कहीं वो सब सपना तो नही complete

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007
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Re: कहीं वो सब सपना तो नही

Post by 007 »

माँ ने कुछ देर तक ऐसे ही आंटी को किस करते हुए उनके बूब्स मसलना जारी रखा ओर जब आंटी के हाथ माँ के हाथ से
हट गये तो माँ ने आंटी के हाथों को पकड़ कर अपने बूब्स पर रख दिया ,,आंटी ने अपने हाथों को जल्दी से अलग कर लिया
तो माँ ने फिर से कोशिश की,,, लेकिन आंटी ने इस बार भी अपने हाथ माँ के बूब्स से हटा लिए,,,,,माँ ने 3-4 बार कोशिश
की ऑर तब जाके आंटी ने अपने हाथ माँ के बूब्स से नही हटाए ,,,माँ ने अपने हाथ भी आंटी के हाथ पर रखे ऑर आंटी
के हाथों को अपने बूब्स पर दाब कर आंटी को अपने बूब्स दबाने का इशारा करने लगी ,,,माँ ने अपने हाथ आंटी
के हाथ से हटा लिए ऑर वापिस आंटी के बूब्स पर रख दिए ऑर आंटी ने एक बूब्स को सहलाना शुरू कर दिया,,,आंटी ने भी
मस्ती मे माँ के बूब्स को सहलाना शुरू कर दिया ऑर शायद माँ को किस का रेस्पॉन्स भी देने लगी ,,क्यूकी आंटी की सिसकियाँ
बंद हो गई थी ,,,

कुछ देर दोनो ऐसे ही किस करती रही ऑर एक दूसरे के उरोज को मसल्ति रही ,,फिर करीब 5 मिनिट के बाद माँ आंटी के उपर
से हाथ गई ऑर साइड पर लेट गई ,,आंटी माँ के ऐसे दूर हो जाने से थोड़ा परेशान हो गई क्यूकी अब आंटी पूरी मस्ती मे
आ चुकी थी ऑर नही चाहती थी कि माँ उनसे दूर हो,,,,माँ भी उसकी आँखों मे देख कर समझ गई ऑर बोली,,,,,डर मत मेरी
बन्नो मैं कहीं नही जा रही यहीं हूँ इतना बोलकर माँ आंटी के साथ लेट गई ऑर आंटी को अपनी तरफ मोड़ लिया
जिस से दोनो के बूब्स आपस मे दब गये ,,माँ ने आगे होके आंटी को किस कारण शुरू किया तो इस बार आंटी ने भी एक ही
पल मे माँ के साथ देना शुरू कर दिया,,,,माँ ने अपने हाथ को आंटी एक बूब्स पर रखा तो आंटी ने भी ऐसा ही किया
लेकिन माँ ने आंटी को ज्याद देर किस नही की ,,माँ ने 2 मिनिट बाद ही अपने लिप्स को आंटी के लिप्स से अलग किया ऑर नीचे
खिसक कर आंटी एक बूब को मूह मे भर लिया,,,,,आंटी के मूह से अहह निकल गई और माँ ने उसके बूब्स को मूह मे
भरके चूसना शुरू कर दिया आंटी भी एक हाथ से माँ के बूब को मसल रही थी लेकिन जल्दी ही आंटी ने अपने दोनो
हाथों से माँ के बूब्स को मसलना शुरू कर दिया ऑर आहें भरने लगी,,,,,अहह दीईदीी यी कय्या कर रहहीी
हहूओ म्मात्त करूऊऊ

लेकिन माँ ने उसकी कोई बात नही सुनी ऑर आंटी के बूब्स को चुस्ती रही,,,कुछ देर तक माँ एक बूब को चुस्ती रही फिर
दूसरे को ओर एक को हाथ मे लेके मसल्ने लगी ऑर तभी माँ ने अपने हाथ को नीचे किया ऑर आंटी की टाँग को उठा कर अपनी
टाँगों पर रख लिया जिसस से आंटी की चूत थोड़ा खुल गई ऑर माँ ने जल्दी से अपने हाथ को आंटी की चूत पर रख दिया
ऑर चूत को उपर से सहलाने लगी ,,,आंटी की सिसकियाँ तेज होने लगी तो माँ का हाथ भी आंटी की चूत पर तेज होने लगा,,


