Erotica मुझे लगी लगन लंड की

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kunal
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Re: Erotica मुझे लगी लगन लंड की

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जीवन मुस्कुराया और फिर मेरी गीली चूत के अन्दर उसने दो से तीन मिनट तक उंगली घुमाई और फिर बाहर निकाल कर बड़े ही स्टाईल से ड्राइवर की नजर बचाकर अपनी उंगली को चाटने के साथ कमेन्ट भी किया- वेरी स्वीट!

एक बार फिर जीवन की हथेली मेरे चूतड़ों के नीचे आने को बैचेन हो रही थी। धीरे से उसने अपना हाथ मेरे कूल्हों की तरफ बढ़ाया, मैं सीट में खिसक कर थोड़ा सा इस तरह टेढ़ी हुई कि जीवन मेरी गांड को सहला कर मजा ले सके। ड्राइवर को धोखा देने की नीयत से मैंने खिड़की के बाहर झांकना जारी रखा। इधर जीवन मेरी गांड के अन्दर उंगली कर रहा था, मुझे उसका उंगली करना बड़ा ही अच्छा लग रहा था। तभी एक जगह गाड़ी रूकवाकर जीवन ड्राइवर से सिगरेट लाने के लिये बोला।

ड्राइवर के जाते ही जीवन ने मुझसे पैन्टी पहनने के लिये बोला और बताया कि होटल आने वाला है। जीवन के कहने पर मैंने पैन्टी पहन ली।

उसी समय जीवन ने मेरे होंठों को कस कर चूसा और बोला- तुम्हारी चूत और गांड तो प्यारी है पर ये रसीले होंठ... मैं इनका भी दीवाना हूँ। मेरा भरपूर साथ देना, मैं तुमको खूब मजे दूंगा।

मैं- 'तुम जैसा चाहो, मुझसे मजा ले सकते हो, मैं तुम्हारी हर बात मानूंगी।'

फिर हम दोनों अलग हुए, तब तक ड्राइवर भी आ चुका था, हम लोग अपनी पोजिशन ले चुके थे।

थोड़ी ही देर बाद होटल आ गया, दोनों उतर गए, जीवन ने ड्राइवर को कुछ निर्देश दिया और वो मुझे लेकर अपने कमरे में आ गया।

जीवन का रूम भी उसी होटल में बुक था जिस होटल में मेरा रूम बुक था, बस मैं एक फ्लोर ऊपर थी और उसका रूम एक फ्लोर नीचे था। रूम में घुसते ही जीवन जल्दी जल्दी अपने कपड़े उतार कर इधर उधर फेंकने लगा और मुझे भी जल्दी जल्दी अपने कपड़े उतारने के लिये बोला। उसके इस उतावलेपन पर मैंने उसको समझाया कि जब तक तुम कहोगे मैं तुम्हारे साथ हूँ जैसे चाहो चोद लेना, इतनी जल्दीबाजी क्या है।

जीवन बोला- जल्दी से अपने कपड़े उतारकर झुको और अपनी गांड का छेद खोलो, एक काम कर लूं फिर और भी मजे करूंगा।

मैं- 'ठीक है!' कह कर मैंने अपने कपड़े उतारे और झुकते हुए अपनी गांड को दोनों हाथों से फैला लिया।

जीवन मेरे पास आया और मेरी पीठ सहलाने लगा। लेकिन तभी मुझे मेरी छेद में गर्म पानी का अहसास होने लगा। 'सुर्ररर्रर्र..' की अवाज आने से समझ गई यह गर्म पानी नहीं, बल्कि जीवन मेरी गांड में मूत रहा है और यह गर्माहट उसकी पेशाब की है। मेरी गांड की सुरसुराहट भी तेज होने लगी। मूतने के बाद जीवन मेरी गांड को सहलाते हुए बोला- बहुत तेज मूतास लगी थी।

मैं- 'तो बाथरूम में मूतते... मेरी गांड में क्यों?

