कहीं वो सब सपना तो नही complete

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007
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Re: कहीं वो सब सपना तो नही

Post by 007 »

मैं तो साला बाहर खड़ा गुस्से मे लाल हो रहा था ,,माँ की बातों से मुझे लग रहा था कि माँ मेरी बात कर रही है
ऑर अभी मुझे ही बुला लेगी रूम मे ऑर मैं जाके अलका आंटी की मस्त चूत ऑर भारी गान्ड मारूँगा लेकिन ये तो साला कुछ ऑर ही हो गया,,,,साला आज फिर कलपद हो गया,,,,ऑर इधर लंड महाराज का अकड़ मे बुरा हाल हो गया था ,,हल्का हल्का दर्द भी होने लगा था,,,,,,

माँ,,,,,,क्यू है ना तेरे बैंगन से बेहतर चीज़,,,,इतना बोलकर माँ ने नकली लंड को मूह मे ले लिया ऑर प्यार से चूसने लगी,,
ऑर चूस्ते हुए अलका के पास बैठ गई,,,अलका बड़े हैरान होके माँ की तरफ़ देख रही थी,,,,,

माँ,,,,,,,,,,ऐसे क्या देख रही है क्या तू बैंगन को पहले मूह मे नही लेती चूत मे लेने से पहले,,,,,

अलका,,,,,,,,,नही दीदी मैं तो उसपे आयिल लगा लेती हूँ ऑर भला मूह मे क्यूँ लेना बैंगन को,,,

माँ,,,,,,,,,,,,तो सच मे पागल ही है,,,...थूक आयिल से ज़्यादा चिकना होता है ऑर लंड आराम से चूत मे चला जाता है ऑर
गान्ड मे भी थूक लगा कर लंड लेने से दर्द का एहसास तक नही होता,,,,

अलका,,,,सच मे दीदी थूक लगा कर भी आयिल का काम लिया जाता है क्या,,,,

माँ ,,,,हाई रे मेरी भोली अलका,,,,अब ये मत कहना कि तूने कभी लंड को मूह मे नही लिया,,,,,

अलका,,,,,आपको तो पता ही है दीदी मैने ऐसा कुछ कभी नही किया,,ऑर भला लंड को कोई मूह मे क्यू लेगा,,उसी से मर्द
पेशाब करता है उसी को मूह मे लेने की बात कर रही हो ,,च्चिईिइ,,

माँ ,,,,,,,लगता है तुझे कुछ नही पता,,,शादी के इतने साल हो गये ना तूने लंड मूह मे लिया ठीक से ऑर ना ही गान्ड मे
फिर भला क्या मज़ा ऑर मस्ती की होगी तूने अपने पति के साथ,,,,,,चल आज मैं ही तेरे को सब सिखा देती हूँ,,,,चल पहले
साड़ी निकाल देख पूरी गीली हो गई है,,,,,,

अलका,,,,,,,,ना दीदी मुझे नही निकालनी साड़ी आपके सामने ,,,,,,,,,,,,आप पहले बाहर जाओ,,,,,

माँ,,,अरे पगली मैं भी तो औरत हूँ ,,अब तेरे पास ऐसा क्या ख़ास है जो मेरे पास नही है,,,,चल जल्दी निकाल साड़ी

अलका,,,,,,,नही दीदी मुझे शरम आती है ,,,,

माँ,,,,,,,,निकालती है या मैं खुद निकालु तेरी साड़ी,,,,,माँ इतना बोलके थोड़ा आगे बढ़ी तो अलका जल्दी से उठकर बैठ गई,,,

अलका,,,,,अच्छा अच्छा निकालती हूँ दीदी,,,,,

अलका आंटी बेड पर खड़ी हो गई ऑर अपनी साड़ी खोलने लगी,,मेरा तो बाहर खड़े के होल से देखते देखते ही काम
होने वाला हो गया ,,मैं मन ही मन अपनी माँ को गाली देने लगा कि साली अगर मेरे को बुला लेती तो क्या जाता,,,कुछ देर
मे आंटी ने साड़ी निकाल दी,,,,

