Incest सपना-या-हकीकत

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rajan
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Re: Incest सपना-या-हकीकत

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रूम से बाहर निकल कर मै नाना के कमरे मे गया ।
जहा नाना मेरे , मा , कोमल और विमला मौसी के लिए कपडे और मिठाई दिये ।

नाना - बेटा तु मेरा नं अपने मोबाइल से सेट कर ले और आते रहना ठीक है
मै हा मे सर हिलाया
फिर बारी बारी से नाना ने सबको कपडे दिये और आशीर्वाद दिया ।
इसीबिच मे सोनल दीदी का फोन आने लगा
मै फोन उठाकर बाहर आगया ।

फोन पर
दिदि - हाय्य मेरे हीरो आज तो फ़र्स्ट रिंग में ही फोन उठा लिया
मै - हा सोचा अपनी डार्लिंग को अब ज्यादा परेसान नही करना है
दीदी - तो चले आओ ना भाई जल्दी से आज तुम्हारे लिए कुछ सरप्राइज है हीहीहि
मै खुश होकर - क्या सच मे दीदी
दीदी - हम्म्म्म
मै - ठीक है मै 12 बजे तक आ जाऊंगा दीदी ओक्के
दीदी - ठीक है चल मै जा रही हू खाना बनाने
मै - ओके बाय

फिर मै फोन रखा और देखा कि मै तो बात करते करते छत पर आ गया
जैसे ही पीछे वाले सीढ़ी से निचे जाने को हुआ तो देखा रज्जो मौसी आगन मे अपना साडी निकाल कर ब्लाउज पेतिकोट मे नहाने के लिए बाथरुम में जाने वाली थी ।
मै झट से मोबाईल को जेब में डाला और तेज़ी से सीढ़ी से नीचे उतर गया और मौसी के पीछे ही बाथरूम मे घूम गया ।
मौसी को पता ही नही की मै उनके पीछे हू
जब वो पल्टी तो चौक गयी
मौसी - अरे बेटा तू है क्या इसमे ,, सॉरी मै बगल वाले बाथरुम में चली जा रही हू

मै मौसी की मोटी कमर मे हाथ डाल कर उन्के पहाड़ जैसे उठे चुतडो पर हाथ फेरते हुए कहा ( धीमी आवाज मे क्योकि बाथरूम मे आवाज गूज रही थी ) - कही जाने की जरुरत नही है मौसी जल्दी से वादा पुरा करो

मौसी मुस्कुराई धीरे से बोली - हा ठीक है लेकिन यहा नही ,तू कमरे मे चल मै झट से नहा कर आती हू क्योकि बगल वाले बाथरुम मे विमला नहा रही है

मै मौसी की गाड़ को मसला और गाल पर चुम्मा देके बोला - ठीक है जल्दी आओ तब तक मै मस्त तेल लगा लण्ड को खड़ा कर रहा हू , बहुत समय से आपकी मोटी गाड़ मे घुसा नही हू

मौसी हस्ते हुए - बदमाश अभी परसो रात मे क्या किया था हा ,,अब जा मै आती हू
मै चुपचाप निकल गया और ताक झाक करते हुए मौसी के कमरे मे घुस गया ।
कमरे मे एक गुलाबी रंग की साडी और उसका ब्लाउज पेतिकोट बेड पर रखा था और पेतिकोट के निचे से एक सफेद रंग की ब्रा की पट्टी नजर आई तो मैने उसे खीचा जिसके साथ एक हल्के आसमानी रंग की पैंटी भी आ गई ।

क्या मुलायम पैंटी थी हाथ मे आते ही लण्ड कडक होने लगा और मुझसे रहा ना गया तो मै उसे अपने नाक पर लगा कर सूंघने लगा
अह्ह्ह क्या मादक खुस्बु थी मौसी के पैंटी , मेरे मुह मे पानी आने लगा और एक अजब सी मदहोसी छाने लगी । ना जाने क्यू उस पैंटी को मै अपने चेहरे और गरदन पर फेरने लगा और फिर भी मुझसे ना रहा गया तो मैने उसे जीन्स के उपर से ही लण्ड पर घुमाने लगा जिससे मेरे आड़ो में एक सिहरन सी होने लगी और मेरा लण्ड जीन्स मे बहुत ज्यादा कसने लगा । जब मुझे दर्द का आभास हुआ तब मेरी तंद्रा टूटी और मुझे लगा कि मै तो ऐसे ही दरवाजा खोले मौसी की सिर्फ़ पैंटी से इतना ज्यादा नशे मे खो गया था ।
फिर मेरे चेहरे पर एक कातिल मुस्कान आई और मैने वो पैंटी जेब मे रख ली ।
और जीन्स निकाल कर मौसी का इंतजार करने लगा ।

