Incest सपना-या-हकीकत

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rajan
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Re: Incest सपना-या-हकीकत

Post by rajan »

ऐसे ही एक दिन
मै पापा और मा नये घर पर काम देखने गये । सारा काम लगभग खतम होने को था और सब खुश थे ।

मै - पापा मुझे आपसे कुछ बात करनी है
पापा खुश होकर - बताओ ना बेटा
मा - हा बोल ना मेरा बच्चा क्या बात है बहुत उदास लग रहा है
मै मन गिरा के हिम्मत करते हुए - मुझे आपको कुछ बताना है
पापा - लग रहा है रागिनी लडकी का मामला है क्यू जनाब
मै - नही पापा वो कोमल ....
पापा - ओहो तो कोमल है वो हम्म्म ,,,वैसे पन्सद तो बहुत अच्छी है बहुत प्यारी बच्ची है
मै - क्या पापा , मै और कोमल अच्छे दोस्त है ऐसा कुछ नही है हमारे बिच
मा - फिर क्या बात है ,,कोमल को कोई दिक्कत है क्या बेटा
मै उदास मन से - हम्म्म्म्ं
पापा - क्या हुआ बताओ बेटा
मै - पापा उसको उसके चाचा लोग परेशान करते है
पापा - मै समझा नही बेटा
मै मा को देखा तो - पापा वो वो
पापा - रागिनी तुम थोडी देर के लिए बाहर जाओ शायद तुम्हारे सामने नही बोलना चाहता है
मा - ठीक है आप लोग बाते करो फिर मुझे आवाज दे देना
फिर मा बाहर चली गयी
पापा - हा बोलो बेटा
मै रुआस होकर - पापा कोमल के चाचा लोग बहुत दुष्ट है और वो लोग..........
फिर मैने वो सारी बाते बताई पापा को जो कोमल ने मुझे बताई कि कैसे कैसे उसके चाचाओ ने उसकी मजबुर मा को फसा कर जमीन के कागज ले लिए और अब कागज के बदले कोमल के साथ सम्ब्न्ध बनाने के उसकी मा को मजबुर कर रहे है

पापा मेरी बात सुन के चुप थे और मुझे रुआस देख कर गले लगा लिया
पापा - चुप हो जा बेटा ,,सब ठीक होगा तू चिंता मत कर मै सब ठीक कर दूँगा

मै पापा से चिपक कर फफ्क पडा - थैंक यू पापा
इत्ने मे मा आ गई और मुझे रोता देख वो रोने लगी और बार बार मेरे सर पर हाथ फेर कर पुछने लगी - फिर पापा ने सब कुछ मा को ब्ताया जिससे मा को धक्का लगा

मा - इतना सब कुछ हो गया और विमला ने मुझसे एक शब्द तक नही कहा
पापा - वो बदनामी के डर से किसी से नही बोल सकती थी वो तो कोमल बेटी ने राज से कह दी नही तो पता ही नही चल पाता हमे भी ।

मा - मेरा बेटा कितना बड़ा हो गया है और समझदार भी
मा मेरे माथे को चूम कर अपने सीने से लगा ली और मै भी उनको हग करके उनकी मुलायम चुचियो मे अपनी आँखो को आराम देने लगा

फिर पापा ने मा से और मुझसे पूछा कि आगे क्या किया जाय
मा- ऐसा करती हू कल ही मै राज को भेज देती हू विमला के घर वो उसको लिवा कर बर्तन वाली दुकान पर लाएगा वही उससे बात की जायेगी

पापा - हा ठीक कह रही हो रागिनी तुम वहा गोदाम मे एकान्त होगा और वो खुल कर बात भी कर पायेगी ।

फिर हम सब वापस घर आ गये ।
शाम को कोचिंग से वापस आकर मैने कोमल को फोन किया

फोन पर
कोमल - और हीरो क्या हाल चाल
मै - बस अपने यार की याद आ रही थी तो सोचा बात कर लू
कोमल - हा तू बस बात ही कर हा नही तो कभी मिलने नही आ सकता है इतना भी क्या बिज़ी यार
मै - ठीक है फिर कल आ रहा हू तेरे घर
कोमल खुश हो कर - सच मे मेरे घर आयेगा
मै - हा भाई क्यू
कोमल - अरे मुझे यकीन नही हो रहा है लास्ट टाईम दिवाली पर मिठाई देने आया था हिहिही
अभी 3 महिने हो गये
मै - बस दिवाली की मिठाई याद है और वो भूल गयी जो रसमलाई मैने चटाई थी
कोमल - धत्त पागल छोड ना वो सब और ये बता कब तक आयेगा
मै - यही कोई 11 बजे तक खाना खा पी के
कोमल - खबरदार जो खाना खा के आया ,, कल मै तेरे लिए स्पैशल लंच रेडी करूंगी तू टाईम से आ जाना
मै हस कर - ठीक है मेरी मा आ जाऊंगा
कोमल - हम्म्म गुड
मै - सुनो कोमल मुझे तुमको कुछ बताना है
कोमल - हा बोल न
मै - वो मैने पापा से आज तुम्हारे घर के प्रोब्लम के बारे मे बात की है
मेरी इस बात से चह्कती कोमल एकदम शांत हो गयी
मै - और पापा ने कल विमला मौसी को बुलाया है बात करने के लिए,,अब जल्द ही तेरी टेनसन खत्म हो जायेगी दोस्त

