Erotica मेरी कामुकता का सफ़र

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adeswal
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Re: Erotica मेरी कामुकता का सफ़र

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मेरे मम्मो के ऊपरी भाग को अपने एक हाथ झकड़े हुए उसने दुसरा हाथ से मेरी ड्रेस को नीचे खिसकाना जारी रखा। मेरी ड्रेस जो अब तक मेरे पेट पर अटकी थी अब कमर के नीचे आ गयी।

और मेरे कूल्हो से निकलते ही वो नीचे जमीन पर जा गिरी और मै सिर्फ पैंटी और ब्रा में खड़ी थी। ब्रा भी आधा तो खुल ही चुका था।

तभी बाहर कार का हॉर्न बजा, शायद उसका ड्राइवर आ गया था। राहुल ने मेरे सीने से अपना हाथ हटाया और मैंने जल्दी से अपने ब्रा की पट्टी फिर कंधे पर चढ़ा ली.

नीचे झुकते हुए मैंने अपने पांवो में पड़ी अपनी ड्रेस को ऊपर खिंचते हुए फिर से अपनी पैंटी ढक दी और फिर पेट और मम्मो पर चढ़ाते हुए अपने बदन को ढक दिया।

तभी राहुल का हाथ आया और उसने पीठ पर मेरी ड्रेस की चैन बंद कर दी. मै उसकी तरफ देखें बिना अपना पर्स उठाए दरवाजे की तरफ बढ़ी और बाहर निकल कर तेजी से कार की तरफ बढ़ी।

राहुल और मैं कुछ ज्यादा ही खुल गए और हम दोनों एक गलती करते करते रह गए।
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adeswal
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Re: Erotica मेरी कामुकता का सफ़र

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फार्महाउस पर मजाक मजाक में मामला सिरियस हो गया और मेरे कमजोर पड़ते ही राहुल ने मुझे चोदने के लिए लगभग नंगा कर ही दिया था कि ड्राइवर मुझे लेने आ गया था और मैं बच गयी।

कार में बैठने के बाद मैंने अपने हाथ अपनी जांघो पर रखे, मेरे हाथ बुरी तरह कांप रहे थे। बिना सर्दी के मेरा शरीर में कंपन हो रहा था।

अगर वो ड्राइवर समय पर नहीं आता तो आज राहुल मुझे चोद ही डालता और मै उसे मना नहीं कर पाती. शनिवार को छुट्टी थी तो मै दिन भर घर पर ही रही और बस इसी बारे में सोच रही थी।

एक डर यह भी था कि सोमवार को ऑफिस में मै राहुल का सामना कैसे कर पाउंगी. पिछली बार मैंने उसको सब कुछ करने दिया था फिर उसने अगले दिन ऑफिस में मेरे कैसे मजे लिए थे यह तो आप मेरी पिछली कहानी में पढ़ ही चुके हैं।

दोपहर में मैंने खुद ने अपनी चूत में ऊँगली कर अपनी आग को शांत भी किया. ऊँगली करते वक्त आंखे बंद कर मै सिर्फ राहुल के बारे में सोच रही थी। जिसकी वजह से मुझे जड़ने में थोड़ी आसानी हुयी.

सोमवार को मै ऑफिस पहुंची एक डर के साथ कि राहुल मेरे साथ कैसा व्यवहार करेगा. आज तो मै जानबूझकर शरीर को पूरा कवर करते हुए कपड़े पहन आयी थी।

पूरी पैंट पहनी और ऊपर पूरी आस्तीन का शर्ट था। गले में स्कार्फ डाल अपनी छाती को ढक लिया था। किसी काम से मुझे राहुल के पास जाना था। मै उसके केबिन में गयी।

राहुल: “कौन से कलर की हैं?”

मैं: “मुझे इस तरह की बदतमीजी पसंद नहीं हैं। कल जो भी हुआ, वो गलत था, वो रिपिट नहीं होना चाहिए”
राहुल गंभीर चेहरा बना मेरी तरफ देख रहा था।

राहुल: “मै हमारे विज्ञापन कैंपेन की बात कर रहा था। कौन सा कलर फाइनल हुआ?”
अब झेंपने की बारी मेरी थी। मुझे लगा वो मेरी पैंटी का कलर पूछ कर मुझे छेड़ रहा होगा।

मैं: “आई एम सॉरी . ब्लैक कलर हैं”

राहुल: “किसका?”

