फोरेस्ट आफिसर

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rajan
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Re: फोरेस्ट आफिसर

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'जगन सेठ सेठी बोल रहा हूं मैं तीसरे पहर के करीब फारेस्ट आफिसर आया था यहां पर और अब गया है शाम को "हां कोई रुलन्दा-सा था उसके पास हां मेयर साहब के साथ काफी देर बैठा रदा था वह सारी बातें तो नहीं सुन सका लेकिन लगता है कि काफी गरमा-गरमी भी हुई है साहब उसे दरवाजे तक छोड़ने गए थे. वह बहुत गुस्से मे था साहब अपने कमरे में गए हैं. बस सबसे पहले मौका मिलते ही आपको फोन किया है। जी हां कोशिश करना है मैं
पूरी बात जानने की।'

सेठी जगन सेठ को पूरी रिपोर्ट देने के बाद रिसीवर रखने को हुआ तो एक आवाज सुनकर ऊपर से नीचे तक कांप गया-'रिसीवर रखकर सम्बन्ध-विच्छद मत करना सेठी, जगन सेठ से मुझे भी कुछ बात करनी है।' सेठी ने एकदम घूमकर देखा तो मेयर को बिल्कुल अपने पास खड़े पाया। न जाने कब से वह वहां खड़ा हुआ उसकी बात सुन रहा था। उसके कांपते हाथों से रिसीवर निकल ही गया होता अगर मेयर ने उसे तुरन्त थाम न लिया होता।

सेठी खड़ा कांपता रहा और मेयर उसकी उपस्थिति को एकदम नकारता हुआ रिसीवर कान से लगाकर बोला-'जगन सेठ शर्मा बोल रहा हूं में सबसे पहले नो मेरी बधाई स्वीकार करो कि जाल फैलाने में कोई कसर नहीं छोड़ी तुमने सेठी नक को अपने शिकंजे में फंसा लिया मानना पड़ेगा भई बड़ी गहरी मार करते हो तुम अब जरा कान खोलकर मेरी भी एक बात सुन लो अब से ठीक तीस मिनट बाद जिसे बोल-चाल की भाषा में आध धण्टा भी कहते हैं, मैं तुम्हें
अपनी कोठी पर हाजिर देखना चाहता हूं अपने साथ अपने उस दूसरे सायी पुलिस कमिश्नर जयकर को भी साथ लेते आना नहीं कोई जबर्दस्ती नहीं है आने की, मगर इतना समझ लो कि पर आध घण्टे में तुम मेरी कोठी पर हाजिर नहीं हुए तो तुम्हारे और तुम्हारे साथियों के हाथों में हथकड़ियां डलवाकर सारे शहर में जलूस निकलवा दूंगा हक है तुम्हें इस बात को बन्दर घुड़की समझने का लेकिन मैं यही सलाह दूंगा कि इस वक्त आनी समझ पर ज्यादा भरोसा न करो तो तुम्हारे लिए ज्यादा बेहतर होगा तुम क्या समझ रहे हो तम्हारी आरती उतारने के लिए बुला रहा हुं मैं तम्हें यहां नहीं जगन सेठ बल्कि इसलिए बुला रहा हूं कि वह चोज अपनी आंखों से देख लो जो मैंने अगर सही हाथों पहुंचा दी तो तुम्हारा और तुम्हारे साथियों का पुलिन्दा बांधकर रख देगी जानता हूं तुम्हारा यह कुत्ता सेठी तुम्हें यहां की सब खबर देता रहता है लेकिन इस फारेस्ट आफिसर ने नहीं बल्कि इससे पहले वाले ने जिसे तुम लोग खास तौर से कालिया हरवक्त साथ लिए घूमता था "हां वही खुद तो मर गया मगर तुम लोगों के लिए ऐसी कब्र खोद गया है जिसमें जब चाहूं तुम्हें दफन कर सकता हूं"हां आ जाओ और अपनी आंखों से देख लो नजर कमजोर हो तो पढ़ने का चश्मा साथ लेते आना ।'
उसने रिसीवर रखकर सेठी की ओर देखा जो एकदम उसके पैर में गिरकर गिड़गिड़ाने लगा-'मुझे माफ कर दीजिए सर।'
लेकिन मेयर ने उसे ठोकर मारकर परे धकेलते हुए कहा-'नमक हराम कुत्ते जिस थाली में खाया उसी में छेद कर डाला निकल जा यहां से और रात-रात में यह शहर छोडकर चला जा. अगर कल सुबह इस शहर के आस-पास भी कहीं दिखाई दिया तो तेरी बोटी-बोटी करके चील-कब्बों को खिलवा दूगा।'
