मेरी नशीली चितवन

adeswal
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Re: मेरी नशीली चितवन

Post by adeswal »

हरीश की हाइट अच्छी थी, उसके गीले शॉर्ट्स से अब मुझे उसका गरम मोटा लण्ड अपनी पेट पर रगड़ता हुआ महसूस हुआ , मेरी चूत फिर से गीली हो गयी . वहा खड़े खड़े हरीश की गरम साँसे मेरे लिप्स पर आ गयी ओर उसने मुझे चूमना चालू किया .. उसने मुरे होंठ चूसना चालू किया ओर अब मैं भी उसके होंठ चूसने लगी ओर मेरा एक हाथ उसके शॉर्ट्स पर उसके लण्ड पर रख दिया .. मुझे महसूस हुआ की हरीश का लण्ड भी राज जैसे ही होगा - मोटापा ओर साइज मैं . तभी हरीश का आधा लण्ड शॉर्ट्स के लेग - साइड से आधा बाहर निकल गया ओर मैं उसे सहलाने लगी .. अब हरीश का एक हाथ मेरे टी शर्ट से अंदर मेरे बूब्स से खेल रहा था ओर दूसरा हाथ मेरे स्कर्ट को उठाकर मेरी पैंटी पर था. हरीश बोला - वाह रानी तेरी पैंटी तो पूरी गीली हैं .. क्या हो गया . मैंने भी उसके लण्ड को हलके से दबाया ओर बोला - इस हरीश का जादू हैं . वह खुश हो गया .. तभी कुछ खेलते लड़कों की आवाज आयी .. मैंने कहा हरीश - यहाँ नहीं, कही ओर चलते हैं.
हरीश ने कहा ठीक हैं संध्या , चलो वहा गार्डन मैं घूमते हैं , प्लेग्राउंड के पास एक अच्छा गार्डन था , वहा कुछ झाड़ियां भी थी . हरीश मेरा हाथ लेकर हम दोनों एक दूसरे से चिपक कर चल रहे थे .. बीच मैं ही हरीश मेरा हाथ खींचकर अपने लण्ड पर रगड़ देता .. मैंने कहा - हरीश तुम बहुत नोट्टी ओर गंदे हो .. वह हंसकर बोला - जानेमन अभी तो तूने देखा नहीं मैं कितना गन्दा हूँ, ओर उसने रुक कर अपनी शॉर्ट्स नीचे घुटने पर कर दी ओर मेरा हाथ अपने नंगे लण्ड पर रख दिया . गार्डन मैं कोई नहीं था . राज का लंड बहुत तनाव में था ओर फड़फड़ा रहा था ओर बहुत गरम लग रहा था. में भी बेशरम होकर उसके लण्ड को सहलाने लगी ओर हरीश से कहा - गंदे तुम हो , यह नहीं .. यह तो बहुत प्यारा हैं ओर मैं फिर से उसके टट्टे दबा दिए..वह आह करके ख़ुशी से करहा उठा. हरीश ने कहा वाह जानेमन, तू बड़ी कमीनी हैं, मुझे ज्यादा प्यार मेरे लण्ड से .. मैंने भी हां कर दो ओर हंस दी, जिसपर हरीश बहुत खुश हुआ ओर उसके कला मोटा लण्ड नाग की तरह फनफनाने लगा . मेरी चूत फिर से गीली होने लगी थी . तभी मेरा स्कर्ट ऊपर करके, हरीश ने मेरी पैंटी मैं अपना हाथ डाल दिया ओर मेरी चूत को प्यार से सहलाने लगा .. मैं मेरी चूत के बाल शेव करती थी ओर एकदम चिकनी थी.. हरीश बोला - वाह संध्या तेरी चूत एकदम चिकनी हैं, ओर तैयार हैं , क्या मेरा लण्ड इसमें डाल दू ? मैंने हरीश को रोका - नहीं हरीश ऐसे यहाँ नहीं, मैं तुमसे प्यार करती हूँ, हमारा पहला सेक्स अच्छा होना चाहिए , अकेले मैं, बिस्तर मैं, बंद कमरे में , सुहाग रात की तरह.

