जोरू का गुलाम भाग ७७
मेरी जेठानी ( और उनकी भाभी ) दरवाजे पर ही खड़ी मिल गयीं , और उन्हें देखते ही ,
बस एकदम फट के , .... शेल शॉक्ड , बोल नहीं निकल रहे थे उनके ,...
बस यही तो मैं चाहती थी।
मेरी जेठानी की आँखे बस उनके ऊपर ,...
मूंछे सफाचट , एकदम क्लीन् शेव्ड चिकना चेहरा , आलमोस्ट वैक्स्ड लुक , उनके होंठों पे मेरी होंठों की स्मज्ड लिपस्टिक ,
जेल लगे हुए बाल , सेट किये हुए , आलमोस्ट कंधे तक बढे
कानों में चमकते हुए स्टड्स ,हाथ में सुनहली ब्रेसलेट ,
पिंक फ्लोरल एकदम झलकउवा शर्ट , टाइट हिप हगिंग रिप्ड जीन्स ,
और सबसे बढ़ कर उनका एकदम बदला ऐटिट्यूड
उन्होंने अपनी भाभी को हग कर लिया। और मेरी जेठानी ने भी उन्हें भींचते हुए चिढाया ,
" एकदम मस्त चिकना हो गया है। "
" एकदम दीदी " मैंने भी हामी भरी।
( और वैसे भी मेरी उस ननद के खिलाफ तो मेरी जेठानी के साथ हम लोगों का साझा गठबंधन था ही )
मैंने पीछे से उनके देवर की पिछवाड़े की दरार में ऊँगली रगड़ी तो , कुछ हल्का सा गीला ,
कमल जीजू की मलाई अभी भी , ऊँगली का प्रेशर बढ़ाते हुए मैंने अपनी जेठानी से पूछा ( लेकिन निगाहें इन्ही के चेहरे पर अटकी थीं )
" दीदी इनके माल का क्या हाल है? "
" अरे माल तो बेहाल है , सुबह से ,
दो बार फोन आ चुका है , एकदम काटने लायक कटकटौवा गाल हो गए हैं उसके। "
मेरी जेठानी ने उन्हें छेड़ा।
भले ही कुछ बातों में हम में मतैक्य न हो ,लेकिन हमारी ननद नाम लेकर उनकी रगड़ाई करने में हम एकदम एकजुट होजाते थे।
" अरे कटवाने वाली तैयार है ,बेकरार है ,काटने वाला भी आ गया है , फिर क्या , क्यों हैं न ?"
अबकी सीधे मैंने उनसे पूछा
और बजाय शर्माने बुरा मानने के , झिझकने के वो मुस्करा रहे थे।
और मुझे अपनी उस ननद के साथ लगी बाजी याद आगयी ,
हार गयी तो चार घंटे तक उसे मेरी सारी बाते माननी होगी ,
और चार घंटे में तो उस्की गंगा में इतनी डुबकियां लगेंगी , और उसके इतने एम् एम् इस बनेगे की ,... हरदम के लिए
मैं मुस्कराने लगी।
तबतक मेरी जेठानी ने मुझसे खुल के पूछा ( ये बाथरूम चले गए थे )
" अरे तूने तो मेरे देवर को एकदम बदल दिया " मुस्कराती हुयी उनकी भाभी बोलीं।
" एकदम दीदी , लेकिन ये बोलिये दिल से ,.... अच्छे लगते हैं न "
मैंने उनकी आँखों में आँखे डालते साफ साफ़ पूछ लिया।
खिलखिलाते हुए वो बोलीं ,
" एकदम , लेकिन ये सोच की जब वो तेरी ननद देखती तो उस की तो फट के ,... "
उनकी बात बीच में काट के , हँसते हुए मैं बोली ,
" अरे दीदी उस की फड़वाने के लिए तो तो इन्हें ले आयी हूँ , आप को बाजी याद है न , बस और फिर फटने वाली चीज को वो स्साली कब तक बचा के रखेगी। "
मेरी दिमाग में उन के माल के लिए बनाई गयी तमाम स्कीम घूम रही थी ,जो मैंने और मम्मी ने मिल के बनाई थीं।
लगेज सारा लाद के वो ऊपर ले आये , हम लोगो के कमरे में।
हमारा कमर ऊपर की मंजिल पर था , जहां मैं शादी के बाद आयी थी , जहाँ हमारी सुहागरात मनी।
मैंने उस कमरे की खिड़की खोल के एक गहरी साँस ली , ढेर सारी खट्टी मीठी यादें जुडी हैं इस कमरे से।
सच बोलूं तो मीठी बहुत ज्यादा , खट्टी बस थोड़ी सी ,दाल में नमक जैसी ,
इनका प्यार दुलार , इज्जत सब कुछ मिला मुझे इस कमरे में , और खुल के मजे भी।
पहली रात ही , ... हम दोनों है नौसिखिये थे , ...
लेकिन जिस तरह सम्हल के , इन्होंने और जितना मेरी भभियों ने सिखा के भेजा था ,
उससे भी ज्यादा ,
पहली रात ही मैं सीख गयी थी ,शादी के बाद की रातें सोने के लिए नहीं होतीं ,
पूरे तीन बार , और अगले दिन , दिन में भी घात लगा दी थी उन्होंने।
इस कमरे की तो मैं रानी थी , जब मैं और ये इस कमरे में होते तो बस ,
सिर्फ सेक्स ही नहीं ,
जो तुम को हो पसंद वही बात करेंगे ,
चाहेंगे , निभाएंगे ,सराहेंगे , आप ही को ,... बस एकदम उसी स्टाइल में और वो भी दिल से।
लेकिन जहाँ कमरे से हम बाहर होते ,नीचे की मंजिल पे जहाँ मेरी जिठानी ,सास ,इनकी सब मायकेवालियां होतीं ,
बस जैसे मुझे पहचानेंगे नहीं
( हाँ बीच बीच में लालचियों की तरह छुप छुप के देखने से बाज नहीं आते थे वहां भी )
न कोई बात ,न कुछ।
और मेरे कमरे में भी ,जैसे कोई मायके वाली आ जाये , भले ही उसके पहले मुझसे चिपके बैठे हों ,
एकदम दूर हो के , जैसे पहचानते भी न हों ,... और कई बार तो एक सिम्बालिक प्रजेंस भी ,
मैंने वो कंडोम वाला वाकया तो कई बार बताया है , बात छोटी सी थी लेकिन मेरे दिल को सालती थी।
कंडोम वो पहले दिन से ही इस्तेमाल करते थे , लेकिन वो फेमली प्लानिंग टाइप वाला,
चीनू मेरी बड़ी मौसेरी बहन ने मुझे डॉटेड कंडोम के बारे में बताया तो मैंने इनसे बोला था ,
और अगले ही दिन , वो ले आये और दिन में ही उन्होंने इस्तेमाल भी कर डाला ,
खूब मज़ा आया , मुझे भी और उन्हें भी। पहली बार दिन में , हिप्स उछाल उछाल के , सिसक सिसक के
सेक्स के बाद भी हम लोग बहुत देर तक एक दुसरे को भींचे बांहों में कस के बांधे पड़े रहते थे , वो मेरे अंदर
और आज तो स्पेशल मजा आया था इसलिए ,
लेकिन थोड़ी देर में मेरी कोई मायके वाली ने खटखट की और मैंने झट से पास में रखे अपने वेडिंग ऐल्बम में उसे रख दिया।
बस वही ,
रात में उन्होंने देख लिया की कण्डोम वेडिंग एलबम में उन फोटुओं के बीच पड़ा है जहाँ वो उनकी ममेरी बहन की हमारी शादी में डांस करते,
बस बिना कुछ बोले वो अलफ़ , दूसरी ओर करवट कर के ,बिना कुछ 'किये धरे ' सो गए।
इतना बुरा लगा मुझे ,
पर अगले दिन सुबह भोर होने के पहले ही , जैसे रात की सारी बात भूल के ,
रात का भी उधार चुकता कर दिया उन्होंने।
सुबह एक राउंड तो रोज होता था था लेकिन उस दिन पहली बार
सुबह सबेरे दो राउंड , फर्स्ट टाइम , ... और वो भी खूब देर तक।
मैंने उनकी ओर देखा वार्डरोब में वो मेरे और अपने कपडे रख रहे थे , पर पहले
छू भी नहीं सकते थे , कुछ बोलो भी तो चिढा के बोलते थे ,कपडे उतारने की जिम्मेदारी मेरी तेरे भी अपने भी
और रखने की जिम्मेदारी तुम्हारी।
एक दिन मैं वार्डरोब में कपडे रख रही थी की मेरी ननद आ गयी ,
वही उनकी ममेरी बहन ,गुड्डी।
उसे चिढाते हुए मैंने बोला ,
" देखो अपने भैया को , अपना एक भी काम अपने से , अपने कपडे भी तहियाकर नहीं रख सकते। "
इठलाकर ठसके से बहुत नाजो अंदाज से वो कमिसन किशोरी मुझे छेड़ने की कोशिश करते हुए ,बोली ,
" अरे भाभी आप को लाये ही इसलिए हैं न ,काम करने के लिए। मेरे भैय्या थोड़े ही कुछ करेंगे। "
अपनी नाजनीन षोडसी ननद के गोरे गुलाबी गालों को हलके से पिंच करते मैं चिढाया ,
" कमसिन हो नादाँ हो , ... अरे तुझे अभी भी ये नहीं मालुम , करते तो तेरे भइय्या ही हैं , मैं तो सिर्फ करवाती हूँ। बोल तूने कभी करवाया की नहीं उनसे। "
अब वो थोड़ी शरमा गयी।
मेरी ऊँगली मेरी ननद के गालों से उसके गुलाब से होंठों पर और फिर नीचे ,...
