Adultery प्यास बुझाई नौकर से

Post Reply
Jemsbond
Super member
Posts: 6659
Joined: 18 Dec 2014 12:09

Re: Adultery प्यास बुझाई नौकर से

Post by Jemsbond »

इधर रूबी की आंहों से पूरा कमरा भर जाता है। वो भी चरमसुख के बहुत करीब आ चुकी थी। इधर रामू भी समझ चुका था की रूबी अब काफी करीब थी। रूबी की हालत देखकर रामू अपने धक्के और तेज कर देता है। वो खुद भी रूबी के साथ ही झड़ना चाहता था ताकी उन दोनों का संपूर्ण मिलन हो सके। रूबी की सिसकियों से पूरा घर गूंजने लगा था।

रूबी- "आअहह... आअहह... और जोर से मेरे रज्जा ... आई लव यू उफफ्फ... चोद दो अपनी रानी को... और तेज
ओह माँ उफफ्फ... आहह... बहुत मजा आ रहा है उफफ्फ... उफफ्फ..."

राम- “आहह... आअहह.."

रामू के धक्कों से रूबी बुरी तरह हिल रही थी। उसके अंदर एक ज्वालामुखी फटने को तैयार था, और अचानक वो फूट गया। रूबी की चूत पानी छोड़ने लगती है। रूबी का पूरा जिश्म अकड़ जाता है। रूबी आँखें बंद किए अपने चरमसुख का पूरा आनंद लेती है। चूत तो मानो पानी छोड़े जा रही थी और रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी। कुछ देर बाद रूबी की सांसें नार्मल होने लगती हैं, और जिश्म ढीला पड़ने लगता है।

इधर रामू जो की झड़ने के कगार पे था, चार-पाँच जोरदार धक्के लगाता है और फिर उसके लण्ड से पिचकारी निकलती है। रामू आखिरी धक्के के साथ अपने को रूबी के उठे हुये चूतरों से चिपका लेता है। लण्ड गाढ़ा वीर्य चूत में उगलने लगता है। रामू एक बार फिर से धक्का लगाता है तो लण्ड और वीर्य चूत में उड़ेल देता है। रामू दो-चार और धक्के लगाता है और वीर्य चूत में भरने लगता है। रूबी को रामू का झड़ना अपनी चूत में महसूस होता है और वो अपनी आँखें खोलकर रामू को देखती है जो की आँखें बंद किए हए झड़ रहा था।

आखीरकार, रूबी की चूत को रामू ने अपने पानी से सींच दिया था। रामू अब ढीला पड़ जाता है और रूबी के ऊपर लेट जाता है, और उसका चेहरा रूबी के चेहरे के एक साइड में तकिये में घुस जाता है। दोनों अपनी सांसें कंट्रोल में करने की कोशिश करने लगते हैं। दोनों जने इस लंबी चुदाई से बुरी तरह थक गये थे। कुछ देर बाद रामू अपना चेहरे उठाकर रूबी की आँखों में देखता है।

रूबी चेहरा उठाकर उसके होंठों को चूम लेती है। यह चुंबन रूबी की संतुष्टि का प्रतीक था। रामू अब उठ जाता है

और बेड से उतर जाता है। इधर रूबी तीन बार झड़ने से बुरी तरह थक गई थी और ऐसे ही लेटी रहती है। रामू उसकी हालत समझ जाता है और उसके ऊपर कम्बल दडाल देता है और खुद रूबी के कमरे के बाथरूम में गरम पानी से नहाने लगता है। कुछ देर बाद वो बाथरूम से निकलता है और रूबी को देखता है जो की अभी भी लेटी हुई थी। शायद चुदाई की थकावट में नींद में चली गई थी। रामू उसके कमरे से विजयी मुश्कान लेता हुआ अपने कमरे में चला जाता है।
*****
*****
प्यास बुझाई नौकर से Running....कीमत वसूल Running....3-महाकाली ....1-- जथूराcomplete ....2-पोतेबाबाcomplete
बन्धन
*****************
दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
मगर आप जैसे दोस्त नसीब वालों को मिलते हैं!
*****************
Jemsbond
Super member
Posts: 6659
Joined: 18 Dec 2014 12:09

