फूफी और उसकी बेटी से शादी

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kunal
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Re: फूफी और उसकी बेटी से शादी

Post by kunal »

हम लोगों ने खाना स्टेशन पर ही खा लिया था तो सबको नींद भी खूब आ रही तो सब लोग सो गये।

सुबह मेरी आँख पहले खुल गई और मैंने देखा की फूफी और शाजिया सोते हुए कितनी हाट दिख रही थी। फूफी की कमर और शाजिया की गाण्ड देखकर मैं पागल ही हो गया।

मैं फूफी की कमर में हाट रखकर उन्हें उठाने लगा और वो उठ गई। पर फूफी की कमर पे हाथ रखते ही मेरे बदन में करेट दौड़ गया था। अब मैंने शाजिया की गाण्ड पे हाथ रखा और उसे उठाने गला । पर वो नहीं उठ रही थी, तो मैंने इस मौके का फायदा उठाते हुए उसकी गाण्ड मसल दी। अब वो उठी। वो दोनों अभी भी नींद में थीं। ये देखकर मुझे गुस्सा आया की मेरे उठने पर भी नहीं उठ रहे तो मैंने उन्हें तेज आवाज में उठने को कहा, तो दोनों उठकर खड़े हो गये।

ये सब देखकर मुझे थोड़ा गिल्टी फील हुआ की मैंने उन्हें डाँट दिया, तो मैंने सोचा की मैं इन दोनों को आज लखनऊं घुमाऊँगा तो दोनों खुश हो जाएंगी। उन दोनों लोगों ने नहा लिया। अब मुझे नहाना था तो मैं फ्रेश होने के बाद बाथरूम में गया और देखा की फूफी और शाजिया के कपड़े और अंडरगार्मेंट्स वही पड़े हैं। ये देखकर मुझे फिर से गुस्सा आ गया। पर इस बार मैंने उन्हें कुछ नहीं कहा और नहाकर बाहर आ गया।

शाजिया बार-बार टीवी चालू करने को कह रही थी तो मैंने टीवी चला दिया और म्यूजिक चऋनेल लगा दिया। वो अब टीवी देखने में बिजी हो गई।

फूफी कहने लगी- "बेटा मैंमैं तुम्हारे लिए नाश्ता बना दूं?

मैं उन्हें किचेन में ले गया और कहा- "आज से ये किचेन आपका। अब आपको मुझसे पूछने की कोई जरूरत नहीं है...."

फूफी खुश हो गई और नाश्ता बनाने लगी। मैं शाजिया के साथ टीवी देखने लगा। नाश्ता करने बाद मैंने उन्हें लखनऊं घूमने की बात कही, तो वो दोनों खुशी से झूम उठी। पर मैंने कहा- “एक शर्त पे ले जाऊँगा की आप दोनों मुझे गाल पे किस करेगी पहले की तरह...

ये सुनकर वो दोनों शर्माने लगीं पर एक-एक करके मुझे गाल पे किस किया तो मैं उन्हें लखनऊं घुमाने निकल पड़ा। मैंने उन्हें कई जगह घुमाई दोपहर में उन्हें एक छोटे से रेस्टोरेंट में खाना भी खिलाया। धूप बहुत थी तो मैंने सोचा की दोपहर काटने के लिए उन्हें सिनेमा हाल में ले जाऊँ और वहां एक पिक्चर दिखाऊँ। तो मैंने ऐसा
ही किया और उन्हें पिक्चर दिखाने ले गया।

शाजिया तो पहली बार सिनेमा हाल में गई थी। वो खुश थी पिक्चर देखकर जब हम बाहर निकले तो उन दोनों के हाथ मेरे हाथ में थे। फूफी और शाजिया बहुत ही खुश थी।

अब शाम हो चुकी थी। मैंने घर जाते समय एक ढाबे से खाना पैक करा लिया और हम लोग घर के लिये निकल पड़े। वो दोनों और मैं काफी थक चुके थे। ह ने खाना खाया और टीवी देखने लगे। टीवी पे मैंने एक मूवी लगा दी जिस पे हाट सीन चल रहे थे। बिस्तर पे मैं और मेरे आगे शाजिया लेटकर मूवी देख रहे थे। मेरा हाथ उसकी कमर पे था। फूफी नीचे लेटकर देख रही थी।

