एक अधूरी प्यास- 2

Post Reply
rajan
Expert Member
Posts: 3286
Joined: 18 Aug 2018 23:10

Re: एक अधूरी प्यास- 2

Post by rajan »

अद्भुत और अदम्य साहस का परिचय दिखाते हुए सरला ने जो हिम्मत भरा कदम उठाकर संभोग सुख प्राप्त की थी इसे देखकर शुभम एकदम दंग रह गया था,, वैसे भी मनुष्य जाति की पहले से ही आदत रही है कि वह किसी काम में अपना दमखम दिखाएं या ना दिखाएं लेकिन जहां एक औरत को मर्द से और मर्द को औरत के द्वारा संभोग सुख प्राप्त करना होता है तो वहां पर वह अपने बदन की सारी ताकत सारी हिम्मत लगा देता है,, और वही सरला ने भी की थी यह जानते हुए भी कि उसकी बहू घर में है और संध्या का समय हो रहा है ऐसे में वह हिम्मत दिखाते हुए छत पर गई और वहां पर शुभम से जबरदस्त चुदाई का आनंद ली।
सरला का यही दमखम देखकर शुभम पूरी तरह से उत्तेजना के सागर में गोते लगाने लगा था और इस अनोखे पल का आनंद उठाते हुए संध्या के समय छत पर भरपूर उजाला होने के बावजूद और किसी के देखे जाने का खतरा बने होने के बाद भी वह सरला जैसी उम्र दराज बड़ी बड़ी गांड वाली औरत को चोदने से अपने मन के लालच को रोक नही पाया,,, सरला भी काफी दिनों से शुभम से शारीरिक संबंध बनाने के लिए तड़प रही थी क्योंकि उसे शुभम की आदत पड़ चुकी थी और वही शुभम की खासियत भी थी वजह से औरत के साथ संबंध बनाता था अपनी मर्दाना ताकत का परिचय उसे बराबर कर आता था और उसी मर्दाना ताकत का अनुभव दोबारा अपने बदन में महसूस करने के लिए औरत तड़प होती थी और यही सरला के साथ भी हुआ था,,, रुचि की अनुपस्थिति में सरला को वह हर तरह से शारीरिक सुख दिया था,,, और ऐसा सुख दिया था कि उसके हर धक्के का एहसास सरला को हमेशा होता रहता था जिससे वह भी शुभम से दोबारा शारीरिक संबंध बनाने से अपने आप को रोक नहीं पाी,,, उम्र के इस पड़ाव पर और एक बहू होने के बावजूद भी वह अपनी वासना को अपने अंदर दबा नहीं,, पाई थी और एक नौजवान औरत की तरह अपनी शारीरिक भूख मिटाने के लिए वह इस हद तक चली गई,,,


सरला की जबरदस्त चुदाई करने के बाद सुभम तो छत पर से नीचे नहीं गया वह छत पर ही रुक गया क्योंकि उसे कसरत करना था वैसे भी उसका कसरत हो चुका था सरला की जबरदस्त चुदाई करके,,, वैसे भी जितना पसीना वह कसरत करके बहाता ऊससे कही ज्यादा पसीना वह सरला को चोदकर बहा चुका था,,,, आप उसे कसरत करने की जरूरत बिल्कुल भी नहीं थी लेकिन फिर भी वह अपनी आदत के अनुसार वहीं रुका रहा,,,, लेकिन सरला जोकि तृप्ति भरे एहसास के साथ पूरी तरह से संतुष्ट हो चुकी थी अपनी चरम सुख को बड़ी सफलता पूर्वक प्राप्त करने के बाद उसके चेहरे पर संतुष्टि के भाव साफ झलक रहे थे,,, वह पूरी तरह से तृप्त हो चुकी थी,,, और वह साड़ी को वापस अपनी कमर से नीचे गिरा कर अपने कपड़े को दुरुस्त करके वहां से अपनी गांड मटकाते हुए छत से नीचे चली गई,,, इस बात से अनजान कि उसकी काम दिला को उसकी बहू रुचि ने अपनी आंखों से देख ली है, वह पूरी तरह से निश्चिंत होकर नीचे जाकर अपना काम करने लगी,,,
रुचि को तो अभी भी अपनी आंखों पर अपने कानों पर विश्वास नहीं हो रहा था कि जो उसकी आंखों ने खुद देखि है और खुद उसके कानों ने सुना है वह सच भी हो सकता है,,
वह अपने कमरे में जाकर बिस्तर पर बैठ गई थी उसके दिल की धड़कन अभी भी जोरों से धड़क रही थी क्योंकि उसकी आंखों में जो कुछ भी देखा था उसे उसे अभी तक विश्वास नहीं हो रहा था और ना ही इसकी कभी उसे उम्मीद थी,,
उस वह अपने आप से ही बातें करते हुए कह रही थी कि उसकी सास ऐसी है उसे तो विश्वास ही नहीं हो रहा है,,, इस उम्र में वह कैसे बेशर्म की तरह छत पर जाकर अपनी साड़ी को कमर तक उठाकर अपनी बड़ी बड़ी गांड हिलाते हुए एक अपने ही बेटे के उम्र के लड़के से कैसे चुदवा रही थी,,, अपने आप से किए गए बातों से ही वह खुद शर्मा जा रही थी। उसे अपनी सास पर गुस्सा तो आ रहा था लेकिन अपनी सास को इस तरह से एक जवान लड़के से चुदवाते हुए देखकर उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर भी दौड़ने लगी थी,,,, जिस तरह से शुभम जोर-जोर से अपनी कमर हिलाते हुए धक्के पर धक्के लगा रहा था वह नजारा उसकी आंखों मे बस गया था, क्योंकि एक औरत होने के नाते उसे इतना तो अनुभव था ही कि जब एक मर्द इतनी जोर जोर से अपनी कमर हिलाते हुए धक्के लगाता है तो औरत को कितना अधिक आनंद आता है,, यही सोचकर उसे अब जलन होने लगी थी कि शुभम के द्वारा लगाए गए धन को का उसके साथ कितने बजे लेकर आनंद लूट रही थी तभी तो उसके मुंह से गर्म सिसकारी क्यों आज इतनी तेज आ रही थी कि उसे सीढ़ी यो तक उसके कानों में सुनाई दे रही थी और जिस उत्तेजना और जोश के साथ वह शुभम को उकसाते हुए उसे और जोर जोर से चोदने के लिए कह रही थी इससे यही साबित होता है कि उसकी सास कितनी ज्यादा प्यासी औरत है जो कि इस बात का अभी तक रुचि को अहसास तक नहीं, था,,।
अपनी सास को इस तरह से चुदवाते हुए देखकर और हुआ चोदने वाला कोई और नहीं शुभम ही था इस बात को जानकर रुचि को पक्का यकीन हो गया था कि शुभम सीधा-साधा लड़का नहीं बल्कि एक औरत बाद लड़का, है।
लेकिन मैं इस बात से भी इनकार नहीं कर सकती थी कि सुभम में जरूर ऐसी बात है कि औरत तुरंत उसके साथ सोने के लिए उसके साथ संभोग सुख भोगने के लिए तैयार हो जाती है यह उसकी मर्दाना ताकत का ही कमाल है,, जिस वजह से वह खुद शुभम की दीवानी हो गई है,, इसलिए तो जिस दिन से वह उस की जबरदस्त चुदाई किया था वह भी तूफानी बारिश में उस दिन से लेकर आज तक वह शुभम से दोबारा चुदवाने के लिए तड़प रही थी और इस मामले में अपनी सास को आगे होता देख कर उसे अपनी सास से जलन होने लगी थी,,, वह मन ही मन में आगे का प्लान बनाने लगी थी क्योंकि उसके दिमाग की बत्ती जल गई थी उसे इस बात का एहसास हुआ कि जो नजारा उसने अपनी आंखों से देखी है वह नजारा ही उसके लिए आशीर्वाद बन कर साबित होने वाला था,, बस उसे मौका देख कर सही पासा फेंकने की जरूरत थी वह अपने मन में आए इस ख्याल से खुश नजर आने लगी,,,,