" बच्ची हो तुम अभी ,करने करवाने के बारे में तुझे अभी सिखाना पडेगा। "
मैंने फिर छेड़ा।
" बच्ची वच्ची नहीं हूँ ,पूरे ,... साल की हो गयी हूँ। चार साल हो गए टीनेजर हुए। " तुनक के वो बोली।
" अरे तब तो तुम एकदम 'करवाने ' लायक हो गयी , मेरे ससुराल वाली मैंने सुना था चौदह में चुदवासी हो जाती है और तुम तो दो साल और ,तेरी कच्ची अमिया भी तो कैसी गदरा रही है।
बोल 'करवा' दूँ तेरे भैया से , वैसे भी मेरी पांच दिन वाली छुट्टी आने वाली है , बिचारे का उपवास हो जाएगा। "
मैं अब खुल के अपनी ननद को छेड़ रही थी।
मेरी ऊँगली उस के कच्चे टिकोरों पर थी ,कड़े कड़े , नए जवानी के गदराते उभार ,
" धत्त भाभी ,आप को सिर्फ एक ही बात सूझती है। "
झुंझला के मेरे चंगुल से छूटने की कोशिश करते वो बोली।
" अपने भैय्या से पूछ न , उनको भी सिर्फ एक बात ही सूझती है। "
हँसते हुए मैं बोली।
उनकी आवाज मेरा ध्यान खीच के मुझे वापस लायी।
मेरे अंडर गारमेंट्स कहाँ रखें , वो पूछ रहे थे।
मेरी साडी ब्लाउज पेटीकोट सब अलग अलग खानों में प्रॉपर्ली तहिया के उन्होंने रख दिए थे ,फिर शलवार सूट भी और बाकी ड्रेसेज भी।
मेरे बोलने के बाद मैचिंग लिंगरी , ब्रा ,पैंटी भी
और सारी हाई हील्स ,सैंडल्स , बाथरूम स्लीपर्स सब कुछ सबसे नीचे वाले खाने में।
अपने कपडे भी ,
सारा समानअटैचियों से निकल कर करीने से वार्डरोब में लग चुंका था और बा मेरी ड्रेसिंग टेबल पर मेरे मेकअप का सारा सामान,
" मेरे भैया तो अपने हाथ से पानी तक नहीं लेते , भाभी सब कुछ आप को ही , ... "
मेरे कान में गुड्डी की बाते गूंज रही थी थी और आँखे उन को सब कुछ करते देख रही थी।
मेरी निगाह बिस्तर पर गयी ,
" सुनो ,इस पर वो डबल बेड का ब्लैक साटिन वाली बेडशीट ,... क्या पता आज रात किसी की किस्मत खुल जाए। "
मुस्कराते मैं बोली और फ्रेश होने बाथरूम चली गयी।
लौट के आयी तो सब कुछ एकदम टँच।
वो खड़े मेरी ओर देख रहे थे जैसे अप्रूवल का इन्तजार कर रहे हों।
मैंने प्यार से उनके कढ़े बाल बिगाड़ दिए और मुस्कराने लगी।
ख़ुशी उनके चेहरे पर दौड़ गयी।
मैं खुले वार्डरोब की तरफ देख रही थी ,
" क्या पहनूँ ,क्या न पहनूँ " बस यही सोच रही थी , उहापोह में लेकिन उन्होंने रास्ता साफ़ कर दिया।
मैं बताता हूँ , और एक मेरा फेवरिट शलवार सूट निकाल के दे दिया
और जवाब में मैंने अपनी साडी ,ब्लाउज खोल के उनकी ओर उछाल दिया।
बड़े ध्यान से साडी तहा के उन्होंने वार्डरोब में रख दी , फिर ब्लाउज को भी।
और अब मेरे अंडरगारमेंट्स का नम्बर था , वो उन्होंने न सिर्फ कैच किया ,बल्कि सूँघा भी और चूमा भी ,
मैं तबतक शलवार पहन चुकी थी ,
और उनकी निगाहें मेरे उभारों पर ,
लालची कहीं के , मैंने हलके से बोला।
मैं उन्हें छेड़ने ,ललचाने का कोई मौका हाथ से जाने नहीं देना चाहती थी।
जब पी संग हो तो हर दिन होली है ,
मैंने धीरे धीरे अपने मस्त उभारों को सहलाया ,हलके से दबाया , फिर नीचे से उभारते हुए उन्हें ललचाया।
बिचारे जंगबहादुर की हालत खराब थी। एकदम तन्नाया , बौराया ,
और फिर मैंने अपने निपल्स फ्लिक कर दिए ,
बिचारे बढे मेरी ओर ,लेकिन मैं पीछे हट गयी।
" ना ना , अच्छा चल बस ज़रा सा , सिर्फ निपल , ... "
और उनकी जीभ मेरी निपल फ्लिक करने लगी।
मन सच पूछिये तो मेरा भी कर रहा था , उन्हें देख के। हैं भी वो ऐसे ,किसी भी लड़की की गीली हो जायेगी , तो बस
अब उन्हें तड़पाना छोड़ के मैंने खुद उनका सर पकड़ के अपने बूब्स उनके मुंह में ठूंस दिए।
नदीदे वो ,फिर तो एकदम पागल हो गए। जोर जोर से चूसने चुभलाने लगे।
मेरा एक हाथ आगे उनके रिप्ड जीन्स के ऊपर से उनके खूंटे को सहला रहा था तो दूसरा पीछे बबल बॉटम को ,
और एक झटके में उनकी जीन्स भी नीचे थी।
मोटा ७ इंच का खूँटा बाहर ,
कुछ तो था भी जबरदंग और कुछ मम्मी , मंजू की मिली जुली देसी दवाइयों के लेप का असर ,शिलाजीत ,अश्वगंधा ,शतावर और भी न जाने क्या क्या ,
एकदम पत्थर और मोटा भी खूब ,
मैं हलके हलके मुठिया रही थी और सोच रही मेरे जीजू लोगों से २० नहीं तो १९ भी नहीं है मेरे सैंया का।
और ऐसा नहीं हो कल खाली मेरे जीजू के हथियारों ने मस्ती की ,उनके इस दुष्ट मोटे लन्ड ने भी तो ,
दो बार झड़े थे वो भी ,
एक बार रीनू के मुंह में और
दूसरी बार क्या जबरदस्त टिट फक किया था।
सारी मलाई रीनू की चूंची पर ,
और वो भी तब जब रीनू की पांच दिन वाली छुट्टी चल रही थी ,
मुझसे बोल के गयी है ,आती हूँ लौट के न ,तो बस छूने नहीं दूंगी इसे ,
तुम अपने दोनों जीजू के साथ मस्ती करना और मैं अपने।
वैसे तो रीनू मुझसे कुछ महीने बड़ी थी लेकिन उसका मानना था की कोई जरूरी ही छोटी साली ही सब मस्ती करे , बड़ी क्यों नहीं।
और वैसे भी बचपन की शर्त के मुताबिक़ , जिसकी शादी पहले हो जाती उसका मर्द बाकी दोनों बहनो के साथ ,
लेकिन उस समय तो वो एकदम 'संस्कारी मुसभुडूक़ '
पर अब , ...और मेरी दो ऊँगली एक साथ उनके पिछवाड़े घुस गयी , कमल जीजू की मलाई अभी भी लबालब।
तब तक नीचे से हंकार आ गयी मेरी जेठानी की।
और मैंने जल्दी से तैयार होना शुरू कर दिया।
कुर्ता जो उन्होंने सेलेक्ट किया था , वो पहन लिया ,बिना ब्रा के।
और बटन भी सिर्फ एक बंद की।
मुझे देख के वो मुस्करा रहे थे और मैं भी कुछ सोच के ,
शलवार सूट ,
इस घर में इससे पहले मैं साडी के अलावा कुछ पहन ही नहीं सकती थी , वो साडी का पल्लू सर पर , बाल ज़रा भी नहीं दिखना चाहिए।
ब्लाउज भी एकदम बैकलेस या लो कट नहीं।
एक बार मेरी जेठानी ने मेरे वार्डरोब का इंस्पेक्शन कर लिया ( उनके और मेरी छोटी ननद के लिए ये बहुत कामन चीज थी ,नो सेन्स आफ प्राइवेसी )
और मैं अपने मायके से कुछ शलवार सूट लायी थी मेरे फेवरेट ,
मेरी जेठानी ने ऐसी नाक भौं सिकोड़ी की बस वार्डरोब से वो सीधे मेरे बॉक्स मैं और मैंने एक दिन भी इनके मायके में नहीं पहना।
और आज उन्ही जेठानी के पास न सिर्फ शलवार सूट में बल्कि कुरता एकदम मार्डन , टाइट और वो भी बिना ब्रा
उन्हें अगर अबतक न पता चला हो तो पता चल जाएगा , मुल्क में निजाम बदल गया है।
" हे तू भी तो चेंज कर ले , घर में भी यही दिन भर , ... " मैंने उनकी ओर इशारा किया ,
और उनके कपडे जमींन पर , और मैं वार्डरोब से उनके कपडे निकाल रही थी।
घर में कई काम मैं उनसे करवाने लगी थी थी ,पर कुछ कामों का हक़ अभी भी मैंने उन्हें नहीं दिया था ,
जैसे उनके कपडे निकाल के उन्हें देने का ,
जिस दिन वो आफिस जाते थे , उनके लिए लन्च बनाने का का , और भी उनसे जुड़े ढेर सारे काम ,
पिंक ट्रांसलूसेंट झलकउवा टी शर्ट ,
और एक मेश शियर बॉक्सर शार्ट ,
और आफ कोर्स नो अंडरगारमेंट्स फार हिम।
सब कुछ दिखता था ,और ' वो ' तो एकदम तंन्नाया खड़ा बौराया।
ऊपर से मैंने जोर से ' उसे ' मसल दिया ,
और उनका वो पकड़ के ही आलमोस्ट ड्रैग करते अपनी जेठानी और उनकी भौजाई के पास नीचे।
और सीन पर सबसे पहले मैं प्रकट हुयी ,
पहली पहली बार इनके मायके में शलवार सूट में , चुन्नी थी लेकिन गले से एकदम चिपकी ,
कुर्ते के ऊपर के बटन खुले और साफ़ था की अंदर ब्रा नहीं थी।
बिचारि मेरी जेठानी , वो कुछ कमेंट मारती इंस्ट्रक्शन इशू करती ,
कि उनके देवर मेरे पीछे पीछे ,
अपने झलकउवा गुलाबी स्लीवलेस शर्ट और मेश बॉक्सर शार्ट में।
मेरी जेठानी बिचारि , ऊपर की सांस ऊपर नीचे की सांस नीचे
बस उन्हें निहारती रह गयी।
" क्या देख रही है ऐसे अपने देवर को " मैंने छेड़ा।
" मसल्स " मुस्कराती वो बोली।
" ऊपर वाली या नीचे वाली " मैंने छेड़ा।
खूँटा उनका खड़ा मोटा , मेश बॉक्सर शार्ट में साफ़ साफ़ ,...
" दोनों " खिलखलाती वो बोलीं फिर मुझसे कहा ,
" चल कल मैं भाभी जी घर पर हैं नहीं देख पायी थी थी अभी रिपीट आने वाला होगा इसलिए तुझे बुला रही थी। "
जोरू का गुलाम या जे के जी
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जोरू का गुलाम भाग ७७
फूफी और उसकी बेटी से शादी.......Thriller वासना का भंवर .......Thriller हिसक.......मुझे लगी लगन लंड की.......बीबी की चाहत.......ऋतू दीदी.......साहस रोमांच और उत्तेजना के वो दिन!
- kunal
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जोरू का गुलाम भाग ७८
जोरू का गुलाम भाग ७८
"अरे एकदम मेरा भी कल छूट गया था , चलिए। " मैंने हामी भरी।
चाय चलेगी , जेठानी ने पूछा।
वो सोच रही थीं मैं जा के बनाउंगी , पर यहां तो पत्ते बदल गए थे।
मैंने उनकी ओर देखा और इशारा समझ के वो तुरंत बोले ,
" आप लोग लगाइये मैं अभी झट से चाय बना के लाता हूँ। " और किचेन की ओर मुड़ गए।
" अरे आपके देवर चाय बहुत अच्छी बनाते हैं , चलिए हम लोग सीरियल देखते हैं "
और हम दोनों टीवी के सामने बैठे थे।
" तुमने तो इसे एकदम बदल दिया। " जेठानी ने कुछ शिकायत कुछ कॉम्प्लिमेंट से कहा।
" अच्छे लगते हैं न न्यू लुक में। " मैंने उलटे सवाल दाग दिया।
पहली बाजी मेरे हाथ थी।
और वो थोड़ी देर में चाय ले के आ गए। और हम लोगों के साथ बैठ के सीरियल देखने लगे। मेरी जेठानी के बगल में।
चाय बहुत अच्छी थी और फुल टी सर्विस , दूध ,शुगर क्यूब्स अलग से ,
जान बूझ के मैं खूब झुक के चाय बना रही थी , और मेरे लो कट टाइट कुर्ते से सिर्फ गहराई और उभार ही नहीं कबूतर की चोंचे भी दिख रही थीं।
बिचारे वो असर तुरंत हुआ , ' वो ' एकदम टनटना कर खड़ा , फुफकारने लगा ,और चड्ढी का बंधन भी नहीं था।
मुस्कराती हुयी ,चाय की सिप लेके उनकी ओर देखती ,उनकी भाभी ने छेड़ा ,
" चाय तो सच में बहुत अच्छी है , कुछ टिप देनी पड़ेगी। "
" क्यों क्या टिप देंगी " मैं क्यों मौक़ा छोड़ती।
कुछ सोचते वो उन्ही से बोलीं ,
"उन्हह "... " ... वो मेरी छुटकी ननद , तेरी ममेरी बहन कैसी रहेगी , क्यों बोलो न। "
खिलखलाते मैं बोली ,
" नेकी और पूछ पूछ। अरे दी आपने तो इनकी मन की बात कह दी ,और वैसे भी इनका पुराना माल है , टिप्स में इनके बहन के टिट्स "
और साथ में जैसे गलती से मेरे लंबे नाख़ून बॉक्सर शार्ट में तने इनके बम्बू को छू गए , मैंने फिर उनकी ओर देख के पूछा ,
" क्यों है न तेरा पुराना माल। "