माँ,,,,,,,,अब ब्लाउस ऑर पेटिकोट भी निकाल जल्दी से,,,,,,,,,,

अलका,,,,,,,,,,,,,हाई मेरी माँ ,ना बाबा ना,,,,,,,,,,,,ये नही उतारने वाली मैं आपके सामने,,मुझे शरम आती है,,,,,ऑर मेरे
कपड़े उतरवा कर आपने क्या करना है,,,

माँ,,,,,,,,,,अरे बुधु तेरे कपड़े गीले हो गये है धो कर मशीन मे सूखा दूँगी इसलिए बोल रही हूँ उतारने को,,,

अलका,,,,,,,ऐसा बोलो ना फिर दीदी,,,,,,,,,,,लेकिन मैं यहाँ नही उतारने वाली,,

माँ,,,,,,ठीक है जाके बाथरूम मे उतार दे,,मैं तेरे को दूसरा पेटिकोट ऑर ब्लाउस का सेट देती हूँ वो पहन कर बाहर
आ जाना,,,,

अलका,,,ठीक है दीदी,,,,,,,,

अलका उठी ऑर बाथरूम की तरफ चली गई जबकि माँ बाथरूम के दरवाजे के बाहर खड़ी हो गई,,,,,

कुछ देर बाद बाथरूम से अलका की आवाज़ आई,,,दीदी दूसरे कपड़े दो मुझे,,,,,,,

वो कपड़े उतार चुकी क्या तू,,,,,माँ ने बाहर से पूछा,,,,

हाँ दीदी उतार दिए है तभी दूसरे कपड़े माँग रही हूँ,,,,

दरवाजा खोल मैं बाहर ही खड़ी हूँ कपड़े मेरे हाथ मे है लेले,,,ऑर जैसे ही अलका ने दरवाजा खोलकर हाथ बाहर
निकाला माँ ने उसके हाथ को पकड़ लिया ऑर बाहर खींच लिया,,,

मैने तो देख कर दंग ही रह गया,,,,अलका आंटी के जिस्म पर एक ब्रा थी बस ,,,वो गीली नही हुई थी इसलिए वो अभी तक पहनी हुई थी ,,,मैं तो साला देख देख कर पागल हुआ जा रहा था,,,,,मेरे सामने एक गोरी चिट्टी मखमली भरे हुए जिस्म की
एक मस्त माल खड़ी हुई थी जिसकी बड़ी मस्त गान्ड ऑर बड़े बड़े बूब्स थे ,,,,दिल कर रहा था कि दरवाजा तोड़कर अंदर
चला जाऊ ऑर जाके लंड पेल दूं अलका आंटी की गान्ड मे ,,लेकिन मजबूर था माँ की वजह से,,,

आंटी ने बाहर आते ही अपनी दोनो टाँगों को आपस मे जोड़ लिया ऑर हाथ भी चूत पर रख लिए,,,,,

क्या करती हो दीदी,,,मुझे शरम आ रही है,,,,,,,छोड़ो मुझे ऑर कपड़े दो जल्दी से,,,

अभी कपड़े क्या करने तूने,,,मैने जो देखना था देख लिया,,,,इतना बोलकर माँ अलका आंटी को बेड की तरफ ले आई,,,आंटी
का एक हाथ माँ के हाथ मे था जबकि एक हाथ चूत पर था वो शर्मा रही थी लेकिन माँ उसको खींच कर बेड पर ले
आई,,,,

क्या कर रही हो दीदी छोड़ो मुझे शरम आ रही है,,,,,कपड़े पहनने दो मुझे,,,,,,

कपड़े पहन कर क्या करेगी वो तो बाद मे भी उतार दूँगी मैं तो टाइम क्यू जाया करना कपड़े पहन कर ,,इतना बोलते
हुए माँ ने आंटी को बेड पर बिठा दिया ओर हल्का सा धक्का देके पीछे लेटा दिया ,,

