Adultery कीमत वसूल

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Jemsbond
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Re: Adultery कीमत वसूल

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अगले दिन मैंने आफिस ना जाने का फैसला कर लिया। क्योंकी में रोज-रोज जल्दी नहीं आ सकता था। मैंने आफिस फोन किया की आज मेरी तबीयत ठीक नहीं है। कोई अजेंट काम हो तभी फोन करना।

पर ऋतु की आग उसे कैसे रुकने देती उसको? उसका फोन आ गया- "सर आपको क्या हुआ है?"

मैंने कहा- "ऐसे ही बुखार हो गया है."

मत बोली- "मैं आपके पास आ जाऊँ अगर आप कहो तो?"

मैं समझ गया इसकी चूत में खुजली हो रही है। पर मैंने कहा- "नहीं-नहीं, तुम कहां परेशान होगी आकर। वैसे भी मैं आराम ही कर रहा है.." और मैंने ऋतु को दो-तीन ऐसे काम समझा दिए, जिन कामों को वो दो दिन में भी नहीं कर सकती थी। मैं जानता था ऋतु को टाइम ही नहीं मिलेगा अब।

शाम को 5:00 बजे मैंने अनु को फोन किया। मैंने कहा- "कब तक आओगी?"

अनु बोली- "ऋतु के आने के बाद ही आएंगे.."

मैंने कहा- "ऋतु तो आने वाली होगी.."

अनु ने कहा- हम लोग 6:00 बजे के बाद ही निकलेंगे।

मैंने कहा- "ओके... जब निकलो मुझे फोन कर देना." कहकर मैंने अनु को फोन पर किस किया।

अनु ने भी हल्के से जवाब दिया। मैं समझ गया कोई उसके पास में होगा।

शाम को करीब 6:30 बजे अनु को एस.एम.एस. आया की हम निकाल रहे है।

मैंने 10 मिनट बाद शोभा को फोन किया और कहा- "मैं लेने आऊँ या खुद आ जाओगी?"
.
शोभा ने कहा- "हम दोनों आटो से आ रहे हैं..." फिर शोभा और अनु आ गये। अनु आज अपने बेबी को भी लेकर आई थी। मैं समझ गया की शोभा में घर पर कुछ ऐसा कहां होगा जिसकी वजह से बेंबी को भी लाना पड़ा।

मैंने शोभा से कहा- "मेरे गम के साथ वाले रूम में तुम आराम कर लो.."

शोभा ने बेबी को अपने पास ही रख लिया, और बोली- "अगर परेशान करेंगा तो बुला लगी.."

में शोभा की समझदारी की मन ही मन दाद देने लगा की उसको पता है की बेबी का अनु कहां संभालेंगी। मैं अनु को लेकर अपने रूम में आ गया। मैंने अनु को अपनी बाहों में भर लिया। अनु भी मेरे साथ प्यार से चिपक गई।

मैंने अनु को कहा- "अनु आज की रात हम दोनों के लिए बड़ी कीमती है। इस गत को यादगार बना दो."

अनु ने मेरे होंठों को चसकर कर कहा- "हाँ मेरे बाबू। आज की रात मुझे इतना प्यार दो की मैं कभी भूल ना सकू इस रात को.."

मैंने कहा- "फिर तुम पहले जाकर तैयार हो जाओ.."

अनु ने मुझे देखते हुए कहा- "मैं तैयार तो हूँ.."

मैंने कहा- "ऐसे नहीं। जाओं बाथरुम के साथ ही ड्रेसिंग रूम है। वहां से कोई मस्त सी ड्रेस पहनकर तैयार हो जाओ..."

अनु चली गई। तब मैंने एक पेंग बना लिया और उसका इंतजार करने लगा। अनु जैसे ही बाहर आई मैं उसको देखता ही रह गया. "ओहह... माई गोड." अनु तो जैसे कोई परी लग रही हो। स्लीवले श बनेक नाइटी में उसकी गोरी गोरी बाहें, उसके गोरे-गोरे गाल, उसकी काली-काली आँखें और उसके गुलाब की पंखुड़ियों जैसे होंठ, उसपर उसकी खुली हुई जुल्फे जैसे काई काली घटाएं छा गई हो। कयामत ढा रही थी अनु। मुझे होश में रहना भारी पड़ रहा था। मैंने तो सिर्फ एक पेंग पिया था, पर ऐसा लग रहा था जैसे पूरी बोतल का नशा हो गया हो। उसको आज इस रूप में मैंने पहली बार देखा था मुझे कुछ-कुछ होने लगा। अनु मेरे पास आई तो मैं बैंड पर उठकर बैठ गया।

अनु ने कहा- "कैसी लग रही हूँ?"

