बूढ़ा बे-होश नही हुआ था वो किसी ज़ख़्मी साँप की तरह बल खा रहा था
इमरान ने झुक कर उसकी नक़ली दाढ़ी नोच डाली
‘हाए’.! फायज़ तक़रीबन चीख पड़ा
‘सर जहाँगीर’
सर जहाँगीर ने फिर उठ कर भागने की कोशिश की, लेकिन इमरान की ठोकर ने उसे उठने नही दिया
हां, सर जहाँगीर.! इमरान बड़बड़ाया .! ‘एक गैर-मुल्की जासूस…क़ौम-फ़रोश, गद्दार…’
दूसरे दिन कॅप्टन फायज़ इमरान के कमरे में बैठा उसे ताज्जूब की नज़रो से देख रहा था
इमरान बड़ी संजीदगी से कहे रहा था- मुझे खुशी है कि एक बड़ा गद्दार और वतन-फ़रोश मेरे हाथो अपने अंजाम को पहुँचा भला कौन सोच सकता था कि सर जहाँगीर जैसा इज़्ज़तदार और नेक-नाम आदमी भी किसी गैर-मुल्क का जासूस हो सकता है
मगर वो क़ब्र का मुजावीर कौन था.! फायज़ ने बे-सबरी से पूछा
मैं बताता हूँ.! लेकिन बीच में टोकना मत
वो बेचारा अकेले ही यह सब कुछ कर लेना चाहता था, लेकिन मैने उसका खेल बिगाड़ दिया पिछली रात वो मुझे मिला था उसने पूरी दास्तान दोहराई अब शायद हमेशा के लिए छिप गया है उसकी बड़ी ज़बरदस्त हार हुई है अब वो किसी को मुँह नही दिखाना चाहता
मगर वो है कौन.?
‘अयाज़’… चौंको नही, मैं बताता हूँ…यही अयाज़ वो आदमी था जो फॉरिन-ऑफीस के सेक्रेटरी के साथ कागज़ात समेत सफ़र कर रहा था.! आधे काग़ज़ उसके पास थे आधे सेक्रेटरी के पास उन पर डाका पड़ा सेक्रेटरी मारा गया और अयाज़ किसी तरह बच गया मुजरिमो के हाथ किसी तरह आधे कागज़ात लगे अयाज़ फॉरिन-ऑफीस में सेकरीट सर्विस का आदमी था वो बच गया, लेकिन उसने ऑफीस को रिपोर्ट नही दी
वो दरअसल अपने ज़माने का माना हुआ आदमी था, इसलिए इस शिकस्त ने उसे मजबूर कर दिया कि वो मुजरिमो से आधे कागज़ात वसूल किए ब-गैर ऑफीस में ना पेश हो
वो जानता था कि आधे कागज़ात मुजरिमो के किसी काम के नही वो बाक़ी आधे कागज़ात के लिए उसे ज़रूर तलाश करेंगे कुछ दिनो के बाद उसने मुजरिमो का पता लगा लिया
लेकिन उनके सरगना का सुराग ना मिल सका वो दरअसल सरगना ही को पकड़ना चाहता था
दिन गुज़रते गये, लेकिन अयाज़ को कामयाबी ना हुई
फिर उसने एक नया जाल बिछाया
उसने वो इमारत खरीद ली और उसमे अपने एक नौकर के साथ ज़िंदगी बसर करने लगा
उस दौरान उसने अपनी स्कीम को अमली-जामा पहनाने के लिए एक क़ब्र बनाई और वो सारा मेकॅनिसम तरतीब दिया
अचानक उसी ज़माने में उसका नौकर बीमार हो कर मर गया
अयाज़ को एक दूसरी तरतीब सूझ गयी.!
