Erotica साहस रोमांच और उत्तेजना के वो दिन complete

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rajaarkey
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Re: साहस रोमांच और उत्तेजना के वो दिन!

Post by rajaarkey »

बहुत ही शानदार अपडेट है दोस्त

😠 😱 😘

😡 😡 😡 😡 😡 😡
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kunal
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Re: साहस रोमांच और उत्तेजना के वो दिन!

Post by kunal »

सुनीता की बात सुनकर सुनील की ख़ुशी का ठिकाना ना रहा। काफी अरसे के बाद उस रात सुनीता ने अपने पति को सामने चलकर उसे चोदने के लिए आमंत्रित किया। सुनील के लिए यह एक चमत्कारिक घटना थी। सुनील सोचने लगा कहीं ना कहीं कर्नल साहब के बारे में हुई बात का यह असर है। इस का मतलब यह हुआ की सुनीता को कर्नल के बारेमें सेक्स सम्बन्धी बात करने से और उसे प्रोत्साहित करने से सुनीता के मन में भी सेक्सुअल उत्तेजना की चिंगारी काफी समय के बाद फिर भड़क उठी थी। इसके पहले सुनील की कई कोशिशों के बावजूद भी सुनीता का सेक्स करने का मूड नहीं बन पाता था।

सुनील ने जल्द ही अपने पाजामे के बटन खोल दिए और अपना लण्ड अपनी बीबी सुनीता के हाथों में दे दिया। सुनीता ने अपने पति का लण्ड सहलाते हुए उनसे पूछा, "सुनील डार्लिंग, क्या आप शिक्षक की इतनी ज्यादा एहमियत मानते है?"

सुनीता के हाथ में अपने लण्ड को सहलाते अनुभव कर सुनील ने मचलते हुए कहा, "हाँ, बिलकुल। मैं मानता हूँ की माँ के बाद शिक्षक की अहमियत सबसे ज्यादा है। माँ बच्चे को इस दुनिया में लाती है। तो शिक्षक उसको अज्ञान के अन्धकार से ज्ञान के प्रकाश मे ले जाता है। शिक्षक अपने शिष्य को ज्ञान की आँखें प्रदान करता है।

जहां तक आपका सवाल है तो जो विषय (मतलब गणित) आप का सर दर्द था और आप जिससे नफरत करते थे, अब आप उस विषय को प्यार करने लगे हो। जो अड़चन आपकी तरक्की में राह का अड़ंगा बना हुआ था, वह विषय अब आपकी तरक्की को आसान बना देगा। यह गुरु की उपलब्धि है।"

सुनीता ने यह सूना तो सुनील पर और भी प्यार उमड़ पड़ा। उसने बड़े चाव से अपने पति के लण्ड की त्वचा को अपनी मुट्ठी में पकड़ते हुए बड़ी ही कोमलता और स्त्री सुलभ कामुकता से प्यार से हिलाना शुरू किया। सुनील की उत्तेजना बढ़ती गयी। वह अपने आप पर नियत्रण नहीं रख पा रहा था। सुनील का उन्माद और उत्तेजना देख कर सुनीता और भी प्रोत्साहित हुई।

सुनीता ने झुक कर सुनील के लण्ड के चारों और की त्वचा को अपने दूसरे हाथ से सहलाया और झुक कर अपने पति के लण्ड को चूमा। यह महसूस कर सुनील और उन्मादित होने लगा। सुनीता ने अपने पति के लण्ड के अग्रभाग को जब अपने होँठों के बिच लिया तो सुनील उन्माद के चरम पर पहुँच रहा था। उसकी रूढ़िग्रस्त पत्नी उसे वह प्यार दे रही थी जो शायद उसने पहले उसे कभी नहीं दिया।

सुनील भी अपनी कमर को ऊपर उठाकर अपने पुरे लण्ड को अपनी बीबी के होँठों की कोमलता को अनुभव करा ने के लिए व्याकुल हो रहा था। सुनीता ने और झुक कर अपने पति के लण्ड का काफी हिस्सा अपने होँठों के बिच लेकर वह उस लण्ड की कोमल त्वचा को अपने होँठों से ऐसे सहलाने लगी जैसे वह अपने होँठों से ही अपने पति के लण्ड को मुठ मार रही हो। सुनीता ने धीरे धीरे सुनील के लण्ड को मुंह से अंदर बाहर करने की गति तेज कर दी। सुनीता के घने बाल सुनील की कमर और जाँघों पर हर तरफ बिखर रहे थे और एक गज़ब का उन्माद भरा दृश्य पेश कर रहे थे।