मेरे मह से सिर्फ यही निकला- "गार्जियस.."

अनु ने अपनी कातिल मश्कल बिखेरी, और घूम गई। उसने घूमकर अपने कूल्हों को मटकाया। उसकी गोल मटोल गाण्ड नाइटी में गजब का लक दे रही थी। मेरे से रुका नहीं गया। मैं बैंड के कार्नर पर आ गया। मैंने अपनी बाहों को फैला दिया। अनु मेरे पास बड़े स्टाइल से चलती हुई आई, और उसने मुझे बेड पर धक्का देकर गिरा दिया। फिर अनु मेरे ऊपर आकर बैठ गई। उसने मेरे होंठों पर अपने गुलाबी रस भरे होंठों रख दिए, तो मेरा चेहरा उसकी जुल्फों में टक गया।

अनु के होंठों में मेरे होंठ चिपके हए थे। अचानक अनु ने मेरे मुह में अपनी जीभ डाल दी। मैं अनु की जीभ को चूसने लगा। अनु की महकी-महकी सांसे मेरे पूरे जिम में बिजलियां भर रही थी। मैं अनु की जीभ को चूसता रहा। फिर अनु ने मेरे मुँह से अपना मुँह हटा लिया। मैं तो आज सच में कोई ख्वाब देख रहा था, अनु मेरे ऊपर से हट गईं। उसने मेरे पास लेटते हए अपनी नाइटी को अपनी जांघों तक उठा लिया। मैं तो अनु की गोरी गोरी मासल जांघों को देखता ही रह गया
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Re: Adultery कीमत वसूल

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अनु ने मुझे अपनी उंगली से इशारा किया। मैं उसकी जांघों पर अपनी जीभ फिराने लगा। मैं अब कंट्रोल से बाहर होने लगा था। मैंने अनु को बेड पर लिटा दिया। मैं उसके ऊपर आ गया, और अनु की गोरी गोरी बाहों को चूमना शुरू कर दिया।

अनु तो आज जैसे मुझे पागल बना देंगी ऐसा सोचकर आई थी। उसने अपनी दोनों बाहों को ऊपर कर दिया। अनु की गोरी गोरी चिकनी काँख मुझे दीवाना बना रही थी। मैंने अपनी जीभ को उसकी काँख पर रख दिया।

अनु ने सेक्सी आवाज में कहा- “सम्स्सी या

में अनु की काँखों को चूसने लगा। अनु उइंड बाबू उईईई करती रही पर मैं रुका नहीं। मुझे आज कोई अपनी कैटेगरी का खिलाड़ी मिला था। मैं ये मोका हाथ से नहीं जाने देने वाला था। फिर मैंने अनु की नाइटी को उतार दिया। अनु ने नाइटी के नीचे ब्लैक कलर की ब्रा पहनी हुई थी। उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां बा में बड़ी मुश्किल में बंद थीं। मैंने अनु की कमर में हाथ डालकर हुक खोल दिया। ब्रा उसकी तनी हुई चूचियों पर गिरी हुई थी। मैंने अपने मुंह से उसकी बा को उठा लिया।

अनु की गोरी छातियां अब मेरे सामने थी। उसके ब्राउन कलर के मोटे-मोटें निपल बड़े सेक्सी लग रहे थे। मैंने उसके निपल को मुँह में ले लिया, और उसकी चूची को हाथ से दबा दिया।

"आहह... उहह... अहह." अनु की सिसकियां मेरे कानों में पड़ने लगी। मैं उसकी चूची को थोड़ा और जोर से दबाते हए उसके निपल को चूसने लगा। अनु का दूध मेरे मुँह में आ गया। अनु के जिएम पर अब सिर्फ बलेक पेंटी थी। मैंने अनु की दूसरी चूची को भी चूसना शुरू कर दिया।

अनु सिर्फ सिसकियां ले रही थी- "आहाह... उहह... उम्म्म्म ..."