'रहम सरबस इस बार माफ कर दीजिए।'
लेकिन मेयर ने एक न सुनी।
धक्के मारकर सेठी को बाहर खदेड़ दिया।

हालांकि जगन सेठ को इस बात की रंच मात्र भी आशा नहीं
थी कि मेयर के हाथ अचानक ही कोई ऐसो चमत्कारिक चीज लग जाएगी जो उसकी काया पलट करके रख देगी। लेकिन उसके बदले हुए अन्दाज और धमकी भरे स्वर ने उसे चौंका जरूर दिया था।
उसने अपनी आंखों से एक बार उन चीजों को देख लेने का निश्चय किया जिनके बल पर मेयर इतना अकड़ने लगा था। उसने पुलिस कमिश्नर जयकर को फोन करके मेयर की कोठी पहुंचने को कहा और स्वयं भी कार में उधर रवाना हो गया।
कोठी से कुछ इधर ही सेठी खड़ा नजर आया। जैसे उसी के इन्तजार मे वहां खड़ा हुआ था। उसकी कार को देखते ही रुकने का इशारा करता हुआ वह उसके पास पहुंचा और खिसियाए से स्वर में बोला-'जगन सेठ मैं तो तबाह ओर बरबाद हो गया। अब तो बस आपका ही सहारा है। मेयर साहब ने तो शहर छोड़कर चले जाने की धमकी दे दी है।'
'अभी जग मैं मेयर से मिल आऊं।' जगन सेठ ने अपनी कलाई वड़ी की ओर देखते हुए कहा-'फिर बात करूंगा तुम्हारे से। वैसे जो कुछ तुमने मुझे फोन पर बताया है उसके अलावा और तो कोई ऐसी बात नही जो बतानी भूल गए हो।'
वह सेठी से बात कर ही रहा था कि पुलिस कमिश्नर की जीप भी आ गई। दोनों गाडियां मेयर की कोठी की ओर बढ़ चलीं।
'मैं यही आपके लौटने का इन्तजार करूगा जगन सेठ।' सेठी पीछे से चिल्लाया। लेकिन जगन सेठ ने कोई जवाब नहीं दिया।

मेयर उन्हें दरवाजे पर ही मिल गया जैसे उनके पहुंचने का इन्तजार ही कर रहा था।
'आइए आइए, आप दोनों को एक साथ देखकर आंखें ठंडी हो गई। मुझे अफसोस है कि कालिया बेचारा मारा गया वरना
आप लोगों की शैतानी त्रिमूर्ति का स्वागत करते हुए आज बहुत आनन्द आता मुझे।'
'तुमने हम यहां अपमानित करने के लिए बुलाया है क्या शर्मा?' जगन सेठ ने कड़े स्वर में कहा।
'ऊंची आवाज में बोलने से पहले एक बात अच्छी तरह से समझ लेना जगन सेठ।' मेयर ने तलख स्वर में कहा-'कि मुझे तुमसे समझौता करने में किसी किस्म की कोई दिलचस्पी नहीं है। यह तो सिर्फ पुरानी दोस्ती का लिहाज है कि तुम्हें अपनी भूल सुधारने का मौका दे रहा हूं मैं।' 'बक-बक ही किए जाओगे या वह जीज भी दिखाओगे जिस
पर अकड़े जा रहे हो।'
'वह चीज ही दिखा रहा हूं तुम्हें।'
मेयर उन दोनों को अपने निजी कक्ष में ले गया। सावधानी से सेफ खोली। उन दोनों को दिखा दिया कि कागजों का मोटा ताजा पुलिन्दा है उसके पास। फिर उसमें से एक कागज छांटकर निकाला उसने य् तो बहुन कुछ लिखा हुआ है इन कागजों में। वह कागज उनकी ओर बढ़ाता हुआ बोला-'लेकिन सिर्फ इस एक कागज से ही तुम लोगों को मालूम हो जाएगा कि मैं क्या कुछ कर सकने की ताकत रखता हूं।'
उन दोनों ने ही बेताबी से कागज पढ़ना शुरू किया। कुछ लाइनों के पढ़ने ही वे एकदम सन्न से हो गए थे। पूरा कागज पढ़ते-पढ़ते तो सारा शरीर पसीने से तर-बतर हो चुका था।
सूखे होंठों पर जबान फिराते हुए जगन सेठ ने मेयर की ओर अजीब-सी भयभीत दृष्टि से देखा।
मेयर ने बड़े आराम से हाथों में से कागज खिसका लिया और उसे वापिस सेफ में रखकर मबबूती से बन्द करने के बाद वह उनकी ओर घूमा। उनके पिटे हुए से चेहरों को देखने का आनन्द लेता हुआ वह चरखारा-सा लैकर बोला-'क्या ख्याल है आप लोगों का?'
