इधर मेरा लॉडा उनकी गान्ड की दरार में फिट हो चुका था, जो बीच-बीच में ठुमके लगा देता…
इस चक्कर में एक बार मेरा कंट्रोल स्टेआरिंग से हट गया.. गाड़ी 30-35 की स्पीड में लहरा उठी… मेने फिरसे अपने ऊपर कंट्रोल किया और गाड़ी को संभाला…!
बीच बीच में भाभी अपने एक हाथ को अपनी जांघों के बीच लाकर अपनी मुनिया को सहला देती, और इधर-उधर होकर मेरे लौडे को अपनी गान्ड की दरार से रगड़ देती..
उनके इधर-उधर होने के मोमेंट से उनकी चुचियों की साइड मेरे बाजुओं से दब जाती, जिसके मखमली अहसास से मेरा हाल बहाल हो रहा था…
ढेढ़ घंटे की प्रेक्टिस में हम दोनो के शरीर दहकने लगे…
इससे पहले कि बात कंट्रोल से बाहर हो… मेने गाड़ी रोक दी… क्योंकि मेरा लंड फूल कर फटने की कगार तक पहुँच गया था…
मुझे लगने लगा कि मेरा पानी छूटने ही वाला है.. अगर ऐसा हो गया तो भाभी ना जाने क्या सोचेंगी मेरे बारे में…
मेने गाड़ी रोक दी… झटके की वजह से उनकी आँखें खुल गयी… और मेरे से पूछा – क्या हुआ…? गाड़ी क्यों रोक दी..?
मेने कहा – आज के लिए इतना ही काफ़ी है..
उन्होने मुस्करा कर कहा - ठीक है.. कल चौथे गियर की प्रॅक्टीस करेंगे… और वो मेरे आगे से उठ गयी…
मे फ़ौरन सीट से उठा.. और अपनी लिट्ल फिंगर दिखा कर झाड़ियों की तरफ भागा… मे जल्द से जल्द अपने लौडे को रिलीस करना चाहता था..
मेरी तेज़ी देख कर भाभी समझ गयी.. और मंद मंद मुस्कुराती रही…!
झाड़ियों के पीछे जाकर आज मुझे अपने लंड को मुठियाना ही पड़ा…, कुछ ही पलों में उसने इतनी तेज धार मारी कि वो कम से कम 5-7 फीट दूर तक चली गयी…!
जब लंड का टेन्षन रिलीस हुआ तब जाकर मुझे शांति मिली…!
यही सब एक हफ्ते तक चलता रहा… मेरा गाड़ी पर अच्छा कंट्रोल आने लगा था.. आज जब हम लौटने लगे तो भाभी ने कहा…
कल आपका लास्ट ट्रैनिंग सेशन होगा… कल आपको बॅक गियर की प्रॅक्टीस करनी है.. उसके बाद आपकी ट्रैनिंग पूरी……
अब मे घर से मैदान तक गाड़ी खुद ही चलाकर ले जाने लगा था…..!
आज गाड़ी सीखने का लास्ट दिन था, इस लास्ट सेशन में गाड़ी को रिवर्स गियर डालकर चलाने का तरीक़ा सीखना था…
मे घर से ग्राउंड तक गाड़ी को अच्छी स्पीड से चलाकर ले गया..
भाभी ने मेरी ड्राइविंग को अप्रीश्षेट करते हुए कहा…वाह देवेर्जी, आप तो एकदम मज़े हुए ड्राइवर की तरह चलाने लगे… वेल डन..
अब वो मेरे आगे नही बैठती थी लेकिन अलग अलग तरीकों से मुझे सिड्यूस करना उन्होने बंद नही किया था,
कभी समझाने के बहाने मेरी जांघों को सहला देना, तो कभी जान बूझकर मेरे लंड पर हाथ रख देना, बाद में सॉरी बोलकर जताना कि ये अंजाने में उनसे हुआ हो जैसे…
ना जाने उनके मन में क्या चल रहा था… लेकिन मेने अपने मन में ठान लिया था… कि किसी भी परिस्थिति में पहल मेरी तरफ से नही होगी… चाहे जैसे भी हो, मुझे अपने आप पर कंट्रोल बनाए रखना ही होगा..
