एक अधूरी प्यास- 2

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rajan
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Re: एक अधूरी प्यास- 2

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बेटा मैं भी यही चाहती हूं कि तू किसी और का ना होकर जिंदगी भर सिर्फ मेरा ही रहे।

ऐसा ही होगा मम्मी मैं जिंदगी भर सिर्फ और सिर्फ तुम्हारा ही रहूंगा .....(इतना कहते हुए शुभम एकदम भावुक हो गया अपने बेटे की बात सुनकर निर्मला की आंखों से आंसू बहने लगे जो कि यह आंसू दर्द और वेदना कि नहीं बल्कि स्नेह और खुशी के थे भावना में बहते हुए और अपनी मां की मदमस्त मादक बदन की खुशबू में मदहोश होते हुए शुभम अपनी मां के खूबसूरत चेहरे को अपने दोनों हथेली में लेकर अपने होठों को उसके करीब ले जाने लगा इतना करीब कि दोनों की गर्म सांसे एक दूसरे के चेहरे पर अपनी कशिश छोड़ रही थी शुभम अब बेहद चालाक हो गया था क्योंकि अपनी मदहोश जवानी का स्वाद चखा कर निर्मला अपने बेटे को पूरी तरह से मर्द बना चुकी थी जो कि हर औरत की पहली पसंद होती है और अपनी मर्दानगी दिखाते हुए शुभम अपने होठों को अपनी मां के लाल होठों के बेहद करीब ले जाने लगा । निर्मला तनाव भरी स्थिति से बाहर निकलने लगी थी दोनों की सांसो की गति तेज चलने लगी एक बार फिर से दोनों का मिलन होने वाला था जिससे निर्मला और शुभम के बदन में अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव और एहसास हो रहा था क्योंकि जिस तरह की स्थिति बनी हुई थी उससे ऐसा ही लग रहा था कि अब शायद ही दोनों के मन और तन एक हो लेकिन बहुत ही जल्द शुभम ने स्थिति को संभाल लिया था और एक बार फिर से वह अपनी मां के मदमस्त बदन को अपनी बाहों में भरने के लिए मचल रहा था और निर्मला खुद अपनी मदहोश जवानी को अपने बेटे के हाथों लूटवाने के लिए तैयार थी। एक बार फिर से आधी रात के समय निर्मला के कमरे में और वह भी उसके ही बिस्तर पर एक अद्भुत दृश्य नजर आने वाला था इस समय घर पर अशोक नहीं था यह बात दोनों अच्छी तरह से जानते थे इसलिए दोनों संपूर्ण रूप से निश्चिंत होकर एक दूसरे में समाने की कोशिश करते हुए आगे बढ़ रहे थे।
निर्मला इस समय अर्धनग्न अवस्था में थी उसकी खरबूजे जैसी चूचियां सीना ताने किसी सैनिक की भांति दुश्मन को ललकार रही थी । और शुभम भी अपनी मां की मदमस्त नुकीली जवानी का सामना करने के लिए पूरी तरह से तैयार था धीरे-धीरे शुभम के तपते हुए होंठ अपनी मां के लाल लाल होठों के इतने करीब पहुंच गए कि निर्मला कि दहकती हुई जवानी की गर्मी शुभम को अपने होठों पर साफ साफ महसूस होने लगी। शुभम से अब बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा था और यही स्थिति निर्मला की भी थी.. वह भी अपने बेटे से एक पल की भी दूरी बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी एक अजीब सी स्थिति सेवर गुजर चुकी थी जिस तरह से उसने शुभम को शीतल के साथ उस अवस्था में देखी थी उसे देखकर एक प्रेमिका और एक पत्नी का हाल होता है वही हाल निर्मला का भी था वह कुछ घंटों में ही ... जैसे बरसों का दर्द झेल गई थी एक वेदना उसके तन बदन में घर कर गई थी लेकिन वह मन ही मन भगवान का लाख-लाख शुक्र अदा कर रही थी कि जल्द ही वह स्थिति से बाहर आ गई थी और एक बार फिर से शुभम को पा चुकी थी। और इसी खुशी में वह शुभम से एकाकार होने के लिए तड़प रही थी और देखते ही देखते शुभम अपने प्यासे होठों को अपनी मां की दहकते हुए होठों पर रखकर उसके होठों का रसपान करना शुरू कर दिया ....

शुभम पागलों की तरह अपनी मां के होठों को अपने मुंह में भर कर उसे चूस रहा था ऐसा लग रहा था कि मानो वह किसी गुलाब की पत्ती को मुंह में लेकर उसके रस को निचोड़ रहा हो और उसकी मां भी उसका साथ देते हुए अपने फोटो के बीच से अपनी जीभ निकाल कर उसके मुंह में डाल कर उसके होठों का आनंद लेने लगी.. ...