मैं: “पैंट…ऐड…ऐड का”

नर्वस होकर मेरे मुंह से “पैंटी” शब्द निकल चुका था

राहुल: “मगर ब्लैक कलर तो चर्चा हुआ ही नहीं था”

राहुल सही था, मै नर्वस होकर सच में अपनी पैंटी का कलर बता चुकी थी।

मैं: “ओह सॉरी , ऑफ वाइट थीम रखा हैं”

राहुल: “प्रतिमा, आई एम सॉरी , मस्ती मजाक में उस दिन मुझसे गलती हो गयी। मै उसके लिए शर्मींदा हूँ. मैंने ज्यादा ही हद पार कर दी थी। तुम उस से अफेक्ट मत होना. मेरी एक गलती समझ माफ़ कर दो. तुम काम पर ध्यान दो”

मैं: “ऐड की डिटेल्स इस फाईल में हैं”

मै अपने हाथ में पकड़ी फाईल वहीं टेबल पर रख भाग खड़ी हुयी. बाहर आकर यहीं सोच रही थी कि मै इतनी बड़ी गलती कैसे कर सकती हूँ.

शायद वो घटना मेरे दिमाग में इतनी चढ़ चुकी थी कि उतर ही नहीं रही थी। राहुल का फार्महाऊस वाला रूप ही दिखाई दे रहा था।

लंच के बाद रूबी से अकेले में बात करने का मौका मिला. पार्टी वाले दिन तो वो धोखा दे चली गयी थी।

रूबी: “क्या हुआ! अभी भी नाराज हो?”

मैं: “इतने दिन मुझे उपदेश पिलाती रही और खुद कितने मजे ले रही थी, वो छुपाए रखा”

रूबी: “मैने छुपाया नहीं था। तुमने कभी पुछा ही नहीं तो मैंने आगे बढ़कर बताया नहीं”

मैं: “मगर ऑफिस के लोगो के साथ ही! तुम्हे ऑफिस में वो लोग फिर छेड़ते नहीं”

रूबी: “ऑफिस में अकेले में छेड़ते हैं, उसी में तो मजा आता हैं। वरना ऑफिस तो बोरींग हो जायेगा.”

मैं: “ये दूसरे मर्दो के साथ चुदवाना, तुम कब से कर रही हो?”

रूबी: “जिसकी दिन तलाक के कागज पर साइन किए थे उसी दिन शाम को अपने दोस्त के घर जाकर चुदवा लिया था।”

मैं: “मुझे तो बोलती थी कि एक महीना बिना चुदवायें रह कर बताओ. तुम कितने दिन रह पाती हो?”

रूबी: “रोज कोई ना कोई तो मिल ही जाता हैं। जब कोई नहीं मिलता तो मेरा वो पडौसी तो हैं ही, जो तुम्हारे चूत के पानी का दीवाना हैं। तुम बोलो तो उसकी इच्छा पूरी कर दू और सीधा वो तुम्हारी चूत को मुंह लगा कर तुम्हारा पानी पी पाएगा.”

मैं: “दो दिन पहले तक मै तुम्हे इतना आदर करती थी, पर अब तुम्हारा यह सच जानकर सब खत्म हो गया”

रूबी: “यह बताओ, क्या गलत किया मैने? अपनी शरीर की जरुरत पूरा करना कैसे गलत हैं? मैंने किसी को धोखा तो दिया नहीं हैं”

मैं: “मगर रोज अलग अलग मर्दो के साथ. यह सही कैसे हो सकता हैं!”