दूसरी तरफ सीतल जो कभी सोचा नहीं था कि इस तरह से मॉल में उसकी मुलाकात निर्मला हो शुभम से होगी वह इस मुलाकात से बेहद खुश नजर आ रही थी,,, शीतल शुभम के मर्दाना अंग से तो पूरी तरह से वाकिफ थी लेकिन मॉल में उसकी मर्दाना ताकत से भी वाकिफ हो गई थी,, शीतल शुभम की बाजू में अपने आप को समाया हुआ देखना चाहती थी उसके मर्दाना अंग को अपने नाजुक अंग में हरकत करता हुआ देखना चाहती थी,, और शुभम के बारे में ही कल्पना करते हुए हुआ बिस्तर पर एक-एक करके अपने सारे कपड़े उतार कर एकदम नंगी हो गई थी शीतल को भी अपने बदन पर बेहद नाज और गर्व था क्योंकि वह जानती थी कि जो एक खूबसूरत औरत के पास जिस तरह के अंग होने चाहिए उसी तरह के अंग उसके पास भी थे बस थोड़ी किस्मत खराब थी,, पर किस्मत इसलिए खराब थी कि वह दूसरी औरतों की तरह गंदी नहीं थी भले ही गंदे शब्दों से वह अपने सहेली और अपने चाहने वालों से बात कर लेती थी लेकिन उसने भी संस्कार और उसके गुण थे और अपनी मर्यादा को लांघना नहीं चाहती थी लेकिन शुभम से मुलाकात के बाद वह अपनी मर्यादा की लकीर को और भी ज्यादा पतली होती महसूस करने लगी थी,, और उसी के चलते ही आज वह अपने बिस्तर पर दम नंगी लेटी हुई थी और अपने हाथ से ही अपने नाजुक अंगों से खेल रही थी,,, वह अपने कमरे में आते समय किचन में से फ्रिज खोल कर उसमें से एक लंबा तगड़ा काकडी लेकर आई थी जो कि शुभम के मर्दाना अंग की तरह ही था,,, वह अपनी दोनों टांगें खोलकर शुभम की कल्पना करके उसका कड़ी को अपनी बुर के अंदर बाहर करते हुए चुदाई का आनंद ले रही थी और यह कल्पना कर रही थी कि उसकी बुर के अंदर काकडी नहीं बल्कि सुगन का मोटा तगड़ा लंड है और इस कल्पना के चलते वह कुछ ही देर में जबरदस्त तरीके से पानी छोड़ दी,, और उसके बाद वह गहरी नींद में सो गई,,

....................
rajan
Expert Member
Posts: 3286
Joined: 18 Aug 2018 23:10

Re: एक अधूरी प्यास- 2

Post by rajan »

शुभम मुझे तो बिल्कुल भी यकीन नहीं हो रहा है किसी कल खुद मुझसे इस तरह से माफी मांगी है,,( डाइनिंग टेबल पर वेट कर शुभम की मां रोटी तोड़कर निवाला मुंह में डालते हुए शुभम से बोली,,,)

मम्मी यकीन करो कि ना करो लेकिन जो कुछ भी हुआ वह हकीकत ही है शीतल मैडम आपसे माफी मांग चुकी हैं,,
(शुभम भी मुंह में निवाला डालते हुए बोला..)

चलो इतना तो अच्छा ही हुआ कि शीतल मुझसे माफी मांग ली और हम दोनों का रिश्ता पहले की तरह हो गया,,,,

मतलब यह मम्मी की जो कुछ भी हुआ था मैं गुस्से में हुआ था आप नहीं चाहती थी उससे रिश्ता तोड़ना,,


तू सच कह रहा है शुभम मैं कभी भी शीतल से अपनी दोस्ती का रिश्ता नहीं तोड़ना चाहती थी क्योंकि मेरी तन्हाई की सच्ची साथी थी जिसे मैं सब कुछ बताती थी उसे सब कुछ शेयर करती थी सिवा तेरे,,,

मम्मी जो कुछ भी हुआ भावनाओं में बहकर हुआ मैं ऐसा कुछ भी नहीं करना चाहता था लेकिन उस समय ना जाने क्या हो गया था जो हम दोनों से गलती हो गई और उस दिन से मुझे उस बात का पछतावा भी बहुत है,,(शुभम अपनी मां की बात सुनकर उसे दिलासा देते हुए बोला,,,)

मैं यही चाहती हूं बेटा कि तू इस तरह दोबारा ऐसी कोई भी गलती ना करें,,,, मैं सब कुछ बर्दाश्त कर सकती हूं लेकिन तू किसी और के साथ हो जाए यह बर्दाश्त नही कर सकती,,, जिंदगी में चाहे कुछ भी हो जाए लेकिन मैं तुझे किसी और औरत से बांटना नहीं चाहती इतना तू ध्यान रख लेना,,( निर्मला सब्जी की प्लेट को शुभम की तरफ आगे बढ़ाते हुए बोली,, सोनिया बात अच्छी तरह से जानता था कि एक औरत सब कुछ बर्दाश्त कर सकती है,, लेकिन अपने प्यार को उस बार देखो जो उसकी शारीरिक जरूरतों को पूरी करता है उसे कभी नहीं बांट सकती इसलिए वह अपने मां को तसल्ली दिलाते हुए बोला,,,)

