एक अधूरी प्यास- 2

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rajan
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Re: एक अधूरी प्यास- 2

Post by rajan »

तो इसमें क्या हो गया,,,(रुचि जानबूझकर इतने आराम से यह बात कह रही थी कि जैसे वास्तव में उसे कुछ भी फर्क नहीं पड़ता हो,,, लेकिन इतना तो शुभम समझता ही था कि बाथरूम का नजारा देखकर रूचि के मन में क्या असर हुआ होगा)

क्या बात कर रही हो भाभी आपको बिल्कुल भी फर्क नहीं पढ़ा था उस वाक्ये के बाद।

नहीं तो मुझे बिल्कुल भी फर्क नहीं पड़ा था,,,( रुचि जानबूझकर झूठ बोल रही थी यह तो वह अच्छी तरह से जानती थी कि उस नजारे को देखने के बाद से रुचि की हालत कितनी खराब होने लगी थी ,,, शुभम के मोटे तगड़े लंड को देखो करो वह अपने हाथ से ही अपनी प्यास बुझाने की नाकाम कोशिश करती रही लेकिन उसकी प्यास बुझने के बजाय और भी ज्यादा भड़कने लगी थी।)

क्या भाभी मुझे तो लगा था कि उस दिन के बाद से तुम मुझसे नाराज रहोगी मुझसे बातें नहीं करोगी इसलिए तो मुझे अंदर ही अंदर यह डर सता रहा था कि आपसे बात किए बिना मुझे अच्छा नहीं लगेगा ,,,
( शुभम की यह बातें सुनकर रुची को अंदर ही अंदर प्रसन्नता हो रहीं थी कि वह इस बात से परेशान था कि मैं उससे बात नहीं करूंगी इसका मतलब मेरे लिए उसके दिल में कुछ कुछ जरूर होता है। वह शुभम की यह बात सुनकर बोली।)

मैं भला तुमसे नाराज क्यों होने लगुंगी कोई इतनी बड़ी तो गलती कीए नहीं थे कि मैं तुमसे नाराज हो जाऊं वैसे भी मेरी ही गलती थी मैं बिना दरवाजे पर दस्तक दिए बिना ही अंदर घुस गई थी।,,, ( रुचि भले यह बात अपने मुंह से बोल रही थी लेकिन उसका दीदी जानता था कि अपनी इस गलती की वजह से वह अंदर ही अंदर शुभम के प्रति कितना आकर्षित होने लगी थी और उसे अपनी है गलती बहुत ही ज्यादा अच्छी भी लग रही थी क्योंकि उस गलती की वजह से ही उसे इस बात का अहसास हुआ कि मर्द का लैंड उसके पति की तरह नहीं करती शुभम की तरह होता है। रुचि भले यह बात अपने मुंह से बोल रही थी लेकिन उसका दील ही जानता था कि अपनी इस गलती की वजह से वह अंदर ही अंदर शुभम के प्रति कितना आकर्षित होने लगी थी और उसे अपनी है गलती बहुत ही ज्यादा अच्छी भी लग रही थी क्योंकि उस गलती की वजह से ही उसे इस बात का अहसास हुआ कि मर्द का लंड उसके पति की तरह नहीं बल्कि शुभम की तरह होता है।)

लेकिन भाभी सही कहूं तो गलती मेरी ही थी मैंने दरवाजे को लोक नहीं किया था जबकि मुझे यह करना चाहिए था और सबसे बड़ी गलती तो मेरी यही थी कि तुम मेरे सामने खड़ी हो कर देख रही थी और मैं तुम्हें देखते हुए भी अपने लंड को छुपाने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं कर रहा था बल्कि ना जाने क्यो मैं उस समय तुम्हारी आंखों के सामने उसे हिला रहा था और तो और सामान्य तौर पर वह ढीला भी नहीं था बल्कि एकदम खड़ा था इसलिए मुझे अपनी गलती का एहसास हो रहा है।( शुभम जानबूझकर इस तरह के शब्दों का प्रयोग करते हुए अपनी बात बता रहा था जो कि इस तरह के शब्द और शुभम की गंदी बातें सुनकर रुचि के तन बदन में आग लग रही थी एक तो धीरे-धीरे बारिश की बूंदों की वजह से दोनों पूरी तरह से भीगने लगे थे और धीरे-धीरे बारिश का जोर तेज होता जा रहा था साथ ही बादलों की गड़गड़ाहट बढ़ती जा रही थी ।)