मैंने अनु की दोनों चूचियों को साथ में मिला दिला, और उसके दोनों निपल एक साथ अपने मुँह में डालकर चसने लगा। अनु इस चसाई में पागल हो गई। उसने मेरे सिर पर अपने दोनों हाथ रख दिए और मेरे को अपनी चचियों पर दबाने लगी।

मैने अब अनु की चूची से मुँह हटाकर उसकी चूचियों को हाथ में ऊपर उठा दिया और में उसकी चूचियों को अपनी जीभ से नीचे से चाटने लगा। मैं आज अनु के जिस्म के हर हिस्से को प्यार करने वाला था। मैंने अनु के पेंट पर अपनी जीभ रख दी, और अपनी जीभ उसके पेट से उसकी नाभि तक ले आया। मैंने उसकी नाभि के चारों तरफ जीभ घुमा दी। फिर मैंने अपनी जीभ को उसकी नाभि पर रख दिया।

.
अनु की सिसकियां आने लगी. "उम्म्म्म
... बाबू उईई.."

में अनु की नाभि में अपनी जीभ डालकर अनु को तड़पा रहा था। फिर मैंने अनु की नाभि से लेकर उसकी चत के ऊपर तक अपनी जीभ फेरी। अनु की सैम सिसकियां गम में गंजने लगी। मैं अनु को परे दिल से प्यार कर रहा था। मैंने अनु की पेंटी के ऊपर से उसकी चत को मैंह में भर लिया। अनु ने अपने हाथ से मेरे सिर को अपनी चूत पर दबा दिया। मेरे सासों में अनु की चूत के पानी की खुशबू बस गईं। में अनु की चूत को उसकी पैंटी के ऊपर से ही चूसने लगा, उसकी चूत का रस मुझे अच्छा लग रहा था।

अनु भी स्वर्ग में थी- "बाबू आ ऊऊऊ.. आह्ह.." की उसकी सिसकियां में सुन रहा था।

मैंने फिर उसकी पैंटी को पकड़कर खींच दिया। अनु की चिकनी चूत अब मेरे सामने थी। अनु की चुत की कशिश मुझे अपनी ओर खींच रही थी। मैं रुक नहीं सका। मैंने अपना मुँह अनु की चूत पर रख दिया। मैं अनु की चूत को चूसता ही रहा, जैसे की वो कोई रस भरा आम हो।

जब अनु को बर्दाश्त नहीं हुआ तो उसने मेरे को कहा- "बाबू अब लण्ड डालो ना.."

मैंने कहा- जान। अभी रुका थोड़ा।

अनु बोली- "ना बाबू.. और नहीं रुका जा रहा आहह... आईईई.."

मैंने अनु को कहा- "पेट के बल लेटा पहले..."

अनु लेट गई। मैने अनु की चूतड़ों पर तीन-चार बाइट लिए, तो अनु- "उईईई... आईईई बाबू आह्ह... करने लगी। मैंने अनु की कमर पर अपनी जीभ रख दी। मैं उसकी कमर को अपनी जीभ से चाटने लगा। अनु को अब शायद और रूकने की हिम्मत नहीं हुई।

अनु बोली. "बाबू, मैं मर जाऊँगी..."

मैंने अनु के होंठों को अपने होंठों में लेते हुए कहा- "जाजू। ऐसा फिर कभी मत कहना..' औं मैंने अनु की चूत में अपना लौड़ा डाल दिया।

अनु मेरे, लौड़े को लेकर इतना खुश हो गई जैसे उसको कोई खजाना मिल गया हो।

मैंने अनु की चत में अपने लण्ड को जड़ तक घसा दिया और कहा- "अब तो मजा आ रहा है ना?"

अनु ने अपनी आँखों को बंद कर रखा था, बोली- "बाब, मेरे बाब, मेरे शोना... फिर अनु ने अपनी दोनों टांगों को मेरी कमर पर रख दिया। उसने अपनी टांगों से मुझे कसकर दबा लिया।
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Re: Adultery कीमत वसूल

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Re: Adultery कीमत वसूल

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मैं अनु को फुल स्पीड में चोद रहा था। अनु मेरी कमर पर अपने नाखून को गड़ा रही थी, पर मुझे इस टाइम कोई दर्द महसूस नहीं हो रहा था। हम दोनों इस समय सिर्फ चुदाई में मस्त थे। मैने अनु की चूची को मुँह में लेकर चूसा।

अनु की सिसकी भरी आवाज आई- "आईई बाबू दर्द होता है.."

मैंने कहा- कहां दर्द होता है?

अनु ने कहा- चूचियों पर।

मैंने कहा- "चूची... वो क्या होता है?" कहते हुए मैंने फिर से उसके निपल को कस के चूमा।

अनु बोली- "आह्ह... उईईई...

मैंने कहा- "कहा दर्द हो रहा है?"

अनु ने कहा- "बाबू चूची में। आप निपल को काट लेटे हो। आईई.."