मम्मी मैं मानता हूं मुझसे गलती हुई थी मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था लेकिन उसके लिए मैं आपसे माफी मांग चुका हूं और आइंदा इस तरह की गलती नहीं होगी मैं वादा भी कर चुका हूं,,, ( शुभम वापस निवाला मुंह में डालते हुए बोला,,)

मुझे तुझ पर भरोसा है शुभम इसलिए तो तुझसे यह सब बात कह रही हूं वैसे तो शीतल बहुत अच्छी औरत है लेकिन मुझे भी यकीन नहीं होता कि उस दिन यह सब कैसे हो गया,, शायद वह हालात की मारी है जैसे कि मैं पहले थी लेकिन तेरे आने के बाद सब कुछ सही हो गया,,,,,
( निर्मला क्या कहना चाहती है सुबह में अच्छी तरह से जानता था लेकिन बात को आगे बढ़ाना नहीं चाहता था इसलिए वह कुछ बोला नहीं,,)



देख सकता हूं मैं तुझसे रिक्वेस्ट करती हूं,,, शीतल मेरी सबसे अच्छी और सच्ची सहेली है जिसके साथ मैंने जिंदगी के इतने साल गुजार दिए वह मेरी बेस्ट फ्रेंड है उस दिन जो कुछ भी हुआ मैं नहीं चाहती कि तू उसके साथ कभी भी दोहराए क्योंकि मैं अब उसे नहीं खोना चाहती,, अगर जिंदगी में कभी भी उस तरह का फिर से मौका आए या फिर से शीतल कभी इस तरह की भावनाओं में बहकर तुझ से शारीरिक संबंध बनाने की कोशिश करें तो तो मेरी बात जरूर याद रखना उसके बहकने के बावजूद तो कभी मत भेजना क्योंकि अब मैं नहीं चाहती कि तुझसे उस दिन की तरह दोबारा गलती हो,,,,( अपनी मां की बात सुनकर शुभम बनी मन में सोचने लगा कि दुनिया में ऐसा कौन सा मर्द होगा जो इस तरह का मौका मिलने पर मुह फेर लेगा या औरत को मना कर देगा वह दुनिया का सबसे बड़ा बेवकूफ ही होगा जो इतने सुनहरे मौके को हाथ से जाने देगा,, लेकिन फिर भी अपनी मां की बात को रखते हुए वह उसे दिलासा बताते हुए बोला,,,।


मुझ पर भरोसा रखिए मम्मी मैं आपका ही बेटा हूं दोबारा कभी भी ऐसा कोई काम नहीं करूंगा जिससे आपको तकलीफ हो,,,, सच कहूं तो शीतल,,, से कहीं ज्यादा आप खूबसूरत हो आपका हर एक अंग बेहद खूबसूरत है आपके सामने शीतल कोई मायने नहीं रखती,,,( अपने बेटे के मुंह से इस तरह की तारीफ सुनकर निर्मला मंद मंद मुस्कुराने लगी,,, ना जाने क्यों मर्द की फितरत को जानते हुए भी निर्मला को अपने बेटे पर भरोसा हो रहा था जबकि यह बात तो अच्छी तरह से जानती थी कि अच्छे-अच्छे मर्द अच्छी बीवी पास में होने के बावजूद भी दूसरी और तुम की चिकनाई पर फिसल जाते हैं,,,, फिर भी वह अपने आप को तसल्ली देकर खाना खाने लगी,,

मम्मी तुमने तो मुझे नहीं दिखाई कि तुम किस तरह की गुलाबी रंग की पेंटी और ब्रा खरीदी हो मैं भी देखना चाहता हूं,,( शुभम पानी का ग्लास उठाकर उसे पीते हुए बोला।।)

देख लेना अभी तो सारी रात बाकी है,,, ( निर्मला कामुक मुस्कान होंठों पर लाते हुए बोली,,,, थोड़ी ही देर में दोनों ने खाना खत्म कर लिया निर्मला किचन में जाकर सारे झूठे बर्तन साफ करके बाथरूम में फ्रेश होने के लिए चली गई,,
शुभम वही डाइनिंग टेबल पर बैठा आज दिनभर की घटनाओं के बारे में सोच रहा था,,, बार-बार उसे बैंगनी रंग की ट्रांसपेरेंट में कयामत ढा रही शीतल याद आ रही थी। छोटे से ब्लाउज में उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां ऐसा लग रहा था कि जैसे बड़े-बड़े खरबूजे को जबरदस्ती किसी थैले में भर दिया गया,, गया हो,,
rajan
Expert Member
Posts: 3286
Joined: 18 Aug 2018 23:10

Re: एक अधूरी प्यास- 2

Post by rajan »