हां यह बात तो माननी पड़ेगी कि कुछ गलती तुम्हारी भी है मैं अनजाने में बाथरूम में घुस गई थी लेकिन तुमने अपने लंड को छुपाने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं किए थे ।(रुचि जानबूझकर अब खुले तौर पर लंड शब्द का प्रयोग कर रही थी क्योंकि वह पूरी उत्तेजना ग्रस्त हो चुकी थी । इस तरह के सबके को सुनने में और कहने में अब उसे आनंद की प्राप्ति हो रही थी रुचि के मुंह से इस तरह की गंदी बात सुनकर शुभम पूरी तरह से उत्तेजित हो गया और धीरे-धीरे बाइक आगे बढ़ा रहा था और साथ ही रह रह कर उंचे नीचे गडडो की वजह से ब्रेक लगा ले रहा था ,, ना चाहते हुए भी रुचि का बदन शुभम से और ज्यादा शट जा रहा था जिसकी वजह से उसकी दोनों गोलाईया शुभम की पीठ पर अच्छी तरह से महसूस हो रही थी इस तरह से दोनों की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी..,,,)

मैं मानता हूं भाभी की मुझसे गलती हुई थीं लेकिन सब कुछ अनजाने में ही हुआ था कोई जानबूझकर मैंने नहीं किया था।,,,,,

चलो कोई बात नहीं मैं मानती हो कि सब कुछ अनजाने में ही हुआ था तो कि मुझे यह समझ में नहीं आ रहा था कि सब कुछ सामान्य होते हुए भी तुम्हारा लंड इतना खड़ा क्यों था जैसे कि पूरा तैयार हो,,,
( रुचि के मुंह से यह सब गंदे शब्द निकलते जा रहे थे लेकिन उसे समझ में नहीं आ रहा था कि यह सब शब्द उसके मुंह से निकल कैसे जा रहे हैं यह सब शुभम के साथ का कमाल था जो कि वह उसके दमदार हथियार को देखकर उसकी जबरदस्त एहसांस को अभी तक अपने अंदर महसूस कर रही थी और उसकी वजह से वह शुभम के आगे इतना खुल गई थी और इस सफर का आनंद लेते हुए गंदे शब्दों के साथ एकदम गंदी बातें कर रही थी।,,, शुभम को अपने कानों पर यकीन नहीं हो रहा था कि रूसी जैसी औरत जबकि यह बात अच्छी तरह से जानता था कि रुचि बहुत ही प्यासी औरत थी लेकिन वह अभी तक पूरी तरह से संस्कार के सांचे में ढली हुई थी उससे बाहर नहीं निकली थी लेकिन इतनी जल्दी उसके मुंह से इस तरह की गंदी बातें सुनने को मिलेगी इसलिए उसे अपने कानों पर विश्वास नहीं हो रहा था। लेकिन जो कुछ भी हो रहा था वह अच्छा ही हो रहा था और उसी में उसकी भलाई थी और लाभ भी। लेकिन उस के ईस सवाल के साथ ही उसकी सिट्टी पिट्टी गुम हो गई क्योंकि वह अच्छी तरह से जानता था कि जो रुचि कह रही थी वह बिल्कुल सही था सामान्य तौर पर कभी भी मर्द का लंड खड़ा नहीं होता कुछ मादक या उत्तेजनापूर्ण वस्तु देखने के बाद ही मर्द का लंड खड़ा होता है,,, और सबसे बड़ी उत्तेजनात्मक वस्तु उस समय उसकी आंखों के सामने रूचि ही थी लेकिन वह अपने मुंह से कैसे कह दें कि तुम्हें देखकर लंड खड़ा हुआ था। शुभम को इस तरह से खामोश देखकर रुचि अपने सवाल को वापिस दोहराते हुए बोली ।)

क्या हुआ चुप क्यों हो गया मेरे सवाल का जवाब क्यो नहीं देता,,
( शुभम को समझ मे नहीं आ रहा था कि क्या बोले दूसरी तरफ बारिश का जोर बढ़ता जा रहा था अब इतनी तेज बारिश हो रही थी कि उसे आगे का रास्ता ठीक से नजर नहीं आ रहा था और साथ ही तेज हवा चल रही थी और तो और बादल की गड़गड़ाहट से पूरा वातावरण डरावना होता जा रहा था शाम ढल चुकी थी बारिश की वजह से अंधेरा लगने लगा था,, ऐसे हालात में आगे बढ़ना ठीक नहीं था इसलिए वह रुचि से बोला।)

भाभी हमें कहीं जगह देख कर कुछ देर के लिए रुकना पड़ेगा जब तक की बारिश नहीं थम जाती क्योंकि बारिश कितनी तेज हो रही है और साथ ही हवा भी तेज है ऐसे में आगे मोटरसाइकिल चला कर ले जा पाना बड़ा ही मुश्किल है ऐसे में गिरने का डर ज्यादा है क्या कहती हो,,,,

रुक तो जाए लेकिन रुकेंगे कहां यहां तो कुछ नजर भी नहीं आ रहा है सब जगह केवल खेत ही खेत दिखाई दे रहे हैं,,,(रुचि को भी इस बात का एहसास अच्छी तरह से हो गया था कि ऐसे में सफर करना ठीक नहीं था इसलिए मौके की नजाकत को देखते हुए वह बोली.)