कुछ देर बाद माँ ने अपने सर को आंटी के बूब्स से हटा लिया ऑर पैट पर किस करते हुए चूत की तरफ आने लगी ,,आंटी को
कुछ समझ नही आ रहा था आंटी बस आँखें बंद किए लेटी हुई थी,,,,,कुछ देर बाद माँ ने आंटी की सीधी करके लेटा
दिया ऑर खुद जल्दी से अपनी की टाँगों के बीच मे चली गई इस से पहले आंटी की आँखें खुलती ऑर उनको पता चलता आगे
क्या होने वाला है माँ के लिप्स आंटी की चूत तक चले गये ऑर देखते ही देखते आंटी की चूत माँ के मूह मे घुस्स
गई ऑर माँ ने आंटी की चूत को मूह मे भरके चूसना ऑर चाटना शुरू कर दिया,,,,

आंटी को जब अजीब एहसास हुआ तो आंटी ने अपनी आँखे खोल दी ऑर माँ को ऐसा करते देख थोड़ा परेशान हो गई ऑर जल्दी
से उठ कर अपनी चूत को माँ के मूह से दूर करने लगी लेकिन तभी माँ ने अपने दोनो हाथों से आंटी की टाँगों को
कस्के पकड़ लिया और आंटी की चूत को अपने करीब कर लिया ऑर बड़ी तेज़ी से आंटी की चूत को चूसने लगी ऑर साथ ही मूह
मे भरके हल्के से काटने लगी,,

ईीई कय्या क्कार्र र्राहहीी हहू दीईदीिई यईी गगाणन्दा हाइईईई आहह एआसा मात्ट काऊर्रूऊऊ डीड्डिईईईईईईई
य्याहहानं ससी तूऊ पपीसष्ाब्ब आत्ता हहाीइ ऊओरर आपप इस्ककू छ्चातत्त राहहीी हहूऊ हयीईईईईई
म्मात्त क्काओर्रूऊऊऊ डीईडीिईई यईी गाणन्दाअ हहाईईईईई

आंटी माँ कोरोक रही थी साथ ही सिसकियाँ भी ले रही थी,,,,,

अरे मेरी बन्नो ये मूत्र मार्ग नही स्वर्ग मार्ग है जिसको चूम कर ही अंदर जाना चाहिए ऑर इसका स्वाद किसी अमृत से कम
नही इतना बोलकर माँ ने आंटी की चूत को वापिस मूह मे भर लिया ऑर चूसने लगी,,,,आंटी माँ को रोकती रही कुछ देर
जब माँ नही रुकी और आंटी सर को बेड पर रखके लेट गई ऑर चूत चुसाई का आनंद लेने लगी ,,,,,,ऑर जल्दी ही आंटी की
सिसकियाँ तेज होने लगी,,,,


करीब 5-7 मिनिट माँ ऐसे ही आंटी की चूत को चुस्ती रही फिर चूत से मूह हटा कर आंटी से पूछने लगी,,,,,बोल मेरी
बन्नो कैसा लग रहा है मज़ा आ रहा है या नही,,,,,,,,

बभ्हुत्त् अज्जीबबब ल्लग्ग राहहा हहाीइ डीईईयईडीिइ पफहेल्ल्ली ककाब्भीी एआसा न्नाहहीी क्कीय्या ,,कुउच्च सांमाज़्ज़
नाहहीी आर्रहहा ल्लेककिन्न अक्च्छा ल्लागगग राहहा हहाीइ माज्जा बहीी भ्हुत्त् आ र्राहहा हाीइ ,,,आब्ब्ब आप्प्प रुउक्कू
मॅट यी ग्गन्न्द्दा हहाई तूओ गाणन्दडा साहहीी बास्स आप्प्प एआईसीए हहीी क्काररत्ती रहहूऊ ,,
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी

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Re: कहीं वो सब सपना तो नही

Post by 007 »

मा ने हँसके वापिस आंटी की चूत को मूह मे भर लिया लेकिन जल्दी से चूत से मूह हटा लिया ,,ऑर पास ही पड़े नकली लंड
को हाथ मे लेके आंटी की चूत मे घुसा दिया ,,,,,,,,,आंटी के मूह से एक तेज आवाज़ निकली जिसमे एक मस्ती भरा सकून
ऑर हल्का दर्द का मिला जुला असर था ,,,उतनी ने सर उठा कर देखा तो माँ ने अपने हाथ मे पकड़ा हुआ नकली लंड आंटी
की दिखाया ऑर वापिस आंटी की चूत मे घुसा दिया ऑर तेज़ी से अंदर बाहर करने लगी,,,,आंटी को इतनी मस्ती चढ़ गई कि
पूरे घर मे आंटी की सिसकियाँ गूंजने लगी,,,,,

धीर्रे आवाज़ कर मेरी बन्नो वरना सन्नी आ जाएगा ,,,मेरा नाम सुनके आंटी डर गई ऑर जल्दी से एक पिल्लो उठा कर अपने
मूह पर रख लिया ऑर अपनी आवाज़ को दबा लिया,,,,माँ कुछ देर आंटी की चूत मे नकली लंड पेलती रही फिर लंड को बाहर
निकाला कर अपने मूह मे भर लिया ऑर फिर आंटी की एक टाँग को उठा कर थोड़ा पीछे करके उनके सर की तरफ मोड़ दिया जिस
से आंटी की गान्ड थोड़ा उपर उठ गई ऑर माँ ने बिना देर किए नकली लंड को आंटी की गान्ड पर रखा ऑर अंदर घुसा दिया

लंड पर आंटी की चूत का पानी ऑर माँ का थूक लगा हुआ था जबकि गान्ड पर आंटी की चूत का पानी बहकर नीचे आ
गया जिस से गान्ड भी चिकनी हो गई ऑर लंड आराम से अंदर चला गया,,,आंटी के मूह से दर्द भरी चीख निकली जो ज़्यादा तेज
'नही थी लेकिन अगर मूह पे पिल्लो नही होता तो वो चीख पूरे घर मे क्या पड़ोसियों के घर मे भी गूंजने लगती

माँ ने लंड को आंटी की गान्ड मे घुसा दिया ऑर हाथ को गोल गोल घुमा कर लंड को अंदर बाहर पेलने लगी ऑर साथ ही आंटी
की चूत को मूह मे भर लिया ,,,आंटी ये दुहरा हमला झेल नही सकी ऑर तेज़ी से चिल्लाते हुए पानी छोड़ने लगी माँ ने आंटी
'की चूत से निकलने वाले पानी को पी लिया ऑर आंटी की गान्ड से लंड को निकाल कर चाट कर ऑर चुस्के सॉफ कर दिया,,माँ
उठकर बेड पर बैठ गई ऑर आंटी के मूह से पिल्लो हटा कर उनकी तरफ देखने लगी,,,आंटी के फेस पर हल्की मुस्कान ऑर
एक सकून था जो ये बता रहा था कि उनकी महीनो की आग जो उनके पति के दूर होने की वजह से उनके बदन मे लगी है
वो काफ़ी हद तक शांत हो चुकी है,,,

क्यू मेरी बन्नो रानी कैसा लगा,,,,मज़ा आया कि नही,,,,,,ऑर कैसा लगा मेरा ये मर्द ऑर ये मूसल,,,,,तसल्ली हुई या नही,,
वैसे एक बात ऑर तू तो बड़ी जल्दी झड जाती है,,,,थोड़ा सबर किया कर अभी तो मस्ती चढ़नी शुरू ही हुई थी,,,,

माँ इतना कुछ बोल गई लेकिन अलका तो बस चेहरे पर हल्की मुस्कान के साथ एक संकून लेके चुप चाप लेटी हुई थी,,,,,