मटके जैसी बड़ी बड़ी गांड जिसे देखते ही अपनी प्यास बुझाने की इच्छा हो जाए कुल मिलाकर शीतल एकदम पटाखा थी,,, जिसे चोदना शुभम के लिए सौभाग्य की बात होती ऐसा वह अपने मन में सोच रहा था जो कि अभी भी उसकी मां ने हिदायत दी कि शीतल से हमेशा दूर रहना उसकी मां की देवी सारी हिदायतें धरी की धरी रह गई क्योंकि एक मर्द की जाती है ऐसी होती है कि जाओ खूबसूरत औरत देखे नहीं लार टपकाते हुए पीछे पड़ जाते हैं लेकिन यहां तो खुद खूबसूरत औरत शीतल खुद शुभम के पीछे पड़ी हुई थी इसलिए हाथ में आया हुआ लड्डू किसी भी हाल में शुभम जाने नहीं देना चाहता था,,,, कसी हुई साड़ी के अंदर पानी भरे गुब्बारे की तरह लहराती हुई गांड को याद करके सुभम का लंड खड़ा होने लगा था,,,, बची कुची कसर सरला चाची पूरी कर दी थी शाम वाली घटना याद आते हैं एक बार फिर से उसके तन बदन में चुदाई करने की इच्छा जागरुक हो गई,,,, सरला की बड़ी-बड़ी गांड याद आते ही उसके लंड की ऐंठन बढ़ने लगी,,,,, वह अपनी पजामें में माथा उठा रहा अपने लंड को अपने हाथ से मसलकर उसे बैठाने की कोशिश करने लगा कि तभी उसे सीढ़ियों पर से पैरो की आहट सुनाई दी,,, जब वह पलट कर उस दिशा में देखा तो उधर का नजारा देखकर एकदम दंग रह गया,,,, उसके बदन में रक्त संचार एकदम कमजोर पड़ने लगा उसकी सांसों की गति तेज होने लगी ऐसा लग रहा था मानो उसका पूरा बदन ठंड के मारे जमने लगा हो कर भी क्या सकता था सामने का नजारा ही कुछ ऐसा था कि जिसे देखने के बाद दुनिया का हर मर्द सांसे लेना भूल जाए,,,, निर्मला के भजन पर केवल आज ही मॉल में से खरीद कर लाई गई गुलाबी रंग की ब्रा और पैंटी थी जो कि उसकी पसंदीदा,, थी,,, अपनी मां को देखते ही शुभम समझ गया कि उसकी मां बाथरूम में नहा कर आई है क्योंकि उसके बाल गीले थे और उसके किलो वालों में से पानी की ठंडी बूंदे मोतियों के दाने की तरह उसके खूबसूरत बदन पर फिसल रही थी,,, गुलाबी रंग की ब्रा में निर्मला के दोनों कबूतर फड़फड़ा रहे थे दोनों को ऐसा लग रहा था कि आजादी चाहिए थी,, चिकना खूबसूरत गोरा बदन ट्यूबलाइट की दूधिया रोशनी मे एकदम नहाया हुआ लग रहा था,,,,, शुभम को अपने दिमाग और बदन को उत्तेजना आत्मक स्थिति में लाने के लिए किसी प्रकार की आवश्यकता बिल्कुल भी नहीं थी अपनी मां के खूबसूरत बदन को देखते ही उसके पजामे में तंबू ने अपना बंबु खींचना शुरू कर दिया था,,,, गुलाबी रंग की पेंटी आगे से एकदम गर्म तेल के कढ़ाई में तलकर फुलाई गई कचोरी की तरह फुली हुई लग रही थी,,, जिसे देखते ही शुभम के मुंह में पानी आ गया,,,,, निर्मला सीढ़ियां उतरते समय अपने बेटे के चेहरे के बदलते हाव-भाव को गौर से देख रही थी और वह मन ही मन प्रसन्न भी हो रही थी क्योंकि वह जानती थी कि उसे इस हालत में देख कर उसके तन बदन में कैसी आग लग रही थी,, उसे साफ साफ दिखाई दे रहा था कि शुभम के पेजामे में उसका तंबू एकदम तन चुका था,,,, उस पर नजर पड़ते ही निर्मला के मुंह के साथ-साथ उसकी बुर में भी पानी आ गया,,,


कैसी लग रही हूं गुलाबी रंग की ब्रा और पेंटी में ,,,,,( निर्मला अर्धनग्न अवस्था में एकदम ठंडे लहजे में अपने बेटे से बोली,,,)

एकदम कयामत लग रही हो मम्मी मैं तो ऐसा लग रहा है कि स्वर्ग से उतरी हुई कोई अप्सरा देख रहा हूं,,,,, ( शुभम अपने पजामे को थोड़ा सा नीचे की तरफ सरका कर अपने खड़े लंड को अपने हाथ में लेकर अपनी मां की तरफ देखते हुए ऊसे हिलाते हुए बोला,,) देख लो मेरा लंड तुम्हारी मदमस्त जवानी को सलामी दे रहा है इसकी सलामी कबूल करो,,,
( निर्मला अपने बेटे की इस बात को सुनकर एकदम से हंस दी,, निर्मला हंस रही थी लेकिन उसे यह नहीं मालूम था कि उसकी मुस्कुराहट और उसकी कातिल जवानी उसके बेटे के दिल पर छुरियां चला रही थी वह अंदर ही अंदर आग बबूला हुआ जा रहा था अपनी मां कीमत मस्त जवानी को अपनी बांहों में भरकर उसे फिर से निचोड़ने के,, लिए,,, उसकी मां अपने गुलाबी होठों पर मुस्कुराहट लिए धीरे-धीरे अपने लंबे लंबे चिकनी टांगों को सिढिया दर सिढिया रखकर नीचे उतर रही थी और शुभम अपनी मां की तरफ देखकर उत्तेजना के मारे जोर जोर से अपने लंड को मुठीयाना शुरू कर दिया था,,, निर्मल को अपने बेटे की यह हरकत पूरी तरह से काम उत्तेजना से भर दी,,,, वह धीरे-धीरे अपने बेटे के बेहद करीब पहुंच गई और अपना एक हाथ आगे बढ़ा कर अपने बेटे की कड़ी लंड को पकड़ कर उसे रोकते हुए बोली,,)

इस तरह से हिला हिला कर पानी निकाल देगा की कुछ और भी करेगा,,,

तुम्हारे लिए तो मैं सब कुछ करुंगा मेरी रानी,,,( उत्तेजना के मारे सुपर एकदम दीवाना हो गया था वह अपनी मां को मदहोशी भरे लहजे में उत्तेजनात्मक बातें कह रहा था,, और निर्मला अपने बेटे की इस तरह की बातें सुनकर इतनी मदहोश हुए जा रही थी कि वह जवाब में अपने बेटे से बोली)

हाय मेरे राजा तेरी इसी अदा पर तो मैं अपनी दोनों टांगें खोल देती हूं,,,,( ऐसा कहते हुए अपने बेटे के खड़े लंड को अपने हाथ से हिलाने लगी और दूसरे हाथ की हथेली से पैंटी के ऊपर से ही अपनी रसभरी बुर को सहलाने लगी, अपनी मां की मादकता भरी हरकत को देखकर सुभम से रहा नहीं गया और वह अपने तपते होठों को अपनी मां के गुलाबी होठों पर रखकर उसे चूसना शुरू कर दिया पलभर में ही दोनों एकदम मदहोश होने लगे और निर्मला भी अपने बेटे का साथ देते हुए तुरंत अपने होठों को खोल कर उसके होंठ को मुंह में भरकर चूसना शुरु कर दी,,,,,,

ससससहहहह,,,,आहहहहहहह,,,,, शुभम तुमने मुझे पागल कर दिया है रे,,,,

तो तूने ही कब मुझे छोड़ा है तूने तो मुझे अपना दीवाना बना लिया है,,,,( ऐसा कहते ही सुभम अपने दोनों हाथ को अपनी मां की चिकनी पीठ पर से फिसलाते हुए नीचे की तरफ ले गया और उसके मदमस्त बड़े-बड़े गांड के उभार को पकड़कर दोनों हाथों से दबाना शुरू कर दिया,,)

ओहहहह मम्मी तुम्हें इस रूप में देखकर मेरी काम आओ ना और ज्यादा बढ़ गई है मुझे ऐसा लग रहा है कि मेरा लंड फट जाएगा,,,,,,