उसने नौकर पर मेक-अप कर के उसे दफ़न कर दिया और उसके भेस में रहने लगा
इस करवाई से पहले उसने वो इमारत क़ानूनी तौर पर जज साहब क नाम कर दी और सिर्फ़ एक कमरा रहने दिया
उसके बाद ही उसने इस इमारत की तरफ मुजरिमो का ध्यान खींचना शुरू कर दिया
कुछ ऐसे तरीक़े अपनाए कि मुजरिमो को यक़ीन हो गया कि मरने वाला सेकरीट-सर्विस ही का आदमी था और बाक़ी कागज़ात वो उसी इमारत में कही छुपा कर रख गया है
अभी हाल ही में उन लोगों की पहुँच उस कमरे तक हुई जहा हमने लाशें पाई
दीवार वाले ख़ुफ़िया खाने में सच-मूच कागज़ात थे उसका इशारा भी उन्हे अयाज़ की तरफ से मिला था
जैसे कोई आदमी खाने वाली दीवार के नज़दीक पहुँचता था
Budha Be-Hosh Nahi Hua Tha Wo Kisi Zakhmi Saanp Ki Tarah Bal Khaa Raha Tha
Imran Ne Jhuk Kar Uski Naqli Dadhi Noch Daali
‘Haaye’.! Fayaz Taqreeban Cheekh Pada
‘Sir Jahangeer’
Sir Jahangeer Ne Phir Uth Kar Bhaagne Ki Koshish Ki, Lekin Imran Ki Thokar Ne Use Uthne Nahi Diya
Haa, Sir Jahangeer.! Imran BaDabaDaayaa .! ‘Ek Ghair-Mulki Jasoos…Qaum-Farosh, Gaddaar…’
Dusre Din Captain Fayaz Imran K Kamre Mein Baitha Use Taajjoob Ki Nazro Se Dekh Raha Tha
Imran Badi Sanjeedagee Se Kahe Raha Tha- Mujhe Khushi Hai Ki Ek Bada Ghaddaar Aur Watan-Farosh Mere Haatho Apne Anjaam Ko Pahuncha Bhala Kaun Sonch Sakta Tha Ki Sir Jahangeer Jaisa Izzatdaar Aur Nek-Naam Aadmi Bhi Kisi Ghair-Mulk Ka Jasoos Ho Sakta Hai
Magar Wo Qabr Ka Mujaveer Kaun Tha.! Fayaz Ne Be-Sabri Se Pucha
Main Batata Hu.! Lekin Beech Mein Tokna Mat
Wo Bechara Akele Hi Yeh Sab Kuch Kar Lena Chahta Tha, Lekin Maine Uska Khel Bigaadh Diya Pichli Raat Wo Mujhe Mila Tha Usne Puri Daastan Dohraayi Ab Shayad Humesha K Liye Chhip Gaya Hai Uski Badi Zabardast Haar Hui Hai Ab Wo Kisi Ko Munh Nahi Dikhana Chahta
Magar Wo Hai Kaun.?
‘Ayaaz’… Chaunko Nahi, Main Batata Hu…Yehi Ayaaz Wo Aadmi Tha Jo Foreign-Office K Secretary K Saath Kaagzaath Samet Safar Kar Raha Tha.! Aadhe Kaagaz Uske Paas The Aadhe Secretary K Paas Unn Par Daaka Pada Secretary Maara Gaya Aur Ayaaz Kisi Tarah Bach Gaya Mujrimo K Haath Kisi Tarah Aadhe Kaagzaath Lage Ayaaz Foreign-Office Mein Secrete Service Ka Aadmi Tha Wo Bach Gaya, Lekin Usne Office Ko Report Nahi Di
Wo Darsal Apne Zamane Ka Maana Hua Aadmi Tha, Isliye Is Shikast Ne Use Majboor Kar Diya Ki Wo Mujrimo Se Aadhe Kaagzaath Wasool Kiye Ba-Ghair Office Mein Na Pesh Ho
Wo Jaanta Tha Ki Aadhe Kaagzaath Mujrimo K Kisi Kaam K Nahi Wo Baaqi Aadhe Kaagzaath K Liye Use Zaroor Talaash Karenge Kuch Dino K Baad Usne Mujrimo Ka Pata Laga Liya
Lekin Unke Sargana Ka Suraagh Na Mil Saka Wo Darasal Sargana Hi Ko Pakadna Chahta Tha
Din Guzarte Gaye, Lekin Ayaaz Ko Kaamyabi Na Hui
Phir Usne Ek Naya Jaal Bichaya
Usne Wo Imarath Khareedli Aur Usme Apne Ek Naukar K Saath Zindagi Basar Karne Laga
Uss Dauraan Usne Apni Scheme Ko Amli-Jaama Pahenane K Liye Ek Qabr Banayi Aur Wo Saara Mechanism Tarteeb Diya
Achaanak Usi Zamane Mein Uska Naukar Beemar Ho Kar Mar Gaya
Ayaaz Ko Ek Dusri Tarteeb Sujh Gayi.!