बात तो तुम ठीक कह रही हो भाभी कहीं कुछ दिखाई भी नहीं दे रहा है,,,
( शुभम इतना बोला घर था कि तभी रुचि की नजर पास में ही एक झोपड़ी पर पड़ी जो कि खाली ही लग रही थी उस पर नजर पड़ते ही रुचि खुशी के मारे बोली)
शुभम और रुची कुछ इस तरह से



वह देखो शुभम,,,, औ रही झोपड़ी,,,, खाली ही लग रही है चलो उसमें चलते हैं,,,( इतना सुनते ही शुभम उस तरफ देखकर तसल्ली कर लेने के बाद अपनी मोटरसाइकिल बंद कर दिया और तुरंत रुचि मोटरसाइकिल से नीचे उतरकर उस झोपड़ी की तरफ जाने लगी शुभम उसे जाते हुए देख रहा था जो कि इस समय पूरी तरह से भीग चुकी थी और उसकी पीले रंग की पतली साड़ी के साथ-साथ उसकी ब्लाउज भीग कर गोरे गोरे बदन से चिपक गई थी जिसमें से लाल रंग की ब्रा की पट्टी साफ नजर आ रही थी और साथ ही उसकी सारी पूरी तरह से खत्म होने की वजह से हल्की हल्की उसकी पैंटी की पट्टी साफ तौर पर उसकी गोलाकार नितंबो से चिपकी हुई नजर आ रही थी या देखते ही शुभम के लंदन में हरकत होना शुरू हो गया और वह अपनी मोटरसाइकिल खड़ी करके उसके पीछे पी2छे जाने लगा कुछ ही देर में वह दोनों झोपड़ी के अंदर आ चुके थे,,,।


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rajan
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Re: एक अधूरी प्यास- 2

Post by rajan »

बरसात अपने जोरों पर थी। ऐसा लग रहा था पीछे से भगवान ने दोनों की सुन लिया हो तभी तो रास्ते में इस तरह की तूफानी बारिश शुरू हो गई। बारिश इतनी तूफानी होगी इसका अंदाजा दोनों को बिल्कुल भी नहीं था दोनों पूरी तरह से भीग चुके थे रुचि की तो हालत खराब हो गई थी रूचि का पूरा बदन बरसात के पानी में भीग चुका था। उसके पीले रंग की साड़ी उसके बदन से एकदम चिपक से गई थी और पानी की वजह से उसकी साड़ी पूरी तरह से ट्रांसपेरेंट नजर आने लगी थी जिसमें से उसके बदन का हर एक अंग और उसका कटाव और साफ साफ नजर आ रहा था। तभी तो मोटरसाइकिल पर से उतर कर आगे आगे जा रही रुचि की गोलाकार मदमस्त गांव और उस पर सारी चिपकने की वजह से उसमें से दिख रही उसकी पैंटी की पट्टी साफ नजर आ रही थी। और साथ ही लाल रंग की ब्रा की पट्टी के साथ-साथ उसका पूरा स्ट्रक्चर दिखाई दे रहा था यह देखकर शुभम के तन बदन में आग लग गई,,,,, औरत जितनी ज्यादा खूबसूरत सामान्य तौर पर होती है उससे कहीं ज्यादा खूबसूरत और सेक्सी भीगने के बाद हो जाती है वहीं कुछ रुचि के साथ भी हो रहा था वह जितनी ज्यादा खूबसूरत थी,, बरसात के पानी में भीगने के बाद से तो वह स्वर्ग से उतरी हुई कोई अप्सरा लग रही थी। रूचि की मादकता भरी जवानी देख कर शुभम का मतवाला लंड अंगड़ाई लेने लगा। ,,,,



लगातार बादलों की गड़गड़ाहट हो रही थी जिससे रुचि को थोड़ा डर लग रहा था साथ ही बिजली की चमक और तेज हवाओं के साथ तूफानी बारिश ,,,,,सब कुछ डरावना सा था लेकिन ना जाने क्यों इस डरावने माहौल में भी रुचि को शुभम का साथ होने की वजह से अत्यधिक पूरा माहौल खुशनुमा लग रहा था बदन में मदहोशी की लहर दौड़ रही थी। एक औरत होने के नाते अपनी पूरे बदन के भूगोल से वह पूरी तरह से वाकिफ थी इसलिए उसे इस बात का भी ज्ञात अच्छी तरह से था कि बारिश के पानी में भीगने की वजह से उसकी साड़ी बदन से चिपक गई थी और जिसकी वजह से ना चाहते हुए भी उसके बदन का हर हीस्सा साफ तौर पर नजर आ रहा था जिस पर चोर नजरों से सुभम की नजर पड़ ही जा रही थी और इस बात का एहसास उसे अंदर तक उत्तेजित कर दे रहा था।