रूबी: “तुमने कभी अपने पति के अलावा किसी दूसरे मर्द को चोदने नहीं दिया? झूठ मत बोलना”

मैं: “चलो अंदर ऑफिस में चलते हैं”

रूबी: “टॉपिक मत बदलो”

मैं: “तुम मेरी चूत को लंड का गुलाम क्युँ बोलती रहती थी? जब कि तुम्हारी चूत खुद सबसे बड़ी लंड की गुलाम हैं। वो भी एक नहीं, अलग अलग लंड की”

रूबी: “मैने कभी इंकार नहीं किया. तुम्ही इंकार करती आयी हो. हां मै रोज नये नये मर्दो से चुदवाना पसंद करती हूँ. मुझे अच्छा लगता हैं। मेरी बॉडी हैं, मै चाहे जैसे उपयोग करु”

मैं: “शरीर की जरुरत तो एक मर्द से ही पूरी हो जाती हैं। एक पति ही काफी हैं, फिर पति से इतनी नफरत क्युँ? ”

रूबी: “मै किसी एक लंड की गुलाम नहीं बनना चाहती, इसलिए पति की गुलामी नहीं की. अब तो तुम भी आज़ाद हो. तुम भी मुझे ज्वाइन कर लो, दोनो मिलकर मर्दो के मजे लेंगे.”

मैं: “मै एक मर्द से खुश रहने वाली औरत हूँ. तुम अपनी ज़िन्दगी में खुश रहो और मै अपनी. तुम्हारी लाइफस्टाईल मेरी नहीं हो सकती”

हम दोनो वापिस ऑफिस में आ गए. मुझे डर लग रहा था कि कही मेरी लाईफ भी रूबी की तरह ना हो जाए. रूबी की तरह शादी के दौरान मेरी भी चुदवाने की आदत हो चुकी थी और अब रूबी की ऊँगली से चुदवाने की.
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मैने सोच लिया कि मै अब सब बंद कर दूंगी और अपनी आदत सुधारुंगी. मै रूबी को गलत साबित कर दूंगी. उसके बाद मै अपनी चूत में ऊँगली करवाने के लिए रूबी के घर नहीं गयी।

3-4 दिन तो निकल गए पर फिर मेरे अंदर जोर की आग लगने लगी। मुझे शावर लेना पड़ा पर थोड़ी देर बाद वो आग फिर भड़क उठी.

उस वक्त मुझे अपनी ऊँगली से थोड़ा चूत रगड़ कर अपना काम चलाना पड़ा पर मुझे बहुत बुरा लगा।
मुझे यह सब रोकना था।मैने दुसरी चीजो में मन लगाना शुरु किया. भक्ति के कार्यक्रम देखना शुरु किया, योग में ध्यान लगाया, अच्छी किताबें पढ़ना शुरु किया.

कुछ हद तक मै अपने आप को कण्ट्रोल कर पायी। मैंने अपनी चूत को हाथ लगाना ही छोड़ दिया था। इस चक्कर में मैंने अपनी चूत की सफाई ही बंद कर दी थी। पहले मै अपनी चूत के सारे बाल हटा कर सफाचट रखती थी अब धीरे धीरे बाल उगने लगे थे।

धीरे धीरे चूत पर बालो की झाड़ियां बनने लगी थी पर मैंने ठान लिया था कि मै हाथ नहीं लगाउंगी वरना बाल हटाटे वक्त मेरी वासना भड़क सकती हैं।

जब भी मेरा मन भटकता मै कोई अच्छी चीज पढ़ना शुरु कर देती थी। यह 2 महीने बड़ी मुश्किल से गुजरे थे। कभी कभार मै अपने शार्ट या पैंट के ऊपर से ही खुजाने के बहाने थोड़ा चूत रगड़ देती थी।

जब नहाती थी तो साबून लगाने के बहाने चूत को थोड़ा ज्यादा रगड़ कर थोड़ी शान्ति महसूस करती थी। मैंने चुदाई से सन्यास ले लिया था और इसका सबूत मेरी चूत थी जिसकी पर दाढ़ी के जैसे बड़े बाल आ चुके थे.