कोमल रोते हुए - थैंक यू राज
मै - अरे रो क्यू रही है पागल
कोमल - कुछ नही ,,मै मा को बता दू ये बात या नही
मै - नही मै खुद आकर मा से विमला मौसी की बात करवा दूँगा नही तो वो तुझे डाटेंगी

कोमल खुश होकर - ठीक है राज
मै - चलो अभी मै डिनर के बाद बात करता हू
कोमल - ठीक है राज थैंक्स बाय
फिर मैने फोन रखा और शाम को मा के साथ कोमल के मुद्दे पर बात हुई ।
रात का खाना खा कर मै नये घर पर सोने चला गया और अगली सुबह नहा धोकर नासता करके कोमल को खबर देदी की मै 11 बजे तक आ जाऊंगा और 11 बजे की बजाय 10 बजे ही उसे घर पहुँच गया उसको सरप्राइज़ देने ।


जारी रहेगी .....

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rajan
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Re: Incest सपना-या-हकीकत

Post by rajan »

नया परिचय

कोमल का परिवार
पापा - रमेश ,अब जिन्दा नही है
मा - विमला , पूर्व परिचित
भाई - मनोज 19 साल
बडे चाचा - महेश उम्र 45 एक नं का कमीना इन्सान
बड़ी चाची - अनिता 44 साल , मोटी और भारी शरीर लेकिन मन से बहुत ही कुटिल औरत
बेटा - गुलशन , 20 साल
छोटे चाचा - सुरेश 44 साल , हमेशा बडे भाई महेश के साथ घटिया कामो मे लगा रहता है
छोटी चाची - महिमा 42 साल सुन्दर और सुशील इसके विचार अच्छे है लेकिन पति कि आदतो से परेसान होकर काफी सालो से मायके मे ही रहती है ।
बेटी- जिया अभी काफी छोटी है और मा के साथ ही नाना के यहा रहती है ।

(सभी किरदार के डिटेल वर्तमान समय के है पाठक इस बात का खास ध्यान रखे)

कोमल के दोनो चाचा एक साथ अलग घर मे रहते है जो कि कोमल के घर से सटा हुआ है । लेकिन कोमल का घर उसके चाचाओ के घर से काफी बड़ा था
मै 10 बजे तक टहलता हुआ कोमल के घर पहूचा और मेन गेट खुला ही था और मै चुप चाप घर मे घुसा और कुछ दुर बरामदे से होते हुए हाल मे गया
वहा भी सन्नाटा था तभी मुझे पास के कमरे से किसी के गुनगनाने की आवाज आई और मै उसी तरफ गया।
फिर मै खिडकी से कमरे मे झाका तो मेरी जीभ टपकने लगी अब सीन ही कुछ ऐसा था
अंदर कमरे मे विमला मौसी नहा कर आई थी और अपना पेतिकोट बान्ध रही थी जिससे उनके खुले चुचे हिल रहे थे ।
उन भूरे घुंडीयो वाली भीगी रसिली मुलायम और दूध सी गोरी चुचीयो को देख कर मेरा लण्ड पैंट उछलना शुरू कर दिया और कब मै उसे सहलाने लगा मुझे पता ही नही चला ।

तभी मेरे खुशीयो को नजर लग गई क्योकि विमला ने अपने चुचो पर ब्लाउज चढा लिये और बटन बंद करते हुए बोली - कोमल बेटा राज कितने बजे आने वाला है
तभी उस कमरे के बगल वाले कमरे से आवाज आई जो कोमल की थी

कोमल - 11 बजे बोला है मा
विमला - ठीक है , मै भी तैयार हो लेती हू

मै सोचा अब तो यहा कुछ देखने को मिलेगा नही तो क्यू ना कोमल से कुछ मस्ती करू
मै चुपचाप वहा से हट गया और बगल के कमरे मे जाने को हुआ तो देखा

मै मन मे - अरे ये तो किचन है इसका मतलब कोमल अभी खाना बना रही है । मै धीरे धीरे कमरे की खिडकी की तरफ गया जो खुली हुई थी
अंदर झाका तो कोमल अंदर टीशर्त स्कर्ट पहने पनीर काट रही थी और सामने के टेबल पर रखे चूल्हे पर मसल भुन रही थी ।
कमरे मे मेरे मन पसंद मसालो की खुस्बु आ रही थी ।

