Adultery कीमत वसूल

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Jemsbond
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Re: Adultery कीमत वसूल

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(^%$^-1rs((7)
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दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
मगर आप जैसे दोस्त नसीब वालों को मिलते हैं!
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Re: Adultery कीमत वसूल

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में अनु के साथ बाथरूम में चला गया।

वहां जाकर अनु ने मेरे लौड़े को धोकर साफ किया फिर मुझसे कहा- "अब आप जाओ, मैं नहाकर आती हैं..."

में अनु को प्यार से देखता हुआ बाहर आ गया। थोड़ी देर बाद अनु भी बाहर आ गई।

उसने मुझसे कहा- बाबू किचेन कहां है?

मैंने कहा- "आओं में चलकर दिखाता है. फिर मैं अनु को किचन में ले गया।

जाते ही अनु ने कहा- "बाउ। आपकी किचेन कितनी बड़ी है?"

मैंने कहा- हौं।

अनु ने कहा- ऐसे किचन में कितना मजा आएगा खाना बनाने में?

मैंने कहा- अभी तुम सिर्फ काफी बनाओ।

अनु मुझं देखकर शरारत से बोली- "मुझे पता है, आपको किस बात की जल्दी है."

मैंने कहा- "और कुछ पूछना है या मैं जाऊँ?"

अनु ने कहा- "आप जाओ, मैं बनाकर लाती हैं. और थोड़ी देर में अनु काफी बनाकर ले आई और साथ में बटर टोस्ट। उम्म्म्म । अनु ने मुझे काफी का मग देते हए कहा- "अगर अच्छी ना लगे तो बता दीजिए में फिर से बनाकर ले आऊँगी."

मैने कूफी का घुट भरा तो सच में ऐसी काफी थी जैसी में पसंद करता है। मैंने अनु को कहा- "तुम्हें कैसे पता की मैं ऐसी काफी पीता हैं?"
अनु ने पलके झका कर कहा- "आपसे प्यार करती ह ना इसलिए."

में अनु को देखता ही रह गया। हम दोनों ने काफी पी ली तब अनु ने शरारत भारी आवाज में कहा- "मेरे प्यारे - प्यारे देवता जी आपकी भख शांत हो गई या और कुछ खाजा है?"

मैंने कहा- हौं खाना है।


अनु ने अपनी आँखों को बड़ा-बड़ा करके कहा- "क्या खाना है?"

मैंने कहा- "तुमको.." और मैंने अनु को अपनी बाहों में भरकर उसके गाल पर काट लिया।

अनु ने कहा- "आईईई.." फिर बोली- "मेरे देवता जी तो नानवेज लग रहे हैं."

मैंने कहा- मैं वैसे तो वेज हैं पर अगर इतना टेस्टी नानवेज मिल जाए तो कैसे छोड़ द?"

अनु खिलखिलाकर हँसने लगी। सच में उसकी हँसी ने मेरे कब से उदास रूम में किसी के हाने का एहसास करा दिया। मैं अनु से कुछ नहीं बोला।
पर मेरी उदासी को देखकर अनु मेरे से बोली- "आप क्या सोच रहे हो?"

मैंने कहा- "कुछ नहीं। बस यही सोच रहा हूँ की तुम हँसती हो तो कितनी प्यारी लगती हो?"

अनु ने मझे प्यार से देखा फिर भपर्न
र से देखा फिर अपनी आँखों को बंद कर लिया। मैं उसके होंठों को चूमने लगा।

अनु ने कहा- "मेरे होंठों पर मुश्कुन देने वाले तो आप ही हो। पर जब मैं आपसे दूर जाने की सोचती भी हूँ तब्ब मुझे कुछ होने लगता है.."

मैंने कहा- "तुम मेरे से दूर कहां जा रही हो?" फिर मैंने अनु को अपनी गोद में उठाकर कहा- "जान चला तुमको कहीं ले चलता हैं.."

अनु ने मेरे गले में अपनी बांह डालकर कहा- "चलिए जहां ले जाना है ले चलिए..."

मैं उसको उठाकर बेड पर ले आया। मैंने उसको बैंड पर लिटा दिया।

अनु हँसते हुए बोली- "मुझे यहां छोड़कर आप कहां जा रहे हो?" और उसने मेरे हाथ को पकड़कर मुझे अपने पास खींच लिया।

में भी उसके पास लेट गया और मैंने उसको कहा- "अब यहां तो कपड़े उतार दो.."