बोल ना कैसा लगा,,,,मज़ा आया या नही,,,,,,शरमा मत आब तो सब कुछ हो गया अब कैसा शरमाना,,,,अगर शरमाएगी तो
फिर से इसको तेरी गान्ड मे घुसा दूँगी,,माँ इतना बोलके हँसने लगी,,, ऑर हाथ को आगे करने लगी जिसमे लंड पकड़ा हुआ था,,

नही नही दीदी अभी नही थोड़ा रुक कर,,,,

थोड़ा रुक कर,,,,अब आई बात ज़ुबान पर,,,,लगता है इतना मज़ा आया तुझे कि अब दोबारा लंड लेने को गान्ड मचलने
लगी है तेरी,,,,,,

अलका आंटी थोड़ा शरमाते हुए,,,,,,वो दडिईडीी मुहह ससी ननीईककला गया,,,,

अभी भी घबरा रही है सीधी तरह बोल ना मज़ा आया,,,,,

अलका,,,,,,,,हाँ दीदी मज़ा आया,,,बहुत मज़ा आया,,,,कितने महीने से भरी हुई थी मैं ,,,एक आग लगी हुई थी जिश्म मे लेकिन आज अपने सारी
आग भुजा दी मेरी,,, बदन इतना हल्का हो गया है कि जैसे मैं एक तितली की तरह हवा मे उड़ रही हूँ,,,,सब आपकी मेहरबानी है दीदी,,,,

माँ,,,,,,,अच्छा इतना मज़ा आया क्या,,,,,

अलका,,,,,,,,,,,,,हाँ दीदी बहुत मज़ा आया ,,,,तभी तो जल्दी झड गई,,,,एक तो ये पता नही क्या है ये ,,,आंटी ने माँ के हाथ की तरफ इशारा
किया,,,,,एक तो इसको पीछे घुसा दिया ऑर उपर से चूत को चाटने लगी,,,,,इतना मज़ा आया कि क्या बोलू दीदी,,,लेकिन आपका चूत को
चाटना मुझे अच्छा नही लगा,,,,,

माँ,,,,,,,,,,,,,,,अच्छा नही लगा,,,,सच मे,,,,माँ ना हँसते हुए मज़ाक मे बोला,,,,

अलका,,,,,,,,,,,,,,,,,,नही दीदी अच्छा तो लगा जब आप चाट रही थी लेकिन देख देख कर अजीब लग रहा था,,,,,

माँ,,,,,,,,,,,अब ये मत बोलना कि करण के डॅड ने आज तक तेरी चूत को भी नही चाटा है,,,,माँ ने सवाल करते हुए पूछा,,,

अलका,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,नही दीदी उन्होने ऐसा कभी नही किया,,,,,

माँ,,,,,,,,,,,,,,,,,,हाई रे मेरी भोली बन्नो फिर तो तूने आज तक कभी उसका लंड भी नही चूसा होगा,,,,

अलका,,,,,,,,,,,,च्ीी दीदी कैसी बात करती हो भला लंड भी कोई चूसने वाली चीज़ है,,मुझे तो सच कर भी उल्टी होने का डर है
पेशाब वाली चीज़ कोई मूह मे भी लेता है क्या,,,,,,

माँ,,,,,,,,तू सच मे भोली है मेरी अलका रानी,,,,जब मैने तेरी चूत को चूसा था तब बोल कैसा लगा था,,मज़ा आया कि नही,,

अलका,,,, मज़ा तो आया दीदी लेकिन भूत गान्ड लगा,,,,,,

मा,,,,,,गणडा वंडा छ्चोड़ ,,बता मज़ा कितना आया,,,,,,

अलका,,,,,बहुत मज़ा आया था दीदी,,,,कभी इतना मज़ा नही आया आज तक,,,,,,

माँ,,,,,,,,ऑर आता भी कैसे,,,किसी ने तेरी चूत को चाटा जो नही आज तक,,,,ऑर ना तूने कभी करण के बाप का लंड लिया है 'मूह
मे ,,तू भी अंजान है अभी तक लंड के स्वाद से ,,पता है कितना मज़ा आता है लंड चूस कर,,,,,मैं ऑर तेरे जीजा जी तो जब
तक एक दूसरे के प्राइवेट पार्ट को अच्छी तरह चूस ऑर चाट नही लेते आगे का प्रोग्राम ही शुरू नही करते,,,,