सुनील अपना नियत्रण खो चुका था। अब उससे रहा नहीं जा रहा था। सुनील ने अत्योन्माद में अपनी पत्नी के सर पर अपना हाथ रखा। सुनीता के सर के साथ साथ सुनील का हाथ भी ऊपर निचे होने लगा। अचानक ही सुनील के दिमाग में जैसे एक बम सा फटा और एक जोशीले उन्माद से भरा उसके लण्ड के महिम छिद्र से उसके पौरुष का फव्वारा फुट पड़ा।

अपनी पत्नी के चेहरे, होँठ, गाल और गर्दन पर फैले हुए अपने वीर्य को देख सुनील गदगद हो उठा। कई बार अपनी पत्नी को कितनी मिन्नतें करने के बाद भी सुनील अपनी पत्नी को मौखिक चुदाई करने के लिए तैयार नहीं कर पाता था। पर उस रात सुनीता ने स्वतः ही सुनील के लण्ड को चूस कर उसका वीर्य निकाल कर उसे मंत्रमुग्ध कर दिया था।

सुनील समझ ने कोशिश कर रहा था की इसका क्या ख़ास कारण था। सुनील को लगा की कहीं ना कहीं कर्नल साहब का भी कुछ ना कुछ योगदान इसमें था जरूर। दोनों पति पत्नी इतनी मशक्कत करने के बाद आराम के लिए बिस्तर पर कुछ देर तक चुपचाप पड़े रहे। सुनीता ने अपना गाउन अपनी जाँघों के भी ऊपर किया और अपने पति की दोनों टांगों को अपनी टांगों में लेकर बोली, "पति देव, कैसा लगा?"

सुनील की आँखें तो अपनी बीबी की नंगी चूत देख कर वहाँ से हटने का नाम ही नहीं ले रही थी। सुनीता ने जानबूझ कर अपनी खूबसूरत हलके बालों को सावधानी से छँटाई कर सजी हुई चूत अपने पति के दर्शन के लिए खोल दी थी। सुनीता बड़े ही रूमानी मूड़ में थी। उसकी चूत अपने पति से अच्छी खासी चुदाई करवाने की इच्छा से मचल रही थी। उसकी चूत की फड़कन रुकने का नाम नहीं ले रही थी।

अब उसे अपने पति को दोबारा तैयार करना था। पति का हाल में स्खलन हुआ था और अब उसके लिए तैयार होना शायद मुश्किल ही था। पर सुनीता को चुदाई की जबरदस्त ललक लगी थी। वह अपने पति का लंबा और मोटा लण्ड से अपनी चूत की प्यास को शांत करने की फ़िराक में थी।

काफी समय के बाद अपनी पत्नी की ऐसी ललक सुनील को काफी रोमांचित कर उठी। सुनील को याद नहीं था की पिछली बार कब उनकी पत्नी इतनी उत्तेजित हुई थी। उन्होंने जहां तक याद था उसे कभी भी इस तरह चुदाई के लिए बेबाक नहीं पाया था। क्या कर्नल साहब की बात सुनकर वह ऐसी उत्तेजित हो गयी थी? या फिर अपने पति पर ज्यादा ही प्यार आ गया, अचानक?

खैर जो भी हो। सुनील को भी अपनी पत्नी को इतना गरम देख कर उत्तेजना हुई। उपरसे सुनीता उनका लण्ड जो इतने प्यार से सेहला रही थी उसका असर तो होना ही था। सुनील का लण्ड कड़क होने लगा। जैसे सुनील का लण्ड कड़क होने लगा वैसे वैसे सुनीता ने भी सुनील के लण्ड को हिलाने की फुर्ती बढ़ा दी। देखते ही देखते सुनील का लण्ड एक बार फिर एकदम सख्त और ठोस हो गया। अब उसमें टिकने की क्षमता भी तो ज्यादा होने वाली थी, क्यूंकि एक बार झड़ने के बार वीर्य स्खलन होने में भी थोड़ा समय तो लगता ही है।
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kunal
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Re: साहस रोमांच और उत्तेजना के वो दिन!

