एक अधूरी प्यास- 2

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rajan
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Re: एक अधूरी प्यास- 2

Post by rajan »

बैगनी रंग की ट्रांसपेरेंट साड़ी में शीतल क़यामत लग रही थी सुभम तो सबकुछ भुल के ऊसे ही देखे जा रहा था,,,,, कुछ ही मिनट में सब अपने अपने काम पर लग गए थे ,,, निर्मला के लिए पल बेहद शर्मनाक था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें एक तरफ हो शीतल से बेहद नफरत करने लगी थी लेकिन आज जिस तरह से उसने उसकी मदद की थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह शीतल को धन्यवाद दे या मुंह फेर ले लेकिन एक शिक्षिका होने के नाते उससे इस तरह की उम्मीद ना तो शीतल को ही थी ना ही निर्मला को खुद,,,,, शीतल द्वारा मदद किए जाने की वजह से निर्मला शर्म से पानी-पानी हुई जा रही थी,,,, जब किसी तलवारा इस तरह की मदद किए जाने की वजह से शुभम का आकर्षण शीतल के प्रति और भी ज्यादा बढ़ता चला जा रहा था और यही हाल शीतल का भी था,, शीतल ने कुछ ही दूरी पर खड़े होकर शुभम के द्वारा अपनी मर्दानगी भरी ताकत दिखाने वाला नजारा देख चुकी थी तब से शीतल के तन बदन में शुभम को पाने की इच्छा और भी ज्यादा बढ़ने लगी,,, थी,,।


आओ निर्मला खड़ी क्यो हो,,? ( शीतल आगे बढ़ते हुए निर्मला से बोले क्योंकि वह उसी तरह से वही खड़ी रह गई थी,, अपनी मां के चेहरे पर बदलते भाव को देखकर शुभम समझ गया था कि उसके मां के मन में क्या चल रहा है इसलिए वह खुद अपनी मां से बोला,,।)

आओ मम्मी,,,,,( इतना कहकर शुभम भी धीरे से अपना कदम आगे बढ़ाया और शीतल आगे बढ़ चली दोनों मां-बेटे शीतल के पीछे पीछे जा रहे थे वही मॉल में बने रेस्टोरेंट में शीतल प्रवेश कर गई और पीछे निर्मला और शुभम भी,,,, निर्मला का तो मन बिल्कुल भी नहीं जाने को कर रहा था लेकिन क्या करें आज शीतल ने उसे बेहद शर्मनाक स्थिति से बचा जो ली थी इसलिए ना चाहते हुए भी उसके पीछे-पीछे जाना पड़ा,,,,, शीतल टेबल के करीब रही हो कुर्सी को आगे की तरफ बढ़ाकर निर्मला को बैठने के लिए कहीं और शुभम को इशारे में बैठने के लिए कहकर खुद कुर्सी पर बैठ गई अब इतना आग्रह करने पर निर्मला अपने आप को रोक नहीं पाई और कुर्सी पर बैठ गई,,)

शीतल में तुम्हें किस तरह से शुक्रिया अदा करूं यह मुझे समझ में नहीं आ रहा है,,,( निर्मला शीतल से नजरे मिलाए है बिना इधर-उधर देखते हुए धीरे-धीरे बोली,,) अगर आज तुम ना होती तो पता नहीं क्या हो जाता,,।

अरे कुछ नहीं होता,,,,( इतना कहकर शीतल अपना हाथ आगे बढ़ाकर निर्मला के हाथ को अपनी हथेली में भरकर उसे हल्के से दबा दी,, निर्मला शीतल की इस हरकत की वजह से एकदम से चौंक गई क्योंकि उसे पुराने दिन याद आ गए इसी तरह से शीतल बार-बार उसका सहारा बनती आ रही थी लेकिन जब से शुभम वाली शर्मनाक हरकत करते हुए शीतल को अपनी आंखों से देख कर उसे पकड़ ली थी तब से वह शीतल के प्रति नफरत करने लगी थी लेकिन आज महीनों बाद जब उसी तरह से शीतल को अपना हाथ पकड़ते देखी तो वह खुशी के मारे गदगद हो गई,,,) मैं जानती हूं तुम बहुत ही अच्छी औरत हो तुम्हारा दिल एकदम साफ है और तुम्हारे साथ इसीलिए कभी गलत नहीं हो सकता क्योंकि आज तक तुमने किसी का गलत ना तो की हो और ना ही सोची हो,, ( शीतल निर्मला की आंखों में देखते हुए उसकी बढ़ाई कर रही थी और अपनी तारीफ सुनकर निर्मला शर्म से बस मुस्कुरा भर दी,, निर्मला के होठों पर आई मुस्कान इस बात का सबूत था कि सब कुछ अच्छा हो सकता है यह मुस्कान देखकर शीतल के मन में तसल्ली होने लगी और उसे विश्वास होने लगा कि वह अपना रिश्ता एक बार फिर से मजबूत कर सकती है,, इसलिए ऐसा बर्ताव करने लगी कि जैसे कुछ हुआ ही नहीं है और वह अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए निर्मला से बोली,, लेकिन इन सब के दौरान वह शुभम पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दे रही थी,,, क्योंकि वह नहीं चाहती थी कि आप से उसी से कोई ऐसी गलती हो कि वह एक बार फिर से निर्मला और सुभम दोनों से दूर हो जाए,,,,)


वैसे शीतल आज दोनों मां-बेटे मिलकर ऐसी क्या खरीदी कर ली है कि 15,000 का बिल बन गया,,,,( निर्मला कुछ कहती से पहले ही शीतल टेबल पर पड़े थेले को अपने हाथ में लेकर अंदर देखने लगी कि निर्मला ने क्या खरीदी की है कि तभी उसकी नजर ब्रा और पेंटी के पैकेट पर गई और उसे देख कर वो मुस्कुरा दी,,, अपनी नाजुक नाजुक उंगलियों से ब्रा पेंटी के पैकेट को इधर-उधर करके अंदर झांकने लगी कि कौन से रंग की ब्रा और पैंटी है,,,, कुछ ही सेकंड में उसे इस बात का पता चल गया कि निर्मला ने कौन से रंग की पैंटी खरीदी है और वह मुस्कुराते हुए निर्मला की तरफ देख कर बोली,,,।)