अलका,,,,सच मे दीदी,,आप लंड चुस्ती हो,,आपको गंदा नही लगता,,,,ऑर क्या जीजा जी भी आपकी चूत चाटते है,,,

माँ,,,,,,ऑर नही तो क्या,,जीजा जी तो खा ही जाते है मेरी चूत को ऑर मैं भी उनके लंड को पूरा का पूरा निगल लेती हूँ,,
अच्छा बाकी सब बाते छोड़ ऑर बता कि तुझे मज़ा कितना आया,,,,

बहुत मज़ा आया दीदी आज पहली बार किसी औरत के साथ ऐसा किया है,,नया तजुर्बा था,,,ऑर वैसे भी भरी हुई थी मैं कब्से
,,जबसे करण के पापा गये है तबसे तरस रही थी लंड के लिए ऑर आज अपने मुझे इतना खुश कर दिया इस नकली लंड से की अब
ओर कुछ नही चाहिए,,,,

माँ,,,,,,,,,,,नकली लंड से बैंगन से भी ज़्यादा मज़ा आया ना,,,सच बोलना,,,

अलका,,,,,हाँ दीदी बैंगन से तो कहीं ज़्यादा मज़ा आया,,ऐसा लग रहा था कोई लंड ही अंदर जा रहा है,,,,

मा,,,,,,,,अच्छा ये बता कि लंड चूत मे लेके मज़ा आया या गान्ड मे,,,

अलका,,,सच बोलू तो दीदी तब ज़्यादा मज़ा आया जब लंड गान्ड मे था ऑर अपनी ज़ुबान मेरी चूत पर,,2 तरफ से मज़ा आ रहा
था तभी तो जल्दी ही झड गई मैं,,,,

माँ,,,,,,,हाँ ये बात भी है तूने आज तक कभी लंड नही चूसा ऑर ना ही कभी किसी को चूत चटवाई है फिर भला तूने
एक साथ 2 लंड से मज़ा क्या किया होगा,,,,

अलका,,,,,क्या दीदी एक साथ 2 लंड,,,,ऐसा कैसे हो सकता है दीदी,,

माँ,,,,,,,हो सकता है क्यू नही हो सकता,,,मैं तो रोज तेरे जीजा के साथ मस्ती करती हूँ वो भी एक साथ 2 लंड से ,,,जीजा का लंड
चूत मे होता है ओर ये नकली वाला गान्ड मे तो कभी जीजा का लंड गान्ड कम तो ये नकली वाला चूत मे,,,इतना मज़ा आता है की
तुझे क्या बतौ,,,आब तो ट्री जीजा जी बाहर गये है कुछ दीनो क लिए एक लंड से खुद को शांत करने की कोशिश करती रहती हूँ
लेकिन एक लंड से ये काम मुश्किल है ,,आग जितना भुजाने की कोशिश करती हूँ ऑर भी ज़्यादा भड़क जाती है,,,,अब तो सोच
रही हूँ किसी असली लंड से मज़ा करू,,,,

अलका,,,,,,,,,,क्या बोल रही हो दीदी,,होश मे तो हो आप,,,,,

माँ,,,,,,,होश मे हूँ अलका,,तभी तो तेरे को बुलाया है आज यहाँ,,,,,मुझे सिर्फ़ तेरी चूत ऑर गान्ड मे लंड डालके तेरी आग
को भुजाना नही था बल्कि तेरे से एक ज़रूरी बात करनी थी,,अपने जिस्म की आग को भुजाने के बारे मे,,,,

अलका,,,,,,क्या बात करनी है दीदी बोलो,,,,,

माँ,,,,देख मैं जो बोलने वाली हूँ उस बात से तेरे को थोड़ा झटका लगेगा शायद तुझे गुस्सा भी आए लेकिन जो मैं बोलने
लगी हूँ ज़रा ध्यान से सुनना उसको,,,