Re: Adultery प्यास बुझाई नौकर से

Post by Jemsbond »

अगले दिन रूबी रामू से पूरा दिन नजरें नहीं मिला पाती। जो सुख रामू ने उसे दिया था लखविंदर से कभी वैसा सुख नहीं मिल पाया था। संचमुच औरत क्या होती है रामू से ही उसे पता चला था। दोनों को सिर्फ रात में ही बात करने का मौका मिलता है। एक दूसरे के प्यार की कसमें खाते दोनों दुबारा मिलने के लिए तड़पने लगते हैं। पर किश्मत उनको दूसरा मौका नहीं दे रही थी।

रूबी जो के एक बार रामू का लण्ड भोग चुकी थी, दोबारा से मिलने के लिए बुरी तरह तड़प रही थी। पर उसके हाथ कुछ भी नहीं था। पता नहीं दुबारा चूत को कैसे रामू का लण्ड नसीब हो पाएगा उसको। दोनों को बस फोन से ही काम चलना पड़ रहा था।

जब दिल में कोई चाह हो तो रास्ता भी बन जाता है। रामू के प्यार में तड़प रही रूबी को भी अचानक एक रास्ता दिखाई देता है, जिससे उसे राम को पाने के लिए तड़पना नहीं पड़ेगा। अब उसे अपने प्लान को इंप्लिमेंट करने के लिए बस सास ससुर को मनाना होगा। रूबी पहले लखविंदर से बात करके उसकी सहमति लेना चाहती थी। अगर लखविंदर मान जाता है तो फिर काम आसान हो जाएगा।

तगड़े लण्ड को भोगकर रूबी उसकी दीवानी हो गई थी। वो खुद ही किसी तरह रामू से चुदवाने के लिए प्लान बनाने लगी थी। रामू ने सच ही बोला था की अगर वो एक बार उसके नीचे लेट गई और चुदवा लिया तो दुबारा खुद ही छुदवाने के लिए आएगी। रामू की बात बिल्कुल सच होने जा रही थी। अगले दिन लखविंदर का फोन आता है।

रूबी- हेलो।

लखविंदर- अरे मेरी जान क्या कर रही हो?

रूबी- कुछ नहीं बस टीवी देख रही हूँ।

लखविंदर- मैंने सोचा मुझे याद कर रही होगी।

रूबी- अरे याद तो उनको करते हैं, जो दूर हों। आप तो हमेशा मेरे दिल के करीब ही रहते हैं।

लखविंदर- अच्छा जी। पर हम तो आपको याद ही करते रहते हैं।

रूबी- क्या याद करते हो?

लखविंदर- बस आपके बारे में सोचते रहते हैं की कब छुट्टी मिलेगी और आपसे मिलेंगे और प्यार करेंगे।

रूबी- अच्छा जी?

लखविंदर- सच में तुम्हारे बिना दिल नहीं लगता। बहुत तड़प रहे हैं आपसे मिलने के लिए।

रूबी- तो छुट्टी ले लो और आ जाओ।

लखविंदर- यार छुट्टी का तो पंगा है। मिलती नहीं इतनी जल्दी।

रूबी- तो फिर ऐसी ही तड़पते रहो।

लखविंदर- "जान तुम्हें प्यार करने का बहुत दिल कर रहा है। अगर काम की मजबूरी ना हो तो तुम्हें छोड़कर कभी ना जाऊँ..."