'क्या चाहते हो?'
'चाहता तो यह हूं जगन सेठ कि तुम्हारे हाथों में हथकड़ियां
और पैरों में बेड़ियां डलवाकर मुंह पर कालिख पुतबाऊं और गधे पर उल्टा बिठाकर सारे शहर में जलूस निकलवाऊं।
लेकिन ।'
यहां थोड़ा रुकते हुए जरूरत से ज्यादा ही दीर्घ निःश्वास लेकर उसने आगे कहा-'लेकिन आदमी जो चाहता है वह पूरा थोड़े ही हो जाता है। लेकिन तुम जो चाहते है। वह मैं तुम्हें जरूर दूंगा। बोलो जेल में चक्की पीसना चाहते हो या इस शहर में विस ढंग से रहते आए हो उसी ढंग से रहना।'
'समझौते की क्या शर्त हैं तुम्हारी?' 'सिर्फ एक कि तुम्हें बिना किसी शर्त के झुकना होगा।'
'मुझे मंजूर है।' 'आज से मेरे दोस्त होंगे और मेरे दुश्मन तुम्हारे दुश्मन।' 'जी।' अपमान का घूट निगलते हुए जगन सेठ ने कहा। वह जानता था कि तुरुप के सारे पत्ते अब मेयर के हाथ में हैं। अब अगर उसने जरा भी सर उठाने की कोशिश की तो मेयर उसे अपने जूते की नोंक से चींटी की तरह कुचलकर रख देगा।
'मेरी इजाजत के बिना तुम्हारा कोई भी आदमी जंगल के पास फटकता हुआ न दिखाई दे।' 'जैसा आप कहेंगे वैसा ही होगा।'
'सुना है कि इस फारेस्ट आफिसर की बहन के कुछ फोटो ग्राक्स तुम्हारे पास हैं। वे फोटो ग्राक्स फौरन मेरे पास पहुंच जाने चाहिए।'
'मैं अभी भिजवा देता हूं।'
'और वह सेठी जो मेरे यहां तुम्हारे जासूस के रूप में काम कर रहा था। उसे मैंने यह शहर छोड़कर चले जाने के लिए कहा है। तुम्हारे जिम्मे यह काम है कि वह अब इस शहर में न रहो।'
'वह अब इस शहर में नहीं रह सकेगा। 'और आने वाले चनाव के बारे में तो तुम्हें कुछ समझाने की जरूरत नहीं है। तुम मंरी निश्चित जीत के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा होने। जो भी विरोध में खड़ा हो उसकी जमानत जब्त हो जानी चाहिए।'
'जी।'
'फिलहाल तम जा सकते हो अगर कोई और काम याद आया तो मैं तुम्हें तलब कर लूंगा।'
दोनों जाने के लिए उठे तो पुलिस कमिश्नर को टोकते हुए मेयर ने कहा-'तुम बैठो जयकर।'
पुलिस कमिश्नर बैठ गया।
rajan
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Re: फोरेस्ट आफिसर

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जगन सेठ ने एक बार उसकी ओर देखा और फिर सर झुकाकर वहां से बाहर निकल गया। 'तुमने तो सारी बातें सुन ही ली जयकर?' 'मैं आपका गुलाम हूं सर।' 'मुझे गुलाम नहीं दोस्त चाहिए। तुम्हारे खिलाफ जो सबूत मेरे हाय लगे हैं वे तुम्हें वापिस मिल सकते हैं अगर अपनी दोस्ती के सबूत देकर तुमने मुझे खुश कर लिया। आज से तुम जगन सेठ पर पूरी नजर रखोगे और कहीं वह मेरे खिलाफ षड्यन्त्र रचता नजर आया तो उसकी खवर फौरन मुझे दोगे। लेकिन इतना याद रखना कि मेरी इस उदारता का लाभ उठाकर तुम फिर से जगन सेठ के साथ साजिश करने मत लग जाना। इस बार मुझे जरा भी भनक लगी तो समझ लेना ।'
और मेयर ने जानबूझकर अपना बाक्य अधूरा छोड दिया।

'आइन्दा आपको शिकायत का कोई मौका नहीं मिलेगा सर।'
'अब तुम भी जा सकते हो।'
जयकर ने उठकर सलाम किया और बाहर निकल गया।