थोडी देर बाद मौसी आई तो वो मैक्सि डाले हुई थी और उन्के
मोटे भिगे हुए चुचे मक्सि से चिपके हुए थे और मौसी की हिलोर मारती कमर मे एक गजब का नशा था ।
वही मौसी की नजर जब मेरे लटके हुए लण्ड पर गई तो वो मुस्कुरा कर बोली - लग रहा है मेरा लल्ला आज मेरे तरबूजो को सच मे फाड ही देगा
मै भी लण्ड को पकडे हुए - आज ऐसा फाड़ना है मौसी की याद करोगी ।

मै आगे बढ़ते हुए मौसी के करीब गया और उनकी गाड़ पर हाथ फेरा
मौसी मेरी हरकत से मुस्कुरा कर - बेटा दरवाजा तो बन्द कर दे

मै भी लपक कर दरवाजा बंद कर दिया और जैसे ही घुमा तो देखा मौसी ने निचे से मैक्सि उपर कर दी और उनके हाथ सर मे लपेटे तौलिये और मैक्सि के साथ फस गई । वो मदद के लिए मुझे आवाज दे रही है ।

मै मौसी के नंगे ताजे भिगे बदन को देख कर उत्तेजित हो गया
अभी भी उनके बालो का पानी रिस कर उनकी चुचियो को गिला कर रहा था । उनकी हल्के झाटो वाली चुत अभी भी भीगी हुई थी जिसे देख कर मेरा मुह वापस पानी से भरने लगा और मैने उनकी कमर से जांघो की जड़ो मे हाथ फेरने लगा

मौसी - ओह्ह्ह लल्ल्ला पहले मेरे हाथ तो छूडा
मै बिना कुछ बोले मजबुर मौसी का फायदा उठा कर मज़े ले रहा था ।
धीरे धीरे मेरे हाथ उनके चुत के दाने पर चले गए और मौसी छटपटाने लगी ।

मौसी - आह्ह बेटा उम्म्ंमममं ऑफफ़फ्फ
इधर मौसी कोसिस करके अपना चेहरा बाहर निकाल ली लेकिन उनके हाथ अब भी क्रॉस होकर सर मे फसे थे ।

मै मौसी को पकड कर बिस्तर तक ले गया और उनकी एक टांग उठा कर बिस्तर पर रख दिया और खुद घुटनो के बल बैठ कर उनकी चुत को सूंघने लगा ।
कितनी मादक खुसबू थी चुत की ओर मुझसे रहा न गया तो मै भी जीभ निकाल कर गरदन उठाया और लपालप चुत पर फेरने लगा जैसे कोई साड़ एक गाय की चुत को सूंघ कर अपनी लम्बी जीभ उसकी चुत पर चलाता है ।
जिससे मौसी के पैर कापने लगे
मौसी - बेटा प्लीज रहम कर हाथ मे बहुत दर्द हो रहा है
मै मुस्कुरा कर खड़ा हुआ और चुत की पानी लगी जीभ मौसी के होठो पर फेरते हुए उनके मैक्सि को बाहर निकाल कर हाथ आजाद कर दिये और उनके झूलते चुचो पर झपट पडा । नहाने के बाद मौसी के चुचे और भी मुलायम लग रहे थे और बदन से साबुन की भीनी भीनी सी खुशबू मुझमे और जोश ला रही थी ।
मै मौसी को चुचे को मुह मे भर कर अपने दोनो हाथ पीछे ले गया और उनके गदरायी चुतडो पर फेरने लगा ।
मौसी दोनो हाथो से मेरे सर को अपने चुचो पर दबाते हुए सिस्क रही थी ।वही मेरा खड़ा लण्ड मौसी के जांघो मे रगड़ खा रहा था

जल्द ही मौसी ने मुझे अलग किया और मेरे कदमो मे आकर मेरे लण्ड को अपने गले मे उतारने लगी ।
मुझे एक अलग ही ठंडक का एहसास हुआ और मै मौसी के सर को पकडे मुह मे पेल्ने लगा । मै झड़ना नही चाहता था इसिलिये मै मौसी के मुह से कुछ ही देर मे लण्ड को निकाल लिया