ससससहहहह,,,आहहहहह,,,, ऐसा गजब मत होने देना तेरा लंड फट गया तो मैं क्या करूंगी कहां जाऊंगी इससे तो तू मेरी बुर फाड़ दे,,, मेरी बुर के अंदर तक अपने लंड को डालकर मेरी चुदाई कर,,,,

ऐसा ही होगा मम्मी मेरा लंड तुम्हारी बुर के लिए बना है यह तुम्हारी बुर की सेवा करता रहेगा,,,,,( ऐसा कहते हुए सुभम अपने दोनों हाथ को ऊपर की तरफ लाकर अपनी मां के ब्रा के हुक को खोल दिया और देखते ही देखते उसकी मां की कसी हुई ब्रा दोनों फड़फड़ाते हुए कबूतर पर से अपनी पकड़ ढीली करते हुए बड़ी फुर्ती के साथ शुभम के हाथों से निर्मला के दोनों खूबसूरत बाजूओ से निकलकर डाइनिंग टेबल पर बिखर गया,,,, शुभम की आंखों के सामने उसकी मां की खूबसूरत चुचियों का जोड़ा था जो कि शुभम के हाथों में आने के लिए तड़प रहा था,, निर्मला यही चाहती थी कि शुभम उसकी दोनों चूचियों को मसल मसल कर उसके साथ प्यार करे उससे खेले,,,,, क्योंकि काफी दिन हो गए थे शुभम उसकी चुचियों के साथ जी भर कर खेला नहीं था इसलिए निर्मला अपने दोनों हाथों में अपनी बड़ी बड़ी खरबूजे जैसे चुचियों को हथेली से ऊपर की तरफ उठाते हुए मानो किसी स्वादिष्ट व्यंजन की तरह उसे किसी थाली में परोस कर अपने बेटे के सामने प्रस्तुत कर रही थी जिसे देखकर शुभम के तन बदन में आग लग गई और वह आगे बढ़कर अपने दोनों हाथों में अपनी मां की दोनों चुचियों को थाम लिया ऐसा लग रहा था कि जैसे उसकी चूचियां नहीं बल्कि निर्मला द्वारा दी जाने वाली कोई पुरस्कार हो,,, लेकिन निर्मला की तरफ से वास्तव में शुभम को उसके हाथों में थाम आने वाली उसकी चूचियां किसी पुरस्कार से कम नहीं थी जो कि शुभम की मदमस्त मर्दाना ताकत से भरी हुई जवानी को देखकर उसकी मां उसे पुरस्कृत कर रही थी,,, यह पल किसी भी जवान लड़के के लिए बेहद अनोखा और अद्भुत होता है जिसकी तुलना वह किसी भी पल से नहीं कर सकता क्योंकि एक औरत तभी अपनी दोनों चुचियों को एक मर्द के हाथ में सौंपती है जब उसे उस मर्द पर उससे संतुष्टि भरी एहसास को पाने की आशा होती है और उसे विश्वास होता है जो कि यह आशा और विश्वास निर्मला अपने बेटे शुभम में बराबर देखती थी,,,,,

अपनी मां के विश्वास पर खरा उतरता हुआ शुभम अपनी मां की दोनों खरबूजा जैसी बड़ी बड़ी चूचियों को अपने हाथों में थाम कर उसे जोर जोर से किसी हापुस आम की तरह दबाना शुरू कर दिया,, जैसे आम के सीजन में लोग आम को अपने दोनों हाथों से चुस चुस कर उसके मीठे रस को पीते हैं उसी तरह से शुभम भी अपनी मां की चुचियों को आम की तरह दबा दबा कर उसके निप्पल को मुंह में लेकर उसके रस को पी रहा था,,,,, निर्मला मदहोश में जा रही थी क्योंकि बड़ी शक्ति के साथ हुआ है उसकी चूचियों को दबा रहा था वह पागल हुए जा रही थी उसके मुंह से लगातार गर्म सिसकारी की आवाज छूट रही थी,, पहली बार वह इस तरह से डाइनिंग रूम में अपनी मदहोश जवानी अपने बेटे के हाथों से लूटवा रही थी,,, अपने बंगले में अपने कमरे में नहीं बल्कि डाइनिंग हॉल में इस तरह से अपने बेटे से रास लीला रचाते हुए उसे अद्भुत सुख का अहसास हो रहा था उसके तन बदन में रचना की चिंगारी और ज्यादा फूट रही थी,,,,
शुभम पागल हुए जा रहा था ऐसा लग रहा था कि उसके पजामा फाड़ कर उसका लंड बाहर आ जाएगा,,, वह किसी तरह से एक हाथ से पजामे के ऊपर से ही अपने लंड को दबाने की कोशिश कर रहा था जिसमें वह नाकाम साबित हो रहा था उसे इस बात का डर था कि ज्यादा उत्तेजना के कारण उसका लंड समय से पहले कहीं पानी ना छोड़ दे क्योंकि आज उसके तन बदन में कुछ ज्यादा ही उत्तेजना का आभास हो रहा था,, निर्मला के तन बदन में मदहोशी अपना असर पूरी तरह से दिखा रही थी उसकी आंखों में खुमारी छाई हुई थी,,, वह पागलों की तरह अपने बेटे के द्वारा स्तन मर्दन और उसकी चुसाई का आनंद ले रही थी वह छोटे बच्चे की तरह अपने बेटे को दूध पिला रही थी,,,,, और शुभम जी अपनी मां की चूची पीने में पूरी तरह से माग्न हो गया था,,,,,
निर्मला अच्छी तरह से जानती थी कि उसका पति घर पर आने वाला नहीं था इसलिए तो वह आज अपने कमरे से बाहर निकल कर इस जगह पर अपनी जवानी को और भी ज्यादा पानी देना चाहती थी,, इसलिए तो निर्मला पजामे के ऊपर से ही अपने बेटे के लंड को पकड़ कर उसे जोर जोर से मसल रही थी और शुभम मदहोशी भरे आलम में पूरी तरह से लिप्त होकर एक हाथ अपनी मां की पेंटिं में डालकर उसकी कचोरी जैसी फुली हुई बुर मसल रहा था,,,। जिस से लगातार निर्मला के मुंह से गर्म सिसकारी की आवाज निकल रही थी और वह पूरे घर में गूंज रही थी लेकिन उसे सुनने वाला उन दोनों के सिवा तीसरा कोई भी नहीं,,,,,,,
बहुत ही जल्द निर्मला अपने बेटे की गरम हरकतों के कारण घुटने टेक दिए उसी अपनी बुर के अंदर कुछ ज्यादा ही खुशी महसूस होने लगी थी वह जल्द से जल्द अपने बेटे के खड़े लंड को अपनी बुर में लेकर चुदवाना चाहती थी और अपनी खुजली को मिटाना चाहती थी,, इसलिए वह उत्तेजना के मारे अपने होठों से शब्द ना निकल सकने की स्थिति में भी टूटे-फूटे शब्दों के साथ अपने बेटे से लगभग गिडगिडाते हुए बोली,,,,