क्या बात है निर्मला अभी तक अपनी फेवरेट चीज यूज करती हो,,( शीतल की बात सुनते ही शुभम को झटका सा लगा कि शीतल को भी पता है कि उसकी मां की पसंदीदा पेंटिं कौन सी है,,, इस बात से ही शुभम को ख्याल आ गया कि दोनों की दोस्ती कितनी गहरी थी लेकिन उनकी एक गलती की वजह से दोनों की दोस्ती में दरार पड़ गई थी वह मन ही मन भगवान से प्रार्थना करने लगा कि एक बार फिर से दोनों की दोस्ती कायम हो जाए,,, दूसरी तरफ सीकर के मुंह से यह बात सुनकर निर्मला के चेहरे पर शर्म की लकीरें साफ नजर आने लगी वह शीतल की बात सुनकर शुभम के सामने शर्मा गई थी,,,)

क्या शीतल तू भी,,,

देखो निर्मला मेरे से तुम्हारी कोई भी बात छुपी नहीं है इसलिए मुझसे छुपाने की कोशिश भी मत करना मैं तुम्हारे रग-रग से वाकिफ हूं एक तरह से तुम शरीर हों तो मैं तुम्हारी साया हूं,,,( शीतल की बातें सुनकर निर्मला फांसी दी और जवाब में शीतल भी मुस्कुरा दी दोनों की मुस्कुराहट देखकर शुभम के चेहरे पर मुस्कान तैरने लगी,,,,, हालात और माहौल को देखते हुए शीतल को लगने लगा था कि एक बार फिर से वह अपनी बिगड़े हुए संबंधों को बना लेगी,,, और ईसी के जरिए वो अपनी अधूरी प्यास को एक बार फिर से शुभम के साथ मिलकर बुझाएगी,,,, वैसे भी शीतल की किस्मत बहुत तेज थी वह ट्रांसपेरेंट साड़ी के साथ-साथ लो कट ब्लाउज पहनी हुई थी जिसकी वजह से साड़ी छातियों पर रखी होने के बावजूद भी उसके दोनों कबूतरों का आधे से ज्यादा हिस्सा बाहर को ही नजर आ रहा था जिस पर रह रहे कर चोर नजरों से शुभम देख ही लेता था,,,, शीतल को इस तरह से अपनी चुचियों का प्रदर्शन करने में काफी आनंद के साथ-साथ उत्तेजना का अनुभव होता था खास करके जब वह शुभम के सामने होती थी और इस समय भी उसके तन बदन में आई हलचल और बदलाव हो रहा,, था,, जब-जब समाज और नजरों से उसकी छातियों की तरफ देखता तब तक शीतल के बदन में हलचल सी होने लगती थी जिसका ज्यादा तरह सालों से अपनी दोनों टांगों के बीच की उस पतली दरार में हो रही थी जोकि धीरे-धीरे अब गीली होने लगी थी,, ,, शीतल अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रही थी कि निर्मला के दिन में एक बार फिर से अपने लिए जगह बना ले और अपने टूटे हुए रिश्ते को एक बार फिर से जोड़ सकें और इसी उधेड़बुन में वह हंस हंस के निर्मला से बातें किए जा रही थी कि तभी रेस्टोरेंट का वेटर आर्डर लेने के लिए टेबल के करीब आकर खड़ा हो गया,,,)

,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
rajan
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Re: एक अधूरी प्यास- 2

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टेबल के पास वेटर को आया हुआ देखकर शीतल उसे दो समोसे के साथ-साथ कोल्ड ड्रिंक्स का आर्डर कर दी,,,(होटल लेकर वेदर चला गया लेकिन निर्मला बोली,,,,)

यह सब की क्या जरूरत है शीतल,,?


जरूर किसी ने मुझसे कहा जितनी खुशी का दिन है मेरे लिए तो बहुत ही खास दिन है और यह बात तुम भी अच्छी तरह से जानती हो कि मेरे लिए खास दिन क्यों है,,? (निर्मला कुछ बोलती से पहले ही अपने ही सवाल का जवाब खुद देते हुए शीतल आगे बोली..) क्योंकि आज महीनों बाद मेरी सहेली वापस लौट आई है निर्मला मैं नहीं बता सकती कि मैं आज कितना खुश हूं तुमसे दूर रहकर मुझे एक सच्ची सहेली की अहमियत का पता चला है,,,,
( शीतल की बात सुनकर निर्मला बोल कुछ नहीं रही थी बस उसकी बात सुने जा रही थी। शीतल एक बार फिर से अपने दोनों हाथ आगे बढ़ाकर निर्मला का हाथ अपने हाथ में लेकर उसे हल्के से दबाते हुए बोली,,)
निर्मला मैं अच्छी तरह से जानती हूं कि उस दिन मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई कि क्या करूं मैं अपनी भावनाओं पर काबू नहीं कर सकी और जो नहीं होना था वह हो ने दिया लेकिन सही किया जो तुमने ऐन मौके पर आकर सबकुछ रोक दिया वरना मैं अपने आप को मुंह दिखाने के काबिल नहीं रह जाती,,,( शीतल निर्मला की आंखों में आंखें डाल कर अपनी गलती का एहसास उसे करा रही थी,,) मैं अच्छी तरह से जानती हूं कि मुझे वह सब नहीं करना चाहिए था लेकिन तुम तो मेरी हकीकत जानती हो इसलिए मुझसे सब्र नहीं हुआ,,,( शुभम शीतल की बात सुनकर अपनी मां के सामने शर्म से गड़ आ जा रहा था इसलिए वह अपनी नजरें नीचे झुकाकर केवल उसकी बात सुन रहा था,,,) हमें तुमसे वादा करती हूं कि आगे से ऐसा कुछ भी नहीं होगा जिसके लिए मुझे और तुम्हें हम दोनों को शर्मिंदा होना पड़े और हम दोनों की दोस्ती टूट जाए मैं कभी भी इस तरह की गलती दोहराने के बारे में सोच भी नहीं सकती,, और निर्मला मुझे पूरी उम्मीद है कि तुम मेरी गलती को माफ करके मुझे फिर से अपना लोगी तुम्हारे बिना मैं एकदम अधूरी हूं,,,,,( इतना कहते हुए शीतल की आंखों में आंसू आ गए जो कि निर्मला को साफ साफ नजर आ रहा था शीतल अभी भी निर्मला के हाथ को अपने हाथ में लेकर उसे हल्के से दबाकर उसे एहसास दिला रही थी कि वह पूरी तरह से शर्मिंदा है अपनी गलती के लिए निर्मला जो कि कभी भी शीतल को माफ कर सकने की स्थिति में नहीं थी लेकिन शीतल को इस तरह से अपनी गलती का एहसास होता देखकर और उसकी आंखों में आंसू देख कर निर्मला का दिल पिघलने लगा और वह अपना एक हाथ उसके हाथ पर रख कर उसे हल्के से दबाते हुए बोली,,)