मै अब चुपचाप जहा था वही बैठ गया फिर घुटनो और हाथ के बल धीरे धीरे झुक कर चलता हुआ किचन के दरवाजे से होकर अंदर कोमल के बगल मे आ गया ।

कोमल अपने काम मे मगन थी और मै सांसो तक को रोके हुए उसके पीछे धीरे से खड़ा हुआ और उनके कान मे हौले से बोला - सरप्राइज़ज्ज्ज

कोमल झट से पलती और मुझे देख कर चिल्लाने को हुई लेकिन मैने तुरंत उसके मुह पर हाथ रख कर चुप रहने का इशारा किया

मै - याररर चुप रहो मौसी सुन लेगी
कोमल - लेकिन तुम तो 11 वजे आने वाले थे ना
मै उसके कमर मे दोनो तरफ से हाथ डाल कर अपनी तरफ खिचते हुए - क्यू पहलें नही आ सकता
कोमल मेरी बाहो मे आते ही शर्मा गयी - क्यू नहीं आ सकते हो
मै उसके गुलाबी होते गालो को चूमते हुए - बहुत दिनो से मौका नही मिल रहा था और आज मिला है तो ।
कोमल शर्मा कर - कैसा मौका राज
मै उसके गाड़ पर हाथ फिराते हुए - अभी बताता हू

कोमल - नही अभी नही मुझे खाना वनाना है राज
मै उसको किचन डेस्क की तरफ घुमा कर उसको पीछे से पकड कर अपना लण्ड अन्दर से ही उसकी गाड़ पर रगड़ते हुए - तू बनाओ ना अपना खाना मै तुमको नही रोकूगा

कोमल - ठीक है ,,, लेकिन परेशान मत करना प्लीज
फिर कोमल अपने काम मे लग गई और मै उसके पीछे वही घूटनो के बल बैठ गया और उसके चुतडो पे अपना चेहरा रख दिया

कोमल निचे मेरे तरफ देखते हुए - पागल उठो ना मम्मी है बगल मे पलीज

मै नही माना और उसके आँखो मे देखते हुए उसके स्कर्ट को उपर किया अन्दर अपना चेहरा डाल दिया ।
उसकी ब्लू रंग की फुल पैंटी मे उसके चुतड सब तरफ भरे हुए थे और मुझे उसके चुतड और चुत की खुस्बु के नशे मे डुबो रही थी
वही मेरा स्पर्श पाकर कोमल सिहर उठी और उसके मुलायम जांघो के रोए खडे हो गये । जैसे जैसे मेरा चेहरा उन्के चुतडो की दरार मे पैंटी के उपर से रगड़ खाता वैसे वैसे कोमल किचन टेबल को पकडे अपनी एड़ी उचका कर सिस्क देती थी ।
मैने अपने दोनो हाथ भी अन्दर लेके गया और उसकी पैंटी को स्कर्ट के अन्दर से ही निचे उतारने लगा और जल्द ही उसकी पैंटी पैरो मे आ गई और मेरे जीभ उसकी चुतडो की दरारो मे ,,,,जब जब मै अपनी जीभ को कोमल के गाड़ के पाटो से उसकी गहरी दरारो मे ले जाता वो अपनी गाड़ को सिकोड़ कर अपने पाटो को सख्त कर लेती और जैसे ही मेरे हाथ उसके नंगे कूल्हो पर सरकते वो अपनी गाड़ को ढिला कर देती
मै धीरे धीरे कोमल की मुलायम गाड़ के फैलाते हुए छेद तक गया और गरदन को उचका कर लपालप उसे चाटना शुरू कर दिया
जैसे जैसे मेरे जीभ उसके सुराख को छुते कोमल सिस्क कर एड़ी उठा देती
कोमल - उम्म्ंम राज क्या कर रहे हो अह्ह्ह मा बस करो उम्म्ं इस्स्स्स उफ्फ्फ

मै बिना कुछ बोले उसके जांघो को फैलाये हुए उसके चुत के निचले हिस्से से गाड़ के उपरी सिरे तक लकीरो मे जीभ को नचा रहा था ।

इस दौरान कोमल सिस्क रही थी कि तभी विमला मौसी ने किचन के बाहर खिडकी से देखते हुए आवाज लगा दी

विमला - कोमल क्या कर रही है , मसाला जला देगी क्या
विमला की आवाज सुनते ही हम दोनो की फट गयी और मै कुछ पल के लिए रुक गया
और इधर हड़बड़ी मे कोमल ने झट से काराही मे पानी डाल कर मसाले को चलाने लगी