ओहहहह ,,,,, शुभम मेरे राजा मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है मेरी बुर पानी छोड़ रही है और तेरा लंड पूरा खड़ा हो गया है अब देर मत कर जल्दी जल्दी से मेरी बुर में डालकर मेरी चुदाई कर दे,,,,,सहहहहह,,,,आहहहहहहह,,, शुभम मेरे लाल देर मत कर,,,,

( सुभम समझ गया था कि उसकी मां को उसके मोटे तगड़े लंड की जरूरत है और वह जल्द से जल्द चुदवाना चाहती है लेकिन शुभम इतनी जल्दी चुदाई का कार्यक्रम शुरू करने की स्थिति में नहीं था वह आज अपनी मां को गुलाबी रंग की ब्रा और पैंटी में देखकर कुछ ज्यादा ही मदहोश हो गया था इसलिए वह अपनी मां के खूबसूरत बदन के साथ कुछ देर तक और खेलना चाहता था उसे मस्ती करना चाहता था उसके दिमाग में कुछ और चल रहा था इसलिए वह तुरंत अपनी स्थिति बदलते हुए,, अपनी मां को अपने दोनों हाथों से पकड़कर उसे डाइनिंग टेबल की तरफ कर दिया और उसे डाइनिंग टेबल पर झुका दिया,,,, अब हालात और स्थिति दोनों बदल गए थे निर्मला को ऐसा लग रहा था कि शुभम पीछे से उसकी बुर में डालेगा लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं था,,, शुभम के दिमाग में कुछ और चल रहा था ना कुछ और करना चाहता था डायनिंग टेबल पर झुकने की वजह से है निर्मला की बड़ी-बड़ी गांड हवा में कुछ ज्यादा ही उठ गई थी जिसे देखकर सुभम के मुंह में पानी आ गया और वह गुलाबी रंग की पैंटी के ऊपर से ही दो चार चपत अपनी मां की बड़ी-बड़ी गांड पर लगा दिया जिससे निर्मला के मुंह से हल्की कराहने की आवाज के साथ साथ गर्म सिसकारी की आवाज भी फूट पड़ी,,,,,


आहहहहहहह,,,ससईईईईईई,,,, क्या कर रहा है रे दर्द होता है,,

ज्यादा दर्द ना हो इसीलिए तो यह सब कर हूं मेरी रानी इतना कहने के साथ ही शुभम घुटनों के बल नीचे बैठ गया,, और अपना हाथ आगे बढ़ाकर धीरे-धीरे अपनी मां की पेंटिं को पकड़कर नीचे उतारने लगा,,, निर्मला प्यासी नजरों से नजरें पीछे की तरफ करके अपने बेटे की हरकत को देखकर और ज्यादा मस्त हो रही थी,,,

...................
rajan
Expert Member
Posts: 3286
Joined: 18 Aug 2018 23:10

Re: एक अधूरी प्यास- 2

Post by rajan »

निर्मला के घर का नजारा बेहद गर्म कर देने वाला था,, अभी रात के 11:00 ही बजे थे कि दोनों की कामलीला की शुरुआत हो चुकी थी,, पहली बार निर्मला अपने कमरे में नहीं बल्कि कमरे से बाहर डाइनिंग हॉल में डाइनिंग टेबल पर अपने खूबसूरत बदन की गर्मी अपने बेटे के द्वारा पिघलाने में जुटी हुई थी,,,, निर्मला बेहद गर्म हो चुकी थी उसके तन बदन में अपने बेटे का लंड लेने की इच्छा ज्यादा बलवंत हो चुकी थी,,,, निर्मला के खूबसूरत भरे हुए बदन से वासियों की चिंगारी फूट गई थी जिसमें शुभम अपने आपको पिघलता हुआ महसूस कर रहा था,,, निर्मला को लगा था कि उसका बेटा अब पीछे से उसकी लेने वाला है लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं था शुभम के मन में कुछ और चल रहा था वह अपने घुटनों के बल बैठ कर अपनी मां की पेंटी को दोनों हाथों से धीरे-धीरे करके नीचे की तरफ खींचते हुए उसे उतार रहा था,,,, और निर्मला आशा भरी निगाहों से अपने बेटे की तरफ देख कर मन में यह सोच रही थी कि आप उसका बेटा उसकी पैंटी उतार कर उसे संपूर्ण रूप से नंगी कर देगा और अपने मोटे तगड़े लंड को उसके गुलाबी बुर के गुलाबी छेद पर रखकर धक्का लगा कर उसे अंदर तक उतार देगा,,,,, लेकिन शुभम के मन में कुछ और था वह देखते ही देखते अपनी मां की गुलाबी रंग की पैंटी जो कि उसकी मां की पसंदीदा पेंटी थी उसे उतारकर एकदम नंगी कर दिया इस समय शुभम घुटनों के बल बैठा हुआ था और उसकी मां डाइनिंग टेबल पर झुककर उसकी आंखों के सामने अपनी बड़ी बड़ी मादकता से भरी हुई गांड को हिला रही थी जिसे देखकर शुभम के लंड में हरकत होने लगी थी,,,, दोनों की सांसो की गति तेज चल रही थी,,, निर्मला इतनी ज्यादा प्यासी हो चुकी थी कि वह अपना एक हाथ पीछे की तरफ ले जाकर बाहर बार अपनी गोरी गोरी बड़ी बड़ी गांड पर जोर जोर से चपत लगा रही थी ,,,जो कि यह चपत सुभम के लिए इशारा था कि अब वह अपना काम शुरू करें,, अपनी मां के उतावलापन को देखकर शिवम भी अब ज्यादा देर नहीं लगाना चाहता था इसलिए अपने दोनों हाथों से अपनी मां की बड़ी-बड़ी खरबूजे जैसी जानकी आंखों को पकड़कर उसे हल्के से फैलाने लगा जिससे निर्मला की गांड के फांक के बीचो-बीच उसकी गुलाबी रंग की गुलाबी पत्ती नजर आने लगी साथ ही उसके नीचे छोटा सा भूरे रंग का छेद नजर आने लगा,, सुभम भूरे रंग का छेद कुछ ज्यादा ही गोलाई लिए हुए था उसे देखते ही ना जाने क्यों शुभम के तन बदन में उत्तेजना कुछ ज्यादा ही असर दिखाने लगी,, अभी भी निर्मला पीछे नजर करके अपने बेटे की हरकत को देख रही थी जो कि ठीक उसकी गांड के नीचे बैठा हुआ था,, बड़ा ही मादक नजारा था यह नजारा निर्मला के तन बदन में भी आग लगा रहा था,,, वह पूरी तरह से नंगी डाइनिंग टेबल पर चुप कर खड़ी थी और उसका बेटा पजामा पहन कर घुटनों के बल बैठा हुआ था और यह बात वह अच्छी तरह से जानती थी कि उसे ईस हाल में देखकर उसके बेटे का लंड पजामे के अंदर गदर मचा रहा होगा,,,,
Nirmala ki khubsurat badi badi chuchiya

