Erotica मेरी कामुकता का सफ़र
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Re: मेरी कामुकता का सफ़र
bahut khoob update......
- naik
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Re: मेरी कामुकता का सफ़र
fantastic update brother
waiting your next update
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Re: मेरी कामुकता का सफ़र
thanks bhai
मेरी नशीली चितवन Running.....मेरी कामुकता का सफ़र Running.....गहरी साजिश Running.....काली घटा/ गुलशन नन्दा ..... तब से अब तक और आगे .....Chudasi (चुदासी ) ....पनौती (थ्रिलर) .....आशा (सामाजिक उपन्यास)complete .....लज़्ज़त का एहसास (मिसेस नादिरा ) चुदने को बेताब पड़ोसन .....आशा...(एक ड्रीमलेडी ).....Tu Hi Tu
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Re: मेरी कामुकता का सफ़र
काफी देर करने के बाद मैं थक कर रुक गयी मगर वह नीचे लेटा हुए भी झटके मार रहा था। उसने मुझे अब अपने ऊपर से हटने को कहा, मैं बिना काम पुरे हुए हटना नहीं चाहती थी पर मुझे पता था वो मेरा काम पूरा करेगा।
उसने मुझे दोनों हाथ के पंजो और घुटनो के बल बैठने को कहा डॉगी स्टाइल में। मेरे डॉगी बनते ही वो घुटनो के बल मेरे पीछे आया और एक झटके में अपना लिंग मेरे अंदर उतार दिया। तेजी से अंदर बाहर झटके मारता हुआ वो आवाज़े निकाल रहा था। वो इतना अंदर घुस गया की मेरी भी सिसकिया निकलने लगी।
थोड़ी ही देर में हमको वही चिर परिचित पानी के छपकने की आवाज़े आने लगी। उसने अब अपनी एक टांग को फोल्ड करके पंजो के बल आ गया और दूसरी अभी भी घुटनो के बल थी।
इससे उसकी झटको की ताकत दुगुनी हो गयी थी जिससे मेरी योनी के अंदर की पहुंच और गहरी हो गयी। थोड़ी ही देर में मेरी योनी के अंदर घमासान शुरू हो चूका था। झील के पानी में जैसे तेजी से बार बार डंडा मारने पर जो आवाज़े आती हैं वैसी आवाज़े मेरे अंदर से आ रही थी।
अब मैं अपने चरम तक पहुंच रही थी, मैं उसका नाम बड़ी कामुकता से लिए जा रही थी, मैं यह भी भूल चुकी थी की उसकी पत्नी पास ही में सोई हुई थी।
मेरे उसका नाम लेने से उसका जोश ओर बढ़ गया था। झटके मारना जारी रखते हुए अपने एक हाथ से मेरा वक्ष दबोच लिया। मैं तो पूरा छूटने ही वाली थी की उसने फिर लिंग बाहर निकाल दिया। मुझे थोड़ा बुरा लगा।
उसने मुझे अब बिस्तर पर सीधा लेटाया और दोनों पाँव चौड़े कर दिए। वो मेरे ऊपर लेट गया। मैंने अपना हाथ नीचे किया और उसका लिंग पकड़ कर अपने अंदर कर दिया। उसकी मशीन एक बार फिर शुरू हो गयी। हम दोनों चरम प्राप्ति की तरफ तेजी से बढ़ रहे थे। मैंने अपनी दोनों टांगो को उठाते हुए उसकी कमर पर लपेट दिया।
वो मेरी अंदर की गहराइयों में डूबता हुआ कही खो गया था पर उसकी गति लगातार बढ़ती जा रही थी। यह संकेत था उसके चरम के नजदीक पहुंचने का। चरम प्राप्ति पर मेरे मुँह से कुछ ज्यादा ही जोर से निकल गया- ओ मोहित ! वो भी तेज आहें निकलते हुआ छूट गया, हम दोनों ने एक दूसरे को कस कर झकड़ लिया। हम दोनों ऐसे ही निश्चेत पड़े रहे।
अब मैंने उठने की कोशिश की तो उसने फिर मुझे झकड़ लिया। मुझे भी यह पसंद आया। अब हम दोनों एक दूसरे से अलग नहीं होना चाहते थे। अभी तीन घंटो में कुछ समय बाकी था। उसका लिंग अब नरम पड़ कर अपने आप मेरे प्रवेश द्वार से बाहर आ गया था।