दोनों झोपड़ी के अंदर खड़े थे झोंपड़ी के बाहर का माहौल पूरी तरह से बरसात से नहाया हुआ था साथ ही तूफानी हवा सब कुछ झकझोर के रख दे रही थी। रुचि अपने साड़ी के पल्लू से पानी को लूछने का काम कर रही थी,,, वह साड़ी के पल्लू को गोल गोल घुमा का उसमें से पानी लूछ रही थी। जिसकी वजह से रुचि का ध्यान नहीं गया और उसकी छाती पर से साड़ी का पल्लू हट गया जिसकी वजह से शुभम को रुचि की चूची के ऊपर वाला हिस्सा जो कि काफी गोल सतह पर उभरा हुआ और उसमें दोनों के बीच गहरी पतली दरार एकदम साफ नजर आने लगी। यह देखकर शुभम के लंड ने रुचि की मदमस्त जवानी को सलामी भरते हुए ऊपर नीचे हरकत किया और रूचि जो कि इस बात का आभास होता है कि शुभम की नजर उसकी दोनों गोलाईयो पर है वह अंदर ही अंदर एकदम मस्त होने लगी और उसी तरह से अपनी छातियों को साड़ी से ढकने की बिल्कुल भी चेष्टा ना करते हुए उसी तरह से पानी लूछते हुए वह शुभम से बोली।,,,

तू बताया नहीं,,,,

क्या,,,,? ( एक टक बेशर्म की तरह रुचि की झांकियों को घूरते हुए बोला।)

यही की सब कुछ सामान्य होते हुए भी बाथरूम के अंदर तेरा लंड क्यों खड़ा था,,,,( रुचि अब लंड शब्द इतने सहज भाव से बोल रही थी कि जैसे कोई चरित्रवान औरत ना हो करके कोई गंदी औरत हो और शुभम उसके मुंह से लंड शब्द सुनकर हमारे उत्तेजना के फूले नही समा रहा था,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या जवाब दें वह भी एक दम बेशर्म बनना चाहता था और उसके सवाल के साथ ही बादलों की गड़गड़ाहट की आवाज कुछ ज्यादा ही तेज होने लगी तो,, रुचि की नजर इधर उधर आसमान में घूमने लगी उसे थोड़ा बहुत डर लग रहा था। शुभम रुचि के सवाल का जवाब देते हुए बोला।)
रुची और शुभम


क्या तुम सच में जानना चाहती हो कि सामान्य होने के बावजूद भी मेरा लंड खड़ा क्यों था,,,? ( इतना कहते हो गए शुभम की नजर रुचि के ऊपर पड़ी तो देखा की रुची नजरे नीचे करके उसके पेंट में बने तंबू को ही देख रही थी जो कि काफ़ी उभरा हुआ था। यह देखकर शुभम जानबूझकर अपना एक हाथ नीचे की तरफ ले जाकर अपने लंड को पेंट के ऊपर से ही दबाने लगा और रूचि यह देखकर उत्तेजना के मारे एकदम गनगना गई,,,,)