मुझे इस बात की खुशी है कि तुम्हें इस बात का एहसास तो हुआ कि तुमने जो की थी वह तुम्हारी जिंदगी की सबसे बड़ी गलती थी वैसे तो मैं तुम्हें कभी माफ नहीं करना चाहती थी लेकिन तुम्हें इस बात का एहसास हो गया मेरे लिए वही बड़ी बात है मैं तुम्हें माफ करती हूं लेकिन आइंदा से इस तरह की गलती कभी मत करना हमेशा अपनी भावनाओं पर काबू करके रखना,,,,, ( इतना कहकर निर्मला मुस्कुरा दे क्योंकि उसे भी अच्छा लगा था इस तरह से शीतल का अपनी गलती मानना और उसे इस बात की भी खुशी थी कि इसी तरह घर फिर से उसकी जिंदगी में वापस लौट आई थी,, । तीनों बहुत खुश नजर आ रहे थे शुभम को शायद इस बात से ज्यादा ही खुशी हुई थी क्योंकि अब उसे शीतल के करीब रहने का मौका जो मिलने वाला था,,,, वेटर आर्डर किया हुआ नाश्ता लेकर आता इससे पहले निर्मला को बहुत जोरों की पेशाब लग गई और वह शीतल से बोली,,,,,

तुम लोग यहीं बैठो मैं 2 मिनट में बाथरूम में जाकर आती हुं।( इतना कहकर वह कुर्सी पर से उठी और बाथरूम की तरफ चली गई शुभम अपनी मां को बाथरूम की तरफ गांड मटकाते जाते हुए देखता रहा ,, जैसे ही निर्मला आंखों से ओझल भी वैसे ही सीतल टेबल के नीचे से अपना पैर शुभम के पेर पर मारकर आंख मारते हुए बोली,,,)

देखा सुभम मेरी एक्टिंग ,,,,

क्या कह रही हो शीतल मैडम यह सब तुम एक्टिंग कर रही थी ,,,,,

नहीं तो और क्या मेरे राजा बिना एक्टिंग कीए मैं तुम्हारी मां को कैसे मना सकती थी और तुम्हारे करीब आने का दोबारा मौका कैसे मिल सकता था,,,, मैं तो तेरी दीवानी हो गई हूं रे जिस तरह से तूने काउंटर मेन को काउंटर से खींच कर बाहर पटका ना मुझे ऐसा लगा कि काश तु मुझे ऐसे ही बिस्तर पर पटक कर मेरी चुदाई कर देता मजा आ जाता,,,,

कहो तो अभी कर दूं शीतल मैडम मेरा लंड अभी भी पूरी तरह से खड़ा है,,,,

फड़फडाते हुए कबूतरों को देखेगा( अपने छातियों की तरफ दोनों हाथ से इशारा करते हुए) तो लंड तो खड़ा होगा ही,,,

क्या तुम्हें पता था कि मैं तुम्हारी चूची देख रहा था,,,

मेरे राजा तु चोरी छुपे मेरा क्या क्या देखता है मुझे सब कुछ पता है,,,, ( इतना कहने के साथ ही शीतल मौका देख कर अपना पैर उठाकर सीधे शुभम की टांगों के बीच उस हिस्से पर रख दी जहां पर शुभम का अच्छा खासा तंबू बना हुआ था। उस तंबू पर पैर रखते ही शीतल को समझ में आ गया कि शुभम पूरी तरह से चुदवासा हो गया है तभी तो उसका लंड पूरा खड़ा है अपने पैरों पर उसके तंबू के स्पर्श का एहसास ही उसके तन बदन में झुर झुरी सा पैदा कर गया,,,)

आहहहह,,,, क्या कर रही हो मैडम कोई देख लेगा ,,,,

पागल है क्या टेबल के नीचे कोन देख,, लेगा,,,,


मम्मी आ गई तो फिर वही हो जाएगा जो मैं नहीं चाहता,,,

क्या नही चाहता,,,,

यही तुमसे दूर रहना नहीं चाहता,,,,


तो आजा मेरे घर पर खुश कर दूंगी तुझे,,,,( शीतल उत्तेजना बस अपने लाल-लाल होठों को अपने दांत से काटते हुए बोली,,, इतना कहते हुए शीतल अपने पैर का दबाव शुभम के तंबू पर जोर से बढ़ा दी तो शुभम कराहते हुए बोला)