पहले की बात होती तो इत्ती सी बात पे वो बुरा मान जाते ,उठ के चले जाते। लेकिन आज वो मुस्करा रहे थे , हम लोगों की छेड़खानी का मजा ले रहे थे।
और अब जेठानी जी , आखिर उनकी एकलौती भौजाई थीं , मेरे साथ जुगलबंदी में शामिल हो गयीं। बोली ,
" अरे माल तो है ही इनका , बिचारि कितनी बेचैन रहती है , इनके लिए हरदम जांघों के बीच में खुजली मचती रहती है उसके , रोज पूछती रही है ,कब आएंगे भैया। "
" जाने दीजिये दीदी , इस बार ये भी छोड़ने वाले नहीं है , क्यों , ये भैय्या भी सैंया बनने के लिए बेताब हैं। रास्ते में दस बार बोल चुके हैं , क्यों होगी न चढ़ाई अबकी मेरी ननदी के ऊपर। "
और अबकी मेरा हाथ जान बूझ के इनके खूंटे को रगड़ गया।
पहले को जमाना होता तो बस ये मुझसे दस फीट दूर मेरी जेठानी के सामने बैठते। लेकिन इस समय मेरे और अपनी भाभी के बीच सैंडविच बने , और मेरी शरारतों का बजाय बुरा मानने के उनका हाथ भी मेरे कंधे पर आ गया।
उंगलिया मेरे उभारों से बस इंच भर दूर।
उनकी भाभी की आँखे भी अब खुल के इनके खूंटे पे , आखिर इनका खूँटा था भी इत्ता मस्त जबरदस्त।
" क्यों देवर जी , इरादा तो आपका यही लग रहा है , सच में छोड़ना मत , उस साली के चक्कर में पूरे शहर में बैगन और कैंडल के दाम बढ़ गए हैं। "
अब उनकी भाभी भी एकदम खुल के , और हम दोनों की छेड़ छाड़ का वो मजा ले रहे थे।
सीरियल के बीच में ब्रेक आ गया तो मैंने चैनेल चेंज कर के , एक अवार्ड शो लगा दिया।
एक अवार्ड शो लगा दिया। कोई स्टारलेट टाइप आइटम गर्ल अपने उभार को उभार उभार के नाच रहे थी।
" स्साली , क्या नाच रही है। " उनके मुंह से निकल गया।
ये भी इनके मायके में एक 'फर्स्ट टाइम ' था ,संस्कारी होने के नाते कोई हलकी फुलकी गाली भी उनके मुंह से निकल नहीं सकती।
बिचारी जेठानी जी, एकदम उनका मुंह तो खुला रह गया।
यही इफेक्ट तो मैं देखना चाहती थी।
" अरे क्यों नहीं साफ़ साफ़ कहते की कैसे जुबना उभार उभार के नाच रही है , रंडी की तरह। लेकिन हैं इसके छोटे छोटे। "मैं बोली
सच में उनकी निगाहें उस आइटम गर्ल के सीने पर ही चिपकी थीं।
" इतने छोटे भी नहीं है। " ध्यान से देखते वो बोले।
" अरे दी , अपनी उस ममेरी बहन की कच्ची अमिया से कम्पेयर कर के बोल रहे हैं। "
मैंने बातचीत में जेठानी जी को भी लपेटा।
" अब इनके माल के भी इतने छोटे नहीं है , बड़े हो गए हैं। " जेठानी जी क्यों मौक़ा चूकतीं।
" अरे तो क्या किसी से दबवाने मिजवाने लगी है ,क्या। "
अब डांस छोड़के वो भी हम लोगों की बात सुन रहे थे।
और मैंने अपनी दुनाली का मुंह उनकी ओर कर दिया ,
" देख ले , मैं कहती थी न। दबवाना मिजवाना शुरू ही कर दिया है अब किसी का घोंट भी लेगी , अबकी बिना सोचे निवान कर लो उसका। "
मैं उनसे बोली।
वापस सीरियल चालु हो गया था।
"अंगूरी भाभी मेरी सेकेण्ड फेवरिट भाभी है। "
अब वो बोले।
" और फर्स्ट , ... " उत्सुकता वश उनकी भाभी ने पूछ लिया।
" आप और कौन , ... " उन्होंने अपनी भौजाई से न सिर्फ बोला बल्कि अपना हाथ उनके कंधे पर भी रख दिया।
अब एक हाथ मेरे कंधे पर और दूसरा जेठानी जी के कंन्धे पर।
" बड़ा मक्खन लगाया जा रहा है , क्या बात है। "
प्यार से बिना उनका हाथ हटाये , उनकी भाभी ने उनके गाल पर एक चपत लगा दी।
" अरे एकदम बड़ी बात है , आखिर आप अपनी छुटकी ननद से इनका मिलना कराएंगी। इससे बड़ी बात क्या हो सकती है। "
मैंने जोड़ा।
डेढ़ घंटे बाद एक दूसरा सीरयल था।
जेठानी जी ने पूछा , पूड़ी सब्जी बना ले जल्दी हो जायेगी।
डेढ़ घंटे बाद एक दूसरा सीरयल था।
जेठानी जी ने पूछा , पूड़ी सब्जी बना ले जल्दी हो जायेगी।
एकदम भाभी वो बोले , और अब वो भी सीरयल देखने लगे थे , उसकी हीरोइन का नाम ले के बोले ,
" उसका पिछवाड़ा तो एकदम जबरदस्त है। "
जेठानी जी ने अब चौंकना बंद कर दिया था लेकिन बोली ,
" अच्छा तो तुझे अब पिछवाड़े का भी शौक लग गया है। "
" और क्या दी ,अगवाडे पिछवाड़े में क्या अंतर करना " जवाब मैंने दिया उनकी ओर से।
किचेन में वो हम लोगों के साथ थे , पूड़ी बेलते समय भी हम लोगो की छेड़छाड़ जारी थी , जेठानी जी बेल रही थीं और मैं छान रही थी।
' दीदी इनको भी कुछ काम पकड़ा दीजिये न खाली बैठे हैं। " मैंने उकसाया ,
" पूड़ी बेलने के लिए बोलूं क्या , ... "
और फिर मजाक का लेवल बढ़ाते हुए बेलन दिखा के उन्हें छेड़ा ,
" क्यों देवर जी कभी बेलन पकड़ा है ? "
" अरे दीदी , पकड़ा बोल रही हैं , ...इन्होंने छुआ है , सहलाया है ,पकड़ा है ,रगड़ा है , सब कुछ ,... " मैं अपने पिया की आँख में आँख डाल के बोल रही थी।
" सही कह रही है , तभी मैं कहूँ , बचपन से इत्ते चिकने ,बिना पकड़े , छुए ,रगड़े ,... कैसे बचे होंगे ,.. " अब दी भी मेरे लेवल पे।
और वो ऐसे शरमा रहे थे जैसे गौने की रात के बाद नयी दुल्हन से उसकी ननद जेठानी रात का राज खोद खोद के पूछ रही हों।
" सही है हर तरह का मजा लेना चाहिए , लेकिन बिचारि मेरी उस ननद को क्यों तड़पा रहे हो , ठोंक दो न ये खूँटा। " अब उनकी भाभी की निगाह खुल के उनके खूंटे पे ,
खाते समय भी वही मजाक छेड़छाड़
उन्होने बरतन उठाने की कोशिश की तो उनकी भाभी बोलीं ,
"घबड़ाओ मत कल से तुझसे सब काम करवाउंगी , अगर काम वाली नहीं आयी तो , ... "
" भाभी आज कल भी वही कलावती ही आती हैं न , ... " बात बदलने में माहिर वो ,उन्होंने बात बदलने की पूरी कोशिश की।
काम कलावती की माँ करती थी लेकिन कलावती शादी के पहले और शादी के बाद भी जब उसकी माँ नहीं आती थी तो आती थी। शादी के बाद भी उसका मरद कमाने पंजाब चला गया था , इसलिए ज्यादातर वो मायके में ही रहती थी।
उम्र में मुझसे तीन चार साल छोटी , १८ की , देह भी भरी भरी और रिश्ते में तो ननद लगती थी तो मजाक भी एकदम खुल के।
" अरे बड़ी याद आ रही है कलावती की कुछ चक्कर है क्या , हाँ सही कह रहे हो उसकी माँ कही बाहर गयी है वही आती है " जेठानी जी ने टेबल समेटते कहा।
बिचारे ,उन्होंने बात बदली और सीरयल लगा दिया।
और सीरियल देखते देखते उनके मुंह से मेरी जेठानी से बात करते करते निकल गया ,
" भाभी , इसका पिछवाड़ा कित्ता मस्त है। "
" अच्छा तो अब तुम पिछवाड़े पे भी नजर रखने लगे , और वैसे देवर जी , आपका भी पिछवाड़ा कम नहीं है। "
बिचारे गुलाल हो गए और मैं अब बात बदलने ,उन्हें बचाने के लिए आगे आ गयी।
" दी वैसे इनके माल का भी पिछवाड़ा भी कम नहीं है , एकदम ब्वाइश ,लौंडा मार्का। निहुरा के लेने लायक। "
मेरी जेठानी हंसने लगी और उन्हें चिढाते उनके गाल पे चिकोटी काटते बोलीं ,
" अरे इनसे पूछ न ये तो कबसे इसको ताड़ रहे हैं "
और निशाना उनकी ओर कर के पूछने लगी , " क्यों जब से हाईस्कूल में आयी या उसके भी पहले से। "
उनकी मुस्कराहट इस बात का सबूत थी की इनकी ममेरी बहन के बारे में बात में इनको भी मजा आ रहा है।
सीरियल ख़तम होते ही ये उठे और जम्हाई लेते , अंगड़ाई लेते बोले ,
" भाभी चलता हूँ , नींद आ रही है। "
" नींद आ रही है या कुछ और ,... " उनकी भौजाई ने छेड़ा।
" जो समझ लीजिये। " उन्होंने भी मुस्कराते हुए , उन्ही के अंदाज में जवाब दिया।
बाहर मौसम भी आशिकाना हो रहा था।
बादल उमड़ घुमड़ रहे थे , बीच बीच में बिजली चमक रही थी , रात में तेज बारिश के पूरे आसार थे ,और मैं इनका इशारा और इरादा दोनों समझ गयी थी।
मैं भी ऊपर अपने कमरे में चलने के लिए उठी लेकिन , ....
सैंडल पहनते समय मेरा पैर थोड़ा मुड़ गया।
तेज दर्द उठा ,रोकते रोकते भी मेरे मुंह से चीख निकल गयी।
एकदम कन्सर्न्ड होके वो घुटनों के बल जमीन पर बैठ गए और मेरा पैर अपनी गोद में लिया , और सहलाने लगे।
मोच तो नहीं आयी थी पर , ... दर्द हो रहा था।
सम्हाल के उन्होंने सैंडल उतार दी , पर मैं कनखियों से अपनी जेठानी जी को देख रही थी। दर्द के बावजूद मैं अपनी मुस्कान नहीं दबा पायी।
मेरी जेठानी चेहरे का एक्सप्रेशन , एनवी ,ऐंगर, कुढ़न , ...सब कुछ पल भर में एक साथ उनके चेहरे पर।
"अरे एकदम मेरा भी कल छूट गया था , चलिए। " मैंने हामी भरी।
चाय चलेगी , जेठानी ने पूछा।
वो सोच रही थीं मैं जा के बनाउंगी , पर यहां तो पत्ते बदल गए थे।
मैंने उनकी ओर देखा और इशारा समझ के वो तुरंत बोले ,
" आप लोग लगाइये मैं अभी झट से चाय बना के लाता हूँ। " और किचेन की ओर मुड़ गए।
" अरे आपके देवर चाय बहुत अच्छी बनाते हैं , चलिए हम लोग सीरियल देखते हैं "
और हम दोनों टीवी के सामने बैठे थे।
" तुमने तो इसे एकदम बदल दिया। " जेठानी ने कुछ शिकायत कुछ कॉम्प्लिमेंट से कहा।
" अच्छे लगते हैं न न्यू लुक में। " मैंने उलटे सवाल दाग दिया।
पहली बाजी मेरे हाथ थी।
और वो थोड़ी देर में चाय ले के आ गए। और हम लोगों के साथ बैठ के सीरियल देखने लगे। मेरी जेठानी के बगल में।
चाय बहुत अच्छी थी और फुल टी सर्विस , दूध ,शुगर क्यूब्स अलग से ,
जान बूझ के मैं खूब झुक के चाय बना रही थी , और मेरे लो कट टाइट कुर्ते से सिर्फ गहराई और उभार ही नहीं कबूतर की चोंचे भी दिख रही थीं।
बिचारे वो असर तुरंत हुआ , ' वो ' एकदम टनटना कर खड़ा , फुफकारने लगा ,और चड्ढी का बंधन भी नहीं था।
मुस्कराती हुयी ,चाय की सिप लेके उनकी ओर देखती ,उनकी भाभी ने छेड़ा ,
" चाय तो सच में बहुत अच्छी है , कुछ टिप देनी पड़ेगी। "
" क्यों क्या टिप देंगी " मैं क्यों मौक़ा छोड़ती।
कुछ सोचते वो उन्ही से बोलीं ,
"उन्हह "... " ... वो मेरी छुटकी ननद , तेरी ममेरी बहन कैसी रहेगी , क्यों बोलो न। "
खिलखलाते मैं बोली ,
" नेकी और पूछ पूछ। अरे दी आपने तो इनकी मन की बात कह दी ,और वैसे भी इनका पुराना माल है , टिप्स में इनके बहन के टिट्स "
और साथ में जैसे गलती से मेरे लंबे नाख़ून बॉक्सर शार्ट में तने इनके बम्बू को छू गए , मैंने फिर उनकी ओर देख के पूछा ,
" क्यों है न तेरा पुराना माल। "
पहले की बात होती तो इत्ती सी बात पे वो बुरा मान जाते ,उठ के चले जाते। लेकिन आज वो मुस्करा रहे थे , हम लोगों की छेड़खानी का मजा ले रहे थे।
और अब जेठानी जी , आखिर उनकी एकलौती भौजाई थीं , मेरे साथ जुगलबंदी में शामिल हो गयीं। बोली ,