अब मैं उठी और अपने बिखरे हुए कपडे सँभालने लगी। मैं अपने नीचे के अंतवस्त्र को पहने लगी, उसने तुरंत मुझसे छीन कर उसे एक तरफ रख दिया और मुझे पीठ के बल लेटा कर अपने मुँह से मेरे निप्पल को चूसने लगा। मुझे मजा आने लगा।
वह अपना एक हाथ बराबर मेरे शरीर पर घुमा रहा था। बारी बारी से अब वो मुझे होठों पर चुम रहा था कभी निप्पल पर। मैं भी उसकी पीठ और पुठ्ठो पर अपने हाथों का प्यारा स्पर्श कर फिरा रही थी। हम कुछ देर तक ऐसे ही एक दूसरे के शरीर का आनद लेते रहे।
अब काफी समय हो चूका था और हम नींद की दवाई के साथ और रिस्क नहीं लेना चाहते थे। मैंने खड़े होकर अपने दोनों अंतवस्त्र पहन लिए। वह कपडे पहन चूका था और मुझे फिर घूरने लगा। मैंने पूछा क्या करू, ऐसे ही रहु, उसने शरारत से सर हां में हिला लिया। थोड़ी ही देर में मैंने अपने सारे कपडे पहन लिए थे।
अब मैं फिर से पहले की भांति लेट गयी। वो अभी भी मेरे गद्दे पर ही था। मैंने उसे थोड़ा धक्का लगाते हुए उसके गद्दे की तरफ धकेला। उसने कहा काम निकल गया क्या? मेरी हंसी निकल गयी। मैंने उसका शर्ट गले से पकड़ा और अपनी और खिंच कर उसके होठों पर चुम्बन कर दिया।
हम कुछ सेकंड तक एक दूसरे के होठों का रस लेते रहे। अब मैं पूरी थक चुकी थी, मेरी उबासी निकली और वो मुझे छोड़ कर बाहर निकला और वापिस आकर अपनी पत्नी के साथ गद्दे पर सो गया।
उसने मुझे दोनों हाथ के पंजो और घुटनो के बल बैठने को कहा डॉगी स्टाइल में। मेरे डॉगी बनते ही वो घुटनो के बल मेरे पीछे आया और एक झटके में अपना लिंग मेरे अंदर उतार दिया। तेजी से अंदर बाहर झटके मारता हुआ वो आवाज़े निकाल रहा था। वो इतना अंदर घुस गया की मेरी भी सिसकिया निकलने लगी।
थोड़ी ही देर में हमको वही चिर परिचित पानी के छपकने की आवाज़े आने लगी। उसने अब अपनी एक टांग को फोल्ड करके पंजो के बल आ गया और दूसरी अभी भी घुटनो के बल थी।
इससे उसकी झटको की ताकत दुगुनी हो गयी थी जिससे मेरी योनी के अंदर की पहुंच और गहरी हो गयी। थोड़ी ही देर में मेरी योनी के अंदर घमासान शुरू हो चूका था। झील के पानी में जैसे तेजी से बार बार डंडा मारने पर जो आवाज़े आती हैं वैसी आवाज़े मेरे अंदर से आ रही थी।
अब मैं अपने चरम तक पहुंच रही थी, मैं उसका नाम बड़ी कामुकता से लिए जा रही थी, मैं यह भी भूल चुकी थी की उसकी पत्नी पास ही में सोई हुई थी।
मेरे उसका नाम लेने से उसका जोश ओर बढ़ गया था। झटके मारना जारी रखते हुए अपने एक हाथ से मेरा वक्ष दबोच लिया। मैं तो पूरा छूटने ही वाली थी की उसने फिर लिंग बाहर निकाल दिया। मुझे थोड़ा बुरा लगा।
उसने मुझे अब बिस्तर पर सीधा लेटाया और दोनों पाँव चौड़े कर दिए। वो मेरे ऊपर लेट गया। मैंने अपना हाथ नीचे किया और उसका लिंग पकड़ कर अपने अंदर कर दिया। उसकी मशीन एक बार फिर शुरू हो गयी। हम दोनों चरम प्राप्ति की तरफ तेजी से बढ़ रहे थे। मैंने अपनी दोनों टांगो को उठाते हुए उसकी कमर पर लपेट दिया।