मौसी उम्मीद भरी नजरो से मुझे देखा मानो पूछ रही हो की क्या हुआ आखिर क्यू उनका मनपसंद खिलौना छीन लिया उनसे
मै मौसी के पास से हटा और दरख्त पर रखी हुई तेल की शिशि लेके आया तब मौसी के चेहरे पर मुस्कान आई और वो खड़ी हो गयी ।
मै - मौसी कुतिया बन जाओ आप अब
मौसी - ओह्ह्ह मेरे लल्ल्ला आज कुतिया की तरह पेलेगा क्या
मै - हा मौसी आज आपकी गाड़ अपना माल भरूँगा
मौसी - ला ये शीशी मुझे दे आज तेरे इस मुसल को मै लेपुंगी
मै मुस्कुरा कर तेल की शीशी मौसी को देदी
मौसी पहले बेड पर बैठ गई और मुझे मेरा लण्ड पकड कर अपने पास किया और फिर से उसे चूसा । फिर शीशी से ढेर सारा तेल मेरे सुपाडा पर गिराया और दोनो हाथो से मेरे लण्ड पर मलने लगी ।
वो मेरे आड़ो को भी मसल रही थी और मेरे चमडी को ज्यदा से ज्यादा नीचे खीचती जबतक मेरी आह ना निकल जाती ।
अच्छे से तेल मे मेरे लण्ड को चभोड़ लेने के बाद मौसी बिस्तर के बीच मे घोड़ी बन गयी और जांघो को फैला कर गाड़ के पाटो को खोल दिया जिस्से उनका भूरे रंग का सिकुड़ा हुआ गाड़ का मोटा छेद दिखने लगा ।
मै भी मुह की लार गटकते हुए बेड पर चढ़ कर उनके गाड़ के सामने खड़ा हो गया और एक पैर उठा कर उसके मोटे अंगुठे से मौसी के गाड़ की छेद को छूआ और वापस चुत तक रगड़ कर ले गया ।
फिर मै पैर निचे कर थोडा सा झुक कर दोनो हाथो से मौसी की कमर को थामा और अपना घुटना मोड कर उनके भोस्दे कर रगड़ने लगा

मौसी - अह्ह्ह बेटा क्या कर रहा है ,, टांग से ही चोदेगा क्या मुझे
मै घुटने को मौसी की फुली और पिचपिचाती चुत पर दबाते हुए - मन तो कर रहा है कि अभी अपना घुटना आपके भोद्से मे डाल दू मौसी ,,, कितना मुलायम भोस्डा है मौसी आपका अह्ह्ह
rajan
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Re: Incest सपना-या-हकीकत

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फिर मै तेल की शिसी को उठाया और मौसी के गाड़ छेद पर टिप टिप टिप टिप टिप टिप टिप कर लगातार बूद बूद करके गिराने लगा और अंगूठे से तेल को मौसी की गाड़ ले जाने लगा ।
मौसी सिसकती रही और मेरा अंगूथा तेल को उसकी गाड़ मे ले जाता रहा
फिर मैने अपना अंगुथा मौसी की गाड से निकाला और सुपाड़े को मौसी के गाड़ की छेद पर रखा ।
मेरे लण्ड का वजन अपनी सुराख पर पाते ही मौसी की सांसे तेज हो गयी और मै भी देर ना करते हुए लण्ड को पकड कर गाड़ मे सुपाडा घुसेड़ दिया
मौसी - अह्ह्ह बेटा अह्ह्ह मा मर गई रे हाय्य्य्य लल्ला कितना मोटा है रे तेरा अह्ह्ह मा
मै - आज सच मे मुझे भी लग रहा है मौसी की रोज से मोटा है
मै धीरे धीरे आगे बढ़ाते हुए लण्ड को मौसी के गाड़ की जड़ मे ले गया
मौसी अब सिर्फ तेज सासे ले रही थी और मै धीरे धीरे धक्के तेज करते हुए गाड़ मे लण्ड पेलने लगा ।
मौसी का दर्द मुझे भी मह्सूस हो रहा था
क्योकि जब मै लण्ड को उनके गाड़ की गहराई मे ले जाता तो वो गाड़ को सिकोड़ लेती और जब मै वापस लण्ड खिचता अब वो उसे ढिला कर देती

मै तेज़ी से मौसी को गलिया बकते हुए चोदने लगा और चट्ट चट्ट उनके तरबुजो को चपाट लगाता रहा

जल्द ही मौसी ने मुझे अपने गिरफ्त मे ले लिया और अब वो मज़े से मेरे मोटे लण्ड को लेने लगी
मौसी - आह्ह बेटा मज़ा आ रहा है बहुत दिन से गाड़ मे नही लिया तो सिकुड़ गया था अह्ह्ह
मै - क्यू मौसी रात मे नाना ने नही पेला क्या गाड़ मे
मौसी - नही बेटा वो कहा कुछ कर पाते है मुझे ही कूदना पड़ता है अह्ह्ह ओह्ह्ह उम्म्ंम्ं
मै - आपको मज़ा आता है ना नाना से चुदवा कर अह्ह्ह
मौसी - आह्ह उम्म्ंम हा लल्ल्ला वो ही तो मेरी सील तोड़े थे उन्मममं अह्ह्ह बहुत मज़ा आता है और तेरे साथ भी आता है अह्ह्ह

मै - फिर तो आप ससुराल मे भी बहुत लंड खाई होगी न मौसी
मौसी - अह्ह्ह नही रे ,,,सब लार टपकाटे है लेकिन मै घास नही देती ,, मेरा बेटा काफी है मेरे लिये वहा अह्ह्ह उम्म्ंम्म्ं