" अरे माल तो है ही इनका , बिचारि कितनी बेचैन रहती है , इनके लिए हरदम जांघों के बीच में खुजली मचती रहती है उसके , रोज पूछती रही है ,कब आएंगे भैया। "
" जाने दीजिये दीदी , इस बार ये भी छोड़ने वाले नहीं है , क्यों , ये भैय्या भी सैंया बनने के लिए बेताब हैं। रास्ते में दस बार बोल चुके हैं , क्यों होगी न चढ़ाई अबकी मेरी ननदी के ऊपर। "
और अबकी मेरा हाथ जान बूझ के इनके खूंटे को रगड़ गया।
पहले को जमाना होता तो बस ये मुझसे दस फीट दूर मेरी जेठानी के सामने बैठते। लेकिन इस समय मेरे और अपनी भाभी के बीच सैंडविच बने , और मेरी शरारतों का बजाय बुरा मानने के उनका हाथ भी मेरे कंधे पर आ गया।
उंगलिया मेरे उभारों से बस इंच भर दूर।
उनकी भाभी की आँखे भी अब खुल के इनके खूंटे पे , आखिर इनका खूँटा था भी इत्ता मस्त जबरदस्त।
" क्यों देवर जी , इरादा तो आपका यही लग रहा है , सच में छोड़ना मत , उस साली के चक्कर में पूरे शहर में बैगन और कैंडल के दाम बढ़ गए हैं। "
अब उनकी भाभी भी एकदम खुल के , और हम दोनों की छेड़ छाड़ का वो मजा ले रहे थे।
सीरियल के बीच में ब्रेक आ गया तो मैंने चैनेल चेंज कर के , एक अवार्ड शो लगा दिया।
एक अवार्ड शो लगा दिया। कोई स्टारलेट टाइप आइटम गर्ल अपने उभार को उभार उभार के नाच रहे थी।
" स्साली , क्या नाच रही है। " उनके मुंह से निकल गया।
ये भी इनके मायके में एक 'फर्स्ट टाइम ' था ,संस्कारी होने के नाते कोई हलकी फुलकी गाली भी उनके मुंह से निकल नहीं सकती।
बिचारी जेठानी जी, एकदम उनका मुंह तो खुला रह गया।
यही इफेक्ट तो मैं देखना चाहती थी।
" अरे क्यों नहीं साफ़ साफ़ कहते की कैसे जुबना उभार उभार के नाच रही है , रंडी की तरह। लेकिन हैं इसके छोटे छोटे। "मैं बोली
सच में उनकी निगाहें उस आइटम गर्ल के सीने पर ही चिपकी थीं।
" इतने छोटे भी नहीं है। " ध्यान से देखते वो बोले।
" अरे दी , अपनी उस ममेरी बहन की कच्ची अमिया से कम्पेयर कर के बोल रहे हैं। "
मैंने बातचीत में जेठानी जी को भी लपेटा।
" अब इनके माल के भी इतने छोटे नहीं है , बड़े हो गए हैं। " जेठानी जी क्यों मौक़ा चूकतीं।
" अरे तो क्या किसी से दबवाने मिजवाने लगी है ,क्या। "
अब डांस छोड़के वो भी हम लोगों की बात सुन रहे थे।
और मैंने अपनी दुनाली का मुंह उनकी ओर कर दिया ,
" देख ले , मैं कहती थी न। दबवाना मिजवाना शुरू ही कर दिया है अब किसी का घोंट भी लेगी , अबकी बिना सोचे निवान कर लो उसका। "
मैं उनसे बोली।
वापस सीरियल चालु हो गया था।
"अंगूरी भाभी मेरी सेकेण्ड फेवरिट भाभी है। "
अब वो बोले।
" और फर्स्ट , ... " उत्सुकता वश उनकी भाभी ने पूछ लिया।
" आप और कौन , ... " उन्होंने अपनी भौजाई से न सिर्फ बोला बल्कि अपना हाथ उनके कंधे पर भी रख दिया।
अब एक हाथ मेरे कंधे पर और दूसरा जेठानी जी के कंन्धे पर।
" बड़ा मक्खन लगाया जा रहा है , क्या बात है। "
प्यार से बिना उनका हाथ हटाये , उनकी भाभी ने उनके गाल पर एक चपत लगा दी।
" अरे एकदम बड़ी बात है , आखिर आप अपनी छुटकी ननद से इनका मिलना कराएंगी। इससे बड़ी बात क्या हो सकती है। "
मैंने जोड़ा।
डेढ़ घंटे बाद एक दूसरा सीरयल था।
जेठानी जी ने पूछा , पूड़ी सब्जी बना ले जल्दी हो जायेगी।
डेढ़ घंटे बाद एक दूसरा सीरयल था।
जेठानी जी ने पूछा , पूड़ी सब्जी बना ले जल्दी हो जायेगी।
एकदम भाभी वो बोले , और अब वो भी सीरयल देखने लगे थे , उसकी हीरोइन का नाम ले के बोले ,
" उसका पिछवाड़ा तो एकदम जबरदस्त है। "
जेठानी जी ने अब चौंकना बंद कर दिया था लेकिन बोली ,
" अच्छा तो तुझे अब पिछवाड़े का भी शौक लग गया है। "
" और क्या दी ,अगवाडे पिछवाड़े में क्या अंतर करना " जवाब मैंने दिया उनकी ओर से।
किचेन में वो हम लोगों के साथ थे , पूड़ी बेलते समय भी हम लोगो की छेड़छाड़ जारी थी , जेठानी जी बेल रही थीं और मैं छान रही थी।
' दीदी इनको भी कुछ काम पकड़ा दीजिये न खाली बैठे हैं। " मैंने उकसाया ,
" पूड़ी बेलने के लिए बोलूं क्या , ... "
और फिर मजाक का लेवल बढ़ाते हुए बेलन दिखा के उन्हें छेड़ा ,
" क्यों देवर जी कभी बेलन पकड़ा है ? "
" अरे दीदी , पकड़ा बोल रही हैं , ...इन्होंने छुआ है , सहलाया है ,पकड़ा है ,रगड़ा है , सब कुछ ,... " मैं अपने पिया की आँख में आँख डाल के बोल रही थी।
" सही कह रही है , तभी मैं कहूँ , बचपन से इत्ते चिकने ,बिना पकड़े , छुए ,रगड़े ,... कैसे बचे होंगे ,.. " अब दी भी मेरे लेवल पे।
और वो ऐसे शरमा रहे थे जैसे गौने की रात के बाद नयी दुल्हन से उसकी ननद जेठानी रात का राज खोद खोद के पूछ रही हों।
" सही है हर तरह का मजा लेना चाहिए , लेकिन बिचारि मेरी उस ननद को क्यों तड़पा रहे हो , ठोंक दो न ये खूँटा। " अब उनकी भाभी की निगाह खुल के उनके खूंटे पे ,
खाते समय भी वही मजाक छेड़छाड़
उन्होने बरतन उठाने की कोशिश की तो उनकी भाभी बोलीं ,
"घबड़ाओ मत कल से तुझसे सब काम करवाउंगी , अगर काम वाली नहीं आयी तो , ... "
" भाभी आज कल भी वही कलावती ही आती हैं न , ... " बात बदलने में माहिर वो ,उन्होंने बात बदलने की पूरी कोशिश की।
काम कलावती की माँ करती थी लेकिन कलावती शादी के पहले और शादी के बाद भी जब उसकी माँ नहीं आती थी तो आती थी। शादी के बाद भी उसका मरद कमाने पंजाब चला गया था , इसलिए ज्यादातर वो मायके में ही रहती थी।
उम्र में मुझसे तीन चार साल छोटी , १८ की , देह भी भरी भरी और रिश्ते में तो ननद लगती थी तो मजाक भी एकदम खुल के।
" अरे बड़ी याद आ रही है कलावती की कुछ चक्कर है क्या , हाँ सही कह रहे हो उसकी माँ कही बाहर गयी है वही आती है " जेठानी जी ने टेबल समेटते कहा।
बिचारे ,उन्होंने बात बदली और सीरयल लगा दिया।
और सीरियल देखते देखते उनके मुंह से मेरी जेठानी से बात करते करते निकल गया ,
" भाभी , इसका पिछवाड़ा कित्ता मस्त है। "
" अच्छा तो अब तुम पिछवाड़े पे भी नजर रखने लगे , और वैसे देवर जी , आपका भी पिछवाड़ा कम नहीं है। "
बिचारे गुलाल हो गए और मैं अब बात बदलने ,उन्हें बचाने के लिए आगे आ गयी।
" दी वैसे इनके माल का भी पिछवाड़ा भी कम नहीं है , एकदम ब्वाइश ,लौंडा मार्का। निहुरा के लेने लायक। "
मेरी जेठानी हंसने लगी और उन्हें चिढाते उनके गाल पे चिकोटी काटते बोलीं ,
" अरे इनसे पूछ न ये तो कबसे इसको ताड़ रहे हैं "
और निशाना उनकी ओर कर के पूछने लगी , " क्यों जब से हाईस्कूल में आयी या उसके भी पहले से। "
उनकी मुस्कराहट इस बात का सबूत थी की इनकी ममेरी बहन के बारे में बात में इनको भी मजा आ रहा है।
सीरियल ख़तम होते ही ये उठे और जम्हाई लेते , अंगड़ाई लेते बोले ,
" भाभी चलता हूँ , नींद आ रही है। "
" नींद आ रही है या कुछ और ,... " उनकी भौजाई ने छेड़ा।
" जो समझ लीजिये। " उन्होंने भी मुस्कराते हुए , उन्ही के अंदाज में जवाब दिया।
बाहर मौसम भी आशिकाना हो रहा था।
बादल उमड़ घुमड़ रहे थे , बीच बीच में बिजली चमक रही थी , रात में तेज बारिश के पूरे आसार थे ,और मैं इनका इशारा और इरादा दोनों समझ गयी थी।
मैं भी ऊपर अपने कमरे में चलने के लिए उठी लेकिन , ....
सैंडल पहनते समय मेरा पैर थोड़ा मुड़ गया।
तेज दर्द उठा ,रोकते रोकते भी मेरे मुंह से चीख निकल गयी।
एकदम कन्सर्न्ड होके वो घुटनों के बल जमीन पर बैठ गए और मेरा पैर अपनी गोद में लिया , और सहलाने लगे।
मोच तो नहीं आयी थी पर , ... दर्द हो रहा था।
सम्हाल के उन्होंने सैंडल उतार दी , पर मैं कनखियों से अपनी जेठानी जी को देख रही थी। दर्द के बावजूद मैं अपनी मुस्कान नहीं दबा पायी।
मेरी जेठानी चेहरे का एक्सप्रेशन , एनवी ,ऐंगर, कुढ़न , ...सब कुछ पल भर में एक साथ उनके चेहरे पर।
फूफी और उसकी बेटी से शादी.......Thriller वासना का भंवर .......Thriller हिसक.......मुझे लगी लगन लंड की.......बीबी की चाहत.......ऋतू दीदी.......साहस रोमांच और उत्तेजना के वो दिन!
- kunal
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Re: जोरू का गुलाम या जे के जी
मेरी जेठानी चेहरे का एक्सप्रेशन , एनवी ,ऐंगर, कुढ़न , ...सब कुछ पल भर में एक साथ उनके चेहरे पर।
…………………………………..
और मैं एक बार फार यादों की सीढी पर चढ़ के वापस फ्लैश बैक में ,...
एक बार उठते समय अनजाने में मेरे पाँव इनके टखनों से छू गए , और यही मेरी जेठानी ,
इत्ती जोर की मुझे डांट पड़ी , घुडक के बोलीं ,
" क्या करती हो , अरे सपने में भी पति को पैर से नहीं छूना चाहिए , सीधे नरक में जाती है औरत जो गलती से भी अपने पति को पैर से ,... "
नरक का तो पता नहीं लेकिन इस समय जिस तरह से वो मेरे पैर छू रहे थे ,सहला रहे थे , आई वाज जस्ट फ़ीलिंग हैवनली।
और मेरी जेठानी कुलबुला रही थीं , अनईजी महसूस कर रही थीं।
कर रही थीं तो करे, मेरे पैर शान से इनके गोद में , ... मेरा पति मैं चाहे जो कुछ करूँ उसके साथ।
उनकी उंगलिया ,हल्के हलके मेरे तलुवे सहला रही थीं।
अंगूठे से धीरे धीरे जहां दर्द हो रहा था उसे वो दबा रहे थे और चेहरा उनका मेरे चेहरे की ओर ,
जैसे कोई चकोर चाँद को देखता है ,
" दर्द ,... कुछ,... " कंसर्ड टोन में उन्होंने पूछा।
" हाँ कम हुआ है लेकिन कोई क्रीम वीम , तो शायद ज्यादा ,... "
मैं अब एक स्टूल पर बैठी थी। और मेरी बात पूरी होने के पहले ही वो उठ कर किचेन में
और थोड़ी देर में कटोरी में थोड़ा सा कडुवा तेल , हल्का गुनगुना और उसमे हल्दी लहुसन और न जाने क्या क्या ,...
मम्मी ने सच में उन्हें बहुत अच्छे से ट्रेन किया था ,एकदम मालिश वाला बना दिया था।
दो उँगलियों में तेल लगा के पहले तो उन्होंने हलके हलके मेरे तलुवों पे ,
मैं स्टूल पर वैठी थी और वो जमींन पर , मेरे पैर उनकी गोद में।
पहले तो उन्होंने हलके हलके बहुत सेंसुअस तरीके से मेरे पैर को अपने घुटने पर रख के सहलाया। फिर उनकी जादू भरी उंगलीयाँ ,
उफ़ मैं बता नहीं सकती ,
कैसे पहले हलके हलके उन्होंने मेरी एड़ी को टैप किया , अपनी उँगलियों के नकल्स से उसे धीमे धीमे दबाया और फिर फिर धीमे धीमे प्रेशर बढ़ता गया। अंगूठे और तर्जनी के बीच कभी एड़ी को वो दबाते तो कभी कभी मुट्ठी सी बना के मेरी एड़ी पे प्रेशर बढ़ा के , ..