वो मेरी अंदर की गहराइयों में डूबता हुआ कही खो गया था पर उसकी गति लगातार बढ़ती जा रही थी। यह संकेत था उसके चरम के नजदीक पहुंचने का। चरम प्राप्ति पर मेरे मुँह से कुछ ज्यादा ही जोर से निकल गया- ओ मोहित ! वो भी तेज आहें निकलते हुआ छूट गया, हम दोनों ने एक दूसरे को कस कर झकड़ लिया। हम दोनों ऐसे ही निश्चेत पड़े रहे।
अब मैंने उठने की कोशिश की तो उसने फिर मुझे झकड़ लिया। मुझे भी यह पसंद आया। अब हम दोनों एक दूसरे से अलग नहीं होना चाहते थे। अभी तीन घंटो में कुछ समय बाकी था। उसका लिंग अब नरम पड़ कर अपने आप मेरे प्रवेश द्वार से बाहर आ गया था।
अब मैं उठी और अपने बिखरे हुए कपडे सँभालने लगी। मैं अपने नीचे के अंतवस्त्र को पहने लगी, उसने तुरंत मुझसे छीन कर उसे एक तरफ रख दिया और मुझे पीठ के बल लेटा कर अपने मुँह से मेरे निप्पल को चूसने लगा। मुझे मजा आने लगा।
वह अपना एक हाथ बराबर मेरे शरीर पर घुमा रहा था। बारी बारी से अब वो मुझे होठों पर चुम रहा था कभी निप्पल पर। मैं भी उसकी पीठ और पुठ्ठो पर अपने हाथों का प्यारा स्पर्श कर फिरा रही थी। हम कुछ देर तक ऐसे ही एक दूसरे के शरीर का आनद लेते रहे।
अब काफी समय हो चूका था और हम नींद की दवाई के साथ और रिस्क नहीं लेना चाहते थे। मैंने खड़े होकर अपने दोनों अंतवस्त्र पहन लिए। वह कपडे पहन चूका था और मुझे फिर घूरने लगा। मैंने पूछा क्या करू, ऐसे ही रहु, उसने शरारत से सर हां में हिला लिया। थोड़ी ही देर में मैंने अपने सारे कपडे पहन लिए थे।
अब मैं फिर से पहले की भांति लेट गयी। वो अभी भी मेरे गद्दे पर ही था। मैंने उसे थोड़ा धक्का लगाते हुए उसके गद्दे की तरफ धकेला। उसने कहा काम निकल गया क्या? मेरी हंसी निकल गयी। मैंने उसका शर्ट गले से पकड़ा और अपनी और खिंच कर उसके होठों पर चुम्बन कर दिया।
हम कुछ सेकंड तक एक दूसरे के होठों का रस लेते रहे। अब मैं पूरी थक चुकी थी, मेरी उबासी निकली और वो मुझे छोड़ कर बाहर निकला और वापिस आकर अपनी पत्नी के साथ गद्दे पर सो गया।
मेरी नशीली चितवन Running.....मेरी कामुकता का सफ़र Running.....गहरी साजिश Running.....काली घटा/ गुलशन नन्दा ..... तब से अब तक और आगे .....Chudasi (चुदासी ) ....पनौती (थ्रिलर) .....आशा (सामाजिक उपन्यास)complete .....लज़्ज़त का एहसास (मिसेस नादिरा ) चुदने को बेताब पड़ोसन .....आशा...(एक ड्रीमलेडी ).....Tu Hi Tu
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Re: मेरी कामुकता का सफ़र
कब आँख लगी पता ही नहीं चला, एक संतुष्टि की बहुत प्यारी नींद ली मैंने उस रात। सुबह पांच बजे कुछ आवाज़ के साथ मैं जागी। मोहित अपनी पत्नी को उठाने की कोशिश कर रहा था पर वो नींद की दवाई के असर से उठ ही नहीं रही थी।
उसने झकझोड़ते हुए उसको उठाया, फिर दोनों ने मिल कर बाकी के दोनों लोगो को भी उठाया। मैं भी तब उठ खड़ी हुई। अब हम सब नीचे पहुंचे जहां पूजा में सब अपने लिए कुछ मांग रहे थे। मुझे तो मेरा वर मिल चूका था जिसने मेरी सारी मांगे पूरी कर दी थी।
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मैं अपने पति अशोक के साथ रहने दूसरे शहर चली गयी। हमारी शादी को 2 साल हो चुके थे और ससुराल वाले और रिश्तेदारों ने दबाव डालना शुरू कर दिया कि बच्चा क्यों नहीं हो रहा। ऐसा नहीं था कि हम दोनों बच्चा नहीं चाहते थे, पर काफी कोशिशों के बाद भी कुछ हो नहीं पा रहा था।