रूबी- अच्छा वो सब छोड़ो, मैंने एक बात करनी है आपसे।

लखविंदर- बोलीए जनाब।
प्यास बुझाई नौकर से Running....कीमत वसूल Running....3-महाकाली ....1-- जथूराcomplete ....2-पोतेबाबाcomplete
बन्धन
*****************
दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
मगर आप जैसे दोस्त नसीब वालों को मिलते हैं!
*****************
Jemsbond
Super member
Posts: 6659
Joined: 18 Dec 2014 12:09

Re: Adultery प्यास बुझाई नौकर से

Post by Jemsbond »

रूबी- मैं सोच रही थी की सदियों में मैं और मम्मीजी पिछले पार्क में धूप में बैठते हैं, तो हमें घर के अगले दरवाजे से जाना पड़ता है। और पार्क तो हमारे कमरे के पीछे है बिल्कुल। तो मैं सोच रही थी के हमारे कमरे और प्रीति के कमरे के बीच जो छोटी सी गली है, वहां से अगर दरवाजा निकाला जाए तो हमें आसान रहेगा और घूमकर नहीं जाना पड़ेगा।

लखविंदर- बस इतनी सी बात। मैं पापा से बात कर लेता हूँ।

रूबी- पक्का ?

लखविंदर- अरे मेरी जान पक्का हो जाएगा। अब किस दो पहले।

रूबी जो की अंदर से खुश थी होंठों की किस देती है- “मुआअहह.."

लखविंदर- लव यू बेबी।

रूबी- लव यू डियर।

फिर दोनों कुछ देर और बातें करते रहते हैं। रूबी खुश थी की लखविंदर झट से ही मान गया। अब कोई इश्यू नहीं होगा और पापा को भी लखविंदर खुद ही मना लेगा। मेरा काम तो आसानी से बन गया। बस पापा मान जाएं। बस एक बार दरवाजा निकल आए तो मैं रात को रामू से मिल सकूँगी। वो दिन गुजर जाता है और रात को खाने के टाइम सभी बैठे खाना खा रहे होते हैं।

हरदयाल- बहू, लखविंदर का फोन आया था। वो बोल रहा था की तुम्हारे कमरे के साथ दरवाजा निकालना है, जिससे तुम।हे और तुम्हारी सासू माँ को घूमकर ना जाना पड़े पिछली साइड.."

रूबी- जी पापा। घूमकर जाना पड़ता है तो अच्छा नहीं लगता। ऐसे सीधे ही पीछे बैठ सकते हैं, आराम रहेगा।

कमलजीत- हाँ अगर ऐसा हो जाता है तो ठीक ही रहेगा। हमें इतना घूमकर पीछे धूप में बैठने के लिए नहीं जाना पड़ेगा।

हरदयाल- जब घर बनाया था मैंने तो तुम्हें बोला ही था की इस साइड भी दरवाजा रख लेते हैं, तुमने ही मना किया था।

कमलजीत- अरे तब बात कुछ और थी। मुझे क्या पता था की सर्दियों में पूरा दिन हम पीछे ही काटेंगे।

हरदयाल- ठीक है मैं देखता हूँ।

रूबी- ठीक है पापा।

हरदयाल गाँव के आदमी को बोलता है, जो लक्कड़ का काम करते हैं। वो कल आ जाएगा उससे बात कर लेना।

रूबी- जी।

रूबी अब फूले नहीं समा रही थी। उसकी मन की इच्छा पूरी होने वाली थी। बस कुछ दिन और। फिर उसे रामू से मिलने में कोई प्राब्लम नहीं होने वाली थी। रात को सोते टाइम रूबी और राम फिर से बातें करते हैं।

रूबी- मेरे पास तुम्हारे लिए साइज है।

राम- वो क्या होता है?

रूबी हँसते हुए- “कुछ नहीं बस कुछ दिन बाद पता चलेगा मैं क्या बोल रही थी?"

राम- अरे बताओ ना मेरी जान।

रूबी- बस खुद ही देख लेना कुछ दिन बाद।

रामू- मैंने क्या देखना। मैं तो सिर्फ आपको अपने सामने पूरी तरह नंगी देखना चाहता हूँ।

रूबी- अच्छा जी। इतनी तड़प?