.दर्द तो कब का काफूर हो गया।
बीच बीच में उनकी उँगलियाँ मेरे गाढ़े लाल महावर लगे पैरों पर इस तरह फिसलती थीं जैसे वो फिर से महावर लगा रहे हों।
और अब तलुवों को सहलाते हलके हलके प्रेशर से , ... मैं एकदम ,... इत्ता अच्छा लग रहा था की ,
लग रहा था की जहाँ वो दबा रहे हैं वहां से सीधे कोई नर्व मेरे निपल्स पे , मेरे बूब्स पे , .... मेरे गदराये बूब्स एकदम पथरा गए थे।
निपल्स भी खूब कड़े मस्त ,
और ब्रा का पहरा तो वैसे भी उन पर नहीं था ( आज उनके मायके में न सिर्फ पहली बार मैं शलवार सूट पहनी थी बल्कि पहली बार ब्रा लेस भी बेडरूम के बाहर आयी थी ), एक अजब सी एरोटिक सनसनाहट मेरी देह में दौड़ रही थी ,
लेकिन वो लड़का न जिसे मैं बहुत प्यार करती हूँ , बहुत प्यार करती हूँ , बहुत दुष्ट है ,एकदम बदमाश , लोफर।
उसने एक बार ज़रा सा आंखे ऊपर की और मेरे जुबना का हाल देख , उसकी उँगलियों ने शरारते और बढ़ा दीं। उनके दोनों हाथ एक साथ ,
अंगूठे से वो मेरे ऐंकल पर प्रेशर बढ़ा रहे थे , अपनी हथेली के बेस से मेरे तलवे को रगड़ रगड़ के सहला रहे थे और उनके झुकने से कभी कभी मेरे पैर के अंगूठे ,उँगलियाँ उन गालों पर अनजाने छू जा रही थीं।
उस लड़के को मेरी देह के एक एक पोर का पता था , कहाँ दबाने से क्या होता है , और अब वह पूरी तरह से,....
और ,... और ,... मैं अब हवा में उड़ रही थी। वो नसे जो मेरे बूब्स को पागल कर दे रही थी , अब मेरी सोनचिरैया भी फुदकने लगी थी ,फड़फड़ाने लगी थी।
मैंने अपने को अब पूरी तरह से उनके ऊपर छोड़ दिया था , जो करना हो करे , मायका उनका , मैं उनकी ,मर्जी उनकी।
लेकिन जादू मेरा भी कम नहीं था ,
मेरे पैरों का ,
मेरे गोरे गुलाबी पैर , मखमली तलवे , पैरों में लगा गाढ़ा लाल रंग का महावर , पैरों की हर उँगलियों में उन्हें छेडते बिछुए और गुनगुनाती ,खिलखिलाती चांदी की हजार घघरूओं वाली पायलिया , छम छम करती।
और वो तो इन पैरों के दीवाने थे ,
मसाज करते भी उनकी आँखे बार बार बार कभी मेरे रेड स्कारलेट पेंटेड मेरे पैरों के अंगूठों ,उँगलियों पे तो कभी महावर रचे तलुओं पे ,
और जब उनकी आँख मेरी आँखों से मिली , मिन्नत करती , मनाती
तो मेरी हंसती गाती आँखे मान गयीं , जैसे साथ साथ अंगूठे और उँगलियों को हिला के , बिछुओं की रुम झूम से मैंने सहमति दे दी।
बस अगले ही पल उनके नदीदे शरारती होंठ मेरे पैर के अंगूठे पे पहले उनके होंठों का मेरे पैर के अंगूठे पर हलके से टच ,फिर ,...
फिर लिक ,जस्ट स्लो एंड लिंगरिंग
और फिर , एकदम खुल्लमखुला किस ,
और फिर मैंने वो सीन देखा जिसे देखने के लिए मेरी आँखे तड़प रही थीं। मेरा मन तरस रहा था न जाने कबसे ,
मेरी जेठानी दरवाजे पर खड़ी , न उनसे देखा जा रहा था न हटा जा रहा था।
" आइये न दीदी , अभी तो हम लोग ऊपर जा ही रहे हैं ,आपके देवर को बहुत निन्नी आ रही है ,लगता है सपने में अपने माल से मिलने की जल्दी है। "
मैंने बुलाया , वो आयीं लेकिन जल्दी से जाने के लिए उनसे देखा नहीं जा रहा था।
पर मैं भी , मम्मी की बेटी ,उनका हाथ मैंने कस के पकड़ लिया , और चिढाया ,
" अरे आपको क्यों नींद आ रही है ,कल तो जेठ जी भी नहीं थे रतजगा करवाने के लिए , या फिर आपने भी कोई यार वार , .... "
" तू भी न , अरे जाने के पहले उनका एडवांस ओवरटाइम जो चल रहा था एक हफ्ते से ,... " बात मेरी जेठानी मुझसे थी
लेकिन आँखे उनकी बार बार न देखने की कोशिश करते हुए भी ,मेरे पैरों और उनके होंठों को देख रहा था ,
और मुझे याद आ रहा था ,
…………………………………..
और मैं एक बार फार यादों की सीढी पर चढ़ के वापस फ्लैश बैक में ,...
एक बार उठते समय अनजाने में मेरे पाँव इनके टखनों से छू गए , और यही मेरी जेठानी ,
इत्ती जोर की मुझे डांट पड़ी , घुडक के बोलीं ,
" क्या करती हो , अरे सपने में भी पति को पैर से नहीं छूना चाहिए , सीधे नरक में जाती है औरत जो गलती से भी अपने पति को पैर से ,... "
नरक का तो पता नहीं लेकिन इस समय जिस तरह से वो मेरे पैर छू रहे थे ,सहला रहे थे , आई वाज जस्ट फ़ीलिंग हैवनली।
और मेरी जेठानी कुलबुला रही थीं , अनईजी महसूस कर रही थीं।
कर रही थीं तो करे, मेरे पैर शान से इनके गोद में , ... मेरा पति मैं चाहे जो कुछ करूँ उसके साथ।
उनकी उंगलिया ,हल्के हलके मेरे तलुवे सहला रही थीं।
अंगूठे से धीरे धीरे जहां दर्द हो रहा था उसे वो दबा रहे थे और चेहरा उनका मेरे चेहरे की ओर ,
जैसे कोई चकोर चाँद को देखता है ,
" दर्द ,... कुछ,... " कंसर्ड टोन में उन्होंने पूछा।
" हाँ कम हुआ है लेकिन कोई क्रीम वीम , तो शायद ज्यादा ,... "
मैं अब एक स्टूल पर बैठी थी। और मेरी बात पूरी होने के पहले ही वो उठ कर किचेन में
और थोड़ी देर में कटोरी में थोड़ा सा कडुवा तेल , हल्का गुनगुना और उसमे हल्दी लहुसन और न जाने क्या क्या ,...
मम्मी ने सच में उन्हें बहुत अच्छे से ट्रेन किया था ,एकदम मालिश वाला बना दिया था।
दो उँगलियों में तेल लगा के पहले तो उन्होंने हलके हलके मेरे तलुवों पे ,
मैं स्टूल पर वैठी थी और वो जमींन पर , मेरे पैर उनकी गोद में।
पहले तो उन्होंने हलके हलके बहुत सेंसुअस तरीके से मेरे पैर को अपने घुटने पर रख के सहलाया। फिर उनकी जादू भरी उंगलीयाँ ,
उफ़ मैं बता नहीं सकती ,
कैसे पहले हलके हलके उन्होंने मेरी एड़ी को टैप किया , अपनी उँगलियों के नकल्स से उसे धीमे धीमे दबाया और फिर फिर धीमे धीमे प्रेशर बढ़ता गया। अंगूठे और तर्जनी के बीच कभी एड़ी को वो दबाते तो कभी कभी मुट्ठी सी बना के मेरी एड़ी पे प्रेशर बढ़ा के , ..
.दर्द तो कब का काफूर हो गया।
बीच बीच में उनकी उँगलियाँ मेरे गाढ़े लाल महावर लगे पैरों पर इस तरह फिसलती थीं जैसे वो फिर से महावर लगा रहे हों।
और अब तलुवों को सहलाते हलके हलके प्रेशर से , ... मैं एकदम ,... इत्ता अच्छा लग रहा था की ,
लग रहा था की जहाँ वो दबा रहे हैं वहां से सीधे कोई नर्व मेरे निपल्स पे , मेरे बूब्स पे , .... मेरे गदराये बूब्स एकदम पथरा गए थे।
निपल्स भी खूब कड़े मस्त ,
और ब्रा का पहरा तो वैसे भी उन पर नहीं था ( आज उनके मायके में न सिर्फ पहली बार मैं शलवार सूट पहनी थी बल्कि पहली बार ब्रा लेस भी बेडरूम के बाहर आयी थी ), एक अजब सी एरोटिक सनसनाहट मेरी देह में दौड़ रही थी ,
लेकिन वो लड़का न जिसे मैं बहुत प्यार करती हूँ , बहुत प्यार करती हूँ , बहुत दुष्ट है ,एकदम बदमाश , लोफर।
उसने एक बार ज़रा सा आंखे ऊपर की और मेरे जुबना का हाल देख , उसकी उँगलियों ने शरारते और बढ़ा दीं। उनके दोनों हाथ एक साथ ,
अंगूठे से वो मेरे ऐंकल पर प्रेशर बढ़ा रहे थे , अपनी हथेली के बेस से मेरे तलवे को रगड़ रगड़ के सहला रहे थे और उनके झुकने से कभी कभी मेरे पैर के अंगूठे ,उँगलियाँ उन गालों पर अनजाने छू जा रही थीं।
उस लड़के को मेरी देह के एक एक पोर का पता था , कहाँ दबाने से क्या होता है , और अब वह पूरी तरह से,....
और ,... और ,... मैं अब हवा में उड़ रही थी। वो नसे जो मेरे बूब्स को पागल कर दे रही थी , अब मेरी सोनचिरैया भी फुदकने लगी थी ,फड़फड़ाने लगी थी।
मैंने अपने को अब पूरी तरह से उनके ऊपर छोड़ दिया था , जो करना हो करे , मायका उनका , मैं उनकी ,मर्जी उनकी।
लेकिन जादू मेरा भी कम नहीं था ,
मेरे पैरों का ,
मेरे गोरे गुलाबी पैर , मखमली तलवे , पैरों में लगा गाढ़ा लाल रंग का महावर , पैरों की हर उँगलियों में उन्हें छेडते बिछुए और गुनगुनाती ,खिलखिलाती चांदी की हजार घघरूओं वाली पायलिया , छम छम करती।
और वो तो इन पैरों के दीवाने थे ,
मसाज करते भी उनकी आँखे बार बार बार कभी मेरे रेड स्कारलेट पेंटेड मेरे पैरों के अंगूठों ,उँगलियों पे तो कभी महावर रचे तलुओं पे ,
और जब उनकी आँख मेरी आँखों से मिली , मिन्नत करती , मनाती
तो मेरी हंसती गाती आँखे मान गयीं , जैसे साथ साथ अंगूठे और उँगलियों को हिला के , बिछुओं की रुम झूम से मैंने सहमति दे दी।
बस अगले ही पल उनके नदीदे शरारती होंठ मेरे पैर के अंगूठे पे पहले उनके होंठों का मेरे पैर के अंगूठे पर हलके से टच ,फिर ,...
फिर लिक ,जस्ट स्लो एंड लिंगरिंग
और फिर , एकदम खुल्लमखुला किस ,
और फिर मैंने वो सीन देखा जिसे देखने के लिए मेरी आँखे तड़प रही थीं। मेरा मन तरस रहा था न जाने कबसे ,
मेरी जेठानी दरवाजे पर खड़ी , न उनसे देखा जा रहा था न हटा जा रहा था।
" आइये न दीदी , अभी तो हम लोग ऊपर जा ही रहे हैं ,आपके देवर को बहुत निन्नी आ रही है ,लगता है सपने में अपने माल से मिलने की जल्दी है। "
मैंने बुलाया , वो आयीं लेकिन जल्दी से जाने के लिए उनसे देखा नहीं जा रहा था।
पर मैं भी , मम्मी की बेटी ,उनका हाथ मैंने कस के पकड़ लिया , और चिढाया ,
" अरे आपको क्यों नींद आ रही है ,कल तो जेठ जी भी नहीं थे रतजगा करवाने के लिए , या फिर आपने भी कोई यार वार , .... "
" तू भी न , अरे जाने के पहले उनका एडवांस ओवरटाइम जो चल रहा था एक हफ्ते से ,... " बात मेरी जेठानी मुझसे थी
लेकिन आँखे उनकी बार बार न देखने की कोशिश करते हुए भी ,मेरे पैरों और उनके होंठों को देख रहा था ,
और मुझे याद आ रहा था ,
फूफी और उसकी बेटी से शादी.......Thriller वासना का भंवर .......Thriller हिसक.......मुझे लगी लगन लंड की.......बीबी की चाहत.......ऋतू दीदी.......साहस रोमांच और उत्तेजना के वो दिन!