क्या कर रही हो शीतल दर्द हो रहा है मम्मी आ जाएगी,,

तेरी मम्मी इतनी जल्दी नहीं आएगी मैं जानती हूं तेरी मम्मी बाथरूम गई है मुतने,,,( शीतल अपने होठों पर मादक मुस्कान बिखेरते हुए बोली,, वह जानबूझकर सदन के सामने उसकी मां का मुतने वाला शब्द प्रयोग की थी क्योंकि वह शुभम को उकसाना चाहती थी उसकी मां के प्रति इस तरह की बातें करके लेकिन वह इस बात से अंजान थी कि शुभम को इन सब बातों से अब कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि वह तो अपनी मां से कई बार शारीरिक संपर्क बनाकर उसके खूबसूरत बदन का सुख भोग चुका है,,, फिर भी वह ऐसा बर्ताव नहीं करना चाहता था कि शीतल के द्वारा इस तरह की गंदी बातें बोलने पर भी उस पर कोई प्रभाव ना पड़े इसलिए वह जानबूझकर गुस्सा दिखाते हुए बोला,,,,,।

क्या कहती हो शीतल मैडम इस तरह की गंदी बातें मेरी मां के बारे में और मुझसे कह रही हो,,

, बुद्धू इसमें कौन सी गंदी बात है क्या तुझे पता नहीं है कि बाथरूम में औरतें क्या करने जाती हैं,, तेरी मां मुतने गई है पेशाब करने जैसा कि सब औरतें करती हैं मैं भी जाती हूं बाथरूम में पेशाब करने,,,, लेकिन जरा तू सोच अपने दिमाग़ में तेरी मां बाथरूम में गई होगी,,, अपनी साड़ी धीरे-धीरे उठाकर अपनी पैंटी नीचे लाई होगी तो सोच क्या नजर आया होगा,,,,( शुभम से पूछने वाले अंदाज में बोली,,)

क्या मैडम इस तरह की बातें कर रही हो मुझे अच्छा नहीं लग रहा है इस तरह की बातें मत करो,,,,( जानबूझकर शुभम अपनी नजर को इधर-उधर घुमा कर शर्माने का नाटक करने लगा,,)

तु ईतना शर्मा क्यों रहा है मेरी बात तो सुन,,, ( शीतल अपने मन की बात उसे बताना चाहती थी और अभी उसकी मां के बारे में गंदी गंदी बातें करके उसे उत्तेजित करना चाहती थी ताकि एक बार फिर से उसके लिए उसके तन बदन में उसे पाने की लालसा बढने लगे,, लेकिन शीतल शायद ये नहीं जानती थी कि शुभम हमेशा से नई औरतों का दीवाना रहा है खास करके शीतल को पाने की इच्छा कुछ ज्यादा ही उसके अंदर प्रबल होती थी क्योंकि शीतल का भी बदन कुछ-कुछ उसकी मां की तरह ही था बड़ी बड़ी गांड बड़ी बड़ी चूचियां खूबसूरती में भी वह किसी से कम नहीं थी और एकदम गोरी होने के साथ-साथ एकदम सेक्सी भी थी जिसके साथ संभोग सुख भोगकर शुभम को परमानंद की अनुभूति होती,, फिर भी वह ऊपरी मन से ऐतराज जताते हुए शीतल की गंदी बातों का आनंद ले रहा था और साथ ही बाथरूम की तरफ नजर गड़ाए हुए था ताकि उसकी मां यह सब देख ना ले,,,, शीतल अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए पूरी देख मेरी बात सुन कितना अच्छा लगता होगा जब तेरी मां,,, अपनी पैंटी को उतार दी होगी तो सीधे उसकी रसीली कसी हुई बुर नजर आती होगी जिसमें लंड डालने के लिए ना जाने कितने मनचले लड़के रोज तेरी मां को लेकर कल्पना करते होंगे,,( यह सब शुभम के लिए नया नहीं था लेकिन शीतल जैसी औरत के मुंह से इस तरह की गंदी बातें सुनकर शुभम के तन बदन में सुरूर जाने लगा और वह भी कल्पना की दुनिया में खोने लगा था वह भी अपने मन में कल्पना कर रहा था हालांकि वह अपनी मां को कल्पना करते हुए क्या हकीकत में पेशाब करते हुए देख चुका था और बहुत कुछ कर चुका था लेकिन फिर भी इस समय की बात कुछ और थी और यह बात भी शीतल ने सच ही कही थी कि उसकी मां को लेकर मनचले लड़के कल्पना में ना जाने क्या क्या हरकत उसकी मां के साथ करते होंगे,,)

धत्,,,, मैडम ऐसा क्या बातें कर रही है मुझसे कोई सुन लेगा तो,,,

कोई नहीं सुनेगा ,,,,,, कीतनी रसीली और खूबसूरत बुर है तेरी मां की ,,,, में अच्छी तरह से जानती हूं कि तेरी मां की बुर बहुत खूबसूरत होगी लाखों में एक जिसमें तेरे पापा जब लंड डालते होंगे तो उन्हें जन्नत का मज़ा मिलता होगा,,

क्या करती हो सीतल मैडम,,,,( शुभम को भी शीतल के हमसे अपनी मां की गंदी बातें सुनने में मजा आ रहा था,,)

सोते समय तेरी मैं अपनी दोनों टांगें फैलाकर पेशाब कर रही होगी अपनी ओर से पेशाब की धार मार रही होगी यह नजारा देखकर कितने मर्दों का तो खड़े-खड़े पानी निकल जाए इतनी सेक्सी है तेरी मां,,
( शीतल यह सब बातें बोली जा रही थी और अपनी टांगों से शुभम के पेंट में बने तंबू को रगड़े जा रही थी जिससे शुभम को अत्यधिक आनंद की प्राप्ति हो रही थी,,)

सुन शुभम यह सब मैं तो मैं तुझे जरूरी बात बताना भूल ही गई,, हम दोनो जने जो गलती पहले की थी अब ऐसी गलती कभी नहीं करना है,,,