अनु ने कहा- नहीं। अभी नहीं।

मैंने कहा- क्यों?

अनु ने कहा- पहले आप अपने कपड़े उत्तरो।

मैंने अपने कपड़े उतार दिए। फिर मैंने अनु को देखा, और कहा- "अब उतार दो...'

अनु ने बैंड पर बड़ी मस्त सी अंगड़ाई लेते हुए कहा- "उम्म्म्म
... मन नहीं है."

मैंने कहा- "अच्छा मेरे उत्तरवा दिए और खुद नहीं उतार रही..."

अनु बैड पर अपना मुँह छुपाकर लेट गईं। मैंने अनु की नाइटी को उसकी टांगों से ऊपर उठाकर उसके चूतड़ों तक कर दिया। अनु ने पैंटी नहीं पहनी थी। अब मैंने उसके गोल-गोल चूतड़ों पर काट लिया।

"आईईई... किया अनु ने।

मैंने कहा- जल्दी से उतरो नहीं तो?

अनु ने ऐसे ही लेटे-लेटे कहा- नहीं तो?

मैंने कहा- "और काढूंगा..."

अनु बोली- नहीं।

मैंने कहा- हाँ।

अनु बोली- फिर का रोने लगेगी।

मैंने कहा- फिर मैं प्यार से चुप करवा दूंगा।

अनु बोली- "आप बड़े जिद्दी हो। आपकी बात मान ही लेती हूँ." कहकर उसने अपनी नाइटी को उतार दिया।

मैंने अनु की चूची को अपने मुँह में लेकर कहा- "काफी में दूध कौन सा डाला था?"

अनु समझ गई। उसने भी बड़ी शरारत से कहा, "आपकी काफी में ये वाला और अपनी काफी में दूसरा वाला...

मैंने कहा- तभी तो काफी का टेस्ट इतना बदिया था।

अनु हँसने लगी- "आप भी ना... मेरे से गंदी-गंदी बातें करते हो..."

मैंने कहा- ये बातें गंदी नहीं होती इनसे ही तो मजा आता है।

अनु ने बड़े भोलेपन से पूछा- कैसा मजा आता है?

मैंने कहा- लण्ड खड़ा हो जाता है।

अनु ने अपने मुंह पर हाथ रखते हुए कहा- "हाँऽ ..."

मैंने कहा- सच में।

अनु शर्मा गईं।
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Re: Adultery कीमत वसूल

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मैंने कहा- तुम भी तो ऐसी बातों से मूड में आ जाती हो।

अनु बड़ी हैरानी से बोली- "आपको किसने कहा?

मैंने कहा- किसी ने नहीं।

अनु बोली- फिर आपने कैसे कहा?

मैंने कहा- मुझे पता है।

अनु बोली- "बताइए ना किसने कहा? आपको मेरी कसम..."

मैंने कहा- कसम वापिस लो।


अनु ने कहा- "अच्छा वापिस ले ली। अब बताइए.."

मैने अपने सेल से अनु को वो वाली रेकार्डिंग सुनवा दी, जो ऋतु में मुझे रेकाई करके दी थी। सुनते-सुनते अनु शर्मा गई। मैंने उसके गाल पर चूमते हुए कहा- "अब बोल..."

अनु ने कुछ नहीं कहा। बस शर्माती रही।

मैंने कहा- तुमने मुझसे झूठ बोला। अब तुम्हें इसका पनिशमेंट मिलेगा।

अनु ने मुझे बड़ा मासूम होकर देखा और कहा- "क्या है पनिशमेट?"

मैंने कहा- अब तुमको सब कुछ साफ-साफ बोलना होगा। बोला ही या ना?"

:
अनु ने सिर झुका कर कहा- "ओके..."

मैंने उसको कहा- "चलो अब मेरे लण्ड को पकड़ो और बालो इसका क्या कहते हैं?"

अनु ने कहा- जी।

मैंने कहा- पकड़ो तो।

अनु ने अपने हाथ में मेरा लौड़ा पकड़ लिया, और मुझे देखने लगी।

मैंने कहा- अब ये बताओ तुम्हारे हाथ में क्या है?