ऐसा लग रहा था मानो होठों के जरिए शुभम अपनी मां की मदमस्त जवानी को पूरे बदन से निचोड़ लेना चाह रहा था इस तरह से वह पागलों की तरह अपनी मां के होठों को चुसे जा रहा था और साथ ही अपना एक हाथ उसकी मद मस्त तनी हुई जवानी पर रखकर उसे दबाना शुरू कर दिया था जोकि खरबूजे की तरह गोल गोल थी निर्मला को दुगना मजा आ रहा था एक तो होठों का रसपान और दूसरी तरफ स्तन मर्दन उसके तन बदन में आग लगा रही थी।
दोनों एक दूसरे को छोड़ना नहीं चाहते थे निर्मला का हाथ जल्द ही शुभम के पजामे पर पहुंच गए और वह उठो का चुंबन लेते लेते ही अपने उंगलियों की करामत दिखाते हुए अपने बेटे के पजामे के बटन को खोलकर उसे नीचे सरकाने की कोशिश करने लगी।जो कि बैठे होने की वजह से उसका पजामा नीचे नहीं उतर रहा था इसलिए शुभम अपनी मां के होठों के रस को पीते हुए ही हल्के से अपनी गांड को ऊपर उठा दिया जिससे निर्मला को उसका पहचाना उतारने में आसानी होने लगी और वह तुरंत अपने बेटे के पजामे को खींचकर घुटनों तक कर दी लेकिन अभी भी निर्मला को उसके खिलौने तक पहुंचने में उसका अंडरवियर बाधा रूपबन रहा था जिसे वह एक झटके से नीचे की तरफ सरका दी हालांकि वह अपनी नजरों से अपने बेटे की टांगों के बीच देख नहीं रहे थे लेकिन अपनी हथेली के स्पर्श से ही अंदाजा लगा ले रही थी कि कौन सा वस्तु कहां पर है जल्द ही उसके हाथ में शुभम का मोटा तगड़ा लंबा लंड जो कि इस समय पूरी तरह से टनटनाया हुआ था वह उसके हाथ लग गया.

अपने बेटे के मोटे तगड़े लंड को अपनी हथेली में भरते ही उसके मुख से गर्म सिसकारी फूट पड़ी क्योंकि निर्मला को ऐसा महसूस हो रहा था कि इस समय उसके बेटे का लंड कुछ ज्यादा ही मोटा हो गया था.... अपने मोटे तगड़े लंड को अपनी मां की हथेली ने महसूस करते ही शुभम कुछ ज्यादा ही उत्तेजित हो गया और अपनी मां की जीप को अपने दांतों तले दबा दिया जिससे निर्मला को दर्द तो हुआ लेकिन मजा भी बहुत आ रहा था इसलिए वह कुछ बोली नहीं बस हल्के से सिसक कर रह गई दोनों एक दूसरे के होठों का रसपान करने में पूरी तरह से मगन हो चुके थे और निर्मला तो अपने बेटे के मोटे तगड़े लंड को अपने हाथ में लेकर हिलाना शुरू कर दी थी जो कि बेहद लुभावना और काफी हद तक भयंकर भी लग रहा था जिसे निर्मला अपनी बुर में लेने के लिए तड़प रही थी शुभम अपनी मां की चूची को बारी-बारी से दबाते हुए दोनों को एकदम लाल टमाटर की तरह लाल कर दिया था।

दोनों के बीच इस समय किसी भी प्रकार का वार्तालाप नहीं हो रहा था और दोनों किसी संवाद के लिए तैयार भी नहीं थे क्योंकि वह एक दूसरे के अंगों से आनंद ले रहे थे। पूरे कमरे में निर्मला की सिसकारी की आवाज गूंजने लगी थी ।

दीवार पर लगी घड़ी में 12:15 का समय हो रहा था 24:00 से भी ज्यादा समय गुजर चुका था लेकिन इस समय दोनों की आंखों से नींद कोसों दूर थी निर्मला के बिस्तर पर वह अपने बेटे के साथ अपनी जवानी लुटा रही थी शुभम बारी बारी से निर्मला के दोनों खरबूजे से खेल रहा था जो कि इस समय दबाने की वजह से टमाटर की तरह लाल हो चुके थे और शुभम अपनी मां के मुख से निकल रही गर्म सिसकारी की आवाज और उसकी गर्म सांसों के एहसास से पूरी तरह से मदहोश हो चुका था वह किसी भी कीमत पर अपनी मां के लाल लाल होठों को अपने मुंह से आजाद करना नहीं चाहता था एक अजीब सा नशा उसकी आंखों में छाने लगा था।

लगातार निर्मला अपने बेटे के मुसल जैसे लंड को हीलाए जा रही थी उसकी गर्मी उसके तन बदन में आग लगा रही थी। उत्तेजना के मारे टांगों के बीच छिपी उसकी रसीली बुर कचोरी की तरह फूल पिचक रही थी ऐसा लग रहा था मानो कोई उसमें हवा भर रहा हो और बार-बार उस में से हवा निकल जा रही हो उसमें से मदन रस का रिसाव बराबर हो रहा था जिससे उसकी पेंटी पूरी तरह से गीली हो चुकी थी। कुछ देर तक दोनों यूं ही एक दूसरे के अंगों से मन भर कर खेलते रहे दोनों की सांसें तेज गति से चल रही थी इसी दौरान निर्मला लगभग 1 बार झड़ चुकी थी लेकिन शुभम अभी भी बरकरार था लेकिन जिस गर्मी और हथेली की कसाव को बराबर बढ़ाते हुए निर्मला अपने बेटे के लंड को हिला रही थी उसे देखते हुए शुभम को लग रहा था कि उसका लंड पानी फेंक देगा लेकिन फिर भी वह अपनी मां को रोक सकने की स्थिति में बिल्कुल भी नहीं था क्योंकि उसे बहुत मजा आ रहा था। लेकिन निर्मला को इससे ज्यादा की उम्मीद थी इसलिए वह इस क्रम को तोड़ दी जैसे ही वह अपने होठों को अपने बेटे के होठों से अलग की मानो ऐसा लग रहा था कि उसकी सांस फूल रही हो वह इतनी गहरी गहरी सांसे ले रही थी....
बहुत दिनों बाद ऊन दोनों ने इस तरह की गाढ़ चुंबन का आनंद लिया था । निर्मला और शुभम दोनों पूरी तरह से हाथ रहे थे दोनों एक दूसरे की आंखों में देखते हुए मुस्कुराने लगे हालांकि अभी भी निर्मला अपने बेटे के लंड को थामे हुए थे जो कि उस समय उसकी हथेली में बड़ा भयंकर लग रहा था और मुस्कुराते हुए वह अपने बेटे के मोटे तगड़े लंड के कड़क पन को महसूस करते हुए उसकी तरफ देखी तो बोली।