इस दौरान रूबी रोज मुझे अपनी चुदाई के किस्से सुना कर भड़काने का प्रयास करती और मै उसको चुप करवा देती या वहां से भाग जाती

फिर एक डील के सिलसिले में मुझे राहुल के साथ दूसरे शहर जाना था। हालांकि यह कोई पहली बार नहीं था पर अभी जो मै सन्यास पर चल रही थी उसमे मेरे लिए मुश्किल हो सकता था जब मुझे इतना समय राहुल के साथ गुजारना था।

कुछ घंटे की फ्लाइट के सफर के बाद हम वहां पहुंच गए और शाम की फ्लाइट से हमें वापिस आना था। पर शायद किस्मत मेरी परीक्षा ले रही थी।

हमारी वापसी फ्लाइट कैंसिल हो गयी और दुसरी कोई फ्लाइट बची नहीं थी। हमको अब अगले दिन निकलना था। इसके बदले एयरलाइन वालो ने ही होटल स्टे बुक कर दिया था।

जब मै और राहुल होटल पहुचे तो पता चला कि दो टिकट्स के लिए एक ही डबल बेड रूम बुक किया था। उनके पास कोई एक्स्ट्रा रूम खाली नहीं था। हमने वो रूम तो ले लिया पर बाहर जाकर दूसरे होटल में भी पता किया पर कही रूम नहीं मिला.

टैक्सी वाला ने एक लॉज जरूर दिखा दिया पर उस लॉज की हालत ऐसी थी कि रहना मुश्किल था। राहुल ने मुझे विकल्प दे दिया कि वो इस लॉज में रह जाऐगा और मै उस होटल के रूम में रह जाऊ.

हमने अंदर जाकर रूम भी देखा, पर उसकी हालत खराब थी और बिस्तर में खटमल थे। मै राहुल को वहां नहीं सोने दे सकती थी।

हम फिर अपने होटल में आ गए. बिस्तर तो दो लोगो के लिए था पर हम दोनो शेयर नहीं कर सकते थे

राहुल: “तुम बिस्तर पर सो जाओ, मै यहाँ नीचे कारपेट पर सो जाऊंगा”

मैं: “नहीं मै नीचे लेटूंगी और तुम मेरे ऊपर लेट जाना”

राहुल चुप होकर मेरी शक्ल देखने लगा। मैंने फिर सोचा कि क्या बोल दिया। मैंने उसको बिस्तर पर सोने की बजाय गलती से मेरे ऊपर लेटने को बोल दिया था।

राहुल के सामने आते ही नार्मल बात करते वक्त मुझे पता नहीं क्या हो जाता हैं। मै शर्म के मारे चुपचाप बिस्तर पर जाकर लेट गयी और रजाई ओढ़ कर मुंह तक ढक दिया और अंदर हस रही थी।

राहुल के कपड़े खुलने की आवाज आने लगी थी। मुझे डर लगा कही वो पूरा नंगा होकर मेरी रजाई में ही ना घुस जाऐ।

फिर वो आवाज बंद हो गयी पर वो मेरी रजाई में नहीं घुसा. मैंने रजाई थोड़ी ऊपर उठा कर एक होल से बाहर झाँका.

उसने शर्ट खोल दिया था और अंदर पहने बनियान में था। पैंट भी खुला था और अंदर शार्ट में खड़ा था।
मैने भी अपने कपड़ो के अंदर टैंक टॉप और हॉट शार्ट पहना था। पर सोचती रही मै भी चेंज करु या नहीं. इतने छोटे कपड़ो में राहुल के सामने कैसे आऊं.

राहुल ने लाइट बंद कर दी और नाईट लैंप की हल्की रोशनी रहने दी. मुझे इतने कपड़ो में सोने की आदत तो थी नहीं तो मुझे कपड़े बहुत चुभ रहे थे। मैंने रजाई के अंदर ही अपने कपड़े निकालने शुरु कर दिए. मैने सोचा सुबह राहुल के उठने से पहले मै उठ कर फिर अपने कपड़े पहन लुंगी.