मतलब,,,


मतलब यही कि हम दोनों अब जल्दी एक दूसरे से बात नहीं करेंगे हम दोनों का मिलना जुलना बातें करना सब कुछ बंद खास करके तेरी मां की उपस्थिति में हां मौका मिलते ही हम दोनों बातचीत तो करेंगे ही,,, अगर किस्मत साथ दिया तो बहुत कुछ कर लेंगे,,( शीतल के कहने का मतलब शुभम अच्छी तरह से समझता था इसलिए मन ही मन प्रसन्न होने लगा,,) और हां अभी तो मुझसे जरा भी बात भी मत करना ना ही मैं तेरी तरफ देखूंगी और ना ही तुझसे कोई बात करूंगी समझ गया ना तु,,

समझ गया मैडम जी,,,(इतना कहने के साथ ही शुभम फुर्ती दिखाते अपना एक हाथ नीचे की तरफ ले जाकर जो पैर शीतल उठाकर उसके लंड पर रखी हुई थी उसने अपना हाथ डालकर शीतल की चिकनी चिकनी टांगों का आनंद लेते हुए अपनी हथेली को आगे तक जागो तक बढ़ा दिया, शुभम के मर्दाना हाथों का स्पर्श पाते ही शीतल के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी उसकी बुर उत्तेजना के मारे फुलने में पीचकने लगी,,,, लेकिन शीतल अपनी टांग को वापस खींचने की जरा भी तस्दी नहीं ली उसे आनंद आ रहा था और दूसरों से नजरे बचाए हुए थी,,, शुभम की सांसो की गति तेज होती जा रही थी,,, शुभम शीतल की मोटी मोटी जागो की गर्माहट अपनी हथेली पर साफ तौर पर महसूस कर रहा था, मौका देखकर शुभम थोड़ा आगे की तरफ सड़क आया और सीधा अपनी हथेली को उसके कानों के बीच उसकी पैंटी के ऊपर रखकर हल्के से उसकी बुर वाली जगह को मसल दिया जो कि इस समय पूरी तरह से गीली हो चुकी थी और तुरंत अपना हाथ वापस ले लिया यह पल भर में ही हुआ था लेकिन इतना शीतल के लिए काफी था वह पूरी तरह से गरमा गई और शुभम के इस तरह की हरकत और उसकी उंगलियों का स्पर्श अपनी बुर पर पाकर शीतल से अपनी उत्तेजना बर्दाश्त नहीं हुई और वह तुरंत झड़ गई,,,,, इन सभी हरकत के दौरान उसके माथे पर पसीने की बूंदें उपस आई जिसे वह अपने पर्स में से रुमाल निकाल कर साफ करने लगी कि तभी सामने से निर्मला आती दिखाई दी और दोनों चौकन्ने हो गए,,,,


तुम लोगों ने अभी तक नाश्ता खाना शुरू नहीं किया,,

तुम्हारे बिना कैसे शुरू कर सकते थे अब तुम आ गई हो तो नाश्ता भी खाना शुरू कर देंगे बैठो और जल्दी से नाश्ता खत्म करो,,( शीतल का इतना कहना था कि निर्मला कुर्सी पर बैठ गई और तीनों नाश्ता करने लगे तीनों काफी खुश नजर आ रहे थे इस दौरान बार-बार शीतल अपने पैर को शुभम के पेर पर मारकर उसे इशारा कर देती थी शुभम को उसका यह इशारा करना बहुत अच्छा लग रहा था,,

आखिरकार तीनों ने नाश्ता खत्म कर लिया और टेबल से उठ गए,,, इस दौरान ना तो शुभम शीतल की तरफ देखा और ना ही शीतल शुभम की तरफ देखी,,, और यह बात निर्मला को साफ तौर पर नजर आ रही थी कि दोनों एक दूसरे में बिल्कुल भी दिलचस्पी नहीं ले रहे थे जिससे वह मन ही मन प्रसन्न हो रही थी,,
rajan
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Re: एक अधूरी प्यास- 2

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शीतल तुम्हारा एहसान में कभी नहीं भूल पाऊंगी आज तुमने एन मौके पर मेरी मदद की हो मैं कल स्कूल में तुम्हारी 15000 लौटा दूंगी ,,,( निर्मला मॉल के बाहर पार्किंग में खड़े होकर शीतल से बोली)

पर इसमें कौन सी बड़ी बात है उसे लौटाने की जरूरत नहीं है,,

नहीं-नहीं सीतल 15000 की बात है मैं जरूर कल स्कूल में लौटा दूंगी,,, अच्छा तो अब मैं चलती हूं,,,,,
(इतना सुनकर शीतल निर्मला के कान में धीरे से बोली,,)

घर पर जाकर अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी हो जाना और अपनी पसंदीदा गुलाबी रंग की पैंटी पहन कर जरूर आईने में अपने रूप को देखना बहुत खूबसूरत लगोगी,,
( शीतल अपनी आदत के अनुसार बोल दी यह बात सुनते ही निर्मला शर्म के मारे बोली,,)

धत्,,,, पागल हो गई है क्या इस तरह की बातें करती है,,


मैं तो शुरु से पागल हूं तुम्हारे पीछे ,,,,(इतना कहकर सीधे हंसने लगी और जवाब में निर्मला भी मुस्कुरा कर,, गाड़ी में बैठ गई और गाड़ी स्टार्ट कर के रास्ते पर दौड़ाने लगी,,, शीतल की हरकत और उसका रंग रूप देखकर उसका कसा हुआ भरावदार बदन देखकर एक बार फिर से शीतल को पाने की लालसा सर उनके मन में जागरूक हो गई,,