मै - मौसी मै आपको रमन भैया से चुदते हुए देखना चाहता हू अह्ह्ह
मौसी - बस देखेगा ही चोद भी लेना रे ,, मै भी दो लण्ड एक साथ ले लुंगी इह्ह्ह अह्ह्ह और तेज और तेज्ज़्ज़्ज़्ज़ अह्ह्ह्ह
मै मौसी को गाड़ को पकडे धक्के लगाते हुए - तो क्या आप कभी भी दो लण्ड से नही चुदी
मौसी - उम्म्ंम नही बेटा लेकिन चुद्ना चाहती हू अह्ह्ह

मै - ठीक है मौसी जल्द ही आऊंगा मै आपके यहा तो मै और रमन भैया मिल के आपके भोस्दे और गाड़ मे एक साथ पेलेंगे अह्ह्ह मेरा आ रहा है अह्ह्ह

मौसी - भर दे बेटा मेरी गाड़ मे रस अपना अह्ह्ह मै तो कबकी झड़ गई दो लण्ड से चुद्ने का सोच कर उह्ह्ह आअह्ह्ह

मै मेरे लण्ड को मौसी के गाड़ की जड़ ले गया और मौसी गाड़ थामे माल उगलने लगा , फिर मौसी क उपर ही गिर कर हाफने लगा ।


थोडी समय बाद हम अलग हुए और मै अपना कपड़ा पहन लिया ।
लेकिन मौसी को देखा तो वो अपना बदन साफ कर इधर उधर कुछ खोज रही थी
मै ह्स्ते हुए - क्या खोज रही हो मौसी

मौसी मुझे हस्ता देखा तो समझ गई- जल्दी दे मुझे मेरी पैंटी
मै मौसी की गाड़ पर चट्ट से मार कर - आपको क्या जरुरत है पैंटी पहनने की मौसी , वैसे भी अभी हमारे जाने के बाद मामा और रात मे नाना सब चोदन्गे ही ना हिहिहिही

मौसी मुस्कुराई- धत्त बदमाश , क्या करेगा ले जाकर उसको
मै - उसमे रोज मूठ मारुंगा
मौसी पेतिकोट का नाड़ा बान्धते हुए - क्यू छोटी तो रहेगी ना घर पर फिर

मै - हा लेकिन जब आपकी याद आयेगी तब इसे मा को पहना कर चोदूँगा

मौसी - तू पागल है चल अब बाहर जा मै आती हू
फिर मै मौसी को एक किस्स कर बाहर निकल गया 9:30 हो गये । मा , कोमल , विमला मौसी सब तैयार हो गये थे और फिर मौसी आई ।
फिर हम सब से विदा हुए और चारो निकल गए बस स्टैंड के लिए ।
हमारा समान एक नौकर लेके पहुच बस स्टॉप तक और हमारे लिये 4 सीट भी बुक ही गयी थी ।
फिर हम सब बस मे बैठ कर निकल गए घर के लिए ।


देखते है दोस्तो कोमल , विमला और अपनी मा के साथ ये बस का सफ़र राज के लिए कैसा होगा या कोई नया रोमांच समय ने राज के लिए तैयार रखा है ।

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rajan
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हम लोग बस में चढ़ते समय मा और कोमल आगे थे उसके पीछे मै और मेरे पीछे विमला मौसी थी ।
तो कोमल को मा के साथ बैठना पडा और मुझे विमला मौसी के साथ ।
कोमल एक नजर अफसोस से मुझे मुड कर देखा क्योकि मै भी जानता था कि कोमल मेरे साथ ही बाते करते हुए जाना चाहती थी लेकिन अब सीट पर बैठ गयी थी क्या हो सकता था ।
क्योकि हमारे बाद और भी लोग चढ़े थे बस मे जिस्से बस पूरी कस गयी थी ।
मै विंडो सीट से लग कर बैठ गया और मेरे बगल मे विमला मौसी बैठ गयी ।
विमला मौसी ने एक डीप गले का नेवी ब्लू रंग की कुर्ती और वाइट लेगी पहनी थी और बाई तरफ से दुपट्टे को कन्धे पर रखा हुआ था ।

विमला मौसी के बदन की गरमी और बस के हिल्कोरे मेरे लण्ड की नसो मे सिहरन पैदा करने लगे और मै रह रह कर तिरछी नज़र से विमला मौसी के चुचियो की घाटी को निहार रहा था ।
विमला मौसी के दाई तरफ एक आदमी उन्की तरफ मुह करके सीट पकडे खड़ा था ।
जब ही बस ह्च्के लेती वो मौसी के उपर झुक जाता जिससे बचने के लिए विमला मौसी मेरे तरफ झुकती और अजिब नजरो से देखती उस आदमी को
फिर जब मुझसे नजर मिलती तो मुस्करा देती थी।
फिर मै नोटिस किया की वो आदमी के पैंट मे तम्बू बना और उसकी नजर विमला मौसी की घाटियो मे है । इस बार जब झटका लगा तो वो बहुत हल्का फुल्का ही था मैने गौर से देखा कि वो जानबुझ कर अपना तम्बू मौसी के बाह पर छुआ देता था ।