हां मैं जानना चाहती हूं,,,( रुचि के तन बदन में उत्तेजना का असर साफ नजर आ रहा था क्योंकि यह जानते हुए भी कि शुभम की नजर उसके ऊपर थी जो कि वह उसके पेंट में बने तंबू को देख रही थी फिर भी वह उसी को घूरते हुए ही जवाब दी,,,, रुचिका इतना कहना था कि तभी जोर की बादल की गड़गड़ाहट हुई और रुचि एकदम से घबराकर शुभम से सट गई और शुभम भी मौके का फ़ायदा उठाते हुए उसे तुरंत अपनी बाहों में भर लिया,,, रुचि इस समय पूरी तरह से शुभम की बाहों में समाई हुई थी शुभम उसे ज़ोर से अपनी बाहों में जकड़े हुए था कुछ देर तक बादलों की गड़गड़ाहट की आवाज पूरे वातावरण में गूंजती रही और डर के मारे रुचि अपनी आंखों को बंद कर ली थी ,,, कुछ सेकंड के बाद बादलों की गड़गड़ाहट की आवाज जब शांत हुई तो उसे इस बात का आभास हुआ कि वह शुभम की बाहों में है और शुभम उसे जोर से अपनी बाहों में जकड़े हुए हैं वह जानबूझकर ऊपर ही मन से उस से छूटने की कोशिश करने लगी लेकिन शुभम अपनी बाहों का दबाव उसके बदन पर कुछ ज्यादा ही जोर से दिए हुए था।,,, रुचि की खूबसूरत बदन को अपनी बाहों में लेकर शुभम उत्तेजना के परम शिखर पर विराजमान हो गया था उसके पेंट में बना तंबू कुछ ज्यादा ही अकड़ कर खड़ा हो गया था जो कि इस समय रुचि को अपनी बाहों में लेने की वजह से उसका तंबू ठीक ऊसकी टांगों के बीच की दरार पर धंसने लगा था ऐसा लग रहा था कि मानो जैसे वह रुचि के बुर के दरवाजे पर बाहर से दस्तक दे रहा हो और रुचि भी अपनी टांगों के बीच की उस पतली दरार पर शुभम के मोटे तगड़े लंड के बने तंबू की ठोकर को महसूस करके एकदम कामोत्तेजना से तृप्त हुए जा रही थी।,,,,, रूची अपने आप पर बड़ी मुश्किल से कंट्रोल किए हुए थी वरना किसी भी पल उसके मुख से गर्म सिसकारी की आवाज निकल जाती। ,,,, कुछ ही देर में शुभम के मर्दाना ताकत भरे अंग की ठोकर से वह काम व्हीवल हो गई,,,, और अब वह शुभम की बांहों से आजाद होने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं कर रही थी बल्कि शुभम की चोरी छातियों में अपने आप को और ज्यादा छुपाने की कोशिश कर रही थी। दोनों के नथूनों से निकल रही गर्म सांसों की गर्मी दोनों के चेहरे पर महसूस होने लगी,,, झोपड़ी के अंदर का नजारा पूरी तरह से बदलना शुरू हो गया था लेकिन झोपड़ी के बाहर का नजारा और वातावरण उसी तरह से तूफानी हो चला था।,,,, रुचि को अपनी बाहों में भर कर शुभम की हिम्मत और ज्यादा आगे बढ़ने लगी थी अब वह समझ गया था कि मंजिल उसके हाथ में ही है।
धीरे-धीरे शुभम अपनी हथेली को रुचि की चिकनी पीठ पर ऊपर से नीचे फिराने लगा,,,,, शुभम की हरकत की वजह से रुचि शर्म के मारे पानी-पानी हुए जा रही थी लेकिन कर भी क्या सकती थी वह भी अपने पति से अतृप्त थी,, उसका पति उसकी काम भावना को किसी भी तरह से शांत करने में सक्षम साबित हो रहा था ना तो उसका मर्दाना अंग ही उसके काबिल था और ना ही वह खुद,, इस बात का एहसास उसे शुभम से मिलने के बाद और अनजाने में ही उसके लंड को देखने के बाद से होने लगा था। रुचि अपने आप को शुभम के गर्म जिस्म में पिघलता हुआ महसूस कर रही थी। ,,,,, शुभम को इस बात का पूरी तरह से विश्वास हो गया कि आज उसने फिर से एक उड़ती चिड़िया को पिंजरे में क़ैद कर लिया था अब वह जैसा चाहे वैसा ही होगा इस बात का उसे पक्का विश्वास हो गया था इसलिए वह धीरे से फुसफुसाते हुए रुचि से बोला,,,।

भाभी क्या तुम सच में अभी भी जानना चाहती हो कि मेरा लैंड खड़ा क्यों था,,,?
rajan
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Re: एक अधूरी प्यास- 2

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शुभम की बात सुनकर जवाब में रुचि के मुंह से एक भी शब्द नहीं फूटे इसलिए वह इशारों में ही अपना सिर हिलाकर हामी भर दी।,,,,
( रुचि की तरफ से इशारा पाते ही सुगम से रहा नहीं गया उसे समझ में आ गया की रुचि की तरफ से उसे हरी झंडी मिल गई है इसलिए अब देर करना अच्छी बात नहीं थी,, इसलिए वह भी पूरी तरह से काम होते जीत होकर अपने दोनों हथेलियों को रुचि की चिकनी पेट से नीचे की तरफ से लाते हो लेकर आ और कमर के नीचे के उसके नितंबों के उभार को साड़ी के ऊपर से ही अपनी हथेली में दबाते हुए अपनी तरफ खींच कर बोला,,,,।)