अनु ने कहा- मुझे नहीं पता।

मैंने कहा- इसका नाम नहीं पता और इसको प्यार करती हो। करती हो या नहीं?

अनु ने कहा- हाँ करती हूँ।

मैंने कहा- फिर भी इसका नाम नहीं पता?

अनु ने कहा- "इसको लण्ड कहते है..." कहकर उसने मेरे लण्ड को छोड़ दिया और अपनी हीलिया से मैंह छपा लिया। मैंने उसकी हथेलियों को हटा दिया। अनु ने अभी तक आँखें बंद करी हुई थी।

मैंने कहा- आँखें खोला नहीं तो मैं सो रहा हैं।

अनु ने झट से आँखों को खोल दिया, और मेरी तरफ ऐसे देखा जैसे कह रही हो- "प्लीज मत सोना..."

मैंने उसको अपनी बाहों में भर लिया और चूम लिया। मैंने अब उसकी चूचियों को अपने हाथ में पकड़कर कहा "मेरे हाथ में क्या है?"

अनु ने मुझे देखा और कहा- "चूची."


मैं बोला- "गुड मेरे जान..." फिर मैंने अनु की चूत पर हाथ फेरा और कहा- "इसका क्या कहते हैं?"

अनु बोली- "बाबू। मैं नहीं बस.."

मैंने कहा- अछा लास्ट है बता दो।

अनु मेरे से चिपटकर बोली "चूत..."

मुझे हँसी आ गई। मैंने उसको अपनी बाहों में भरकर अपने साथ बेड पर लिटा लिया और उसके ऊपर अपनी टांग रख दी और उसको खुद से कसकर चिपका लिया। और उसकी जाँघ पर अपने लण्ड को दबाकर कहा- "देखो इसका मजा आ गया..."

अनु ने कहा- "हम्म्म्म
..."

मैंने अनु के होठों को चूसा तो उसने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी। मैं उसकी जीभ को चूसने लगा। अनु फिर से गरम होने लगी थी। मैंने उसको अपने ऊपर ले लिया और उसकी चूचियों को चसने लगा। अनु ने सस्स्स्सी करा। में अनु की चूचियों को चूसते हुए उसकी गाण्ड पर हाथ फेरता रहा। उसकी गाण्ड को अपने हाथ में जोर जार से मसल रहा था। फिर मैंने अनु का ऊपर से उतारा और उसकी दोनों जांघों को फैलाकर उसकी चत में अपना लण्ड घुसा दिया।

अनु की चूत पहले से ही मेरे लौड़े के स्वागत के लिए गीली थी। मेरा लण्ड अनु की चूत की गहराईयों में जाने लगा। अनु की चूत में जोर-जोर से धक्के मारते हुए मैंने अनु की चूचियों को चूसा। अनु भी अपनी गाण्ड को उठा-उठाकर मजा लेने लगी।

फिर मैंने अनु को कहा- "गाण्ड मरवायेंगी?"

अनु पूरी मस्ती में थी, बोली- "हो..."

मैंने कहा- "ऐसे नहीं। सही से बताओ..."

अनु बोली- "गाण्ड मरवानी है..."

मैंने उसको चूमते हुए कहा "अनु मेरी जान, मजा आ गया.."
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मैने अनु की चूत पा अपनी उंगली लगाकर उसकी चूत के पानी से गीली कर ली। अब मैं अनु की चूत मारतं हए उसकी गाण्ड में उंगली डालने लगा। फिर मैंने अनु की दोनों टांगों को ऊपर कर दिया और उसकी गाण्ड पर लण्ड रखकर दबाया। लण्ड उसकी गाण्ड के छेद पर टकराया तो मुझे थोड़ा सूखा-सूखा लगा। मैंने फिर से अनु की चूत में लण्ड डाल दिया और उसकी गाण्ड को फिर से अपनी उंगली से चिकनी करने लगा। अबकी बार मैने अनु की टाँगें ऊपर करके जब उसकी गाण्ड में लण्ड दबाया तो मेरा सपाड़ा अनु की गाण्ड में चला गया।

अनु ने आँखें बंद करके सिसकी ली- "ओहह... माँ आह्ह...