सेठी उसी तरह खड़ा जगन सेठ के लौटने का इन्तजार कर रहा था। जगन सेठ ने भी उसे देख लिया था और ड्राइवर को कार उसके निकट रोकने के लिए कहा।
घबराया सेठी लपककर कार की पिछली सीट के निकट पहुंचा और बड़े ही आशापूर्ण स्वर में बोला-'तो मेरे लिए क्या हुक्म है जगन सेठ।'
संठी।' जगन सेठ ने अपनी घबराहट और परेशानी को छुपाने की कोशिश करते हुए कहा-'तुम्हारे लिए यही बेहतर होगा कि जितनी जल्दी हो सके यह शहर छोड़कर निकल जाओ।' सेठी को जैसे जबर्दस्त झटका लगा हो।
अविश्वसनीय पूर्ण दृष्टि से जगन सेठ की ओर देखता हुआ आहत से स्वर में बोला-'यह आप कह रहे हैं जगन सेठ? मैंने इतनी सेवा की आपकी और आप भी।'
'वक्त खराब मत करो सेठी।' जगन सेठ ने उपेक्षा के साथ उसकी ओर देखे बिना कहा-'फोरन भाग लो यहां से।'
सेठी गिड़गिड़ाया लेकिन जगन सेठ पर उसका कोई असर नहीं हुआ। मजबूरन रोते-कलपते सेठी को वहां से हट जाना पड़ा।
जगन सेठ वहीं कार रोके हुए पुलिस कमिश्नर जयकर के लौटने का इन्तजार करने लगा। कुछ देर बाद ही जीप आती नजर आई तो जगन सेठ कार से नीचे उतर गया।
जीप उसके निकट आकर रुकी।
इससे पहले कि जगन सेठ कुछ कहता जयकर ने उपेक्षा के साथ कहा-'अब किसी किस्म की कोई बात करने की गुन्जाइश नहीं रह जाती है। मैंने समझा था कि तुम बहुत होशियारी से सारे मामले का संचालन करते रहोगे। इसीलिए तुम्हें खुलकर खेलने का मौका देते हुए खुद परदे के पीछे बना रहा। लेकिन लगता है तम्हारी अक्ल की धार अब कुंठित होती जा रही है। खुद तो डूबे-ही-डूवे, मुझे भी ले डूबे।'
'तुम भी गिरगिट की तरह रंग बदल गए जयकर?'
'खाल बचाने के लिए रंग वदलना ही पड़ता है जगन सेठ।' जयकर बोला-'आखिर तुमने और कालिया ने समझ क्या रखा था कि यह शहर तुम्हारी बपौती है या कोई खानदानी
जागीर? आखिर कितनी बार मना किया था मैंने कि उस फारेस्ट आफिसर को इतना मुंह लगाने की जरूरत नहीं। लेकिन किसी ने कोई सुनी मेरी बात। वह साला साथ रह-रहकर सारे रहस्य जान गया और उन्हें कलम बन्द मी करता गया। अब भुगतो उसका नतीजा।'
'सारे दिन एक जैसे नहीं रहते जयकर।'
'यह बात तो अब तम्हें समझ होनी चाहिए जगन सेठ कि अब तुम्हारे वो पहले बातें दिन गए।' जयकर बोला-'अब तक बहुन सुनार की ठुक-ठुक कर ली तुमने। मेयर के हाथ में इस बार लुहार का हथौड़ा है। एक मारेगा तो हम दोनों साफ हो जाएगे।' जयकर ने कहा और जाप आगे बढा ले गया।
जगन सेठ ने हाथों की मुट्ठियां भींचते हुए विवशता से दांत पीसे। कल्पना भी नहीं की थी उसने जीती बिताई बाजी इस तरह एक्दम हाथ से निकल जाएगी।
वह कार में बैठा और अपने आफिस पहुंचा। वहां से तस्वीरों
का लिफाफा लेकर गोदाम पहुंचाता कि उसे भैरों के हाथ मेयर के पास भिजवा दे। यूं तो किसी के भी हाथ भिजवा सकता था किन्तु भैरों के हाथ भिजवाना वह ज्यादा बेहतर समझता था
ताकि मेयर को इस बात का अहसास हो सके कि वह वाकई उसके आगे पूरी तरह झुक गया है अपने सभी खास आदमियों सहित।
लेकिन दिमाग के फोड़े मेयर के चंगुल से निकल भागने के लिए कोई तरकीब सोचने की कोशिश में तड़फड़ा रहे थे।
काश एक बार वे कागजात उसके हाथ में आ जाते तो फिर देख लेता मेयर को भी। मगर कागजात हाथ में आएं कैसे?'