बेटा आज तो लग रहा है कि तेरा लंड कुछ ज्यादा ही मोटा और लंबा हो चुका है।

हां मम्मी मुझे भी ऐसा लग रहा है यह सब तुम्हारे हाथ का जादू है तुम्हारा हाथ पड़ते ही इसमें जान आ जाती है।

चल बातें मत बना अगर ऐसा ही होता तो शीतल को लंड चूस जाते समय तेरा लंड एकदम खड़ा नहीं होता लगता है उसके हाथों में भी जादू है ।(निर्मला आहिस्ता आहिस्ता अपने बेटे के लंड को हिलाते हुए बोली।)

नहीं मम्मी ऐसा बिल्कुल भी नहीं है मैं सही कह रहा हूं तुम्हारे हाथों में जादू है तभी तो आज यह कुछ ज्यादा ही मोटा और लंबा लगने लगा है। (शुभम पीछे की तरफ झुक कर अपना पूरा वजन अपने हाथ के दोनों कहानियों पर टिका दिया और अपनी कमर को हल्के से और ऊपर उठा दिया जिससे उसका मोटा तगड़ा लंड और भी ज्यादा भयंकर लगने लगा जिसे देखते ही निर्मला के मुंह के साथ-साथ उसकी बुर में भी पानी आ गया।)

क्या तू सच कह रहा है शुभम क्या तुझे तब मजा नहीं आया था जब शीतल तेरे लंड को अपने मुंह में लेकर चूस रही थी।

नहीं मम्मी मुझे बिल्कुल भी मजा नहीं आया था वह तो मेरी मजबूरी थी इसलिए मैं वहां खड़ा था वरना कब से भाग गया होता।

तो क्या सच में मेरी तरह कोई भी लंड नहीं सोचता जितना मजा मैं तेरे लंड को चूस कर देती हूं कोई भी इतना मजा नहीं देता।(निर्मला उसी तरह से शुभम के लंड से खेलते हुए बोली)

मैं सच कह रहा हूं मम्मी कसम से मैं तो बल्कि तड़पता रहता हूं कि कब में अपने मोटे लंड को तुम्हारे मुंह में डालकर चुसवाऊ ।(शुभम अपनी मां से इस तरह की अश्लील बातें करके पूरी तरह से उत्तेजित हो गया था और इसलिए वह अपनी कमर को हल्के हल्के उसकी हथेली में आगे पीछे कर रहा था जिससे उसे बहुत मजा आ रहा था अपने बेटे के इस उत्तेजना आत्मक उतावलापन को देखकर वह मुस्कुराते हुए बोली।)

सच कहूं तो सुभम मुझे भी तेरे लंड को अपने मुंह में लेकर चूसने में जो मजा आता है वैसा मजा कभी नहीं आता.... (निर्मला अपने बेटे के लंड को ललचाई आंखों से देखते हुए बोली)


तो देर किस बात की है मम्मी कुंवा भी तुम्हारे सामने है और प्यासा भी तुम्हारे सामने है ।(शुभम अपनी कमर को हल कैसे उठाते हुए अपनी मां को इशारे में समझाते हुए बोला जो कि अपने बेटे के इसी सारे को निर्मला अच्छी तरह से समझती थी और वह मुस्कुराते हुए बोली)

मैं भी तेरे लंड की प्यासी हूं और आज तेरे लंड को अपने मुंह में लेकर अपनी प्यास अच्छी तरह से बुझाऊंगी.....(इतना कहने के साथ ही निर्मला अपने बेटे की दोनों टांगों के बीच की जगह पर झुकने लगी और जैसे जैसे वह झुक रही थी वैसे वैसे शुभम की सांसो की गति तेज होती जा रही थी एक अजीब सी हलचल उसके तनबदन को झकझोर कर रख दे रही थी। और देखते ही देखते निर्मला अपने बेटे के मोटे तगड़े लंड को आइसक्रीम कौन की तरह धीरे-धीरे करके उसे अपने मुंह की गहराई में उतार ली।)
rajan
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Re: एक अधूरी प्यास- 2

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जैसे ही निर्मला ने शुभम के मोटे तगड़े लंबे लंड को अपने मुंह की गहराई अपने गले तक उतारी एक अजीब और अद्भुत अहसास के साथ ही शुभम के मुख्य से गरम आह निकल गई उसे एक अद्भुत सुख का अहसास हो रहा था आनंद की अनुभूति के सागर में व डुबकी लगाता हुआ मदहोश पलको जीते हुए वह अपनी आंखों को बूंद लिया वह इस पल की गहराई में खो जाना चाहता था वह चाहता था कि यह पल यही रुक जाएं।निर्मला जिस तरह से अपने बेटे के लंड को धीरे-धीरे करके अपने होठों की रगड़ से गोल बनाकर अपने बेटे के मोटे लंड को अपने मुंह के अंदर ली थी एक अजीब सा अहसास दोनों के तनबदन मैं अपना असर छोड़ गया था‌।
शुभम को अपनी मां के मुंह में लंड की अनुभूति इस समय बुर के अंदर उसकी गहराई नापते लंड की तृप्ति से भी ज्यादा सुखद एहसास दिला रहा था धीरे-धीरे करके शुभम अपनी कमर को उसी स्थिति में हल्के हल्के ऊपर नीचे करते हुए अपनी मां के मुंह कोई चोदना शुरू कर दिया और दूसरी तरफ निर्मला भी कहां पीछे हटने वाली थी वह भी अपने होठों को बार-बार ऊपर से नीचे की तरफ और वह भी एकदम कसाव भरी स्थिति में लंड चूसने का आनंद ले रही थी शुभम से रहा नहीं जा रहा था इस समय निर्मला के मुख से नहीं बल्कि शुभम के मुख से गर्म सिसकारी की आवाज गूंज रही थी।