- kunal
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Re: जोरू का गुलाम या जे के जी
एक्जैक्टली यही जगह ,पक्का यही जगह थी ,मेरी शादी के ४-५ महीने हो चुके थे , हम सभी थे , मैं, ये उनकी वो माल काम ममेरी बहन ,मेरी सासु ,इनकी बुआ और मोहल्ले की कुछ बड़ी बूढी टाइप सास के रिश्ते वाली औरतें ,
ये उठे और अनजाने में मेरा पैर उनके पैर से छू गया ,
बस कहर बरपा हो गया , पहले तो उनकी बुआ बरसीं ,
" अरी बहू ज़रा देख समझ के , पति को पैर से छूने पे पक्का नरक मिलता है कोई प्रायश्चित नहीं , बिल्ली मारने से भी बढ़कर "
फिर पड़ोस की एक सास टाइप औरत ,
" अरे ई आजकल की मेहरारू ,... "
मैंने बचाव के लिए अपनी जेठानी की ओर देखा और फुसफुसाया ,
" और जो ये रात भर पैर कंधे पर रखे रहते हैं उसका क्या , तब नहीं पैर,... "
मैंने बात तो बहुत धीमे से खाली अपनी जेठानी के लिए ,मजाक में कही थी पर वो एकदम आग बबूला ,
और वो भी बहुत जोर की आवाज में ,
" कैसे बोलती हो सबके सामने , अरे सही तो कह रही हैं बुआ , "
और उनकी बात पीछे से सुपाड़ी काटती किसी औरत ने काटी ,बोली
" ई पढ़ी लिखी औरतें ,पता नहीं महतारी कुछ ससुरे के गुण ढंग सिखाय के भेजले हाउ की की ना "
बहुत मुश्किल से मैंने , ...
और आज उन्ही जेठानी के सामने वो मेरे पैर की उंगलियां ,तलुवा लिक कर रहे थे ,किस कर रहे थे।
उनका मुंह थोड़ा सा खुला और मैंने अपने एक पैर का पूरा पंजा ,पांचो उंगलियां ,... ये प्रक्टिस मम्मी का नतीजा थीं. पूरा पंजा। .
कहती थी मम्मी उनसे , अरे इस प्रक्टिस से मोटा से मोटा,...
" अरे आओ न जरा अपनी भौजाई के बगल में तो बैठो , "
मैंने मुस्करा के उनसे कहा लेकिन साथ में जिस पैर में मैंने सैंडल पहन रखी थी उसे जरा सा हिला दिया ,
उस पैर की चांदी की हजार घुंघरुओं वाली पायल ,,बिछुए रुनझुन रुनझुन कर उठे ,
और मेरा इशारा समझ के हम लोगों के पास आने के पहले , एक हलका सा ही लेकिन साफ़ साफ़ दिखे ,ऐसा किस मेरी सैंडल के सोल पे।
कैसे देख पा रही होंगी बिचारी ये सीन
लेकिन एक चीज एकदम साफ़ थी ,शीशे की तरह
मेरा पति मेरा है ,सिर्फ मेरा। चाहे उसका मायका हो या ,... या उसकी मायकेवालियां उसके सामने बैठी हों।
मेरा ३४ सी साइज का सीना ५६ इंच का हो गया।
और वो आके अपनी भौजाई के बगल में बैठ गए , मैंने जेठानी जी को छोड़ा ,
" अरे दीदी दबवा लीजिये न , आपके देवर पैर वैर बहुत अच्छा दबाते हैं /" मैने छेड़ा।
" नहीं तुम्ही दबवाओ, तुम्हे मुबारक। मेरे पैर में कोई दर्द नहीं हो रहा , " झुंझला के वो बोलीं।
" अरे दीदी तो कुछ और दबवा लीजिये ,आज तो जेठ जी भी नहीं है। "
थोड़ा सा मूड ठीक करते वो भी मजाक के मूड में आ गयी ,
दो चीजों पर मैं और मेरी जेठानी दोनों झट से एकमत हो जाते थे , एक तो उनकी ममेरी बहन और हम दोनों की एकलौती ननद और
दूसरी हम दोनों की सास।
जेठानी जी उन्हें छेड़ते बोली ,
" अरे वो आएगी न कल , इनका माल , दबवाने के लिए ,दबाना मन भर के। "
मैंने लेकिन मोर्चा बदल दिया।
" इनकी माँ का कोई फोन वोन आया या फिर वहां पंडो दबवाने मिजवाने में ही ,... "
मेरी बात काट के खिलखिलाती मेरी जेठानी बोली ,
" अरे बिचारे पंडों की क्या गलती , वो खुद ही धक्का मारती रगड़वाती ,.. "
और अबकी बात काटने की बारी मेरी थी , मैंने उन्ही से पूछा ,
" क्यों तुम्हारी भौजी सही कह रही हैं न , खूब दबवाती मिजवाती हैं न लेकिन अभी है भी उनका कितना कड़क बड़ा बड़ा ,दबाने मीजने के लायक। "
जेठानी जी ने जुम्हाई ली तो हम दोनों ने इशारा समझ लिया और हम दोनों भी ऊपर अपने कमरे की ओर ,
सीढ़ी चढ़ते हुए इनके बॉक्सर शार्ट्स में , इनके पिछवाड़े की दरार में ऊँगली करते ,रगड़ते हलके से मैं बोली
चल मादरचोद ऊपर।
पता नहीं मेरी जेठानी ने सुना तो नहीं,
सुना हो तो सुना हो।
ये इनकी अपने मायके में, पहली रात थी अपने नए रूप में।
और क्या रात थी वो ,सावन अपने पूरे जोबन पे।
काली काली घटाएं घिरी हुयी थीं , हलकी पुरवाई चल रही थी ,भीगी भीगी सी बस लगा रहा था की कि कहीं आसपास पानी बरसा हो ,
मिटटी की सोंधी सोंधी महक हवा में घुली हुयी ,
कमरे में पहुँच के बजाय दरवाजा बंद करने के मैंने खिड़की भी खोल दी , और बाहर आम का बड़ा पेड़ झूम झूम के , जैसे कजरी गा रहा हो ,
इससे पहले रात में इस कमरे की खिड़की दरवाजे कभी नहीं खुलते थे ,
( कहीं कोई देख ले तो , कोई क्या कहेगा , सेक्स के साथ जुडी गिल्ट फ़ीलिंग , हर चीज एक घुटन के साथ जुडी , छुपी सहमी )
और मैंने अपना कुर्ता उतार के उनकी ओर उछाल दिया , वो उसे तहियाने में लगे थे की मैं उनके पास ,और नीचे झुक के उनकी बॉक्सर शार्ट ,
सररर ,नीचे , वो नंगे।
जोरू का गुलाम भाग ८०
लेकिन अब वो भी तो , उन्होंने भी मेरे शलवार का नाडा खींच दिया और शलवार उनके हाथ में
अंडर गारमेंट्स न उन्होंने पहने थे न मैंने।
वो कपडे तह कर के रख रहे थे और मैं निसुती खिड़की के पास ,
खुली खिड़की से आती सावन की गीली गीली हवा का मजा लेती
( ये भी पहली बार था इस कमरे में , सेक्स तो हम लोग बिना नागा करते थे और खूब मजे ले ले कर लेकिन ,
उनका बस चले तो बस ज़िप खोल के काम चला लेते , और ज्यादातर कपडे तभी उतरते जब हम दोनों चद्दर के अंदर होते ,लेकिन अब )
सावन की एक मोटी सी बूँद मेरे चेहरे पर पड़ी और फिर कुछ देर में दूसरी मेरे गदराये मस्ताए जुबना पे , निपल के बस थोड़ा ऊपर ,
मैं नीचे तक गीली हो गयी।
वो अलमारी बंद ही कर रहे थे ,मेरे ही हालत में बर्थ डे सूट में ,
" ए ज़रा एक सिगी तो सुलगाना , ... अरे वो स्पेशल वाली जो अजय जीजू ने दी थी न। " मैंने खिड़की के पास से खड़े खड़े ही आवाज लगाई।
अब रुक रुक कर बूंदो की आवाज ,कमरे की छत पर से नीचे जमीन पर से ,
आम के पेड़ की खिड़कियों पर से , अलग अलग एक सिम्फोनी मस्ती की ,
खिड़की से हाथ बाहर निकाल के मैंने चार पांच बूंदे रोप लीं और सीधे अपने उभारों पर मसल दिया।
तब तक वो मेरे पास आके खड़े हो गए थे वही अजय जीजू वाली स्पेशल सिग्गी सुलगा के सुट्टा लगाते ,
क्या जबरदस्त अजय जीजू की वो ,... एक दो सुट्टे में ही बुर की बुरी हालात हो जाती थी , बस मन करता था की कोई लौंडा दिखे तो उसे पटक के रेप कर दूँ।
" साल्ले ,भोंसड़ी के मादरचोद , अकेले अकेले। "
उनके मुंह से सिग्गी छीन कर सुट्टा लगाते मैं बोली।
सच में दो सुट्टे के बाद ही मेरी हालत खराब हो गयी लेकिन मैंने उनके गोरे गुलाबी नमकीन गालों पे कस के चिकोटी काटती मैंने चिढ़ाया ,
" साल्ले , गाली नहीं दे रही सच बोल रही अरे तेरी उस अनारकली ऑफ आजमगढ़ की जो तुम एक बार सील खोल दोगे तो बस ,
अब मेरे जीजू लोगों को तो तुमने उस छमिया की कच्ची अमिया , अपनी छुटकी बहनिया के कच्चे कोरे टिकोरे १०० रुपये में मेरे जीजू लोगों के हाथ बेच ही दिए है
तो फिर जब तुम अपने उस माल की सील तोड़ देगे तो मेरे भाई भी , माना सगे नहीं है ,दूर दराज के पास पड़ोस के ,गाँव मोहल्ले के हैं ,लेकिन ,... और फिर तुम साले ,साल्ले तो बन ही जाओगे न।
और फिर अपनी माँ के पहलौठी के तो हो नहीं , और तेरी माँ मेरी गारन्टी है , झांटे आने के पहले ही लगवाना चालू कर दिया होगा , तो तुम भोंसड़ी के तो हुए न।
और फिर मादरचोद , मम्मी की सबसे कड़ी शर्त तूने पूरी कर दी , अपनी गांड फड़वाने की ,कमल जीजू को पटा के , मम्मी का आज दिन में फोन आया था। बहुत खुश थीं तुमसे ,कह रही थीं मेरी सास से उनकी बात आज भी हुयी थी , आज से ठीक चौदह दिन बाद , तेरी माँ को ले के वो हाजिर। कह रही थीं वो , बस चौदह दिन उस छिनार के जने से कह देना , अपनी माँ चोदने के लिए तैयार रहे ,
तो साल्ले अब तो मादरचोद बनने से तुझे कोई रोक नहीं सकता। "
मैं कनखियों से देख रही थी , उन खूँटा अब फिर टनटना रहा था।
मेरी बातों का असर ,या सावन के मौसम की मस्ती का या अजय जीजू के मस्त सिगरेट का , या सबका मिला जुला , पर शेर अंगड़ाई ले रहा था।
एक दो सुट्टे और मार के मैंने सिगरेट उनके नदीदे मुंह में खोंस दी और अब वो जम कर सुट्टे लगाने लगे।
बाहर मौसम और जबरदस्त ,... हवा थोड़ी तेज हो गयी थी , रह रह कर आसमान में बिजली चमक रही थी। आम का पेड़ मस्ती से झूम रहा था , और अब बौछार थोड़ी तेज हो के हम लोगों को भिगो रही थी।
मैंने शरारत से अपने दो हाथ बाहर कर के अंजुरी में झरती बारिश का ढेर सारा पानी रोप कर जब तक वो सम्हलें ,समझें कुछ पानी मैंने इनके चेहरे पर डाला और कुछ इनके खड़े खूंटे पर ,उसे मसलते मैं बोली ,
" यार आज तेरे मायके का पहला दिन ,एकदम जैसा मैं सोच रही थी वैसा ही गुजरा तो मेरे मुन्ने को कुछ इनाम तो मिलना ही चहिये न , आओ। "
और ये कह के मैंने उन के मुंह से मसाले वाली सिगी खींच ली और बस दो खूब जोरदार सुट्टे लगा के ख़तम कर बाहर फेंक दी , और पलंग पर लेट गयी।
" आओ न "
मैंने बुलाया , मेरी खुली जाँघों को देख के वो समझ गए मैं किस इनाम की बात कर रही हूँ।
उनके होंठ मेरे निचले होंठों पर , जबरदस्त चूत चटोरे तो वो थे ही ,
थोड़े ही देर में सपड़ सपड़ ,... मेरी हालत खराब
क्या मस्त चाट रहे थे वो ,थोड़ी ही देर में बाहर चल रहे तूफ़ान में काँप रहे आम के पेड़ के पत्तों की तरह मेरी देह भी काँप रही थी।
लेकिन इरादा तो मेरा कुछ और चटवाने का था ,
आखिर उनके मायके का मेरा पहला दिन इत्ता स्पेशल गुजरा , खास तौर से अपनी भौजाई के सामने जिस तरह से उन्होंने मेरे तलवे चाटे , एकदम खुल के
मेरी जिठानी की हालत देखते बनती थी ,
तो उनका इनाम भी तो कुछ स्पेशल बनता था न।
और मैंने अपने कूल्हे कुछ और ऊपर उठाये ,
अक्लमंद को इशारा काफी ,और फिर मम्मी और मंजू ने रोज रोज गांड चटाई में उन्हें ट्रेन भी अच्छा कर दिया था ,
जीभ मेरी चिकनी देह पर फिसलती आगे के छेद से पीछे के छेद की ओर ,
पर तड़पाने में उनका कोई सानी नहीं था ,एकदम मेरी तरह,
जीभ गोलकुंडा के किले के चारो ओर चक्कर काटती रही , बस छोटे छोटे लिक्स
और फिर उस भूरी सुरंग से बस एक मिलीमीटर दूर छोटे छोटे चुम्बनों की बारिश
बाहर बारिश तेज हो गयी थी ,और अंदर मेरी गालियों की बारिश ,
साल्ले , भोंसड़ी के , तेरी माँ की फुद्दी मारूँ , रन्डी के जने ,गांड़चटटो
चाट मादरचोद चाट ,चाट गाँड़ ठीक से , चाट डाल दे जीभ अंदर ,
गांडू , मजा आया था ने मेरे जीजू से गांड मरवाने में , अभी तो बस ट्रेलर था ,
डाल न जीभ अपनी , तेरे बहन को तेरी रखैल बनाऊं ,
और उनकी जीभ सीधे मेरी गांड के कसे छेद पर जहां कल अजय और कमल जीजू का मूसल रात भर चला था।
कल सिर्फ उनकी ही कोरी गांड नहीं फटी थी , मेरी भी पहली पहली बार।
ये उठे और अनजाने में मेरा पैर उनके पैर से छू गया ,
बस कहर बरपा हो गया , पहले तो उनकी बुआ बरसीं ,
" अरी बहू ज़रा देख समझ के , पति को पैर से छूने पे पक्का नरक मिलता है कोई प्रायश्चित नहीं , बिल्ली मारने से भी बढ़कर "
फिर पड़ोस की एक सास टाइप औरत ,
" अरे ई आजकल की मेहरारू ,... "
मैंने बचाव के लिए अपनी जेठानी की ओर देखा और फुसफुसाया ,
" और जो ये रात भर पैर कंधे पर रखे रहते हैं उसका क्या , तब नहीं पैर,... "
मैंने बात तो बहुत धीमे से खाली अपनी जेठानी के लिए ,मजाक में कही थी पर वो एकदम आग बबूला ,
और वो भी बहुत जोर की आवाज में ,
" कैसे बोलती हो सबके सामने , अरे सही तो कह रही हैं बुआ , "
और उनकी बात पीछे से सुपाड़ी काटती किसी औरत ने काटी ,बोली
" ई पढ़ी लिखी औरतें ,पता नहीं महतारी कुछ ससुरे के गुण ढंग सिखाय के भेजले हाउ की की ना "
बहुत मुश्किल से मैंने , ...