अपनी कैपरी निकाल मै हॉट शार्ट में आ गयी और ऊपर का टॉप निकाल कर अंदर के टैंक टॉप में आ गयी। अब मुझे ज्यादा राहत मिल रही थी। दोनो कपड़े मैंने बिस्तर के दुसरी तरफ गिरा दिए ताकि अगर रात को राहुल उठ भी जाऐ तो वहां खुले कपड़ो पर राहुल की नजर ना जाऐ।

टैंक टॉप के अंदर मेरा ब्रा जरूर मुझे खल रहा था। रात को मै ब्रा पहन कर नहीं सोती हूँ, आज वो ब्रा मुझे कवच की तरह चुभ रहा था।

मैने रजाई के अंदर से ही अपना टैंक टॉप निकाला कर साइड में रखा और फिर ब्रा भी निकाल दिया और उसको भी रजाई से हाथ बाहर निकाल दूसरे निकाले कपड़ो के साथ नीचे गिरा दिया।

मैने अब फिर रजाई के अंदर अपना टैंक टॉप पहनना चाहती थी कि रजाई चमक उठी. कमरे की लाइट जल गयी थी और मै रजाई में चुप चाप बिना हिले रुक गयी।

मै टॉपलेस थी और नीचे मैंने हॉट शार्ट पहना था। डर भी था कि कही राहुल ने रजाई हटा दी तो क्या होगा।
मै टैंक टॉप पहनने के लिए हिलती तो उसे पता चल जाता, इसलिए मै ऐसे ही टॉपलेस रजाई में दुबक कर लेटी रही.

राहुल: “प्रतिमा तुम सो गयी क्या?”

मै रजाई के अंदर दुबक कर कुछ नहीं बोली, ताकि उसको लगे कि मै सोई हूँ. पता नहीं वो किस काम के लिए मुझे उठा रहा था।
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राहुल: “मेरी रजाई तुम्हारे हाइट की हैं और तुम्हारे पास जो हैं वो मेरी हाइट की हैं। अगर जाग रही हो तो रजाई अदला बदली कर लो”

मेरी तो सांस अटक गयी, ना मै टैंक टॉप पहन पा रही हूँ और रजाई उसको दे नहीं सकती, रजाई हटटे ही तो मै नंगी दिख जाउंगी.

एक ही उपाय था कि मै सिर को रजाई से बाहर निकालू और उसको रजाई देने से मना कर दू. मगर बहाना क्या मारूंगी! पहले ही वो नीचे सो रहा हैं और ऊपर से उसको लम्बी रजाई भी ना दू.

क्या मै उसको सच सच बता दो कि मै नंगी हूँ तो उसको रजाई नहीं दे सकती. मगर फिर वो मेरे बारे में क्या सोचेगा! कमरे में एक गैर मर्द के होते हुए मै नंगी सो रही थी।

मै कुछ फैसला ले पाती उसके पहले ही मेरी रजाई मेरे ऊपर से हट गयी। अच्छा था कि मेरी आंखे पहले ही बंद थी और मैंने नींद में होने का नाटक जारी रखा।

शरम तो बहुत आ रही थी पर यह नाटक जरुरी था ताकि उसके सामने शर्मींदा ना होऊ. फिर रूबी की बात भी मेरे दिमाग में आयी कि मुझे इस तरह नंगा देख कोई भी मर्द भड़क सकता हैं।

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अपनी आदत के अनुसार मैंने सोते वक़्त अपने कपडे तो खोल दिए पर पहनने के पहले ही राहुल ने मुझे नंगा देख लिया था और मैं आँखें बंद किये टॉपलेस लेती रही।

पर तभी मेरे बदन को रजाई ने ढक दिया। मैंने चैन की सांस ली कि मै बच गयी। पर राहुल ने जो मुझे नंगा देख लिया उसका क्या! मेरा दिल तेजी से धड़क रहा था।

फिर थोड़ी देर में रजाई के ऊपर आती रोशनी बंद हो गयी। शायद राहुल लाइट बंद कर लेट गया था। मैंने एक कोने से रजाई को थोड़ा ऊपर कर बाहर झाँका. नाईट लैंप की हल्की रोशनी थी।