Post by kunal »

जैसे ही सुनीता ने देखा की उसके पति एक बार फिर तैयार हो गए हैं, तो वह धीरे से खिसक कर पलंग पर लेट गयी और अपने पति को उपर चढ़ ने के लिए इशारा किया। सुनील अपना लंबा फैला हुआ लौड़ा लेकर खड़ा हुआ। उसने अपनी खूबसूरत पत्नी को ऐसे नंगा लेटे हुए देखा तो वह देखता ही रह गया। शादी के इतने सालों के बाद भी सुनीता के पुरे बदन पर कही भी चरबी का नामो निशान नहीं था। उसकी कमर वैसी ही थी जैसी उनकी शादी के समय थी। उसके पेट का निचे का हिस्सा थोड़ा सा उभरा हुआ जरूर था। पर वह तो हर स्त्री को होता ही है। सुनीता की चूत साफ़ की हुई दोनों जाँघों के बिच ऐसी छुपी हुई थी जैसे अपने पति का लण्ड देख कर शर्मा रही हो।

सुनील ने झुक कर अपनी बीबी की गीली चूत पर अपना लण्ड कुछ पल रगड़ा। इससे वह स्निग्ध हो गया। अब उस लण्ड को चूत के प्रवेशद्वार में घुसनेमें कोई दिक्कत नहीं होगी। सुनील ने सुनीता के दोनों स्तनों को अपने हाथों में पकड़ा और उन्हें दबा कर प्यार से मसलने लगा। अपनी पत्नी की फूली निप्पलों को उँगलियों में ऐसे दबाने लगा जैसे उनमें दूध भरा हो और उनमें से दूध की पिचकारी की धार फुट निकलने वाली हो। दूसरे हाथ से वह अपनी बीबी के कूल्हों को अपनी उँगलियों से दबा रहा था।

एक हल्का सा धक्का लगा कर सुनील ने अपना लण्ड अपनी बीबी की चूत में धकेल दिया। अपने पति का जाना पहचाना लण्ड पाकर भी सुनीता उस रात मचल उठी। अपनी चूत में ऐसी गजब की फड़कन सुनीता ने पहले कभी नहीं महसूस की थी। आज अपने पति के लण्ड में ऐसा क्या था? सुनीता यह समझ नहीं पा रही थी। अचानक उसे ख्याल आया की सारी बात तो कर्नल साहब की शरारत और चोदने की बात से ही शुरू हुई थी। कहीं ऐसा तो नहीं की सुनीता के अपने मन में ही खोट हो? सुनीता खुद भी ना सोचते हुए भी खुद कर्नल साहब से चुदवाने के सपने देख रही हो?

यह सोच कर सुनीता सिहर उठी। उसका रोम रोम काँप उठा। सुनीता के रोंगटे खड़े हो गए। अपने शरीर में हो रहे रोमांच से सुनीता को एक अद्भुत आनंद की अनुभूति हुई तो दूसरी और वह यह सोचने लगी की उसको यह क्या हो रहा था? काफी अरसे से सेक्स के बारेमें वह पहले तो कभी इतनी उत्तेजित नहीं हुई थी।. सुनीता अपने मनमें अपने ही विचारों से डर गयी। जरूर कहीं ना कहीं उसके मन में चोर था। वह चाहती थी की कर्नल साहब उसके बदन को छुएं, सहलाएं, उसकी संवेदनशील इन्द्रियों को स्पर्श करें और उसे उत्तेजित करें।

अचानक अपने विचारों में ऐसा धरमूल परिवर्तन अनुभव कर सुनीता अपने आप से ही डर गयी। उसे चाहिए था की अपनी यह सोच को काबू में रखे। कहीं यह वासना की आग उनके दाम्पत्य जीवन को झुलस ना दे। खैर, उस समय तो उसे अपने प्यारे पति को वह आनंद देना था जो वह कई महीनों से या शायद बरसों से दे नहीं पायी थी।