हाट सीन देखकर मेरा लण्ड खड़ा होने लगा। मैंने उसको थोड़ा अज़स्ट किया और शाजिया को कस के पकड़ लिया। वो हाट सीन देखकर मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। मैंने महसूस किया की शाजिया का बदन थोड़ा ऐंठने लगा है हाट सीन देखने की वजह से। तब मैंने उसे और कस के पकड़ लिया। हम दोनों एकदम चिपके थे।


तभी फूफी बोली- "बेटा बहुत नींद आ रही है, इसको बंद कर दो..” कहकर मेरे मूड पे फूफी ने पानी फेर दिया।

मैं उठा टीवी बंद करने के लिए और शाजिया नीचे चली गई सोने के लिए। ये दोनों गाँव से अभी शहर आई है इसलिए इन दोनों को आदत नहीं है देर तक जागने की। टीवी बंद करके वो लोग सो गये। कल मुझे बहुत सारे सामान खरीदने थे घर के लिए, इसलिए मैं भी सो गया।

सुबह मैं उठा तो फूफी और शाजिया नहा धो चुके थे। फूफी सबके लिए नाश्ता बना रही थी। शाजिया नहा के अभी निकली ही थी, वो भीगी हुई एकदम हाट लग रही थी। उसे देखकर मेरे मन में गंदे गंदे खयाल आ रहे थे। पर मैंने कंट्रोल किया और फ्रेश होने चला गया। मैं नहा धोकर निकला और घर का सामान मार्केट से खरीदने के लिए तैयार होने लगा। नाश्ता किया और मार्केट के लिए निकला।


सबसे पहले मैं एलेक्ट्रानिक की दुकान में गया और सेकेंड हैंड रेफ्रिजिरेटर खरीदा। मैंने सोचा की मेरे पास पैसे हैं लेकिन फिजूल खर्चे ज्यादा ना करूं। इसीलिए सेकेंड हैंड आर्डर दे दिया और रेफ्रिजरेटर शाम को घर भी आ जाएगा। अब मैं अपने होटेल में काम करने वाले एक दोस्त के पास गया जो अपनी मोटरसाइकिल बेच रहा था, तो मैंने उससे वो खरीद ली और पेमेंट भी कर दिया।
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Re: फूफी और उसकी बेटी से शादी

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मुझे लगा मैंने अपने लिए बहुत पैसे खर्च कर लिए। अब फूफी और शाजिया के लिए कपड़े ले लूं। क्योंकी उन लोगों के पास अच्छे कपड़े नहीं हैं शहर के हिसाब से तो मैं उनके लिए कपड़े लेने गया कपड़ों की दुकान पे। मैंने ऐसी-ऐसी ड्रेस देखी जिसे मुझे लगा की अगर फूफी और शाजिया इन्हें पहेनेंगी तो क्यामत ढाएंगी। मैंने वो माडर्न ड्रेसेंस खरीद ली। अब शाम होने वाली थी तो मैं घर पहुँच गया।

मैंने अपनी मोटरसाइकिल उन लोगों को दिखाई और कहा- “हम लोग इसी से अब कहीं घूमने जाएंगे. "
वो दोनों हँसने लगी ।

मैंने कहा- “अपनी सी बचा के रखो, अभी और सर्प्राइज है इस बार तुम लोगों के लिए..."

शाजिया कहने लगी- "क्या सर्प्राइज है?"

मैंने कहा- "ऐसे नहीं मिलेगा। पहले मुझे एक किस चाहिए..."

फूफी ने कहा- "क्या?"

मैंने अपनी बाहें फैलाकर कहा- "हाँ गाल पे एक-एक किस दो..."

वो दोनों शर्माकर हँसने लगी।

मैंने कहा- "अगर मुझे किस नहीं दिया तो मैं नहीं दूँगा..."