सच सच कहूं तो भाभी मेरा लंड सिर्फ तुम्हारी वजह से खड़ा हुआ था।,,, भाभी तुम सच में बहुत खूबसूरत हो ऐसा लगता है कि जैसे कोई अप्सरा स्वर्ग से नीचे जमीन पर उतर आई हो।,,, तुम्हारी मदमस्त कर देने वाली जवानी मुझे मदहोश कर देती है जब भी कभी तो मेरे पास मेरे करीब होती हो तो मुझे ना जाने क्या होने लगता है और ऐसा ही उस दिन हुआ था जब मैं तुम्हें तुम्हारी मार के छोड़ने गया था तुम्हें इतना करीब महसूस करके मुझसे रहा नहीं गया और मेरा लंड खड़ा हो गया।,,, और अनजाने में ही तुमने मेरे लंड को देख ली और सच कहूं तो तुम्हें उस हालात में देखकर कोई भी होता तो अपने लंड को छुपाने की कोशिश करता लेकिन ना जाने तुम्हारे बदन में तुम्हारी खूबसूरती में कैसी कशिश थी कि मैं ऐसा नहीं कर पाया और अपना लंड हिलाते हुए तुम्हें दिखाता रहा,,( शुभम रुचि की मदमस्त जवानी में पागल होकर जो भी मन में आया सब कुछ एक सांस में ही बोल दिया और साथ ही यह सब बोलते बोलते लगातार अपने दोनों हथेलियों को जितना हो सकता था उतना रुचि की मदमस्त गांड के उभार को उस में भरकर दबाता रहा जिससे रूचि के तन बदन में मादकता का सुरूर चढ़ने लगा ,, वह भी अपनी तारीफ में शुभम के मुंह से इस तरह की बातें सुनकर एकदम मदहोश होने लगी और साथ ही उसकी हरकत की वजह से अब वह पूरी तरह से चुदवासी हो चुकी थी ,,,,, शुभम की बातें सुनकर उसके पास बोलने लायक कोई शब्द नहीं थे वह खामोश रहे और उस खामोशी का फायदा उठाकर शुभम अपने दोनों हाथ को ऊपर की तरफ लाकर उसके खूबसूरत गोल चेहरे को अपनी हथेली में लेकर ऊपर उठाया और उसके लजरते हुए लाल लाल होंठों को अपने होंठों में लेकर चूसना शुरू कर दिया,,
शुभम को नहीं मालूम था कि उसकी इस हरकत का रुचि पर क्या असर पड़ेगा बस वह जो मन में आया वह करना शुरू हो गया मौके की नजाकत भी यही कहती थी।,,, लेकिन रुचि की तरफ से किसी भी प्रकार का विरोध नहीं हो रहा था बल्कि वह कुछ ही देर में उसका साथ देते हुए खुद ही उसके होठों को मुंह में लेकर चूसने शुरू कर दी और उसके दोनों हाथ खुद-ब-खुद शुभम की पीठ पर चले गए शुभम पागलों की तरह उसके लाल लाल होंठों को चूसना शुरू कर दिया था मानो जैसे एक भंवरा खूबसूरत फूल की मीठा उसको चूसता हो।,,,, दोनों काफी उत्तेजित हो चुके थे झोपड़ी के अंदर का पूरा माहौल मादक हो चुका था और बाहर बारिश अभी भी अपना जोर दिखा रही थी।,,,, शाम के तकरीबन 5:30 का समय हो रहा था लेकिन बारिश और बादलों की वजह से अंधेरा सा होने लगा था,,, लेकिन इतना भी अंधेरा नहीं हुआ था कि एक खूबसूरत औरत के जिस्म को देखा ना जा सके शुभम को सब कुछ साफ-साफ ने दिया था रुचि के बदन का हर एक हिस्सा शुभम की आंखों में चमक भर दे रहा था।,,,, रह रह कर बादलों की गड़गड़ाहट तेज हो जा रही थी,,,, थोड़ा डरावना माहौल होने के बावजूद भी दोनों उस माहौल के बिल्कुल विपरीत होकर एक दूसरे में समाने की कोशिश कर रहे थे। ,,, शुभम समझ गया था कि उस दिन लैंड खड़ा होने का जो उसने कारण बताया था उससे रुचि को किसी भी प्रकार की आपत्ति नहीं थी फिर भी वह अपनी मन की शंका को दूर करने के हेतु बोला।,,,
Shubham or ruchi..


भाभी जो मैंने कहा उसे से तुम नाराज तो नहीं हो,,

नननन,,, नहीं,,,,( रुचि उत्तेजना के मारे सिसकते हुए बोली,, वैसे भी भला इसमें उसे क्यों एतराज होने लगा था,,, काफी समय हो गया था किसी मर्द के मुंह से अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनें शुभम की बातें उसे पहले से ही अच्छी लगती थी और इस तरह की बातें सुनकर तो वह उसकी पूरी तरह से दीवानी हो गई थी इसलिए तो उसकी बाहों में एकदम मचल रही थी। रुचि का जवाब सुनकर शुभम की हिम्मत बढ़ने लगी झोपड़ी के अंदर आज अपने मन की मुराद पूरी कर लेना चाहता था इसलिए वह एक हाथ ऊपर की तरफ ले आकर ब्लाउज के ऊपर से ही रुचि की चूची को दबाना शुरू कर दिया उत्तेजना के मारे वह इतनी कसके रुचि की चूची को पकड़ा था कि रुचि के मुंह से आह निकल गई,,, रुचि के पास आज शुभम के आगे समर्पण करने के अलावा दूसरा कोई भी रास्ता नहीं था वैसे भी मन में वह भी अपने आप को पूरी तरह से तैयार कर चुकी थी शुभम को पूरी तरह से समर्पण करने के लिए आज वह अपने मन की प्यास अपने तन की प्यास सब कुछ पूछा देना चाहती थी शादी हुई तब से वह अपने बदन की प्यास को पूरी तरह से बुझा नहीं पाई थी और उसके पति के द्वारा तो उसकी प्यास और बढ़ती जाती थी बस अपने आचरण और संस्कार की वजह से ही अपने पैर को रोके रखी थी लेकिन आज इस बारिश के माहौल में सुनसान झोपड़ी के अंदर अपने तन की प्यास बुझाने के लिए पूरी तरह से तैयार हो गई थी।,,,