मैने महसूस किया कि राहुल ने रजाई बदल दी थी। अब मै अपना टैंक टॉप पहन सकती थी। पर टैंक टॉप था कहा!. मैंने चारो तरफ हाथ घुमाया पर टैंक टॉप नहीं मिला. शायद रजाई निकालते वक्त टैंक टॉप भी उसके साथ चला गया, या कही गिर गया था।

उसको ढूंढने के लिए मुझे उठना पड़ेगा, और उस हल्की रोशनी में मेरा नंगापन तो राहुल को फिर दिख ही जाऐगा.
मैने सोचा बिस्तर के दुसरी तरफ पड़े अपने कपड़े ही पहन लेती हूँ, मेरा टॉप और कैपरी पैंट वहीं पड़े हैं। मै बिस्तर के दुसरी तरफ लुढ़की और नीचे देखा पर मेरे कपड़े वहां नहीं थे.

मैने तो कपड़े खोल कर वहीं गिराए थे फिर कहा गए! कही राहुल ने मेरे साथ मस्ती करने के लिए कपड़े हटा तो नहीं दिए. मेरी नजर सामने गयी जहा एक हेंगर पर मेरा टॉप और कैपरी लटके हुए थे.

राहुल ने ही नीचे गिरे कपड़े देख उन्हे संभाल कर रख दिया होगा। पर इस चक्कर में मै फंस चुकी थी। मुझे उठकर वो कपड़े लेने थे.

मगर राहुल तो अभी अभी लेटा हैं, वो अभी जाग रहा होगा। अभी उठना ठीक नहीं होगा। मैंने थोड़ा इंतजार करना ठीक समझा.

मेरी आंख कब लग गयी मुझे पता ही नहीं चला. सुबह मेरा हाथ मेरे पेट पर पड़ा और मुझे अहसास हुआ कि मै नंगी लेटी हूँ. मेरे बदन पर रजाई भी नहीं ढकी थी।

रजाई को मै अपने पांवो के नीचे छूता हुआ महसूस कर पा रही थी। रात को सोते वक्त मैंने शायद अपनी रजाई लात मार कर हटा दी होगी या हो सकता हैं राहुल ने ही मुझे देखने के लिए यह किया होगा।

हो सकता हैं राहुल जाग रहा हो. मैंने हल्की सी पलके खोली, वहां उजाला था। पर कोई दिखाई नहीं दिया। मैंने पूरी आंख खोल दी और इधर ऊधर देखा तो राहुल नहीं था।

मै उठ बैठी और दायें बायें देखने लगी मेरा टैंक टॉप कहा हैं। मगर वो कही दिखा नहीं. तभी राहुल वहां आ गया, उसके हाथ में मेरा टैंक टॉप था।

राहुल: “तुम शायद यह ढूंढ रही हो!”

मैने मेरे पांवो में पड़ी रजाई को तुरंत खिंच कर अपने आप पर डाल कर बदन को ढक लिया और राहुल को गुस्से में देखने लगी।

मैं: “तुम्हे शर्म नहीं आती किसी लड़की को ऐसे देखते हुए?”

राहुल: “पहले तुम खुद अपने कपड़े निकालती हो, फिर खुद लात मार कर अपनी रजाई निकाल देती हो. फिर भी दोष मेरा! ”

मैं: “तुम्हे पता था रजाई गलती से निकल गयी हैं तो फिर से ओढ़ा भी तो सकते थे!”

राहुल: “पिछली बार कोशिश की थी, क्या मिला? एक थप्पड़!”

मैं: “पर कम से कम देखना तो नहीं चाहिये ना. नजरे फेर लेते”

राहुल: “ठीक हैं मै ऊधर देखता हूँ, तुम यह पहन लो”

उसने वो टैंक टॉप मुझे दे दिया और मैंने जल्दी से उसे पहन लिया। मै अब टैंक टॉप और हॉट शार्ट में रजाई के बाहर आयी। मै वाशरूम की तरफ जाने लगी। अलमारी के आईने के सामने से निकली तो उस सफ़ेद टैंक टॉप और काले हॉट शार्ट में मेरा गौरा बदन बहुत सेक्सी लग रहा था।
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