यह काम भैरों और उसके आदमियों के बस का नहीं था। वे लोग किसी की खोपड़ी तो तोड़ सकते हैं लेकिन तिजोरी तोड़ना उनके बस की बात नहीं। वह भी मेयर की वह मजबूत तिजोरी।
इसके लिए तो किसी पेशेवर तिजोरी तोड़ की आवश्यकता है। इतनी जल्दी कहां से लाए वह तिजोरी तोड़ को। कल तक तो वह मशहूर से मशहूर तिजोरी तोड़ को अपनी सहायता के लिए उपलब्ध कर सकता था। लेकिन साथ ही उसे यह भी
यकीन था कि कल तक वे कागजात मेयर की तिजोरी में भी नहीं रहेंगे। तब तक तो वह उन्हें किसी बैंक के लॉकर में सुरक्षित जमा करा देगा। उन कागजातों की फोटो स्टेट कापियां भी करा ले तो कोई ताज्जुब नहीं।
गोदाम पहुंचा तो भैरों वहां नहीं था।
घायल जगतार आराम कर रहा था। लेकिन उसे देखते ही उठकर बैठ गया।
'क्या बात है जगन सेठ बहुत परेशान नजर आ रहे हो?'
'परेशानियां ही परेशानियां तो अपने मुकद्दर में लिखी है जगतार खलीफा।' हताश से स्वर में जगन सेठ ने उसके निकट बैठते हुए कहा-'अब तो लगता है तुम्हें भी अपना बोरिया विस्तर गोल करना पड़ेगा यहां से।'
'बात क्या है?'
जगन सेठ ने उसे सारा किस्सा सुनाकर कहा-'यह सब तुम्हारे उस होने वाले साले की कारस्तानी है। वो हरामजादा ।'
'क्या कह रहे हो सेठ।' जगतार उसे टोकता हुआ बोला-'मेरे ही सामने मेरे होने वाले साले को गाली दे रहे हो।'
'तुम्हारा ही लिहाज करके चुप हूं वरना जी तो कर जा है कि उस हरामजादे की बोटी-बोटी करके कुत्तों को खिला दूं।'
'अरे मैं तो मजाक कर रहा था।' जगतार धीरे से हंसकर वोला-'मेरी तरफ से जितनी चाहे गाली दो उसे। और कुछ दिन उस मेयर को भी खुश होने दो। फिर देखना तुम हंसोगे
और वह मेयर तुम्हारे सामने गिड़गिड़ाएगा।'
'वो कैसे?'

'कुछ दिन में घाव वगैरहा अच्छी तरह से भर जाएंगे मेरे। उसके बाद वे कागजात मेयर की सेफ से निकालकर तुम्हारे पास पहुंच जाएंगे।'
जगन सेठ ने प्रश्न पूर्ण दृष्टि से उसकी ओर देखा तो जगतार बोला-'लगता है तुम्हें मेरे बारे में कोई बहुत ज्यादा जानकारी हासिल नहीं है जगन सेठ जो ऐसी निगाहों से देख रहे हो। पूरे हिन्दुस्तान में मेरी टक्कर का उस्ताद तिजोड़ी तोड़ दूसरा नहीं मिलेगा। बेजान तिजोरियां जब जगतार का नाम सुनती हैं तो डर के मारे अपने ताले खुद व जुद खोल देती हैं।'
rajan
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Re: फोरेस्ट आफिसर

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क्षण भर को तो जगन सेठ की आंखें फटी की फटी रह गई। उसने कभी कल्पना भी नहीं की थी कि जिस काम के आदमी की उसे तलाश थी वह खुद उसके गोदाम में मौजूद है। उसने जगतार को कोई शातिर, हत्यारा और कातिल वगैरहा तो समझा था किन्तु यह नहीं सोच पाया था कि वह तिजोरी तोड़ने के फन का भी उस्ताद हो सकता है।
उसे लगा जैसे मनमांगी मुराद मिल गई हो उसे। फिर भी उसे थोड़ा जांच लेने के इरादे स वह बोला-'लेकिन यह मेयर की तिजोरी मामूली तिजौरी नहीं है। कुछ लोग पहले भी कोशिश कर चुके हैं लेकिन आज तक कोई कामयाब नहीं हो सका।'
'नौसिखियों ने कोशिश की होगी।' जगतार तनिक दर्प पूर्ण स्वर में बोला-'दुनिया में ऐसी कोई तिजौरी नहीं जो जगतार
की उंगलियों के आगे अपने ताले बन्द रख सके।'
'तब तो यह काम तुम्हें आज ही करना होगा।'
'आज कैसे कर सकता हूं।' जगतार बोला-'जरा मेरी हालत तो देखो। बुरी तरह घायल पड़ा हूं। थोड़ा जरा ठीक हो लेने दो।'
'नहीं जगतार खलीफा।' जगन सेठ ने सिर हिलाते हुए
कहा-'अगर आव यह काम नहीं हुआ तो फिर कभी यह काम नहीं हो सकेगा।'
'वह क्यों?'