शशशशशश.....आहहहहहहहह..... मम्मी यह क्या है मम्मी मुझे ऐसा लग रहा है कि मैं जैसे हवा में उड़ रहा हूं बहुत मजा आ रहा है मम्मी बस ऐसे ही ऐसे ही मेरा लंड को चुस्ती रहो मुझे बहुत मजा आ रहा है। आहहहहहहहह........ (निर्मला अपने बेटे की बातें और उसके मुख से निकल रही कर्म सिसकारी की आवाज को सुनकर एकदम मदहोश होने लगी थी और वह जोर-जोर से अपने मुंह को ऊपर नीचे करते हुए लंड की चुसाई कर रही थी बल्कि लंड की चुसाई नहीं मानो कि वह अपने मुंह से अपने बेटे के लंड को चोद रही थी। शुभम से यह स्थिति संभाले नहीं संभल रही थी हद से ज्यादा उसे अपने अंदर उत्तेजना का अनुभव हो रहा था उसके लंड की नसें इतनी ज्यादा कड़क हो चुकी थी कि मानो ऐसा लग रहा था कि अभी फट पड़ेगी पूरे बदन में अजीब सा अहसास चुटकी काट रही थी।
लगातार वह अपनी कमर को ऊपर नीचे करते हुए चुदाई के अहसास से भरा जा रहा था वह अपने दोनों हाथ को आगे लाकर उसे अपनी मां के रेशमी घने बालों में उलझा दिया और हल्के से रेशमी बालों को अपनी मुट्ठी में भींच कर खुद ही उसके मुंह को ऊपर नीचे करने लगा। अपने बेटे की इस हरकत पर निर्मला को भी बहुत मजा आ रहा था वह पूरी तरह से मदहोश होने लगी थी उसकी बुर में खुजली मच रही थी और बिना एक पल गांव आए वह अपनी स्थिति को बदलते हुए और अपनी बेटे के लंड को बिना मुंह से निकाले वह अपनी स्थिति को बदलने के लिए अपने बेटे की तरफ घूम गई और जल्द ही अपने घुटनों के बल होकर शुभम की चौड़ी छाती ओके इर्द-गिर्द अपनी जगह बना ली हालांकि कमर के नीचे अभी भी वह साड़ी में लिपटी हुई थी लेकिन अपनी मां की बदलती स्थिति को देखकर शुभम को समझते देर नहीं लगी कि उसे क्या करना है और वह तुरंत अपने दोनों हाथों से अपनी मां की साड़ी को ऊपर की तरफ उठाने लगा और अगले ही पल वह अपनी मां की साड़ी को कमर तक उठा दिया था अब उसकी आंखों के सामने उसकी मां की मदमस्त गोरी गोरी गाल लाल रंग की पेंटी में लिपटी हुई थी जिसे देखते ही उसके मुंह में पानी आने लगा और वह अपनी उत्तेजना को दर्शाने हेतु अपने दोनों हाथों की मदमस्त गांड पर चपत लगाने लगा जिसकी वजह से लंड चूसते चूसते निर्मला के मुंह से आह निकल गई ।
दोनों मां-बेटे इस समय बिस्तर पर गदर मचाए हुए थे... शुभम लगातार अपनी मां की मदमस्त गांड पर दोनों हाथों से चपत लगाए जा रहा था और हर चपत के साथ निर्मला के मुख से आह निकल जा रही थीं।
जिससे निर्मला को दर्द नहीं बल्कि आनंद की अनुभूति हो रही थी। और शुभम को इस तरह से अपनी मां की गांड पर थप्पड़ लगाने में जो आनंद मिल रहा था वह उसे अद्भुत सुख का एहसास करा रहा था बार-बार वह अपनी मां की मदमस्त गांड को बड़े-बड़े तरबूज की भांति अपनी हथेली में भरकर दबा दे रहा था वह इतनी ज्यादा उत्तेजित हो चुका था कि वह अपनी मां की पेंटिंग को भी उतारने की तस्दी बिल्कुल भी नहीं लिया।और अपनी मां की लाल रंग की पेंटी को एक छोर से पकड़ कर उसे दूसरी तरफ है खींचकर केवल फूली हुई बुर को उजागर कर दिया ... निर्मला के पूर्वी हिस्से में उत्तेजित होकर इतनी ज्यादा भूल चुकी थी कि ऐसा लग रहा था मानो गरमा गरम कचोरी हो और इसी वजह से ही पेंटिंग का दूसरा छोड़ दूसरे किनारे पर अटक गया जिससे शुभम की आंखों के सामने उसकी मां की मदमस्त रसीली पुर एकदम साफ साफ नजर आने लगी उसे देखते ही शुभम की आंखों में मदहोशी का नशा छाने लगा उसके मुंह में पानी आने लगा निर्मला भी अपने बेटे की इस हरकत की वजह से पूरी तरह से मस्त हुए जा रही थी और लगातार अपने बेटे के लंड को चूसने जा रही थी।
शुभम बड़े गौर से अपनी मां की मदमस्त रसीली बुर को देखे जा रहा था मानो बहुत दिनों बाद उसके दर्शन कर रहा हो और देखते ही देखते उत्तेजना के मारे निर्मला की फूली हुई कचोरी समान बुर में से उसका मदन रस टपक कर सीधे शुभम के होठों पर जा गिरा .... जिसे शुभम अमृत की बूंद समझकर चाट गया और अगले ही पल जिस तरह से उसकी मां उसके लंड पर टूट पड़ी थी उसी तरह से वह भी भूखे शेर की तरह अपनी मां की रसीली बुर को चाटना शुरु कर दिया। शुभम जितना हो सकता था अपनी जीभ को बाहर निकालकर अपनी मां की बुर की गहराई में उतार देना चाहता था वह उसके नमकीन और उसको लगातार जीभ के सहारे अपने गले के नीचे गटक रहा था।