खुद भी तो तड़प रही हो।

रूबी- बस कुछ दिन और मेरे राजा फिर शायद हमारी किश्मत में मिलना लिखा हो।

रामू को रूबी की बातों से कुछ उम्मीद बनती लगती है। रामू बोला- “ऐसा क्या हुआ जो आपको लगता है की दुबारा से हम दोनों मिल पाएंगे?"

रूबी- पागल, वही तो बोल रही हूँ की कुछ दिन इंतेजार करो शायद हमारी जिंदगी में एक दूसरे का प्रेम लिखा हो।

राम- सच में रूबी जी? आपसे मिलने के लिए तड़प रहा हैं। आपको अपनी बाहों में भरके प्रेम करना चाहता हूँ।

रूबी- रामू जी धैर्य रखो। जो किश्मत में होगा वो मिल जाएगा।

रामू- “आपकी बातों से लगता है की आने वाले दिनों में कुछ तो अच्छा होने वाला है.." और हँस देता है।

रूबी- हँस क्यों रहे हो?

रामू- बस आपके ऊपर।

रूबी- क्यों?

राम- आपकी बातों से लगता है की आपने कोई ना कोई तरकीब निकाल ली होगी मिलने के लिए।

रूबी हँसती है।

रामू- बताओ ना?

रूबी- हाँ कुछ ऐसा ही समझो की मिल सकते हैं।

रामू खुश हो जाता है- “कब, कैसे, कितना टाइम मिल पाएंगे? मालिक मालेकिन कही जा रहे हैं?

रूबी- धीरे-धीरे इतने सवाल इकट्ठे ही पूछ लोगे?

रामू- “बताओ ना मेरी रानी?” और रूबी को दुबारा भोगने की सोचते ही रामू का लण्ड टाइट होने लगता है।

रूबी- जल्द ही। मम्मी पापा कही नहीं जा रहे।

रामू- तो अगर कहीं नहीं जा रहे तो कैसे मिलेंगे उनके होते हए? अगर मौका मिलता भी है तो कितना टाइम मिल सकेंगे।

रूबी- मिल सकेंगे।

राम- कितना टाइम?

रूबी- जितना तुम चाहो।

रामू- मुझे तो तुम्हें अच्छे से चोदने का टाइम चाहिए।

रूबी- “धत्.."

राम- “धत्... क्या। बताओ ना जितना मैं चाह मिल सकेगा टाइम?"

रूबी- शायद मिल जाए।

फिर दोनों ऐसे ही बातें करते रहे। रात को भी रामू यही सोचते-सोचते हुए सो जाता है की पता नहीं रूबी किस टाइम की बात कर रही थी। रूबी भी अब जल्दी से अगले दिन का इंतजार करते-करते सो गई।
प्यास बुझाई नौकर से Running....कीमत वसूल Running....3-महाकाली ....1-- जथूराcomplete ....2-पोतेबाबाcomplete
बन्धन
*****************
दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
मगर आप जैसे दोस्त नसीब वालों को मिलते हैं!
*****************
Jemsbond
Super member
Posts: 6659
Joined: 18 Dec 2014 12:09

Re: Adultery प्यास बुझाई नौकर से

Post by Jemsbond »

(^%$^-1rs((7)
प्यास बुझाई नौकर से Running....कीमत वसूल Running....3-महाकाली ....1-- जथूराcomplete ....2-पोतेबाबाcomplete
बन्धन
*****************
दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
मगर आप जैसे दोस्त नसीब वालों को मिलते हैं!
*****************
Jemsbond
Super member
Posts: 6659
Joined: 18 Dec 2014 12:09

Re: Adultery प्यास बुझाई नौकर से

Post by Jemsbond »