शुभम इस सुभम काफी भूखा था और उसके सामने बदन रूपी स्वादिष्ट व्यंजन परोसी हुई थी जिसे देखते ही उसके मुंह में पानी आ गया और उसे ज्यादा सब्र नहीं हुआ,,, और वह अपने दोनों हाथों से अपनी मां की गांड को कस के पकड़ के उसे पके हुए फल की तरह फैलाते हुए अपना मुंह उसके गुलाबी बुर की गुलाबी पत्ती पर दे मारा जैसे ही शुभम की जीभ निर्मला को अपनी बुर की गुलाबी पत्ती पर महसूस हुई उसका बदन अंदर तक सिहर उठा और उसके मुंह से गर्म सिसकारी फूट पड़ी,,,

ससईईईईईई,,,,,आहहहहहहह ,,,, सुभम,,,,
( फिर क्या था शुभम अपनी मां की गुलाबी बुर पर टूट पड़ा वह उसे मलाई की तरह जीभ से चाटे जा रहा था,,,, शुभम अपनी मां को एकदम मस्त किए जा रहा था लेकिन सिर्फ गुलाबी बुर की गुलाबी पत्ती को चाटना ही उसका मकसद आज बिल्कुल नहीं था आज वह कुछ और करने के मूड में था इसलिए वह अपनी जीभ को थोड़ा सा नीचे की तरफ लेकर आया और अपनी प्यासी जीभ को अपनी मां की गांड की भुरे रंग के छेद पर रख कर उसे गोल-गोल घुमाना शुरू कर दिया,,,,,

आहहहहहहह,,,सहहहहहह,,,,,ऊफफफ,,,,, क्या है यह,,,, गजब,,,,,, अद्भुत,,,,,,ऊहहहहहहह,,,,,( निर्मला अपनी कांड के छोटे से छेद पर अपने बेटे की जीभ की रगड़ को महसूस करते ही उसके मुंह से यह सब बातें अपने आप निकलने लगी,,,, उसे यकीन ही नहीं हो रहा था कि उसका बेटा जो कि अब तक उसकी गुलाबी बुर को ही चाट कर उसे मस्त करता था आज उसकी गांड के छोटे से छेद को चाट कर उसे सातवें आसमान पर लिए जा रहा है,,,, गजब का एहसास ऐसा स्पर्श उसने आज तक अपने बदन पर किसी कोने पर महसूस नहीं की थी जिस तरह का स्पर्श होते ही आज उसे अपने तन बदन में उत्तेजना की चिंगारी फुटते हुए महसूस हो रही थी,,,, शुभम को साफ महसूस हो रही थी कि उसकी मां की गांड की भूरे रंग के छेद में से मादकता भरी खुशबू आ रही थी और वह खुशबू से एकदम मस्त हुए जा रहा था,, धीरे-धीरे उसे कसेला सवाद एकदम मधुर लगने लगा ,,,वो पागलों की तरह अपनी मां की गांड के छेद में अपनी जीभ के पोर को अंदर तक डालकर उसे चाटना शुरू कर दिया,,,,, आज शुभम को अपनी मां की बुर चाटने से ज्यादा उसकी गांड चाटने में मजा आ रहा था,,,, दोनों मदहोश हुए जा रहे थे निर्मला किसी भी तरह से अपने बेटे को उसकी गांड के छेद को चाटने के लिए मना नहीं कर रही थी,, बल्कि वह उसे और ज्यादा ऊकसाते हुए अपनी गांड को गोल-गोल उसके चेहरे पर घुमा रही थी जिससे उसके तन बदन में और ज्यादा मदहोशी छाने लगी थी निर्मला को अपने बदन में नशा सा महसूस हो रहा था,,,,, उत्तेजना के मारे उसका गला सूखता चला जा रहा था बार-बार वह अपने थुक से अपने गले को गीला करने की कोशिश कर रही थी वह इतनी ज्यादा मदहोशी के आलम में डुबती चली जा रही थी कि अपने दोनों हाथों से ही अपनी दोनों चूचियों को पकड़ कर खुद ही दबाना शुरू कर दी थी,,
shubham nirmala chuchiyo ka deewana

ससससहहहह,,,,आहहहहहहह,,, सुभम,,, मेरे बेटे यह क्या कर रहा है तू मुझे तो यकीन नहीं हो रहा है कि तू मेरी गांड चाट रहा,,, है,,, (गोल गोल गांड घुमाते हुए) सच में तू किसी को भी अपना दीवाना बना ले तो उसमें औरत को खुश करने का हर एक कला है तू अब इस खेल में एकदम पक्का खिलाड़ी हो गया रे,,,( अपनी मां की बात सुनकर सुबह कुछ ज्यादा ही जोश में आकर अपनी मां की गांड को दोनों हाथों से थोड़ा और ज्यादा फैलाते हुए अपनी जीभ को हल्के से अपनी मां की बड़ी गांड के भूरे रंग के छेद में उतार दिया जिससे निर्मला एकदम सिहर उठी,,) आहहहहहहह,,, मार ही डालेगा क्या रे,,,,( अपनी मां की गरम सिस्कारी और उसकी बातों का जवाब सुभम बिना कुछ बोले अपनी हरकत और अपनी जीभ से दे रहा था,, वो एकदम पागल हुए जा रहा था उसे अपनी मां की गांड चाटने में बेहद आनंद की अनुभूति हो रही थी और उत्तेजना के मारे ऊपर से निर्मला की रसीली कसी हुई बुर पसीजती चली जा रही थी,,, जिसमें से मदन रस धीरे-धीरे बुंद बनकर नीचे टपक रही थी और वह सीधा शुभम के होठों पर गिर रही थी जिसे शुभम अपनी जीभ से चाट कर अपने आनंद को दोगुना कर दे रहा था।,,, वह पागलों की तरह अपनी मां की गांड को चाटते हुए कभी-कभी अपनी मां की गुलाबी बुर पर भी जीभ रखकर ऊसे चाट ले रहा था जिससे निर्मला के बदन में कसमसाहट के साथ-साथ उत्तेजना की लहर दौड़ने लग रही थी,,,,,।
धीरे-धीरे कमरे का दृश्य बेहद उस्मा कारक होता जा रहा,, निर्मला लगातार अपने बड़े बड़े नितंबों को गोल-गोल घुमाते हुए उसे अपने बेटे के मुंह पर रगड़ रही थी,,,, जिस का आनंद लेते हुए शुभम लगातार अपनी मम्मी की गांड को चाटे जा रहा था,,, पूरे घर में निर्मला की गर्म सिसकारी की आवाज गूंज रही थी जिसे सुनने वाला उन दोनों के सिवा तीसरा कोई भी नहीं था,,,, शुभम लगभग 25 मिनट तक अपनी अपनी खूबसूरत मां की मदमस्त गांड से उलझा रहा,,, निर्मला को भी आज अपनी बुरर चटवाने से कहीं ज्यादा अत्यधिक आनंद गांड चटवाने में आ रहा था ,,, निर्मला बराबर अपने बेटे का सहयोग दे रही थी वह डाइनिंग टेबल पर झुक कर अपनी गांड को गोल-गोल घुमाते हुए अपनी दोनों चूचियों से खेल रही थी जो कि बेहद खूबसूरत और किसी पोर्न मूवी की एक्टर से कम नहीं लग रही थी,,,,
Shubham nirmala ki chut chaat ta hua