ओहहहहह,,,, भाभी तुम्हारी गोल-गोल चूचियां इसे देखने के लिए मैं कब से तड़प रहा था ,,, तुम्हारी दोनों चुचियों को मुंह में भर कर पीना चाहता हूं इनसे खेलना चाहता हूं ,,,,( ऐसा कहते हुए सुभम अपना दूसरा हाथ भी उठा कर ब्लाउज के ऊपर से ही दोनों संतरे को दबाना शुरू कर दिया,,)

ससससहहहह,,,,,आहहहहह,,,,, कोई आ गया तो,,,(स्तन मर्दन की वजह से गुरुजी पूरी तरह से गरमाने लगी थी और गर्म सिसकारी लेते हुए शंका जताते हुए बोली.,,,, रुचि का यह कहना कि कोई आ गया तो यह इस बात का सबूत था कि वह पूरी तरह से तैयार थी शुभम से छुड़वाने के लिए पर यह बात तो हम भी उसकी बातों के जरिए जान गया था इसलिए वह ब्लाउज के बटन को खोलते हुए बोला,,,)

भाभी ये गांव है और सड़क पर इतनी तूफानी बारिश मे गांव वाले कभी नहीं आने वाले क्योंकि मैं भी गांव में रह चुका हूं मैं अच्छी तरह से जानता हूं कि ऐसी बारिश में और वह भी शाम ढलने के बाद कोई गांव वाला घर से बाहर नहीं निकलता इसलिए तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो यहां पर हमें किसी भी प्रकार की दिक्कत नहीं आएगी,,,( इतना कहते हुए शुभम बात ही बात में रुचि के ब्लाउज के सारे बटन खोल दिया रुचि को भी इस बात का आभास नहीं हुआ कि कब शुभम ने फुर्ती दिखाते हुए उसके ब्लाउज के सारे बटन खोल दिया ,,ब्लाउज के बटन खुलते ही उसकी आंखों के सामने लाल रंग की ब्रा नजर आई जिसमें रुचि की संतरे जैसी चूची बहुत ही खूबसूरत लग रही थी।,,,, रुचि की ख़ूबसूरत संतरे जैसी चूची देखकर सुभम की आंखों में चमक आ गई ,,,, दूसरी तरफ रुची का दिल जोरों से धड़क रहा था,,,, शुभम जिस तरह से फुर्ती दिखाते हुए उसका ब्लाउज खोला था उसे देखते हुए रुचि को लग रहा था कि वह उसकी ब्रा भी ना खोल दें लेकिन चाहतीं तो वह भी यहीं थी कि वह उसकी ब्रा भी खोल दे लेकिन फिर भी उसे डर था कि कहीं कोई आ ना जाए क्योंकि वह नहीं चाहती थी कि कोई वहां आ जाए और लेने के देने पड़ जाए ,,, लेकिन फिर भी शुभम की बात सुनकर उसे भी तूफानी बारिश देखकर यही लग रहा था कि उसे मैं वहां कोई आने वाला नहीं है लेकिन फिर भी एक औरत होने के नाते उसे डर तो लग ही रहा था लेकिन मजा भी उतना आ रहा था,,,,
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Re: एक अधूरी प्यास- 2

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दोनों की सांसो की गति तेज चल रही थी शुभम मदहोश होकर रूचि की लाल रंग की ब्रा के अंदर झांक रहा था और रुचि शुभम की आंखों में अपनी खूबसूरत बदन को लेकर जो चमक नजर आ रहीं थी उससे उसके अंदर काफी प्रसन्नता का एहसास हो रहा था क्योंकि उसे इस बात का अंदाजा लग रहा था कि शुभम जरूर उसकी प्यास बुझा पाएगा,,, शुभम तुरंत उसके पीछे जाकर खड़ा हो गया और अपने दोनों हाथों से उसके ब्लाउज को उसके खूबसूरत चिकनी हाथों में से निकालने लगा लो जी का दिल जोरों से धड़क रहा था जिस तरह से होगा धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा था रुचि को एहसास हो रहा था कि कुछ बहुत ही अच्छा होने वाला है देखते ही देखते हैं शुभम ने रुचि के ब्लाउज को उतार कर नीचे फेंक दिया,,,,, शुभम की मदहोशी देखते हुए रुचि को एहसास हो गया कि वह उसकी ब्रा भी उतार देगा इसलिए वह पहले ही बोली,,,


नहीं सुभम मेरी ब्रा मत उतारना पहनने में दिक्कत होगी,,,

कोई दिक्कत नहीं होगी भाभी में जिस तरह से उतार रहा हूं उसी तरह से पहना भी दूंगा,,, (इतना कहते हुए शुभम पीछे से रुचि की ब्रा का हुक खोलने लगा और देखते ही देखते रुचि के बदन से ब्र कब अलग हो गई यह रूचि को भी पता नहीं चला,,,,,,, ब्रा के उतरते ही शुभम की आंखों में चमक आ गई और वह पीछे से रुचि को अपनी बाहों में भरकर अपने दोनों हथेली में उसके दोनों संतरो को पकड़कर जोर जोर से दबाना शुरू कर दिया इतना जोर से वह पागलों की तरह रुचि की चूची दबा रहा था कि रुचि से रहा नहीं गया और वह दर्द से कराहने लगी,,,,,