अगले दिन दोपहर में कोई गाँव का आदमी जो की दरवाजे खिड़कियों का काम करता है, हरदयाल के घर आ जाता है। हरदयाल किसी काम के लिए शहर गया हआ था। तो बात अब सिर्फ रूबी और कमलजीत को ही करनी थी। बातों-बातों में पता चलता है की दरवाजा बनाने और फिट करने में चार दिन लगेंगे। रूबी को बस अब दिन ही गिनने थे और उसके बाद उसे और तड़पने की जरूरत नहीं पड़नी थी।

रात को फिर से राम रूबी से जानने की कोशिश करता है। पर रूबी फिर उसे बातों में ही उलझा लेती है और उसे दरवाजा निकालने के बारे में नहीं बताती। कुछ दिन निकल जाते हैं, और आखीरकार, सटर्डे के दिन दरवाजा अपनी जगह फिट हो जाता है। उस दिन दीवार तोड़ते हुसे दरवाजा फिट करता देखकर रामू को सारी गेम समझ में आ जाती है। आज तो रूबी के पैर जमीन पे नहीं टिक रहे थे। उधर राम भी समझ जाता है की जिस तरह रूबी उसके लिए तड़प रही है वो आज ही उसे भोग पाएगा। दोनों से रहा नहीं जा रहा था।

रात को राम रूबी के फोन पे काल करता है। पर रूबी फोन बार-बार काटती जाती है। राम समझ नहीं पाता की वो ऐसा क्यों कर रही है? आखीरकार, रूबी अपने कमरे में आ जाती है और राम का फोन पिक करती है।

राम- रूबी जी अपने तो हमें चकित कर दिया। पर आप फोन क्यों काट रहे हो?

रूबी- अरे मैं मम्मी पापा के साथ टीवी देख रही थी।

रामू- ठीक है मेरी जान। तो?

रूबी- तो क्या?

रामू- दरवाजा कब खालोगे?

रूबी- क्यों वो क्यों खोलना है?

रामू- दरवाजा खालोगे तभी तो अंदर आ पाऊँगा।

रूबी- नहीं रामू तुम अंदर नहीं आओगे मम्मी पापा यहां पे हैं। अगर उन्होंने हमारी बातें सुन ली तो मुश्किल हो जाएगी।

राम- तो?


रूबी- तो क्या?

रामू- आप आओगे?

रूबी चुप रहती है।

रामू- बताओ ना आप आओगे?

रूबी- पता नहीं देखती हूँ।

कुछ देर बातें करने के बाद दोनों घरवालों के सोने का इंतेजार करते हैं। रूबी को इंतेजार था की कब मम्मी पापा टीवी देखना छोड़ें और सो जाएं। उनके सोने के बाद ही वो कुछ कर पाएगी।

इधर राम अपने कमरे बैठा इस बात से अंजान था की घर वाले सोए हैं या नहीं। वो बार-बार फोन करके रूबी से बात करता है। पर अभी हरदयाल सोया नहीं था, और टीवी देख रहा था। कुछ देर बाद आखीरकार, हरदयाल टीवी बंद करके अपने कमरे में चला जाता है और पूरे घर की लाइटें आफ हो जाती हैं।

रामू यह सब देखकर खुश हो जाता है। अब कुछ देर का इंतेजार और वो रूबी को अपने सामने पाएगा। लेकिन आधा घंटा बीत गया, रूबी का नाम निशान नहीं। वो बार-बार फोन करता है पर रूबी उसे धैर्य रखने को बोलती है। रूबी असल में तसल्ली कर लेना चाहती थी की सास ससुर दोनों गहरी नींद में सो जाएं, तभी वो कोई रिस्क ले। इधर राम का बुरा हाल था। अपने कम्बल में बैठा टाइट लण्ड को सहला रहा था। लण्ड था की बैठने का नाम ही नहीं ले रहा था।
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
प्यास बुझाई नौकर से Running....कीमत वसूल Running....3-महाकाली ....1-- जथूराcomplete ....2-पोतेबाबाcomplete
बन्धन
*****************
दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
मगर आप जैसे दोस्त नसीब वालों को मिलते हैं!
*****************
Post Reply