बार बार कोशिश करने पर भी सुनीता जस्सूजी को अपने मन से दूर नहीं कर पायी। सुनीता के लिए यह बड़ी उलझन थी। एक तरफ वह अपने पति को उस रात सम्भोग का सुख देना चाहती थी और दूसरी और वह किसी और से ही सम्भोग के बारे में सोच रही थी। खैर मन और शरीर का भी अजीब सम्बन्ध है। मन उत्तेजित होता है तो अंग अंग में भी उत्तेजना फ़ैल जाती है। जब सुनीता बार बार कोशिश करने पर भी अपने जहन से जस्सूजी के बारे में सोचना बंद ना कर पायी तो फिर उसने सोचा, यही उत्तेजना से अपने पति को क्यों ना खुश करे, चाहे वह भाव जस्सूजी के लिए ही क्यों ना हो? यह सोच कर सुनीता ने अपनी गाँड़ को ऊपर उठाकर अपने पति को अपना लण्ड चूत में घुसाने के लिए प्रेरित किया।

सुनील ने एक हलके धक्के के साथ अपना पूरा लण्ड अपनी बीबी सुनीता की टाइट चूत में घुसेड़ दिया। सुनीता के दिमाग में उस रात गजब का उन्माद सवार था। सुनीता के बदन में उस रात खूब चुदाई करवाने की एक गजब की उत्कंठा थी। सुनीता का पूरा बदन वासना से जल रहा था। जैसे जैसे सुनील ने अपना लण्ड अपनी पत्नी की चूत में पेलना शुरू किया वैसे वैसे ही सुनीता की वासना की आग बढ़ती ही गयी। जैसे ही उसका पति अपना लण्ड सुनीता की चूत में घुसेड़ता ऐसे ही अपना पेडू और गाँड़ ऊपर उठाकर अपने पति के लण्ड को और गहराईयों तक पहुंचाने के लिए सुनीता अपने बदन से ऊपर धक्का दे रही थी। दोनों ही पति पत्नी अपनी चुदाई की क्रिया में इतने मशगूल थे की उन्हें आसपास की कोई भी सुध ही नहीं थी।

काफी रात जा चुकी थी। कॉलोनी में चारों तरफ सन्नाटा था। उसमें सुनील और सुनीता, पति पत्नी की चुदाई की "फच्च फच्च" आवाज और उच्च ध्वनि पूर्ण कराहटों से ना सिर्फ सुनील का बैडरूम गूँज रहा था, बल्कि उनके बैडरूमकी खुली खिड़कियों से बाहर निकल कर सामने कर्नल साहब के बैडरूम में भी उसकी गूँज सुनाई दे रही थी।

कर्नल साहब की पत्नी ज्योति ने जब सुनील और सुनीता के बैडरूम से कराहट की आवाज सुनी तो अपने पति को कोहनी मार कर उठाया और बोली, "सुन रहे हो? तुम्हारी प्यारी शिष्या अपने पति से चुदाई के कुछ पाठ पढ़ रही है। आप उसे गणित पढ़ाते हो और आपका दोस्त अपनी बीबी को चुदाई के पाठ पढ़ाता है। यह ठीक भी है। ऐसा मत करना की कहीं यह किस्सा उलटा ना हो जाए। मैं जानती हूँ की आप गणित के अलावा कई और विषयों में भी निष्णात हो। पर आप उसे गणित के अलावा कोई और पाठ मत पढ़ाना।"

गहरी नींद में सो रहे कर्नल साहब ने करवट ली और बोले, "सो जाओ, डार्लिंग। तुम सुनील क्या पाठ पढ़ा सकता है उसके बारे में ज्यादा मत सोचो। कहीं तुम्हारा मन वह पाठ पढ़ने के लिए तो नहीं मचल रहा?"

उस रात सुनील और उसकी पत्नी सुनीता में बड़ी घमासान चुदाई हुई। बड़ी कोशिश करने पर भी उस रात शायद सुनीता को वह पूरी तरह संतुष्ट नहीं कर पाया ऐसा सुनील को महसूस हुआ। हालांकि उसकी पत्नी ने सुनील को उस रात ऐसा प्यार का तोहफा दिया था जिसके लिए महींनों सो सुनील तड़प रहा था।
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naik
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Re: साहस रोमांच और उत्तेजना के वो दिन!

Post by naik »

(^^^-1$i7) (#%j&((7) 😘
excellent update brother keep posting
waiting for the next update 😪
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