अलका,,,,क्या बोल रही हो दीदी ,,मैं आपकी बात का गुस्सा क्यू करने लगी,,,अब जो दिल करे वो बोलो,,,अब हम लोगो मे कुछ
परदा थोड़ी रह गया है,,,,

माँ,,हाँ ये बात तो है तभी तो तेरे से बात करने से पहले तेरी आग को शांत करके मैने जो थोड़ी बहुत दूरी थी हम लोगो
मे उसको भी बिल्कुल ख़तम कर दिया,,,,बात ये है अलका कि मुझे आब तेरे जीजा से चुदाई करके मज़ा नही आता,,,

अलका,,,,,,,,,क्यू दीदी ,,,अब क्या हुआ,,,,अभी तो बोल रही थी कि वो बहुत जबरदस्त चुदाई करते है अभी बोल रही हो मज़ा नही
आता,,,,बात क्या है दीदी ,,,,,

माँ,,,,,,,,,,,मज़ा आता था अलका लेकिन अब नही आता,,,मुझे लगता है तेरे जीजा का किसी ऑर से चक्कर चल रहा है ,,मैने कई
लोगो से सुना भी है कि वो अपने बॅंक की किसी लड़की के साथ बहुत घूमते है,,,वो लड़की उनकी बेटी की उमर की है,,,इसलिए तो
जबसे वो जवान लड़की हाथ लगी है मेरे जैसी बूढ़ी को वो भूल ही गये है,,,तेरा पति तो बाहर देश गया है तू इसलिए तड़प
रही है लंड लेने को लेकिन मेरा पति तो यहाँ है ,,हर रात मेरे साथ सोता है लेकिन मैं फिर भी तड़प रही हूँ उसके
लंड के लिए,,वो सारा दिन उस लड़की के साथ रहता है,,मुझे तो कभी पूछता भी नही,,,माँ की आँखों मे हल्के आँसू आ
गये मैं बाहर खड़ा सोचने लगा कि माँ किसकी बात कर रही है,,फिर लगा कहीं माँ अलका आंटी को बॉटल मे उतारने के लिए
झूठ तो नही बोल रही,,,,,हाँ यही बात है माँ झूठ बोल रही है ऑर कितना सफाई से बोल रही है तभी तो अलका आंटी भी
कितना गौर से सब सुन रही थी,,,,
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी

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Re: कहीं वो सब सपना तो नही

Post by 007 »

अलका,,,,,,,,,,क्या ये सच है दीदी,,,,,,,,,

माँ,,,,,,,,,हाँ अलका तभी तो मैं तरस रही हूँ लंड लेने के लिए,,,तेरे पति बाहर है तो तू इतने महीने से तड़प रही है
मेरे पति तो यही है फिर भी मैं पिछले 8 महीने से तड़प रही हूँ उनके लंड के लिए ऑर इस नकली लंड से खुद को शांत
कर रही हूँ,,,

अलका,,,,,,,,,,हाई राम दीदी अपने जीजा से बात की क्या इस बारे मे,,,,

माँ,,,,,क्या बात करती,,,अगर वो मना कर देते ये लड़ना झड़ना शुरू कर देते तो पूरे परिवार को इस बात का पता चल जाता
ऑर बच्चो पर क्या असर होता ये जान कर कि उनके माँ बाप की लाइफ अच्छी नही चल रही,,,,

अलका,ये बात भी ठीक है लेकिन अब इसका क्या हाल निकाला अपने दीदी,,,,,,,,बात तो करनी ही होगी एक बार जीजा जी से,,,ऐसे कुछ कैसे हो सकता है अगर आप हाथ पर हाथ रखके बैठी रहोगी,,,,

माँ,,,,,,,,,,बात करके कोई फ़ायदा नही अलका,,,ऑर तुझे किसने कहा कि मैं हाथ पर हाथ धरके बैठ जाउन्गी,,,