'तुम इस साले मेयर को नहीं जानते। सौ हरामियों का एक हरामी है। वे कागजात सिर्फ रात-भर ही उस तिजौरी में रहेंगें। सुबह होते ही वह उनकी फोटो स्टेट कापियां करवाएगा और
अलग-अलग बैंकों के लकर में रख देगा।'
'ओह। फिर तो मामला गड़बड़ हो जाएगा।'
'इसलिए तो कह रहा हूं कि यह काम आज रात ही करने का है।'
'लेकिन।'
'लेकिन-वेकिन कुछ नहीं।' जगन सेठ जगतार को उत्साहित करता हुआ बोला-'बस हिम्मत मार लो आज की रात। सच कहता हूं जगतार गुरु अगर तुमने वे कागजात लाकर मुझे दे दिए तो समझ लो कि मालामाल कर दूंगा तुम्हें। तुम्हारे ऊपर में अपनी सारी दौलत न्यौछावर कर दूंगा। पुलिस तुम्हारी
छाया को भी नहीं छू सकेगी। उस फारेस्ट आफिसर की बहन साधना के साथ घर बसाने की सोच रहे हो ना तुम। तुम्हारे सारे सुनहरे सपने सच करवा दूंगा। बस आज रात हिम्मत मार लो और वह कागजात निकालकर ले आओ।'

'जब तुम कहते हो तो हिम्मत तो मैं मार लूंगा सेठ।' जगतार बोला-'लेकिन थोड़े बहुत औजार भी तो चाहिए मुझे।'
'औजारों की चिन्ता मत करो। भैरों के आते ही मैं औजारों
का इन्तजाम करवा दूंगा।'
और तभी वहां भैरों भी पहुंच गया, जैहे नाम सुनते ही प्रगट होने का इन्तजार कर रहा था। 'हुजूर यहां बैठे हैं और मैं पता नहीं कहां-कहां टेलीफोन कर-करके आपको ढूंढ़ता फिर रहा हूं।' भैरों जगन सेठ को देखते ही बोला।'
'क्यों क्या बात है?'
'वह अभी कुछ देर पहले अचानक ही फारेस्ट आफिसर ।'
'जिक्र मत कर उस कमीने के बच्चे का मेरे सामने।' जगन
सेठ ने एकदम क्रुद्ध होकर कहा।
'सुन तो वो जगन सेठ कि यह कह क्या रहा है?' जगतार
बोला-'सुन लेने में क्या बुराई है।'
चूंकि जगतार से तुरन्त काम लेना था तो उसकी बात मानते हुए जगन सेठ ने भैरों से कहा-'कहां मिल गया तुझे दो फारेस्ट भाफिसर?'
'रलिया राम के बार में।'
'रलिया के वार में।'
'हां हुजूर मैं वहां रलिया से मिलने गया था तो बाहर फारेस्ट डिपार्टमेट की जीप देखकर ही चौंका। बन्दर नया तो देखा फारेस्ट आफिसर बैठा हुआ पी रहा है।'
'शराब पीता है बो।'
'पीता ही होगा हुजूर जब वहां पी रहा था तो।' भैरों बोला-'मुझे देखते ही एकदम लपककर मेरे पास आया और मुझे जबर्दस्ती खींचकर अपनी मेज पर ले गया।'
'अच्छा? तब तो कोई खास बात ही करनी होगी।'
'जी हां हुजूर, मुझसे एक पिस्तौल मांग रहा था।'
'पिस्तौल किसलिए?'
