गाड़ी को ठीक से उठा नही पाया.. हर बार झटके मार कर बंद हो जाती…!
भाभी ने कहा – देवर्जी क्या बात है, अभी भी आपका क्लच के ऊपर पैर का कंट्रोल सही नही आ रहा.. !
खैर कोई बात नही धीरे-2 आ जाएगा… चलो कल की तरह ही चलाते हैं…!
आज भाभी के कपड़े कल से भी ज़्यादा टाइट थे… उनके दशहरी आम आज टाइट टॉप की वजह से थोड़े दबे हुए से लगे, जिसकी वजह से उनकी बगलें ज़्यादा मासल दिख रही थी…, और ऊपर से कुछ ज़्यादा ही दर्शन हो रहे थे…
नीचे तो कहने ही क्या, एक बहुत ही सॉफ्ट कपड़े की लोवर में उनकी पेंटी का आकर भी साफ-साफ पता चल रहा था…!
मुझे लगा जैसे उनकी पेंटी गान्ड की तरफ तो ना के बराबर ही रही होगी… दोनो कलश एकदम गोल मटोल… एकदुसरे से जुड़े-जुड़े.. मानो दो बॉल फेविकोल से चिपका दिए हों..
जब वो अपनी एक टाँग अंदर डाल कर मेरी गोद में बैठने को हुई, तो उनकी गान्ड का दूसरा भाग, किसी फुटबॉल की तरह और ज़्यादा पीछे की तरफ उभर गया..
सीन देखते ही मेरे लौडे ने एक जोरदार झटका खाया, और वो एकदम से अंडरवेर में तन गया…
बीच की दरार एकदम से क्लियर ही दिखाई दे रही थी…, कपड़े का जैसे कोई उसे ही नही दिख रहा था…
आज भाभी शायद ये ठान के आई थी, की मेरा पानी निकलवा कर ही रहेंगी…
भाभी आज कुछ आगे को झुक कर बैठ गयी मेरी गोद में… जिससे उनकी गान्ड की दरार का ऊपरी भाग मेरे पप्पू के ठीक सामने आ गया…
मेरा लॉडा तो वैसे भी बिगड़ैल भेंसे की तरह अंडरवेर के अंदर फडफडा रहा था, ऊपर से अंडरवेर का कपड़ा भी आज उसे कंट्रोल में रख पाने में असमर्थ लग रहा था,
उनके पिच्छवाड़े के एलिवेशन को देखकर तो सारी हदें तोड़ने पर आमादा होने की कोशिश करने लगा…
बेचारा अंडरवेर जैसे-तैसे कर के उसे संभाले हुए था…
बैठने के समय उन्होने हल्का सा गॅप बनाके रखा था, … मेने गाड़ी स्टार्ट की और उनके पैर के गाइडेन्स से क्लच छोड़ने से आगे बढ़ गयी…
गाड़ी के आगे बढ़ते ही आज उन्होने अपना पैर मेरे पैर से हटा लिया… कुछ देर बाद उन्होने मुझे गियर चेंज करने को कहा… मेने क्लच दबा कर दूसरा गियर डाला..
क्लच छोड़ने में फिरसे थोड़ा झटका सा लगा.. जिससे भाभी की तशरीफ़ पीछे को खिसक गयी, और हमारे बीच का गॅप ख़तम हो गया… अब लंड महाशय को उनकी फ़ेवरेट जगह मिल चुकी थी…!
आज मेरा स्टेआरिंग पर कंट्रोल कल के मुक़ाबले अच्छा था… हम 20-25 की स्पीड तक गाड़ी को कुछ देर चलाते रहे… भाभी की दरार में मेरे पप्पू की उच्छल कूद जारी थी…
कुछ देर बाद भाभी के कहने पर मेने 3र्ड गियर भी डाल दिया… अब गाड़ी तेज चलने लगी…लेकिन मुझे कुछ डर सा लगने लगा… तो मेने कहा –
ओह.. भाभी ! ये तो बिना एग्ज़िलेटर के ही इतनी तेज भाग रही है…
वो हँसते हुए बोली – भागने दो ना .. ! 3र्ड गियर में है.. भगेगी ही.. आप बस स्टेआरिंग को संभाले रखो.. अगर ज़रूरत हो तो बस ब्रेक मार देना.. हल्के से…
बातों-2 में भाभी ने अपने कुल्हों को थोड़ा सा और पीछे को दबा दिया… मेरा लॉडा कड़क होने लगा…, उसकी हार्डनेस फील करते ही भाभी बोली—
ओउच… देवेर जी मेरे पीछे कुछ चुभ सा रहा है… ?
मेने कहा – आप थोड़ा सा आगे खिसक जाओ…, तो वो स्माइल करते हुए बोली – नही चलेगा.. आगे होने से मेरे पैरों को मूव्मेंट नही मिलेगी…आपको तो कोई प्राब्लम नही है ना..?
मेने कहा… मुझे तो कोई प्राब्लम नही है, वो आपको कुछ चुबा था इसलिए मे बोला.., इतना सुनते ही उन्होने अपनी पीठ भी मेरे सीने से सटा दी…
उनकी बगलों की मांसलता मेरी बाजुओं को छु रही थी.., मेरी साँसें उनके गाल को सहलाने लगी… भाभी के ऊपर मदहोशी सी छाने लगी.. और उन्होने अपनी गान्ड को मेरे लंड के ऊपर और ज़्यादा दबाया…
भाभी ने अपनी बाजुओं को मेरी बाजुओं के ऊपर से बाहर की साइड से लाकर स्टेआरिंग पर रख लिया…
अब उनके उभारों की गुंडाज़ बग्लें मेरी बाजुओं पर फील हो रही थी…!
लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस) complete
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- Dolly sharma
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Re: लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस)
nice update
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Re: लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस)
jhakajhak........................
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Re: लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस)
superb kahani
फूफी और उसकी बेटी से शादी.......Thriller वासना का भंवर .......Thriller हिसक.......मुझे लगी लगन लंड की.......बीबी की चाहत.......ऋतू दीदी.......साहस रोमांच और उत्तेजना के वो दिन!
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Re: लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस)
thanks all