इधर निचे की तरफ का बस के झटको से मौसी के बाई तरफ की जांघ कसी हुई लेगी मे दिख रही थी क्योकि हवा से उनकी कुर्ती हट जा रही थी।
विमला मौसी की मासल जान्घे देख कर मेरे मुह मे पानी आ रहा था ।

मै सोचा है तो एक नं की चुद्क्क्ड फिर क्यू नखरे दिखा रही है चलो इसे टटोल कर देखता हू
मैने अपना ड्रामा शुर किया ताकि किसी तरह उनको सेक्स वाली टोपिक पर ले आऊ

सबसे पहले मैने एक बार मौसी की कुर्ती को पकड कर वापस उनकी जांघ पर रख दिया
मुझे ऐसा करता देख वो मुस्कुराई लेकिन कुछ बोली नही
लेकिन कुछ ही देर मे फिर से कुरती हट गयी तो वापस से मैने उसे सही किया और इस बार पकडे रहा

विमला मौसी मुस्कुराई
विमला - अरे बेटा परेशान ना हो उसके लिये
मै विमला के पास होकर कान मे जाकर बोला - वो मौसी बगल वाला आदमी घुर रहा है इसिलिए मैने
विमला मुस्कुराई और बोली - अरे बेटा वो उसे नही इसे घुर रहा है । विमला ने अपने चुचो की तरफ इशारा करते हुए बोली
मै शर्माने की ऐक्टिंग करते हुए चुपचाप बैठ गया और मुस्कुराने लगा
फिर बोला - तो मौसी दुपट्टा कर लिजीये आगे
विमला - अरे बेटा कोई बात नही अगर इतना सोचूंगी तो मेरे फैशन का क्या होगा हीहीहि
मै समझ गया कि अब ये लाईन पर आयेगी इसको छेड़ने की ब्स जरुरत थी ।

मै मुस्कुराते हुए - क्या मौसी आप भी , वैसे सच मे एक बात कहू
विमला - हा बोल ना बेटा
मै झुक कर विमला के कान मे - ऐसे कपड़ो मे आप बहुत अच्छे दिखते हो ,
विमला मुस्कुरा कर - सच मे
मै हा मे सर हिलाते हुए मुस्कुरा दिया
मै वापस से विम्ला के कान मे - क्या आप ऐसे ही कपडे हमेशा पहनते हो या फिर और भी मोर्डन

विमला - बेटा सच कहू तो मुझे छोटे छोटे कपडे भी पसंद है लेकिन घर मे तो पहन नही सकती ना और अब तो मै विधवा हू तो चार लोग ऐसे ही बात बनायेंगे ,,,तू समझ रहा है ना

मै - हा मौसी जानता हू , ये समाज किसी की भावना को सिर्फ अपनी जरुरत के लिए महत्व देता है बस
विमला मुस्कुरा कर - अरे वाह तू तो बड़ो के जैसे बाते करने लगा अब
मै मुस्कुरा कर - काम भी बड़ो के जैसे कर लेता हू मौसी ,,कभी जरुरत हो तो याद करना

विमला मेरे डबल मिनिग बात को समझ गयी और मुस्कुरा कर सामने देखने लगी ।
इधर वो आदमी अब ज्यादा से ज्यादा विमला के बदन से सट कर खड़ा हो गया था और उनकी तम्बू विमला के बाजू को रगड़ रहा था ,

मै विमला के कान मे - मौसी वो आदमी कुछ ज्यादा नही परेशान कर रहा है आपको

विमला मुस्कुरा कर मेरे कान मे बोली - उसकी छोड बेटा वो तो अभी जवान है , उसके बगल मे खड़े बूढ़े को देख ,,,कब से अपनी धोती खुजा रहा है हिहिहिही

मै विमला से इतना ज्यादा खुल कर बात करने की उम्मीद नही थी और मैने जब उस बुढे को देखा तो वो मौसी के बगल मे खडे आदमी के पीछे से ही मौसी की घाटियो को निहारते हुए धोती मे हाथ फ्साये हुए था ।

मुझे हसी आ गई और मै विमला के कान मे बोला - आपको अजीब नही लगता मौसी कि ऐसे सब आपको देख कर हरकते कर रहे है

विमला मुस्कुराई और बोली - बेटा हम औरतो को इन सब की आदत होती है और अबला स्त्री को सेक्स की भुखी समझ कर हर कोई अपना हाथ आजमाना चाह्ता है