अलका,,,,तो फिर क्या करोगी दीदी,,,,

माँ,,,,,,,मैं भी किसी जवान लड़के से चक्कर चला लूँगी ऑर बची खुचि जवानी मे ऐश करूँगी उस लड़के के साथ,,,

अलका,,,,,क्या बोल रही हो सरिता बेहन,,,ऐसा कुछ मत करना,,,,आदमी की इज़्ज़त एक बार खराब हो तो कोई मसला नही लेकिन अगर
औरत की इज़्ज़त खराब हो जाए तो बहुत बदनामी होती है,,,,,

माँ,,,,,,,,मैं जानती हूँ अलका ,,,,,,तभी तो मैने तेरे को यहाँ बुलाया है,,,मेरे पास ऐसा प्लान है कि मैं खुश भी
रहूंगी ऑर मेरी सेट्टिंग भी हो जाएगी एकजवान लड़के से,,ऑर मुझे बदनामी का भी डर नही होगा,,,,ऑर बाद मे मैं तेरे
लिए भी किसी लड़के को तलाश कर सकती हूँ,,,

अलका,,,,,नही दीदी मुझे नही चाहिए कोई लड़का,,,,मुझे बदनाम नही होना,,अगर कल किसी को पता चल गया तो क्या होगा,,
मेरी शादी शुदा ज़िंदगी खराब हो जाएगी,,,,,

माँ,,,,,कुछ नही होगा तू डर मत,,,मैं एक औरत हूँ मुझे अपनी इज़्ज़त बहुत प्यारी है ,,ऑर तेरी भी,,मैं नही चाहती कि
हम कोई ग़लती करे ऑर बदनाम हो जाए,,,लेकिन मेरे पास ऐसा प्लान है कि हम दोनो मस्ती कर सकते है वो भी 10-10 इंच
लंबे लंड के साथ,,,,,

अलका,,,,,,,,क्या बोला दीदी फिर से बोलना,,,,,,10 इंच लंबा लंड,,,,,किसका लंड है ये,,वो कोई इंसान है या घोड़ा,,,,जिसका इतना बड़ा'
लंड है,,,

माँ,,,है तो वो इंसान ही ऑर जवान छोकरा है लेकिन उसका लंड किसी घोड़े के लंड से कम नही,,पूरा 10 इंच का है मैने
अपनी आँखों से देखा है,,,,ऑर 2-2 लंड है पूरे जवान ऑर 10 इंच बड़े ऑर मोटे मोटे भी,,,,

अलका,,,,किसकी बात कर रही हो दीदी जल्दी बताओ ,,देखो मेरी चूत मे फिर से पानी आने लगा है,,,,

माँ,,,मुझे पता था तेरी चूत भी पानी पानी हो जाएगी 10 इंच के लंड के बारे मे सुनकर,,,,ऑर सोच ज़रा जब वो लंड तेरी
चूत मे होगा या तेरी गान्ड मे तो कितना मज़ा आएगा,,,,मेरी भी चूत पानी पानी हो गई थी जब मैने 2-2 लंड देखे
थे 10 इंच लंबे,,,,जी कर रहा था पकड़ कर दोनो को गान्ड ऑर चूत मे घुसा लूँ,,

अलका,,,,,,,दीदी जल्दी बोलो ना किसके लंड है इतने लंबे,,मैने तो अपनी सारी जिंदगी 5 इंच के लंड से ही गुज़ारा किया है,,आज
आपका ये नकली लंड लिया जो बहुत छोटा है लेकिन ये भी करण के बाप के लंड से तो बड़ा ही लग रहा था,,,बोलो ना कॉन है
वो,,

माँ,,,,,,देख गुस्सा मत करना तू,,,

अलका,,,,,अरे दीदी आप मुझे 10 इंच का लंड दिलवाओ ऑर मैं गुस्सा करू,,,,कैसी बात कर रही हो दीदी,,,,,

माँ,,,,,अच्छा तो सुन,,,,,,मैं तेरे बेटे करण ऑर अपने बेटे सन्नी की बता कर रही हूँ,,,,,,