हरीश ख़ुशी से पगला गया , उसने कहा तुम सही कह रही हो .. पर इसका क्या करे.. हरीश ने अपने खड़े लण्ड को मेरे हाथ पर दबा दिया . मैंने कहा मैं भी इसको प्यार से सहला दूंगी , जैसे तुम अभी मेरी चूत को प्यार कर रहे हो ओर सहला रहे हो . हम बगीचे में एक बेंच पर बैठ गए , हरीश ने अपनी शॉर्ट्स घुटने के निचे अपने पैर की तरफ खिसका दी ओर बेंच पर नंगा होकर बैठ गया .. फिर उसने मुझे खड़ा कर के मेरी पैंटी भी निकाल ली , मैं अब सिर्फ स्कर्ट मैं थी , अंदर से नंगी . मैं हरीश का लण्ड अपने दोनों हाथों से हिलाने लगी ओर मेरे दिमाग में हरीश के लण्ड ओर राज के लण्ड से तुलना करने लगी . राज के बाद हरीश मेरी लाइफ का दूसरा मर्द था ओर मेरे लिए यह मेरा दूसरा लण्ड था .दोनों मैं बहुत फरक था - हरीश सिर्फ २१ साल का था ओर राज अब ४२ के थे. हरीश का लण्ड राज जैसे ८ इंच का था , पर उसका टोपा भी काला था जब की राज के काले लण्ड का टोपा गुलाबी था . हरीश के लण्ड से precum नहीं निकला था अब तक , ओर उसकी foreskin भी राज के लंड के हिसब से बहुत ज्यादा थी . हरीश के टट्टे भी एकदम मस्त थे - काले ओर बालों वाले . हरीश का लंड भी काले बालों से भरा था ओर उसकी झाटों की अलग ही सुंदरता थी, जब की राज का लंड शेव की वजह से झांटें नहीं रखता ओर चिकना था ओर सुन्दर भी.. ..मैं एक हाथ से हरीश का लण्ड सहलाने लगी ओर दूसरे साथ से उसके टट्टे के साथ खेलने लगी . हरीश जवान था - २१ साल का , इसलिए उसके लण्ड में अजीब जवानी की कसक थी . हरीश की बड़ी बड़ी उँगलियाँ मेरी चूत से खेल रही थी ओर हम दोनों एक दूसरे को पागलों की तरह किस कर रहे थे . तभी हरीश ने मेरी ब्रा नीचे सरका दी ओर मेरा टॉप ऊपर कर के , मेरे बूब्स आजाद कर दिए . हरीश बोला - जानेमन तुम्हारे मम्मे कितने बड़े हैं ओर खूबसरा हैं, मैं आम की तरह इसको चूसूंगा ओर वह अपना मुँह लगा कर जोर जोर से मेरी निप्पल्स चूसने लगा .. उसकी दूसरी हाथों की ऊँगली मेरे चूत के दाने से खेल रही थी ओर उसको मरोड़ रही थी . हरीश जवान था , सेक्स की धुन में जंगली हो गया ओर जोर जोर से मेरे बूब्स को मसल कर मेरे निप्पल्स को चूस रहा था, उसने दूसरे हाथ की ऊँगली मेरे चूत के अंदर डाल दी थी , हरीश की हाथों का पंजा बहुत बड़ा था , उसकी उंगलिया बहुत लम्बी ओर मोटी थी , किसी लंड के आकार से कम नहीं थी .. उसकी ऊँगली मेरी चूत मैं एक लण्ड का काम कर रही थी . हरीश मेरे निप्पल्स जोर जोर से चूस रहा था ओर मेरी चूत गरम कर रहा था जिसके कारन मेरी प्यासी चूत पानी बहा रही था . मैं जोर जोर से आहे भरने लगी .. ओर हरीश का सर मेरे बूब्स पर जोर से दबा दिया .. मैं झड़ने के करीब थी -- तभी हरीश ने मेरी निप्पल को जोर से काट लिया .. मैं उह माँ .. मर गयी ..कर के जोर से कापने लगी ओर मेरी चूत झड़ने लगी ओर पानी की गंगा बहाने लगी .. हरीश बहुत खुश हुआ .. जल्दी से मेरे पैर की तरफ बैठ गया .. मेरी जंघा फैला कर मेरी चूत चाटने लगा .. चाट चाट कर मेरी चूत का सारा पानी पी गया ओर फिर खड़ा हो कर उसके लंड मेरे लिप्स पर लगा दिया .. संध्या अब तू मेरा लंड चूस ले ..अब रहा नहीं जा रहा ..

मैंने भी हरीश की गांड पर अपने दोनों साथ रख दिए ओर उसे पास खींच लिया ओर उसके लंड के टोपे को मुँह मैं लेकर लोल्लिपोप की तरह चूसने लगी . हरीश के लण्ड की महक मुझे पागल कर रही थी . दोस्तों मैंने महसूस किया की हर मर्द का लण्ड अलग होता हैं, उसकी अपनी महक होती ओर खुश्बू ओर उसकी स्वाद भी . राज अंकल ओर हरीश दोनों के लण्ड का साइज ओर आकर एक जैसे था, काले , पर राज के लंड का टोपा लाल था ओर हरीश के लंड का टोपा कला , इसलिए दोनों का स्वाद भी अलग था . हरीश के लण्ड पर बहुत चमड़ी थी , मुझे बहुत अच्छी लगी, मैं प्यार से सिर्फ उसके टोपे की चमड़ी को चूसने लगी, चबाने लगी , बड़ी सॉफ्ट चमड़ी थी ..मेरी नाक बार बार हरीश की झाटों मैं जा रही थी .. वहा हरीश की मर्दानी महक आ रही थी . मुज़से रहा नहीं गया .. मैंने .. १-२ मिनट उसके झाटों पर अपनी नाक रागादि ओर उसकी महक का आनंद लिया ओर फिर उसके झांटे की आसपास की जगह चाटने लगी . मर्दानी स्वाद..आहे.. मुझे पागल कर रही थी ..
हरीश मेरे ऐसे चूसने से तिलमिला गया यह संध्या मेरे निकलने वाला हैं.. लण्ड को छोड दो बाहर निकाल दूंगा .. बोल के तड़फ उठा .. बाद मैं हरीश ने बताया की उसे लगा की मैं उसके लण्ड का पानी मुँह मैं नहीं लुंगी. उसने दोस्तों से सुन रखा था की लड़किया लण्ड मुँह मैं नहीं लेती ओर पानी भी .. वाचक यहाँ ध्यान मैं रखे की वह जमाना २७ साल पहले का था ओर सेक्स के बारे मैं अभी भी कन्सेर्वटिवे सोच थी ओर खुलापन नहीं था .
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