विमला कोमल को पसीना पसीना होते देख - तू ठीक है ना बेटी,,,कही वो गुलशन आया तो नही था न आज

कोमल भावों को छिपाए हुए - नही मा मै ठीक हू वो गैस के पास हू न ती गर्मी है

विमला - ठीक है मै ये कपडे डाल कर आती हू ,, वैसे क्या क्या तैआर हो गया है

कोमल नोर्मल होते हुए - मा सब कुछ तैयार है बस पनीर ऊबालना है

मै कोमल को नोर्मल होता देख वापस से अपने काम मे लग गया और चुत के निचले हिस्से में जीभ को घुमाने लगा जिससे कोमल टेबल को थामे अकड़ने लगी

विमला - क्या हुआ है तुझे आज
कोमल - वो बस कबसे खड़ी हू ना तो पैर दर्द हो रहे हैं बस

विमला - ठीक है मै आती हू उपर से
फिर विमला के जाने पर उसके चप्प्ल की आहट दुर होती समझ आई और यहा कोमल ने मेरा सर पकड़ कर अपनी गाड़ मे तेज़ी से दबाने लगी
मै कोमल को उत्तेजित देख उसे अपनी तरफ घुमा कर सीधा उसके चुत पर मुह लगा दिया और होठो से उसके मुलायम दाने को चुबलाने लगा

कोमल की आहे अब खुल कर बाहर आने लगी और वो अब वो मेरे सर को अपनी चुत पर दबाते हुए अपनी गाड़ हिलाने लगी
कोमल - आह्ह्ह राजज तुम तो जादुगर हो उफ्फ्फ मा इस्स्स अह्ह्ह और चुसो और अह्ह्ज ऐसा लग रहा है मै उड़ रही हू और चाटो इसे अह्ह्ह

मै कोमल मे चुत मे जीभ घुसाये अपने उपर के होठ को उसके चुत के उपरी चमडीयो पर रगड़ रहा था

कोमल - अह्ह्ह राअज्ज उफ्फ्फ मेरा निकलेगा राज्ज्ज अह्ह्ह मा रुको मत आह्ह आह्ह औसे ही ओफ्फ्फ मा उह्ह्ह
कोमल तेजी से गाड़ हिलाते हुए मेरे सर को अपनी चुत पर जोर लगाकर दबाते हुए अपनी कमर को झटकने लगी और उसके चुत का नमकीन पानी मेरे जीभ से होकर मुह मे जाने लगा
जब कोमल ने झटका देना बंद किया और मेरे सर से पकड को हल्का किया तो मै भी एक गहरी सास लेते हुए वापस से चुत को चाट कर साफ किया और कोमल को उसकी पैंटी पहना दी और चुत के उपर अपना मुह रगड़ के साफ किया

कोमल हाफते हुए हस रही थी
मै खड़ा हुआ और खुद के कपड़े ठीक किये

कोमल - अब जाओ हाल मे बैठो मै ये पनीर डाल के आती हू
मै उसे एक किस्स किया बाहर हाल मे आकर बैठा ही था की तभी विमला हाल मे लगे सीढ़ी से निचे आती हुई दिखी

मै उठ कर उसके पैर छूने गया
विमला ने मुझे रोक लिया और बोली - अरे नही लल्ला मुझ अभागन के पैर ना छू ,,,मै क्या दे सकती हू तुझे

मै थोड़ा गुस्से मे - खबरदार मौसी आज के बाद ऐसे लफ्ज अपनी मुह से निकाला तो ,,, मै कभी भी आपसे बात नही करूँगा

विमला - माफ कर दे मेरे बच्चे ,,और विमला ने मेरे माथे को चूम लिया

विमला - तू बैठ मै पानी लेके आती हू
मै मुस्कुरा कर हा मे सर हिलाते हुए वापस सोफे पे बैठ गया
फिर विमला कमर मटकाते हुए किचन मे गयी और एक ट्रे मे पानी और गुलाबजामुन लेके आई
मै - अरे मौसी यही से तो आ रहा हू इसकी क्या जरुरत है
मौसी मेरे बगल के सोफे पर बैठते हुए - ले पानी पी फिर कुछ बोल

मै एक गुलाबजामुन लेके मुह मे डाला और पानी पिया
विमला - अकेले क्यू आया रागिनी क्यू नही आई
मै - वो मै आपको घर लिवा जाने के लिए ही आया हू
विमला अचरज से सोच भरी अवस्था मे - मुझे लेने ,,, लेकिन क्यू
मै ह्सते हुए - वही से आपको भगा ले जाऊंगा हिहिहिही
विमला हस्ते हुए - बदमाश बहुत बिगड गया है तू