आंटी बेड पर लेट गई लेकिन उनकी टाँगे घुटनो से नीचे ज़मीन पर थी,,,,आंटी ने जल्दी से बेड पर गिरते ही अपनी
दोनो टाँगों को आपस मे जोड़ लिया ऑर दोनो हाथ भी चूत पर रख लिए,,आंटी का चेहरा शरम से एक दम लाल हो गया,,

हाई री मेरी बन्नो रानी इतना क्यू शरमा रही है,,,,हम लोग पहले भी तो ऐसी बातें कर चुके है कितनी बार ,,याद नही
क्या,,,,,

याद है दीदी लेकिन इतना खुलकर बात नही की जितना अब खुल गई है हम दोनो ,,ऑर बिना कपड़ो के तो आज तक मैं अपने पति के सामने ही गई हूँ आपके सामने कभी नही आई,,,,,,,

जानती हूँ लेकिन आज ये शरम छोड़ दे ऑर खुल का मस्ती कर मेरे साथ,,,जितनी आग है तेरे जिस्म मे सब भुजा दूँगी मैं आज,,,,ऑर वैसे भी तेरे जैसी मस्त औरत किस्मत वालो को मिलती है ,,मुझे तो गुस्सा आ रहा है तेरे पति पर जो इतनी हसीन औरत को अकेले छोड़ कर बाहर चला गया,,काश मैं तेरा पति होती तो कभी तेरे से दूर नही जाती,,,,,सच मे अलकातेरे जिस्म ने तो पागल कर दिया है मुझे,,,,देख मेरी आँखों मे कितना नशा चढ़ने लगा है ,,,,डर है कहीं मदहोश
होके कुछ गड़बड़ नही कर दूं मैं,,,,
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी

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Re: कहीं वो सब सपना तो नही

Post by 007 »

kunal wrote: 19 Jun 2017 21:00 Hot and sexist update mitr
thanks dost
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Re: कहीं वो सब सपना तो नही

Post by 007 »

हाई दीदी ऐसे मत बोलो ना मुझे कुछ अजीब सा फील हो रहा है ,,मैने देखा कि माँ की बाते सुनकर आंटी की साँसे
तेज हो गई उनकी कमर ऑर हल्का मोटा सा पेट तेज़ी से उपर नीचे हो रहा था ,,,एसी मे भी पसीना आ रहा था उनको,,

देखो ज़रा मेरे दिल की धड़कन कितनी तेज हो गई है दीदी,,,,अलका ने माँ को अपने दिल पर हाथ रखके दिखाया,,,,

तभी माँ ने अपने कपड़े निकालने शुरू किए,,,ऑर 2 पल मे ही माँ पूरी नंगी हो गई अलका के सामने,,,अलका के जिस्म पर तो एक ब्रा थी लेकिन माँ तो पूरी तरह नंगी थी,,,,,,,2 भरे हुए जिस्म की औरतें मेरे सामने नंगी थी ऑर मैं यहाँ दरवाजे
के बाहर खड़ा अपने हाथ से अपने लंड को सहला रहा था,,,,लानत थी मेरे पे,,,पर मैं कुछ कर भी नही सकता था,,
बस बाहर खड़ा होके उन दो नंगे खूबसूरत जिस्मो को देख ही सकता था,,,,,

माँ नंगी हो गई ऑर आंटी आँखें फाड़ फाड़ कर माँ को देखने लगी,,,,जिस तरह आंटी पहली बार किसी औरत के
सामने नंगी हुई थी उसी तरह आंटी ने भी आज पहली बार किसी औरत को अपने सामने नंगी देखा था,,,,माँ का जिस्म भी एक दम भरा हुआ था,,,बड़े बड़े बूब्स जो अभी भी काफ़ी हार्ड थे ऑर थोड़ा सा भी झुके नही थे लेकिन अपने आकार के
हिसाब से हल्का सा झुकाव तो नॉर्मल सी बात थी,,,आंटी भी अपने सामने गोरी चिट्टी बदन की नंगी औरत को देख खुद
पर क़ाबू नही पा सकी लेकिन वो कुछ कर भी नही सकती थी,,वो बस माँ को एक टक देखती जा रही थी,,,,,