और आज उन्ही जेठानी के सामने वो मेरे पैर की उंगलियां ,तलुवा लिक कर रहे थे ,किस कर रहे थे।
उनका मुंह थोड़ा सा खुला और मैंने अपने एक पैर का पूरा पंजा ,पांचो उंगलियां ,... ये प्रक्टिस मम्मी का नतीजा थीं. पूरा पंजा। .
कहती थी मम्मी उनसे , अरे इस प्रक्टिस से मोटा से मोटा,...
" अरे आओ न जरा अपनी भौजाई के बगल में तो बैठो , "
मैंने मुस्करा के उनसे कहा लेकिन साथ में जिस पैर में मैंने सैंडल पहन रखी थी उसे जरा सा हिला दिया ,
उस पैर की चांदी की हजार घुंघरुओं वाली पायल ,,बिछुए रुनझुन रुनझुन कर उठे ,
और मेरा इशारा समझ के हम लोगों के पास आने के पहले , एक हलका सा ही लेकिन साफ़ साफ़ दिखे ,ऐसा किस मेरी सैंडल के सोल पे।
कैसे देख पा रही होंगी बिचारी ये सीन
लेकिन एक चीज एकदम साफ़ थी ,शीशे की तरह
मेरा पति मेरा है ,सिर्फ मेरा। चाहे उसका मायका हो या ,... या उसकी मायकेवालियां उसके सामने बैठी हों।
मेरा ३४ सी साइज का सीना ५६ इंच का हो गया।
और वो आके अपनी भौजाई के बगल में बैठ गए , मैंने जेठानी जी को छोड़ा ,
" अरे दीदी दबवा लीजिये न , आपके देवर पैर वैर बहुत अच्छा दबाते हैं /" मैने छेड़ा।
" नहीं तुम्ही दबवाओ, तुम्हे मुबारक। मेरे पैर में कोई दर्द नहीं हो रहा , " झुंझला के वो बोलीं।
" अरे दीदी तो कुछ और दबवा लीजिये ,आज तो जेठ जी भी नहीं है। "
थोड़ा सा मूड ठीक करते वो भी मजाक के मूड में आ गयी ,
दो चीजों पर मैं और मेरी जेठानी दोनों झट से एकमत हो जाते थे , एक तो उनकी ममेरी बहन और हम दोनों की एकलौती ननद और
दूसरी हम दोनों की सास।
जेठानी जी उन्हें छेड़ते बोली ,
" अरे वो आएगी न कल , इनका माल , दबवाने के लिए ,दबाना मन भर के। "
मैंने लेकिन मोर्चा बदल दिया।
" इनकी माँ का कोई फोन वोन आया या फिर वहां पंडो दबवाने मिजवाने में ही ,... "
मेरी बात काट के खिलखिलाती मेरी जेठानी बोली ,
" अरे बिचारे पंडों की क्या गलती , वो खुद ही धक्का मारती रगड़वाती ,.. "
और अबकी बात काटने की बारी मेरी थी , मैंने उन्ही से पूछा ,
" क्यों तुम्हारी भौजी सही कह रही हैं न , खूब दबवाती मिजवाती हैं न लेकिन अभी है भी उनका कितना कड़क बड़ा बड़ा ,दबाने मीजने के लायक। "
जेठानी जी ने जुम्हाई ली तो हम दोनों ने इशारा समझ लिया और हम दोनों भी ऊपर अपने कमरे की ओर ,
सीढ़ी चढ़ते हुए इनके बॉक्सर शार्ट्स में , इनके पिछवाड़े की दरार में ऊँगली करते ,रगड़ते हलके से मैं बोली
चल मादरचोद ऊपर।
पता नहीं मेरी जेठानी ने सुना तो नहीं,
सुना हो तो सुना हो।
ये इनकी अपने मायके में, पहली रात थी अपने नए रूप में।
और क्या रात थी वो ,सावन अपने पूरे जोबन पे।
काली काली घटाएं घिरी हुयी थीं , हलकी पुरवाई चल रही थी ,भीगी भीगी सी बस लगा रहा था की कि कहीं आसपास पानी बरसा हो ,
मिटटी की सोंधी सोंधी महक हवा में घुली हुयी ,
कमरे में पहुँच के बजाय दरवाजा बंद करने के मैंने खिड़की भी खोल दी , और बाहर आम का बड़ा पेड़ झूम झूम के , जैसे कजरी गा रहा हो ,
इससे पहले रात में इस कमरे की खिड़की दरवाजे कभी नहीं खुलते थे ,
( कहीं कोई देख ले तो , कोई क्या कहेगा , सेक्स के साथ जुडी गिल्ट फ़ीलिंग , हर चीज एक घुटन के साथ जुडी , छुपी सहमी )
और मैंने अपना कुर्ता उतार के उनकी ओर उछाल दिया , वो उसे तहियाने में लगे थे की मैं उनके पास ,और नीचे झुक के उनकी बॉक्सर शार्ट ,
सररर ,नीचे , वो नंगे।
जोरू का गुलाम भाग ८०
लेकिन अब वो भी तो , उन्होंने भी मेरे शलवार का नाडा खींच दिया और शलवार उनके हाथ में
अंडर गारमेंट्स न उन्होंने पहने थे न मैंने।
वो कपडे तह कर के रख रहे थे और मैं निसुती खिड़की के पास ,
खुली खिड़की से आती सावन की गीली गीली हवा का मजा लेती
( ये भी पहली बार था इस कमरे में , सेक्स तो हम लोग बिना नागा करते थे और खूब मजे ले ले कर लेकिन ,
उनका बस चले तो बस ज़िप खोल के काम चला लेते , और ज्यादातर कपडे तभी उतरते जब हम दोनों चद्दर के अंदर होते ,लेकिन अब )
सावन की एक मोटी सी बूँद मेरे चेहरे पर पड़ी और फिर कुछ देर में दूसरी मेरे गदराये मस्ताए जुबना पे , निपल के बस थोड़ा ऊपर ,
मैं नीचे तक गीली हो गयी।
वो अलमारी बंद ही कर रहे थे ,मेरे ही हालत में बर्थ डे सूट में ,
" ए ज़रा एक सिगी तो सुलगाना , ... अरे वो स्पेशल वाली जो अजय जीजू ने दी थी न। " मैंने खिड़की के पास से खड़े खड़े ही आवाज लगाई।
अब रुक रुक कर बूंदो की आवाज ,कमरे की छत पर से नीचे जमीन पर से ,
आम के पेड़ की खिड़कियों पर से , अलग अलग एक सिम्फोनी मस्ती की ,
खिड़की से हाथ बाहर निकाल के मैंने चार पांच बूंदे रोप लीं और सीधे अपने उभारों पर मसल दिया।
तब तक वो मेरे पास आके खड़े हो गए थे वही अजय जीजू वाली स्पेशल सिग्गी सुलगा के सुट्टा लगाते ,
क्या जबरदस्त अजय जीजू की वो ,... एक दो सुट्टे में ही बुर की बुरी हालात हो जाती थी , बस मन करता था की कोई लौंडा दिखे तो उसे पटक के रेप कर दूँ।
" साल्ले ,भोंसड़ी के मादरचोद , अकेले अकेले। "
उनके मुंह से सिग्गी छीन कर सुट्टा लगाते मैं बोली।
सच में दो सुट्टे के बाद ही मेरी हालत खराब हो गयी लेकिन मैंने उनके गोरे गुलाबी नमकीन गालों पे कस के चिकोटी काटती मैंने चिढ़ाया ,
" साल्ले , गाली नहीं दे रही सच बोल रही अरे तेरी उस अनारकली ऑफ आजमगढ़ की जो तुम एक बार सील खोल दोगे तो बस ,
अब मेरे जीजू लोगों को तो तुमने उस छमिया की कच्ची अमिया , अपनी छुटकी बहनिया के कच्चे कोरे टिकोरे १०० रुपये में मेरे जीजू लोगों के हाथ बेच ही दिए है
तो फिर जब तुम अपने उस माल की सील तोड़ देगे तो मेरे भाई भी , माना सगे नहीं है ,दूर दराज के पास पड़ोस के ,गाँव मोहल्ले के हैं ,लेकिन ,... और फिर तुम साले ,साल्ले तो बन ही जाओगे न।
और फिर अपनी माँ के पहलौठी के तो हो नहीं , और तेरी माँ मेरी गारन्टी है , झांटे आने के पहले ही लगवाना चालू कर दिया होगा , तो तुम भोंसड़ी के तो हुए न।
और फिर मादरचोद , मम्मी की सबसे कड़ी शर्त तूने पूरी कर दी , अपनी गांड फड़वाने की ,कमल जीजू को पटा के , मम्मी का आज दिन में फोन आया था। बहुत खुश थीं तुमसे ,कह रही थीं मेरी सास से उनकी बात आज भी हुयी थी , आज से ठीक चौदह दिन बाद , तेरी माँ को ले के वो हाजिर। कह रही थीं वो , बस चौदह दिन उस छिनार के जने से कह देना , अपनी माँ चोदने के लिए तैयार रहे ,
तो साल्ले अब तो मादरचोद बनने से तुझे कोई रोक नहीं सकता। "
मैं कनखियों से देख रही थी , उन खूँटा अब फिर टनटना रहा था।
मेरी बातों का असर ,या सावन के मौसम की मस्ती का या अजय जीजू के मस्त सिगरेट का , या सबका मिला जुला , पर शेर अंगड़ाई ले रहा था।
एक दो सुट्टे और मार के मैंने सिगरेट उनके नदीदे मुंह में खोंस दी और अब वो जम कर सुट्टे लगाने लगे।
बाहर मौसम और जबरदस्त ,... हवा थोड़ी तेज हो गयी थी , रह रह कर आसमान में बिजली चमक रही थी। आम का पेड़ मस्ती से झूम रहा था , और अब बौछार थोड़ी तेज हो के हम लोगों को भिगो रही थी।
मैंने शरारत से अपने दो हाथ बाहर कर के अंजुरी में झरती बारिश का ढेर सारा पानी रोप कर जब तक वो सम्हलें ,समझें कुछ पानी मैंने इनके चेहरे पर डाला और कुछ इनके खड़े खूंटे पर ,उसे मसलते मैं बोली ,
" यार आज तेरे मायके का पहला दिन ,एकदम जैसा मैं सोच रही थी वैसा ही गुजरा तो मेरे मुन्ने को कुछ इनाम तो मिलना ही चहिये न , आओ। "
और ये कह के मैंने उन के मुंह से मसाले वाली सिगी खींच ली और बस दो खूब जोरदार सुट्टे लगा के ख़तम कर बाहर फेंक दी , और पलंग पर लेट गयी।
" आओ न "
मैंने बुलाया , मेरी खुली जाँघों को देख के वो समझ गए मैं किस इनाम की बात कर रही हूँ।
उनके होंठ मेरे निचले होंठों पर , जबरदस्त चूत चटोरे तो वो थे ही ,
थोड़े ही देर में सपड़ सपड़ ,... मेरी हालत खराब
क्या मस्त चाट रहे थे वो ,थोड़ी ही देर में बाहर चल रहे तूफ़ान में काँप रहे आम के पेड़ के पत्तों की तरह मेरी देह भी काँप रही थी।
लेकिन इरादा तो मेरा कुछ और चटवाने का था ,
आखिर उनके मायके का मेरा पहला दिन इत्ता स्पेशल गुजरा , खास तौर से अपनी भौजाई के सामने जिस तरह से उन्होंने मेरे तलवे चाटे , एकदम खुल के
मेरी जिठानी की हालत देखते बनती थी ,
तो उनका इनाम भी तो कुछ स्पेशल बनता था न।
और मैंने अपने कूल्हे कुछ और ऊपर उठाये ,
अक्लमंद को इशारा काफी ,और फिर मम्मी और मंजू ने रोज रोज गांड चटाई में उन्हें ट्रेन भी अच्छा कर दिया था ,
जीभ मेरी चिकनी देह पर फिसलती आगे के छेद से पीछे के छेद की ओर ,
पर तड़पाने में उनका कोई सानी नहीं था ,एकदम मेरी तरह,
जीभ गोलकुंडा के किले के चारो ओर चक्कर काटती रही , बस छोटे छोटे लिक्स
और फिर उस भूरी सुरंग से बस एक मिलीमीटर दूर छोटे छोटे चुम्बनों की बारिश
बाहर बारिश तेज हो गयी थी ,और अंदर मेरी गालियों की बारिश ,
साल्ले , भोंसड़ी के , तेरी माँ की फुद्दी मारूँ , रन्डी के जने ,गांड़चटटो
चाट मादरचोद चाट ,चाट गाँड़ ठीक से , चाट डाल दे जीभ अंदर ,
गांडू , मजा आया था ने मेरे जीजू से गांड मरवाने में , अभी तो बस ट्रेलर था ,
डाल न जीभ अपनी , तेरे बहन को तेरी रखैल बनाऊं ,
और उनकी जीभ सीधे मेरी गांड के कसे छेद पर जहां कल अजय और कमल जीजू का मूसल रात भर चला था।
कल सिर्फ उनकी ही कोरी गांड नहीं फटी थी , मेरी भी पहली पहली बार।
फूफी और उसकी बेटी से शादी.......Thriller वासना का भंवर .......Thriller हिसक.......मुझे लगी लगन लंड की.......बीबी की चाहत.......ऋतू दीदी.......साहस रोमांच और उत्तेजना के वो दिन!