दूसरी तरफ रुचि शुभम के मोटे तगड़े लंड को एक बार फिर से अपनी बुर में लेने के लिए तड़प रही थी जो कि अभी भी,, शुभम के मोटे तगड़े मंडे को अपनी कसी हुई बुर में लेकर जिस तरह से उसने अपनी पुर का आकार बदल वाली थी उसे शुभम के मोटे तगड़े लंड की मोटाई के सांचे में ढाल ली थी उसकी वजह से उसके हर धक्के का दर्द उसे अभी भी अपने बदन में महसूस हो रहा था जिसकी वजह से वह थोड़ा सा लंगड़ा कर अपनी टांगों को फैला कर चल रही थी जो कि उसकी यह चाल सरला देखकर उसे इस बार में पूछी तो वह बारिश में फिसलने का बहाना बना चुकी,, थी। शुभम के द्वारा दिए गए संभोग के असली सुख की तृप्ति महसूस करके वह पूरी तरह से मदहोश में जा रही थी उसे अब ऐसा लग रहा था कि शुभम की आदत बनती जा रही है वह सुकून से एक बार फिर से चुदवाना चाहती थी जो कि मौका नहीं मिल पा रहा था,,, और यही हाल सरला का था,,, रुचि तो पहली बार ही सुभम के लंड को अपनी बुर मे ली थी लेकिन सरला तो जब तक रुचि नहीं थी तब तक सुगम के लंड से चूत कर एक दम मस्त हो चुकी थी वह पूरी तरह से शुभम के मोटे तगड़े लंड की आदी बन चुकी थी और यही तड़प उसे आज बहुत तड़पा रही थी वह शुभम से चुदवाना चाहती थी उसके हर धक्के को अपने बड़े-बड़े नितंबों पर महसूस करना चाहती थी उसके लंड की मोटाई को अपनी बुर की गहराई से नापना चाहती थी,, जिसके लिए वह मौके की तलाश में थी उसे अच्छी तरह से मालूम था कि शाम को छत पर शुभम जरूर कसरत करने के लिए आता है इसलिए शुभम से मुलाकात करने के लिए छत पर उसका इंतजार करने लगी,,,
थोड़ी ही देर में वहां शुभम भी आ गया,, सरला को देखते ही उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ में लगी क्योंकि जिस तरह की हरकत मॉल में शीतल ने अपनी टांगों से उसके लंड पर की थी उसका असर उसे अभी तक अपने बदन में महसूस हो रहा था उसे बुर की जरूरत थी जिसमें अपना लंड डाल के जबरदस्त धक्कों के साथ अपनी गर्मी शांत कर सकता था,,,, वह सरला को देखते ही तुरंत उसके पास आ गया,,, और बोला,,।,,,

सरला चाची आप यहां छत पर क्या करने आई है सूखे हुए कपड़े उतारने अब तो आपकी बहू आ गई है आप क्यों इतनी तकलीफ उठा रही हैं,,,,( सरला से बातें करते हुए जानबूझकर अपने पजामे के ऊपर से ही अपने लंड को मसल ना शुरू कर दिया जो कि सरला अच्छी तरह से शुभम की इस हरकत को देख रही थी और उसकी इस हरकत की वजह से अपने बदन में गर्माहट का अनुभव कर रही थी,,)

तकलीफ तो मैं तेरी वजह से उठाकर मैं यहां आई हूं ,,,

मेरी वजह से मैं कुछ समझा नहीं,,,,

जबसे बहू को लेकर तू घर पर आया है तब से तो मुझसे मिलने नहीं आया तो नहीं जानता कि आप मुझे तेरे बिना नहीं रहा जाता तेरे मोटे लंड से चुदाई करवाए बिना मुझे नींद नहीं आती,,,
( सरला की यह बातें सुनते ही शुभम के चेहरे पर प्रसन्नता के भाव नजर आने लगे और टांगों के बीच उसके लंबे तगड़े लंदन में हरकत होने लगी,,,जोकि धीरे-धीरे खड़ा होने लगा,, और पजामे में ऊभरता हुआ लंड शीतल को साफ नजर आने लगा और उसकी वजह से शीतल को अपनी बुर पसीजते हुए महसूस होने लगी,,,)

मैं कर भी क्या सकता हूं चाची मन तो मेरा भी बहुत करता है लेकिन रुचि भाभी के वजह से मैं कुछ करना चाहूं तो भी नहीं कर सकता,,,


तभी तो मैं यहां आई हूं यहां कोई आने वाला नहीं है,,

यहां पर छत पर अो भी इस वक्त यह कैसे हो सकता है,,, चाची,,,,



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rajan
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Re: एक अधूरी प्यास- 2

Post by rajan »

छत पर हो सकता है सब कुछ हो सकता है रात को जैसे हुआ था अभी भी हो सकता है,,,

चाची आप समझने की कोशिश क्यों नहीं करती हो यह साम का वक्त है रात का अंधेरा नहीं यहां कैसे हो सकता है (शुभम का भी मन अब सरला को चोदने के लिए करने लगा था,, सुभम सब कुछ कर सकता था,,,लेकिन वह देखना चाहता था कि सरला जैसी उम्र दराज औरत अपनी बदन की प्यास बुझाने के लिए क्या कर सकती है,,)

तेरा लंड,,, छत पर आते ही और मुझे देखकर जिस तरह से खड़ा हो गया है,,, उसी तरह से सब कुछ हो सकता है,, ( सरला अपने बदन की प्यास बुझाने के लिए एकदम पागल हुए जा रही थी उसकी बातों से लग रहा था वह कुछ भी करने को तैयार थी,, लेकिन शुभम जानबूझकर ना नुकुर कर रहा था वह भी सरला की बुर में अपना लंड डाल कर अपने बदन की गर्मी को शांत करना चाहता था लेकिन थोड़ी देर इसी तरह से वह सरला को और ज्यादा उकसा रहा था,)


समझने की कोशिश क्यों नहीं करती चाची यहां पर हम लोग कुछ भी करेंगे तो कोई भी देख सकता है कोई भी आ सकता है,,, मेरी मम्मी तो चलो नहीं आएंगी लेकिन तुम्हारी बहू हो तो आ सकती है,,,,