निर्मला अपने बेटे के इस तरह से बुर की चटाई से आनंद विभोर हुए जा रही थी और लगातार गोल-गोल अपनी मदमस्त गांड को घुमाते हुए अपने बेटे से अपनी बुर चटवा रही थी। शुभम दोनों हाथों से अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड कथा में बुर चाट रहा था उसमें से निकल रहा मदन रस उसके चेहरे को पूरी तरह से भिगो दिया था उसके खारे नमकीन रस से वह अपने तन बदन को तृप्त करने में लगा हुआ था।।
निर्मला पूरी तरह से मदहोश हुए जा रही थी ऐसा लग रहा था मानो उसे इतने से भी तृप्ति नहीं मिल रही है बहुत जोर जोर से अपनी बड़ी-बड़ी भरावदार गांड को अपने बेटे केचेहरे पर पटक रही थी। उसका इस तरह से चेहरे पर अपनी बड़ी बड़ी गांड पटकना शुभम के लिए निर्देश था कि इससे भी ज्यादा की तमन्ना उसके तन बदन को झकझोर रही है इसलिए वह एक साथ अपनी दोनों उंगलियों को अपनी मां की बुर के अंदर डालकर उसे अंदर बाहर करते हुए उंगली से उसकी बुर को चोदने लगा और साथ ही अपनी जीत का कमाल दिखाते हुए उसकी बुर को चाट कर उसके रस को पीता रहा।

दोनों बोल कुछ नहीं रहे थे बल्कि इशारे इशारे में अपनी भावनाओं को एक दूसरे को बता रहे थे जो कि दोनों एक दूसरे से इतने ज्यादा समझदारी से बने हुए थे कि दोनों एक दूसरे के इशारे को अच्छी तरह से समझ कर और उसी तरह की हरकत कर रहे थे पूरे कमरे में कोहराम मचा हुआ था लगातार शुभम और निर्मला की सिसकारी पूरे कमरे में गूंज रही थी घड़ी में तकरीबन एक बज चुके थे और दोनों बिस्तर पर गदर मचाए हुए थे।

लाल रंग की पेंटी में निर्मला की कसी हुई गोरी गोरी गांड किसी झील में कमल की तरह लग रही थी जिसे देखकर शुभम पूरी तरह से पागल हो चुका था और वह बुर से निकल रहे मदन रस में अपने चेहरे को पूरी तरह से तरबतर करके उसे चाह रहा था और अपनी उंगली से उसकी गहराई नाप रहा था जिससे निर्मला पूरी तरह से मदहोश होने लगी थी....
कुछ ही देर में निर्मला को अपनी फंसी हुई बुर में शुभम के मोटे तगड़े लंड की रगड़ की कमी महसूस होने लगी और वह तुरंत अपने बेटे के लंड को मुंह में से निकाल कर पीछे की तरफ नजर घुमाई तो अपने बेटे को बुर के रस में सना हुआ देखकर मन ही मन मुस्कुराते हुए उत्तेजित होने लगी.... वह पीछे की तरफ हाथ ले जाकर शुभम के बाल को सहलाने लगी मानो जैसे इस काम के लिए उसे शाबाशी दे रही हो शुभम तो लगातार निर्मला की बुर में खोया हुआ था ऐसा लग रहा था कि अगर जगह मिले तो वह बुर के अंदर ही घुस जाए। शुभम के जीव की कमाल को देखते हुए निर्मला अपनी उत्तेजना को सहन नहीं कर पाई थी और दूसरी बार झड़ चुकी थी अब उसे अपनी बुर में मोटे तगड़े लंड की आवश्यकता पड़ रही थी इसलिए वह अपने बेटे के बाल को सहलाते हुए बोली।

बस कर शुभम सारी रात ऐसे ही गुजार देगा क्या अब मेरी बुर में चींटियां रेंग रही है जल्द से जल्द इसमें अपना मोटा तगड़ा लंड डालकर मेरी खुजली मिटा दे. .....((अपनी मां की बात सुनते ही शुभम निर्मला की बड़ी बड़ी गांड से अपना चेहरा हटाया तो वह पूरी तरह से हांफ रहा था। वह समझ गया था कि अब उसकी मा एक जबरदस्त चुदाई के लिए तड़प रही है। इसलिए वह भी हांफते हुए बोला।)