हमने डॉक्टर से चेकअप करवाने का सोचा, उसके पहले हम दोनों ने वादा किया कि कमी दोनों में से किसी के भी निकले हम बाहर किसी को नहीं बताएँगे।
सारे टेस्ट के बाद डॉक्टर ने पति का स्पर्म काउंट कम बताया। पति ने इलाज शुरू करवा दिया और इस तरह एक दो साल और निकल गए। मेरी यह हिन्दी सेक्स कहानी इसी के बारे में है।
इस बीच लोगो ने मुझे ताने मारना शुरू कर दिया कि मैं बाँझ हूँ। मेरा तो जैसे जीना हराम हो गया था, पर वादे के अनुसार मैं किसी को बता नहीं सकती थी कि कमी पति में हैं।
हम दोनों ने बच्चा गोद लेने की भी सोची पर घर वालों से छिपा कर गोद लेना मुमकिन नहीं था। दूसरा विकल्प स्पर्म डोनेशन का था पर डर था कि पता नहीं किसका स्पर्म हो बच्चे की शक्ल या रंग पति से बिलकुल नहीं मिला तो लोगो को शक हो जायेगा। अब मैं तनावग्रस्त रहने लगी।
एक दिन सास ने फ़ोन पर बहुत खरी खोटी सुनाई और मैं रोने लगी। पति से मेरी हालत नहीं देखी गयी। मुझे सांत्वना देकर झिझकते हुए बोले कि मेरे पास एक उपाय हैं। हम किसी और व्यक्ति की मदद लेंगे तुम्हे प्रेग्नेंट करने के लिए।
मेरे मन में भी कुछ समय से ये विचार था पर पति के डर से बोलने की हिम्मत नहीं थी। फिर भी मैंने उनके प्रस्ताव पर ऐसे रिएक्ट किया जैसे कोई आघात लगा हो और मना कर दिया। पति ने यकीन दिलाया कि इस से बढ़िया उपाय नहीं हो सकता तो मैंने हां कर दी।
इस काम के लिए अगर हम किसी जान पहचान वाले को चुनते तो कल को वो हमे ब्लैकमेल कर सकता था या बच्चे पर हक़ जता सकता था। अगर अनजान को चुनते तो हो सकता हैं उसे कोई छीपी बीमारी हो। हमें ऐसा आदमी भी चुनना था जो दिखने में पति से बिलकुल विपरीत ना हो।
अंत में हमने निर्णय लिया कि किसी जान पहचान वाले को चुनेंगे जिसका मेडिकल बैकग्राउंड हमें अच्छे से पता हो। जहा तक ब्लैकमेल की बात हैं तो हमें कुछ ऐसा करना था जिससे उसको कभी ये पता नहीं चले कि होने वाला बच्चा उसका हैं और हमारा मकसद क्या हैं। वो भविष्य में मुझे मजबूर ना करे इसके लिए हमें कोई ऐसा जाल बुनना था कि सेक्स करने के बाद उसके मन में एक अपराधबोध रहे जिसकी वजह से वो इसका जिक्र किसी से न करे और इस काण्ड को भूल जाये।
हमने हमारी साजिश की रुपरेखा बना ली थी बस एक बकरे की तलाश थी। कुछ दिनों बाद मेरे पति शाम को घर पर बहुत ख़ुशी ख़ुशी लौटे और मुझे बताया की शिकार का इंतज़ाम हो गया हैं।
उनका कॉलेज का एक दोस्त नरेश जो दूसरे शहर में रहता हैं, वो हमारे शहर में कंपनी के काम से दो दिन बाद आने वाला हैं और उसका हमसे मिलने का भी प्लान हैं। पति ने उसको शाम के खाने पर भी बुला लिया हैं। उन्होंने उसका फोटो भी बताया, रंग रूप में मेरे पति से थोड़ा मिलता जुलता था।
उसने झकझोड़ते हुए उसको उठाया, फिर दोनों ने मिल कर बाकी के दोनों लोगो को भी उठाया। मैं भी तब उठ खड़ी हुई। अब हम सब नीचे पहुंचे जहां पूजा में सब अपने लिए कुछ मांग रहे थे। मुझे तो मेरा वर मिल चूका था जिसने मेरी सारी मांगे पूरी कर दी थी।
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मैं अपने पति अशोक के साथ रहने दूसरे शहर चली गयी। हमारी शादी को 2 साल हो चुके थे और ससुराल वाले और रिश्तेदारों ने दबाव डालना शुरू कर दिया कि बच्चा क्यों नहीं हो रहा। ऐसा नहीं था कि हम दोनों बच्चा नहीं चाहते थे, पर काफी कोशिशों के बाद भी कुछ हो नहीं पा रहा था।