शाजिया मेरी तरफ आई तो मैंने उसे कसकर बाहों में पकड़ा और उसने मेरे दोनों गालों पे किस किया। अब फूफी मेरी तरफ आई, उन्हें भी मैंने अपनी बाहों में पकड़ा और उन्होंने मुझे गालों पे किस किया। मैं बाहर गया और बाइक की डिक्की से उनके लिए खरीदे हुए कपड़े लेकर आया। कपड़े उन्हें दिए। जब उन लोगों ने कपड़े देखे तो बहुत खुश हुए। खासकर के शाजिया क्योंकी उसे फैशन का बहुत शौक था।

लेकिन फूफी उन कपड़ों को देखकर थोड़ी शर्माने लगी और कहने लगी, और कहा- “आ ये कैसे पहन सकती हूँ?"

मैंने उन्हें समझाया- “शहर में औरतें ऐसे ही कपड़े पहनती है..." तब वो मान गई

शाजिया के लिए मैं दो जीन्स और दो टाप लेकर आया था और फूफी के लिए दो बैकलेश लाल और आरेंज सारी, और कहा- "अब आप लोग इसे पहन के दिखाओ..."

सबसे पहले फूफी गई बाथरूम में और साड़ी पहनकर आई। उन्हें देखकर मेरी सांसें थम गई। मन कर रहा था की उन्हें ही देखता रहूं और अभी के अभी उनको बिस्तर पे लेजाकर चोद दूं। जब मेरी नजर उनकी कमर पे गई तो मुझे लगा की उनकी कमर पकड़कर किस करता रहूँ।

फूफी मुझे अपने पास बुलाने लगी और कहा- "मेरे पीठ पे जो डोरी लटक रही है उसे बाँध दो..."

मैंने उनकी कमर पकड़ी और उनकी पीठ अपनी तरफ घुमाई और उनकी डोरी बाँध दी। फिर मैंने कहा- "फूफी साड़ी कमर के इतने ऊपर नहीं पहनते...'

फूफी ने कहा- "फिर कैसे पहनते हैं?

मैंने कहा- "मैं बताता हूँ..” कहकर मैंने उनकी कमर के पास साड़ी पकड़ी और उसे खींच के नीचे ला दी ।

फूफी शर्माने लगी और अपनी कमर अपने हाथ से छुपाने लगी, तो मैंने उनका हाथ हटाया और उसे देखने लगा। उनकी कमर बिल्कुल झकास दिख रही थी।

मैंने कहा- "फूफी आप बहुत सुंदर दिख रही हो..."

फूफी शर्माते हुए मेरी बाहों में आकर अपना मुँह छुपाने लगी। मैंने उन्हें कस के पकड़ लिया था। मेरा एक हाथ उनके नंगे पेट पे और दूसरा हाथ उनकी कमर पे था। मन तो कर रहा था की उनको ना छोडू। पर फूफी अब उन कपड़ों में कंफर्टेबल महसूस कर रही थी ।

मैंने उन्हें छोड़ दिया और कहा- “फूफी शर्माइए मत। यहां मैं और शाजिया ही हैं..."

शाजिया तो अपने कपड़े देखने में ही बिजी थी।

फूफी ने कहा- "शाजिया ये कपड़े कैसे लग रहे हैं?"

शाजिया - "अम्मी बहुत सुंदर दिख रही हो। अब से तुम यही कपड़े पहना करो...

मैंने कहा- "ये कपड़े दिन में पहनने वाले हैं। रात के लिए नाइटी लाया हूँ...

फूफी नाइटी समझ नहीं पाई तो मैंने उन्हें नाइटी दिखाई, जो नार्मल नाइटी थी, और कहा- "ये तुम दोनों के लिए दो-दो नाइटी है...."

शाजिया कहने लगी- “अब मैं भी अपने कपड़े ट्राई करके आती हूँ.” कहकर वो भागते हुए बाथरूम में गई और जीन्स और टाप पहन के आई वो तो फूफी से भी ज्यादा हाट लग रही थी।


मैंने कहा- "इधर आओ...'