जीवन- 'तुम्ही ने तो बोला था कि जो मैं करूंगा उसका तुम विरोध नहीं करोगी।'

मैं- 'ओ॰के॰' मैं कहकर चुप हो गई।

जीवन- 'अभी इसी तरह का और मजा दूंगा। मैं चाहता हूँ कि मेरी पार्टनर मेरा विरोध न करे।'

मैं- 'ठीक है। मैं तुम्हारा विरोध नहीं करूंगी और जो तुम कहोगे वो मैं करती जाऊँगी।'

जीवन- 'एक बार फिर कुतिया बन जाओ।'

उसके कहने पर मैं कुतिया बन कर खड़ी हो गई। तड़ाक से एक चपत मेरी गांड पर लगी। तड़ाक, तड़ाक, तड़ाक... कई चपत मेरी गांड पर उस कुत्ते जीवन ने मारी, मुझे दर्द हो रहा था और मेरी आँख में आंसू आ गये। मुझे उम्मीद नहीं थी कि वो ऐसी हरकत करेगा। फिर वो मेरे कूल्हों को जोर जोर से मसलने लगा, मुझे ऐसा महसूस हुआ कि उसकी दो उंगलियाँ मेरी गांड में एक साथ फंसी हुई हैं और दोनों उंगलियों का इस्तेमाल वो मेरी गांड फाड़ने के लिये कर रहा है।
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मैं- उम्म्ह... अहह... हय... याह... दर्द हो रहा था, मैं सिसक रही थी।

तभी मुझे मेरी चूत पर गीलेपन का अहसास हुआ, लगा कि मेरी चूत चाटी जा रही है।

उसके बाद जीवन ने गांड से उंगली निकाली और फिर चूत को फैलाने लगा और अपनी जीभ को मेरी चूत के अन्दर डालकर चाटने लगा, कभी वो मेरी चूत की फांक को काटता तो कभी पुतिया को अपने दांतों के बीच लेकर उसे बड़ी ही बेदर्दी से चबा रहा था। अगर जीवन का बस चलता तो मेरी पुतिया को वो चबा-चबा कर खा जाता। बड़ी देर तक उसने ऐसा ही किया। इसी बीच मेरा पानी एक बार छूट चुका, जिसे वो पूरा का पूरा पी गया।

अचानक मुझे लगा कि कुछ गर्म-गर्म सा मेरी चूत में रगड़ा जा रहा है। और एक झटका... मेरी चूत के अन्दर जीवन का लंड॰॰॰ अक्क... अचानक हुए इस प्रहार से मेरा मुंह खुल गया। जीवन मेरी कमर को कस कर पकड़ते हुए धक्के पर धक्का लगाये जा रहा था। मैं एक बार फिर ऑर्गेसम में पहुँचने वाली थी कि जीवन ने अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकाला और मेरी गांड को चाटने लगा, अपनी दोनों उंगलियों से मेरी गांड को इतना फैला लिया कि उसकी जीभ की टो अन्दर जा रही थी।

बहुत ही प्यार से मेरी गांड को चाट रहा था, गांड उसके चाटने से काफी गीली हो चुकी थी। एक बार फिर जीवन ने उसी झटके के साथ अपने लंड को मेरी गांड में प्रवेश कराया, जैसा कि उसने चूत में अपने लंड को डाला था।मुझे तो इस झटके से ऐसा लगा कि मेरे प्राण मेरे गले में अटक गये हों।

लंड को डालते ही जीवन बोला- आकांक्षा, तुम गांड चुदाई का भी मजा लेती हो?

मैं बस केवल इतना ही बोल पाई- हाँ!