हमने डॉक्टर से चेकअप करवाने का सोचा, उसके पहले हम दोनों ने वादा किया कि कमी दोनों में से किसी के भी निकले हम बाहर किसी को नहीं बताएँगे।
सारे टेस्ट के बाद डॉक्टर ने पति का स्पर्म काउंट कम बताया। पति ने इलाज शुरू करवा दिया और इस तरह एक दो साल और निकल गए। मेरी यह हिन्दी सेक्स कहानी इसी के बारे में है।
इस बीच लोगो ने मुझे ताने मारना शुरू कर दिया कि मैं बाँझ हूँ। मेरा तो जैसे जीना हराम हो गया था, पर वादे के अनुसार मैं किसी को बता नहीं सकती थी कि कमी पति में हैं।
हम दोनों ने बच्चा गोद लेने की भी सोची पर घर वालों से छिपा कर गोद लेना मुमकिन नहीं था। दूसरा विकल्प स्पर्म डोनेशन का था पर डर था कि पता नहीं किसका स्पर्म हो बच्चे की शक्ल या रंग पति से बिलकुल नहीं मिला तो लोगो को शक हो जायेगा। अब मैं तनावग्रस्त रहने लगी।
एक दिन सास ने फ़ोन पर बहुत खरी खोटी सुनाई और मैं रोने लगी। पति से मेरी हालत नहीं देखी गयी। मुझे सांत्वना देकर झिझकते हुए बोले कि मेरे पास एक उपाय हैं। हम किसी और व्यक्ति की मदद लेंगे तुम्हे प्रेग्नेंट करने के लिए।
मेरे मन में भी कुछ समय से ये विचार था पर पति के डर से बोलने की हिम्मत नहीं थी। फिर भी मैंने उनके प्रस्ताव पर ऐसे रिएक्ट किया जैसे कोई आघात लगा हो और मना कर दिया। पति ने यकीन दिलाया कि इस से बढ़िया उपाय नहीं हो सकता तो मैंने हां कर दी।
इस काम के लिए अगर हम किसी जान पहचान वाले को चुनते तो कल को वो हमे ब्लैकमेल कर सकता था या बच्चे पर हक़ जता सकता था। अगर अनजान को चुनते तो हो सकता हैं उसे कोई छीपी बीमारी हो। हमें ऐसा आदमी भी चुनना था जो दिखने में पति से बिलकुल विपरीत ना हो।
अंत में हमने निर्णय लिया कि किसी जान पहचान वाले को चुनेंगे जिसका मेडिकल बैकग्राउंड हमें अच्छे से पता हो। जहा तक ब्लैकमेल की बात हैं तो हमें कुछ ऐसा करना था जिससे उसको कभी ये पता नहीं चले कि होने वाला बच्चा उसका हैं और हमारा मकसद क्या हैं। वो भविष्य में मुझे मजबूर ना करे इसके लिए हमें कोई ऐसा जाल बुनना था कि सेक्स करने के बाद उसके मन में एक अपराधबोध रहे जिसकी वजह से वो इसका जिक्र किसी से न करे और इस काण्ड को भूल जाये।
हमने हमारी साजिश की रुपरेखा बना ली थी बस एक बकरे की तलाश थी। कुछ दिनों बाद मेरे पति शाम को घर पर बहुत ख़ुशी ख़ुशी लौटे और मुझे बताया की शिकार का इंतज़ाम हो गया हैं।
उनका कॉलेज का एक दोस्त नरेश जो दूसरे शहर में रहता हैं, वो हमारे शहर में कंपनी के काम से दो दिन बाद आने वाला हैं और उसका हमसे मिलने का भी प्लान हैं। पति ने उसको शाम के खाने पर भी बुला लिया हैं। उन्होंने उसका फोटो भी बताया, रंग रूप में मेरे पति से थोड़ा मिलता जुलता था।
मेरी नशीली चितवन Running.....मेरी कामुकता का सफ़र Running.....गहरी साजिश Running.....काली घटा/ गुलशन नन्दा ..... तब से अब तक और आगे .....Chudasi (चुदासी ) ....पनौती (थ्रिलर) .....आशा (सामाजिक उपन्यास)complete .....लज़्ज़त का एहसास (मिसेस नादिरा ) चुदने को बेताब पड़ोसन .....आशा...(एक ड्रीमलेडी ).....Tu Hi Tu