मै - क्यू नही भागोगी मेरे साथ हिहिही
विमला मुस्कराते हुए - हम्म्म्म्म्ं सोच रही हू मै भी हिहिहिही

इतने मे कोमल किचन से आई और मुझसे ऐसे मिली मानो अभी हमारे बीच कुछ हुआ ही नही

कोमल - हाय राज
मै - और कोमल कैसी हो
कोमल मुस्करा कर - मै ठीक हू और आंटी कैसी है
मै - सब मस्त है आओ बैठो
फिर कोमल मेरे बगल मे बैठ गयी

विमला - अच्छा अब बता क्यू आया यहा
मै थोडा शांत हुआ और बोला - वो मा ने बुलाया है आपको
विमला ह्सते हुए - अरे कुछ तो बताया होगा ना
मै - नही बस बोली है अगर ना नुकुर करे तो मुझसे बात करवा देना

विमला - फिर लगा फोन मै बात करती हू
मै दीदी के मोबाइल पर फोन किया
फोन पर
दीदी - ओए होए हीरो अभी तो गया है न घर से इतनी जल्दी याद आ गई हा
मै दीदी की बात सुन के झेप गया और थोडी हड़बड़ी मे
मै - हा वो वो जरा मा को फोन देना विमला मौसी बात करेंगी
दीदी - तू वहा कब चला
मै - दो ना दीदी मा को जरुरी है
दीदी - रुक निचे जा रही हू ,,ऐसे भडक रहा है जैसे खा जायेगा हुउह

फिर मा के पास पहुच कर फोन मा को देते हुए उसकी आवाज आई- मा राज फोन किया है

मा - हा तू जा उपर
मा - हा बोल बेटा कहा है
मै - मै विमला मौसी के यहा हू लो बात करो
मा - हा दे

फिर विमला और मा के बीच बाते चली जिसमे सिर्फ विमला के बोले अल्फ़ाज से मै समझ गया कि मा उनको डाट कर घर बुला रही है

विमला - चल ठीक है मै अभी आ जाउंगी
फिर विमला ने फोन काट दिया

मै - बोला था ना चलने को खामखा डाट सुनी आप हिहिहिही
विमला - अरे कोई बात नही चलता है रे हमारे बिच ये सब , चल उठ अब खाना खा लेते है ।
फिर मै डायनिग टेबल पे गया और कोमल ने हम तीनो के लिए खाना लगाया
पनीर , गुलाब जामुन , पुलाव , पापड़ , भिन्दी की सुखी सब्जी , दाल फ्राई , पूरी और रायता
आह्ह मज़ा ही आ गया खाने मे ।
rajan
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Re: Incest सपना-या-हकीकत

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खाने के बाद कोमल थाली सब किचन मे ले जाने लगी और इधर
मै - चलो मौसी अब चलते है
मौसी - अरे रुक बेटा थोडा तैयार हो लेने दे ना

मै मौसी को एक नजर उपर से निचे घूरा , मौसी ने ब्लैक रंग की सिफान सारी पहनी थी जिसमे उसके बदन का हर कटाव निखर कर बाहर आ रहा था और होठो पे महरुन लिपस्टिक,,, कयामत थी विमला क्यामत

मुझे ऐसा देखता देख विमला - अरे क्या हुआ ऐसे क्या घुर रहा है
मै - देख रहा हू ऐसी कौन सी कमी है जिसके लिए आप फिर से तैयार होने जा रही हो

विमला शर्मा गयी - अच्छा ठीक है बाबा नही जाती बस
मै - हम्म्म ठीक है चलो

विमला - कोमल बेटा मै जा रही हू अभी एक दो घन्टे मे आ जाऊंगी

मै - अरे तो कोमल अकेले रहेगी यहा
विमला - अरे अभी मनोज आता होगा स्कूल से 12 बजे तक आ जाता है ।

मै थोडा आशवस्त हुआ फिर हम दोनो घर से निकल गये
मेन रोड पर आकर हमने एक ई-रिक्शा किया और निकल गये मेरे दुकान की तरफ

विमला - अरे बेटा कहा लिवा जा रहा है मुझे
मै ह्स्ते हुए - बोला था ना भगा के ले जाऊंगा हिहिहिही
विमला झेप कर ह्सते हुए - ओह्ह ये लड़का भी ना ,
विमला थोडा अपनी भौहो को चढा कर गुस्सा दिखाते हुए मुस्कुरा कर - अरे बता ना बेटा , क्यू परेशान कर रहा है
मै उसके चेहरे को देख के हस्ते हुए - हिहिहिही आपको तो गुस्सा करना भी नही आता । अरे सबर करो अभी जान जाओगी
विमला इससे पहले कुछ बोलती की हमारा मार्केट वाला दुकान आ गया