तो देर किस बात की है मेरी जान मेरा लंड तो हमेशा तुम्हारी बुर के लिए ही बना है आ जाओ मैं तुम्हें लंड की सवारी कराता हूं। (इतना कहते हुए वह अपने ऊपर से अपनी मां को हटाने लगा और अगले ही पल निर्मला पीठ के बल अपनी दोनों टांगे फैलाए लेटी हुई थी और अपने एक हाथ से अपनी बचर की गुलाबी पंखुड़ियों के बीच के दाने को सहला रही थी...।और देखते ही देखते एक हाथ से अपने लंड को हिलाते हुए शुभम अपने लिए जगह बनाने लगा‌।
वह अपनी मां की मोटी मोटी जानू को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर उसे अपनी तरफ खींचा जिससे उसकी मोटी मखमली मांसल जान शुभम की जहां पर आ गई जिससे शुभम के लिए बुर्का द्वार पूरी तरह से आमंत्रित करते हुए हल्की सी खुल गई और उसे देखकर लंड अपने आप उनकी मारने लगा मानो निर्मला की मदहोश कर देने वाली जवानी को सलामी दे रहा हो।
rajan
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उत्तेजना के मारे निर्मला का गला सूखे जा रहा था लेकिन वह अपने आपको अगले पल के लिए पूरी तरह से तैयार कर चुकी थी उसे अच्छी तरह से मालूम था कि कुछ ही सेकंड में उसके बेटे का मोटा तगड़ा लंड उसकी बुर की गहराई में खो जाएगा और वह उसकी मस्ती भरी जुदाई के आलम में मदहोश होते हुए अपना अस्तित्व को पिघला देगी इसलिए वह धड़कते दिल के साथ अपने बेटे की अगली हरकत का बेसब्री से इंतजार करने लगी और शुभम एक हाथ से अपने लंड को पकड़ कर अपनी मां की रसीली टपकती हुई बुर पर उसके सुपाड़े को रखकर उसे ऊपर नीचे करते हुए रगड़ने लगा जिसकी रगड़ पाते हैं निर्मला की बुर उत्तेजना के मारे फूलने पिचकने लगी। अब निर्मला से एक पल भी सह पाना मुश्किल हो जा रहा था इसलिए वह खुद ही अपना एक हाथ आगे बढ़ा कर अपने बेटे के लंड को पकड़ कर उसके सुपाड़े को अपनी बुर की गुलाबी पत्तियों के बीच दबाने लगी।
अपनी मां की नरम नरम गोलियों का स्पर्श पाते ही और उसकी हरकत को देखकर शुभम और ज्यादा उत्तेजित हो गया और इस बार अपनी मां की दोनों टांगों को पकड़कर अपनी कमर को हल्के से अंदर की तरफ धक्का दिया जिससे पहले से ही गीली बुर होने की वजह से उसके लंड का सुपाड़ा बुर के अंदर सरक गया जिससे निर्मला पूरी तरह से मदहोश हो गए और वह अपना हाथ हटाकर दोनों हाथों से अपनी बड़ी-बड़ी चूचियों को थाम ली। ऐसा लग रहा था मानो कि वह अपने हाथ को आगे बढ़ा कर सिर्फ शुभम को रास्ता दिखाना चाह रही थी और शुभम भी अपनी मां का दिशानिर्देश पाकर अगले ही झटके में अपने लंड को आधा अपनी मां की बुर में गाड़ दिया एक बार फिर से वह सिसक उठी दोनों इस मद भरी स्थिति का भरपूर आनंद लूट रहे थे ।
निर्मला अपने चेहरे को उठाकर अपनी टीमों के बीच की स्थिति का जायजा लेने के लिए उस पर नजर खेल रहे थे और अपनी टांगों के बीच की स्थिति को देखते हुए वह अपने बेटे की मर्दानगी पर गर्व कर रही थी उसे नाचता अपने बेटे के मोटे तगड़े लंड पर जो कि इस समय आधा उसकी बुर में घुसा हुआ था लेकिन उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि पूरा घुस गया है उसके चेहरे पर तृप्ति भरा एहसास साफ नजर आ रहा था जो कि अभी भी वह अधूरा ही था वह जानती थी कि अभी असली काम तो बाकी है इसलिए वह अपने हाथों की कोहनी पर अपना वजन देकर लगातार अपनी टांगों के बीच की स्थिति को देखने लगी और यह देखकर शुभम की उत्तेजना बढ़ने लगी कि उसकी मां उसकी बुर के अंदर बाहर हो रहे मोटे तगड़े लंड को देखना चाह रही है और वह स्थिति को समझते हुए अपनी मां की कमर को थाम लिया और अगला तेज धक्का लगाया ....
अब एक ही झटके में शुभम का मोटा तगड़ा लंड निर्मला की बुर की अंदरूनी अड़चनो को एक तरफ करता हुआ सीधे जाकर बुर की गहराई में गड़ गया ...प्रहार इतना जबरदस्त था कि जैसे ही शुभम का मोटा तगड़ा लंड बुर की गहराई में पहुंचा वैसे ही निर्मला के मुख से दर्द भरी आह निकल गई लेकिन ऐसे दर्द की वह आदी हो चुकी थी इसलिए यह दर्द उसके लिए अद्भुत उन्माद से भरा आनंद था जिससे वह पल भर में ही गर्म सिसकारी की आवाज निकालने लगी। .... शुभम अपने मोटे तगड़े लंड को अपनी मां की बुर की गहराई में डाले हुए ही उसकी आंखों में देखने लगा और मदहोश भरी आंखों से निर्मला भी अपने बेटे को देख रही थी दोनों की नजरें आपस में टकराई निर्मला के तन बदन में मीठी सी लहर दौड़ने लगी हालांकि कमर के नीचे अभी भी वह वस्त्र पहने हुए थी जल्दबाजी में और उत्तेजना के अधीन होकर शुभम ने कमर से नीचे के वस्त्र नहीं उतारे थे और लाल रंग की पेंटी को एक किनारे करके बस बुर के गुलाबी छेद जितनी ही जगह को खोल दिया था। इससे अर्धनग्न अवस्था में चुदवाने का आनंद निर्मला के लिए अत्यधिक उत्तेजना भरा था उसे अपने बेटे की इस हरकत पर और ज्यादा मजा आ रहा था।