Usne Naukar Par Make-Up Kar K Use Dafan Kar Diya Aur Uske Bhes Mein Rahne Laga
Is Karwaayi Se Pahle Usne Wo Imarath Khanooni Taur Par Judge Sahab K Naam Kar Di Aur Sirf Ek Kamra Rahne Diya
Uske Baad Hi Usne Is Imarath Ki Taraf Mujrimo Ka Dhyaan Khinchna Shuru Kar Diya
Kuch Aise Tareeqe Apnaye Ki Mujrimo Ko Yaqeen Ho Gaya Ki Marne Wala Secrete-Service Hi Ka Aadmi Tha Aur Baaqi Kaagzaath Wo Usi Imarath Mein Kahi Chupa Kar Rakh Gaya Hai
Abhi Haal Hi Mein Unn Logon Ki Pahunch Uss Kamre Tak Hui Jaha Humne Laashe Paayi
Deewar Wale Khufiya Qaane Mein Sach-Much Kaagzaath The Uska Ishara Bhi Unhe Ayaaz Ki Taraf Se Mila Tha
Jaise Koi Aadmi Qaane Wali Deewar K Nazdeek Pahunta Tha
खौफनाक इमारत (इमरान सीरीज) Hindi noval complete
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Re: खौफनाक इमारत (इमरान सीरीज) Hindi noval
प्यास बुझाई नौकर से Running....कीमत वसूल Running....3-महाकाली ....1-- जथूराcomplete ....2-पोतेबाबाcomplete
बन्धन
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दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
मगर आप जैसे दोस्त नसीब वालों को मिलते हैं!
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बन्धन
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Re: खौफनाक इमारत (इमरान सीरीज) Hindi noval
अयाज़ क़ब्र के पत्थर के नीचे से डरावनी आवाज़ें निकालने लगता था और दीवार के करीब पहुँचा हुआ आदमी सहेम कर दीवार से चिपक जाता
इधर अयाज़ क़ब्र के अंदर से मेकॅनिसम को हरकत में लाता और दीवार से तीन छुरिया निकल कर उसकी कमर में धँस जाती
यह सब उसने सिर्फ़ सरगना को पकड़ने के लिए किया था
लेकिन सरगना मेरे हाथ लगा.! अब अयाज़ शायद ज़िंदगी भर अपने बारे में किसी को बताना सके
और कॅप्टन फायज़…मैने उससे वादा किया है कि उसका नाम केस के दौरान कही ना आने पाएगा.! समझे और तुम्हे मेरे वादे का ख़याल करना पड़ेगा.! तुम अपनी रिपोर्ट इस तरह बनाओ कि इसमे कही एक आँख वाली महबूबा भी ना आने पाए
वो तो ठीक है.! फायज़ जल्दी से बोला, वो 10 हज़ार रूपीए कहाँ है जो तुमने सर जहाँगीर से वसूल किए थे
हाँ ठीक है.! इमरान अपनी आँखे फिरा कर बोला.! आधा-आधा बाँट लेते है,
क्यूँ.?
बकवास है, उसे मैं सरकारी ताहवील (हिरासत) में दे दूँगा.! फायज़ ने कहा
हरगिज़ नही.! इमरान ने झपट कर चमड़े का बॅग मेज़ से उठा लिया जो उसे पिछली रात सर जहाँगीर के एक आदमी से मिला था
फायज़ ने उससे हॅंड-बॅग छीन लिया…और फिर उसे खोलने लगा
खबरदार होशियार… इमरान ने चौकीदारो की तरह हांक लगाई
लेकिन फायज़ हॅंड-बॅग खोल चुका था और फिर जो उसने ‘अरे बाप रे’ कह कर छलाँग लगाई है तो एक सोफे पर जा कर पनाह ली
हॅंड-बॅग से एक सियाह रंग का साँप निकल कर फर्श पर रेंग रहा था
अरे, खुदा तुझे गारत करे, इमरान के बच्चे…कमीने.! फायज़ सोफे पर खड़ा हो कर दहाडा
साँप फॅन फैला कर सोफे की तरफ लपका
फायज़ ने चीख मार कर दूसरी कुर्सी पर छलाँग लगाई.! कुर्सी उलट गयी और वो मुँह के बाल फर्श पर गिरा
इस बार अगर इमरान ने फुर्ती से अपने जूते की एडी साँप के सर ना रख दी होती तो उसने फायज़ को डन्स ही लिया होता
साँप का बाक़ी का जिस्म इमरान की पिंडली से लिपट गया और उसे महसूस होने लगा जैसे पिंडली की हड्डी टूट जाएगी.! उपर से फायज़ उस पर घूँसो और थप्पड़ो की बारिश कर रहा था.! बड़ी मुश्किल से उसने दोनो से अपने पीछा छुड़ाया
तुम बिल्कुल पागल हो, दीवाने…वहशी.! फायज़ हांफता हुआ बोला
मैं क्या करूँ जानेमन, खैर अब तुम इसे सरकारी ताहवील में दे दो, अगर कही मैं रात को ज़रा सी भी चूक किया होता तो उसने मुझे अल्लाह मियाँ की ताहवील में पहुँचा दिया होता
क्या सर जहाँगीर…?