मै - बस बस भैया यही रोक दो
फिर मैं और विमला बाहर आये और मैने उस रिक्सेवाले को पैसे दिये

विमला मेरे दुकान को देख के - पागल दुकान पर क्यू लाया
मै - अरे मौसी , मा यही आई है ना

फिर हम दोनो दुकान की तरफ बढ़े जहा गल्ले पर पापा बैठे हुए थे और हमे साथ आता देख खडे हुए और विमला का स्वागत किया ।

जारी रहेगी

.........................
rajan
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पापा विमला को देख कर गदगद हो गए और एक बार अच्छे विमला की जवानी का एक्सरे करने के बाद उसे अंदर आने का आमंत्रण दिया ।


पापा - आइयें बहन जी आईये अन्दर चलते है । रागिनी भी अंदर है
फिर विमला मौसी आगे गयी और फिर उनके पीछे पापा उनकी मटकती गाड़ को देखते चले और उनके पीछे मै था

गोदाम के रेस्टरूम मे पहुचे जहा मा बैठी हुई थी और विमला को देख कर वो गले मिली और फिर अपने बगल मे बिठाया
पापा बिस्तर पर बैठ गये और मुझसे बोले - बेटा जा 4 कोल्ड ड्रिंक बोल दे

विमला - नही भाईसाहब हम लोग तो खाना खा के आये है ।
मा - और बता बच्चे कैसे है
विम्ला मुस्कुरा कर - सब ठीक है रागिनी लेकिन तुने मुझे अचानक से क्यू बुलाया

मा - अब तू हम लोगो को पराया समझने लगी है तो क्या करती बुलाना ही पडेगा

विमला सोच मे पड़ गई- मैने कब तुम लोगो को पराया समझा ,, तुम लोग ही तो हो जिनके साथ मै परिवार का मतलब मह्सूस करती हू नही तो ....

इत्ना बोलकर विमला चुप हो गयी
मा - आगे बोल ना अब रुक क्यू नही
विमला की आँखो मे आसू थे - क्या रागिनी मै समझी नही
मा थोडा गुस्से मे - यही कि नही तो तेरे देवरो ने तो तेरी जिन्दगी नर्क बना रखी है ,,,

विमला की आखे बड़ी हो गई और आंसू छलक कर गालो तक आ गये और वो एक नजर मुझे देखी उसे लग रहा था कि कहीं मैने उस दिन जंगल मे हुई बात को कही मा से तो नही ना बता दीया

मा - उसको मत देख और बता तुझे मेरी कसम है
विमला फफ्क पड़ी और रोते हुए - क्या बताऊ रागिनी पिछ्ले 4 सालो मे मेरी जिन्दगी जह्नम बन गयी है ,,,, मेरे ही देवरो ने मेरी मजबूरी का फायदा उठाकर अपनी हवस का शिकार बनाया और मेरे पति की जायजाद के सारे कागज हड़प लिये और अब वो
इतना बोल के विम्ला रोने लगी
मा - और अब वो कोमल को भी अपनी हवस मे शामिल करना चाहते है क्यू

विमला अचरज और आसुओ से भरी आखो से मा की तरफ देखी मानो मा को कैसे सब पता चल गया

मा - देख क्या रही है विमला मुझे सब पता है लेकिन एक बार भी तुने मुझे अपना समझ कर बताने की कोसिस नही की

विमला रोते हुए मा से - मुझे माफ कर दे बहन ,,मै तुझे कोई तकलीफ नही देना चाहती थी

मा - ठीक है ये रोना बंद कर और चल मूह धुल के आ उठ
फिर मा विमला को लेके पीछे मुह धुलवा के आई और फिर उनको पानी पीने को दिया

पापा - देखिये बहन जी हम सब आपके अपने ही है आप जरा खुल के बतायेगी ये सब कब कहा से सुरु हुआ

विमला एक नजर मुझे देखी तो पापा बोले - उसे यही रहने दिजीये ,,, सबसे पहले उसी ने हमे बताया कि आप कितनी जिल्लत झेल रही है और उसे ये सब कोमल बिटिया के माधयम से पता चला

मा - और तू सुन ले खबरदार जो मेरी फुल सी बेटी को डाटा इसके लिए तो
विमला थोडी हसी - हा ठीक है बाबा नही बोलूंगी कुछ तेरी चमेली के फूल जैसी बेटी को
फिर सब हसने लगे
पापा - बहन जी प्लीज बताईये न
फिर हम सब शांत हो गये