'कह रहा था कि मेयर को जान से मारेगा।'
जगन सेठ ने जगतार को देखा। दोनों की आंखें मिलीं। फिर जगतार ने भैरों से पूछा-'तुमने क्या कहा?' 'में हुजूर सेठ साहब से पूछे बिना कुछ कैसे कह देता? इसी लिए तो जगह-जगह फोन करके ढूंढ रहा था। वैसे मैं उसे तसल्ली जरूर दे आया हूं कि कोशिश करके देखता हूं।'
'वह इस वक्त हैं कहां?'
'वही बार में बैठा है।' भैरों बोला-'मैंने फिलहाल रलिया राम
को ही लगा दिया है उसके साथ। अब जो हुक्म हो सो करू।'
जगन सेठ ने फिर जगतार की ओर देखकर पूछा-'क्या कहते हो?' दें दें पिस्तौल उसे?'
'हां जीजा तो अपराधी है ही साले को भी मुजरिम बना बेना
चाहते हो?'
'तो फिर टाल जाते हैं बात को।' 'नहीं।' जगतार कुछ सोचते हुए वोला-'मेरे ख्याल से पिस्तौल दे ही दो उसे। क्योंकि वह भी मुजरिम बन जाएगा तो अपनी बहन की शादी एक अपराधी से होने पर ज्यादा श ओर नहीं मचाएगा।'
'जैसा तुम कहो।'
'अब जरा औजारों का प्रबन्ध करवा दो। आज रात यह काम कर ही लिया जाए। ओर हां उसे पिस्तौल देने से पहले सारी योजना मुझसे समझ लेना।' 'पहले मैं भैरों से औजारों का इन्तजाम करवा लेता हूं ताकि तुम उन्हें एक दफा चैक भी कर लो। फिर उस फारेस्ट
आफिसर के लिए तुम्हारी क्या योजना है यह समझ लोते हैं तुमसे।'
जगन सेठ जगतार को वहीं छोड़कर भैरों के साथ बाहर निकल आया।
rajan
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Re: फोरेस्ट आफिसर

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गोदाम के एक कोने में ले जाकर उसने भैरों से कहा-'सबसे पहले तो यह लिफाफे ले जाकर मेयर को देना और उसके बाद।'
अच्छी तरह समझा कर उसने भैरों को विदा किया।
जगतार का भरोसा हो जाने के बाद भी वह तब तक मेयर की बात मानने से इंकार करने की हिम्मत नही दिखा सकता था
जब तक कि वे कागजात उसके हाथ में न आ जाएं। मेयर का भरोसा बनाए रखने के लिए वे फोटो ग्राफ्स उसे भिजवाने जरूरी थे। उसे यकीन था कि वे फोटो ग्राफ्स भी मेयर अपनी तिजोरी में ही रखेगा। या तो कागजों के साथ उन्हें भी निकाल
लाएगा जगतार या हो सकता है कि इन फोटो ग्राक्स की वजह से मेयर और जगतार की दुश्मनी और भी अधिक गहरी हो जाए।
बस एक बार जगतार उसकी तिजोरी में से कागजात निकाल भर लाए उसके बाद अगर उसने इस मेयर के बच्चे को और उस दोगले जयकर को लोहे के चने न चबवा दिए तो उसका नाम भी जगन सेठ नहीं। यही सब सोचता हुआ वह जगतार की योजना समझने के लिए उसके पास लौट चला।
जगतार ने उसे अपनी योजना सुनाई, जगन सेठ एकदम
भड़क कर बोला-'मान गए जगतार गुरु तुम्हारी अक्ल को। कागवाल तुम निकाल लाओगे और केसरी मेयर को खत्म करके अपराधी बन जाएगा और तुम उसके सरपरस्त। साधना पहले से ही तुम्हारे चक्कर में फंसी पड़ी है। सब झगड़े-टंटे खत्म। इसे कहते हैं एक तीर से दो शिकार। बस
आय रात यह सब कर ही डालो।'

मेयर की कोठी से निकला तो केसरी बुरी तरह क्षुब्ध और उत्तेजित था। उसे जरा भी उम्मीद नहीं थी कि मेयर जित वह एक सच्चा और ईमानदार आदमी समझता था इस तरह उसके साथ धोखा कर जाएगा।