ऐसे क्या घूर रही है मेरी बन्नो रानी मेरे पास भी वही सब है जो तेरे पास है,,कुछ अनोखा नही है मेरे पास,,इतना
बोलकर माँ बेड पेर चढ़ गई ,,आंटी ने माँ को अपने करीब नंगी देखा तो शरमा कर फेस टर्न कर लिया ,,,

आब इतना भी मत शरमा ,,,आख़िर तू भी औरत है ऑर मैं भी ,,,,फिर औरत का औरत से क्या शरमाना ,,इतना बोलकर माँ
ने आंटी के बूब्स पर हाथ रखके ऑर आंटी की ब्रा को नीचे कर दिया,,,,,तभी आंटी ने माँ के हाथ को पकड़ लिया,,,,


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Re: कहीं वो सब सपना तो नही

Post by 007 »

क्या कर रही हो दीदी कुछ शरम करो,,,ऐसा मत करो ना ,,,,

अब शरम करने का नही बेशरम बनने का टाइम है तेरा,,,ओर वैसे भी तूने मुझे पूरी तारह नंगी देखा है तो मेरा
भी हक़ बनता है तुझे एक बार पूरी नंगी देखने का,,,,

हयी राम क्या बोलती जा रही हो दीदी,,,मुझे नही होना नंगी वन्गि,,,,जितना देखना था अपने देख लिया ओर वैसे भी अपने देख
कर क्या करना,,,,,

कुछ नही करना मुझे बस एक बार तुझे नंगी देखना है ,,,देखु तो सही मेरी बन्नो कैसी लगती है,,,ऑर वैसे भी तूने
मुझे पूरी नंगी देखा मैं तुझे देख लूँगी ,,हिसाब बराबर,,,,

बस देखना है ना ,,,,,ऑर तो कुछ नही,,,,,,

अरे हां मेरी अलका रानी बस एक बार देखना है उसके बाद तू कपड़े पहन लेना,,,,मैं नही रोकूंगी तुझे,,,,,

आंटी ने अपने हाथ अपनी पीठ पर किए ऑर अपनी ब्रा को खोलने लगी,,,लेकिन जैसे ही आंटी ने अपने हाथ अपनी पीठ पर
रखे ऑर ब्रा को पीछे से खोल दिया ओर आगे से ब्रा को निकालने लगी तो माँ का ध्यान आंटी की चूत पर गया जहाँ अब आंटी
का हाथ नही था माँ ने जल्दी से अपने हाथ को आंटी की चूत पर रख दिया,,,,अब तक आंटी अपनी ब्रा को निकाल चुकी
थी,,,,,

चूत पर हाथ लगते ही आंटी बेड से उछल गई,,,,,,,हईीई क्या कर रही हो दीदी,,,,,,,,माँ ने उसकी कोई बात नही सुनी ऑर
जल्दी से उनकी टाँगों के बीच मे हाथ घुसा कर आंटी की चूत मे अपनी उंगली डाल दी,,,,

अहह मत काररू दीदडिई आपपंनी बूल्ला तहा ईकक बारर मुउज़्झहही न्नंगगीइ दीकखह क्कार्र आअपप
म्मूउजझी ककाप्पड़ड़ी प्पहन्नी दूगीइइई एआसा ट्टू मात्ट काररू ऊरर ककाप्पड़ी द्डू म्मूुझहही

मैने झूठ बोला था मेरी बन्नो ,,,ऐसी नंगी ऑर मस्त चीज़ को मैं बिना छुए ही कपड़े पहनने दूं ऐसा कैसे हो
सकता है ऑर इस से पहले आंटी कुछ ऑर बोलती माँ आंटी के फेस के करीब हो गई ऑर एक पल मे ही माँ ने अपने लिप्स आंटी
के लिस्प पर रख दिया,,,

आंटी माँ की इस हरकत से जल्दी से बेड से उठने लगी तो माँ ने भी जल्दी से अपनी टाँगों को खोला ऑर आंटी के पैट पेर
चढ़के बैठ गई ,,,