निर्मला की मदमस्त गांड से आ रही माधव खुशबू शुभम को पूरी तरह से मदहोशी के आलम में लिए जा रही थी,,,, शुभम ठीक अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड के नीचे घुटनों के बल बैठा हुआ था उसकी सांसों की गति बड़ी तीव्र गति से चल रही थी अनहद ऊन्मादक स्थिति में वह अपने आप पर कंट्रोल किए हुए था, वरना जिस तरह से उसकी मां उत्तेजित होकर उसे अपना लंड उसकी बुर में डालने के लिए बोल रही थी शुभम की जगह दूसरा कोई लड़का होता तो कब से उसकी बुर में डालकर पानी छोड़ दिया होता लेकिन यह शुभम था जो कि बड़े ही शिद्दत और धीरे-धीरे संभव है कि हर प्रक्रिया का मजा,, लेता था किस लिए तो तकरीबन 45 मिनट के बाद भी वह संभोग सुख से वंचित अपनी मां को और भी ज्यादा चुदवासा बनाए जा रहा था और खुद अपनी मां के खूबसूरत बदन के हर एक अंग का आनंद लेते हुए उत्तेजनात्माक स्थिति में हर एक पल का मजा ले रहा था,,,
कुछ पल के लिए शुभम अपने जीव को अपनी मां की गांड के भूरे रंग के छेद पर से हटा कर उसे तेज चलती सांसों के साथ अच्छे से देखने लगा, ,,, शुभम अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड के घेराव को देखकर पूरी तरह से प्रसन्नता से भर गया ऐसा लग रहा था कि जैसे वह अपनी मां की गांड नहीं किसी नई दुनिया को देख रहा है,,,, उसने अब तक न जाने कितनी औरतों की गांड को देख चुका था लेकिन जिस तरह की बनावट उसकी खुद की मां की गांड की थी वैसी गांड उसने आज तक किसी औरत के लिए देखा था इसलिए तो वह अपनी मां की गांड देखते इतना अत्यधिक उत्तेजना से भर जाता था,, उसकी आंखों के सामने मदन रस से भीगी हुई उसकी मां की गुलाबी बुर की गुलाबी पत्तियां जिस पर मदन रस की बूंदे किसी मोती की तरह चमक रही थी वह बिल्कुल साफ नजर आ रही थी,,, साथ ही उसके दो अंगूल नीचे गांड का भुरे रंग का छेद जो कि किसी चॉकलेट के कलर का ही लग रहा था वह ऐसा लग रहा था मानो कि उसे आमंत्रित कर रहा हो,,,, उत्तेजना के मारे शुभम का गला सूख रहा था और निर्मला प्यासी नजरों से शुभम की तरफ आस बांधे देख रही थी,,, शुभम कभी अपनी मां की तरफ देखता तो कभी उसकी गोरी गोरी गांड के गुलाबी छेद और उसके भुरे रंग की छेद की तरफ,,,,, निर्मला की आंखों में अपने बेटे के लंड को अपने बुर में लेने की प्यास साफ नजर आ रही थी,,
अपनी मां की हालत को देखकर शुभम की भी हालत खराब होने लगी उसके भी सब्र का बांध टूटता हुआ नजर आने लगा लेकिन वह इतनी जल्दी टूटने नहीं देना चाहता था इसलिए अपने दोनों हाथों से अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड को एक बार फिर से थाम लिया,,, और हल्के से उसे एक बार फिर से फैलाने लगा जिससे उसकी गुलाबी बुर्के गुलाबी पत्तियों के साथ-साथ उसके भूरे रंग का छोटा सा छेद भी हल्का सा खुल,, गया,,, जिसे देखते ही उसकी आंखों में चमक आ गई और वह अपने एक उंगली को,, थूक लगाकर धीरे-धीरे उसे अंदर की तरफ डालने लगा जैसे ही निर्मल आप इस बात का आभास हुआ कि उसका बेटा उसकी गांड के छोटे से छेद में उंगली डालना चाहता है वह अपने बदन को आगे की तरफ सिकुड़ने लगी और उसे रोकने की कोशिश करते हुए बोली,,

नहीं नहीं बेटा ऐसा बिल्कुल मत कर मुझे दर्द होता है,,

बस एक बार मम्मी कुछ नहीं होगा बस एक बार अंदर डालने दो उंगली,,,( ऐसा कहते हुए वह दोबारा कोशिश करने लगा लेकिन फिर से उसे निर्मला रोकते हुए, बोली,,)

नहीं सुबह में ऐसा मत कर दो तू जानता है मुझे बहुत दर्द करता,, है,,,

लेकिन कोशिश तो करने दो मम्मी कोशिश करने में क्या जाता है,,,( शुभम अच्छी तरह से जानता था कि अगर वह रुक गया तो उसकी मां कभी भी आगे नहीं बढ़ने देगी इसलिए वह बातों में उलझा ते हुए तुरंत अपनी उंगली के आगे वाले भाग को अपनी मां की गांड के अंदर उतार दिया,, जिससे तुरंत निर्मला के मुंह से हल्की कराह की आवाज निकल गई,,,।)
Post Reply