नहीं आएगी वह अपने कमरे में आराम कर रही है और यही मौका है हम दोनों को एक बार फिर से अपने बदन की गर्मी शांत करने के लिए ,,,देख तू ज्यादा बातें मत बना,, मुझसे रहा नहीं जा रहा है,,,,( और इतना कहने के साथ ही सरला हिम्मत दिखाते हुए शुभम की तरफ आगे बढ़ी और पजामे के ऊपर से जिस लंड़ को पकड़कर शुभम उसकी आंखों में देखते हुए मसल रहा था उसका हाथ हठाकर सरला सीधे-सीधे उसके पजामे में अपना हाथ डाल कर उसके कड़क लंड को पकड़ ली सरला चाची की इस हिम्मत को देखकर शुभम उत्तेजना के मारे एकदम गन गना गया,,,,


आहहहहहहह,,,,,, चाची ये क्या कर रही हो ,,,,


वही जो तू करने में डर रहा है देख ,, हम दोनों की छत यहां सबसे ज्यादा उंची है इसलिए कोई देखना भी चाहे तो हम लोगों की छत पर नहीं देख सकता इसलिए तू बिल्कुल भी मत डर,,( इतना कहने के साथ ही सरला पूरी मानवता और मदहोशी में आगे बढ़ती चली जा रही थी वह शुभम का एक हाथ पकड़ कर अपनी बड़ी बड़ी चूची पर रख दे और उसे लड़के से दबा दी ताकि इशारा पाकर शुभम उस पर टूट पड़े और ऐसा हुआ भी अब शुभम से बर्दाश्त कर पाना मुश्किल हुआ जा रहा था उसे सरला चाची जैसी उम्र दराज औरत से इस तरह की उम्मीद बिल्कुल भी नहीं थी लेकिन सरला जिस तरह की हिम्मत दिखाते हुए अपनी मदहोश जवानी शुभम के ऊपर लुटा रही थी उसे देखकर शुभम एकदम उत्तेजित हो,, गया,,,, शुभम अब पागलों की तरह सरला की बड़ी बड़ी चुचियों को ब्लाउज ऊपर से दबाना शुरू कर दिया था जिससे सरला के मुंह से गर्म सिसकारी की आवाज छूटने लगी सरला को भी अब एहसास हो गया कि आज छत पर शुभम उसकी जुदाई जरूर करेगा और उसकी बदन की गर्मी को शांत करेगा,,,, दोनों जितना हो सकता था एक दूसरे के बदन से खेलना शुरू कर दिए सरला पूरी तरह से मदहोश हुए जा रही थी वह शुभम का लंड लेने के लिए इतनी ज्यादा उतावली हुए जा रही है कि उसे इस बात का डर बिल्कुल भी नहीं था कि छत पर कपड़े सूखने के लिए रखे हुए थे और शाम के वक्त ही रुचि छत पर से सूखे हुए कपड़े उतारने के लिए आती है,,,, वह तो पागलों की तरह से धमकी पजामी में बना हाथ डाल कर उसके टन टनाए हुए लंड को अपनी हथेली में भरकर उसे आगे पीछे करके हिला रही थी जिसका एहसास उसे पूरी तरह से गीली किए जा रहा था,,,
ससससहहहह,,आहहहहह,,, शुभम तू बिल्कुल भी मत रुकना मेरी बुर तेरे लंड के लिए तड़प रही है पता नहीं क्या हो गया है मेरी बुर को कि जब तक तेरे लंड को अपने अंदर नहीं लेती तब तक इस में खुजली होती रहती है,,,,,


मेरे लंड का भी कुछ ऐसा ही हाल है चाची,, जब तक तुम्हारी कसी हुई बुर में नहीं जाता तब तक यह खड़ा का खड़ा रहता है इसलिए तो देखो तुम्हें देखते ही खड़ा हो गया था,,,,

तो देर किस बात की है शुभम बेटा डाल दे मेरी बुर में और कर ले अपनी इच्छा पूरी,,,,,( सरला अपने आप पर बिल्कुल भी कंट्रोल कर पाने की स्थिति में नहीं थी,,, शुभम के मोटे तगड़े लंड को अपने हाथ में पकड़ कर उसे अपनी बुर के अंदर कुछ ज्यादा ही खुजली महसूस हो रही थी जिसे मिटाना अब उसके हाथ में था,,,, दोनों को इस समय अब जिस चीज की जरूरत थी उस चीज को हासिल किए बिना दोनों को चैन मिलने वाला नहीं,,था,, काफी दिनों से सरला अपनी बुर के अंदर से बनकर लंड की मोटाई को महसूस नहीं कर पा रही थी इसके लिए मैं कुछ दिनों से एकदम बेचैन रहती थी और अपनी बेचैनी को शांत करने का उसके पास अब यही एक मौका और तरीका था,, और शुभम जी शीतल की मदमस्त आ जाओ और उसकी गरम हरकत की वजह से पूरी तरह से गरमा गया था जिससे उसे भी रसीली बुर की आवश्यकता थी और उस जरूरत को इस समय सरला चाहिए पूरी कर सकती थी इसलिए दोनों एकदम पागल की तरह छत के ऊपर शाम के वक्त बिना किसी डर के संभोग सुख में रत होने जा रहे थे,, सरला की गरम गहरी चलती सांसो की आवाज से पता चल रहा था कि सरला को कितनी जल्दी थी शुभम के मोटे लंड को अपनी बुर में लेने के लिए इसलिए तो वह तुरंत शुभम का हाथ पकड़कर जहां पर साड़ी सूख रही थी उसके पीछे चली गई जहां पर वह साड़ी उन लोगों के लिए पर्दे का काम कर रही थी।,,
शुभम को पता था कि आप क्या होने वाला है और उसके सोचने के मुताबिक ही,,, सरला दोनों हाथ से अपनी साड़ी उठाते हुए अपनी कमर तक ला दी जिससे उसकी बड़ी-बड़ी को एकदम शुरू की आंखों के सामने चमकने लगी,, सरला उम्रदराज होने के बावजूद भी उसकी गोरी गोरी गाल काफी कसी हुई थी जिससे लगता ही नहीं था कि वह उम्र दराज औरत है बल्कि उसकी गोरी गोरी बड़ी बड़ी गांड देखकर शुभम के तन बदन में और ज्यादा आग लग गई,, सरला दीवाल का सहारा लेकर झुक कर खड़ी हो गई और कुछ ज्यादा ही अपनी बड़ी बड़ी गांड को पर की तरह उठाकर शुभम के सामने परोस दी,,,, साड़ी के अंदर सरला कुछ भी नहीं पहने हुए थी जिसे देखकर शुभम समझ गया कि सरला पूरी तैयारी के साथ , छत पर आई थी,, सरला की हरकत देखकर शुभम की सांसों की गति तेज होती चली जा रही थी और साथ ही उसका गला सूख रहा था वह तो उसे अपने गले को गिला करने की कोशिश कर रहा था,,,, अब उसकी बारी थी उसने भी अपने पर पजामे को तुरंत नीचे सरकाकर उसे घुटनों तक कर दिया उसका खड़ा लंड हवा में लहरा रहा था ,,, सरला से रहा नहीं जा रहा था और प्यासी नजरों से पीछे नजर घुमाकर शुभम को और उसके द्वारा होने वाली हरकत को बड़े गौर से देख रही थी,,