उधर भाभी भी दीनो दिन मेरे धैर्य की परीक्षा ले रही थी…, नित नये तरीक़े अपनाकर मुझे उनके साथ पहल करने पर मजबूर करने की कोशिश में लगी थी.
आज उन्होने फिर से कपड़े चेंज किए… जो पिच्छले दो दिन से बंद कर दिए थे..
मेने पूछा.. अब क्यों चेंज कर रही हो भाभी… तो वो बोली – आज आपको नया सबक सीखना हैं, आंड आइ आम शुवर, वो आप मेरे बिना नही कर पाओगे…
लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस) complete
- Ankit
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Re: लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस)
भाभी चेंज कर के जैसे ही गाड़ी से बाहर आईं… मेरा भाड़ सा मुँह खुला का खुला रह गया… मेने उनसे ऐसे कपड़ों की उम्मीद कतयि नही की थी…
वो एक स्लीव्ले वेस्ट टाइप के उपर में जो बहुत ही लो कट जिसमें से उनकी आधी चुचियाँ दिखाई दे रही थी…और वो उनकी 34 साइज़ की चुचियों से कुछ ही नीचे तक कवर कर रहा था..
नीचे एक बहुत ही सॉफ्ट कपड़े का मिनी स्कर्ट, जो झुकने पर पेंटी की झलक भी दिखा सके… जो शायद मात्र 8-10 इंच लंबा ही होता.. वो कमर की हड्डियों पर ही टिका हुआ था.. और पीछे से उनकी ऊपरी दरार भी दिख रही थी…
कमर पर उनकी पेंटी की एक डोरी जैसी ही दिखी मुझे, जो उनकी गान्ड की दरार में फँसी दिखाई दे रही थी…
नीचे वो सिर्फ़ गान्ड की गोलाईयों के ख़तम होने से पहले ही उसकी हद ख़तम हो रही थी…, यानी उनका वो शॉर्ट कुल्हों की ढलान तक ही सिमट कर रह गया था…
उनको इन कपड़ों में देखते ही मेरे पप्पू ने एक जोरदार अंगड़ाई ली…, मानो आज वो खुशी में झूमना चाहता हो…
भाभी ने शायद आज ठान लिया था, कि वो मेरे धैर्य की माँ-बेहन एक कर के ही मानेंगी… क्योंकि वो जैसे ही मेरे सामने बैठी…
कुछ देर तो मेरे मुँह के आगे वो अपनी गान्ड लिए खड़ी रही रही, जो उनकी नाम मात्र की स्कर्ट से साफ-2 दिखाई दे रही थी…
बहुत कोशिश कर के में अपने हाथ को कंट्रोल किए हुए था, वरना वो बार बार उसे सहलाने के लिए उठने की कोशिश करता.
फिर एक लंबा सा घिस्सा अपनी गान्ड से मेरे लंड पर मारते हुए वो मेरे आगे बैठ गयी…
ठुमके मारता मेरा पप्पू अपने लिए आरामगाह देखते ही भड़क उठा… और बुरी तरह से अकड़ कर उनकी गान्ड की दरार मे घुसने लगा…
ये बात तय थी, कि अगर बीच में कपड़े नही होते.. तो वो आज किसी के बाप की भी सुनने वाला नही था…, आज वो शर्तिया भाभी की गान्ड फाड़के ही रहता.
मेने जैसे-तैसे कर के अपने आप पर कंट्रोल रखा.. यहाँ तक कि मेरे लौडे का मुँह चिपचिपाने लगा था…
वो बोली – देवर्जी पहले आप सिर्फ़ देखो उसके बाद में आपको स्टेआरिंग दूँगी, इतना कहकर उन्होने मेरे दोनो हाथ अपनी नंगी जांघों पर रखवा दिए…
आअहह…. क्या मखमली अहसास था उनकी चिकनी मुलायम मक्खन जैसी जांघों का… हाथ रखते ही, मेरे पूरे शरीर में झुरजुरी सी दौड़ गयी..
मेरा लंड खूँटा तोड़कर कर उनके बिल में घुसने की फिराक में था…
भाभी ने बॅक गियर में गाड़ी डाल कर, स्टेआरिंग कैसे कंट्रोल करना होता है, ये सब वो बताने लगी… लेकिन उनका ध्यान पूरी तरह से गाड़ी सिखाने पर नही था…
मेरे लंड और हाथों के अहसास ने उनकी भी साँसें फूलने पर मजबूर कर दिया था…
जिसकी वजह से गाड़ी कहीं की कहीं जाने लगी… वो तो अच्छा था, कि कुछ कंट्रोल मुझे भी आ गये थे, सो मेने अपने हाथ स्टेआरिंग रख लिए और गाड़ी को कंट्रोल करने में हेल्प की.