क्या कर रही हो दीदी छोड़ो मुझे ,,मुझे ये सब अच्छा नही लग रहा ,,,,मुझे जाने दो,,मुझे अपने घर जाना है,,,,

लेकिन माँ ने आंटी की कोई बात नही सुनी ऑर आंटी के दोनो हाथों को अपने हाथ मे पकड़ कर बेड से लगा दिया ऑर
फिर अपने सर को नीचे करके आंटी को किस करने लगी लेकिन आंटी अपने सर को इधर उधर हिला रही थी,,,,,छ्ूदूओ
म्मूउजझी दडिईयईडीिइ यईी साब्ब टहीकक नाहहीी ,,म्मूउज़्झहही ज्जाननी डू म्मूुझहहे ग्घारर जानना हहाई


माँ ने बड़ी कोशिश की आंटी को किस करने की लेकिन आंटी बार बार अपने सर को हिला रही थी तभी माँ ने अपने एक हाथ
मे आंटी के दोनो हाथ पकड़ लिए ऑर एक हाथ से आंटी के सर को पकड़ लिया ऑर किस करने की कोशिश करने लगी लेकिन आंटी
ने अपनी लिप्स को ज़ोर से बंद कर लिया ऑर मूह को खुलने नही दिया ,,,,लेकिन मेरी माँ भी पक्की खिलाड़ी थी उसने अपने हाथ को
आंटी के फेस से उठा कर आंटी की चूत पर रख दिया ऑर पल भर मे आंटी की चूत मे उंगली घुसा दी ,,,उंगली चूत
मे घुसते ही आंटी के मूह सी आहह निकल गई ऑर आंटी का मूह खुल गया ,,माँ ने कोई देर किए बिना अपने लिप्स को
आंटी के लिप्स पर रख दिया ऑर मूह खुले होने की वजह से माँ ने अपनी ज़ुबान को आंटी के मूह मे घुसा दिया,,,

देखते ही देखते माँ ने उसके लिप्स को अपने लिप्स मे भरके चूसना शुरू कर दिया ,,,आंटी अपने सर को हिलाने की कोशिश
करने लगी लेकिन माँ ने अपने हाथ को चूत से हटा कर आंटी के सर को पकड़ लिया ऑर दूसरे हाथ से भी आंटी के हाथों
को अपने हाथ से छोड़ कर उस हाथ से भी आंटी के सर को कस्के पकड़ लिया ताकि आंटी अपने सर को हिला नही सके,,कुछ
टाइम तो आंटी अपने सर को हिलाने की पूरी कोशिश करती रही लेकिन हिला नही सकी क्यूकी माँ ने उसको पूरी तरह से क़ाबू
मे कर लिया था,,,फिर कुछ देर बाद आंटी का हिलना जुलना बंद हो गया ओर वो शांत हो गई लेकिन अभी भी वो माँ का साथ
नही देने लगी थी,,

लेकिन माँ के लिए इतना ही काफ़ी था कि वो शांत हो गई है तभी माँ ने उसके सर को अपने हाथ से छोड़ा ऑर अपने दोनो हाथ
आंटी के बूब्स पर रख दिए ऑर हल्के से बूब्स को मसलना शुरू कर दिया ,,,,आंटी ने माँ के हाथ को अपने हाथ मे
पकड़ा ऑर माँ को रोकने की कोशिश करने लगी लेकिन माँ नही रुकी ऑर बूब्स को हल्के हलके प्रेस करने लगी ऑर साथ ही आंटी
के लिप्स पर किस करने लगी,,,,करीब 2 मिनिट बाद ही मुझे आंटी के मूह से हल्की हल्की सिसकियाँ सुनने लगी,,,मैं समझ
गया कि आंटी माँ के क़ाबू मे आ चुकी है पूरी तरह,,माँ के लिप्स आंटी के लिप्स पर थे इसलिए सिसकियाँ ज़्यादा तेज नही
थी लेकिन इतना ही काफ़ी था कि आंटी ने माँ के आगे हथियार डाल दिए है,,,,
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