शाजिया मेरी तरफ आई, तो उसे पास से देखकर मेरे मन में लड्डू फूटने लगे। मैं मन में सोचने लगा की मेरी तो किश्मत खुल गई। इतनी हाट औरतें मेरे पास है और मैं इन्हें दूर कर रहा था। मेरे मन में फूफी और शाजिया के लिए गंदेडे विचार आने लगे थे।

तभी शाजिया बोली “बताओ ना मैं कैसी दिख रही हूँ?"

मैं- "तुम बहुत सेक्सी लग रही हो...'

शाजिया ये सुनकर हँसने लगी और घूम-घूम के अपने आपको मुझे दिखाने लगी। वो बिल्कुल इस लड़की की तरह दिख रही थी। मैंने उसके गालों पे किस किया तो शर्माने लगी। अब उन दोनों ने वो कपड़े खोल दिए और नाइटी पहन ली।

थोड़ी देर बाद कोई डोरबेल बजाता है तो मैं दरवाजा खोलता हूँ।

एक आदमी रेफ्रिजिरेटर की डेलिवरी लेकर आया था। उसे मैंने किचेन में रखवा दिया और वो चला गया। फूफी उसे देखकर समझ नहीं पाई की ये क्या चीज है? तो मैंने उन्हें उसके बारे में सब समझा दिया ।

फूफी अब खाना बनाने लगी और शाजिया मेरे साथ कूलर की हवा खाते हुए टीवी देखने लगी। खाना खाते हुए मैंने इन दोनों को बताया की अब मेरी छुट्टी खत्म हो गई है, और मुझे कल से जाब पे जाना होगा। खाना खा के हम लोग सो गये। सुबह हुई तो मैं उठकर तैयार होने लगा। फूफी और शाजिया नाश्ता बना रही थी।

नाश्ता करके मैंने फूफी से कहा- "जब तक मैं ना आ जाऊँ किसी के लिए भी दरवाजा मत खोलना चाहे कोई भी हो। छत पे जाकर बात करना, क्योंकी यहां चोरियां बहुत होती हैं." और मैं होटेल के लिए निकल गया । होटेल जाकर में काम में बिजी हो गया।

हमारी मैनेजर सुरभि मेम ने मुझसे कहा- "अच्छा हुआ की तुम टाइम पे आ गये। आज होटेल में बहुत बड़ी पार्टी है..." वो मुझ पे काफी भरोसा करती हैं। क्योंकी मैं एक सीधा साधा लड़का हूँ और इस होटेल में 21/1⁄2 साल से काम भी कर रहा हूँ।

मैं होटेल में वेटर था पर मुझे कभी-कभी ऐसा लगता था की मैं उनका असिस्टेंट भी हूँ। वो अपनी पर्सनेल बातें कहती और अपने काम सिर्फ मुझे ही देती थी। इसीलिए मेरे इतनी छुट्टी माँगने पर भी वो नाराज नहीं होती। होटेल में पार्टी की तैयरी होने लगी। मैं भी उसी में बिजी था। पार्टी दोपहर में शुरू हुई और शाम को खतम भी हो गई। सब कुछ अच्छे से निपट गया। रात होने वाली थी और मेरी शिफ्ट अब खत्म हो चुकी थी तो मैं बाइक से घर के लिए निकल पड़ा।
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तभी शाजिया बोली “बताओ ना मैं कैसी दिख रही हूँ?"

मैं- "तुम बहुत सेक्सी लग रही हो...'

शाजिया ये सुनकर हँसने लगी और घूम-घूम के अपने आपको मुझे दिखाने लगी। वो बिल्कुल इस लड़की की तरह दिख रही थी। मैंने उसके गालों पे किस किया तो शर्माने लगी। अब उन दोनों ने वो कपड़े खोल दिए और नाइटी पहन ली।

थोड़ी देर बाद कोई डोरबेल बजाता है तो मैं दरवाजा खोलता हूँ।

एक आदमी रेफ्रिजिरेटर की डेलिवरी लेकर आया था। उसे मैंने किचेन में रखवा दिया और वो चला गया। फूफी उसे देखकर समझ नहीं पाई की ये क्या चीज है? तो मैंने उन्हें उसके बारे में सब समझा दिया ।