हाँ…हम दोनो में मेंढको और साँप का तबादला हुआ था.! इमरान ने कहा और अपने ख़ास अंदाज़ में चूयिंग-गम चबाने लगा उसके चहरे पर फिर वही पुरानी हिमाकत दिखाई देने लगी
दा एंड
Ayaaz Qabr K Patthar K Niche Se Darauni Awaaze Nikaalne Lagta Tha Aur Deewar K Kareeb Pahuncha Hua Aadmi Sahem Kar Deewar Se Chipak Jata
Idhar Ayaaz Qabr K Andar Se Mechanism Ko Harkat Mein Laata Aur Deewar Se Teen Churiya Nikal Kar Uski Kamar Mein Dhans Jati
Yeh Sab Usne Sirf Sargana Ko Pakadne K Liye Kiya Tha
Lekin Sargana Mere Haath Laga.! Ab Ayaaz Shayad Zindagi Bhar Apne Baare Mein Kisi Ko Batana Sake
Aur Captain Fayaz…Maine Usse Waada Kiya Hai Ki Uska Naam Case K Dauraan Kahi Na Aane Paayega.! Samjhe Aur Tumhe Mere Waade Ka Khayal Karna Padhega.! Tum Apni Report Is Tarah Banao Ki Isme Kahi Ek Aankh Wali Mehbooba Bhi Na Aane Paaye
Wo To Thik Hai.! Fayaz Jaldi Se Bola, Wo 10 Hazaar Rupiye Kaha Hai Jo Tumne Sir Jahangeer Se Wasool Kiye The
Haa Thik Hai.! Imran Apni Aankhe Fira Kar Bola.! Aadha-Aadha Baant Lete Hai,
Kyun.?
Bakwaas Hai, Use Main Sarkari Tahveel (Hirasath) Mein De Dunga.! Fayaz Ne Kaha
Hargiz Nahi.! Imran Ne Jhapat Kar Chamde Ka Bag Mez Se Utha Liya Jo Use Pichli Raat Sir Jahangeer K Ek Aadmi Se Mila Tha
Fayaz Ne Uss Se Hand-Bag Chheen Liya…Aur Phir Use Kholne Laga
Khabardar Hoshiyaar… Imran Ne Chaukidaro Ki Tarah Haank Lagayi
Lekin Fayaz Hand-Bag Khol Chuka Tha Aur Phir Jo Usne ‘Arey Baap Re’ Kahe Kar Chalaang Lagayi Hai To Ek Sofe Par Jaa Kar Panaah Li
Hand-Bag Se Ek Siyaah Rang Ka Saanp Nikal Kar Farsh Par Reng Raha Tha
Arey, Khuda Tujhe Gharath Kare, Imran K Bachche…Kameene.! Fayaz Sofe Par Khada Ho Kar Dahada
Saanp Phan Faila Kar Sofe Ki Taraf Lapka
Fayaz Ne Cheekh Maar Kar Dusri Kursi Par Chalaang Lagayi.! Kursi Ulath Gayi Aur Wo Munh K Bal Farsh Par Gira
Is Baar Agar Imran Ne Furti Se Apne Jute Ki Edi Saanp K Sar Na Rakh Di Hoti To Usne Fayaz Ko Dhas Hi Liya Hota
Saanp Ka Baaqi Ka Jism Imran Ki Pindali Se Lipat Gaya Aur Use Mehsoos Hone Laga Jaise Pindali Ki Haddi Toot Jayegi.! Upar Se Fayaz Uss Par Ghunso Aur Thappado Ki Baarish Kar Raha Tha.! Badi Mushkil Se Usne Dono Se Apne Picha Chhudaya
Tum Bilkul Paagal Ho, Deewane…Vehshi.! Fayaz Haanfta Hua Bola
Main Kya Karu Janeman, Khair Ab Tum Ise Sarkari Tahveel Mein De Do, Agar Kahi Main Raat Ko Zara Si Bhi Chuk Kiya Hota To Usne Mujhe ALLAH Miyaan Ki Tahveel Mein Pahuncha Diya Hota
Kya Sir Jahangeer…?
Haa…Hum Dono Mein Mendako Aur Saanpo Ka Tabadla Hua Tha.! Imran Ne Kaha Aur Apne Khaas Andaaz Mein Chewing-Gum Chabane Laga Uske Chahre Par Phir Wahi Purani Himakhat Dikhayi Dene Lagi
The End
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- Kamini
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Re: खौफनाक इमारत (इमरान सीरीज) Hindi noval complete
mazedar novel hai
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- sexi munda
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Re: खौफनाक इमारत (इमरान सीरीज) Hindi noval complete
मित्र नायाब उपन्यास पोस्ट किए हैं आपने
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