जीप को निरुद्देश्य सड़कों पर दौड़ाए लिए जा रहा था। कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि कहां जाए। अपने चारों ओर उसे झूठ, मक्कारी और फरेब का जाल सा बुना हुआ लग रहा था। कहीं निस्तार नहीं मिलेगा उसे इस जाल से। सारी दुनिया ही उसे अपनी दश्मन सी दिखाई दे रही थी। कोई कीमत नहीं है यहां सचाई और ईमानदारी की। उसे जिन्दा रहना है तो इन चोरों के साथ चोर बनना ही पड़ेगा।
काफी देर तक वह जीप इधर से उधर दौड़ाता हुआ सड़कों पर भटकता रहा। फिर अचानक उसकी नजर एक बड़ से साईन बोर्ड पर पड़ी। बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा था-रलियाज बार।
हां शराब। लोग कहते हैं कि जलते हुए दिल के लिए शराब अमृत का काम देती है। उसका भी टो दिल जल रहा है प्रतिहिंसा की ज्वाला में। इस ज्वाला को अगर उसने नहीं बुझाया तो बह खुद उसे जलाकर राख कर देगी।
उसे पता भी नहीं चला कि कब वह जीप रोककर बार के
अन्दर घस कर एक मेज पर बैठा। कब उसने शराब मंगाई
और पीनी शुरू कर दी।
पीते-पीते ही वह सोच रहा था कि काश उसे एक पिस्तौल कहीं मे मिल जाए तो वह इस मेयर को तो मौत के घाट उतार ही देगा। अचानक उसे भैरोंसिंह नजर आया।
उठकर उसके पास पहुंचा। शराब के नशे ने उसे और भी ज्यादा दिलेर और बेबाक बना दिया था।
बोला-'अगर मैं गलती नहीं कर रहा तो तुम भैरोंसिंह ही हो ना?'
'हुजूर फारेस्ट आफिसर साहब ने सही पहचाना है मुझे।'
'तुम मेरा एक काम कर सकते हो?' अपनी मेब पर बैठने के बाद उसने भैरों से कहा।
'हुक्म कीजिए, हुजूर। करने लायक होगा तो जरूर करेंगे।'
'मुझे एक पिस्तौल चाहिए।'
भैरोसिंह ने चौंककर सावधानी से इधर-उधर देखा और फिर बोला-'यह बातें इतनी जोरदार आवाज में करने की नहीं होती हे आफिसर साहब। वैसे पिस्तौल का करेंगे क्या आप?'
'मुझे मेयर की हत्या करनी है।' उसने आगे की और झुकते हुए उसे अपना मजबूत इरादा बताया। 'बड़े ऊचे इरादे हैं।' भैरों बोला-'कब?'
'आज ही।'
'में देखता हूं कहीं से पिस्तौल हासिल की जा सकती है या नहीं। भैरों ने कहा-'लेकिन फिलहाल आप इस तरह खुले में मत बैठिए। किसी केबिन में बैठने का इन्तजाम करवा देता हूं मैं। और हां शराब भी जरा थोड़ी पीजिएगा। कहीं ऐसा न हो कि अपना इरादा पूरा करने से पहले आप खुद ही नशे में चित्त हो चुके हों।'
भैरों ने रलियाराम को उसका इन्तजाम करने के लिए कहा और चला गया। रलियाराम ने उसे एक केबिन में ले जाकर बैठा दिया।
कई घंटे बाद जब भैरों लौट कर आया तो उसे पिस्तौल दिखाता हुआ बोला-'काम तो हो गया है।'
उसने पिस्तौल हाथ में लेकर देखी, साथ ही मन ही मन सोचा कि आज मेयर को उसकी दगाबाजी की सबा देकर रहेगा।
'जरा सम्हाल कर रखिएगा बिना लायसेंस की है यह।' भैरों सिंह कह रहा था-'अगर भूमि. ने इस समेत पकड़ लिया तो बिना भाव के अन्दर हो जाएंगे।'
'कितने की है?'
'वह हिसाब भी बाद में हो जाएगा। पहले माप मेयर से तो
अपना हिसार-किताब चुकता कर लीजिए।'
एक खतरनाक निश्चय के साथ केसरी ने उस पिस्तौल पर हाथ फेरा-धाज रात सबसे पहले मेयर से ही हिसाब चुकता करेगा वह।
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