दोनों गहरी गहरी सांसे ले रहे थे। सारी दुनिया से बेखबर दोनों एक दूसरे में समाने के लिए पूरी तरह से तैयार हो चुके थे निर्मला बार-बार अपनी मोटी मांसल जांघों के बीच नजर डाल दे रही थी। जहां पर उसकी छोटी सी रसीली बुर के मुख्य द्वार पर उसके बेटे का मोटा तगड़ा लंड जड़ तक घुसा हुआ था।
निर्मला को साफ साफ दिखाई दे रहा था कि उसकी बुर वास्तव में कचोरी की तरह खुली हुई थी जो कि इस समय तवे पर शेंका ही रोटी की तरह एकदम गरम थी। बेहद अद्भुत नजारा था और वह खुद इस नजारे को जी रहे थे यह उसके लिए गर्व की बात थी उम्र के इस दौर मैं उसे ऐसे मोटे तगड़े लंड से चुदाई करवाकर संतुष्टि भरा एहसास मिल रहा था यह उसके लिए सौभाग्य वाली बात थी वरना ऐसी उम्र में अक्सर औरतें प्यासी होकर केवल करवटें ही बदलती रहती है। लेकिन निर्मला उन औरतों में अपवाद थी वह खुशकिस्मत थी कि इस उम्र में उसे मोटे तगड़े लंबे लंड से चुदाई करने का सुनहरा मौका मिल रहा था और वह सुनहरे मौके का भरपूर फायदा उठाते हुए अपनी जवानी के रस को बाहर निकाल रही थी। शुभम की हालत खराब होती जा रही थी उसकी आंखों में खुमारी छाई हुई थी ऐसा लग रहा था कि जैसे उसे चार बोतल का नशा हो गया है और वैसे भी बहुत ही ज्यादा नशीली चीज का लुफ्त उठा रहा था निर्मला की मदहोश जवानी किसी शराब के नशे से कम नहीं थी । निर्मला धड़कते दिल से अपनी सांसों को था में गहरी गहरी आंखें भर रही थी जिसकी वजह से उसकी गुब्बारे जैसी गोल गोल चूचियां लहरा रही थी जिसे देख कर शुभम पागल हुए जा रहा था और अपने दोनों हाथों को आगे बढ़ाकर अपनी मां की दोनों चुचियों को पकड़ते हुए बोला।

शशशशशश हहहहह..... मम्मी.... तुम्हारे यह दोनों कबूतर मुझे बहुत परेशान करते हैं।

मैं जानती हूं इन कबूतरों को तुझसे बहुत प्यार हो गया इसलिए तेरे हाथ में आने के लिए फड़फड़ा ते रहते हैं ..... यह कबूतर भी अच्छी तरह से जानते हैं कि तू जिस तरह का दाना ईन्हें खिलाता है वह ईनहे कोई नहीं खिला पाएगा .....(शुभम के हाथों से स्तन मर्दन का आनंद लेते हुए आहें भरने लगी)

हम अभी मैं जानता हूं इन्हें जब तक दाना नहीं मिलेगा तब तक यह यूं ही फड़फड़ा ते रहेंगे वैसे भी मुझे तुम्हारे कबूतरों से खेलने में बहुत मजा आता है।(शुभम अपनी मां की चूची को दबाते हुए बोला हालांकि अभी भी उसका लंड बुर की गहराई में घुसा हुआ था और वह जरा सा भी उसे बाहर खींच नहीं रहा था वह उसी स्थिति में अंदर का अंदर ही था जिससे निर्मला को बुर के अंदर कुछ भारी चीज भरी होने का एहसास बराबर हो रहा था और उसमें उसे मज़ा भी आ रहा था।)

ससससससहहहहहह ... शुभम जब तू ऐसे ही नहीं दबा दबा कर कुछ करता है तो ही इनके साथ साथ मुझे भी बहुत मजा आता है तो ऐसे ही मेरे कबूतरों के साथ खेला कर इन्हें दाना डाला कर तभी खा पीकर तेरी सेवा करने लायक बने रहेंगे....

तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो मम्मी में ऐसे ही तुम्हारे कबूतरों को दाना डालते रहूंगा क्योंकि तभी तो यह मेरे रहेंगे। (शुभम चूची की निप्पल को अपनी उंगलियों के बीच दबाता हुआ बोला जिससे निर्मला के मुख से सिसकारी छूट गई।)

ससहहहहहहहहह...... बेटा अब अपने लंड को अंदर-बाहर भी करके चोदेगा या ऐसे ही अंदर ही गाड़े रहेगा...

तुम्हारी बुर में ज्यादा खुजली हो रही है क्या मम्मी....