जीवन- 'वाह, मजा आ गया... पूरा पैकेज एक साथ एक जगह। तुमने तो मुझे अपना गुलाम बना लिया।'

मैं- 'नहीं, इस पैकेज में एक कमी है।'

जीवन- 'क्या?' वो बोला।

मैं- 'बस मैं गाली का कम पसंद करती हूँ।'

जीवन- 'अरे यार, जब इतनी हसीन औरत किसी मर्द से उसके कहे अनुसार चुदेगी तो मर्द के मुंह से गाली नहीं निकलेगी। बस प्यार ही प्यार निकलेगा।

करीब बीस मिनट से ज्यादा ही उसने मेरी गांड और चूत को चोदा, इसी बीच में एक बार और झड़ चुकी थी। फिर वो अपने लंड के साथ सामने आया। साला लंड था उस मादरचोद का या काला मूसल... किसी कुंवारी को चोद दे तो मर ही जायेगी बेचारी!

उसने लंड लाकर मेरे मुंह के पास लगा दिया। मैं उसे मुंह में लेने ही वाली थी कि,

जीवन बोला- अभी चूसो मत इसे, इसको सूंघो।

मैं उसकी तरफ देखने लगी।

जीवन फिर बोला- देखो नहीं, सूंघो! देखो मेरे और तुम्हारे मिलन की गंध कैसी है।

जीवन ने एक हथेली से मेरे सर को पकड़ कर स्थिर किया और दूसरे हाथ से लंड को पकड़ कर मुझे सूंघाने लगा।

हालांकि मैं गंध पहचान नहीं पाई, पर उसका दिल रखने के लिये बोली- जीवन, मेरे और तुम्हारे मिलन की खुशबू बहुत अच्छी है।

मेरी बात सुनने के बाद उसने अपने लंड से मेरे मुंह की चुदाई करनी शुरू कर दी। एक बार फिर उसने अपने ताकत से मेरे सिर को स्थिर किया और लंड को मेरे मुंह से जब तक नहीं निकलने दिया जब तक उसका पूरा वीर्य मेरे गले से नीचे नहीं उतर गया। मैं गूं-गूं करती रही, लेकिन वो नहीं माना। उसके बाद उसने मुझे खड़ा किया और खुद नीचे बैठकर मेरी चूत को सूंघने लगा।

जीवन- 'हां, बहुत ही अच्छी गंध है।'

एक बार फिर उसने अपनी एक उंगली मेरी चूत के अन्दर डाली और अन्दर घुमाने लगा। उसके बाद उंगली निकाल कर मुझे दिखाते हुये उसको चाटने लगा। इतना सब करने के बाद जीवन खड़ा हुआ और मुझे कपड़े पहनने के लिये बोल कर खुद कपड़े पहनने लगा। उसके बाद हम दोनों नीचे आ गये। जीवन ने ड्राइवर से किसी जगह का नाम लेते हुए वहां चलने के लिये कहा।
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करीब आधे घंटे के सफर के बाद हम लोग जीवन के बताये हुए स्थान पर पहुंचे। वहाँ पर पहुंच कर जीवन मुझे प्रोजेक्ट से सम्बन्धित बात करने लगा। बातें करते हुए हम दोनों ही ड्राइवर की नजर से दूर आ चुके थे। जीवन ने इधर उधर देखा और जब सन्तुष्ट हो गया कि हम दोनों को कोई नहीं देख रहा है तो उसने अपनी पैन्ट की जिप खोली और मेरे सामने मूतने लगा, मेरी तरफ देखा,

बोला- आकांक्षा, मुझे पेशाब बहुत आती है।

फिर चुपचाप मूतने लगा।

मूतने के बाद बोला- तुम भी अगर चाहो तो मूत लो।

पेशाब आ रहा था, मैंने भी पैन्टी उतारी और वहीं मूतने के लिये बैठने लगी,

तो बोला- नहीं, बैठो नहीं, खड़ी हो कर करो, देखूँ तो तुम्हारी धार कहाँ तक जाती है।

मैंने अपनी स्कर्ट ऊपर उठाई और खड़ी खड़ी मूतने लगी। जीवन मेरे और करीब आ गया, जब तक मैं मूतती रही तब तक वो मुझे देखता रहा, फिर वो मेरी चूत को सहलाने लगा, फिर उसी हथेली को चाटने लगा।

मैं पैन्टी पहनते हुए बोली- अब क्या करना है?