अनु की ऐसी सिसकिया सुनकर मुझे अब महसूस हो गया था की अब अनु की गाण्ड मेरे लण्ड को झेलने लायक हो गई है। मुझे अब यकीन हो गया था की अनु की गाण्ड को अब मेरे लौड़े की आदत हो गई है। मैंने अपने लण्ड को जार से धक्का मारा, तो मेरा आधे से ज्यादा लण्ड अनु की गाण्ड में चला गया।

अनु ने सिर्फ- "इसम्स्स... आअहह.." किया।

मैंने अपने लण्ड को थोड़ा सा बाहर निकालकर अनु की गाण्ड में फिर से धक्का मारा, तो अबकी बार मेरा परा लौड़ा अनु की गाण्ड में जड़ तक चला गया। अनु की दोनों टांगों को मैंने कसकर पकड़ा हआ था। मैंने 8-10 धक्के मारने के बाद अनु की टांगों को छोड़ दिया।

अब अनु की गाण्ड में मेरा लण्ड मजे से आ जा रहा था। अनु भी सिर्फ मस्ती बाली सिसकियां ले रही थी उसकी सिसकियों में पहले जैसा इर नहीं था। लेकिन इस पोजीशन में गाण्ड मारने का मजा नहीं आ रहा था।

मैंने अनु को कहा- "जान घोड़ी बन जाओ.."

अनु घोड़ी बन गईं। मैंने उसके दोनों चूतड़ों को फैलाते हुए लण्ड को उसकी गाण्ड पर दबाया। एक ही धक्के में लण्ड उसकी गाण्ड में चला गया। अनु भी अब अपनी गाण्ड को आगे-पीछे करने लगी थी। मैंने उसकी गाण्ड से अपना लण्ड बाहर निकाल लिया और उसके दोनों चूतड़ों को फैलाकर उसकी गाण्ड को देखा। अनु की गाण्ड खल गई थी। उसकी गाण्ड में मैंने फिर से अपना लौड़ा डाला तो बिना किसी रुकावट के जाने लगा। आखीरकार वो तो होना ही था।

मैंने अनु की गाण्ड में अपने लण्ड को तेज-तेज धक्के मारते हुए झाड़ दिया। अनु की गाण्ड मारने में आज सच में मजा आया था। क्योंकी एक तो अनु को दर्द नहीं हो रहा था, दूसरा उसको भी गाण्ड मरवाने में मजा आ रहा था। लेकिन एक बात पक्की थी की अनु की गाण्ड जैसी गाण्ड मैंने पहले कभी नहीं मारी थी। उसका कारण में था की अनु ने मुझसे पहले किसी का लौड़ा अपनी गाण्ड में नहीं लिया था, इसलिए उसकी गाण्ड बिल्कुल कैंचारी थी। दूसरे उसके गोल मटोल गोरे-गोरे चूतड़ इतने मस्त थे की उसकी गाण्ड मारने में अलग ही मजा आता था। लण्ड की ठाप से उसके चूतड़ जब थिरकते थे तब अलग ही सीन होता था। मैं झड़ कर अनु के पास लेट गया। अनु भी संधी लेटी हुई थी।

मैंने अनु को कहा- "मजा आ गया। आज तुमनें खुश कर दिया.."

अनु ने प्यार से कहा- “मेरा बाबू खुश हो गया."

फिर मैंने कहा- "अब मेरा उठने का मन नहीं कर रहा। मेरे लण्ड को साफ कर दो ना प्लीज..."

अनु ने कहा- नहीं बाथरूम चलिए।

मैंने कहा- मन नहीं कर रहा।


अनु ने कहा- "उठिए ना... मैं आपका लण्ड धोउंगी, आप बस खड़े रहना.."
-

उसकी बात सुनकर मैं मुश्कुरा उठा, और कहा- "चलो.." हम दोनों बाथरूम में गये। वहां अनु ने मेरे लण्ड को साबुन लगाकर बड़े प्यार से धोया फिर तौलिया से पॉछ दिया।

मैंने कहा- "तुमने मेरे लण्ड को बड़े अच्छी तरह से धोया है कोई खास वजह है?"

अनु ने शर्माते हुए कहा- " हाँ जी है.."


मैंने कहा- क्या?

अनु ने कहा- "रूम में जाकर पता चल जाएगा। अब आप जाइए में आती हैं..."
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