भाभी की हरकतें बढ़ती ही जा रही थी, एक बार तो उन्होने अपनी गान्ड को खुजाने के बहाने ऊपर को उचकाया, और सीधे अपने गान्ड के छेद को मेरे लंड के ऊपर ही टिका दिया…
इतना ही नही, उन्होने दो-तीन झटके भी आगे पीछे कर के अपनी गान्ड को दिए…
मेरा पेशियेन्स जबाब देता जा रहा था, ..मुझे लगा मेरा पानी निकल जाएगा, सो मेने उन्हें गाड़ी रोकने को कहा –
भाभी प्लीज़ जल्दी से गाड़ी रोकिए.. मुझे टाय्लेट जाना है…
भाभी की वासना इस समय एकदम चरम पर थी…, मेरे कहने पर उन्होने गाड़ी तो रोक दी, लेकिन नीचे उतरने की वजाय, वो पलट कर मेरी गोद में आ बैठी,
और मेरे सर के बालों को जकड़कर उन्होने मेरे होंठों को अपने मुँह में भर लिया..
मेरी हवा वैसे ही टाइट थी… कुछ देर तो मेने अपने हाथ अलग रखे.. लेकिन जब कोई चारा नही बचा तो मेने उनकी फुटबॉल जैसी गान्ड की गोलाईयों को कस्के मसल दिया…
एक मादक सीईईईईई….सस्स्सकी भरते हुए उन्होने अपनी गान्ड को मेरे लंड पर ज़ोर से रगड़ दिया…
किस करते करते दोनो की साँसें डूबने लगी… भाभी लगातार अपनी गान्ड के साथ साथ अपनी चूत को भी मेरे लंड पर रगड़ा दे रही थी…!
मेरे हाथ अनायास ही उनके आमों पर कस गये..., और उन्हें ज़ोर ज़ोर से मसलने लगा…
वो एक स्लीव्ले वेस्ट टाइप के उपर में जो बहुत ही लो कट जिसमें से उनकी आधी चुचियाँ दिखाई दे रही थी…और वो उनकी 34 साइज़ की चुचियों से कुछ ही नीचे तक कवर कर रहा था..
नीचे एक बहुत ही सॉफ्ट कपड़े का मिनी स्कर्ट, जो झुकने पर पेंटी की झलक भी दिखा सके… जो शायद मात्र 8-10 इंच लंबा ही होता.. वो कमर की हड्डियों पर ही टिका हुआ था.. और पीछे से उनकी ऊपरी दरार भी दिख रही थी…
कमर पर उनकी पेंटी की एक डोरी जैसी ही दिखी मुझे, जो उनकी गान्ड की दरार में फँसी दिखाई दे रही थी…
नीचे वो सिर्फ़ गान्ड की गोलाईयों के ख़तम होने से पहले ही उसकी हद ख़तम हो रही थी…, यानी उनका वो शॉर्ट कुल्हों की ढलान तक ही सिमट कर रह गया था…
उनको इन कपड़ों में देखते ही मेरे पप्पू ने एक जोरदार अंगड़ाई ली…, मानो आज वो खुशी में झूमना चाहता हो…
भाभी ने शायद आज ठान लिया था, कि वो मेरे धैर्य की माँ-बेहन एक कर के ही मानेंगी… क्योंकि वो जैसे ही मेरे सामने बैठी…
कुछ देर तो मेरे मुँह के आगे वो अपनी गान्ड लिए खड़ी रही रही, जो उनकी नाम मात्र की स्कर्ट से साफ-2 दिखाई दे रही थी…
बहुत कोशिश कर के में अपने हाथ को कंट्रोल किए हुए था, वरना वो बार बार उसे सहलाने के लिए उठने की कोशिश करता.