जीवन- 'कुछ नहीं, बस एक बार तुम्हारी चूत और चोदना चाहता हूँ। बस उचित जगह देख रहा हूँ।'

बातें करते हुए हम लोग और आगे बढ़े तो एक चट्टान दिखी। बस फिर क्या था जीवन ने मुझे उसी चट्टान के ऊपर बैठाया, मेरी स्कर्ट को ऊपर किया, पैन्टी उतार दी और दो मिनट तक मेरी चूत चाटने के बाद लंड को मेरी चूत में पेल दिया। उसी पोजिशन में मेरी काफी देर तक चुदाई करता रहा और फिर अपने वीर्य को मेरी चूत के ऊपर निकाल दिया। मैं उसके वीर्य को साफ करना चाहती थी पर जीवन ने मुझे रोक दिया और पैन्टी को पहनने के लिये कहा। फिर हम दोनों वापस कार की तरफ बढ़ने लगे। उसका वीर्य लगा होने के कारण मेरी चूत और उसके आसपास में चिपचिपाहट होने लगी थी। चलने में थोड़ी असहजता आ रही थी और साथ ही खुजली भी मच रही थी। किसी तरह मैं कार के पास पहुंची, दोनों ही उस ड्राइवर के सामने सहज बने रहे।

कार में बैठने के बाद मुझे तीव्र खुजली का अहसास होने लगा था, मेरा हाथ बार-बार चूत की तरफ खुजलाने के लिये चला जाता, मैं ड्राइवर की नजर बचा कर चूत को खुजला लेती। जीवन इस बात का मजा ले रहा था। किसी तरह होटल आया, एक बार फिर मैं जीवन के साथ जीवन के कमरे में थी, खुजली बहुत तेज हो रही थी, मैं अब बेझिझक अपनी चूत को खुजला रही थी। तभी जीवन ने मेरा हाथ पकड़ लिया,

मैं झुंझुलाकर बोली- यार हाथ छोड़ो, बहुत खुजली हो रही है।

जीवन- 'बस दो मिनट रूको, मैं तुम्हारी खुजली मिटाने का प्रबन्ध करता हूँ।' कहकर उसने अपने कपड़े उतारे और केवल चड्डी पहन कर जमीन पर बेड का टेक लेकर बैठ गया और मेरा हाथ पकड़कर मुझे अपनी ओर खींचते हुए

जीवन बोला- जान, अब तुम अपनी चूत चटाओ।

मैं अपनी स्कर्ट उतारने लगी तो बोला- न स्कर्ट उतारो और न पैन्टी उतारो, बस मुझे अपनी स्कर्ट के अन्दर ले लो, बाकी मेरा काम!

मुझे कोई ऐतराज नहीं था, मैं उसके और समीप गई, उसने अपने सर को मेरी स्कर्ट के अन्दर कर लिया और अपने दोनों हाथों से मेरे चूतड़ को कस कर पकड़ लिया और पैन्टी के ऊपर से चूत चाटने लगा। पैन्टी मेरी पहले से ही गीली थी, उसके चाटने से और गीली हो रही थी, लेकिन मजा भी खूब आ रहा था। फिर जीवन ने पैन्टी के अन्दर एक उंगली डाली और उसे किनारे करते हुए बुर पर अपनी जीभ फिराने लगा, बुर चाटते हुए जीवन ने मुझे मेरी स्कर्ट उतारने के लिये बोला, मैंने स्कर्ट उतार दी।