हां बेटा मेरी बुर में बहुत खुजली हो रही है अब जल्दी से मेरी खुजली मिटा मुझसे रहा नहीं जा रहा है।

(शुभम अपनी मां से इस तरह की गंदी वार्तालाप करके पूरी तरह से मस्त हो गया था ।अब वह भी धक्के लगाने के लिए पूरी तरह से तैयार हो चुका था इसलिए एक बार फिर से अपनी हथेलियों का कसाव अपनी मां की मदमस्त टेनिस के गेंद जैसी चुचियों पर बढ़ाते हुए अपनी कमर को हल्के से पीछे की तरफ खींचा जिससे उसका मोटा तगड़ा लंड बुर की अंदरूनी दीवारों से रगड़ खाता हुआ बाहर की तरफ आने लगा जिससे निर्मला के तन बदन में उत्तेजना की चीटियां रेंगने लगे वह मस्त होने लगी और अगले ही पल शुभम अपने मोटे तगड़े लंड का एक तिहाई हिस्सा बुर्के बाहर निकाल कर वापस तेज धक्के के साथ उसे अंदर ठेल दिया निर्मला अपने बेटे की इस धक्के पर पीछे की तरफ सरक गई और एक दम मस्त होने लगी अब धीरे-धीरे शुभम अपनी मां की चुदाई करना शुरू कर दिया हल्के हल्के धक्कों के साथ अपनी मां की मदमस्त बुर की अच्छे से चुदाई कर रहा था ।

शुभम के हर तेज धक्के पर निर्मला को स्वर्ग के सुख का अहसास हो रहा था लगातार वह अपनी मां की चुचियों को मसल ता हुआ उसे रगड़ता हुआ बुर में लंड पेल रहा था। 24:00 से ज्यादा का समय हो गया था बिस्तर पर कोहराम मचा हुआ था चादर पर सिलवटें ऊपर आई थी पूरा बिस्तर अस्त-व्यस्त हो चुका था दोनों के बदन की गर्मी से कमरे का वातावरण पूरी तरह से गर्मा गया था कमरे में केवल निर्मला की सिसकारीर्यों की आवाज ही गूंज रही थी साथ ही शुभम की मजबूत जागो से निर्मला की बंसल गोद आज जानो के टकराने की आवाज आ रही थी और यह सब आवाज किसी रोमांटिक धुन से कम नहीं लग रही थी जो कि दोनों की उत्तेजना हमें लगातार बढ़ोतरी करती जा रही थी।शुभम एक ही लय में अपनी कमर को आगे-पीछे करते हुए किसी मशीन की भांति अपने लंड को निर्मला की बुर में पेल रहा था।

फच.....फच.... की आवाज लगातार निर्मला की रसीली पुर से आ रही थी क्योंकि उसकी बुर नमकीन रस से तरबतर हो चुकी थी जिसमें शुभम का लंड गोते लगा रहा था।

सच शुभम आज तेरा लंड को ज्यादा ही मोटा और लंबा लग रहा है। (निर्मला अपने बेटे के तेज धक्कों के साथ कराहते हुए बोली।)

मम्मी है तुम्हारी बुर का पानी पी पीकर और ज्यादा तगड़ा हो गया है।

सच कहूं तो आज कुछ ज्यादा ही मजा आ रहा है ऐसा लग रहा है कि आज मैं तुझसे पहली बार चुदवा रही हूं।

मजा तो मुझे भी बहुत आ रहा है मम्मी. ।( शुभम अपनी कमर को तेजी से आगे पीछे करते हुए बोला ) लेकिन इसमें आज थोड़ी कमी लग रही है।

कैसी कमी बेटा....

तुम जब नंगी होकर चुदवाती हो तो और ज्यादा मजा आता है ...

तो तुझे रोका किसने है उतार दे बाकी के कपड़े...

(अपनी मां का इशारा पाते ही शुभम एक झटके से अपना लंड बुर से बाहर निकाल लिया ..जिसकी वजह से एक पल के लिए निर्मला तड़प उठी क्योंकि वह अपने बेटे के मोटे झगड़े लंड को अपनी बुर से बाहर नहीं होने देना चाहती थी लेकिन वह भी और ज्यादा मजा लेना चाहती थी इसलिए प्यासी आंखों से अपने बेटे की हरकत को देखती रही जो कि अपने दोनों हाथों से निर्मला की लाल रंग की पेंटी के दोनों छोर को पकड़ कर नीचे की तरफ खींच रहा था और अपने बेटे की मदद करने हेतु तुरंत निर्मला अपनी मदमस्त भराव धार गांड को ऊपर की तरफ उसका दी जिससे शुभम जल्दी से अपनी मां की लाल रंग की पेंटी को उसकी भरावदार गांड से नीचे की तरफ खींच लिया और अगले ही पल शुभम ने लाल रंग की पेंटी को नीचे फर्श पर फेंक दिया और बाकी का काम निर्मला खुद अपने हाथों से करने लगी और वह अपनी साड़ी को खोलकर नीचे फर्श पर फेंक दी इस समय दोनों संपूर्ण रूप से नग्न अवस्था में एक दूसरे को प्यासी नजरों से देख रहे थे और शुभम का मोटा तगड़ा लंड जो कि इस समय निर्मला की रसीली बुर के नमकीन पानी में पूरी तरह से नहाया हुआ था वह जैसे सांस ले रहा हो इस तरह से ऊपर नीचे हो रहा था। जिसे देखकर निर्मला की बुर फिर से कुल बुलाने लगी और अपने बेटे के लैंड को एक बार फिर से अपनी बुर के अंदर महसूस करने के लिए तड़पने लगी।
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