मैंने कहा- "अच्छा चूची... अब कसकर नहीं घुसूगा। अनु मेरी जान तुमने मुझे उस टाइम जो कहा था वो फिर से कहो। मुझे अच्छा लगा था सुनकर.."

अनु ने कहा- "मेरे बाब, मेरे पिया आहह... उईईई इस्स्स्स
."
मैं अपना लण्ड निकालकर एक ही धक्के में घुसा रहा था। मेरे ऐसा करने से अनु को दर्द के दौर से गुज़रना पड़ा
-
में अनु की चूत में अपना लण्ड साथ मजा भी आ रहा था।

फिर अनु ने कहा- "बाबू, आपको मेरा नाम पता है?"

मैंने कहा- "अनु.."

अनु ने मुश्कुराकर कहा- "नहीं बाबू, मेरा नाम है अनुपमा। पर सब मुझे अनु ही कहते हैं.."

मैंने कहा- "अनुपमा मुझं तुमने भी पहले कभी नहीं बताया..."

-
अनु ने कहा- "अब बता रही हैं मेरे साजन। एक बार कहो ना..."

मैंने कहा- अनुपमा। अनुपमा मेरी जान।

फिर अनु बोली "काश में आपकी हो सकती?"
---
मैंने कहा- "अनु मेरी जान... मैं तुम्हें अपने से कभी दूर नहीं होने दूंगा..."

अनु ने कहा- "बाबू मुझे अपने साथ ही रखना, कभी टूर मत करना। नहीं तो मैं आपके बिना मार जाऊँगी..."

मैंने अनु के मुँह पर हाथ रख दिया, और कहा- "अनु मेरी जान, ऐसा फिर ना कहना.." अनु पर पता नहीं आज मुझे कितना प्यार आ रहा था।

उधर अनु भी अपने पूरे प्यार को मुझ पर न्योछावा कर रही थी।

मैंने अनु से कहा- "अनु तुम घोड़ी बन जाओ."

अनु ने घोड़ी बनकर कहा- "बाबू जल्दी से डालो ना..."

मैंने अनु की चूतड़ों पर एक थपकी दी। अनु के मुँह से आईईई निकला। फिर मैंने अनु की दोनों टांगों को अपने हाथ से थोड़ा सा फैला दिया। अब अनु की चूत पीछे की तरफ उभर आई थी। मैंने अनु से कहा- "तुम अपना मुँह बैंड पर रख लो आराम से। फिर मैंने अनु की चूत में अपना लौड़ा घुसा दिया।

अनु ने मेरे लण्ड की पहली चोट पर आईईई की सिसकी मारी। मेरे लण्ड को अपनी चत में पूरा भरने के लिए अनु अपनी गाण्ड को पीछे कर रही थी। मेरे लण्ड की हर चोट पर अनु और मस्ता रही थी। मैं अनु के चूतड़ों पर हाथ फिराने लगा। फिर मैंने अनु की गाण्ड में उंगली डाल दी। उईईई की सिसकी मारी अनु ने। मैं उसकी गाण्ड में उंगली को ऐसे ही डाले रहा। मैंने कस कस के तीन-चार धक्के मारे।

अनु को भी मजा आने लगा। फिर मैंने अनु की गाण्ड में अपना अंगूठा डाल दिया, और उसको अंदर-बाहर करते हए धक्के मारने लगा। अनु की चूत पानी-पानी हो रही थी। पता नहीं अनु की चूत अब तक कितनी बार झड़ चुकी थी। फिर मैंने अनु को सीधा करके लिटा दिया और। उसकी दोनों टांगों को फैलाकर ऊपर उठा दिया, और उसकी चूत में लण्ड। डाल दिया। मैं अब झड़ने ही वाला था।

मैंने अनु से कहा- "अनु मेरी जान मैं झड़ने वाला है."

अनु ने कहा- "बाबू। बुझा दो मेरी प्यास आअहह... अपने प्यार की बारिश कर दो सस्स्सी ... आहह.."

मैं अनु की चूत में अपने लण्ड की स्पीड बढ़ाकर झड़ गया, मेरे मुँह से झड़ने के बाद निकला- "हाँ अनु मेरी जान ऊऊऊ... उह.. मैं फिर अनु की चूत में लण्ड डाले ऐसे ही पड़ा रहा।
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Re: Adultery कीमत वसूल

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अनु ने भी मेरी कमर पर अपनी टाँग रखकर मुझे खुद से अलग नहीं होने दिया। वो मेरे लौड़े को अपनी चूत से बाहर निकालने से रोक रही थी।

फिर जब मैंने अनु की चूत में लण्ड बाहर निकाल लिया और अनु को देखा तो अनु मुझे ही देख रही थी। उसकी निगाहें मुझे ऐसे देख रही थीं, जैसे मैंने उसको नियां का सबसे अनुमोल तोहफा दे दिया हो।

मैंने अनु को प्यार से कहा- "जानेमन क्या हआ? ऐसे क्यों देख रही हो?"