उसके बाद, बुर के ऊपर से पैन्टी को किनारे करने के लिये कहा। मैंने अपनी एक टांग बेड पर रखी, पैन्टी को थोड़ा सरकाया, जीवन ने एक बार फिर मेरे चूतड़ को कस कर पकड़ा और अपनी एक उंगली मेरी गांड के अन्दर डाल दी। उसकी उंगली मेरी गांड के अन्दर चल रही थी और जीभ मेरी चूत पर! जीवन अपने दांतों से मेरी फांकों को जगह-जगह से काट रहा था, लेकिन इतनी ही तेज काट रहा था कि दर्द भी हो तो उसमें मजा आये। मेरे चूतड़ को तो उसने मेरी चूची समझ रखा था, खूब मसल रहा था। फिर पता नहीं उसे क्या याद आया, वो खड़ा हुआ और मुझे पकड़ कर धड़ाम से पलंग पर गिर गया और मेरी एक चूची को अपने मुंह में भर कर चूसने लगा और दूसरी उसकी हथेली में कैद हो गई। बारी बारी से वो मेरी एक चूची को अपने मुंह में भरता और दूसरी को बड़े ही बेदर्दी से मसलता। उसके ऐसा करते रहने से मेरी सिसकारियाँ थोड़ा और बढ़ती गई, मुझे तो लगा उसमें बर्दाश्त करने की काफी स्टेमना है। उसका लंड तना हुआ था और मेरी चूत से मिलने की असफल कोशिश कर रहा था। मैं एक बार फिर पानी छोड़ चुकी थी और शायद इसका अहसास जीवन को भी हो चुका था, उसका हाथ मेरी चूत पर था और मेरे निकलते हुए पानी को वो उंगली से मेरी गांड में लगाने लगा। मुझे बर्दाश्त नहीं हो रहा था,
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मैं जीवन से बोली- अब अपना लंड मेरी चूत में डालकर मेरी चूत में उठी हुई आग को शांत करो।

जीवन बोला- रूको मेरी जान, अभी तो तुम्हारी चूत की आग को और भड़काना है। आओ अब 69 की पोजिशन में आकर मेरे लंड को चूसो और अपनी इस अग्नि कुंड को मेरी तरफ करो।

मैंने उसकी बात को समझते हुए पोजिशन बदल ली और उसके लंड को अपने मुंह में ले लिया।

इतनी देर से जीवन मेरे साथ गांड फाड़ू काम मेरे साथ किये जा रहा था, अब मैं उसके साथ गांड फाड़ू काम करना चाहती थी। केवल उसके लंड को अपनी मुंह में लेकर चूसना नहीं चाह रही थी, मैं कुछ ऐसा करना चाह रही थी कि उसे लगे जिस औरत के साथ वो अपनी सेक्स की प्यास को बुझाना चाहता है, वो भी इस खेल की पुरानी खिलाड़िन है। इसलिये उसके लंड को मुंह में लेकर उसके अंडे को कस कर दबा देती, वो रिऐक्शन में मेरी पुतिया को काट लेता। मैं और तेज उसके अंडे को दबा देती। थोड़ी देर तक ऐसा ही चलता रहा, मैं बीच-बीच में उसके सुपारे पर अपने दांत कसकर रगड़ देती, मेरा भी मन कर रहा था कि जीवन के गुलाबी सुपारे को मैं दांतों के बीच लेकर उसे चबाती रहूँ।

हार कर जीवन प्यार से बोला- यार, थोड़ा प्यार से करो।

अब मेरे पास भी जीवन को भी मजे देने के लिये तीन चीजें थीं, एक उसका लंड, दूसरा उसके गोले और तीसरा॰॰॰ जब आप इस कहानी को आगे पढ़ोगे तो खुद ही समझ जाओगे।