विम्ला ने एक गहरी सांस ली और बोलना शुरु किया - उन दिनो मेरा संसार उजड़ गया था । मेरे पति की ट्रेन दुर्घटना मे मौत हो गयी और हम अकेले पड गये । ऐसे में मेरे सामने मेरे परिवार का फरिश्ता बन कर आया मेरा बड़ा देवर महेश ,
रोते को जानवर भी सहारा देदे तो लोग उसको अपना मान लेते हैं जबकि महेश घर का था । उसने मेरे भाई दीदी जीजा के सामने मेरे परिवार के देखभाल की जिम्मेदारी ली और मेरे पति के क्रियाकर्म से लेकर ब्रह्मभोज तक की जिम्मेवारी अपने सर लेके किया । सबको यकीन हो गया था कि सुख दुख मे महेश एक अच्छे परिवार के सद्स्य के तरह हमारा साथ देगा ।
लेकिन हम सब गलत थे धीरे धीरे समय बीता और वो हमसे बहुत घुल मिल गया जिसमे मेरी बड़ी देवरानी भी शामिल थी । "उसकी मीठी बाते याद करती हू तो आज मेरा कलेजा जल जाता है भाईसाहब " , विमला गुस्से से लाल होते हुए बोली

पापा - आप शांत रहे बहन जी , आगे बतायीये
विमला - फिर समय के महेश मेरे साथ नजदीकिया बढाने लगा और धीरे धीरे मै भी उसके बातो के जाल मे फस कर उसके एहसानो के कर्ज तले दब कर उसकी हवस का शिकार हो गई ।

विमला - ऐसे ही एक दिन महेश ने मुझे बताया कि ट्रेन हादसे मे मरे हुओ को सरकार उनकी संपति जाच कर एक लाख का मुआवजा देने का ऐलान की है और मै भोली अनपढ उसकी ये शातिर चाल को समझ ना पाई और उसने मेरे घर के कागजात अपने पास रख लिये थे ।
जब मै उससे बोलती कि कागज का क्या हुआ तो वो हर बार नये बहाने मारने लगा और मुझे समझ आने लगा कि वो मेरे कागज हड़प चूका है । क्योकि आये दिन उसके व्यवहार बदलने लगे और उसने इस घिनौने काम मे अपने छोटे भाई को भी शामिल किया और फिर मुझे ब्लैकमेल कर जबरन मेरे छोटे देवर सुरेश से सम्बंध बनवाये ,, लेकिन इस बात का पता जब छोटी देवरानी को चला तो वो घर छोड कर मायके चली गयी ।
लेकिन इन दोनों हैवानो के चंगुल मे मै फस गयी और अब ये मुझसे मेरी बेटी का सौदा करना चाहते हैं और मेरे बेटे को पीटते हैं । मेरे बडे देवर का बेटा गुलशन आये दिन मेरी बच्ची को परेसान करता है
ये सब बाते बोल कर विमला फिर से रोने लगी
मा ने वापस विमला को चुप करवाया और बोली - ठीक है अब शांत हो जा ,, सब ठीक हो जायेगा

पापा - हा बहन जी आप बिलकुल चिन्ता ना किजीये मेरा एक मित्र वकिल है वो आपके कागजात दिलवाने मे हमारी कानूनन मदद करेगा ।

विमला अपने आसुओ को साफ करते हुए उम्मीद भरे नजरो से पापा की बाते ध्यान से सुनती है ।

पापा - जहा तक मेरा अंदाजा है वो कागज अभी आपके पति के नाम से होंगे उन्हे आपके नाम पर करवाना पडेगा बस। जो मामूली फारमैलिटी से भी हो जायेगा । बाकी महेश और सुरेश को सबक कैसे सिखाना है उसका इन्तेजाम मै कर लूंगा ।

पापा की बाते सुन कर हम सब के चेहरे पर मुस्कान आ गई । खास कर मुझे तो बहुत खुशी थी कि मैने मदद के सही आदमी का हाथ थामा था ।

इधर विमला उठी और मेरे पास आई । पहले उसने मुझे प्यार से देखा और मेरे माथे को चूम कर मुझे अपने सीने से लगा लिया ।
विमला - तेरा बहुत बहुत शुक्रिया बेटा ,,इतने सालो से जो हिम्मत मै नही दिखा पाई वो तुने कर दिया

मै उनसे अलग होकर - इसमे शुक्रिया कैसा मौसी , क्या मै आपका बेटा नही हू

विमला रोते हुए वापस से मुझे अपने सीने से लगाते हुए - हा बेटा तू तो मेरा राजा बेटा है मेरे लाल

मै धीरे से अलग होकर विमला के कान मे - मौसी छोडो ये सब अकेले मे करते है हग वग , आप सबके सामने किये हो

मेरी बाते सुन कर विमला हस पड़ी - बदमाश कही का
और मेरे गाल को चूम ली

मै विमला से अलग होकर सबके सामने अपने गाल पोछते हुए - क्या मौसी सब गिला गिला कर दिया

विमला ह्स्ते हुए वापस से मेरे दुसरे गाल को भी चूम ली जिससे मम्मी पापा भी हसने लगे