अनु ने कहा- "आप पर प्यार आ रहा है..."

मैंने कहा- कितना?

अनु ने कहा- बता नहीं सकती।

फिर मैंने अनु को कहा- "जान लण्ड को साफ कर दो..."

अनु ने मेरे लण्ड को तौलिया से बड़े प्यार से साफ किया। फिर उसी से अपनी चूत को पोंछने लगी। उसकी चूत से पानी अभी तक टपक रहा था। अपनी चूत को अच्छी तरह से साफ करके अनु मेरे पास लेट गई। मैंने उसको अपने करीब खींच लिया। अनु फिर मेरे सीने के बालों में अपनी उंगलियां फेरने लगी।

मैंने उसको अपने से चिपका लिया, फिर कहा- "मजा आया ना?"

अनु ने कहा- "जितना सुख आप देते हो, उतना तो मैंने कभी सोचा भी नहीं था."

मैंने कहा- अच्छा ये तो बताओ सबसे ज्यादा मजा कब आया था?

अनु ने कहा- "आपको बता दिया तो आप हँसोगे.."

मैंने उसको चूमते हुए कहा "बताओ ना। शर्माया मत करो..."

अनु बोली- "नहीं। आपको कहते हुए शर्म आती है."

मैंने अनु की जांघों को सहलाते हुए कहा. "जाजू अब भी मुझसं शर्म करती हो?"

मेरे सीने पर अपने मुँह दबाते हुए अनु बोली "जब आपने घोड़ी बनाकर करते वक़्त उंगली डाली हुई थी तब.."

मैंने कहा- कहां उंगली डाली हुई थी?

अनु बोली- वहां पीछे।

मैंने कहा- उसको क्या कहते हैं?

अनु बोली- "आपको सब पता है, मैं नहीं बताती...'

मैंने कहा- "मैं एक बार तुम्हारे मुँह से सुनना चाहता हूँ। साफ-साफ कहो.."

अनु बोली- आप नहीं मानोगे?"

मैंने कहा- उन्नह।

अनु बोली- "आपने जब मेरी गाण्ड में उंगली डाली थी मुझे चोदते हुए, तब..." और कहकर मेरे सीने में फिर से मुँह छुपा लिया।

मैंने कहा- "उहह... मुझे तो पता ही नहीं था इस बात का.."

अनु बोली- अब तो पता चल गया?

मैंने कहा- हौं।

हम दोनों ऐसे ही बातें करते रहे फिर मैंने अनु से कहा- "नींद तो नहीं आ रही?"

अनु ने कहा- नहीं।

मैंने कहा- यार मेरा काफी पीने का मन कर रहा है साथ में कुछ खाने का भी।

अनु बोली- "फिर, सोच क्या रहे हैं..."
.
मैंने कहा- "प्राब्लम में है की अब तक नौकर अपने रूम में जाकर सो गया होगा। उसको उठना पड़ेगा..."

अनु ने कहा- "आप मुझे बस इतना बता दीजिए किचेन कहां है? मैं बनाकर ले आती ."

मैंने कहा- रहने दो, तुम कहां परेशान होगी?

अनु ने कहा- "बाबू एक बार मेरे हाथ का बना खाकर देख तो ला लीज़... मुझे कुछ आता भी है या नहीं?" कहकर अनु ने आँख मारी।

मैंने कहा- तुम्हें सब आता है, मुझे पता है। पर मैं तुमको इस टाइम परेशान नहीं करूंगा।

अनु बोली- "क्या आप, मेरे ऊपर इतना भी हक नहीं समझते."

मैंने मुश्कुराकर कहा- "समझता हूँ। अच्छा जाओं बना लाओ.."

अनु ने कहा- "पहले मैं नहाकर आती हूँ। फिर जाऊँगी."

मैंने कहा- ऐसे ही बना लाओ।

अनु ने कहा- नहीं बाबा किचेन में ऐसे नहीं जाते।

मैंने कहा- ओके... तुम्हें जैसा करना है कर लो।

अनु ने कहा- आप भी चलकर हाथ धो लो।

में अनु के साथ बाथरूम में चला गया।
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