अलका एक दम से घबरा कर ऑर हल्के गुस्से से बोली,,,,,,,,ये क्या बोल रही हो दीदी,,,,वो अपने बेटे है,,,आप उनके बारे मे ऐसा
सोच भी कैसे सकती हो,,,,

माँ,,,,,,,मुझे पता था तू गुस्सा करेगी लेकिन अगर मेरी जगह तू उनके बड़े मूसल लंड देख लेती तो ऐसी बात नही करती,,

अलका,,,,,लेकिन दीदी वो अपने बेटे है,,,,

माँ,,,,,,,,जानती हूँ ,,लेकिन करण तेरा बेटा है ऑर सन्नी मेरा,,,,

अलका,,,,क्या मतलब दीदी,,,,

माँ,,,मतलब कि तू सन्नी के लंड को ले सकती है क्यूकी तू उसकी माँ जैसी है लेकिन माँ नही ऑर मैं करण का लंड ले सकती
हूँ क्यूकी मैं उसकी माँ जैसी हूँ माँ नही,,,

अलका,,,,,ऐसा क्यू बोल रही हो दीदी,,,,कुछ तो सोचो,,

माँ,,,,,,,,,,सोच कर ही तेरे से बात कर रही हूँ,,, मैं करण की माँ नही तो उसका लंड ले सकती हूँ ऑर तू सन्नी का लंड
ले सकती है,,,इसमे कोई बुराई नही,,,,ऑर सच कहूँ तो मुझे दोनो के लंड इतने अच्छे लगे कि अगर सन्नी मेरा बेटा नही
होता तो मैं दोनो के लंड ले लेती अपनी गान्ड ऑर चूत मे,,,,,

अलका,,,,,,,क्या सच मे दोनो के लंड इतनेबड़े है,,,,लेकिन अपने कैसे देखा उनके लंड को,,,

माँ,,,,,,एक बार घर पर कोई नही था ये दोनो सन्नी के रूम मे लॅपटॉप पर वो गंदी वाली मूवी देख रहे थे,,,बाहर
वाला दूर भी लॉक किया हुआ था लेकिन मेरे पास घर की चाबी थी तो मैं अंदर आ गई इन दोनो को मेरे आने का पता नही
चला ,,लेकिन मुझे इनके रूम से कुछ आह उहह की आवाज़ आने लगी जब मैं उपर गई तो देखा कि दोनो अपने लंड को हाथ मे
लेके मसल रहे थे,,,,,पूरे 10-10 इंच का मोटा ऑर लंबा लंड था दोनो का,,,मेरा दिल तो किया था कि अंदर जाके दोनो के
लंड को हाथ मे पकड़ लूँ ऑर खूब मस्ती करूँ लेकिन एक तो मैं सन्नी की माँ हूँ उपर से मेरी हिम्मत नही हुई अपने
पति से धोखा करने की लेकिन अब मेरा पति भी मेरे से धोखा कर रहा है तो मैं भी कर सकती हूँ,,,आख़िर मेरा भी
हक़ बनता है जिंदगी के सुख लेने का,,,मेरी भी कुछ ख्वाहिशे है कुछ सपने है,,मैं भी अपनी बची खुचि ज़िंदगी
मस्ती से गुज़ारना चाहती हूँ,,,,,,,इसलिए आज सोच लिया कि मैं सन्नी से तो नही मगर करण के साथ तो मस्ती कर सकती हूँ
ऑर अगर तू चाहे तो तू भी सन्नी के साथ मस्ती कर सकती है,,,,,,तू भी सन्नी का 10 इंच का लंड अपनी गान्ड मे ले सकती है
उसको मूह मे लेके चूस सकती है,,,इतना बोलकर माँ ने पास पड़े नकली लंड को हाथ मे लिया ऑर मूह मे लेके चूसने लगी
लेकिन जल्दी ही मूह से निकाल लिया ऑर उसको अलका की चूत की तरफ बढ़ा दिया,,,अलका की चूत तो पहले से पानी पानी हो गई थी ऑर उसकी
टाँगे भी खुली हुई थी ,,,,
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी

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Re: कहीं वो सब सपना तो नही

Post by Kamini »

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