फूफी अब खाना बनाने लगी और शाजिया मेरे साथ कूलर की हवा खाते हुए टीवी देखने लगी। खाना खाते हुए मैंने इन दोनों को बताया की अब मेरी छुट्टी खत्म हो गई है, और मुझे कल से जाब पे जाना होगा। खाना खा के हम लोग सो गये। सुबह हुई तो मैं उठकर तैयार होने लगा। फूफी और शाजिया नाश्ता बना रही थी।

नाश्ता करके मैंने फूफी से कहा- "जब तक मैं ना आ जाऊँ किसी के लिए भी दरवाजा मत खोलना चाहे कोई भी हो। छत पे जाकर बात करना, क्योंकी यहां चोरियां बहुत होती हैं." और मैं होटेल के लिए निकल गया । होटेल जाकर में काम में बिजी हो गया।

हमारी मैनेजर सुरभि मेम ने मुझसे कहा- "अच्छा हुआ की तुम टाइम पे आ गये। आज होटेल में बहुत बड़ी पार्टी है..." वो मुझ पे काफी भरोसा करती हैं। क्योंकी मैं एक सीधा साधा लड़का हूँ और इस होटेल में 21/1⁄2 साल से काम भी कर रहा हूँ।

मैं होटेल में वेटर था पर मुझे कभी-कभी ऐसा लगता था की मैं उनका असिस्टेंट भी हूँ। वो अपनी पर्सनेल बातें कहती और अपने काम सिर्फ मुझे ही देती थी। इसीलिए मेरे इतनी छुट्टी माँगने पर भी वो नाराज नहीं होती। होटेल में पार्टी की तैयरी होने लगी। मैं भी उसी में बिजी था। पार्टी दोपहर में शुरू हुई और शाम को खतम भी हो गई। सब कुछ अच्छे से निपट गया। रात होने वाली थी और मेरी शिफ्ट अब खत्म हो चुकी थी तो मैं बाइक से घर के लिए निकल पड़ा।

घर पहुँच के मैंने शाजिया को आवाज लगाई तो उसी ने दरवाजा खोला। हाथ पैर धोकर फ्रेश होकर मैं बिस्तर पे बैठ गया और आराम करने लगा। शाजिया और फूफी मेरे बगल में आकर बैठ गये और मेरे हाथ पैर दबाने लगे।

मैं- “ये क्या कर रहे हो तुम लोग?"

फूफी कहने लगी- "बेटा तुम बहुत थक गये होगे..."

मैंने कहा- "लेकिन इसकी कोई जरूरत नहीं थी..” हालांकी मुझे अच्छा लग रहा था की कोई मेरे हाथ पैर दबा रहा है। लेकिन में झूठ-मूठ का मना करने लगा।

फूफी कहने लगी- “हम दोनों तुम्हारे दादाजी के भी पैर दबाते थे जब वो खेत से आते थे...

मैंने कुछ नहीं कहा और वो दोनों दबाने लगी। पैर दबाते-दबाते मैंने उन लोग से पूछा- "कैसा लग रहा है यहां?"

फूफी- "अच्छा लग रहा है बेटा। शाजिया तो दिन भर टीवी ही देख रही थी..."

मैं- “आपने क्या किया आज दिन भर ?"

फूफी बताने लगी- "मैंने तो घर की साफ सफाई की और दोपहर में खाना खाकर सो गई थी। यहां गाँव से ज्यादा सुख सुविधा है और कोई ज्यादा काम भी नहीं है..."

ये दोनों मेरे पास ही बैठी थी। फूफी पांव दबा रही थी और शाजिया हाथ दबा रही थी, तो मैंने अपना सिर शाजिया की गोद में रख दिया और कहा- “हाथ रहने दो सिर दबा दो..."

शाजिया की गोल-गोल चूचियां मेरे सिर के एकदम करीब थीं, उसे देखने में बहुत मजा आ रहा था।

मैंने कहा- "फूफी, बहुत भूख लग रही है। जल्दी से खाना बना दो..."

फूफी किचेन में चली गई।

मैंने शाजिया से कहा- "टीवी चला लो..."
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