मै अचरज के भाव मे - तो मतलब आपको कोई फर्क नही पड़ता है ऐसे कोई करे तो

विमला - बेटा फर्क किसे नही पड़ता अब तो मेरे पति को गुजरे 4 साल हो गए है और जरुरत सबको होती है , मुझे भी है लेकिन मै अपनी मर्यादा नही लाँघ सकती ना

मै मन मे - देखो सालि कितनी सती सावित्री बन रही है मेरे सामने जबकि लण्ड की इतनी आदी है कि देवरो का लण्ड नही मिला तो मेरे मामा को भी लपेट लिया और अब मेरे सामने खुद को मजबुर दिखा रही है ।

मै - तो ऐसे मे आप क्या करती हो मौसी अपनी जरुरतो के लिए
विमला मुस्कुराई- तू तो ऐसे बोल रहा है जैसे तुझे कूछ पता ही ना हो कि एक अबला बिना पति के कैसे अपनी जरूरत पूरी करती है ।
rajan
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मै अचरज का भाव लाकर - सच मे नही पता मौसी
विमला शर्मा कर - चल झुठा ,
मै हैरान सा मुह लेके - मै झूठ क्यू बोलूंगा
विमला - अच्छा अभी तो कह रहा था कि बड़ो के सारे काम कर लेता है तू और अब कह रहा है की एक अबला की जरुरत के बारे मे तुझे पता ही । सच मे नही जानता या मेरे मुह से निकलवाना चाहता है

मै विम्ला की बात से हस दिया
विमला मेरे हाथ पर चींटी काटते हुर - बहुत बदमाश हो गया है तू हा

मै - अह्ह्ह आह्ह सो सो सॉरी ना मौसी हीहीहि
विमला ने मुझे छोड़ दिया और मुस्कुराने लगी ।

इसीबिच वो बुढऊ निढ़ाल होकर मौसी के बगल वाले खडे आदमी के कन्धे के सहारे हो गये
जब मौसी के बगल वाले आदमी को अपने कन्धे पर उस बुढे के सर मह्सूस हुआ
आदमी - अरे बाऊ जी क्या हुआ सो गये क्या

जैसे ही मै और विमला उस आदमी की बाते सुने एक दुसरे के तरफ देख कर मुस्कुराये फिर मुह दबा कर हसने लगे ।

हसी इस बात की थी कि मौसी की घाटियो का मज़ा लेने वाले बाप बेटे निकले हाहाह्हाह्हा

तभी आगे जाकर बस रुक गयी सड़क के किनारे लगायी गयी । आस पास कोई दुकान नही थी एक दम सुनसान जगह थी दोनो तरफ जंगल थे ।
काफी लोग बस से उतर कर नजारा देख रहे थे इधर मा और कोमल परेशान हो गये कि क्यू इतना टाईम लग रहा है और बस क्यू रुकी है

मा - बेटा जरा देख क्या हुआ है यहा बीच जन्गल मे बस क्यू रोक दी इनलोगो ने
मै खिडकी से झाका तो बस conductor से पुछा की क्या बात है तो वो बोला बस की अगली टायर पन्चर हो गयी है ।
टायर पन्चर का सुन कर हम सबके और पसीने छूट गए क्योकि गर्मी बहुत थी उस पे बस खराब होना
इधर बस से लगभग सारे लोग निकल गये थे और हमे भी बाहर आने को बोला गया

मै - चलो मा बाहर जाना पडेगा तभी बस बनेगी
मा और कोमल उठ गये और आगे जाने लगे
मै विमला को इशारे से उठने को बोला तो वो उठी और जैसे ही हम आगे बढ़ते की हमारी सीट के पीछे वो बुढऊ बेसुध सोये हुए दिख गये ।
उनको देख कर मेरी और विमला की फिर से हसी छूट गई ।

फिर विमला आगे बढी तो पीछे उसकी कुर्ती सिम्टी हुई थी
मै - मौसी आप कुर्ती सही कर पीछे सिलवटे आ गई है
मेरी बात सुन के विमला मूडी और बोली - बेटा जरा नीचे बैठ कर सही कर देगा , अच्छा नही लगता है ऐसे

मै मुस्कुरा झुका और कुर्ती का नीचे का हिस्सा खीच कर थोडा ठीक किया लेकिन उतना अच्छा हुआ नही

विमला - अरे बेटा हाथ लगा कर सही के दे ना
मै एक कातिल मुस्कान से एक हाथ विमला की कुर्ती का निचला हिस्सा पकड का खीचा और दुसरे हाथ से प्रेस की तरह उसके चुतडो पर हाथ फेरने लगा फिर दोनो हाथों से खिच के कुर्ती ठीक किया और खड़ा हो गया ।