मैं उसके लंड को अपने हाथों से भी बड़ी तेज-तेज रगड़ रही थी, इससे उसकी चमड़ी नीचे की ओर आती और उसका गुलाबी सुपारा मेरे जीभ से टच कर जाता। उम्म्ह... अहह... हय... याह... की आवाज जीवन के मुंह से आने लगी थी, वो भी मेरी चूत के अन्दर उंगली से रगड़ कर रहा था और बीच-बीच में अपनी जीभ की टो के छेद के अन्दर डालने की कोशिश कर रहा था। फिर मेरी कमर पर थोड़ा सा दबाव देता तो मेरी गांड उसके मुंह के पास आ जाती और वो मेरी गांड भी चाटता।

मैं भी उसे उसी चीज का मजा देने लगी, मैंने उसकी दोनों टांगों को हवा में उठाने का संकेत दिया, जीवन ने अपनी दोनों टांगों को हवा में उठा लिया, मैंने उसके गोलों को अपने मुंह में लिया और उसकी गांड को अपनी उंगली से रगड़ने लगी।

जीवन के मुंह से निकल ही पड़ा- जान, मजा आ गया, तुमसे पहले इतना मजा किसी ने नहीं दिया।

लेकिन असली मजा तो उसके लिये अभी तो आगे था, उसके अंडों को चूसने के बाद मेरी जीभ उसकी गांड की तरफ कदम बढ़ा चुकी थी। जैसे ही जीवन को अहसास हुआ कि मेरी जीभ उसकी गांड पर अपना जलवा दिखा रही है तो उसने मुझे मेरा काम और आसानी से करने देने के लिये अपनी दोनों टांगों को और हवा में उठा लिया। मैं अब मस्त हो कर उसकी गांड को चाट रही थी, कभी मैं उसके लंड को अपने मुंह में लेती तो कभी उसके अंडों को तो कभी मेरी जीभ उसकी गांड की सैर करती। इधर जीवन भी अपनी उंगली से मेरी बुर चोद रहा था। अचानक पता नहीं जीवन की उंगली ने मेरी बुर के अन्दर क्या किया कि मुझे महसूस हुआ कि मेरी पेशाब छूटने वाली है। मैं जीवन से अलग होते हुए पेशाब करने के लिये जाने लगी तो जीवन ने मेरा हाथ पकड़ कर पूछा- कहाँ जा रही हो?

मैं बोली- पेशाब बहुत तेज आया है, मूतने जा रही हूँ।

जीवन- 'अरे वाह, तुम मूतने जा रही हो!' इतना कह कर वो झटके से बेड से उठा और मुझे गोद में उठाते हुए

जीवन बोला- मुझे तुमको मूतते देखना बहुत अच्छा लगता है, चलो मैं भी चलता हूँ, तुमको मूतती देखूंगा भी और मैं भी मूत लूंगा।

मैं- 'ठीक है, मुझे तुम मूतती हुई देखो, लेकिन अब लंड से मेरी चूत की खुजली भी मिटाओ।'

जीवन- 'चलो पहले मूत लिया जाये, उसके बाद तुम्हारी चूत की ठुकाई भी करते हैं।'

फिर जीवन मुझे गोदी में उठाकर टॉयलेट में ले आया और कम्बोड के पास बैठ गया और अपनी दोनों कोहनी को टिका कर हथेलियों के बीच अपने मुंह रख कर एकटक अपनी निगाहें मेरी चूत पर टिका दी। मेरे मूत की धार छूट रही थी और मूत के छींटे कम्बोड से टकरा कर जीवन के चेहरे पर पड़ रहे थे लेकिन इससे जीवन को कोई फर्क नहीं पड़ रहा था, वो केवल टकटकी लगाये मुझे मूतता ही देख रहा था। जब मैं मूत चुकी तो वो खड़ा हो गया और अपने लंड का निशाना मेरी चूत पर करके मूतने लगा। उसके मूत की गर्म धार मेरी चूत पर पड़ रही थी। वो लगातार मेरी चूत पर ही मूतता रहा, उसके बाद नीचे बैठ कर एक बार मेरी चूत चाटने लगा।
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