मै - ओहोहो अब छोड भी दो ब्च्चे की जान लोगे क्या

पापा हस्ते हुए - अरे बेटा कोई प्यार करे तो मना नही करते है ,,,और तेरी तो कितनी अच्छी किस्मत है कि दोनो गालो पर चुम्मीया मिल रही है ,,,मुझे देख सब सुखा सुखा है हाहाह्हाह्हा

मा हस्ते हुए - क्या जी बच्चे के सामने कैसी बाते करते हो आप भी
पापा - अब जो है वो कह रहा हू ,,,,देख नही रही बहन जी ने सामने से ही मुझसे मुह फेर लिया

इस बार विमला पापा की बातो से शर्मा कर लाल हो गयी ।
मा - अब बस भी करो वो शर्मा रही है जी

फिर हम सब हसने लगे ।

पापा - बहन जी आप बिलकुल निश्चिंत हो जाईये अब पहले मै मेरे वकिल दोस्त से बात कर लूंगा फिर जैसा होगा आपको बता दूँगा फिर आगे जो होगा उसी हिसाब से किया जायेगा

विमला पापा के बगल मे बिस्तर पर बैठ कर हाथ जोडते हुए - बहुत बहुत मेहरबानी होगी भाईसाहब

विमला को हाथ जोडते देख पापा ने तुरंत विमला के हाथ रोक लिये - अरे अरे बहन जी ये क्या पाप करवा रही है मुझसे ,, आप मेरे पत्नी की सहेली है उसकी बहन जैसी है मेरे लिये आप घर की एक सद्स्य की तरह है

पापा - प्लीज आप मुझे अपना ही समझिये
विमला - माफ करना भाईसाहब ,,, कोमल के पापा के जाने के बाद जितनी इज्ज्त आप लोगो ने दी शायद मै इस जन्म मे सोच भी पाती और ये सब आपका बड़प्पन है जो मुझ अबला को सहारा दे रहे है ।

मा - बस विमला अब शांत हो जा बहुत हो गया ,,,इन्होने कह दिया ना तो हो गया समझ

मा - बेटा राज जा 4 ग्लास जूस बोल दे ठण्डा
पापा - हा बेटा वो बबलू काका होगे दूकान मे उनको बोल दे वो लेते आयेंगे

मै उठ कर दुकान मे गया और बबलू काका को 4 ग्लास पपीता शेक लाने को बोला और वाप्स आ गया ।

यहा आया तो देखा कि अभी विमला का हाथ पापा के हाथ मे ही है और वो ऐसे ही बाते कर रहे है ।

फिर ऐसे ही बाते चली और फिर काका जूस लेके आये
विमला - अरे इसमे तो आइक्रिम है
पापा - अरे पीजिए बहन जी थोडा मन भी शांत होगा और ताकत भी आयेगी ।

फिर सबने जूस खतम की और मै विमला को लिवा कर वापस उसके घर छोडने को बाहर आया
मै - चलो मौसी रिक्शा आ गया
विमला - अरे उसकी जरुरत नही है मै चली जाऊंगी बेटा तू रहने दे ,, हा अगर घर पर रुकना हो तो बता हिहिही

मै - अभी तो आना जाना है ही मौसी कभी घर भी रुक जाऊंगा

फिर विमला सबसे विदा होकर अपने घर चली गयी । मा भी पापा को बोल कर मुझे लेके घर की तरफ चली गयी
घर पहूचा तो देखा की दुकान पर अनुज बैठा था आज

मै - अरे मा ये स्कूल नही गया
मा - नही बेटा मैने ही रोका था
मै अनुज की तरीफ मे - ओह्ह लग रहा है अब अनुज भी दुकान देख स्म्भाल लेता है
अनुज थोडा खुश मन से - और क्या ,,अब मै घुमने भी नही जाता हूँ
मा उसके बालो मे हाथ फेरते हुए - हा मेरा अनुज भी बड़ा हो गया है

हम अक्सर ऐसा करते है कि छोटे बच्चों के कंधो पर हल्की फुल्की जिम्मेदारीया देके उनकी आदतो मे सुधार ले आते है और बदले मे उनकी तारिफ कर उनका अच्छे काम के लिये मनोबल बढ़ाते है ।वही सब मा अनुज के साथ कर रही थी ताकि मेरी अनुपस्थिति मे वो दुकान को थोडा बहुत सम्भाल सके ।
लेकिन एक दिक्कत भी बढ़ जाती है जब बच्चो को नये काम से मज़ा आने लगता है तो वो जिद करके वहा से हटना नही चाहते क्योकि बाल स्वभाव ही कुछ ऐसा होता है और वही अनुज करने वाला था आने वाले पलो मे ।
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