मै - हो गया मौसी चलो
विमला मुस्कुराई और अपने चुतड हिलाते बस से निचे उतर गयी।
बाहर तेज धूप थी और आस पास कोई ठिकाना भी नही नजर आ रहा था
बस से निकले लोग जंगल मे चले गये छाव के लिए ।
कुछ आदमी बस से दुर हट कर सड़क किनारे पेसाब कर रहे थे तो कुछ जन्गल मे थोडा उतर कर
एक दो औरते जन्गल मे अन्दर की तरफ जा रही थी पेसाब करने के लिए ही शायद
उन औरतो को जन्गल मे जाता देख मा बोली - अरे विमला सुनो चलो हम भी फ्रेश होकर आते है, आ कोमल तू भी चल

लेकिन कोमल अंदर जाने से डर रही थी
कोमल सहम कर - मौसी कितना बड़ा जन्गल है और देखो उधर बन्दर भी है

बंदरो को देख कर मा का मन भी डोल गया
मा - हा बात तो सही है लेकिन मुझे प्रेसर आया है
विमला मुस्कुरा कर - मुझे भी रागिनी

मा - बेटा राज तू भी चल हमारे साथ थोडा बंदरो पे नजर रखना
मै खुश हुआ और एक कातिल मुस्कान से कोमल को देखा तो वो शर्मायी लेकिन मुझे छेड़ने के मूड मे अजीब सा मुह बना कर - क्या सच मे ये भी आयेगा

विमला - अरे तो क्या हुआ चल बेटा
मै कोमल को आंख दिखाते हुए हसा और उन लोगो के साथ बस से थोडी दुर होकर जंगल मे एक पतले से रास्ते पर उतरने लगा जो थोडा बहुत आवागमन से बना हूआ था , उस सकरे रास्ते के अगल बगल झाडिया और मूँझ उगे थे

आगे आगे करीब 20 25 मीटर जाने के बाद मै घुमा तो तीनो आपस मे बाते करते हुए आ रही थी
जंगल के जिस एरिया मे हम रुके थे वहा कुछ कुछ ही आम के पेड़ थे बाकी सगौन के ही मोटे मोटे पेड़ लगे और नीचे झाडियों भी थी

मै - मा कहा पे जाओगे आप

मा ने एक नजर सड़क की तरफ आदमियो को तहलते देखा तो बोली - थोडा और आगे चल ना बेटा यहा सब दिखेगा

मै करीब सड़क से 50 मीटर की दुरी पर आ गया और रास्ता घुमावदार था अब सड़क भी नही दिख रही थी

मा - बस रुक जा बेटा
मै रुक गया और उन लोगो की तरफ घूम गया

मा - कोमल चल इधर थोडा आगे ही कर लेटे है ।
मा - बेटा तू यही रुक विमला के साथ कोई आये ना इस रास्ते हम लोग आते है

वो दोनो चली गयी और विमला मौसी और मै खडे बाते करने लगे कि कब कैसे बस सही होगा कितना समय लगेगा

इसीबिच मुझे पास के ही आम के पेड़ पर दो बंदरो की आपस मे चुदाई होते दिखी जिसको देख कर मेरी हसी छूटी
विमला - क्या हुआ बेटा हस क्यू रहा है
मै हसते हुए - कुछ नही
विमला - फिर हस क्यू रहा है
मैने विमला को आम के उसी मोटे डाल पर इशारा किया तो विमला भी देख कर मुस्कुराने लगी ।

तभी उन बंदरो की नजर हम दोनो पर पड़ी तो वो हमारी तरफ ही शोर मचाते आने लगे जिससे विमला डरने लगी लेकिन मैने पास से एक मिट्टी का ढेला लिया और उनकी तरफ फेका तो वो उसी तरफ भागे जिधर मा और कोमल गये थे ।

फिर विमला चैन की सांस ली
तभी मा और कोमल सामने से आते दिखे
मा - जा विमला तू भी पलट आ

विमला अकेले जाने का सोच कर ही घबरा गई
विमला - अरे नही तू भी चल ना , अभी दो बन्दर हमे काटने को आ रहे थे वो तो राज ने उन्हे उसी तरफ खदेड़ा

मा भी थोडी डर गयी - ऐसा कर तू राज के साथ चली जा , हम दोनो बस तक जाते है यहा रुकना खतरनाक है

मा - बेटा तू चला जा इसके साथ आगे बस 10 15 मीटर आगे ही एक खाली जगह है

मै हा मे सर हिलाया और विमला के साथ उधर ही निकल गया , मा और कोमल बस के तरफ निकल गए
विमला मेरे काफी करीब होकर चल रही थी और फिर हम उस खुली जगह पर आ गये

पास मे ही मुझे पेशाब किये हुए दो गीले जगह दिखे जो मा और कोमल के ही थे ।
मै - मौसी आप कर लो मै यही हू