फिर एक लंबा सा घिस्सा अपनी गान्ड से मेरे लंड पर मारते हुए वो मेरे आगे बैठ गयी…
ठुमके मारता मेरा पप्पू अपने लिए आरामगाह देखते ही भड़क उठा… और बुरी तरह से अकड़ कर उनकी गान्ड की दरार मे घुसने लगा…
ये बात तय थी, कि अगर बीच में कपड़े नही होते.. तो वो आज किसी के बाप की भी सुनने वाला नही था…, आज वो शर्तिया भाभी की गान्ड फाड़के ही रहता.
मेने जैसे-तैसे कर के अपने आप पर कंट्रोल रखा.. यहाँ तक कि मेरे लौडे का मुँह चिपचिपाने लगा था…
वो बोली – देवर्जी पहले आप सिर्फ़ देखो उसके बाद में आपको स्टेआरिंग दूँगी, इतना कहकर उन्होने मेरे दोनो हाथ अपनी नंगी जांघों पर रखवा दिए…
आअहह…. क्या मखमली अहसास था उनकी चिकनी मुलायम मक्खन जैसी जांघों का… हाथ रखते ही, मेरे पूरे शरीर में झुरजुरी सी दौड़ गयी..
मेरा लंड खूँटा तोड़कर कर उनके बिल में घुसने की फिराक में था…
भाभी ने बॅक गियर में गाड़ी डाल कर, स्टेआरिंग कैसे कंट्रोल करना होता है, ये सब वो बताने लगी… लेकिन उनका ध्यान पूरी तरह से गाड़ी सिखाने पर नही था…
मेरे लंड और हाथों के अहसास ने उनकी भी साँसें फूलने पर मजबूर कर दिया था…
जिसकी वजह से गाड़ी कहीं की कहीं जाने लगी… वो तो अच्छा था, कि कुछ कंट्रोल मुझे भी आ गये थे, सो मेने अपने हाथ स्टेआरिंग रख लिए और गाड़ी को कंट्रोल करने में हेल्प की.
भाभी की हरकतें बढ़ती ही जा रही थी, एक बार तो उन्होने अपनी गान्ड को खुजाने के बहाने ऊपर को उचकाया, और सीधे अपने गान्ड के छेद को मेरे लंड के ऊपर ही टिका दिया…
इतना ही नही, उन्होने दो-तीन झटके भी आगे पीछे कर के अपनी गान्ड को दिए…
मेरा पेशियेन्स जबाब देता जा रहा था, ..मुझे लगा मेरा पानी निकल जाएगा, सो मेने उन्हें गाड़ी रोकने को कहा –
भाभी प्लीज़ जल्दी से गाड़ी रोकिए.. मुझे टाय्लेट जाना है…
भाभी की वासना इस समय एकदम चरम पर थी…, मेरे कहने पर उन्होने गाड़ी तो रोक दी, लेकिन नीचे उतरने की वजाय, वो पलट कर मेरी गोद में आ बैठी,
और मेरे सर के बालों को जकड़कर उन्होने मेरे होंठों को अपने मुँह में भर लिया..
मेरी हवा वैसे ही टाइट थी… कुछ देर तो मेने अपने हाथ अलग रखे.. लेकिन जब कोई चारा नही बचा तो मेने उनकी फुटबॉल जैसी गान्ड की गोलाईयों को कस्के मसल दिया…
एक मादक सीईईईईई….सस्स्सकी भरते हुए उन्होने अपनी गान्ड को मेरे लंड पर ज़ोर से रगड़ दिया…
किस करते करते दोनो की साँसें डूबने लगी… भाभी लगातार अपनी गान्ड के साथ साथ अपनी चूत को भी मेरे लंड पर रगड़ा दे रही थी…!
मेरे हाथ अनायास ही उनके आमों पर कस गये..., और उन्हें ज़ोर ज़ोर से मसलने लगा…
- rajaarkey
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Re: लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस)
bahut hi mast update hai
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &;
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- Raj sharma
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- kunal
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Re: लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस)
Thanks for update
फूफी और उसकी बेटी से शादी.......Thriller वासना का भंवर .......Thriller हिसक.......मुझे लगी लगन लंड की.......बीबी की चाहत.......ऋतू दीदी.......साहस रोमांच और उत्तेजना के वो दिन!
- rangila
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Re: लाड़ला देवर ( देवर भाभी का रोमांस)
मस्त कहानी है मित्र अगले अपडेट का इंतजार रहेगा
मकसद running.....जिंदगी के रंग अपनों के संग running..... मैं अपने परिवार का दीवाना running.....
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