आहहहहह,,,,, शुभम दर्द कर रहा है,,,

चिंता मत करो भाभी थोड़ी ही देर में मजा आने लगेगा लगता है कि भैया ठीक तरह से आपकी चुची पर मेहनत नहीं कीए है इसीलिए आप इस तरह से चिल्ला रही हो वरना इस तरह से चिल्लाती नहीं बल्कि मजे लेकर और दबवाती ,,,,


ससससहहहह,,,,आहहहह,,,, सच कह रहा है तू शुभम अगर मेरे पति इस पर मेहनत कीए होते तो सच में मैं मजे लेकर चिल्लाती दर्द से नहीं,,,,(रुचि दर्द से कराहते हुए बोली,,,,,)

लेकिन कोई बात नहीं भाभी अाप भी थोड़ी देर में ही आपको मजा आने लगेगा और आप भी सिसकारी ले ले कर मजे लेंगी,,,,। (शुभम रुचि की चूची पर मेहनत करते हुए मजे लेने लगा,,,, शुभम के हाथों में अधिकतर अभी तक बड़ी-बड़ी चूचियां ही आई थी लेकिन आज पहली बार एकदम संतरे के साइज की गोल-गोल चूचियां आई थी जिसे दबाने में शुभम को काफी उत्तेजना और आनंद की अनुभूति हो रही थी वह पागलों की तरह रुचि के गले पर चुंबनों की बौछार करते हुए लगातार उसकी चूची से खेल रहा था और साथ ही अपने पैंट में बने तंबू को हल्के हल्के उसके नितंबों से रगड़ रहा था जिससे रुची के बदन की गर्मी और ज्यादा बढ़ती जा रही थी ,,,,, शुभम की सूझबूझ के कारण थोड़ी ही देर में रुचि के मुंह से मादकता भरी सिसकारी छूटने लगी ,,,

ससससहहहह,,,,,आहहहहह,,,,,ऊऊऊऊऊहहहहह,,,,

देखा भाभी मैंने कहा था ना कि तुम्हें भी मजा आने लगेगा तो तुम्हारे मुंह से चिल्लाने की जगह गरम सिसकारी की आवाज निकलने लगेगी,,,

हारे तो सच कहा था अब मुझे दर्द बिल्कुल भी नहीं हो रहा है बल्कि मजा आ रहा है इस तरह से तो मेरे पति ने आज तक मेरी चूचियों से नहीं,,खेला,,,

पागल है भैया जो ईतनी खूबसूरत औरत के साथ मस्ती भरी रात नहीं गुजारते,,, ना तो तुम्हारी खूबसूरत है जिस्म से खेलते हैं,,,,( इतना कहते हुए शुभम अपनी हरकत को जारी रखते हुए बार-बार अपने पेंट में बना तंबू उसकी मदमस्त गोल गोल गाल पर कुछ ज्यादा ही जोर जोर से रगड़ रहा था जिससे रुचि को अपनी गांड के बीचो-बीच कोई मोटी लकड़ा की तरह चुभता हुआ महसूस हो रहा था इसलिए वह बोली,,,,)

शुभम तेरा लंड है कि मुसल मेरी गांड में बहुत जोरों से चुभ रहा है।,,,,,

भाभी मेरा बस चले तो साड़ी के ऊपर से ही तुम्हारी गांड में मेरा लंड पेल दुं,, ( शुभम मारे उत्तेजना के पागल हुआ जा रहा था वह इतनी जोर जोर से रूचि की चूची को मसल रहा था कि वह एकदम लाल टमाटर की तरह हो गई थी ,,, लेकिन इसमें रुचि को बहुत ही आनंद की अनुभूति हो रही थी झोपड़ी के बाहर अभी भी लगातार बारिश बहुत जोरों की पड़ रही थी देखते ही देखते खेतों में पानी नजर आने लगा जो कि बहुत ही तेजी से खेतों में पानी भर रहा था,,, रुचि स्तन मर्दन का मजा लेते हुए गरम सिसकारी की आवाज के साथ बोली।)

शुभम ये बारिश बंद होगी भी कि नहीं होगी,,,

भाभी मुझे तो लगता है कि यह बारिश तभी बंद होगी जब तक कि मैं तुम्हारी प्यास नहीं बुझा देता,,,,,

तो देर क्यों कर रहा है मेरी प्यास तो बढ़ती जा रही है बुझा जल्दी से मेरी प्यास बुझा,,,,( रुचि एकदम मदहोश होते हुए यह बात कहने के साथ ही एक हाथ पीछे की तरफ ले जाकर शुभम की लंड को पजामे के ऊपर से ही पकड़ कर उसका जायजा लेने लगी,,,)
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