विमला मुझे अपनी तरफ पीठ करता देख बोली - अरे तू उधर देखेगा और कही बन्दर मेरे पीछे से काट लिये तो

विमला - तू मेरी तरफ ही देख बेटा ठीक है
मै थोडा संकोच मे - म म मै ,,,, लेकिन
विमला - तू लेकिन वेकिन छोड
इससे पहले मै कुछ ज्यादा कहता विमला ने झट से पैंटी के साथ लेगी को नीचे किया और फट से बैठ गई

मेरी आन्खे विमला को गोरी चित्ती जान्घे और चुतडो के गोल उभार देख कर फटी रह गयी
उधर विमला तेज धार से मूत रही थी और मै थूक गटकते हुए उसको साइड से उसके गाड़ की गोलाई को निहार रहा था । जिससे मेरे जीन्स मे तम्बू बन गया था
मुतने के बाद विमला उठी और मेरी नजर को अपनी गाड़ पर गड़ा देखा शरारती अंदाज मे अपनी पैंटी को कमर पर चढाते हुए बोली - तुझे मैने मेरे पीछे नजर रखने को बोला था तू तो पिछवाड़े पर ही नजर गड़ा लिया

मै झेप गया - अ अ ब ब वो वो मै देख रहा कही कोई पीछे न आये मौसी

विमला अपनी लेगी को चढाती हुई कुर्ती ठीक करते हुए - हा देखा मैने मौके का फायदा उठा लिया आखिर तुने भी हा

मै शर्मिदा मह्सूस कर रहा था
तभी विमला की नजर मेरे जीन्स मे बने तम्बू पर गयी
विमला - अब तू भी कर ले जल्दी
मै - नही मै उधर ही कर लूंगा
विमला - हा क्यो नही वहा ज्यादा औरतो के बीच मूतने मे ज्यादा मज़ा आयेगा ना

मै झेप गया फिर से
विमला मुस्कराई- अरे कर ले मै मज़ाक कर रही हू

मै थोडी राहत की सांस ली एक पल को लगा ये सच मे बहस करने के मूड मे है ।

मै थोडा आगे बढ़ते हुए एक साइड मे खड़ा हुआ और लण्ड को बाहर निकाल कर झाडियो मे मूतने लगा
विमला - कितना टाईम लगा रहा है जल्दी कर ना
मै - बस हो गया है एक मिंट वो चैन पुरा खुला नही है तो धीरे धीरे हो रहा है

विमला - हा जल्दी कर भाई
फिर मै जल्दी से लण्ड अन्दर किया और घुम के विमला के पास आया
वो फिर मेरे जीन्स मे बने तम्बू को देख कर मुस्कुराते हुए बोली - अरे अभी सही से किया नही क्या

मै शर्मा कर - कर तो लिया मौसी
विमला - फिर ये क्यू ऐसे है
मेरे जीन्स मे बने उभार की तरफ इशारा करते हुए बोली

मै - वो तो
विमला ह्स्ते हुए - हा हा समझ गई,, शर्म कर मै तेरे मा की उम्र की हू
मै मुस्कुरा कर - मेरा तो ठीक था लेकिन बस मे वो बुढऊ का क्या
विमला हस्ते हुए - हमम कोई नही हो जाता है अभी नया नया जवान हुआ , शायद मेरे से पहले किसी के नंगे कुल्हे देखे भी नही होगे तुने , क्यू सही है ना

मै शर्मा कर चुप रहा
विमला - अरे शर्मा मत होता है और तू भी सही है , अब जब मेरे घर मे मेरे खुद के दोनो देवर मुझ पर लार टपकाते है तो तू तो जवान है

मै कोमल के चाचाओ का जिक्र सुन कर मेरे मन मे एक नयी हलचल हुई
मै - क्या सच मे मौसी ऐसा सोचते है आपके देवर लोग
विमला - बेटा एक विधवा औरत को सब कोई अपनें निचे लाना चाहता है और मजबूरी का फायदा उठाकर इस्तेमाल करना चाहता है


मै - लेकिन मै ऐसा नही हू मौसी ,,,हमारे बीच जो भी हुआ वो अनजाने मे हुआ है बस

विमला मुस्कुरा कर - हा जानती हू रे पगले ,,,तू पहला है जिसने मेरे तन को उघारने के बजाय ढकने का सोचा ।

मै मन ही मन खुश हुआ
विमला आगे आगे चल रही थी और मै पीछे उसके हिलते चुतडो को निहारते हुए मज़े से उसकी बाते सुन रहा था ।
विमला - ये दुनिया बहुत जालिम है राज ,,लोग अपनी जरुरत के लिए रिस्तो का मतलब भी परे कर दते है और चंद पैसो के लिए मजबुर लाचार लोगो की मजबूरी का फायदा उठाते हैं ।
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