शुभम बिताओ में आ चुका था वह तुरंत सपना की बड़ी बड़ी गांड पकड़कर अपने एक हाथ से अपना लंड उसकी बुर में सटाकर हल्के से धक्का मारा और लंड भक्क सए अंदर घुस गया,, सरला की बुर पहले से ही गिरी थी और शुभम ने कुछ दिनों से इसकी जबरदस्त चुदाई करके उसकी बुर के अंदर अपने लंड का नाप पूरी तरह से बना लिया था इसलिए उसे ज्यादा मशक्कत नहीं उठाना पड़ा और अगले ही पल शुभम का मोटा तगड़ा करने सरला की बुर के अंदर था,,,, सरला मस्त हुए जा रही थी शुभम का लंड को एक बार फिर से अपनी बुर की गहराई में महसूस करके उसके मुंह से गर्म सिसकारी की आवाज आने लगी,,, शुभम भी जल्दबाजी दिखाते हुए जल्दी-जल्दी अपनी कमर को आगे पीछे करके सरला की चुदाई करना शुरू कर दिया,, शुभम अभी 15 मिनट ही उसे चोद पाया था और इस 15 मिनट की चुदाई में सरला एक बार झड़ चुकी थी,,, दोनों पसीने से तरबतर हो चुके थे शुभम पागलों की तरह धक्के पर धक्के लगाए जा रहा था लेकिन,,, सरला कि यह सब चला कि कुछ काम नहीं आई क्योंकि रूचि सूखे के कपड़े उतारने के लिए छत पर धीरे-धीरे सीढ़ियां चढ़कर आ रही थी,,, अभी वह पूरी सीढ़ी चढ़ी नहीं थी कि उसे औरतों की गरम सिसकारी की आवाज अपनी छत पर आते सुनाई दी और वह चौकन्नी हो गई,,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि यह गर्म सिसकारी की आवाज उसकी छत पर से कहां से आ रही है इसलिए धीरे-धीरे अपने कदम आगे बढ़ाने लगी और वहां पर शुभम अपनी ताल में ताल मिलाता हुआ अपना लंड सरला की बुर में ठोक रहा था,, रुचि धीरे-धीरे छत पर आ चुकी थी और उसे समझते देर नहीं लगी कि साड़ी के पीछे से ही इस तरह की आवाज आ रही थी,,,,

ओहहहहह ,,,,सुभम ,,, और जोर से धक्के लगा कर चोद बेटा मेरी बुर को फाड दे,,पुरा लंड मेरी बुर में घुसा दे,,, आहहहहह,,, बहुत मजा आ रहा है ,,,


यह आवाज रुचि के कानों में पड़ते ही रुचि के पांव तले जमीन खिसकने लगी,, उसे समझते देर नहीं लगी कि यह सिसकारी की आवाज उसकी सास की ही आ रही थी जो कि शुभम से रंगरेलियां मना रही थी,,,, रुचि इतना तो समझ ही गई थी कि साड़ी के पीछे ही शुभम और उसकी सास दोनों चुदाई का आनंद लूट रहे थे लेकिन उसे नजर कुछ नहीं आ रहा,, था,,, वह कुछ देर तक अपने धड़कते दिल के साथ वहीं खड़ी रही तो हल्की हल्की हवा के झोंकों से साड़ी इधर उधर हो रही थी जिससे उसे कुछ कुछ नजर आ रहा था शुभम की हिलती हुई कमर और उसकी सास की बड़ी बड़ी गांड यह सब देखकर रुचि के तन बदन में भी आग लगने लगी,,, रुचि और शिवम इस बात से अनजान की पर्ची उन्हें संभव करत होता हुआ दिख रही है वह दोनों अपने ही मस्ती में मस्त होकर एक दूसरे के बदन से मजे ले रहे थे शुभम जोर-जोर से अपना लंड सरला की बुर में पेलता हुआ चुदाई का आनंद ले रहा था,,,। यह कार्यक्रम लगभग 30 मिनट तक और ज्यादा चला और रुचि वही खड़ी होकर सब कुछ देखती रही इस दौरान वह पूरी तरह से गीली हो चुकी थी जब उसे पता चला कि दोनों का कार्यक्रम खत्म हुआ है तो वह दबे पांव सीडी से वापस नीचे चली गई,,

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