- kunal
- Pro Member
- Posts: 2731
- Joined: 10 Oct 2014 21:53
Re: जोरू का गुलाम या जे के जी
जब मेरी सहेलियां सुजाता ,अन्नया और सब ,अपनी गांड मराई के किस्से सुनातीं तो मन मेरा भी बहुत करता था
लेकिन बस दो बातें थी ,
एक तो मैंने जब से इनके मुंह से ये सुना था की इनके अर्ली टीनेज डेज में ,
तीन बार इनकी नेकर सरकायी गयी लेकिन ये बाल बाल बच गए , तो बस मैंने सोच लिया था की ,
पहले इनकी फटेगी तब फड़वाउंगी।
दुसरे बचपन में ही तय हुआ था की पहले मेरे जीजू मेरी कसी कोरी चूत में अपना मूसल चलाएंगे तब इनका नम्बर लगेगा ,
आखिर तीन बहनों में सबसे छोटी थी ,छोटी साली होने का फायदा ,
लेकिन मेरी शादी पहले हो गयी और मेरे बिचारे दोनों जीजू ,
छोटी साली की कसी कोरी कुँवारी चूत फाड़ने का मजा पाने से रह गए ,
तो बस चीनू की शादी में जब पहली बार मैं कमल जीजू से मिली थी तभी मैंने तय कर लिया था ,
कोमलिया भले ही आगे का उद्घाटन पति ने कर दिया लेकिन ,पीछे का जीजू से ही
और कल रात मैंने करवा ही लिया दोनों जीजू से ,
एक साथ सैंडविच बन के भी ,
अलग अलग गांड मरवा के भी
उधर उनकी जीभ की नोक अब बार बार पिछवाडे के छेद को कुरेद रही थी ,घुसने की कोशिश कर रही थी।
कल जहां कमल जीजू का मोटा लन्ड घुसा था ,
और मैंने पोज चेंज कर दिया , अब उसी पोज में जो मर्दो की फेवरिट पोज होती है ,
कुतिया बना के ,
बिस्तर पर मैं कुतिया बन गयी ,और खुद अपने हाथ से अपनी गांड का छेद कस के फैला के
चाट साले चाट गँड़ुये , अपनी बहन के भंडुए
कल इसी गांड से तो मेरे जीजू की मलाई भी खूब सपड़ सपड़ चाटी थी न , बोल आया था मजा न।
अरे ठीक से चाट तो , और जोर ,से डाल दे जीभ अंदर , अरे बस १० -१२ दिन की बात है ,
साल्ले , तुझसे तेरी माँ की भी गाँड़ चटवाउंगी , बोल चाटेगा न रंडी की , ...
कल इसी लिए न मोटे मोटे लन्ड घोंट रहा था गांड में की ,
तुझे तेरी माँ का भोंसड़ा मिलेगा।
मादरचोद ,चल पहले मेरी गांड चाट ठीक से
खूब जोर जोर से मैं गरिया रही थी , बिना इस बात की परवाह किये की कहीं मेरी जेठानी तो नहीं सुन लेंगी नीचे।
और वो भी अब सब परवाह छोड़ के मेरी गांड चाटने में लगे थे।
मेरा सर खिड़की की ओर था ,इसलिए खुली खिड़की से हलकी हलकी बारिश की फुहारे
मेरे चेहरे पर, मेरे उभारों पर बारिश की हलकी हलकी बौछार , मजा दस गुना कर दे रही थी।
जीभ थोड़ी सी अंदर घुसी , कभी घिसती कभी गोल गोल अंदर घूमती
चोदने में अगर मेरे दोनों जीजू नम्बर वन थे और गांड मारने में कमल जीजू की पी एच डी थी तो बुर चाटने और गांड चाटने में ये मेरे दोनों जीजू से २१ - २२ नहीं २५ थे पूरे।
बिचारि उनकी साली रीनू तड़प के रह गयी थी ,उसकी नीचे की दुकान पर ताला लगा था पांच दिन वाला। लेकिन मैंने उससे पक्का वायदा किया था की काठमांडू से लौटने पर उसके जीजू उसकी चूत गांड सब चटवाउंगी।
गांड चाटने की ट्रेनिंग देने में तो उनकी सास का पूरा हाथ था लेकिन गांड के अंदर पूरी तरह जीभ डाल के गांड का ,... ये खास तौर से मंजू बाई की ,..
अगर इनकी जुबान उसकी गांड के अंदर घुस के लसलसी ,... तो फिर मार हाथ के ,इनकी गांड वो लाल कर देती थी , और उनके चेहरे पर बाथ के न बंद कर देती थी जब तक ये अंदर का ,..
और मैंने भी फिर वही पोज अख्तियार कर लिया , वो लेटे और बिना मेरे कुछ कहे उनके दोनों होंठ पूरी तरह खुले ,
मैंने भी अपनी गांड के छेद को दोनों हाथों फैलाया और उनके मुंह पै सेंटर कर के बैठ गयी , आगे का काम इनका था ,
थोड़ी देर में ही इनकी जीभ २ इंच अंदर घूम घूम के मेरी गांड के अंदर
मैं गिनगिना रही थी मेरी पूरी देह में सनसनी दौड़ रही थी ,
किसी मोटे लन्ड से कम मजा नहीं देती थी उनकी जीभ ,
और मोटे लन्ड से मुझे और किसकी याद आती , कमल जीजू की याद
लेकिन बस दो बातें थी ,
एक तो मैंने जब से इनके मुंह से ये सुना था की इनके अर्ली टीनेज डेज में ,
तीन बार इनकी नेकर सरकायी गयी लेकिन ये बाल बाल बच गए , तो बस मैंने सोच लिया था की ,
पहले इनकी फटेगी तब फड़वाउंगी।
दुसरे बचपन में ही तय हुआ था की पहले मेरे जीजू मेरी कसी कोरी चूत में अपना मूसल चलाएंगे तब इनका नम्बर लगेगा ,
आखिर तीन बहनों में सबसे छोटी थी ,छोटी साली होने का फायदा ,
लेकिन मेरी शादी पहले हो गयी और मेरे बिचारे दोनों जीजू ,
छोटी साली की कसी कोरी कुँवारी चूत फाड़ने का मजा पाने से रह गए ,
तो बस चीनू की शादी में जब पहली बार मैं कमल जीजू से मिली थी तभी मैंने तय कर लिया था ,
कोमलिया भले ही आगे का उद्घाटन पति ने कर दिया लेकिन ,पीछे का जीजू से ही
और कल रात मैंने करवा ही लिया दोनों जीजू से ,
एक साथ सैंडविच बन के भी ,
अलग अलग गांड मरवा के भी
उधर उनकी जीभ की नोक अब बार बार पिछवाडे के छेद को कुरेद रही थी ,घुसने की कोशिश कर रही थी।
कल जहां कमल जीजू का मोटा लन्ड घुसा था ,
और मैंने पोज चेंज कर दिया , अब उसी पोज में जो मर्दो की फेवरिट पोज होती है ,
कुतिया बना के ,
बिस्तर पर मैं कुतिया बन गयी ,और खुद अपने हाथ से अपनी गांड का छेद कस के फैला के
चाट साले चाट गँड़ुये , अपनी बहन के भंडुए
कल इसी गांड से तो मेरे जीजू की मलाई भी खूब सपड़ सपड़ चाटी थी न , बोल आया था मजा न।
अरे ठीक से चाट तो , और जोर ,से डाल दे जीभ अंदर , अरे बस १० -१२ दिन की बात है ,
साल्ले , तुझसे तेरी माँ की भी गाँड़ चटवाउंगी , बोल चाटेगा न रंडी की , ...
कल इसी लिए न मोटे मोटे लन्ड घोंट रहा था गांड में की ,
तुझे तेरी माँ का भोंसड़ा मिलेगा।
मादरचोद ,चल पहले मेरी गांड चाट ठीक से
खूब जोर जोर से मैं गरिया रही थी , बिना इस बात की परवाह किये की कहीं मेरी जेठानी तो नहीं सुन लेंगी नीचे।
और वो भी अब सब परवाह छोड़ के मेरी गांड चाटने में लगे थे।
मेरा सर खिड़की की ओर था ,इसलिए खुली खिड़की से हलकी हलकी बारिश की फुहारे
मेरे चेहरे पर, मेरे उभारों पर बारिश की हलकी हलकी बौछार , मजा दस गुना कर दे रही थी।
जीभ थोड़ी सी अंदर घुसी , कभी घिसती कभी गोल गोल अंदर घूमती
चोदने में अगर मेरे दोनों जीजू नम्बर वन थे और गांड मारने में कमल जीजू की पी एच डी थी तो बुर चाटने और गांड चाटने में ये मेरे दोनों जीजू से २१ - २२ नहीं २५ थे पूरे।
बिचारि उनकी साली रीनू तड़प के रह गयी थी ,उसकी नीचे की दुकान पर ताला लगा था पांच दिन वाला। लेकिन मैंने उससे पक्का वायदा किया था की काठमांडू से लौटने पर उसके जीजू उसकी चूत गांड सब चटवाउंगी।
गांड चाटने की ट्रेनिंग देने में तो उनकी सास का पूरा हाथ था लेकिन गांड के अंदर पूरी तरह जीभ डाल के गांड का ,... ये खास तौर से मंजू बाई की ,..
अगर इनकी जुबान उसकी गांड के अंदर घुस के लसलसी ,... तो फिर मार हाथ के ,इनकी गांड वो लाल कर देती थी , और उनके चेहरे पर बाथ के न बंद कर देती थी जब तक ये अंदर का ,..
और मैंने भी फिर वही पोज अख्तियार कर लिया , वो लेटे और बिना मेरे कुछ कहे उनके दोनों होंठ पूरी तरह खुले ,
मैंने भी अपनी गांड के छेद को दोनों हाथों फैलाया और उनके मुंह पै सेंटर कर के बैठ गयी , आगे का काम इनका था ,
थोड़ी देर में ही इनकी जीभ २ इंच अंदर घूम घूम के मेरी गांड के अंदर
मैं गिनगिना रही थी मेरी पूरी देह में सनसनी दौड़ रही थी ,
किसी मोटे लन्ड से कम मजा नहीं देती थी उनकी जीभ ,
और मोटे लन्ड से मुझे और किसकी याद आती , कमल जीजू की याद
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